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कामुक साली ने उकसाया जीजा को

नवम्बर 17, 2022 by hamari

Sensual Dance Girl Fuck

संजय की शादी हुए 2 साल हो चुके थे. शोभा नाम है उसकी बीबी का. संजय का गारमेंट बनाने की फॅक्टरी है. उसके कारखाने मे बनाए हुए लॅडीस नाइटी बहुत पॉपुलर है. काफ़ी सेक्सी नाइटी बनता है. कभी कभी अपनी फॅक्टरी की बनी हुई नाइटी को और कांट छ्चांट कर अपनी बीबी शोभा के लिए घर ले कर आ जाता था. Sensual Dance Girl Fuck

शोभा के गोरे और सुंदर बदन पर यह नाइटी काफ़ी सेक्सी लगती थी. उसके बदन पर नाइटी से ज़्यादा उसका बदन झलकता था. संजय भी चाहता था की शोभा जब रात को रूम मे आए तो उसके मखमली बदन को देखनाए के लिए ज़्यादा तदफ़ना ना पड़े. उसकी गौरी चीटी चुचिया उसकी नाइटी से झलक पड़ती थी. उसे देखकर संजय का लंड हमेशा फड़फदता रहता था.

शोभा प्रेग्नेंट है और उसकी डेलिवरी का टाइम आ चुका था. शोभा ने अपने पिहर फोन करके अपनी चचेरी बहन दिशा को बुलवाया था. दिशा अपनी एक और बहन श्रृष्टि के साथ अपने जीजी के घर पर आती है. श्रृष्टि को पैंटिंग करना पसंद था. वो अपनी पैंटिंग की प्रदर्शिनी लगवाना चाहती थी इसीलिए दिशा के साथ चली आई.

श्रृष्टि एक कुशल डॅन्सर भी थी. कॉलेज के फंक्षन मे जब वो डॅन्स करती थी तो काई मनचलो की दिल की धड़कन बढ़ जया करती थी. दिशा जब पिच्छली बार एक साल पहले जब अपने जीजी के घर आई थी तब शोभा, संजय और दिशा काफ़ी हँसी मज़ाक कर के अपना टाइम पास कर लिया करते थे.

दिशा अपने जीजू के काफ़ी करीब हो गयी थी. हालाँकि उनके सरिरिक संबंध नहीं बने थे लेकिन अपनी जीजी के सामने संजय से काफ़ी लिपट छिपात कर रहती थी. आलिंगन और चुंबन तक ही संबंध कायम हो पाए थे. और शोभा भी उसे बुरा नही मनती थी. कहती थी की जीजा और साली के बीच मे यह सब चलता है.

शोभा, दिशा और श्रृष्टि आपस मे चचेरी बहाने थी. उनकी उमरा मे ज़्यादा फरक नही था. तीनो काफ़ी गौरी और सेक्सी बदन की मलिक थी. तीनो मे कौन ज़्यादा खूबसूरत है यह कहना काफ़ी मुश्किल था. जब शाम को संजय घर आया तो उसने बेडरूम से काफ़ी आवाज़े और हँसने की आवाज़े सुनाई दी.

वो समझ गया की दिशा आ गयी है. उसका मन हिचकोले खाने लगा. क्यों नही आख़िर उसकी सबसे सेक्सी साली जोत ही. वो जैसे ही रूम मे घुसा तो देखता है की उसकी साली एक नही दो-दो सालिया शोभा के साथ बेड पर बैठ कर उसके द्वारा लाई गयी नाइटी को देख रही है.

संजय सीधा दिशा के पीच्चे जाकर उसकी आँखों को अपने हाथों से बूँद कर अपने से चिपका लिया. दिशा कहने लगी, “आरे क्या जीजू, बड़ी देर करदी घर आने मे. हम लोग तो आज ही आने वेल थे फिर भी देर से आए हो.” संजय ने पलट-ते हुए जबाब दिया, “सॉरी मी डार्लिंग. तोड़ा ऑफीस मे काम आगेया था इसलिए लाते हो गयी. चलो अब माफ़ कर दो.”

दिशा ने संजय के हाथों को अपने हाथों मे लेते हुए कहा, “चलो माफ़ किया. लेकिन आपको भी हमारी जीजी का ध्यान रखना चाहिए. इस हाल मे ज़्यादा अकेले नही छ्चोड़ना चाईए.” तभी श्रृष्टि बोल पड़ी, “हम भी है इस महफ़िल मे.” संजय श्रृष्टि की तरफ आँख मरते हुए बोला, “अब तुम्हारी जीजी को तो क्या, तुम दोनो को भी अकेले नही छ्चोड़ूँगा.”

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फिर संजय श्रृष्टि को तोड़ा खिसका कर वहीं बेड पर ही अपने लिए जगह बना कर बोला, “क्या बात है. नाइटी की प्रदर्शिनी लगा रखी है.” दिशा ने एक नाइटी को उठाकर उसके बीच मे से झनखटे हुए बोली,” नही जीजू. हम सब तो यह देख रहे थे की इन नाइटी को पहने के बाद बदन पर नाइटी दीखती है या हमारा बदन.”

श्रृष्टि आँख मरते हुए बोली, “जीजू बड़ी सेक्सी नाइटी डिज़ाइन करते हो. पूरा बदन उघड़ कर रख देती है.” संजय भी हाज़िर-जवाब था. तुरंत बोल पड़ा, “जाओ इने पहनकर आओ. हम भी देखें की हमारी नाइटी ज़्यादा सेक्सी है या तुम्हारा बदन.” इसी तरह उनके बीच हँसी मज़ाक चल रहा था.

तभी एक जोक्स के बीच शोभा को ज़्यादा ही हँसी च्छुत गयी. ज़्यादा हँसने से उसके दरद उठाने लगा. सो फॉरून शोभा को ले कर वो तीनो हॉस्पिटल रवाना हो गये. और आधे घंटे के बाद नर्स ने एक लड़के के जानम लेने की बधाई उनको दी. संजय, दिशा और श्रृष्टि तीनो ही लड़के के जानम पर काफ़ी खुस हुए. और एक दूसरे को बधाइयाँ दी.

फिर डॉक्टर की इज़ाज़त ले कर अंदर जा कर शोभा को भी बधाई दी. रात को रुकने के नाम पर पहले तो डॉक्टर. ने सॉफ माना कर दिया पर ज़्यादा ज़ोर देने पर डॉक्टर. ने कहा, “चलो आज रात तो एक जान रुक सकता है लेकिन कल किसी को रुकने की इज़ाज़त नही दूँगी. आख़िर हमारी नर्से है जच्चा और बच्चा की देखभाल के लिए.”

एक रात के लिए हन भरने पर दिशा ने वहीं रुकने का फ़ैसला लिया. संजय दिशा को वहीं रुकते देख तोड़ा मायूष हुवा क्योंकि वो आज रात दिशा के साथ सेलेब्रेट करने का प्लान बना रहा था. लेकिन कुछ ना कहकर श्रृष्टि को लेकर वापस घर की चल पड़ा. घर के नीचे श्रृष्टि को छ्चोड़ उस-से कहा की मई आधे घंटे मे आता हूँ.

संजय आधे घंटे बाद एक विस्की की बॉटल और एक शमपने की बॉटल ले कर घर पर आ गया. ड्यूप्लिकेट चाबी से दरवाज़ा खोल श्रृष्टि को आवाज़ दी. श्रृष्टि उस समय बाथरूम मे थी. बाथरूम से वापस जवाब दिया, “जीजू बातरूम मे नहा रही हून. पंधराह बीस मिनिट मे आती हून.”

संजय श्रृष्टि को बाथरूम मे देख हॉल मे विस्की की बॉटल, आइस और ग्लास लेकर सोफा पर ही पसार गया. साथ ही प्लेयर चालू कर एरॉटिक डॅन्स की एक सीडी चालू कर दी. सीडी मे इंग्लीश धुन के साथ काई लड़किया आधी से ज़्यादा नंगी हो कर नाच रही थी. संजय भी इंग्लीश धुन के साथ बैठा बैठा झूम रहा था.

उसकी भूखी आँखे उन गोरी लड़कियों के बदन पर जमी हुई थी. उसका भूखा लंड भी उनको नंगा देख बैचेनी से अंदर ही अंदर मचल रहा था. भूखा तो होना ही था कारण की डॉक्टर. ने शोभा के साथ सोने से पिछले एक महीने से ना कर रखा था जो. जब तक श्रृष्टि बाथरूम से आई तब तक संजय दो पेग चढ़ा चक्का था.

उसके आँखों मे विस्की का शरूर चढ़ने लग गया था. श्रृष्टि ने अपनी जीजी शोभा की एक नाइटी निकल कर पहन ली. जब काँच से अपने बदन को देखा तो कुच्छ झेंप सी गयी. बदन पर नाइटी तो थी फिर भी पूरा बदन सॉफ दिखाई दे रहा था. काँच मे अपने बदन को गौर से देखने लगी. अपने दोनो हाथों से अपने निपल्स को दबाने लगी.

रूम मे बैठकर चारो जब हँसी मज़ाक कर रहे थे तभी से ही उसकी चूत मे खलबली मची हुई थी. नों-वेग. जोक्स से पूरे बदन मे स्त्री और पुरुष के संबंध की विवेचना चल रही थी. साथ मे जीजू का बारबार उसके गालों पर चुंबन उसको वासना की आग मे जला रहा था. मान ही मन जीजू के टेस्ट के दाद देने लगी.

फिर भी उसने उसके उपर एक झीना गाउन और पहन लिया. हॉल मे पहुँची तो उसकी आग और बढ़ गयी. टीवी मे मादक धुन के साथ नाच रही इंग्लीश मेमो को अपने बदन पर से बचे कुचे कपड़े उतार कर फेंकते हुए देख उसके दिल की धड़कन और बढ़ गयी. खुद एक अच्च्ची डॅन्सर तो वो थी ही.

पीछे से आकर अपना चेहरा जीजू के गाल से चिपका कर बोली, “बोलो क्या बोल रहे थे.” संजय ने कहा कुच्छ नही. आओ बैठो. श्रृष्टि वहीं खड़ी खड़ी बोली, “अकले ही पियोगे या हमे भी कुच्छ चखने दोगे.” संजय ने अपनी ग्लास को श्रृष्टि के चेहरे के नज़दीक ला कर उसके मदमटे होठों से लगा दिया.

श्रृष्टि एक साँस मे ग्लास मे जितना था (आधे पेग से भी ज़्यादा) गतक लिया और लगी खांसने. अपना मुह्न बिगाड़ते हुए बोली, “अफ, कैसी कड़वी है यह सराब.” संजय हुँसने लगा. फिर श्रृष्टि को अपने करीब खींच कर उसके होठों पर पड़ी सराब की कुच्छ बूँदो को छत लिया और बोला, “हमे तो कड़वी नही लगती. लगता है पहली बार टेस्ट कर रही हो.”

श्रृष्टि की उखड़ी साँस थोड़ी शांत हुई तब बोली, “हा, फल्ली बार पी रही हूँ. इससे पहले एक दो बार बियर ज़रूर पी है.” फिर टीवी पर डॅन्स देखने लगी. संजय निब भी श्रृष्टि को अपने पास सोफा पर बैठाकर एक-दो घूँट और पीला दिया. नशा जब हल्का हल्का चढ़ने लगा तो श्रृष्टि बोली, “क्या ऐसा डॅन्स देख रहे हो. इससे अच्छा तो मे नाच सकती हून.”

संजय ने पहले सोचा की सायद नशा होने की वजह से वो बोल रही होगी. लेकिन दूसरी बार कहने पर उसने टीवी बद कर दिया और बोला, “तो दिखाओ मेरी जान. हम भी देखें तुम कितना अच्च्छा नाच सकती हो.” चेल्लेंज मान कर श्रृष्टि ने एक ऑडियो सीडी लगा कर नाचना चालू कर दिया. ऑडियो सीडी रीमिक्स सॉंग्स की थी.

और पहला गाना ही “काँटा लगा” था. श्रृष्टि काँटा लगा की धुन पर नाचने लगी. इसी बीच जो झीना गाउन पहने हुए थी उसे निकाल कर संजय की और उछाल फेंका. संजय की साँसे ये सब देख कर भारी हो उठी. उसेके पूरे सरीर मे वासना की लहरे हिलोरे मार रही थी. लंड उत्तेजना से पागल हो रहा था.

पूरे बदन मे लहू सन-सन-सन करके दौड़ रहा था. श्रृष्टि का बदन कहीं से भी स्थिर नही था. उसका जलवा अपने पूरे उफान पर था. कभी नज़दीक आकर तो कभी डोर से ही संजय को अपने बदन की नुमाइश कर के उकसा रही थी. सराब और सबब अपने पूरी जवानी पर था.

पूरा हॉल मे ज़ोर ज़ोर से उठ बैठ रही साँसे म्यूज़िक से ताल से ताल मिला रही थी. श्रृष्टि हर ढूँ के साथ अपनी तालमेल बैठा कर संजय को बेकाबू करने मे लगी थी. संजय भी बेकाबू हो कर अपने सुख रहे होठों पर जीभ बार बार सहला रहा था. श्रृष्टि की भारी भारी छातियाँ उच्छल उच्छल कर संजय को आमंत्रण दे रही थी की आओ मुझे दाभोच लो.

उसकी मस्त जंघे हाथी की सूंड की तरह झूम रही थी. कभी फैला कर तो कभी सिकोड कर अपनी चूत को दिखा और छुपा रही थी. पीच्चे घूम कर अपने चूतड़ मटका मटका कर नाच कर संजय के लंड को पूरी तरह बेकाबू कर दिया. तभी संजय सोफे से उठकर श्रृष्टि के पास जा ही रहा था.

की श्रृष्टि ने उसको वापस धकेल कर सोफा पर वापस बैठा दिया और अपने चूतड़ को उसकी जाँघो पर रख कर उसके लंड को रगड़ने लगी. लंड इस रागड़ाई से एकदम बोखला गया. संजय के बदन का सारा लहू मानो इस वक़्त उसके लवदे मे समाया हुआ था. उसने अपने दोनो हाथों से श्रृष्टि के कबूतरो को जाकड़ लिया.

भारी भारी दोनो उरोज संजय के हाथों मे भी नही समा रहे थे. चिकनी निघट्य की वजह से दोनो कबूतर उसके हाथ से फिसल रहे थे. श्रृष्टि के कबूतर शिकारी को इतना नज़दीक देख कर फड़फड़ने लगे. संजय ने पागल होते हुए उसकी नाइटी को उरजो के सामने से पकड़ कर फाड़ दिया और उसके बूब्स को अपने हाथो मे लेकर तोलने लगा.

फिर उसके दोनो निपल्स को अंगुली के बीच मे लेकर ज़ोर से मसल दिया. श्रृष्टि के मुहन से सिसकारी निकल गयी. “उउईए माआ….. धीरे से.” संजय ने आराम से उसकी चुचियो को सहलाने लगा. श्रृष्टि अपने चूतड़ की रागड़ाई चालू रखी थी. संजय के लंड को काफ़ी दीनो बाद चूत की महक मिल रही थी.

फिर यह तो साली की चूत. नशा सराब के साथ सबब का डबल हो रहा था. उसके नशीले बदन को अपनी बाहों मे समेत कर इस रगड़ाई को रोक कर अपनी अनियंत्रित हो रही सांसो को समेटने मे लगा. श्रृष्टि के शरीर को सामने कर उसके रसीले होठों को चूमने लगा. उसके होठों के रूस को पीकर वो और मतवाला हो गया.

अपनी जीभ को श्रृष्टि की जीभ से टकरा रहा था. दोनो की जीबे पेंच लड़ा रही थी और हाथ उसके दोनो कबूतरो को अपने मे समाते हुए धीरे धीरे मसल रहे थे. संजय होतो से अपने होतो को च्छुदा कर अपनी जीभ को श्रृष्टि के उरजो की तरफ ले आया. “अफ क्या कयामत है,” ऐसे कहते हुए अपनी जीभ से उसके गुलाबी चूचियो चाटने लगा.

श्रृष्टि के मूह से सिसकारी निकल रही थी. उसके दोनो उरोज भारी हो चुके थे. उसकी साँसे ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे होने लगी. “और ज़ोर ज़ोर से मेरी चुची को मसालो, बहुत मज़ा आ रहा है. तुम्हारे हाथ मे जादू है. इधर तुम मेरी चुची को दबा रहे हो और उधर मेरी चूत पानी छोड़ रही है,” श्रृष्टि बेकाबू हो कर बड़बड़ाने लगी.

दोनो निपल्स कड़क हो कर संजय के मूह मे जाने को उतावले थे. फिर बेकाबू हो कर चीख पड़ी, “सक इट. टके इट इन योर माउथ.” संजय निब ही अपने होठों को खोलकर उसके एक निपल को अपने बीच दबा लिया. “एस्स… एस्स… जीजू…. ऐसे ही चुसो….देखो मेरे निपल्स की खाज मिटा दो,” श्रृष्टि अपनी चाहत च्छूपा नही पाई.

“ऊउउफ्फ्फ..ऽअ.. हह.. आआ.. हह प्लीज़ तोड़ा धीरे…. कतो ना….. उूउउइइ और ज़ोर से चूसो मेरे बूब्स को.” दोनो निपल्स को बरी बरी से अपने मूह मे लेकर चूसने के बाद संजय खड़ा होकर श्रृष्टि को अपनी बाहों मे लेकर उसके पूरे बदन को जाकड़ लिया. ऐसा कस कर आलिंगन किया की श्रृष्टि के मूह से चीख निकल पड़ी.

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`जब तुम्हारी चूंची इतनी खूबसूरत है तो चूत तो और भी खूबसूरत होगी,” कहकर संजय उसके बदन पर लिपटी नाइटी के बाकी हिस्से को भी फाड़ने लगा. लेकिन श्रृष्टि उसको रोकते हुए कहा, “उफ़फ्फ़… इतने बेकाबू क्यों हो रहे हो. पहले मुझे अपना झुनझुना तो दिखाओ. मुझे भी उससे खेलना है.”

संजय बेकाबू था लेकिन श्रृष्टि वापस बोल पड़ी, “तुम अपना लंड मुझे दिखाओ मई तुम्हे अपनी चूत दिखा दूँगी.” श्रृष्टि ने अपने हाथ को बढ़कर संजय की पंत टटोलने मे लग गई. उसे अपना खिलोना चाहिए था. उसका खिलोना भूके शेर की तरह अपने पिंजरे मे उच्छल कूद मचा रहा था. श्रृष्टि का हाथ उस पिंजरे की तरफ बढ़ कर उसके पहले तले यानी पंत की चैन को खोल दिया.

संजय ने उसके दोनो कबूतरो को सहलाते हुए अपनी पंत को नीचे की और खिसका दिया ताकि लंड को बाहर निकालने मे ज़्यादा परेशानी ना हो. फिर श्रृष्टि घुटने के बुल बैठकर अंडरवेर की क़ैद मे बैठे उस भूके शेर की दहाड़ सुनने लग गई. उसका फूला हुआ लंड अंडरवेर मे मचल रहा था.

श्रृष्टि ने अपने हाथो से उसको पूछकर कर शांत करने की कोशिश की. जब लंड ज़्यादा ही मचलने लगा तो अपने होठों से संजय के लवदे को अंडरवेर के साथ ही दबा लिया. अब बरी थी संजय के सिसकरने की. एक महीने में डॉक्टर के ना कहने के कारण वो अपनी बीबी, शोभा, को चोद नही पाया था लेकिन यादा-कड़ा शोभा अपने हाथ से संजय के लंड को मसल ज़रूर देती थी.

श्रृष्टि उसके लंड को अंडरवेर के उपर से चाटने लगी. लंड फूल कर एक दम भड़क उठा. तभी श्रृष्टि ने झटके से अंडरवेर खींच कर नीचे खिसका दिया. संजय का लंड एक दूं टन कर श्रृष्टि के मूह के सामने नाचने लगा. “अफ… क्या मोटा लंड है तुम्हारा जीजू,” कह कर अपने हाथों मे समेत लिया श्रृष्टि ने.

लेकिन लंड पूरा का पूरा हाथों मे आया कहाँ था. मोटे के साथ साथ पूरा 9″ का लूंबा लंड था संजय का. लंड का सुपरा भुक्कड़ की तरह श्रृष्टि का चेहरा देख रहा था. श्रृष्टि ने लंड को अपने हाथों मे लेकर उसकी चाँदी को उपर-नीचे करने लगी.”सचमुच तुम्हारा लंड तो बहुत लंबा और मोटा है,” श्रृष्टि के मूह से निकल पड़ा.

संजय से अब रहा नही जा रहा था. श्रृष्टि ने अपनी जीभ निकल कर लंड के सुपरे को धीरे-धीरे चाटने लगी. संजय का लंड उचक-उचक कर उच्छल रहा था. तोधी देर डाक श्रृष्टि उसके सुपरे को ही छत रही थी. संजय और ज़्यादा बेकाबू होने लगा. उससे रहा नही जा रहा था. वो काँपते हुए स्वर में बोला, “आरीए, मेरी साअली, अब तो “टीज़िंग” बूँद करो. मेरे लंड को चूसो.”

लेकिन श्रृष्टि ने सुपरे को चाटना नही छ्चोड़ा. वो संजय को और भड़कना चाहती थी. मर्द जब ज़्यादा भड़कता है तो औरत की चुदाई भी उतनी ही ज़्यादा कर्ता है. श्रृष्टि अपनी चूत की छुड़वा बहुत ज़ोर से करवाना चाहती थी. कारण यह था कॉलेज मे अपने बाय्फ्रेंड से उसकी सात- आठ बार जो चुदाई हुई थी वा जल्दी जल्दी हो गयी थी क्योंकि कोई आकर डिस्टर्ब ना कर दे या कोई आकर देख ना ले.

एक बार उसकी फ्रेंड की चुदाई किसी ने देख ली थी तो उसको अपनी चूत कॉलेज के डूस-बारह स्टूडेंट के साथ एक साथ चुदवानि पड़ी थी. पर यहाँ तो संजय का लंड भड़कता ही जा रहा था. उसने श्रृष्टि को कहा, “साली मदरचोद, चूस मेरे लंड को. पूरा का पूरा खा जा मेरे लंड को. साली यह लंड एक महीने से तरस रहा है और तुझे “टीज़िंग” की पड़ी है. अगर नही चूसाती तो मे तेरी चूत को ऐसा चोदुन्गा कितु भी जिंदंगी भर याद रखेगी.”

श्रृष्टि का मकसद पूरा हो गया. वो संजय को ऐसे ही भड़कना चाहती थी. तभी संजय ने उसके बॉल पकड़ कर अपना पूरा नो इंची लंड उसके मूह मे गॅप से डाल दिया. “ले च्चिनाल चूस मेरे लंड को. बहुत ज़्यादा मटक रही तीन ना. अब चूस मेरे लंड को.”

संजय का लंड आठ इंच तक ही श्रृष्टि के मूह मे घुस पाया. बाकी एक इंच बाहर ही रहा. उसके लंड का किनारा उसके मूह की आख़िरी दीवार को छ्छू गया था. श्रृष्टि को साँस लेने मे तकलीफ़ होने लगी थी. उसने संजय के लंड को पूरा बाहर निकाल कर कहा, “जीजू, मार ही डालोगो क्या. तोड़ा सब्र करो. चूसाती हू तुम्हारे मूसल लंड को.”

फिर श्रृष्टि ने लंड को हाथ से पकड़ कर जो चूसैई की संजय तो पागल हो गया. उसे लगा अगर मेने अपने लंड को बाहर नही निकाला तो मेरी पिचकारी अभी छ्छूट जाएगी. उसने अपना लंड बाहर निकल कर श्रृष्टि को खड़े कर अपनी बाहों मे उठा लिया और उसके होठों को चूमते हुए अपने बेडरूम की और चल पड़ा.

बेडरूम मे बेड पर श्रृष्टि को सुलते हुए उसकी नाइटी के बाकी कपड़ाए को फादते हुए उसकी जाँघो को चाटने लगा. श्रृष्टि की गुदाज़ जंघे मखमल की तरह नरम और दूध जैसी गौरी थी. संजय उन जाँघो को चुसते हुए अपने हाथो को उसकी झांतो को सहलाने लगा. अफ क्या नरम नरम झांते थी. संजय तो झांतो मसालते हुए उसकी उठी हुई बर(चूत) को देख पागल हो गया.

अपनी उंगली को धुस से उसकी कोमल चूत मे धकेल दिया. श्रृष्टि के मूह से निकल पड़ा, “उउईइ मा. धीरे से.” संजय उसकी जाँघो को छ्चोड़ आस्की चूत की आस-पास अपनी जीभ से चाट रहा था और अपनी एक उंगली को उसकी चूत की उंगली-चुदाई कर रहा था.

थोड़ी देर मे ही श्रृष्टि बोल पड़ी, “है! क्यों टाइम बर्बाद कर रहे हो? मेरे चूत को उंगली नहीं चाहिए. अभी तुम इसको अपने जीभ से चोदो. बाद मे उसको अपना लंड खिलाना. वो तुम्हारे लंड खाने के लिए तरस रही है.” तभी संजय ने अपनी उंगली निकाल कर उसकी जगह अपनी जीभ को लगा दिया. उसके दाने को चूस कर अपनी जीभ को उसकी चूत की गहराई में उतार दिया.

श्रृष्टि मादक स्वर मे कहने लगी, “”है! काया चीज़ बनाई है भगवान ने, चूसो चूसो, और ज़ोर से चूसो मेरी चूत को. और अंदर तक अपनी जीभ घुसेदो. है! मेरी चूत के दाने को भी चातो. बहुत मज़ा आ रहा है.” संजय ने उसकी चूत चूस चूस कर उसकी हालत खराब कर दी. श्रृष्टि बैठ कर अपनी चूत को संजय के मूह पर धक्के लगाने लगी.

साथ ही बाद-बड़ा रही थी, “एस डार्लिंग, चूसो मेरे राजा, चूत को को चूसो, अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर तक चूसो. एस बड़ा मज़ा आ रहा है जीजू. एस, एस, चूसाते जाओ. मेरे दाने को भी चूसो. आहह, एस, चूसो. लो मेरी चूत का पानी निकल रहा है. आहह, ऊहह, चूसो बहुत दीनो बाद मेरी चूत का पानी निकलेगा.

चूवस्स्स्तीए रहो, एस, एस, एस, ओह, ओह, क्या जीभ से चोद रहे हो. लगता है यह जीभ नही, तुम्हारा लंड है. आआहह, और हूओसो, ह, मेरा पााअनी निकल रहा है. ऑश एससस्स, मेरा पानी निकल आआआआआआ……” लेकिन संजय ने उसकी चूत को छ्चोड़ा नही. वो बहुत देर तक चूसाता रहा जब तक उसकी जीभ नही तक नही गयी.

श्रृष्टि की चूत की खाज और ज़्यादा बढ़ गयी. लेकिन अब वा अपनी चूत को चटवा कर नही बल्कि असली खेल कर अपनी प्यास बुझवाना चाहती थी. उसने अपने हाथ बढ़ा कर संजय के लंड को अपने हाथ मे लेकर आयेज पिच्चे करने लगी. जब लंड एकदम मूसल हो गया तो अपनी चूत को उसके मूह से हाता कर उसके लंड पर बैठ गयी.

संजय के लंड को और क्या चाहिए. उसका लंड तो चूत का प्यासा था. चूत को देख कर लंड अपनी जगह पर ही उच्छल- कूद मशीन लगा. संजय ने अपने हाथ बढ़ा कर अपने लंड के सुपरे को श्रृष्टि की चूत के मूह पर रख दिया. श्रृष्टि ने उपर से बैठे बैठे अपनी चूत को तोड़ा धक्का दिया तो संजय का लंड फुररररर करके उसकी चूत मे जा कर फँस गया.

इसी के साथ श्रृष्टि के मूह चीख निकल पड़ी. यह चीख दर्द भारी नही थी बुल्की आनंद से भारी थी. श्रृष्टि संजय के उपर बैठ कर अपनी चूत की खाज मिटाने लग गयी. अपनी चूत की जाकड़ मे लंड को ले कर उच्छल-कूद मचाने लगी. साथ ही उसके मूह से सिसकारियाँ निकल रही थी. संजय अपने हाथो से उसके मुम्मे पकड़ कर सहला रहा था.

श्रृष्टि उसकी च्चती पर हाथ रख कर अपनी चूत खुद ही चुड़वा रही थी. आनंद से मदहोश हो कर चुड़वा रही थी. स्पीड धीरे-धीरे बढ़ कर अपनी चरम सीमा पर चली गयी. फुल फास्ट स्पीड मे चुड़वाने से श्रृष्टि की सिसकारी बड़बाधत मे बदलने लगी.

“एस.. एस.. क्या मज़ा आ रहा है.. एस.. एस.. आज बहुत दीनो बाद चूत को मज़ा मिल रहा है.. श.. क्या जन्नत का मज़ा मिल रहा है.. उफ़फ्फ़.. जीजू तुम्हारा लंड एक दूं लोहे के जैसा सख़्त है… अफ… मेरी चूत… है… मैं …. आहह… मेरी चूत का पानी निकालने वेल हा… ऑश… क्या हो रहा है मुझे… है… मेरी चूत… उफफफ्फ़… मेरा पानी निकला… येस.ंएर पानी निकला… एस… उउई… एस… मेरा पानी निकल गया…”

ऐसा कह कर श्रृष्टि उसकी च्चती पर गिर कर लंबी-लंबी साँसे छ्चोड़ने लगी. चूत का पानी निकलते हुए वो अब हल्के हल्के धक्के मार कर एकदम से निढाल हो गयी. संजय ने अपनी बाहों मे भरकर उसके होठों को अपने होठों से जाकड़ लिया. थोड़ी दे बाद जब श्रृष्टि की धड़कन एकदम नॉर्मल हुई तो अपने सरीर से उसे उतारकर अपने बाजू मे सुला लिया और उसके बूब्स को सहलाता हुआ एक मुममे को मूह मे दबा लिया.

थोड़ी देर मे दोनो मुममे को चूस कर अपनी उंगली से उसकी चूत के दाने को सहलाने लगा. उसकी चूत को सहला कर उसकी चूत की चुदाई की तय्यरी कर रहा था. उसका भूखा लंड अब उसे चोदने को एकदम तय्यार था. श्रृष्टि के मूह से जब सिसकारी निकालने लगी तो उसे डॉग्गी स्टाइल मे लेता कर उसके चूतड़ो को अपने हाथ से सहलाने लगा.

उसकी चूत दोनो चूतड़ो के बीच एकद्ूम से दबी हुई थी. अपने लंड को हाथ मे लेकर उसके चूतड़ो पर हल्के से सहला रहा था. श्रृष्टि की चूत काफ़ी गरम हो चुकी थी. उससे अब सहा नही जा रहा था. वो बोल पड़ी, “है जीजू, क्यों तडफा रहे हो. लंड हुमारी चुदासी चूत को दिखा रहे हो और उसको चूत के अंदर नही पेल रहे हो.

अब जल्दी से अपने मूसल जैसे लंड को चूत मे घुसाओ, प्ल्ज़्ज़.’ तभी अपने लंड को उसकी चूत की खाई के सामने रखकर उसकी दरार मे टीका दिया और एक ज़ोर का धक्का मारा की श्रृष्टि के मूह से आनंद-भारी चीख निकल पड़ी. “है.. दैया.” लंड आधा एक ही धक्के मे चूत के अंदर घुस गया. दूसरे धक्के मे लंड पूरा का पूरा चूत के अंदर था.

संजय ने धीरे-धीरे अपने धक्के लगाने चालू रखे. लंड चूतमे पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था. उसका लंड चूत की गर्मी पाकर और फूल गया. श्रृष्टि भी धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी. फिर अपने हाथ बढ़ा कर संजय ने श्रृष्टि के मुममे को अपनी गिरफ़्त मे ले लिया और धक्को की स्पीड बढ़ा दी. लंड चूत की जड़ तक जा रहा था.

संजय का लंड चूत के धक्के से एकदम बेकाबू हो उठा. संजय के मूह से आवाज़े आनी शुरू हो गयी. “लो रानी… मेरे लंड के झटके… खाओ, खूब खाओ.. देखो तुम्हारी चूत की प्यास बाकी नही रहे.. लो यह लो.. ” श्रृष्टि की चूत धक्के पर धक्के खा कर अपना पानी छ्चोड़ना शुरू कर दिया.

“एस.. मेरे जीजू… उउफ्फ.. मरो धक्के.. और मरो धक्के… मेरी चूत से फिर से पानी निकल रहा है. तुम्हारा सख़्त लंड ही मेरा पानी इतनी जल्दी-जल्दी निकल पाया.” फिर भी संजय अपने धक्के मरने चालू रखा. वो भी अपना पानी निकलना चाहता था. श्रृष्टि ने देखा की संजय इसी तरह छोड़ता रहा तो पानी उसकी चूत मे ही छ्चोड़ देगा तो अपनी चूत को एकदम से हटा लिया.

संजय चिहुनक पड़ा, “यह क्या रानी. मेरा पानी निकालने वाला था.” “यही तो मैं नही चाहती की तुम मेरे अंदर झड़ो. मैं तुम्हारे वीर्या को अपने पूरे बदन पर झाड़वाना चाहती हून.” “ऐसी बात है तो लो अपना मुहन खोलो और इसको चूसो. अब तोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा मेरे झदाने का.”

श्रृष्टि ने संजय के लंड को हाथ से पकड़ कर पहले अपने मुम्मो पर सहलाया फिर लेट कर उसके मूसल को अपने दोनो बूब्स के बीच दल कर संजय से बोली, “लो जीजू, अब मेरे टिट्स को चोदो. अपने लंड को मेरे बूब्स की खाई मे डाल कर यहाँ भी अपना झंडा गाड़ दो.”

संजय अपने लंड को श्रृष्टि के कबूतरो के बीच मे लाकर उसकी टिट- फक्किंग चालू कर दी. लेकिन जो टेंपो डॉग्गी-स्टाइल मे बना हुया था वो वापस नही बन रहा था. पानी निकलता नही देख उसने अपना ध्यान उसके कबूतरो पर टीका दिया.

“मेरी प्यारी साली, अब इस टिट-फक्किंग के बाद तुम्हारी चूत की फिर एक बार चुदाई करूँगा. तेरे कबूतरो का जवाब नहिन…..तेरे बूब कितने मलाई जितनी चिकनी है…. और तेरे गुलाबी निप्प्लेस…इनेह तो मैं खा जाऊँगा,” कहता हुआ अपने लंड को मुम्मो से निकाल कर उसके उपर टूट पड़ा और उसकी चुचियों को मसल मसल कर दबोचने लगा.

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“प्लीज़ मेरी चुची को और ज़ोर से दबाओ, बहुत मज़ा आ रहा है. मुझे नशा सा हो रहा है. तुम मेरी चुची दबा रहे हो और मेरी चूत मे कुच्छ कुच्छ हो रहा है. है! तुम्हारा तो लंड भी अब वापस से कड़क हो गया है.” श्रृष्टि नीचे पड़ी पड़ी अपनी चुचियों की खाज मिटा रही थी. जीजू को पागल हटे देख उसकी चूत मे खाज शुरू हो गयी थी. अपनी चूत पर उसके लंड को रख कर अपने बदन को उसके बदन से जाकड़ लिया और कहने लगी, “मुझे चूत में अहुत..ऽआह….खुज्ली हो रही है….. अब अपना चाकू मेरी चूत पे छाला दो…… मितादो मेरी खुजली….. मिताआओ.”

श्रृष्टि को भी तड़फते देख अपने लंड को उसकी चूत के उपर रख कर एक ज़ोर से धक्का दिया और बोला, “ही! मेरी रानी, ले! लीईए! और ले, जी भर कर खा अपनी चूत मे मेरे लंड के धक्के.” फिर धक्के पर धक्के चालू हो गये. थोड़ी देर तक कमरे मैं केवल “अफ” “है” “श” की ही आवाज़े आ रही थी. तभी संजय और श्रृष्टि दोनो एक साथ ही चीख पड़े. दोनो का ही पानी एक साथ च्छुटने लगा. दोनो निढाल हो कर पलंग पर लेते रहे और उसी हालत मे नींद आ गयी.

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