Hot House Wife Chudai
आदरणीय सभी को लेखिका हर्षिता जैन का सादर प्रणाम. पहली बार मैं किसी प्रसंग को कहानी का रूप देने की कोशिश कर रही हूँ. इस कहानी में कुछ त्रुटि हो जाए तो क्षमा करे और अपना अमूल्य सुझाव देने की कृपा करे. मेरी उम्र 39 और फिगर 34-28-38 है. मेरे पति एक बड़े बैंक के मार्केटिंग विभाग पर कार्यरत है और महीने का बड़ा हिस्सा अलग अलग जगहो पर व्यवसाय (क्लाइंट) के लिए बिताते थे. Hot House Wife Chudai
उनके पास पैसो की कोई कमी नही थी पर शायद मेरे दो बच्चे होने के बाद इसे अत्यधिक गंभीरता से ले लिए था या उनका मन अब सेक्स जैसे चीज़ो मे पूरी तरह नही लगता था. इस बात का असर मुझ पर बहुत पर पड़ने लगा था जिसकी वजह कैसे मैं पिछले साल अपने ननदोई जी से हमबिस्तर हो गयी.
मेरे ननदोई जी जिनकी उम्र 32, लॅंड 7 इंच का और लंबाई 5’10″, गठीला शरीर है. ये कहानी आपको उन्ही के शब्दों में बता रही हूँ उनके ही मुंह से ये कहानी सुनिये. ये बात जून 2019 के बरसात के दिनो की है. मेरी शादी को हुए कुछ महीने हो गये थे और मै ससुराल उदयपुर मे अक्सर आया जाया करता था.
मै जयपुर से अपना व्यवसाय चलता हूँ परंतु काम के सिलसिले मे जोधपुर, उदयपुर, लखनऊ, दिल्ली जाना आना लगा रहता है. मुझे इनमे उदयपुर जाना सबसे प्रिय है जिसका कारण उस वक़्त एक तो उस शहर का सौंदर्य और उसपर ससुराल की विशेष आवभगत पर अब उसमे एक विशिष्ट नाम मेरी चरमसुख की साथी हर्षिता का नाम भी जुड़ चुका है. जो अब सबसे महत्वपूर्ण है.
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मुझे 5 दिन का काम था, पर मै काम 3 दिन मे ही निपटा कर एक दो दिन ससुराल मे विशेषकर हर्षिता के स्वादिष्ट पकवानो का मज़ा लेते हुए बिताना चाहता था. उस वक़्त तक ना मुझे पता था ना मेरी साथी हर्षिता को की उसको जिस सुख की तलाश पिछले कई सालो से है वो अब बहुत करीब है.
सलहज जी हमेशा से ही शांत सुंदर घरेलू महिला थी जिन्हे देख कर कोई अंदाज़ा ही नही लगता था की इस शांत चित के पिछे ख्वाहिशो का एक पहाड़ दबा है. एक अंतहीन तलाश है अनकहे से अधूरे से सुख की जो सभी सुखो से बड़ा है.
मेरी महिला पाठक ये बात भली भाँति समझ सकती है की चरमसुख कितना अनमोल है और कैसे अनेको भारतीय महिलाए उसे बिना अनुभव किए जिए जा रही है. दो वर्षो पूर्व हर्षिता भी उन्ही मे से थी. पर क्या प्यारी सलहज जी को सिर्फ़ चुदाई वाले चरमसुख की तलाश थी या कुछ और भी? चलिए ढूंढते है कहानी मे.
हमारा रिश्ता मस्ती मज़ाक का था तो वो काफ़ी खुल के मजाक किया करती थी, जैसे की सुना है की मेरी मधु को आप सोने नही देते. और मै शरमा जाया करता था. आप समझ ही सकते है की नयी नयी शादी के बाद ससुराल वालो की ये बाते अनायास ही हमे शरमाने पर विवश कर ही देती है.
यूँ तो हर्षिता जी के दो बच्चे थे पर उनको देख कर लगता नही था की वो 25-26 से अधिक की होंगी. उन्होने आज भी स्वयं को बहुत संभाल कर संवार कर रखा है. आज भी कोई बूढ़ा भी उन्हे देखे तो उसका खड़ा हो जाए. 34-28-38 का साइज़ किसी पर भी कहर बरसाने को काफ़ी है.
मैने कई बार उनकी आखो मे एक अज़ीब सी ख़ालीपन देखी थी. कोशिश भी की थी जब हम साथ होते तो कारण जानने की पर वो हमेशा कोई ना कोई बहाना करके पिछा छुड़ा लेती थी. पर उन्हे कहा पता था की उसका समाधान ही उनसे कारण पूछ रहा था.
आज मै काम से लौटा तो पता चला की साले साहब अभी अभी माता पिता जी के साथ अजमेर की ओर निकले है जो सासू जी का मायका है और एक दिन रुक कर वो आगे अपने काम के सिलसिले मे और 4 दिन रुकेंगे. मै यह जानकर मंद मंद मुस्काया क्यूकी घर मे मै और हर्षिता जी और उनके बच्चे रह गये थे. रात का खाना बना, खाए और सोने चल दिए.
उस दिन अनायास ही मै रात 1 बजे लगभग जाग गया कारण था किसी के सिसकने की आवाज़ जो हाल की ओर से आ रही थी. मै हाल मे आकर देखा तो ये हर्षिता थी और मुझे देखते ही पलट कर आंसू पोछ कर झूठी मुस्कान के साथ बोली की क्या हुआ नींद नही आ रही हमारे मधु के बिना.
मैने भी मज़ाक मे कह दिया की तो आप आ जाइए सुलाने मधु की तरह. वो धत तेरे की बोलके शरमा कर जाने लगी. मैने रोकते हुए कहा की मेरे लिए पानी लेते आइए और आइए कुछ बात करनी है. वो रसोई की ओर गयी और तभी बाहर बारिश होने लग गयी. उन्होने आवाज़ लगा कर बोला चाय भी लाते है.
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खैर वो आई और मैने उन्हे समीप ही बैठा कर पूछा की आज आप क्यू रो रही थी, आप से पहले भी मैने कई बार पुछा पर आपने टाल दिया. आज आपको बताना पड़ेगा मेरी कसम. ये कसम भी बड़े कमाल की चीज़ है ऐसे मौको पर बड़े काम आती है.
उन्होने मुझसे वादा लिया मै ये बात किसी को भी नही बतावँगा. मैने वादा किया फिर वो फफक का रो पड़ी और मैने उनका सर कंधे पर रख कर गालो को सहलाते हुए ढाढ़स बँधाया. ये पहली बार था जब मेरे दिल मे उनके लिए तरंगे उठी ये एहसास किसी प्रेमिका के कंधे पर सर रखने पर ही आता है.
हर्षिता ने बताया की साले साहब अब उन्हे प्यार नही करते, पहले 4 साल तो कोई दिन नही रहता जब वो उनके साथ घर आके समय नही बिताते और रोज़ रात प्यार नही करते. पर अब… वो बोलते बोलते रुक गयी. मैने उत्सुकता वस पुछ लिया तो अब क्या बदल गया.
वो बोली की अब तो महीनो बीत जाते है ना वो समय बिताते है ना शारीरिक सुख देने की ज़रूरत समझते है. शारीरिक ज़रूरत तो मै जैसे तैसे उंगली करके शांत कर लेती हूँ पर एक पत्नी को जो वक़्त जो अपनापन चाहिए वो कहा से लाये.
मैने उन्हे समझने की कोशिश की, बोला की सब ठीक हो जाएगा. मैने कहा और मै हूँ ना जब साली आधी घरवाली हो सकती है तो नंदोई भी तो कुछ होता होगा. वो मेरे मज़ाक पर मुस्कुरा दी. तभी अचानक बहुत तेज़ बिजली कड़क गयी और उसकी आवाज़ इतनी तेज़ थी की एक बार तो मै भी धम्म से हो गया पर हर्षिता ने मुझे कस के पकड़ लिए.
मुझे कुछ समझ नही आया की ये अचानक क्या हुआ. अचानक मेरी और हर्षिता की नज़रे मिली और जैसे हम कही खोने से लगे. अनायास ही मेरे होठ हर्षिता के काँपते होठ की ओर बढ़ने लगे. हमने कितने देर तक चुंबन किया बता तो नही सकता पर ऐसा लगा वक़्त रुक सा गया था.
जब होश मे आए तो मौन आखो से इज़्जजत माँगा की आगे बढ़े. हर्षिता ने पलके झुका दी, ये इसरा काफ़ी था. मैने हर्षिता जो अब तक सलहज की पत्नी थी उसे अपने बाहो मे उठाए प्यार करते हुए अपने कमरे की ओर बढ़ रहा था.
घर मे मेरे उसके और बच्चो के सिवा कोई ना था और बच्चे सो रहे थे. हमे अब ना डर था ना अब होश ही रहा था. मैने उन्हे ऐसे उठा रखा था जैसे कोई फूल हो जो मेरे से टूट ना जाए इसकी फ़िक्र हो. मैने बहुत सलीके से उन्हे बिस्तर पर रखा और थोड़ा उठने को हुआ तो हर्षिता ने मुझे खिच लिया.
उसके मौन इज़हार मे एक कशिश थी की बहुत तड़प चुकी हूँ और ना तडपा मेरे साजन. मैने भी खुद को खो जाने दिया. कॉन्डोम लेने जा रहा था वो विचार खो सा गया और मेरे हाथ अब हर्षिता के उन्नत उरोजो पर बढ़ चले. उसके चुची को मसलते हुए एक अलग ही वो खोने सी लगी और पता ही ना लगा कब उनकी साड़ी उनके बदन से पेटिकोट के साथ मेरे कमरे के फर्श पर थी.
मेरे होठों को चूसने और कपड़ो के उपर से मसालने का असर दिखने लगा था. बारिस की शोर मे हरषु की मादक आवाज़े आग मे घी का काम कर रही थी. मै एक अलग ही दुनिया मे खोने लगा पर ये एहसास मुझमे जिंदा रहा की जो आज मेरे साथ है उसे सिर्फ़ चुदाई नही बल्कि प्रेम की आवश्यकता भी है.
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हर्षिता ने पलके उठाई और पुछ लिया आप अब तक कपड़ो मे क्यू है. मैने कहा ये तो आपको खुद ही करना पड़ेगा. हर्षिता ने वक़्त ना गवाया और मेरे कपड़े एक पल मे ही ज़मीन पर उसके कपड़ो के साथ पड़े थे. कपड़ो के अलग होते ही हर्षिता ने मेरे पूरे बदन पर चुंबनो की झड़ी लगा दी. और अपने ब्रा और पैंटी को भी उतार फेका.
मैने भी उसका साथ देने के लिए अपने एकमात्र कपड़े को दूर फेक दिया. अब हम दोनो जन्मजात नंगे थे. आग से तपते बदन, बाहर बारिश और दो लोग जो अब एक हो जाने को बेताब है. मै उनके चुचो पर अपने जीभ फेरने लगा और वो पागल सी होने लगी, एक हाथ दूसरे चुचे को मसालने लगा.
मुलायम चुचो पर अब एक कड़कपन आने लगा जो हर्षिता की उत्तेजना को बता रहा था. मैने बहुत देर तक चुचो को चूसा. दोनो को बारी से मर्दन करते हुए इश्क की आग मे मै उन्हे लिए जा रहा था. दो बदन ऐसे लग रहे थे अब एक हो गये है.
मै चूमते चाटते हुए नीचे नाभि तक आया. मेरे एक पसंदीदा हिस्सा है नाभि क्षेत्र, मैने बहुत प्यार से चूसा उन्हे और उन्हे बड़ा आनंद आया. उन्होने बताया की वो एहसास एक अलग ही एहसास था. उससे नीचे उतरने पर आया प्यारे चूत का नंबर जो मेरे इंतज़ार मे पहले ही पानी पानी हो रही थी.
मेरे जीभ ने जैसे उसके तपते एहसासो को ठंडक दे दी. मेरे जीभ चूत को छुते ही हरषु उचक सी गयी और अगले ही पल मेरे सर को चूत पर दबाने लगी जैसे समा लेना चाहती हो मुझे अपने चूत मे. मेरे जीभ ने वो काम शुरू कर दिया था जिसमे उसे महारत थी.
मै चूत रस का आशिक हूँ. मेरे जीभ गहराइओ मे और होठ उसके चूत के पंखुरीओ को चूस रहे थे. हम दोनो ऐसे ही खोते गये. जब तक की वो एक बार झाड़ नही गयी. हर्षिता ने बहुत कोशिश की हटाने की पर मै उसके अमृत की हर बूँद पी गया.
हर्षिता किसी प्रेयसी की तरह मंत्रमुग्ध सी मेरे सिने से लिपट गयी जैसे समा जाना चाहती हो. मैने भी उसे अपने आलिंगन मे बाँध लिए. ये पल वासना से तपते जिस्मो मे जैसे एक ठहराव का पल सा था. देखते ही देखते फिर हर्षिता मेरे होठों पर टूट पड़ी. इस बार उसका हमला किसी घायल शेरनी सा था.
हर्षिता बोली मेरे रंगीला साजन आज जो सुख तुमने दिया है वो और किसी ने कभी नही दिया. अनायास ही मै पूछ बैठा क्या भाई साहेब के पहले भी किसी से किया है. हर्षिता शरमा गयी और बोल पड़ी आप भी ना. जाइए हम आपसे बात नही करते, क्या हम आपको ऐसे लगते है? आप दूसरे पुरुष है जिस से मै इस हद तक बढ़ी हूँ.
हर्षिता धीरे धीरे चुंबन का स्पर्श कठोर करती हुई नीचे बढ़ने लगी. वो मेरे हर अंग को ऐसे चूम रही थी चाट रही थी जैसे कोई बच्चा अपने मनपसंद राबड़ी को चाट रहा हो. मेरी साँसे भी इस एहसास मात्र से रोमांचित हो उठी की उसका अगला हमला मेरे लंड पर होने वाला था.
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किसी गैर विवाहित महिला का इस शिद्दत से प्यार करना रोमांचित कर रहा था. उसने मेरे लॅंड को मूह मे भर लिया. होठों की कसावट और जीभ की गर्माहट मुझे आनंद के दूसरे छोर पर लिए जा रहा था. वो दिन दुनिया से बेख़बर सी मंत्रमुग्ध होकर इस कदर मेरा लॅंड चूस रही थी की कुछ पल को लगा जैसे मै अभी ही झड़ जाऊंगा.
मैने स्वयं को संभाला हरषु को एक पल को रोका और 69 की पोसिशन ले लिया. मेरा अनुभव है की ये अवस्था जब आप का साथी आपको सुख दे रहा हो उसे भी वही चरमसुख साथ मे मिले तो दोनो तृप्त हो जाते है. वो चाव से मेरा लॅंड चुसती रही और मै दूसरी बार उसके चुत अमृत का पान करने जा रहा था.
कामुक आवाज़ो से, और चूसने के मधम आवाज़ो से कमरा काममय हो रहा था. दोनो का जीश्म एक दूसरे को ऐसे चूस जाने को आतुर था जैसे कुछ रह ना जाए या की आज कयामत आने को है. उसके तप्त जिहवा का स्पर्श मात्र मुझे संसार की सर्वोतम सुख देने को काफ़ी थी.
मैने चुत के फाको को फैलाया और और जीभ को अंतरंग गहराइयो मे घुसते हुए उसकी चुत को जीभ सख़्त करके चोदने लगा. हर्षिता आह आह की आवाज़े करते हुए लॅंड चूसने मे दुबही हुई इस पल का आनंद ले रही थी. जैसे ही मेरे जीभ ने उसके चूत के अंतिम छोर को छुवा उसने मेरे पूरे लॅंड को मूह मे भर दिया.
अनायास ही मेरा कमर चल पड़ा और मै उसके मूह को चोदने लगा. वो भी हर पल आनद लेती रही. मैने कहा बाहर निकाल दो मेरा आने वाला है. हर्षिता ने दो पल रुक के कहा, आने दो मेरे साजन मुझे भी तो अपना राबड़ी खाने दो. तुम चालू रखो आज मै भी पहली बार दो बार बिना चुदे झड़ने वाली हूँ.
आप तो सच मे चोदन कला मे पारंगत है नंदोई जी. आज ननद जी से मुझे सच मे जलन हो रही है. काश आप मेरे पति होते. मैने कहा अब तो है ही (आधे ही सही). मैने अपनी गति बढ़ा दी और उसकी चुत और मेरे लॅंड ने एक साथ लावा उगल दिया. जिसे ना मैने व्यर्थ जाने दिया ना हर्षिता सलहज जी ने. हम तृप्त थे फिर भी अभी तड़प शेष थी.
दोनो नंगे ही आजू बाजू लेट कर बाते करने लगे. साथ मे मै अपनी उंगलिओ को उसकी रसीली चुत के फाको को सहला रहा था. धीरे धीरे वो फिर उत्तेजित हो गयी और बोली अब बस भी करो कब तक तड़पाओगे अब मेरे प्यासी चुत को अपने प्रेम से पूर्ण भी कर दो और ऐसे कहके उसने मेरे लंड को जो अभी आधा सोया था को सहलाना शुरू कर दिया.
लंड ने भी अपनी प्रेमिका को ज़्यादा इंतज़ार कराना ठीक नही समझा और एक दम लोहे के रोड जैसे कड़क हो गया. हर्षिता ने एक बार फिर उसे चूसना शुरू कर दिया. थोड़ी देर मे मैने उन्हे रोका ताकि फिर झड़ ना जाए हम दोनो चुदाई से पहले.
लॅंड को मैने हरषु की चुत पर रखा और सहलाने लगा जो हरषु के तन बदन मे आग लगा रही थी, उसने कतर नज़रो से मेरी ओर देखा और बोला मार ही डालोगे क्या? तड़पाना बंद करो और अपने लॅंड को मेरी मुनिया रानी मे डाल दो, अब बर्दास्त नही हो रहा.
मैने भी देर करना उचित नही समझा और एक ही झटके मे अपना लॅंड अंदर कर दिया. हर्षिता अचानक हमले से आह कर बैठी, और मुस्कुरा कर बोली की मार ही डालोगे क्या? मैने भी उतर दिया ऐसे कैसे, कोई अपनी जान को मरता है क्या? तुम्हे तो हम अब छोड़ेंगे नही. इतना चोदन करेंगे की तुम कहोगी बस नंदोई जान बक्स दीजिए. तैयार है ना जन्नत की सैर को?
हा का इसरा पाते ही मै पहले मद्धम गति से चोदने लगा. मेरा हर प्रहार ऐसे जा रहा था जैसे कोई सितार के तारो पर उंगलिया चला रहा हो. चुत और लंड के टकराने से एक मद्धम संगीत निकल रहा था जो इस कामुकता मे और चार चाँद लगा रहा था.
उस पर कामुक आहे आग लगा रही थी. गति को मै लगातार बढ़ा रहा था और चुत की गहराई को जैसे भेदे जा रहा था. चुत मे लॅंड की रफ़्तार अब मै बढ़ने लगा और हर्षिता आह आह किए जा रही थी. उसके नीचे से धक्के बता रहे थे की वो इस पल को कितना मज़ा ले रही है.
हमने अपना पोज़ बदला और कुत्ते कुतिया की पोज़ मे आ गये. मैने फिर से एक बार बिना बोले एक झटके मे लॅंड पेल दिया. और घनघोर चुदाई शुरू कर दिया. ये मेरा पसंदीदा पोज़ है. लॅंड अपने विकराल रूप मे चूत की धज्जिया उड़ा रहा था. नायिका की कामुक आहे इसमे घी का काम कर रही थी.
हर्षिता ने कहा और तेज़ करो आज फाड़ दो बना लो मुझे अपनी कुतिया, इस निगोडी ने मुझे बहुत परेशान किया है. आज इसकी अच्छे से मरम्मत हुई है. और भी जाने क्या क्या वो बोलती रही. मैने फिर से जगह बदली और उसके एक टाँग को अपने एक हाथ पे उठा कर दुगनी रफ़्तार से चोदने लगा.
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मै चाहता था की जिस चरमसुख की हर्षिता को तलाश है उसमे हम दोनो एक साथ स्खलित हो. बाहर बारिश का शोेर और अंदर चुदाई का तूफान अब ठहरने को है. मुझे अंदर से एक गर्म लावे का अनुभव हुआ और मेरे लॅंड ने भी उसी पल अपनी बरसात अंदर ही कर दी. उस रात मेरे वीर्य की कितनी मात्रा निकली मुझे खुद नही पता पर हा अन्य दिनों से कही ज़्यादा था. दोनो ठक कर चूर हो चुके थे पर ऐसा लग रहा था की अभी भी प्यास अधूरी है.
हर्षिता उठी और बाथरूम मे जाकर खुद को साफ किया और नग्न ही आकर मेरे बाहों मे लेट गयी. उस रात हमने बहुत देर तक बात की. आज मैं बहुत प्रसन्न थी मुझे जिस चरम सुख की तलाश थी वो उसे अपने नंदोई के प्यार से मिला था. अभी हमारे पास कुछ और दिन शेष थे और हमने इसका भरपूर उपयोग किया. बाकी दिनो की बाते अगली बार सुनाएँगे. आपके प्रेम का आकांशी हूँ और फीडबॅक की भी. धन्यवाद. फिर मिलेंगे अगली कहानी मे. हर्षिता जैन frndhj@gmail.com