Sali Bahnoi Chudai Kahani
मैं अखिलेश 26 साल अच्छा-खासा दिखने वाला लौंडा हूं। मेरा लंड 6 इंच लम्बा है, जो किसी भी चूत की गहराई में उतर कर उसकी बखिया उधेड़ सकता है। मेरे लंड को अक्सर पकी-पकाई चूतें बहुत पसंद है। ऐसी पकी-पकाई चूतें मेरे लंड को बहुत मज़ा देती है। अभी कुछ टाइम पहले मेरी बीवी प्रेग्नेंट थी। Sali Bahnoi Chudai Kahani
उस टाइम मेरी बीवी से मिलने के लिए मेरी बड़ी साली जी यानि अल्का जी मिलने के लिए आई थी। अल्का जी अकेली ही आई थी, क्योंकि साडू जी बाहर काम करते है। अल्का जी लगभग 36 साल की मस्त बिंदास औरत है। उनका गोरा चिकना जिस्म, मस्त टाईट बड़े-बड़े बोबे, शानदार सेक्सी गांड किसी को भी लंड मसलने पर मजबूर कर सकता है।
वो पके हुए अमरुद की तरह एक-दम से गदराई हुई सी है। अल्का जी के बोबे लगभग 34″ साइज के है। वो अपने बोबों को अच्छी तरह से ढक कर रखती है। कभी भी अल्का जी उनके बोबों की झलक देखने का मौका नहीं देती थी। मैं पहले भी अल्का जी के बोबों को देखकर लंड मसल चुका था।
अल्का जी का मस्त पेट एक-दम मक्खन जैसा है। अल्का जी की बल खाती हुई चिकनी कमर लगभग 32″साइज की है। मस्त चिकनी कमर के नीचे अल्का जी की सेक्सी गांड लगभग 34″ साइज की है। साड़ी में से अल्का की गांड की झलक अच्छी तरह से नज़र आती है।
अल्का जी के चूतड़ों को देख कर मैं कई बार लंड मसल चुका था लेकिन कभी भी अल्का जी को बजाने की इच्छा नहीं हुई। अब जब साली जी मेरे घर पर ही आ चुकी थी, तो फिर मेरा लंड कैसे पीछे रहता? वो अल्का जी को देख कर फुफ्कार मारने लगा। मैं रोज-रोज अल्का जी की रसभरी जवानी को देख कर लालायित हो उठता था। लेकिन अल्का जी से कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
मैं अल्का जी गांड और बोबों को हमेशा ताड़ता रहता था। एक दो बार तो अल्का जी ने मुझे उनको ताड़ते हुए देख लिया था। लेकिन अल्का जी ने कोई ग्रीन सिग्नल नहीं दिया। मेरा लंड अल्का जी की चूत के लिए बहुत परेशान हो रहा था। फिर दो चार दिन रुकने के बाद अल्का जी उनके ससुराल जाने के लिए कहने लगी। तब मैंने कहा “आप एक दो दिन और रुक जाओ। मैं आपको आपके ससुराल छोड़ दूंगा।”
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“नहीं अखिलेश जी। अब तो जाना ही पड़ेगा। बच्चे परेशान हो रहे होंगे।”
“हाँ आपकी बात भी सही है।”
“आप तो आज ही छोड़ आओ मुझे।”
तब मेरी बीवी ने कहा “हाँ, छोड् आओ दीदी को।”
अब मैं अल्का जी को उनके घर छोड़ने के लिए तैयार था। अल्का जी तैयार होकर उनका बैग लेकर आ गई। अब मैंने साली जी को बाइक पर बिठाया, और उन्हें लेकर चल पड़ा। मैं आराम से बाइक चला रहा था। साली जी आराम से मेरे साथ बैठी थी। बीच-बीच मे साली जी का मादक जिस्म मुझसे टकरा रहा था। मैं लंड को बहुत समभालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन लंड को समभालना मुश्किल हो रहा था।
साली जी के जिस्म की खुशबू मुझे पागल कर रही थी, लेकिन साली जी से कुछ कहने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। मैं ऐसे ही बाइक को दौड़ाए जा रहा था। अब मेरा लंड बहुत टाइट हो चुका था। तभी मैंने रास्ते मे बाइक रोक दी और टॉइलेट करने लगा।
साली जी मुझसे थोड़ी दूर ही खड़ी थी। मैं आराम से टॉयलेट कर रहा था। फिर मैं टॉयलेट करके वापस बाइक चलाने लग गया। अब मैंने सोचा साली जी को थोड़ा छेड़ कर तो देखूं! क्या पता ये मेरे लंड पर मेहरबान हो जाए। आखिरकार साली जी भी तो साडू जी के बाहर रहने की वजह से प्यासी ही है।
तभी मैंने हिम्मत करके साली जी कहा “बहुत मुश्किल होता है अल्का जी।”
“क्या मुश्किल होता है? ”
“यही, इस टाइम पर खुद को कंट्रोल करना।”
“हाँ ये तो होता ही है।”
“औरत तो फिर भी कंट्रोल कर लेती है। लेकिन आदमी से कंट्रोल करना बहुत मुश्किल होता है।”
“औरत को भी करना ही पड़ता है अखिलेश जी।”
तभी मैंने साली जी पर जोरदार पंच मारा। “आपकी हालत भी मेरे जैसी ही हो रही है। उधर साडू जी बाहर है और इधर आपकी बहन प्रेग्नेंट हैं।”
ये कह कर मैंने साली जी को मेरे साथ ही एक ही लाइन पर ले लिया। तभी मेरी बात सुनकर साली जी कुछ बोल नहीं पाई। तभी मैंने साली जी से फिर पुछा “बोलो ना अल्का जी।”
“अब क्या कहूँ मैं! आप जो कह रहे है वो सही नहीं हैं। मैं ठीक हूँ।”
“आप चाहे झूठ बोल लो, लेकिन सच तो वही हैं जो मैं कह रहा हूं।”
“मैं नही मानती हूं।”
“हो सकता है आप ठीक हो लेकिन मैं बहुत परेशान हूं अल्का जी। बहुत टाइम हो गया।”
“हाँ मैं आपकी परेशानी समझ सकती हूं।”
“तो फिर आप मेरी प्रॉब्लम का समाधान भी तो कर सकती है। सुना हैं साली आधी घरवाली होती है।”
ये कह कर मैंने साली जी के चेहरे की हवाइयाँ उडा दी। वो मेरी बात सुन कर एक-दम से सकपका गई। वो मेरी बात का साफ-साफ मतलब समझ चुकी थी कि मैं उनसे क्या चाहता हूँ। थोड़ी देर हम दोनों मे चुप्पी छा गई। लेकिन थोड़ी देर बाद मैंने अल्का जी से फिर कहा “बताओ ना अल्का जी।”
लेकिन साली जी कुछ कहने को तैयार नहीं थी। वो एक-दम से चुप थी। मैं साली जी को छेड़े जा रहा था। फिर साली जी ने कहा “हाँ कहा तो ऐसे ही जाता है कि साली आधी घरवाली होती हैं लेकिन वास्तव मे ऐसा नहीं होता हैं।”
“होने मे तो सब हो जाता हैं, बस करने वाले की इच्छा होनी चाहिए।”
“इच्छा हो वो बात अलग है।”
“तो मैं आपकी क्या इच्छा समझूं?”
ये कहते ही साली जी की फिर से सिट्टी-पिट्टी गुल हो गई। उनकी फिर से बोलती बंद हो गई।
“मेरी ऐसी कोई इच्छा नहीं है।”
“कभी-कभी जरूरत के हिसाब से काम कर लेना चाहिए साली जी।”
“मैं ज़रूरत के हिसाब ही कह रही हूं।”
“हो सकता है आपको ज़रूरत नहीं हो लेकिन आप मेरी ज़रूरत मे थोड़ी तो हेल्प कर सकती हो?”
“कैसी हेल्प चाहिए आपको बताओ?”
“ज्यादा कुछ नहीं, बस थोड़ी सी ही इच्छा पूरी कर दो।”
“नहीं अखिलेश जी, वो मैं नही कर सकती।”
“आप साली जी हो मेरी। अब मेरा इतना हक तो बनता ही है।”
“हक तो है लेकिन अखिलेश जी ये सही नहीं है।”
“सब सही होता है। अब थोड़ा सा देने में क्या बिगड़ेगा?”
“बिगड़ेगा तो नहीं, लेकिन फिर भी सोचना पड़ता है।”
“अब इसमें भी क्या सोचना साली जी?”
तभी अल्का जी चुप हो गई। अब मैंने अल्का जी से फिर पूछा। “बोलो ना अल्का जी।”
“पहले घर तो पहुँचो। फिर सोच कर बताती हूं।”
“अब इतना सा देने मे भी क्या सोचोगी?”
“हाँ चलो ठीक हैं ले लेना इतना तो, लेकिन उससे ज्यादा कुछ नहीं दूँगी।”
“हाँ, मत देना।”
अब साली जी मेरे साथ लाप्पिया-झप्पियाँ देने के लिए तैयार हो चुकी थी। अब मैंने सोचा इन्हीं लाप्पियो-झप्पियों मे साली जी को फंसा कर पेलना है। एक बार इनकी चूत मे लंड फंसा, फिर तो मैं पूरी कसर निकाल लूंगा। अब मैं साली जी के घर पहुंचने का इंतज़ार करने लगा। थोड़ी देर बाद हम साली जी के घर पहुँच गए। घर पर कोई नहीं था। बच्चे स्कूल गए हुए थे, और उनकी सास खेत पर थी। साली जी को पेलने के लिए मेरे पास शानदार मौका था।
तभी मैंने साली जी से कहा “बढ़िया माहौल है साली जी। जल्दी से देदो अब।”
“थोड़ा तो सब्र करो अखिलेश जी।”
“सब्र तो ही नहीं हो रहा है साली जी।”
“अब रुको थोड़ा सा।”
तभी साली जी कमरे में गई और कपड़ो को इधर-उधर सेट करने लगी। इधर मेरा लंड तन्न कर तूफान बना हुआ था। मैं साली जी के होंठ चूसने के लिए बेताब हो रहा था। तभी थोड़ी देर बाद साली जी कमरे से बाहर आई।
“अंदर ही आ जाओ अखिलेश जी।”
तभी मैं तुरंत अंदर चला गया। अल्का जी ने झट से गेट बंद कर लिया।
“मैं देने के लिए तैयार हूँ लेकिन आप किस करने के अलावा कुछ नहीं करोगे।”
“हाँ ठीक है अल्का जी।”
“पक्का ना?”
“हाँ पक्का”.
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अब साली जी किस करवाने के लिए तैयार हो चुकी थी। अब मैंने साली की कमर पर हाथ रखा और साली जी के होंठो को चूसने लगा। साली जी के रसीले होंठो को चूसने मे मुझे बहुत मज़ा आने लगा। इधर साली जी भी मेरे होंठो को पी रही थी। बस फिर क्या था। थोड़ी ही देर मे आग लग चुकी थी, और माहौल पूरा गर्म हो चुका था।
मेरा लंड कुछ ही पलो मे लोहे की रॉड बन चुका था। तभी मैंने साली जी को जोर से मेरी तरफ खींचा और उन्हें मुझसे चिपका लिया। साली जी कुछ कह पाती उससे पहले ही मैंने साली जी की गांड को पकड़ लिया। अब मैं साली जी की गांड को कसते हुए उनके होंठो को चूसने लगा।
अब साली जी उनकी गांड पर से मेरे हाथ हटाने की कोशिश करने लगी। लेकिन अब गांड पर कब्जा हटाना साली जी की बस की बात नहीं थी। अब तो साली जी मेरी गिरफ़्त मे आ चुकी थी। मैं उनकी गांड को सहलाते हुए साली जी के गुलाबी होंठो का रस पी रहा था। तभी कमरे मे आउछ पुच्च आउछ पुच्छ की आवाजे गूंजने लगी।
अब मेरा लंड साली जी की फाड़ने के लिए बेताब हो रहा था। तभी मैं साली जी के बोबों को मसलने लगा। अब साली जी उनके बोबों को बचाने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैं साली जी बोबों को अच्छे से रगड़ रहा था। साली जी और मेरे बीच में गजब की उठा-पटक हो रही थी।
वो उनके जिस्म के अंग-अंग को बचाने की कोशिश कर रही थी, और मैं साली जी के अंग-अंग को खोलने की कोशिश कर रहा था। मेरा लंड अब साली जी चूत फाड़ने के लिए बेताब हो चुका था। साली जी की गांड मसलने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
साली जी बार-बार मेरे हाथ हटाने की कोशिश कर रही थी। मैं साली जी के मस्त बोबों को बुरी तरह से मसल रहा था। इसी चक्कर में साली जी का पल्लू नीचे गिर पड़ा था। अब मैंने चालाकी दिखाते हुए साली जी के पेटिकोट में हाथ घुसा दिया। अब साली जी चूत को बचाने की कोशिश करने लगी।
तभी मेरा हाथ अल्का जी की चूत तक पहुँच गया, और मैं उनकी गरमा-गरम चुत को कुरेदने लगा। अब अल्का जी बुरी तरह से मचलने लगी। अब मैं उनकी चूत में आग लगा रहा था। अल्का जी की चूत बहुत गर्म हो रही थी। मुझे अल्का जी की गर्म चूत मसलने मे बहुत मज़ा आ रहा था।
अब मेरे हाथ में अल्का जी की चूत और बोबे दोनो आ चुके थे। अल्का जी के होंठो को तो मैं बहुत देर से चूस ही रहा था। मैं अल्का जी को बहुत बढ़िया तरीके से मसल रहा था। अब मेरा लंड अल्का जी की चूत फाड़ने के लिए बेकरार हो रहा था। चूत और बोबों की रगड़ाई से अल्का जी बहुत गर्म हो चुकी थी।
तभी मैंने सोचा यही सही मौका था अल्का जी को पेलने का। लोहा गर्म था हथौड़ा मार ही देता हूँ। तभी मैंने अल्का जी को उठा कर तुरंत पलंग पर पटक दिया और अल्का जी कुछ कह पाती, उससे पहले ही मैं अल्का जी पर चढ़ गया। अब अल्का जी मुझे उनके ऊपर से नीचे उतारने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने अल्का जी के होंठो पर धावा बोल दिया और उनके के होंठो को फिर से जम कर चूसने लगा।
अल्का जी मुझे दूर हटाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मैं अल्का जी को कोई मौका नहीं दे रहा था। मैं लबालब अल्का जी के होंठो को चूस रहा था। फिर थोड़ी देर में ही मैंने अल्का जी के होंठो को बुरी तरह से रगड़ डाला। अब मैं अल्का जी के बोबों पर टूट पड़ा और फिर बलाउज के ऊपर से ही अल्का जी के बोबों को बुरी तरह से मसलने लगा। अब अल्का जी दर्द से छटपटाने लगी।
“अआईईई सिससस्स उन्ह ओह सिससस्स आहा।”
“ओह अल्का जी बहुत ही टाइट अमरुद लग रहे हैं आपके तो। आहा।”
“ओह्ह्ह अखिलेश जी अब आगे कुछ मत करो।”
“नहीं अल्का जी करना तो पड़ेगा ही।”
“मत करो अखिलेश जी।”
“नहीं अल्का जी, आज मैं नही रूकूँगा।”
अल्का जी के टाइट अमरूदों को मसलने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैं अल्का जी के बोबों को झमाझम मुट्ठियों में कस रहा था। अब मैं अल्का जी के बलाऊज को खोलने की कोशिश करने लगा लेकिन अल्का जी उनका बलाऊज नहीं खोलने दे रही थी।
“अल्का जी आप भी क्या अब नखरे दिखा रही हो। खोलने दो ना।”
“नहीं अखिलेश जी, मैं नही खोलने दूंगी।”
“अल्का जी यार आप भी, अब छोड़ो सारे नखरे।”
“अखिलेश जी कोई क्या सोचेगा?”
“कोई कुछ नहीं सोचेगा अल्का जी।”
तभी मैंने अल्का जी के बलाऊज को ऊपर खिसका दिया और अल्का जी के टाइट अमरूदों को बाहर निकाल लिया। अल्का जी के अमरुद बाहर निकलते ही वो एक-दम से शरमा गई और अमरूदों को ढकने लगी।
“अल्का जी अब ज्यादा चालाक मत बनो।”
तभी मैंने अल्का जी के हाथों को दूर हटा कर उनके अमरूदों को पकड़ लिया, और फिर अल्का जी के अमरूदों को हाथो में लेकर कसने लगा।
“ओह अल्का जी आहा! बहुत ही पके हुए अमरुद है आपके आहा।”
मैं ज़ोर-ज़ोर से अल्का जी के अमरूदों को मसल रहा था। तभी अल्का जी दर्द से तड़पने लगी।
“आह्ह सिससस्स उन्ह अहह ओह आईईईई।”
मैं अल्का जी के टाइट अमरूदों के बाग को लूट रहा था। अल्का जी के बगीचे को लूटने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। अल्का जी अब दर्द के मारे इधर-उधर हाथ पैर पटक रही थी।
“आईई सिसस आह्हा ओह्ह्ह अखिलेश जी। आह्ह।”
“बहुत मजा आ रहा है अल्का जी। आहह क्या मस्त बोबे है आह्हा।”
“थोड़ा आराम से दबाओ अखिलेश जी। अहहा आईई।”
“अब तो मैं ऐसे ही रगड़ूंगा।”
फिर मैंने अल्का जी के अमरूदों को बुरी तरह से मसल डाला। अब मैंने अल्का जी के बोबों को मुँह मे लिया और फिर झमझम उन्हें चूसने लगा। आह्ह! अल्का जी के अमरुद खाने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। अब अल्का जी बेचारी क्या करती! वो चुपचाप मुझे उनके चूचे चुसवा रही थी।
“उन्हें अल्का जी। आह्ह बहुत ही टेस्टी है। आहाहा।”
मैं सबड़-सबड़ कर अल्का जी के चूचों को चूस रहा था। अल्का जी अब चुप-चाप उनके खजाने को लुटा रही थी। मैं झंझोड़ कर अल्का जी के चूचों को चूस रहा था। अब अल्का जी के नखरे खत्म हो चुके थे। वो आराम से मुझे बोबे चुसा रही थी।
“उन्ह बहुत मज़ा आ रहा है। आहहा।”
फिर मैंने थोड़ी देर में ही अल्का जी के चूचों को बुरी तरह से चूस डाला। उनके गौरे चिकने चूचे एक-दम लाल पड़ चुके थे। अब मैं तुरंत अल्का जी की टांगो में आ गया और उनके पेटीकोट को ऊपर सरकाने लगा। तभी अल्का जी फिर से मेरे लंड से बचने की कोशिश करने लगी।
“अखिलेश जी यार अब आगे मत बढ़ो।”
“अब तो मैं बहुत आगे बढ़ चुका हूँ अल्का जी। अब पीछे हटने का टाइम नही है।”
“नहीं अखिलेश जी, आप तो रहने दो।”
“नहीं अल्का जी, आज तो मैं करके ही मानूँगा।”
तभी मैंने अल्का जी के पेटीकोट और साड़ी को ऊपर सरका दिया, और फिर अल्का जी की चड्डी खोलने की कोशिश करने लगा। लेकिन अल्का जी उनकी चड्डी नहीं खोलने दे रही थी।
“क्या कर रही हो यार अल्का जी, खोलने दो ना।”
“नहीं अखिलेश जी। मैं नही खोलने दूंगी।”
“आप बच्चो जैसी हरकते मत करो।”
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मैं अल्का जी की चड्डी खोलने की पूरी कोशिश कर रहा था और अल्का जी उनकी चड्डी को बचाने में लगी हुई थी। तभी मैंने अल्का जी की चड्डी खींच डाली। अब अल्का जी चड्डी को पकड़ने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने अल्का जी की चड्डी खोल फेंकी। अब चड्डी खुलते ही अल्का जी की चूत नंगी हो चुकी थी। तभी अल्का जी पेटीकोट से उनकी चूत ढकने की कोशिश करने लगी।
“अल्का जी अब क्यों इतने नखरे दिखा रही हो? अब तो चोदने दो।”
अब मैंने अल्का जी के हाथो को दूर हटा दिया और उनकी टांगो को फैला दिया। अब मैंने मेरे कपड़े खोल कर लंड बाहर निकाल लिया। मेरा मोटा तगड़ा लंड देखते ही अल्का जी शरमाने लगी। अब तो वो मेरी तरफ देख भी नहीं रही थी। अल्का जी की चूत काली घनी झांटो से ढ़की हुई थी।
उनकी चूत मे पानी की बूंदे चमक रही थी। अब मैंने अल्का जी की टांगे मेरे कंधो पर रख ली, और फिर उनकी चमचमाती चूत में लंड सेट करने लगा। अल्का जी आँखे बंद कर चुकी थी। अल्का जी की चूत में लंड सेट होते ही मैंने ज़ोर से चूत में लंड ठोक दिया। तभी मेरा लंड अल्का जी की टाइट चूत के अस्थि पंजर को तोड़ता हुआ पूरा अंदर घुस गया। चूत में लंड का आगमन होते ही अल्का जी बुरी तरह से चिल्ला पड़ी।
“आईईईई मम्मी मर्रर्रर्र गईईईई, आईईईईई आईईईईई ओह अखिलेश जी बहुत दर्द हो रहा है। आईईईईई मर्रर्रर्रर्र गईईईई। प्लीज लंड बाहर निकालो।”
“लंड तो अब मजे करके ही बाहर निकलेगा अल्का जी।”
तभी मैंने लंड बाहर निकाला और फिर से अल्का जी की चूत में लंड ठोक दिया। मेरा लंड फिर से अल्का जी की चूत की जड़ तक पहुँच चुका था। अल्का जी फिर से ज़ोर से चीख पड़ी।
“आईईईईई आईईईईई आईईईईई ओह मम्मी।”
अब मैं अल्का जी की टांगे पकड़ कर उनको को झमाझम चोदने लगा। आह्ह कितना अच्छा लगता है जब लंड चूत में घुसता है तो। आह्ह! अल्का जी बुरी तरह से चिल्ला रही थी। उनकी की चीखे पूरे कमरे में गूंज रही थी।
“आईईईईई आईईईईई आह्ह आहा आह्ह आईईईईई आईईईई आह्ह आह्ह आहाहा।”
“ओह अल्का जी आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है। आह्ह बहुत ही मस्त चूत है आपकी। मज़ा आ गया।”
“ओह आह्ह।सिससस्स आहा ओह अखिलेश जी धीरे-धीरे चोद यार। आह्ह आह्ह।”
“धीरे-धीरे ही चोद रहा हूँ अल्का जी।”
मैं अल्का जी को बुरी तरह से चोद रहा था। अल्का जी की छोटी सी चूत पर मेरा मोटा तगड़ा काला लंड बहुत भारी पड़ रहा था। मेरा मोटा लंड अल्का जी की चूत की चटनी बना रहा था। मुझे तो अल्का जी को चोदने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“आईईईई आईएईई आईईईई आह्ह आह्ह आह्ह धीरे,,,,, धीरेरेरे,,,, आह्ह आह्ह।”
“आहा बहुत मज़ा आ रहा है। आह्हा।”
अल्का जी धीरे-धीरे चोदने के लिए बोल रही थी, लेकिन जब चूत मिलती है तो कौन धीरे-धीरे चोदता है यार। मैं तो अल्का जी को जम कर बजा रहा था।
मेरे लंड के ताबड़-तोड़ धक्कों से अल्का जी बुरी तरह से हिल रही थी। तभी अल्का जी की चीखें रुक सी गई और उनका पानी निकल गया। अब मेरा लंड अल्का जी के पानी में नहा गया। आहा! बहुत दिनों के बाद मेरे लंड को चूत का पानी-पीने का मौका मिला था। मैं जम कर अल्का जी की जम कर ठुकाई कर रहा था।
“आह्ह आह्ह आईईईईई आह्ह आह्ह आह्ह ओह मम्मी आह्ह धीरे-धीरे आह्ह आह्ह।”
“आह्ह अल्का जी बहुत मज़ा आ रहा है। आहा आहा।”
मैं गांड हिला-हिला कर अल्का की चूत में लंड डाल रहा था। अल्का जी पलंग पर बुरी तरह से चुद रही थी। अल्का जी के अब पूरे नखरे खत्म हो चुके थे। तभी मैं अल्का जी के पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगा, लेकिन अल्का जी फिर से मेरा हाथ पकड़ने लगी।
“नहीं यार अखिलेश जी अब ऐसा मत करो।”
“करने दो अल्का जी।”
तभी मैंने अल्का जी के पेटीकोट का नाड़ा खोल उनके पेटिकोट और साड़ी को खोल फेंका। अब अल्का जी नीचे से नंगी हो।चुकी थी। अब तो अल्का जी शर्म के मारे लाल हो चुकी थी। अब मैंने अल्का जी को मुझसे चिपका लिया और मैं अल्का जी को चिपका कर झमाझम चोदने लगा। अब अल्का जी की टांगे हवा में लहरा रही थी और उन्होंने मुझे अब बाहों मे कस लिया था।
“आह्ह आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आह्ह आह्ह सिसस्ससस्स आईईईई आईईईई।”
“ओह अल्का जी बहुत मस्त माल हो आप। आहा बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है आपको चोदने में आह्ह।”
“मैं उसके छेद में जम कर लंड पेल रहा था। उसके जिस्म के पसीने से अब मैं भी गीला होने लगा था। अल्का मेरी पीठ को सहला रही थी। वो मुझे बाहों में भर रही थी।
“आहा ओह सिससस्स आह्ह सिसस्ससस्स ओह अखिलेश जी आहा सिससस्स आह्ह आह्ह।”
“ओह्ह्ह अल्का जी। आपको भी मोटे तगड़े लंड की सख्त जरूरत थी।”
लेकिन अल्का जी मेरी बात का जवाब नहीं दिया। शायद वो उनकी भावनाओं को जाहिर नहीं करना चाहती थी। मैं अल्का जी को बजाये जा रहा था। अल्का जी भी अब टांगे खोल कर खूब चुदवा रही थी। तभी अल्का जी की चूत में उबाल आ गया और एक बार फिरसे उनका पानी निकल गया। मैं गांड हिला-हिला कर अल्का जी की चूत मे लंड पेले जा रहा था।
“आह्ह आहह सिसस ओह्ह्ह आहहा।”
“ओह्ह्ह् अल्का जी। बहुत प्यासा है मेरा लंड।”
“बुझा लो आपकी प्यास अखिलेश जी।”
“हाँ अल्का जी।”
मैं पलंग पर अल्का जी को धमा-धम पेले जा रहा था। मेरे लंड की ठुकाई से पलंग चूड़-चूड़ कर रहा था। फिर मैंने अल्का जी को बहुत देर तक ऐसे ही बजाया। अल्का जी की चूत को मैं बहुत अच्छी तरह से बजा चुका था। अब मुझे अल्का जी के बोबों का रस पीने की इच्छा होने लगी.
तभी मैंने अल्का जी की ब्रा और ब्लाउज खोल फेंका। अब तो मैं अल्का जी को पूरी नंगी कर चुका था। नंगी होने के बाद अल्का जी का कंचन जिस्म बहुत ज्यादा चमक रहा था। अब मैं अल्का जी के बोबों पर टूट पड़ा। अब मैं अल्का जी के रस भरे बोबों को झंझोड़ कर चूसने लगा।
“उन्ह बहुत ही रसीले बोबे है। आह्हा।”
अब मैं फिर से अल्का जी के बोबों का मज़ा ले रहा था। अल्का जी के रसभरे बोबों को चूसने मे मुझे गजब का मज़ा आ रहा था। अल्का जी अब पूरी नंगी होकर उनके बोबों का रस पिला रही थी। मैं अल्का जी के बोबों को चूसने मे कोई कसर नही छोड़ रहा था।
“ओह्ह्ह् अल्का जी आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है। आह्हा।”
मैं मस्त तरीके से अल्का जी का बोबों का स्वाद ले रहा था। मैं तो अल्का जी के रसदार बोबों को चूसने के लिए कब से तड़प रहा था लेकिन आज जाकर मौका मिला था। अल्का जी उनको बोबों को मेरे लिए खुला छोड़ चुकी थी। वो अब मेरे बालों मे हाथ डाल कर मेरे बालों को सहला रही थी। मैं अल्का जी के बोबों को निचोड़ कर चूस रहा था।
फिर मैंने बहुत देर तक अल्का जी के बोबों को चूसा। अब मैंने अल्का जी की टांगे पकड़ कर पलंग के दूसरे छोर तक खींच लिया, और फिर मैं आगे झुक कर अल्का जी के मुँह मे लंड सेट करने लगा। लेकिन अल्का जी फिर से नखरे दिखाने लगी। वो मुँह मे लंड ठुकवाने के लिए तैयार नहीं हो रही थी।
“अल्का जी क्या कर रही हो यार? इतनी अनुभवी होते हुए भी!”
“नहीं अखिलेश जी, मैं मुँह मे नहीं लूंगी।”
“लेकिन इसमें क्या दिक्कत है? मुँह में तो मज़ा ही आता है।”
“नहीं बहुत गंदा लगता है मुझे।”
“अरे सब अच्छा ही लगेगा। आप तो डालने दो।”
“मैं नहीं डालने दूंगी।”
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अल्का जी मुँह मे लंड लेने के लिए फिर से नखरे दिखाने लगी थी। तभी मैंने सोचा जब इनकी चूत मे ही लंड डाल दिया है तो फिर मुंह मे डालना कौन सी बड़ी बात है? ये थोड़े नखरे करेगी लेकिन फिर मुंह मे तो लेगी ही। मैं भी अल्का जी के मुंह मे लंड डालने की पूरी कोशिश कर रहा था। मेरा लंड अल्का जी के होंठो पर घूम रहा था।
“अल्का जी आप से अच्छी तो कच्ची खिलाड़ी ही अच्छी होती है। कम से कम इतने नखरे तो नही दिखाती है।”
“अरे यार अखिलेश जी। आप भी…।
“तो फिर खोलो ना मुंह।”
तभी अल्का जी ने मुंह खोल दिया। अब मैंने अल्का जी के मुँह मे लंड पेल दिया और फिर मैं गांड हिला-हिला कर अल्का जी के मुँह मे लंड पेलने लगा। मैं अल्का जी के मुँह को बजाए जा रहा था। अल्का जी के मुंह को बजाने मे मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
“ओह्ह अल्का जी आहा बहुत ठंडक मिल रही है मेरे लंड को। आहाह।”
मैं धमा-धम अल्का जी के मुँह मे लंड पेल रहा था अब अल्का जी मेरी गांड को पकड़े हुई थी। अब कमरे मे मुँह मे लंड डालने की आवाजे घप् घप् खप् खप् गूंजने लगी। मैं अल्का जी के गले तक लंड उतारने की कोशिश कर रहा था लेकिन अल्का जी गले तक लंड नही उतारने दे रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“ओह्ह्ह अल्का जी पूरा जाने दो ना।”
“हूँ हूँ।”ओह्ह्ह्ह अल्का जी।
मैं घपा-घप अल्का जी के मुँह मे लंड पेल रहा था। अल्का जी के थूक से मेरा लंड पूरा गिला हो चुका था। मेरा मोटा तगड़ा लंड अल्का जी के मुँह की अच्छी तरह से सफाई कर रहा था।
“ओह्ह्ह्ह् अल्का जी। आह्ह।”
फिर मैंने बहुत देर तक अल्का के मुंह मे लंड पेला। अब मैं अल्का जी के उपर से नीचे उतर आया। मुँह मे लंड ठुकवाने के बाद अल्का जी बहुत ज्यादा शरमा रही थी। अब तो उनकी पूरी इज्जत उतर चुकी थी। अब मैं पलंग से नीचे उतर आया।
अब मैंने अल्का जी की टाँगे पकड़ कर उन्हें पलंग के किनारे खींच लिया। अब मैंने अल्का जी की टाँगे उठा कर पकड़ ली, और उनकी चूत में लंड सेट कर दिया। तभी मैंने जोरदार हमला कर दिया और अब मैं अल्का जी को झमा-झम चोदने लगा।
“आहा आह्ह सिससस्स आह्ह ओह आह्ह ओह अखिलेश जी आह सिसस्स।”
“आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है तुझे बजाने में आह्ह।”
“आहह आह्हा आईई मम्मी।”
मैं गांड हिला-हिला कर अल्का जी की चूत में लंड पेले जा रहा था। मेरे लंड के झटकों से पलंग चुड़-चुड़ कर रहा था। अल्का जी मस्त होकर मेरा लंड ले रही थी।
“आह्ह सिसस्स आह्ह ओह आहा।”
मेरे लंड के ज़ोरदार झटकों से अल्का जी के बोबे बुरी तरह से उछल रहे थे। मैं अल्का को जम कर चोद रहा था। मेरे लंड की ज़ोरदार ठुकाई से अल्का जी बौखला गई।
“आह्ह आह ओह अखिलेश जी।आह्ह आह्हा आह्हा ओह्ह्ह।”
मेरा लंड अल्का जी की चूत में जम कर घमासान मचा रहा था। तभी धुआंधार ठुकाई से अल्का का पानी गया। अब मेरे लंड के झटको से अल्का जी का पानी नीचे गिर रहा था। मैं अल्का जी टांगे पकड़ कर उन्हे जम कर चोद रहा था। मैं पसीने मे पूरा लथ-पथ हो चुका था।
तभी मेरा लंड उफान पर आ गया और मेरे लंड का माल निकलने को तैयार हो गया। तभी मैंने अल्का जी की चूत मे लंड ठहराया और मेरे लंड का पूरा माल उनकी चूत में भर दिया। आज बहुत दिनों के बाद मेरे लंड को ठंडक मिली थी। अल्का जी भी पसीने से नहा चुकी थी। अब मैं नस्ते-नाबूत होकर ऐसे ही खड़ा रहा। मैंने अल्का जी की टाँगो को अभी भी ऐसे ही पकड़े रखा था।
“ओह्ह्ह् अल्का जी मज़ा आ गया।”
“आपने तो चोद-चोद कर मेरी ऐसी-तेसी ही कर दी है। बहुत बुरी तरह से पेला है आपने।”
“वो तो पेलना ही था अल्का जी। मेरा लंड तो कब से आपके लिए तड़प रहा था।”
“हाँ वो तो आपकी हवस् को देखकर पता ही चल रहा है।”
“वैसी आपकी चूत मे भी बहुत गर्मी है।”
“हाँ अखिलेश जी। अब कैसे बताती मैं? अच्छा हुआ इस बहाने मेरी भी प्यास बुझ् गई।”
“अभी प्यास पूरी बुझी नहीं है अल्का जी।”
तभी अल्का जी चुप हो गई। तभी मैं समझ गया कि अल्का जी भी और ठुकवाने के मूड में थी। तभी मैं नीचे बैठ गया, और अल्का जी की टाँगो को फैला कर उनकी चिकनी चूत चाटने लगा। अल्का जी चूत में गज़ब की महक दौड़ रही थी। उनकी काली घनी घटाओ में से अभी भी पानी बह रहा था। तभी अल्का जी की सिसकारियां निकलने लगी।
“ओह्ह्ह सिसस आहह उन्ह सिसस आह्ह।”
अब मैं अल्का जी की चिकनी चूत को सबड़-सबड़ कर चाट रहा था। अल्का जी की चूत सफेद माल से लबालब भरी हुई थी। मैं अल्का जी की चूत की खुशबु से पागल सा हो रहा था।
“ओह्ह्ह अखिलेश जी आराम से चाटो। ओह्ह्ह आह्ह सिसस।”
लेकिन मैं अल्का जी की चूत को कस कर चाट रहा था। अल्का जी पलंग पर बुरी तरह से कसमसा रही थी। मैं नीचे बैठ कर अल्का जी की चूत का जम कर मज़ा ले रहा था। लंबे समय से मेरी अल्का जी की चूत चाटने की इच्छा थी जो आज पूरी हो रही थी। एक-दम मक्खन जैसी चूत थी अल्का जी की।
“उँह सिसस् आह्हा आहह ओह्ह्ह मम्मी। आहह सिसस्।”
मैं अल्का जी की जांघे पकड़ कर उनकी चूत के रस को पी रहा था। अल्का जी बिन पानी की मछली की तड़प रही थी। अब मैं अल्का जी की चूत के दाने को खुजाने लगा। तभी अल्का जी बहुत ज्यादा तड़प उठी।
“ओह्ह्ह मम्मी मर गईई आह्हा सिसस उन्ह आह्हा सिसस्।”
मैं अल्का जी की चूत को बुरी तरह से चाट रहा था। अल्का जी अब दर्द के मारे चादर को मुट्टियों में समेटने लगी थी। मैं अल्का जी की चूत में जीभ से तगड़ा हमला कर रहा था। अब अल्का जी मेरे मुँह को उनकी चूत पर से हटाने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैं अल्का जी की चूत पर कब्जा कर चुका था।
“आहह आह सिसस आईई ओह्ह्ह अखिलेश जी। रुक जाओ अब थोड़ी देर। मेरा पानी निकल जाएगा।”
अल्का जी अब झड़ने की कगार पर पहुँच चुकी थी। वो अब बुरी तरह से झल्ला रही थी। तभी अल्का जी ने मेरे सिर को पकड़ कर जोर से उनकी चूत पर दबा दिया और फिर क्या था।
अल्का जी की चूत से फव्वारा फुट पड़ा। अल्का जी बहुत बुरी तरह से पानी-पानी हो चुकी थी।
“ओह्ह्ह अखिलेश जी मर् गईंई मैं तो।”
अब मैं अल्का जी के गरमा-गरम माल को चाटने लगा। अल्का जी पसीने में लथ-पथ होकर अब मेरे बालों को सहला रही थी। मैं मजे से अल्का जी का पानी पी रहा था।
“सिसस्ससस्स अखिलेश जी पी लो मेरा पानी।बहुत इच्छा थी ना आपकी ओह सिसस्ससस्स।”
मैं अल्का जी की चूत को चाट-चाट कर पूरा मज़ा ले रहा था। अल्का जी तो बुरी तरह से नसते-नाबूत हो चुकी थी। अल्का जी आराम से उनकी चूत का पानी पिला रही थी। फिर मैंने बहुत देर तक अल्का जी की चूत चाटी। अब मेरा लंड फिर से अल्का जी की चूत के परखच्चे उड़ाने को तैयार हो चुका था। अब मैं खड़ा हो गया और फिर से अल्का जी चूत में लंड फिट कर दिया। अब मैं अल्का जी को फिर से बजाने लगा। अल्का जी फिर से मेरे लंड के तूफ़ान में उड़ने लगी।
“आह्ह आह्ह ओह्ह्ह मम्मी आहह आह्ह।”
“ओह्ह्ह अल्का जी आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है। आह्ह बहुत ही मस्त चूत है आपकी।”
“ओह्ह्ह अखिलेश जी आपका लंड भी बहुत ही कमाल का है। बहुत मज़ा आ रहा है। आह्ह आह्ह आह्ह आह्ह खूब पेले जाओ। आह्ह आह्ह ओह्ह्ह मम्मी।”
“हाँ अल्का जी आज तो खूब बजाऊंगा आपको। मेरा लंड बहुत ही प्यासा है।”
“बजा लो अखिलेश जी। आहह आहह मुझे तो आपसे ठुकवाने में बहुत ही मज़ा आ रहा है। आहह आहह बहुत सुकून मिल रहा है। आहह आहह ओह्ह्ह मम्मी।”
मैं खड़े-खड़े अल्का जी को जम कर बजा रहा था। मेरे लंड के तूफान से पलंग फिर से चुड़-चुड़ करने लगा था। अल्का जी अब सारी शर्म लाज को ताक पर रख कर लपक कर लंड ले रही थी। मैं भी अल्का जी चूत में लपक कर लंड पेल रहा था। मेरे लंड के तूफान से अल्का जी के बोबे बहुत उछल रहे थे।
“अल्का जी आपके आमों को समभालो। बहुत उछल रहे है।”
“उछलने दो अखिलेश जी। इनको को भी तो उछलने का मौका बड़ी मुश्किल से मिलता है।”
“हाँ अल्का जी।”
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मैं अल्का जी को धुंआधार तरीके से चोद रहा था। मेरा लंड उनकी चूत के अंतिम छोर तक घुस रहा था। आज मिले मौके का मैं जम कर फायदा उठा रहा था। अल्का जी की मादक आवाजे मेरे लंड को सुकुन पहुंचा रही थी।
“आहह आहह सिसस् आहह ओह्ह्ह मम्मी।”
फिर मैंने अल्का जी को बहुत देर तक ऐसे ही बजाया। अब मैं भी पलंग पर आ गया और फिर से अल्का जी के ऊपर चढ़ गया। अब मैंने फिर से अल्का जी के रसीले बोबों को मुँह में भर लिया और उन्हें चूसने लगा।
“आहह सिसस ओह्ह्ह अखिलेश जी अच्छे से चूस लो। आहह बहुत रस भरा है इनमें।”
मैं रगड़ कर अल्का जी के बोबों को चूस रहा था। अल्का जी रसीले बोबों को चूसने में मुझे अलग ही मज़ा आ रहा था।
“ओह्ह्ह अखिलेश जी आहा आज पूरा निचोड़ दो मेरे बोबों को। आहह बहुत अच्छा लग रहा है।”
मैं अच्छे से निचोड़ कर अल्का जी के बोबों को चूस रहा था। अल्का जी भी अब बिंदास होकर उनके बोबों की चुसाई करवा रही थी। अल्का जी को बोबे चुस्वाने में बहुत मज़ा आ रहा था।
“आहह सिसस ओह्ह्ह अखिलेश जी।”
फिर मैंने अच्छी तरह से अल्का जी के बोबों को निचोड़ डाला। अब मैंने अल्का जी को पलट कर मेरे ऊपर ले लिया। अब अल्का जी मेरे ऊपर आ चुकी थी। तभी अल्का जी समझ गई कि मैं उनसे क्या चाहता हूँ? तभी अल्का जी ने उनके होंठ मेरे होंठो में फंसा दिए और अब अल्का जी मेरे प्यासे होंठो को अपने रसीले होंठो से खाने लगी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अल्का जी भूखी शेरनी बन कर अब मेरे होंठो पर टूट पड़ी थी। वो झमाझम मेरे होंठो को खा रही थी। अल्का जी के सुनहरे बालों ने मेरे चेहरे को पूरा ढक दिया था। मैं अल्का जी की गदराई पीठ को सहला रहा था। अब अल्का जी मेरी चेस्ट पर आ गई और जम कर किस करने लगी। अल्का जी के सुनहरे बाल अब मेरी चेस्ट पर बिखर रहे थे। अल्का जी ज़ोरदार तरीके से किस कर रही थी। वो अब अपनी कलाकारी दिखाने में लगी हुई थी।
“ओह्ह्ह अल्का जी। आप तो बहुत हॉट हो। बहुत मजा आ रहा है।”
अल्का जी को देख कर लग रहा था, कि शायद भाभी जी की चूत बहुत टाइम से प्यासी थी। तभी अल्का जी को आज अपनी हवस मिटाने का पूरा मौका मिल रहा था। मैं अल्का जी को अपनी हवस मिटाने का पूरा मौका दे रहा था। फिर अल्का जी किस करती हुई मेरे लंड पर आ गई। अब अल्का जी मेरे लंड के आस-पास किस करने लगी। अल्का जी बहुत ही गजब खिलाड़ी नज़र आ रही थी। अब अल्का जी ने मेरे लंड को पकड़ा, और फिर वो मेरे लंड के टट्टों को चाटने लगी।
“ओह्ह्ह अल्का जी बहुत ही सेक्सी हो आप, आहह।”
अब अल्का जी लबालब मेरे टट्टों को चाट रही थी। फिर अल्का जी ने मेरे लंड को मुट्ठी में लिया और उसे मसलने लगी।
“बहुत ही मस्त हथियार है आपका।”
“हाँ अल्का जी लेकिन ये हथियार बहुत ही प्यासा है।”
“कोई बात नहीं अखिलेश जी, मैं पूरी प्यास बुझा दूंगी।”
“हाँ अल्का जी। बुझा दो।”
अल्का जी कस कर मेरे लंड को मसल रही थी। अल्का जी को मेरा लंड कसने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। तभी फिर अल्का जी ने मेरा लंड बुरी तरह से मसल डाला और मेरा लंड फिर से लोहे की रॉड जैसा बन गया। अब अल्का जी झुक गई और फिर से मेरे लंड को चूसने लगी।
“आह्ह अल्का जी आह्ह बहुत अच्छा लग रहा है आह्हा।”
अल्का जी लबालब मेरे लंड को चूस रही थी। अल्का जी को मेरा लंड चूसने में जन्नत का मज़ा मिल रहा था। तभी मैंने अल्का जी के कंधो पर टाँगे रख कर उनके गले को टांगो में फंसा लिया। अल्का जी जम कर मेरा लंड चूस रही थी।
“ओह अल्का जी। आह्ह बससस्स ऐसे ही चूसती रहो, आह्ह।”
अल्का जी के बाल बार-बार अल्का जी के काम में रोडा बन रहे थे। तभी मैं अल्का जी के बाल सम्हालने लग गया। अब अल्का जी आराम से फ्री होकर मेरा लंड चूस रही थी। वो जोरदार झटके दे रही थी।
“ओह्ह्ह अल्का जी आहह बहुत मजा आ रहा है। आहह आप तो एक-दम मंझी हुई खिलाड़ी हो।”
अल्का जी मेरे लंड को जम कर चूस रही थी। अल्का जी मेरे लंड को लॉलीपॉप बनाने में लगी हुई थी। वो मेरे लंड को चूस चूसकर लाल कर चुकी थी लेकिन अल्का जी अभी भी रुकने का नाम नही ले रही थी।
“ओह्ह्ह् अल्का जी बहुत मज़ा देती हो आप तो। आहह बहुत अच्छा लग रहा है। अल्का जी पूरा लंड मुँह में लो ना।”
तभी अल्का जी मेरे मोटे तगड़े लंड को पूरा मुँह में लेने की कोशिश करने लगी। लेकिन अल्का जी मेरे लंड को मुँह में पूरा नहीं ले पा रही थी। अल्का जी लंड चूसने का पूरा मज़ा ले रही थी।
“ओह्ह्ह् अल्का जी ऐसे तो आपकी बहन भी नहीं चूसती है। आप तो कमाल की माल हो।”
फिर अल्का जी ने बहुत देर तक मेरे लंड को चूसा। अब मैंने अल्का जी का हाथ पकड़ा और उन्हें मेरे ऊपर खींच लिया। अब मैं अल्का जी से मेरे लंड की सवारी करने के लिए कहने लगा। तभी अल्का जी शरमाने लगी।
“अखिलेश जी सवारी करना नही आता मुझे।”
“अब ज्यादा बेवकूफ मत बनाओ आप। सब आता है आपको।”
“अरे यार आप………
तभी अल्का जी मुस्कुराती हुई मेरे लंड को चूत में सेट करने लगी। अब अल्का जी लंड को चूत में सेट कर धीरे-धीरे मेरे लंड की सवारी करने लगी।
“ओह आहाहाह आहाहा उँह सिसस्ससस्स। आहाहाह आह्ह।”
“ओह अल्का जी आह्ह बहुत ज्यादा मज़ा रहा है।”
अल्का जी उछल-उछल कर चुद रही थी। अल्का जी के हर झटके के साथ ही उनके बोबे ज़ोर-ज़ोर से हिल रहे थे। अल्का जी को मेरे ऊपर चढ़ कर चुदाने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। वो लपक कर लंड ले रही थी।
“उँह ओह सिसस ओह्ह् अखिलेश जी। आह्ह।”
“ओह्ह् अल्का जी, बहुत ही गजब की खिलाड़ी हो आप। आहह, आपके आगे तो आपकी बहन फैल है।”
“आहह आहह ओह्ह्ह् आहह।”
अल्का जी जोर-जोर से झटके मार रही थी। अल्का जी की चुदास को देख कर लग रहा था कि अल्का जी की ताबड़-तोड़ ठुकाई हुए कई साल बीत चुके थे। आज अल्का जी मेरे साथ पूरी खुल चुकी थी। वो फूल स्पीड में चूत में लंड ले रही थी। अपनी बड़ी साली से लंड की सवारी करवाने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
“आहा सिससस्स आह्ह ओह मम्मी। आह्ह सिससस्स आह्ह। ओह।”
“ओह अल्का जी। बहुत मज़ा आ रहा है। आहा।”
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फिर थोड़ी देर के बाद अल्का जी हांफने लगी और उनका का पानी निकल गया। अब अल्का जी मुझसे लिपट गई। अल्का जी बुरी तरह से थक चुकी थी। फिर थोड़ी देर बाद अब मैंने अल्का जी को वापस बेड पर पटक दिया, और फिरसे अल्का जी की टांगो को कंधों पर रख कर उनकी चूत में लंड ठोक दिया। अब मैं अल्का जी को फिर से ताबड़-तोड़ तरीके से चोदने लगा।
“ओह आह्ह सिसस्ससस्स आह्ह ओह आहह आहह।”
“बहुत पेलूंगा आज तो आपको।”
“पेल लो अखिलेश जी। मौका है आपके पास।”
“हाँ अल्का जी।”
मैं अल्का जी को जम कर बजा रहा था। अल्का जी भी लंड ठुकवाने में पीछे नही हट रही थी। तभी मैंने अल्का जी को फोल्ड कर दिया। अब मैं खड़ा होकर अल्का जी की चूत में दे दना दन लंड पेल रहा था।
“आह्ह आहा ओह सिसस्स आह्ह मरर्रर्र गईईई।”
“ओह अल्का जी बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है आह्ह।”
अल्का जी की टाँगे उनके सिर की ओर मुड़ी हुई थी। अल्का जी ने खुद टांगे पकड़ रखी थी। मैं ताबड़-तोड़ अल्का जी को बजा रहा था। मेरा लंड एक-दम सीधा अल्का जी की चूत के पर्दे फाड़ रहा था।
“ओह सिससस्स धीरेरे धीरेरेरे अखिलेश। आह्ह मेरी चूत फट जायेगी।”
“फटने दो अल्का जी। ये फाड़ने के लिए ही तो होती है।”
तभी अल्का जी चुप हो गई। वो समझ चुकी थी कि आज मुझे रोकना उनके बस की बात नहीं थी। मैं अल्का जी की ज़ोरदार ठुकाई कर रहा था। अल्का जी की चूत और मेरे लंड के घमासान से पलंग चुड़-चुड़ करने लगा था।
“आह्ह आहा ओह सिसस्स आह्ह ”
“ओह्ह् अल्का जी आहाहा बहुत मज़ा आ रहा है।”
तभी ताबड़तोड ठुकाई से अल्का जी की चूत में तूफान आ गया और वो पानी-पानी हो गई। अब मेरा लंड अल्का जी की झील में डुबकी लगा रहा था। अल्का जी फिर से पसीने से नहा चुकी थी।
“आह्ह आह्ह सिसस्स आह्ह ओह अखिलेश जी।”
“आज तो पूरी कसर निकालूंगा। आहह।”
“ओह्ह्ह् अखिलेश जी मर गई मैं तो। आह आहह आहह।”
फिर मैंने अल्का जी को बहुत देर तक ऐसे ही फोल्ड करके बजाया।
“ओह्ह्ह मम्मी, जान निकल गई मेरी तो। बहुत बुरी तरह से बजाते हो अखिलेश जी। मेरी बहिन की तो जान ही निकाल देते होंगे आप।”
“हाँ मैं तो आपकी बहन को भी ऐसे ही बजाता हूँ।”
“तभी तो बेचारी वो इतनी पतली हो रही है।”
“अब बजाना तो पड़ता ही ना अल्का जी।”
“हाँ बजाना तो पड़ता ही है लेकिन थोड़ा आराम से।”
“जब ठुकाई करनी होती है तो कोई आराम-वाराम नहीं देखा जाता। बस लंड ठोका जाता है।”
अब मैंने अल्का जी को पलंग से नीचे उतार लिया, और अब मैंने अल्का जी से घोड़ी बनने के लिए कहा। तभी अल्का जी पलंग को पकड़ कर घोड़ी बन गई। अब मैं अल्का जी चूत में लंड सेट करने लगा।
“आप तो मेरी जम कर क्लास ले रहे हो।”
“हाँ अल्का जी। लेनी पड़ती है।”
चूत में लंड सेट होते ही मैंने अल्का जी की चूत में लंड पेल दिया और फिर मैं साली जी की कमर पकड़ कर उन्हें झमाझम चोदने लग गया। अब साली जी घोड़ी बन कर बुरी तरह से चुदने लगी।
“आहाहा आहा सिससस्स उन्ह ओह आह्ह ओह आह्ह।”
“ओह अल्का जी आह्ह मज़ा आ रहा है। आहा।”
“आईएईई सिससस्स आह्ह ओह उन्ह सिसस्ससस्स।”
अब मैं अल्का जी को दे दना दन बजा रहा था। अल्का जी को घोड़ी बना कर बजाने में मेरे लंड को बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। अल्का जी घोड़ी बन कर बहुत अच्छी तरह से चुद रही थी।
“आईईईई आहा आह्ह आह्ह सिसस्ससस्स उन्ह आहा आहा ओह ओह आहा मर गईईई आह्ह अहह।”
“बहुत ही मस्त माल हो आप। आहह।”
“आहह आहह सिसस ओह्ह्ह मम्मी।”
मैं अल्का जी को घोड़ी बना कर झमाझम चोद रहा था। मेरे लंड को अल्का जी की चूत में बहुत ज्यादा आराम मिल रहा था। आज बहुत दिनों के बाद मेरा लंड किसी को घोड़ी बना कर बजा रहा था। वो भी मेरी वाइफ की बहन को ही। अल्का जी अब शर्म का चोला उतार कर अच्छी तरह से चुदा रही थी। मैं साली जी की चूत में झमाझम लंड पेल रहा था। अल्का जी पलंग को पकड़ को पकड़ कर अच्छी तरह से घोड़ी बनी हुई थी।
“आह्ह अआह अहह ओह आहा आहा आईईईई सिसस्ससस्स आहा ओह्ह अखिलेश जी।”
“ओह अल्का जी जी आहा बहुत मज़ा आ रहा है आहा आहा।”
“आहह आहह बसस ऐसे ही पेले जाओ अखिलेश जी आहह आहह।”
“हाँ, अल्का जी।”
मेरा लंड अल्का जी की जम कर क्लास ले रहा था। तभी थोड़ी देर की धुआंधार ठुकाई के बाद साली जी पानी-पानी हो गई। अब उनकी चूत से रस टपकता हुआ नीचे गिर रहा था। मैं ज़ोर-ज़ोर से साली जी को बजा रहा था। आज तो साली की चूत की खैर नहीं थी। मैं तो साली जी की चूत की धज्जियां उड़ा रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“अआह आह्ह आह्ह उन्ह आहा आह मर गईईई आहा”
अब मेरे लंड के हर एक झटके के साथ अल्का जी जी चूत से रस नीचे टपक रहा था। अल्का जी घोड़ी बन कर जम कर लंड ले रही थी। आज वो उनकी बहन का काम कर रही थी।
“ओह्ह्ह अखिलेश आह बहुत अच्छा लग रहा है, आहह।”
“ओह्ह्ह अल्का जी जी गजब की माल हो आप।”
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फिर मैंने बहुत देर तक अल्का जी को घोड़ी बना कर बजाया। घोड़ी बन कर बजने के बाद अल्का जी की हालत देखने लायक थी। अब मैंने अल्का जी को खड़ी किया और उनके होंठो को चूसने लग गया। कमरे में हम दोनो नंगे होकर फिर से एक-दूसरे पर टूट पड़े थे।
मैं अल्का जी के होंठो को जम कर चूस रहा था। तभी अल्का जी पीछे सरकती हुई दीवार से जा सटी। अब मैं अल्का जी के बोबों को मसलते हुए उनके होंठो को चूस रहा था। अल्का जी के बोबों को मसलने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। अल्का जी बुरी तरह से कसमसा रही थी।
इसी उठा पटक में मैंने अल्का जी की चूत में उंगलियां पेल दी और अब मैं अल्का जी की चूत में खलबली मचाने लगा। अल्का जी की चूत बहुत गर्म हो रही थी। अब मैं अल्का जी की चूत में आग लगाने का काम कर रहा था। अब तो अल्का जी बुरी तरह से फड़फड़ा रही थी। वो मेरी उंगलियों को चूत में से बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी।
लेकिन मैं अल्का जी की चूत में गजब की उथल-पुथल कर रहा था। फिर थोड़ी देर बाद मैंने अल्का जी को पलट दिया। अब अल्का जी की मस्त गांड और छरहरि पीठ मेरे सामने थी। बस फिर क्या था। मैं अल्का जी पर टूट पड़ा। अब मेरा लंड अल्का जी की गांड से टच हो रहा था। मैं आगे से अल्का जी के बोबों को मसलते हुए उनके कंधो और कानो पर किस कर रहा था। अल्का जी कसमसा रही थी।
“ओह आह्ह सिससस्स आह्ह उन्ह ओह सिसस।”
मुझे तो अल्का जी को किस करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। फिर मैं अल्का जी की चिकनी चमचमाती हुई पीठ पर किस करने लगा। आहा! अल्का जी की मखमली पीठ पर किस करने में मुझे अलग ही मज़ा मिल रहा था।
“ओह अखिलेश जी सिसस्ससस्स आह्ह सिससस्स ओह आह्ह।”
मैं झमाझम अल्का जी की पीठ पर किस कर रहा था। अब मैं अल्का जी के मस्त सेक्सी चूतड़ों को मसल भी रहा था। फिर मैं अल्का जी के चूतड़ों पर चपेड़ मारने लगा। तभी अल्का जी दर्द से झल्लाने लगी।
“आहा सिससस्स आह्ह ओह मम्मी।”
“बहुत मस्त चूतड़ है अल्का तेरे आह्ह।मज़ा आ रहा है।”
मैं अल्का जी के चूतड़ों को बजाये जा रहा था। अल्का जी आहे भर रही थी, लेकिन वो उनके चूतड़ पर चपेड़ मारने से मुझे रोक नहीं रही थी। अल्का जी को भी गांड पर चपेड़ मरवाने में मज़ा आ रहा था।
“आईई आहह आहह आईई सिसस।”
“क्या सेक्सी चूतड़ आहह बहुत मज़ा आ रहा है, आह।”
अल्का जी के चूतड़ों पर अच्छे से चपेड़ मारने के बाद अब मैं नीचे बैठ गया और अब मैं अल्का जी की शानदार जानदार गांड पर किस करने लगा। अल्का जी अब गांड को इधर-उधर हिलाने की कोशिश कर रही थी।
“सिससस्स आह्ह आह्ह आह्ह।”
मुझे तो अल्का जी की गांड पर किस करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मैं तो अल्का जी चूतड़ों को काट रहा था। अल्का जी कसमसा रही थी। मैं अल्का जी के गौरे चिकने चूतड़ों का जम कर मज़ा ले रहा था। अल्का जी दीवार से चिपकी हुई थी।
“आहह सिसस् उन्ह ओह्ह्ह आहह।”
फिर मैंने बहुत देर तक अल्का जी की गांड पर किस किये। अल्का जी की गांड किस करने से पूरी गीली हो चुकी थी। अब मैं अल्का जी को वापस पलंग के पास ले आया। अब मैंने अल्का जी को नीचे बैठा दिया और फिर मैं उनके मुँह में लंड सेट करने लगा। तभी अल्का जी फिर से नखरे दिखाने लगी।
“मुँह में तो पहले ही डाल लिया ना आपने”
“वो तो पलंग पर पेला था। अब यहाँ बजाने में अलग ही मज़ा आएगा।”
“आप नही मानोगे।”
तभी अल्का जी ने मुंह खोल दिया। अब मैंने अल्का जी के मुंह में लंड रखा और फिर अल्का जी के सिर को पकड़ कर मैं उनके मुंह को चोदने लग गया। अब मेरा लंड घप-घप अल्का जी के मुंह में अंदर बाहर होने लगा। अल्का जी की मुंह ठुकाई करने में मुझे बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था।
“ओह्ह्ह अल्का जी आहह बहुत मज़ा आ रहा है आहह।”
मैं गांड हिला-हिला कर अल्का जी के मुंह में लंड पेल रहा था। अब तो अल्का जी चुप-चाप बैठ कर मुंह में लंड ठुकवा रही थी। मैं खड़े-खड़े अल्का जी के मुंह में लंड ठोक रहा था।
“आहह बहुत दिनों के बाद आज इतना मज़ा आ रहा है। आहह ओह्ह्ह अल्का जी।”
मेरा लंड लगातार अल्का जी के मुंह की ठुकाई कर रहा था। मेरा लंड पूरा गिला हो चुका था। फिर मैंने बहुत देर तक अल्का जी के मुंह में लंड पेला। अब मैंने अल्का जी को खड़ी कर दिया और फिर से अल्का जी से घोड़ी बनने के लिए कहा।
“अब फिर से घोड़ी? ओह्ह अखिलेश जी।”
अब अल्का जी क्या करती? वो चुपचाप फिर से पलंग को पकड़ कर घोड़ी बन गई। अब मैं फिर से अल्का जी के चूतड़ों पर चपेड़़ मारने लगा। तभी अल्का जी फिर से करहाने लगी।
“आहह आहह आईई आह आहह।”
“बहुत ही मस्त गांड है।”
अब मैं अल्का जी की गांड के छेद में लंड सेट करने लगा। तभी अल्का जी एक-दम से बिदक गई।
“अखिलेश जी, यार गांड में मत डालो।”
“बहुत ही मस्त गांड है अल्का जी। गांड में तो डालने दो।”
“अखिलेश जी, यार गांड में मत डालो।”
“बहुत ही मस्त गांड है अल्का जी। गांड में तो डालने दो।”
“नहीं अखिलेश जी, गांड में नहीं।”
“नहीं अल्का जी, गांड तो मारनी ही पड़ेगी। बहुत ही मस्त गांड है आपकी।”
“ओह्ह्ह अखिलेश जी, मान जाओ ना यार।”
“नहीं अल्का जी, मैं नहीं मानूंगा।”
अल्का जी गांड मरवाने में बहुत डर रही थी। मैं उनकी गांड फाड़ने की तैयारी कर रहा था। तभी मैंने अल्का जी की गांड में लंड सेट कर जोर से झटका दिया। अब एक ही झटके में मेरा मोटा तगड़ा लंड अल्का जी की गांड में जा घुसा। गांड में लंड घुसते ही अल्का जी बुरी तरह से चीख पड़ी।
“आईईईईई आईई आईई मर गईईई। ओह अखिलेश जी बहुत दर्द हो रहा है। आईईईई प्लीज बाहर निकाल लो यार।”
“कुछ नहीं होगा आप रुको तो सही।”
“आईई आईई मैं मर जाउंगी। आईई मम्मी।”
अल्का जी की टाइट गांड में मेरा मोटा तगड़ा लंड बहुत भारी पड़ रहा था। अब मैंने फिर से ज़ोर का झटका दिया और मेरा लंड दूसरे ही झटके में साली जी की गांड को फाड़ता हुआ उनकी गहराई में उतर गया। बस मेरे लंड के इसी झटके से साली जी बुरी तरह से चिल्ला पड़ी।
“आईईईई मर गईईईई आईईईई आईईईईई मम्मी, बहुत दर्द हो रहा है, आईईईई। आईई प्लीज लंड बाहर निकालो।”
अल्का जी की टाइट गांड में मेरा लंड फंस चुका था। अल्का जी के पैरों के नीचे से जमीन खिसक चुकी थी। वो बुरी तरह से हिल गई थी। अल्का जी को बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था। शायद पहले कभी अल्का जी की गांड में लंड नहीं गया होगा। अब मैं अल्का जी की कमर पकड़ कर अच्छी तरह से गांड मारने लगा। अल्का जी बुरी तरह से चीख रही थी।
“आईईईई आईईईई आहाहा आह्ह आह्ह ओह मम्मी आहाहा आहाहा उह आहाहा आह्ह सिससस्स ओह मर्रर्रर्र गईईई।”
“ओह अल्का जी आहा बहुत मस्त गांड है आपकी। आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है।”
“अआईईई आईईईई आहाहाह यहां मेरी जान निकल रही है। बहुत दर्द हो रहा है। आईईईई।”
“दर्द तो होने दो अल्का जी। बिना दर्द के मज़ा भी नहीं आता है।”
“आहाहा सिससस्स आह्ह आह्ह आह्ह।”
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मेरा लंड अल्का जी की गांड के परखच्चे उड़ा रहा था। अल्का जी की गांड में उतर कर मेरा लंड फुल मज़े कर रहा था। मैं अल्का जी की गांड में ज़ोर-ज़ोर से झटके मार रहा था। अल्का जी दर्द से कराह रही थी।
“आह्ह आह्ह आहाहा सिसस्स उन्ह आह्ह आह्ह अआईईई आह्ह आह्ह। ओह मम्मी मरर्रर्र गईईई। धीरे-धीरे गांड मारो अखिलेश जी।”
“धीरे-धीरे ही मार रहा हूं अल्का जी। बहुत टाइट गांड है आपकी।”
“हां अखिलेश जी, आह्ह आहा आहह।”
मेरा लंड अल्का जी की टाइट गांड के छेद को ढीला करता जा रहा था। अब अल्का जी का दर्द धीरे-धीरे कम होने लगा था। मैं अल्का जी की गांड में जम कर लंड पेल रहा था। अल्का जी की चीखे कमरे में गूंज रही थी।
“आईई आईई आहहा आह्हा ओह्ह्ह मम्मी मर गाईई आहा आह्ह्ह।”
“ओह्ह्ह अल्का जी। आह्हा बहुत मज़ा आ रहा है। आपकी बहन की गांड मारने में भी इतना मज़ा नही आता।”
मेरा लंड अल्का जी की गांड के परखच्चे उड़ा रहा था। तभी अल्का जी खुद को रोक नहीं पाई और पानी-पानी हो गई। अब मेरे लंड के हर एक झटके के साथ अल्का जी की चूत से पानी टपक रहा था। मैं तो अल्का जी की टाइट गांड में जम कर लंड ठोक रहा था।
“अहहा आहहा आईई आह्हा आईई।”
“ओह्ह्ह् अल्का जी। बहुत ही मस्त माल हो आप।”
अब मैंने अल्का जी की कमर छोड़ दी और फिर उनके बाल पकड़ कर अल्का जी की गांड मारने लगा। अब माहौल और ज्यादा सेक्सी बन चुका था। अब अल्का जी का चेहरा एक-दम सीधा हो चुका था। अब मैं अल्का जी की गांड पर चपेड़ मार मार कर उनकी गांड में लंड पेल रहा था।
“आह्ह आह्हा आहहा आईई ओह्ह्ह् मम्मी आह्हा आह्हा।”
“अल्का जी अब तो गांड मरवाने में मज़ा आ रहा है ना?”
“हां अखिलेश जी, अब बहुत अच्छा लग रहा है। अच्छे से बजा लो आप तो मेरी गांड को।”
“हां अल्का जी।”
मैं अल्का जी की गांड में जम कर लंड पेल रहा था। अल्का जी अब आराम से गांड मरवा रही थी। मेरा अल्का जी गांड में अच्छी तरह से जगह बना चुका था। मैं अल्का जी को अच्छी तरह से बजा रहा था।
“आह्हा आह्हा आईई आह्हा आह्हा।”
फिर मैंने बहुत देर तक अल्का जी की गांड मारी।
गांड ठुकाई से अल्का जी बहुत बुरी तरह से थक चुकी थी।अब और ज्यादा देर तक लंड ठुकवाने की अल्का जी की बस की बात नहीं थी। अब अल्का जी उठ कर तुरंत पलंग पर लेट गई। मैं भी पलंग पर आ गया, और फिर से अल्का जी के ऊपर चढ़ गया। अब मैं फिर से अल्का जी के रस भरे बोबों को चूसने लगा। अल्का जी बिल्कुल चुप थी। गांड ठुकाई से अल्का जी की हालत खराब हो चुकी थी। मैं अल्का जी के बोबों को फिर से झंझोड़ चूस रहा था।
“ओह्ह्ह अल्का जी। बहुत ही मस्त खजाना है आपका।”
फिर मैंने थोड़ी देर अल्का जी के बोबों को अच्छी तरह से रगड़ा। अब मैं तुरंत नीचे सरका और मैं फिर से अल्का जी की टांगे खोलने लगा।
“ओह अखिलेश जी बहुत बुरी तरह से ठोक दिया आज तो आपने।”
“आपकी तगड़ी ठुकाई तो होनी ही थी अल्का जी। बहुत दिनों से मैं आपको बजाने के लिए तड़प रहा था।”
तभी मैंने अल्का जी की चूत में फिर से लंड ठोक दिया। अब मेरा लंड अल्का जी की चूत में फिर से गोते लगाने लगा। मैं कस कर अल्का जी को बजा रहा था। अल्का जी अब तो बुरी तरह से नसते-नाबूत होकर लंड ठुकवा रही थी।
“आह्ह सिससस्स आहा आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आह्ह ओह सिससस्स।”
“ओह्ह्ह अल्का जी आह्हा।”
अल्का जी की हालत अब तो ऐसी हो चुकी थी, कि वो सही तरीके से कराह भी नहीं पा रही थी। मैं अल्का जी को ताबड़-तोड़ बजा रहा था। आज तो अल्का जी मेरे लंड के नीचे आकर बुरी तरह से पिघल कर पानी-पानी हो चुकी थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“आह्ह सिससस्स आह ओह अखिलेश जी सिससस्स आह्ह।”
“ओह साली जी मज़ा आ रहा है।”
“ओह अखिलेश जी अब जल्दी करो। बच्चे स्कूल से आने वाले है।”
“हां अल्का जी कर रहा हूं”
मेरा लंड फूल स्पीड में अल्का जी की चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। अल्का जी ने मुझे बाहों में कस रखा था। मैं अल्का जी की चूत में जम कर लंड पेल रहा था। तभी अल्का जी का फिर से पानी निकल गया।
“ओह्ह्ह् अखिलेश जी। आह्हा आह्हा आह्हा।”
“ओह्ह्ह अल्का जी। बहुत अच्छा लग रहा है आज आह्हा।”
“आह्हा आह्हा आईई अब निकाल दो अखिलेश जी। आह्हा आहह।”
“थोड़ी देर और अल्का जी।”
अब अल्का जी क्या कहती? वो चुप हो गई। मैं अल्का जी को बजाए जा रहा था। हम दोनों फिर से पसीने में नहा चुके थे। अब धमा-धम ठुकाई के बाद मेरा लंड पिघलने लगा। तभी मैंने अल्का जी को ज़ोर से दबा दिया और मेरे लंड का सारा पानी अल्का जी की चूत में उड़ेल दिया।
अब मैं अल्का जी से लिपट गया। आज अल्का जी को बजा कर मैं बहुत ज्यादा खुश था। लंबे इंतज़ार के बाद आज मेरे लंड को चूत चोदने का मौका मिला था।अल्का जी भी मेरे मोटे लंड से ठुकाई करवाने के बाद बहुत ही खुश लग रही थी।
“मज़ा आ गया अल्का जी आज तो।”
“हां अखिलेश जी मज़ा तो खूब दिया है आपने। मेरी बहन को भी रोज़ ऐसे ही मज़ा देते होंगे आप तो।”
“हां अल्का जी। आपकी बहन भी जम कर चुदती है।”
“हां, चुदेगी ही सही। इतने मस्त लंड को कौन छोड़ना चाहेगी? आप से तो कोई मना नहीं करेगी। बहुत ही मस्त हथियार है आपका।”
“मना तो नहीं करेगी लेकिन चुदने में डर लगत है सबको।”
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“हां अखिलेश जी, डर तो लगता ही है। अभी मेरी हालत ही देख लो। क्या लंड ठोका है आपने मेरी गांड और चूत में। पूरा नक्शा ही बिगाड़ दिया। बात तो सिर्फ किस करने की हुई थी, लेकिन आपने तो मेरी पूरी फिल्म ही देख ली।”
“हां अल्का जी, मैं भी क्या करता? बहुत ही प्यासा था मेरा लंड। वैसे भी आप सीधे तरीके से नहीं चुदती।”
“हां मेरा मूड तो नही था देने का, लेकिन फिर आपने तो… अब तो अच्छी तरह से प्यास बुझा ली ना आपने? ”
“हां अल्का जी अब तो मेरा लंड तृप्त हो गया।”
“चलो तो फिर कपड़े पहन लो। बच्चे आने ही वाले है अब।”
अब अल्का जी उठी और कपड़े पहनने लग गई। मैं अल्का जी के मस्त नंगे जिस्म को ताड़ रहा था। अल्का जी चड्डी पहनकर ब्रा पहन रही थी। फिर अल्का जी के पेटीकोट पहनकर नाड़ा बांध लिया। तभी मेरे लंड में फिर से करंट दौड़ने लगा।
“अल्का जी बहुत सेक्सी लग रही हो।”
अल्का जी तारीफ सुन कर मुस्कुरा गई। अब अल्का जी ने ब्लाउज पहन कर साड़ी पहन ली।
“अखिलेश जी अब आप भी जल्दी से कपड़े पहन लो।”
“हां पहन रहा हूं अल्का जी।”
अब अल्का जी कमरे से बाहर चली गई। थोड़ी देर बाद मैंने भी कपड़े पहन लिए। बस कुछ ही देर में बच्चे भी स्कूल से आ चुके थे। अब अल्का जी बच्चों के साथ ऐसे बात कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। जबकि थोड़ी देर वो मेरे लंड के साथ खेल रही थी। अब मैं फिर से अल्का जी को बजाने के लिए मचलने लगा। लेकिन अल्का जी अब बच्चों के सामने चुदने के लिए तैयार नही थी।
“बहुत ही ज्यादा इच्छा हो रही है अल्का जी।”
“नहीं अखिलेश जी। बच्चो के सामने नहीं।”
“बच्चों को तो बाहर भेज दो ना।”
“नहीं अखिलेश जी।”
अल्का जी को फिर से बजाने की मेरी बहुत इच्छा हो रही थी, लेकिन अल्का जी बजने के लिए तैयार नही थी। फिर मैं थोड़ी देर रुक कर वापस आ गया।