Hot Aunty Fuck XXX
मैं शुभम सेनगुप्ता हूँ और हमारी जिंदगी बड़े आराम से चल रही थी। जिंदगी में कोई असुविधा नहीं थी क्योंकि ये बात उस समय की है जब मैं स्टूडेंट था। मेरे ख्याल में स्टूडेंट लाइफ ही सबसे अच्छी लाइफ होती है। अब तो स्टूडेंट लाइफ खत्म हो गई है और बस सिर्फ यादें ही यादें हैं। Hot Aunty Fuck XXX
हमारी स्टूडेंट जिंदगी में कई सुनहरे अवसर आए थे और आज मैं आपको एक ऐसे ही सुनहरे अवसर की कहानी बताने जा रहा हूँ। उन दिनों मैं कॉलेज में पढ़ता था और मेरी उम्र करीब 19 साल की थी। मेरे 19 साल के दौरान मैं कई बार सेक्स का आनंद ले चुका था, लेकिन फिर भी मैं खुद को चुदाई में एक्सपर्ट नहीं कह सकता था।
हमारे पड़ोस में एक परिवार रहता था। उस परिवार में चार सदस्य थे—माँ, बाप और उनकी दो लड़कियाँ। दोनों लड़कियाँ बहुत ही सुंदर थीं और मुझे दोनों बहुत ही सेक्सी लगती थीं। उन दोनों लड़कियों में से एक की उम्र करीब मेरे बराबर थी और वह मेरे क्लास में ही पढ़ती थी, और छोटी वाली की उम्र करीब 13 थी और वह 9वीं क्लास में पढ़ती थी।
बड़ी बहन का नाम लावण्या था और छोटी बहन का नाम अर्पिता था। दोनों बहनें अपनी माँ की तरह सुंदर और सुगठित थीं। उन दिनों मैं पढ़ाई में थोड़ा ढीला था, और पड़ोस की महिला बहुत ही सुंदर, स्मार्ट और पढ़ी-लिखी थी। मैं अक्सर अपने पड़ोसी के घर जाकर अपनी पढ़ाई किया करता था।
मुझे पड़ोस की आंटी बहुत प्यार से पढ़ाया करती थीं और कभी भी मुझे समझाने में बुरा नहीं मानती थीं। जनवरी का महीना आ चुका था और हमारे एग्जामिनेशन के लिए अब सिर्फ तीन-चार महीने बचे थे। मैंने अपने एग्जामिनेशन के लिए तयारी शुरू कर दी थी।
मेरे पड़ोस की आंटी मेरे पढ़ाई के लगन से बहुत खुश थीं और मुझे मन लगाकर पढ़ाती थीं। लावण्या मेरे क्लास में ही पढ़ती थी और इसलिए आंटी हम दोनों को एक रोज करीब 3-4 घंटे साथ-साथ पढ़ाती थीं। कभी-कभी अर्पिता भी हमारे साथ-साथ पढ़ने बैठती थी।
आंटी बहुत ही अच्छी थीं और अपनी बेटी के साथ-साथ मुझे भी बहुत मन लगाकर पढ़ाती थीं और मुझे अपने घर का सदस्य मानती थीं। मेरे अंदर अपनी आंटी या उनकी बेटी के प्रति कोई सेक्स की भावना नहीं थी। मैं उनके घर का ही एक सदस्य था। उनका घर कोई बहुत बड़ा नहीं था, सिर्फ एक कमरा, किचन और एक हॉल था।
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अक्सर हम लोग बेडरूम में पलंग पर बैठकर पढ़ाई किया करते थे। आंटी हमेशा मुझे अपने पास ही बिठाती थीं और मैं हमेशा आंटी से सवाल किया करता था, क्योंकि मैं पढ़ाई में कुछ ढीला था। लावण्या और अर्पिता मुझे इस बात को लेकर अक्सर चिढ़ाते थे लेकिन मैं जब भी कुछ मदद माँगता, दोनों बहनें कभी ना नहीं करती थीं।
जैसे कि हम लोग साथ-साथ पलंग पर पैर मोड़कर बैठकर एक-दूसरे के बगल में पढ़ते थे, मैं जब भी कुछ पूछता तो आंटी झट किताब उठाकर अपनी गोद में ले लेती थीं और मुझे समझाती थीं। आंटी जब भी किताब अपनी गोद में लेती थीं, मेरा हाथ भी साथ-साथ आंटी की गोद में चला जाता था और मेरे हाथ उनकी जाँघों के अंदर से चूत के पास छू जाता था।
मुझे अपने हाथ में आंटी की चूत की गर्मी महसूस हो जाती थी। आप विश्वास करो या न करो, आंटी की चूत से बहुत गर्मी निकलती थी और वो गर्मी मुझे किसी रूम हीटर से ज्यादा महसूस होती थी। आंटी बहुत ही गोरी थीं और हमेशा घर में वो स्लीवलेस कमीज़ और सलवार बिना दुपट्टे के पहनती थीं।
आंटी के चूंची का साइज़ अच्छा था और बहुत गोल-गोल थे, लेकिन थोड़ा सा लटका हुआ था, शायद अंकल ने कुछ ज्यादा ही आंटी के चूंचियों से खेला था। पढ़ते वक्त कभी-कभी मेरा हाथ या कोहनी आंटी के चूंची से छू जाती थी। उनकी चूंची बहुत ही मुलायम थी और मेरे हाथ या कोहनी छूने से आंटी कभी भी बुरा नहीं मानती थीं, बस थोड़ा सा मुस्कुरा देती थीं।
मैं भी इन बातों का ज्यादा ध्यान नहीं देता था क्योंकि मेरे मन में तब कोई पाप नहीं था और मैं सोचता था शायद आंटी भी कुछ नहीं मानती। कभी-कभी आंटी पीछे से झुककर देखती थीं कि मैं कौन सा सवाल लगा रहा हूँ और उस वक्त उनकी चूंची मेरे कंधों पर चुभती थी।
आंटी कभी-कभी मेरे पीछे झुककर देखती थीं कि मैं क्या कर रहा हूँ और उस समय उनकी चूंची मेरे कंधों पर गट्टा था। आंटी की इन सारी हरकतों को उनकी बेटियाँ भी देखती थीं और मुस्कुरा-मुस्कुराकर हँसती थीं। मेरे मन में फिर भी कोई पाप नहीं था।
अक्सर मैं उनके घर पर रात को पढ़ते-पढ़ते रुक जाया करता था। उन दिनों हम सभी साथ-साथ सो जाते थे और मैं अपने अंकल के पास सोता था। ऐसे ही एक वक्त में जब अंकल कोई काम से बाहर गए हुए थे तो आंटी मेरे बगल में लेट गईं। रात को सोते वक्त उनका चेहरा मेरी तरफ था और मैं उनकी तरफ।
मैंने देखा कि आंटी के गाउन के ऊपर के दोनों बटन खुले हैं और मुझे उनकी दोनों चूंचियों के बीच की नाली साफ-साफ दिख रही थी। आंटी उस समय काले रंग की ब्रा पहने हुए थीं और उनके बीच उनकी गोरी-गोरी चूंचियाँ चमक रही थीं। मैं आँख बंद करके सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन मेरी आँखों से नींद कोसों दूर थी।
मैं फिर जब अपनी आँख खोली तो देखा कि आंटी मेरे और पास आ गई हैं और उनके गाउन का एक बटन और खुला हुआ है। आंटी मेरे इतने पास आ गई थीं कि मेरी गर्म-गर्म साँस उनकी चूंची पर गिर रही थी। ये सब देखकर मैं गर्म हो गया और सोचा कि क्यों न कुछ मज़े लिया जाए।
मैंने अपना सिर तकिए से थोड़ा नीचे किया और अब मेरा मुँह आंटी के बड़े-बड़े चूंचियों के ठीक सामने था। मेरा नाक आंटी के दो चूंचियों के बीच वाली खाई के सामने था। मैंने अपनी जीभ से आंटी की एक चूंची को हल्के से चाटा, लेकिन आंटी चुपचाप थीं।
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थोड़ी देर के बाद मुझे आंटी के बगल में सो रही उनकी एक लड़की को नींद में करवट बदलते देखा और सिर उठाकर देखा कि वो लड़की आंटी से और सटकर सो रही है। मुझे कुछ अचंभा-सा हुआ और मैं उल्टे तरफ मुँह घुमाकर आंटी की तरफ पीठ करके सो गया।
मैंने अपने पीछे फिर से किसी को करवट बदलने की आवाज़ सुनी, लेकिन हिम्मत करके घूमकर नहीं देखा। थोड़ी देर के बाद आंटी की नाक बजने लगी। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना चेहरा फिर से आंटी की तरफ घुमाया और मुझे बहुत करारा झटका लगा। हमने पहले जो आवाज़ सुनी थी वो आंटी की थी।
मेरे पीछे आंटी बिस्तर से उठकर बैठकर फिर से सो गई थीं। आंटी ने अब अपनी ब्रा उतार दी थी और उनकी नाइटी के ऊपरवाले दो बटन खुले हुए थे। मुझे उनके खुले बटनों के बीच से आंटी की गोल-गोल चूंची दिख रही थी और मुझे लगा कि वो सुंदर-सुंदर चूंची मुझे बुला रही है।
मुझे लगा कि आंटी अब मुझे कुछ इशारा कर रही हैं और हो सकता है कि आंटी को अब वही चाहिए जो मुझे चाहिए। मैं धीरे से आंटी की नाइटी का तीसरा और चौथा बटन भी खोल दिया और उनकी नाइटी को उनकी चूंची पर से हटा दिया। नाइटी हटाते ही आंटी की दूधिया चूंची एकदम से बाहर निकल पड़ी।
अब मैं उनकी चूंची को खूब तबियत से देखा। उनकी चूंची के निप्पल इस समय बिल्कुल तने हुए थे। निप्पल के चारों तरफ उनका औरोला दिख रहा था, जो कि बिल्कुल गुलाबी रंग का था। मैं धीरे से उनके पास सरक गया और अपनी जीभ से आंटी के सिर्फ औरोला के चारों तरफ चाटने लगा, लेकिन उनकी चूंची को मुँह में नहीं लिया।
मैंने करीब पांच मिनट तक आंटी के चूंची के औरोला को चाटा और हाथ से उनकी दूसरी चूंची को सहलाना शुरू किया। मैं आंटी की दूसरी चूंची के औरोला के चारों तरफ भी अपनी उंगली चला रहा था। आंटी मेरी तरह और थोड़ा सा खिसक गईं और मेरे मुँह के सामने अपनी दूसरी चूंची कर दी।
अब मैं आंटी की बायीं चूंची पर अपनी जीभ चला रहा था और दायीं चूंची को अपने हाथों से सहला रहा था। चूंची चाटते करीब पंद्रह मिनट तक चला और फिर उसके बाद मैं बारी-बारी से आंटी की दोनों चूंची अपने मुँह में भरकर चूसना शुरू कर दिया।
अब मेरी आँखों से नींद रफूचक्कर हो गई थी और मेरा लंड मेरे शॉर्ट्स के अंदर बिल्कुल तन गया था और बाहर आने के लिए जोर लगा रहा था। मैं अपने हाथ और मुँह से आंटी की चूंचियों से खेल रहा था और मैं धीरे से अपना पैर आंटी के चादर के अंदर कर दिया और पैरों से आंटी की नाइटी को धीरे-धीरे उठाने लगा।
जैसे-जैसे मैं अपने पैरों से आंटी की नाइटी को ऊपर उठा रहा था, मुझे अपने पैरों से आंटी का जिस्म छूता रहा। धीरे-धीरे मैंने आंटी के घुटने तक उनकी नाइटी को उठा दिया। अब मैं अपना हाथ नीचे करके आंटी के पैरों को छुआ और सहलाने लगा। आंटी के पैर बहुत मुलायम और चिकने थे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
घुटने से मैं अपने हाथों को धीरे-धीरे ऊपर करने लगा। आंटी की जाँघें बहुत चिकनी और मजबूत थीं। जैसे-जैसे मेरा हाथ ऊपर जा रहा था, मुझे आंटी की चूत की गर्मी का एहसास होने लगा, लेकिन मैं फिर भी उनकी चूत पर अपना हाथ नहीं ले गया। मैंने अपना हाथ और थोड़ा ऊपर ले गया और हाथों से आंटी की झाँटों के बाल का स्पर्श हो गया।
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मैं समझ गया कि अब मैं आंटी की चूत के बहुत ही करीब हूँ। मैं धीरे से अपना हाथ और थोड़ा ऊपर ले गया और मेरे हाथों से आंटी की पूरी झाँटों भरी चूत का स्पर्श हुआ। मैं आंटी की झाँटों को थोड़ी देर तक सहलाने के बाद उनकी चूत की छेद को ढूँढना शुरू किया। मुझे आंटी की चूत पर ढेर सारा चिपचिपा रस लगा मिला।
अब आंटी मेरे और पास खिसक आईं और अपने एक पैर को मेरे पैरों के ऊपर कर लिया जिससे कि मैं उनकी चूत से ठीक तरह से खेल सकूँ। मैं धीरे से अपनी एक उंगली आंटी की चूत के छेद में घुसेर दी और उस समय उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरी उंगली बड़ी आसानी से चूत के अंदर घुस गई।
मैं धीरे-धीरे अपनी उंगली अंदर-बाहर करने लगा। मैं अब अपनी दूसरी उंगली आंटी की चूत के अंदर घुसेर दी और मुझे लगा कि अब भी आंटी की चूत में जगह है और इसलिए मैंने अपनी तीसरी उंगली भी चूत में डाल दी। अब मैं अपनी तीनों उंगलियों से आंटी की चूत चोदना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर के बाद मेरी उंगली और हाथ चूत के पानी से भीग गया। मैं अपने दूसरे हाथ से आंटी की चूंचियों से खेल रहा था और अपने मुँह से उन्हें चूस रहा था। करीब आधे घंटे तक मैं अपनी उंगलियों से आंटी की चूत को चोदता रहा और फिर मैं थक गया और अपनी उंगलियों को चूत के अंदर डालकर थोड़ा सा सुस्ताने लगा लेकिन पता नहीं कब मेरी आँख लग गई और मैं सो गया।
जब सुबह मेरी आँख खुली तो सुबह के छह बजे थे और आंटी मेरे बगल में नहीं थीं। मेरे बगल में अब लावण्या सो रही थी। मैं आज पहली बार लावण्या को गौर से देखा तो पाया कि लावण्या बहुत ही सुंदर और सेक्सी लड़की है। मैंने अपने हाथों को सूँघा और उसमें से आंटी की चूत की खुशबू आ रही थी।
तब मैंने अपनी उंगलियों को चाटा, वाह, आंटी की चूत का स्वाद भी मीठा है। मैंने अपनी नज़र घुमाकर अर्पिता और आंटी को ढूँढा लेकिन वो दिखलाई नहीं दीं। फिर मुझे बाथरूम से कुछ आवाज़ सुनाई दी और मैं समझ गया कि आंटी और अर्पिता बाथरूम में हैं। मैं लावण्या के पास खिसक गया और उसके होंठों पर हल्का चुम्मा दिया।
लेकिन लावण्या सो रही थी और इसलिए उसके तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। मैं फिर अपना हाथ धीरे से लावण्या के जवान चूंची पर रखा और हल्के से दबाया। तभी मैंने अर्पिता को बाथरूम से निकलते देखा और फौरन लावण्या के पास से हट गया। मुझे आज अर्पिता भी खूबसूरत लग रही थी।
मैंने अर्पिता से आंटी के बारे में पूछा तो अर्पिता ने बताया कि आंटी दूध लेने गई हैं। मैंने अर्पिता से बाय किया और अपने घर वापस चला गया। मैं अपने कॉलेज से करीब 12 बजे दोपहर तक वापस आ गया और सीधे आंटी के घर पढ़ने चला आया। घर में लावण्या और अर्पिता नहीं थीं और उनकी नौकरानी घर की सफाई कर रही थी।
जैसे ही आंटी की नौकरानी ने मुझे देखा, वो बोली, “घर में लड़कियाँ नहीं हैं, दोनों स्कूल गई हैं और मालकिन अपने कमरे में सो रही हैं।” मैंने कहा, “ठीक है,” और बेडरूम में झाँककर देखा। बेडरूम में आंटी अपने बिस्तर पर गहरी नींद में सो रही थीं और उनकी नाक हल्के-हल्के बज रही थी।
आंटी भी कल मेरे साथ-साथ नहीं सोई थीं। मैं भी कल रात नहीं सोया था और मुझे भी थकान लग रही थी और मैं सोच रहा था कि अब मुझे अपने घर वापस जाना पड़ेगा। मैं जब घर जाने के लिए मुड़ा तो नौकरानी बोली कि उसका काम खत्म हो गया है लेकिन मालकिन सो रही हैं, अब मैं क्या करूँ। क्या मैं मालकिन के जागने तक इंतज़ार करूँ?
मैंने तब नौकरानी से कहा, “ठीक है, तुम जाओ और मैं आंटी को जागने के बाद बता दूँगा।” नौकरानी चली गई और मैंने बाहर का दरवाज़ा बंद कर दिया। नौकरानी मेरे कहने से चली गई। अब घर में सिर्फ मैं और आंटी थे और आंटी सो रही थीं। मैं आंटी के पास गया और उनके पास बैठ गया।
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मैं आंटी को जगाना नहीं चाहता था। मैं धीरे से आंटी के पैर की एड़ी छुआ। लेकिन आंटी बेखबर सो रही थीं। मैं तब धीरे से आंटी के पैरों को थोड़ा सा फैला दिया और घुटने से मोड़ दिया जिससे कि उनके पैर अब खड़े रह गए। आंटी की नाइटी अब झूल रही थी। मैं नाइटी को धीरे-धीरे ऊपर करने शुरू कर दिया। मैं बहुत घबरा रहा था लेकिन गर्म भी हो गया था।
मैंने नाइटी को थोड़ा सा ऊपर किया और मुझे आंटी की जाँघें दिखलाई दीं। आंटी की जाँघें बिल्कुल दूधिया रंग की थीं और बहुत चिकनी थीं। मैंने थोड़ा सा और नाइटी को ऊपर किया और मुझे आंटी की बाल साफ चूत दिख गया। आंटी की चूत देखकर लगा कि आंटी ने आज सुबह ही अपनी झाँटों को साफ किया है।
चूत के चारों तरफ का रंग हल्का भूरा था लेकिन चूत के पत्तियों का रंग बिल्कुल गुलाबी था। आंटी इस समय कोई पैंटी नहीं पहने थीं। मैं अब नाइटी को और थोड़ा सा सरका दिया और नाइटी आंटी के पेट पर गिर गया। मैं अब आंटी के सफेद पेट, हल्का भूरा रंग की चूत और चूत के गुलाबी पत्तियों को साफ-साफ देख रहा था।
मैंने आंटी के पैरों को और थोड़ा सा फैला दिया और अपना मुँह आंटी की चूत के और पास ले गया। मैंने चूत को ऊपर से सूँघा। मुझे चूत की खुशबू बहुत अच्छी लगी। आंटी की चूत से भाप जैसी गर्मी निकल रही थी। इस समय मेरा चेहरा चूत से करीब 1 इंच की दूरी पर था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने अपनी जीभ निकालकर आंटी की चूत के गुलाबी पत्तियों को हल्के से चाटा। आंटी तब भी सो रही थीं। मैं थोड़ा और आगे बढ़ा और चूत की दरार को हल्के से चाटा। मैंने चूत की दरार को करीब 5-6 बार चाटा और एकाएक आंटी ने अपने पैरों को और फैला दिया और अब मुझे आंटी की चूत चाटने और चूसने का रास्ता बिल्कुल साफ था।
मैंने चूत की दरार पांच मिनट से भी ज्यादा देर तक चाटा और आंटी की चूत से घड़ा-घड़ा रस निकलने लगा। चूत से निकलने वाला रस बहुत ही चिपचिपा था और कुछ नमकीन और कुछ मीठा था। चूत के रस का स्वाद इतना अच्छा था कि मैं आंटी की चूत को जोर-जोर से चाटना शुरू कर दिया।
आंटी ने अपने पैरों को और फैला दिया। मुझे अच्छी तरह मालूम चल गया कि आंटी जाग गई हैं और अब सोने का बहाना बना रही हैं, और मैं तब बिस्तर पर से एक तकिया उठाकर आंटी के चूतड़ के नीचे डालना चाहा। आंटी ने अपनी आँखें बंद रखते हुए अपने चूतड़ों को ऊपर उठा और मैंने तकिया आंटी के चूतड़ों के नीचे रख दिया।
अब आंटी की चूत काफी ऊपर उठ गया था और मुझे चूत चाटने में आसानी हो रही थी। अब मैं अपने हाथों के बल लेटकर आंटी की चूत के गुलाबी पत्तियों को फैला दिया और चूत के जितना अंदर जीभ जा सकता है उतना जीभ घुसेर कर चूत को जोर-जोर से चाटना शुरू किया।
आंटी अब भी सोने का बहाना बनाकर अपनी आँखों को बंद रखी थीं और मुझे ये अच्छा लगा। मुझे पता नहीं कि मैं कब तक आंटी की चूत को चाटा लेकिन मैं चूत चाटने में बोर नहीं हुआ और आंटी की चूत से हर वक्त रस निकलता रहा और मैं वो रस चाट-चाटकर पीता रहा और आंटी भी मज़े से अपनी कमर उठा-उठाकर अपनी चूत मुझसे चटवाती रही।
मैं जब घड़ी देखा तो उस समय 2:30 बज रहे थे और इसका मतलब कि मैं करीब एक घंटे से आंटी की चूत चाट रहा था। अब मेरा मुँह और जीभ दर्द कर रहा था। मैं अब उठकर बैठ गया और आंटी की चूत में अपनी उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगा। मैं आंटी के पैरों के पास बैठा था और उनके चेहरे को गौर से देख रहा था।
उनके चेहरे पर हर पल भाव बदल रहे थे लेकिन आंटी अभी भी अपनी आँखों को बंद करके लेटी हुई थीं। थोड़ी देर के बाद मैंने घड़ी देखा तो 2:45 बज रहे थे और मुझे मालूम था कि अब लावण्या और अर्पिता के आने का समय हो गया है। इसलिए मैं आंटी के कमरे से उठकर बाहर वाले कमरे में जाकर बैठ गया।
कमरे के बाहर जाने के पहले मैंने आंटी के कपड़े ठीक-ठाक कर दिए। मैं बाहर वाले कमरे में बैठकर लावण्या और अर्पिता के आने का इंतज़ार करने लगा क्योंकि घर पर कोई नहीं है और आंटी कमरे में सो रही हैं। थोड़ी देर के बाद बाहर का दरवाज़ा पर घंटी बजी और मैं उठकर दरवाज़ा खोल दिया।
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बाहर अर्पिता खड़ी थी। अर्पिता अंदर आ गई, मैंने अर्पिता से कहा कि आंटी सो रही हैं और घर की नौकरानी अपना काम खत्म करके अपने घर चली गई है। घर में कोई नहीं था इसलिए मुझे रुकना पड़ा। फिर मैंने लावण्या के बारे में पूछा तो अर्पिता बोली, “क्या वो घर पर नहीं है? उसे तो बहुत पहले घर पर आ जाना चाहिए था क्योंकि वो तो हाफ डे बाद ही घर चली आई थी।”
मैं कुछ नहीं कहा और चुपचाप अपने घर के लिए रवाना हो गया। मेरा मुँह और जीभ अब बहुत दर्द कर रहा था। मैं घर जाकर आंटी के नाम लेकर मुठ मारा और ढेर सारा पानी अपने लंड से निकालकर मैं अपने बिस्तर पर सो गया। शाम के करीब सात बजे मैं अपना किताब-कॉपी लेकर आंटी के घर गया।
वहाँ अर्पिता और लावण्या पहले से अपनी-अपनी पढ़ाई में जुटे हुए थे और मैं भी जाकर उनके पास बैठकर पढ़ने लगा। अर्पिता मुझे देखकर मुस्कुराई और फिर से पढ़ने लगी। लावण्या मेरी तरफ देखकर एक शरारत भरी मुस्कान दी और मेरी तरफ तिरछी नज़रों से देखने लगी।
मुझे कुछ समझ में नहीं आया और मैं उसकी तरफ देखकर सिर्फ मुस्कुरा दिया और अपनी पढ़ाई करने लगा। थोड़ी देर बाद आंटी कमरे में चार गिलास जूस लेकर आईं और हम लोगों ने एक-एक गिलास जूस पिया। मैं बिना झिझक के आंटी की तरफ देख रहा था और सोच रहा था कि आंटी आज दोपहर के कार्यक्रम के बाद मुझे देखेंगी या मुस्कुराएँगी।
लेकिन आंटी के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। आंटी ऐसे बर्ताव कर रही थीं जैसे आज दोपहर में कुछ भी नहीं हुआ है। मुझे आंटी का बर्ताव बहुत बुरा लगा और मुझे कुछ-कुछ गुस्सा भी आया। मेरा गुस्सा मेरे चेहरे से भी झलक रहा था लेकिन आज आंटी मेरे पास नहीं बैठीं और जाकर अर्पिता के बगल में बैठकर अर्पिता को पढ़ाने लगीं।
मुझे बहुत परेशानी हो रही थी और मैं सब का चेहरा देखने लगा। आंटी और अर्पिता का चेहरा बिल्कुल सपाट था लेकिन लावण्या के चेहरे से शरारत झलक रही थी और वो मंद-मंद मुस्कुरा रही थी। थोड़ी देर के बाद आंटी कमरे से चली गईं। पढ़ाई करते वक्त, लावण्या मुझसे सवाल कर रही थी कि आज दिन भर मैंने क्या-क्या किया।
मैं कुछ साफ-साफ जवाब नहीं दे पाया और उठकर कमरे से बाहर चला गया। लावण्या ने मुझसे कहा कि कोई बात नहीं और फिर उसने अपने दिन के बारे में बताया। लावण्या ने मुझसे कहा कि आज उसकी तबीयत कुछ भारी-भारी सी थी तो उसने 2:00 बजे दोपहर को घर वापस आ गई थी।
लावण्या की बात सुनकर मेरा चेहरा लाल हो गया और मुझे कुछ नहीं सूझाई दे रहा था। लावण्या फिर बोली कि वह घर पर 2:30 बजे तक थी और फिर वो कुछ सामान खरीदने बाज़ार चली गई थी। मेरे दिमाग में अब ये बात घूम रही थी कि लावण्या को मालूम है कि मैं घर पर दोपहर में था और मैंने क्या-क्या किया। है भगवान, आंटी इस समय कमरे में नहीं हैं नहीं तो आंटी को पता चल जाता कि उनकी लड़की ने हमारे दोपहर के कार्यक्रम के बारे में सब कुछ पता है।
लावण्या हमसे दिन भर की बातें कर रही थी और धीरे-धीरे मुस्कुरा रही थी, अपने होंठ दाँतों से दबा रही थी और अपनी चूत को स्कर्ट के ऊपर से सहला रही थी। मुझे कुछ सूझाई नहीं दे रहा था और मैं बार-बार कोशिश कर रहा था कि लावण्या अपनी बातों को बंद करे और हम अपनी-अपनी पढ़ाई करें, लेकिन लावण्या बोले जा रही थी।
अर्पिता को हम लोगों की बातें कुछ समझ में नहीं आ रही थी और वो चुपचाप अपनी पढ़ाई कर रही थी। थोड़ी देर में आंटी कमरे में आईं और तब लावण्या ने एकाएक अपनी बातों का टॉपिक बदल दिया और हमसे पढ़ाई की बातें करने लगी। आंटी ने हमें और लावण्या को डाँटा और बोली, “बातें बंद करके अपनी-अपनी पढ़ाई करो।”
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करीब 9:30 बजे को मैं अपनी कॉपी-किताब उठाकर अपने घर के लिए चलने लगा। आंटी ने तब हमें बताया कि आज रात को भी हमारे घर पर आ जाना, तब और ज्यादा पढ़ाई कर सकते हो और तुम्हारे अंकल भी घर पर नहीं हैं। मैंने सिर हिलाकर हाँ कहा और कनखियों से लावण्या को देखने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
लावण्या दबी ज़बान से मुस्कुरा रही थी और मुझे देख रही थी। मैं करीब 10:15 बजे रात फिर से अपने घर से आंटी के घर पर वापस आ गया और फिर से हम तीनों अपनी-अपनी पढ़ाई करने लगे। रात के 12:00 बजे हम सभी ने अपनी-अपनी पढ़ाई बंद करके सोने के बिस्तर पर चले गए।
आज फिर से आंटी मेरे बगल में लेट गईं और लावण्या और अर्पिता आंटी के बगल में लेट गईं। लावण्या ठीक आंटी के बगल में लेटी थी और अर्पिता लेटी थी लावण्या के बगल में। सोने के 15 मिनट के बाद आंटी की नाक बजने लगी और मुझे लगा कि आंटी मुझे बताना चाहती हैं कि अब सो रही हैं या सोने का बहाना कर रही हैं।
मैं उठकर बैठ गया और अंधेरे में देखने लगा कि लावण्या और अर्पिता सो गईं या नहीं। दोनों लड़कियाँ सो रही थीं लेकिन मुझे लावण्या के बारे में चिंता थी कि वो भी सोने का नाटक कर रही है। मैं बैठे-बैठे ही अपना एक हाथ आंटी की नाइटी के अंदर डाल दिया और नाइटी को ऊपर उठाने लगा।
मैं धीरे-धीरे आंटी की जाँघों को सहलाने लगा और अपना हाथ धीरे-धीरे ऊपर ले जाने लगा। आंटी बहुत हिल रही थीं और अपनी कमर उठा रही थीं और उनके मुँह से तरह-तरह की आवाज़ भी निकल रही थी। मैंने आंटी के पैरों को थोड़ा सा और फैला दिया और उनकी चूत में अपनी एक उंगली घुसेर दी।
आंटी की चूत अब बहुत गीली हो गई थी और उसमें से चिपचिपा रस निकल रहा था। मैंने उनकी चूत में अब दूसरी और फिर तीसरी उंगली भी डाल दी और अपना हाथ हिला-हिलाकर उनकी चूत को अपनी उंगलियों से चोदने लगा। आंटी बहुत हिल रही थीं और अपनी कमर ऐसे उठा रही थीं जैसे मैं सचमुच उन्हें चोद रहा हूँ।
मैं इस समय आंटी के पैरों के बीच बैठा था और उनकी चूत में अपनी उंगली अंदर-बाहर कर रहा था। एकाएक कोई दूसरा पैर मेरे पैरों से टकराने लगा। मैं घूमकर देखा तो वो पैर लावण्या का था। लावण्या अपनी जगह पर चित लेटी थी और उसके हाथ उसकी चूंचियों पर था जिनको वो कसकर दबा रही थी।
मैं लावण्या को देखते ही समझ गया कि लावण्या अभी सोई नहीं है और सिर्फ सोने का बहाना बना रही है और मेरे और आंटी के सारे कार्यक्रम देख रही है और मज़े ले रही है। मैं आंटी की चूत को अपने दाहिने हाथ की उंगली से चोद रहा था और मैंने अपने बाएँ हाथ को लावण्या की तरफ बढ़ाया और लावण्या के पैर को छुआ, लेकिन लावण्या सोती रही।
मैंने लावण्या की नाइटी को थोड़ा ऊपर उठाया और उसकी जाँघों को भी सहलाने लगा। मुझे मेरे तकदीर पर विश्वास नहीं हो रहा था, मैं एक साथ आंटी और उनकी बेटी के सेक्सी शरीर के साथ खेल रहा हूँ और दोनों माँ-बेटी भी तैयार हैं। मैंने अपने बैठने का पोजीशन को थोड़ा बदला और मैं अब दोनों माँ और बेटी के बीच बैठ गया।
अब मैंने अपना एक हाथ आंटी की चूत पर से हटाकर आंटी की चूंचियों पर ले गया। जैसा कि मैंने सोचा था, आंटी ने अपनी नाइटी के नीचे कोई ब्रा नहीं पहनी थी। मैंने आंटी की नाइटी के सारे बटन खोल दिए और बटन खुलते ही आंटी की दोनों गोल-गोल सुनहरी सुंदर चूंची मेरे सामने नंगी हो गई।
मैं आंटी की दोनों चूंची अपने हाथ से बारी-बारी दबाने लगा और उनके निप्पल को अपनी उंगलियों में दबाकर मरोड़ने लगा। मैं दूसरे हाथ से लावण्या की जाँघ को भी सहलाने लगा। धीरे-धीरे मैं अपना हाथ लावण्या की चूत के पास ले गया। लावण्या ने अपनी नाइटी के नीचे पैंटी पहन रखी थी।
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मैं धीरे से अपना हाथ लावण्या की पैंटी के बगल से अंदर किया और लावण्या की चूत को छुआ। लावण्या की चूत पर हल्के-हल्के रेशमी बाल थे और चूत से ढेर सारा पानी निकल रहा था। लावण्या की चूत अपनी माँ की चूत से ज्यादा गर्म थी। मैंने अपने एक हाथ से लावण्या की पैंटी उतारने चाही और मेरा मतलब समझकर लावण्या ने अपनी कमर उठाकर मुझे मदद करने लगी।
मैंने तब लावण्या की पैंटी उतार दी और अब दोनों माँ और बेटी अपनी-अपनी कमर के नीचे से नंगी थीं और दोनों की चूत से रस निकल रहा था। मैं सोच रहा था कि मैं आंटी की चूंची और चूत पर अपना हाथ और लावण्या की चूंची और चूत पर लेकर उनसे खेलूँ लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि तब आंटी मेरा और लावण्या को पकड़ सकती हैं।
इसलिए मैं आंटी की चूंची को दबाते हुए मैं अपना मुँह लावण्या के चेहरे के पास ले गया और लावण्या के गाल और होंठ पर चुम्मा देने लगा। लावण्या भी मेरे चेहरे को अपने हाथों से पकड़कर चूमने लगी लेकिन अपनी माँ की तरह उसकी आँखें अभी तक बंद थीं। अब मेरा एक हाथ आंटी की चूत पर था और दूसरा हाथ लावण्या की चूत पर था।
मैंने लावण्या के होंठों को कई बार चूमा और अपने एक हाथ से लावण्या की चूंची को दबाने लगा। लावण्या ने अपनी नाइटी के नीचे ब्रा पहने हुए थी और इसलिए मुझे लावण्या की चूंची को नंगा करने में दिक्कत हो रही थी। मैं कोशिश कर रहा था कि मेरा हाथ ब्रा के अंदर घुस जाए लेकिन ब्रा टाइट थी और मेरा हाथ नहीं घुस रहा था।
लावण्या ने करवट लेकर मेरी तरफ अपनी पीठ कर दी और मैंने ब्रा की हुक को खोल दिया। अब लावण्या की चूंची नंगी हो गई और मैं एक हाथ से आंटी की चूंची और दूसरे हाथ से लावण्या की चूंची को दबा रहा था। मैं धीरे से लावण्या के और करीब खिसक गया और इशारा से लावण्या से कहा कि मुझे अब उसके पास से हटना पड़ेगा और बाद में वो जो भी चाहेगी कर दूँगा, क्योंकि अब मुझे आंटी के पास जाना पड़ेगा।
इतना इशारा करके मैं धीरे से आंटी के नज़दीक चला आया और अपने दोनों हाथों से आंटी की दोनों चूंचियों को मसलने लगा। अब मैं अपना सारा ध्यान आंटी पर देने लगा। आंटी अब भी अपनी आँख बंद करके सोने का नाटक कर रही थीं और उन्हें मेरे और लावण्या के बीच चल रहे कार्यकलाप का कोई अंदाज़ा नहीं था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने आंटी की नाइटी के सारे बटन खोल दिए और अब मेरे सामने आंटी करीब-करीब बिल्कुल नंगी थीं। सिर्फ उनके पेट के ऊपर उनकी नाइटी पड़ा हुआ था। मैं अब धीरे से आंटी की नाइटी को ऊपर करने शुरू कर दिया और आंटी थोड़ा झिझक कर अपनी चूतड़ उठा दी और मैंने उनकी नाइटी को उनके सिर से निकालकर बगल में रख दिया।
अब आंटी मेरे सामने बिल्कुल से नंगी थीं और मैं उनके भरे-भरे सुंदर और सेक्सी शरीर से खेल रहा था। आंटी की आँखें अब भी बंद थीं और सोने का बहाना बना रही थीं। मैंने आंटी के भरे-भरे सुंदर और सेक्सी शरीर को ऊपर से नीचे तक चाटना शुरू किया और एक हाथ से लावण्या को हल्का धक्का दिया और इशारा किया कि वो मेरे और उनकी माँ के क्रिया-कलाप को देखे।
लावण्या ने जैसे ही अपनी आँख को खोला तो वो सन्न रह गई क्योंकि उसकी माँ बिल्कुल नंगी थी। लावण्या को पता था मैं और आंटी क्या-क्या गुल खिलाते हैं लेकिन उसे इतना सब का अंदाज़ा नहीं था। लावण्या ने अब मेरी तरफ देखी और मुस्कुरा दी और फिर से अपना सिर तकिए पर रखकर सो गई, लेकिन अपनी आँख को खोले रखी।
अब मैं आंटी की चूत को चाट रहा था और उनकी चूत से रस लगातार निकल रहा था। उनकी चूत से इतना रस निकल रहा था कि उनकी जाँघें भीग रही थीं। मैं बहुत मन लगाकर आंटी की चूत को चाट रहा था और आंटी अपने पैरों को फैलाकर और अपनी चूतड़ को उठा-उठाकर अपनी चूत मुझसे चटवा रही थीं।
आंटी पहली बार अपने हाथों से मेरा सिर पकड़कर मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा रही थीं और अपनी कमर उठाकर अपनी चूत चटवा रही थीं। आंटी बहुत हिल रही थीं और बार-बार अपनी कमर उचका रही थीं। मैं समझ गया कि आंटी अब अपनी चूत का पानी निकालने वाली हैं।
मैं बहुत चाव से आंटी की चूत को चाट रहा था और चूस रहा था और थोड़ी देर के बाद आंटी झड़ गईं। मैंने आंटी की चूत से निकला हुआ सारा का सारा पानी चाट-चाटकर पी लिया और फिर अपना ब्रीफ धीरे से नीचे किया। ब्रीफ नीचे करते ही मेरा लंड उछलकर बाहर आ गया और अब वो आंटी की चूत में घुसकर आंटी की चुदाई करना चाह रहा था।
मैं थोड़ा आंटी के ऊपर झुक गया और अपना लौड़ा आंटी की चूत के बराबर ले आया। फिर मैं धीरे से अपना लौड़ा आंटी की चूत के छेद पर रखा और हल्का सा धक्का दिया और मेरा लंड आंटी की चूत में समा गया। मैं फिर से अपनी कमर हल्का सा उठाकर और अपना लंड थोड़ा सा निकालकर एक और धक्का मारा और मेरा पूरा का पूरा लंड आंटी की चूत में घुस गया।
अब मेरा लंड पूरा का पूरा आंटी की चूत में घुसा हुआ था और मेरी और आंटी की झाँटें एक-दूसरे में लिपट गई थीं। आंटी की चूत अंदर से बहुत गर्म थी और फड़फड़ा रही थी। आंटी अपनी चूत से मेरे लंड को चूस रही थीं। मैं अब आंटी को धीरे-धीरे धक्का मारकर चोदना शुरू किया।
जैसे मैं आंटी की चूत में अपना लंड अंदर-बाहर कर रहा था, आंटी की चूत पुच-पुच की आवाज़ निकालना शुरू हो गया। आंटी मुझे अपने आप से कसकर चिपका रखा था और अपनी आँखें अभी तक बंद कर रखी थीं, लेकिन अपने और अंगों से मुझे चुदाई में सहायता कर रही थीं।
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मैं अपने आप को धीरे से आंटी के शिकंजे से छुड़ाया और फिर से उन्हें चोदना शुरू किया। जैसे ही मैंने आंटी की चुदाई शुरू की उनकी चूत फिर से आवाज़ करने लगी। मैंने अपना सिर घुमाकर लावण्या को देखा, वो बड़े गौर से हमारी चुदाई देख रही थी और हँस रही थी।
मैं अब धीरे-धीरे अपनी चुदाई का स्पीड बढ़ाना शुरू किया और आंटी भी अपनी चूतड़ उठा-उठाकर मेरे हर धक्के का जवाब दे रही थीं। मैं आंटी को करीब 15 मिनट तक जोरदार धक्कों के साथ चोदता रहा और बीच-बीच में उनकी चूंची को मसलता रहा और चूसता रहा।
बाद में मैं झड़ गया और अपने लंड का फव्वारा से आंटी की चूत को भर दिया। आंटी मेरे झड़ने के साथ-साथ झड़ गईं और मुझे अपने आप से कसकर चिपका लिया। आंटी इतना कसकर मुझे जकड़ लिया था कि मेरी पीठ पर उनके नाखूनों का निशान बन गया था।
मैं झड़ने के बाद आंटी के ऊपर ही लेट गया और हाँफने लगा। और थोड़ी देर के बाद आंटी को फिर से चूमने लगा। आंटी भी मेरे चुम्बनों का जवाब चुम्बन से दे रही थीं। अब पहली बार आंटी ने अपनी आँखें खोलकर मुझे देखा और मुस्कुरा दी। आंटी की आँखों में चुदाई की तृप्ति का सुख झलक रहा था। आंटी मेरे चुदाई से बहुत ही तृप्त थीं।
आंटी ने मुझे फिर से चूमा और अपना सिर घुमाकर अपनी लड़कियों को देखा। दोनों लड़कियाँ गहरी नींद में सो रही थीं। अपनी लड़कियों को सोते देखकर आंटी फिर से मुस्कुरा दीं और मुझे चूमने लगीं। आंटी अब अपनी जगह पर उठकर बैठ गईं और मेरे लंड को अपने मुँह में भरकर चूसने लगीं और चाटने लगीं। चाट-चाटकर आंटी ने मेरे लंड को बिल्कुल साफ कर दिया।
लावण्या कनखियों से अपनी माँ को मेरे लंड चूसते देख रही थी। मैंने अपना हाथ लावण्या की तरफ बढ़ाया और उसकी चूंचियों को मसलना शुरू कर दिया। लावण्या ने मेरे हाथ को अपने हाथ से पकड़कर अपनी नाइटी के अंदर कर दिया। मैं समझ गया कि लावण्या अपनी चूत पर मेरे हाथ को चाहती है।
मैंने लावण्या की चूत को अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया। लावण्या की चूत बिल्कुल गीली थी और उसकी जाँघें भी भीग गई थीं। मैं लावण्या की चूत को भीगा देखकर समझ गया कि लावण्या अपनी माँ और मेरे चुदाई देख-देखकर गर्म हो गई है और वो भी चुदवाना चाहती है।
आंटी की लंड चुसाई से मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था और थोड़ी देर में वो फिर से अकड़कर खड़ा हो गया। अब आंटी अपनी जगह से उठ गईं और मुझे भी अपने साथ दूसरे कमरे में चलने को कहा। मैं भी उठकर आंटी के पीछे-पीछे दूसरे कमरे में गया।
दूसरे कमरे में जाकर आंटी और मैं एक सोफे पर बैठ गए। सोफे पर बैठने के बाद आंटी ने मुझे अपनी बाहों में भरकर चूमना शुरू कर दिया। मैं भी आंटी को चूमने लगा। आंटी ने मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेर दी और मैं उसे बड़े प्यार से चूसने लगा। हम लोगों की ये चुम्मा-चुम्मी कुछ देर तक चलता रहा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
फिर आंटी ने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़कर सहलाने लगीं और फिर उठकर उसे बड़े गौर से देखने लगीं। थोड़ी देर तक मेरे लंड को देखने के बाद आंटी मुझसे बोलीं कि तुम्हारा लंड बहुत ही प्यारा है और ये लंड तुम्हारी उम्र के हिसाब से ज्यादा बड़ा है। फिर आंटी मुझसे बोलीं कि अब मैं तुम्हारे लंड को अपनी चूत में डॉगी स्टाइल में लेना चाहती हूँ। तुम अब मेरी चूत में पीछे से लंड डालकर हचक-हचक कर चोदो।
इतना कहकर आंटी सोफे पर झुक गईं और उनकी चूत मेरे लिए पीछे से झाँकने लगी। मैं उठकर आंटी के पीछे चला गया और मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़कर उनकी चूत पर लगा दिया। जैसे ही मेरा लंड आंटी की चूत के छेद पर लगा, आंटी ने अपनी कमर हिला-हिलाकर मेरे लंड को अपनी चूत में भर लिया।
मैं भी तब आंटी की कमर पकड़कर आंटी को पीछे से चोदने लगा। चोदते-चोदते मैंने अपना हाथ और बढ़ाकर आंटी की चूंचियों को भी मसलना शुरू कर दिया। आंटी मेरे खुशी के बहुत जोर-जोर से बड़बड़ा रही थीं और अपनी कमर चला रही थीं। मैं आंटी को अबकी बार करीब 25 मिनट तक चोदा।
चोदते वक्त मैं अपने धक्कों की रफ्तार बार-बार बदल रहा था और कभी-कभी अपना लंड आंटी की चूत में जड़ तक घुसेर कर अपनी कमर घुमा-घुमाकर उनकी चूत को खोद रहा था। आंटी इस चुदाई के दौरान दो बार झड़ीं और हर बार उनकी चूत से धार सारा पानी निकल-निकलकर उनकी जाँघें और मेरी भी जाँघें भिगा रही थीं।
मैं आंटी को चोदते-चोदते थक गया था और ये बात आंटी से बताई। आंटी मेरी बात सुनकर बोलीं, “कोई बात नहीं, अब तुम ज़मीन पर लेट जाओ।” मैं जैसे ही आंटी की चूत से अपना लंड निकालकर ज़मीन पर लेटा तो आंटी मेरे ऊपर चढ़कर बैठ गईं और अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत से भिड़ा दिया।
लंड को चूत से भिड़ाने के बाद आंटी ने अपने चूतड़ों को उठाकर एक करारा झटका मारा और मेरा पूरा का पूरा लंड चूत में दाखिल हो गया। फिर क्या था, आंटी अपने चूतड़ उठा-उठाकर मुझे जोर-जोर से चोदने लगीं और मुझसे बोलीं कि मैं अपने हाथों से उनकी चूंचियों से खेलूँ।
मैं भी नीचे लेटे आंटी के धक्कों के साथ अपनी कमर उठा-उठाकर अपना लंड आंटी की चूत में पेल रहा था और अपने हाथों से आंटी की चूंचियों को मसल रहा था। आंटी मुझे बड़े जोरदार तरीके से चोद रही थीं और इस समय वो एक बहुत चुद्दकड़ दिख रही थीं। आंटी मुझे एक निपुण चुद्दकड़ औरत की तरह चोद रही थीं और मैं उनकी चुदाई के 5 मिनट के अंदर ही झड़ गया।
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मेरे लंड से पानी निकलते ही आंटी ने और 4-5 जोरदार धक्का मारा और फिर अपनी चूत की झाँटों को मेरे लंड की झाँटों से मलते हुए वो भी झड़ गईं। झड़ने के कुछ देर बाद आंटी ने मेरा चेहरा अपने हाथों में लेकर चूम लिया और बोलीं कि आज बहुत दिनों के बाद मेरी चूत ठीक तरीके से चूदी। फिर आंटी मुझसे बोलीं, “तुम भी बहुत अच्छा चोदते हो, मैं तुम्हारी चुदाई से खुश हूँ।” मैं आंटी की बातों को सुनकर खुश हो गया और उनकी चूंची पर हाथ फेरने लगा।
आंटी ने फिर मुझे इतनी अच्छी चुदाई के लिए धन्यवाद दिया और बोलीं, “हो सकता है मैं तुम्हें इसके बाद भी कभी-कभी तंग करूँगी और तुमसे अपनी चूत चुदवाऊँगी।” मैं भी आंटी को चूमते हुए बोला, “आप जब भी चाहेंगी, मेरा लंड आपकी चूत की सेवा के लिए हाज़िर रहेगा और मुझे भी आपकी चूत चोदने में बहुत मज़ा मिला।” हम लोग अपनी-अपनी बात सुनकर थोड़ी देर तक हँसे और फिर चुपचाप दूसरे कमरे से निकलकर अपने-अपने बिस्तर पर लेटकर सो गए और बाकी रात भर सोते रहे।
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