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मेरा नाम विवेक मल्होत्रा है और मेरा ट्रेवल एजेंसी का बिज़नेस है, वैसे तो मेरा बिज़नेस बहुत बड़ा नहीं है कुल 4 लोग जॉब करते हैं लेकिन इस काम में व्यस्तता बहुत रहती है, मैं अक्सर अपने काम में इतना खो जाता हूँ कि मुझे समय का ध्यान ही नहीं रहता और 10 बजे के बाद मुझे काम करना बहुत पसंद नहीं. Young Girl Viral Video
इसलिए मैंने अपने मोबाइल पर अलार्म लगा रखा है, दरअसल ऐसा मैंने अपनी पत्नी गौरी के कहने पर किया है. जब मेरी नयी नयी शादी हुई थी, तब मेरे पास रहने के लिए अपना घर भी नहीं था, उन दिनों हम लोग किराए के मकान में रहते थे, जिसकी वजह से मेरी कमाई का एक बड़ा भाग किराया देने में चला जाता था, परिणाम स्वरूप मैं गौरी के लिए ज़्यादा कुछ नहीं कर पाता था.
मुझे इस बात का हमेशा अफ़सोस रहता था. फिर मैंने एक दिन अपनी नौकरी छोड़ दी और ट्रेवल एजेंसी का काम शुरू कर दिया, तकदीर ने मेरा साथ दिया और मैं कामयाब होता चला गया। चंद सालों बाद हमारे पास अपना घर और अपनी गाड़ी दोनों हो गयी, मैं खुश था सब कुछ ठीक चल रहा था।
बस जैसे जैसे मेरी कमाई बढ़ती गयी, मैं अपनी बीवी और बेटे से दूर होता चला गया, मैं रोज़ देर से आने लगा। एक दिन गौरी ने मुझे समझया और उसके कहे मुताबिक मैंने कुछ स्टाफ बढ़ा दिया और घर जल्दी आने की कोशिश करने लगा, इस बात पर कई बार मेरा और गौरी का झगड़ा भी हो जाता था.
फिर एक दिन उसी ने मेरे मोबाइल में ये डेली अलार्म सेट कर दिया, तब से आज तक मैं अपने नियमित समय पर ऑफिस से निकल जाता हूं, हालाँकि अब घर पर मेरा इंतज़ार करने वाला कोई नहीं है, गौरी की 5 साल पहले एक हादसे में जान चली गयी, तब मेरी उम्र 37 थी और मेरा बेटा रोहन किशोरावस्था में था।
गौरी की मौत के बाद मैंने दोबारा शादी ना करने का निर्णय किया, कुछ दिनों तक मैंने रोहन को किसी तरह की कमी नहीं होने दी लेकिन जैसे जैसे वक़्त गुज़रता गया गौरी की याद धुँधली होती चली गयी, उसके बाद मुझे औरत की कमी महसूस होने लगी.
मैंने अपने एक दोस्त को अपनी समस्या बताई तो उसने कहा- तुम्हें इस आयु में शादी करने की ज़रूरत ही क्या है… रोहन अब इतना बड़ा हो चुका है कि वो अब माँ के बगैर भी रह सकता है। बात तेरी… तो तुम बाहर से काम चला सकते हो!
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“बाहर से मतलब?” मैंने उससे पूछा।
“अबे गधे… मैं एस्कॉर्ट यानि कालगर्ल की बात कर रहा हूं, इस उम्र में शादी करने से अच्छा है नयी नयी लड़कियों की जवानी का मजा लूटो। तुम तो लकी हो प्यारे… कोई रोकने वाला भी नहीं है!” उसने हंसते हुए कहा।
उसकी बात सुनकर मेरा मन भी गदगद हो गया।
“लेकिन… रोहन को पता चला तो?” मैंने डरते हुए पूछा।
“उसका भी हल है… उसे बोर्डिंग भेज दे पढ़ने के लिये… फिर लड़कियों के लिए बाहर जाने की भी जरूरत नहीं… घर पर बुलाओ बीवी की तरह रात भर मज़े लो और सुबह तक भूल जाओ!” उसने आँखें चमकाते हुए कहा।
मैं उसके प्रभाव में आ गया और अगले दिन ही मैं रोहन को लेकर दार्जिलिंग चला गया और उसे बोर्डिंग में डाल दिया। तब से आज तक मेरा नयी नयी लड़कियों को घर बुलाकर भोगने का सिलसिला चालू है। हालांकि मैं ऐसा रोज़ नहीं करता, सप्ताह में 1 या 2 बार ही ऐसा करता हूँ।
मैंने ऑफिस बंद किया और अपनी गाड़ी में घुस गया… अगले ही पल मेरी गाड़ी हवा से बात करती हुई सड़क पर दोड़ने लगी, आज मेरे मन में किसी कमसिन लड़की को चोदने का विचार था। मैं जल्द से जल्द घर पहुंचना चाहता था इसलिये मैंने गाड़ी को हाईवे पर डाल दिया और तेज़ रफ़्तार से जाने लगा।
अचानक ही मेरी नज़र हाईवे पर खड़ी एक लड़की पर पड़ी, वो ऐसी जगह खड़ी थी जहाँ न तो बस स्टॉप था, न ही कोई सिगनल, मुझे उसे अकेले देखकर आश्चर्य हुआ, जैसे जैसे मेरी गाड़ी उसके नज़दीक होती गयी, मैं गाड़ी का रफ़्तार भी कम करता चला गया, उस लड़की के पहनावे से लगता था कि वो किसी अच्छे घर की लड़की है।
मेरी गाड़ी अब उसके नज़दीक पहुँच चुकी थी, लेकिन इससे पहले की मैं कुछ समझ पाता, उस लड़की ने एक छलांग मारी और मेरी गाड़ी के आगे आ गयी। मैं लगभग गाड़ी के ब्रेक पर चढ़ गया, गाड़ी चर्राती हुई एक झटके में रुक गयी.
इससे पहले कि मैं उसे कुछ कहता, उसने एक और अचम्भित कर देने वाली हरकत की, वो लड़की पलक झपकते ही मेरी गाड़ी का दरवाज़ा खोल कर अंदर आ गयी। मैं हैरत और फटी फटी नज़रों से उसे देखने लगा, मेरे समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था, मैं भय और बैचेनी से मरा जा रहा था।
“कौन हैं आप?” बड़ी मुश्किल से मेरे मुंह से ये शब्द निकले।
“गाड़ी चलाओ…” उसने गुर्राते हुए कहा।
“लेकिन आपको जाना कहाँ है… और इस तरह मेरी गाड़ी में ज़बरदस्ती बैठने का मतलब क्या है?” मैंने साहस बटोर कर उससे प्रश्न किया।
“तुम्हारे घर में कौन कौन है?” उसने उल्टा प्रश्न किया, उसकी आवाज़ में एक कठोरता थी।
“कोई नहीं, मैं अकेला रहता हूं, और मेरा घर भी बहुत छोटा है, और मैं धनी आदमी भी नहीं हूँ.” मैंने हकलाते हुए कहा।
“डरो मत… में कोई लूटेरन नहीं हूँ… बस तुम्हारे साथ तुम्हारे घर में एन्जॉय करना चाहती हूँ।” उसने मेरे गालों को सहलाते हुए मुस्कुरा कर कहा।
“घर में क्यों? हम होटल चलते हैं… यह ज़्यादा अच्छा रहेगा।” मैं उस बला को अपने घर नहीं ले जाना चाहता था।
“हरामी की औलाद… जान से मार डालूँगी तुझे। अगर तू अपने घर के बजाये कहीं और ले गया तो!” उसने गुस्से से मेरा गर्दन दबाते हुए कहा। उसकी पकड़ इतनी तेज़ थी कि मेरा दम घुटने लगा। मैंने बाहर निकलती आँखों से उसकी ओर देखा, उसने मेरा गर्दन छोड़ दी, मैं अपनी उखड़ी हुई सांसों को नियंत्रित करने लगा।
“बोल घर जाएगा या होटल?” उसने गुर्रा कर मुझसे कहा।
“घर…” मैंने हकलाते हुए जवाब दिया।
“आज तू कटने वाला है बेटा!” मेरे दिल ने सरगोशी की… ‘ये पागल लड़की तेरे ही घर में तेरा बिरयानी बनाकर खाने वाली है।’ मैं रास्ते भर सोचता जा रहा था कि कैसे इस मुसीबत से छुटकारा पाऊं, लेकिन मुझे कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था।
मैंने गाड़ी की गति इस उम्मीद से धीमी कर दी कि कहीं रास्ते में इस लड़की का दिमाग ठिकाने में आ जाए और यह मेरी गाड़ी से उतर जाए। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ… लगभग 15 मिनट गाड़ी दोड़ने के बाद मैं अपने घर पहुँच गया। मैंने गेट का लॉक खोला और अंदर घुस गया। वो लड़की भी मेरे आगे ही अंदर आ गयी, अन्दर पहुँचते ही वो रहस्मयी लड़की सोफ़े पर धम्म से जा बैठी.
और मुझसे बोली- इतने बड़े घर में तू अकेला रहता है? तुझे डर नहीं लगता?
“पहले नहीं लगता था लेकिन अब लगने लगा है, कल से अकेला नहीं रहूँगा.” मैंने अपने सूखे होंठों पर जीभ फेरते हुए जवाब दिया।
वह लड़की मेरी बात सुनकर जोर से हंसने लगी।
“तू खाना कहाँ खाता है? मेरा मतलब है तू होटल में खाता है या खुद बनाता है?” उसने मेरी और मुस्कुरा कर देखते हुए पूछा।
“मेरी नौकरानी खाना बना के रख देती है.” मैंने डरते हुए जवाब दिया।
“अभी क्या बनाया है खाने में?” उसने कहते हुए अपने होंठों पर जीभ घुमाई.
“पता नहीं… देखना पड़ेगा।”
“तो जाकर देख न घोंचू…” उसने गुस्से में कहा.
और मैं सुनते ही दुम दबा के किचन की तरफ भाग गया। मैंने जल्दी से किचन में खाना चेक किया और लौट कर उससे बोला- आलू के 4 पराँठे, थोड़े चावल और मटन है. मैंने एक ही साँस में पूरा मेनू उसे बता दिया।
“ह्म्म्म अच्छा है… तेरे फ्रीज़ में बीयर तो होगी ना?” उसने फिर पूछा।
हां… है!” मैंने उसे जवाब दिया।
“तो जा पहले किचन से सारा खाना ले आ और बियर की दो बोतल उठा ला!”
मैंने उसके आदेश का पालन किया लगभग 15 मिनट में खाना और बियर डाइनिंग टेबल पर सजा दिया। वो सोफ़े से उठी और डाइनिंग टेबल पर पहुँच गयी, उसने मेरी ओर देखा और मुझसे बोली- तू नहीं खायेगा?
“तुम खा लो… मैं बाद में खा लूँगा!” मैंने डरते हुए जवाब दिया।
“बाद में क्या अचार खायेगा… अभी आजा मेरे साथ… मुझे अकेले खाना पसंद नहीं!” उसने डाँटते हुए कहा।
मैं मशीन की तरह उसके आदेश का पालन कर रहा था। मैं उसके दूसरी तरफ की कुर्सी पर बैठ गया और खाना शुरू कर दिया। वो बड़े आराम से खाना खा रही थी, जैसे किसी के घर में मेहमान बन कर आयी हो। मैं खाते खाते उसे देख लेता था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“कौन है ये लड़की? कपड़ों से तो अच्छे घर की लगती है, कॉलगर्ल ऐसी हरकत करेगी नहीं, लेकिन इसका लैंग्वेज रण्डियों के जैसी ही है।” लगभग पन्द्रह मिनट तक मैं उसके साथ बैठकर खाना खाता रहा, खाना तो सब उसी ने खाया, मुझसे तो डर के मारे खाया भी नहीं जा रहा था, मैं तो बस उसका साथ दे रहा था। वो उठी और फिर से सोफ़े पर बैठ गयी। कुछ देर वो उसी प्रकार बैठी रही मैंने डाइनिंग टेबल से खाने के बर्तन उठाये और किचन में रख दिये।
“बीयर और मिलेगी?” उसने मेरी ओर देखते हुए कहा।
“हाँ एक बोतल और है!” मैंने उसे बताया और फ्रीज़ से बीयर निकाल कर उसके सामने रख दी।
“2 गिलास ले आ!” उसने बीयर की बोतल खोलते हुए कहा।
मैंने रसोई से 2 गिलास लाकर उसके सामने रख दिये और खड़ा होकर उसे देखने लगा।
“तू भी आ जा…” उसने दोनों गिलास में बियर डालते हुए मुझसे कहा।
मैं लपक कर उसके पास गया। मुझे बियर की वास्तव में बहुत जरूरत थी। उसने एक गिलास उठाकर मेरी ओर बढ़ाया और दूसरा गिलास खुद उठा लिया।
“चीयर्स!” उसने अपना गिलास मेरी और बढ़ाते हुए मुझसे कहा।
“चीयर्स!” मैंने भी उत्तर दिया और बियर का घूँट भरने लगा।
बियर मेरे गले से उतरते ही मेरा डर धीरे धीरे कम होने लगा और में उसका साथ देने लगा। थोड़ी ही देर में बियर की बोतल खाली हो गयी।
“तुम और पिओगी?” मैंने उसकी ओर देखते हुए पूछा।
“तुम्हारे पास और बियर है?” उसने मेरी ओर देखकर कहा।
“हाँ है…”
मैं उठा और फ्रीज़ से एक और बोतल निकाल लाया।
“तुम तो कह रहे थे… तुम्हारे पास एक ही बोतल है फिर ये कहाँ से आयी?” उसने मुझे घूरते हुए कहा।
“मैंने झूठ बोला था… यह बोतल मैंने अपने लिए बचा रखी थी… तुम पीओगी?” मैंने अपने गिलास में बीयर ड़ालते हुए उससे पूछा।
“नहीं… अभी नहीं!” उसने उत्तर दिया और मुझे देखने लगी।
मैंने भी अभी तक उसे ठीक से देखा नहीं था, डर की वजह से मैं उसे देख ही नहीं पाया था लेकिन अब बियर की वजह से मेरा सारा डर दूर हो चुका था। मैंने उस लड़की को ऊपर से नीचे तक देखा। उसने ऊपर पीले रंग का स्ट्रैप्लेस टॉप और नीचे काले रंग की जीन्स पहन रखी थी।
उसकी आधी छातियाँ नंगी थी और टाइट टॉप में उसके बड़े बड़े बूब्स तने हुए थे। मैंने ऐसी सुन्दर लड़की पहले कभी नहीं देखी थी, उसकी गोल गोल जाघें बहुत ही जबरदस्त थी। ऑफिस से निकलते समय मैंने ऐसी ही किसी लड़की को घर बुलाकर चोदने का प्लान किया था लेकिन इस तरह से नहीं… जैसा अभी मेरे साथ हो रहा था।
मैं आँखें फाड़े उसकी सुंदरता को देखने लगा। दिल किया जाके उसके बूब्स दबा दूँ। अचानक वो उठी और अपने जीन्स की बेल्ट खोलने लगी। मैं थोड़ा डर गया कि कहीं ये मुझे पीटना तो नहीं चाहती। लेकिन नहीं… वो अपनी बेल्ट खोलने के बाद अपनी जीन्स भी उतारने लगी और देखते ही देखते उसने अपने बदन से सारे कपड़े उतार कर फेंक दिये और पूरी नंगी होकर फिर से सोफ़े पर बैठ गयी। मैं आँखें फाड़े उसके नंगे बदन को देखने लगा।
वो सर से पैर तक क़यामत थी. उसकी भरी भरी चूचियां बेहद कठोर और गोलाकार थी और उसका पेट एकदम समतल, उसकी नाभि भी बहुत सुन्दर और गहरी थी। लेकिन जहाँ पर जाकर मेरी नज़र थम गयी वो उसकी चुत थी। वह अपनी दोनों टाँगें फैला कर अपनी फूली हुई चुत मुझे दिखा रही थी.
उसकी चुत पर एक भी बाल नहीं था। उसकी चुत देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया, मैंने एक ही घूँट में सारा गिलास खाली कर दिया और फिर से उसकी चुत देखने लगा। मैंने आज तक ऐसी चुत नहीं देखी थी। मैं अपने होंठों पर अपनी जीभ घुमाने लगा।
उसने मेरी ओर मुस्कुराकर देखा और फिर अपनी उंगली से इशारा करके मुझे अपने पास बुलाया। मैं किसी गुलाम की तरह उसके पास जाकर घुटने के बल बैठ गया और उसकी चुत को निहारने लगा। मैं बस उसके आदेश की प्रतीक्षा कर रहा था। तभी उसने अपनी जांघें फैला दी और अपनी क़मर को और आगे कर दिया।
“चाटो… इसे!” उसने अपनी चुत पर हाथ फेरते हुए कहा।
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उसके बोलने की देरी थी और मैं कुत्ते की तरह उसकी चुत पर टूट पड़ा। मैं पूरा जीभ निकाल कर उसकी चुत को ऊपर से नीचे गांड की होल तक चाटने लगा। वो मेरे सर को सहलाने लगी और धीरे धीरे सिसकारने लगी। मैं लगातार उसकी चुत चाटता रहा। मैंने चुत चाटते हुए अपनी एक उंगली उसकी चुत में घुसा दी.
वो एकदम से चिहुंक उठी- ओह पापा, क्या कर रहे हो? वह बड़बड़ायी।
मैं उसकी बात सुनकर चौंक गया, यह अनजान लड़की मुझे पापा क्यों बोल रही है? मैंने अपना सर उठाकर उसको देखा, उसकी आँखें बंद थी, वो दोनों हाथों से अपने बूब्स मसल रही थी।
“ओहह पापा क्या हुआ… रुक क्यों गये… प्लीज मेरी चुत चाटो!” उसने फिर से बड़बड़ाते हुए कहा।
फिर उसने आँखें खोल कर मेरी ओर देखा और मेरा सर पकड़ कर अपनी चुत में दबा दिया। मैं फिर से अपना जीभ निकाल कर उसकी चुत चाटने लगा। दो तीन मिनट बाद ही उसके मुंह से फिर से शब्द निकलने लगे लेकिन इस बार जो शब्द निकले मैं सुनकर हक्का बक्का रह गया।
उसके शब्द थे- ओहहह पापा तुम बहुत गंदे हो… यू आर डर्टी फादर… प्लीज मेरी चुत चाटो मेरे गंदे पापा… पापा तुम सच में बहुत गंदे हो!
वो बड़बड़ाये जा रही थी, उसकी आवाज़ में एक कम्पन थी और साथ में उतेजना भी। वो मेरा सर अपनी चुत में दबाने लगी और उसकी बड़बड़ाहट और तेज़ हो गयी- वाह्ह्ह… पॉप… मेरे… गंदे… पापा… पापा तुम गंदे हो! ओह पापा… यू आर वैरी डर्टी, तुम बहुत गंदे हो!”
जैसे जैसे उसकी उत्तेजना बढ़ती, उस लड़की की बड़बड़ाहट और तेज़ हो जाती। उसकी चुत चाटते हुए अब मुझे भी नशा होने लगा था, मैंने अपनी जीभ लम्बी की और उसकी चुत में घुसा दी और जीभ को उसकी चुत में अंदर बाहर करने लगा।
“ओहहह… पापा… आई लव यू!” वो लड़की मेरा सर अपनी चुत पर दबाते हुए बोलने लगी, मैं अपनी जीभ धीरे धीरे चुत के अंदर करता रहा। पूरी जीभ अंदर करने के बाद मैं जीभ को उसकी चुत के चारों ओर घुमाने लगा।
वो लड़की मस्ती में आकर अपनी क़मर हिलाने लगी और मेरा सर अपनी चुत पर दबाने लगी। उसकी बड़बड़ाहट अभी भी जारी थी। उसकी चुत ने अब पानी छोड़ना शुरू कर दिया था, मैं उसकी चुत से बहता पानी अपने होंठों से पीता जा रहा था, उसका सारा रस अपने अंदर ले रहा था।
अचानक वो लड़की उठ कर खड़ी हो गयी। उसको खड़ा होते देख मैं भी खड़ा हो गया। फिर वो लड़की आगे बढ़ी और मेरी जीन्स उतारने लगी, फिर देखते ही देखते उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया। अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे खड़े थे। वो आगे बढ़ी और मेरे गले में अपने बाहों का हार डाल दिया और मेरे होंठों को चूसने लगी।
“पापा आपका बैडरूम किधर है?” उसने नशीली आँखों से मुझे देखते हुए कहा।
उसकी आवाज़ में ग़ज़ब का नशा था, उसका बदन धूप में पड़े लोहे की तरह गरम था।
“उस तरफ…” मैंने उंगली से अपने बैडरूम की तरफ इशारा करते हुए उसे बताया।
उसने अपना एक हाथ मेरे क़मर से लपेट दिया और मुझे खिंचती हुई बैडरूम ले गयी। बैडरूम पहुँचते ही उसने मुझे एक धक्का दिया। मैं पीठ के बल बिस्तर पर गिरा, इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, वो उछल कर बिस्तर पर आ गयी और पलक झपकते ही मेरे लंड को अपने होंठों के बीच दबा लिया।
मेरा लंड तो पहले से ही टनटनाया हुआ था, उस पर उसके गरम होंठों का स्पर्श मिलते ही रॉड की तरह कड़क हो गया। आधे मिनट से कम समय में मेरा लंड जड़ तक अपने मुंह के अंदर ले चुकी थी वो अनजान लड़की! मेरी आँखें हैरत से फैल गयी।
मेरा लम्बा लंड उस लड़की के मुंह में जाने कहाँ ग़ायब हो गया था। उसके होंठ मेरे बॉल्स को चूसने लगे थे। उसने अपने दोनों होंठों को मेरे लंड पर दबाया और अपने होंठ धीरे धीरे ऊपर करने लगी। जैसे ही उसके होंठ सुपारे तक आये, उसने अपना मुंह खोला और गप से पूरा लंड अपने मुंह में दबोच लिया।
उसकी इस हरकत से मैं उछल पड़ा। उसने फिर अपने होंठों को मेरे लंड पर दबाया और फिर धीरे धीरे अपने होंठों को ऊपर करने लगी और फिर जैसे ही उसके होंठ टोपे तक आये, उसने मुंह खोल कर गप से पूरा लंड मुंह में लील लिया।
वो लगातार ऐसे ही करने लगी, वो अपने होंठों से मेरे लंड को दबा कर ऐसे चूस रही थी जैसे कोई आयल लेकर मेरे लंड की मालिश कर रहा हो, मैंने सैंकड़ों कॉलगर्ल से सेक्स किया था लेकिन ऐसा मजा मुझे आज तक नहीं मिला था जो यह लड़की दे रही थी।
मैंने मस्ती में अपनी आँखें बंद कर ली और नीचे से अपना क़मर उचका उचका कर अपन लंड चुसवाने लगा। उसकी चुसाई के आगे मैं ज़्यादा देर टिक न सका मेरे लंड अब झड़ने के पोजीशन में आ चुका था, मैंने अपना हाथ बढ़ाया और उसका सर अपने लंड पर दबाने लगा।
मैंने यह भी नहीं सोचा कि उस लड़की को यह पसंद है या नहीं… और मैं उसके मुंह में अपना पानी छोड़ने लगा। आज मेरा लंड भी जरूरत से ज़्यादा पानी निकाल रहा था। मैंने कस के उसका मुंह अपने लौड़े पर दबा दिया और सारा पानी निकल जाने तक उसके सर को दबाये रखा।
पानी निकालते ही मैंने एक लम्बी साँस ली और बिस्तर पर सीधा हो गया। मेरे वीर्य से उस लड़की का मुंह भर गया था. उसने एक गटका मारा और लंड का सारा पानी अंदर ले लिया। फिर उसने अपना सर मेरे लंड पर झुका लिया और अपनी जीभ निकाल कर मेरा भीगा हुआ लंड चाटने लगी।
उसने मेरे लंड से एक एक बूँद को चाट लिया और फिर मेरे ऊपर आकर लेट गयी। कुछ देर लेटे रहने के बाद फिर उसने मुझे किस करना शुरू कर दिया। मैं फिर से गरम होने लगा। इस बार उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरा सर अपनी एक चूची पर रख दिया।
मैं उसका इशारा समझते ही उसकी चूची को चूसने लगा। मैं उसके बूब्स चूसते चूसते कभी कभी उसके निप्पल को अपने होंठों से दबाकर खींच देता। मेरा ऐसा करने से वो कराह उठती- ओह्ह पापा… प्लीज आराम से, मैं आपकी बेटी हूँ कुछ तो तरस खाओ!
मैं बारी बारी से उसके बूब्स चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चुत सहलाने लगा। मैं दूसरे हाथ से उसका दूसरा उरोज मसलने लगा। उसकी कराहें तेज़ होने लगी, वो मेरे सर को अपने बूब्स पर दबाने लगी। लगभग 5 मिनट अपने बूब्स चुसवाने के बाद वो अचानक से खड़ी हो गयी और मेरा लंड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी.
5 मिनट लंड चुसने के बाद उसने अपना मुंह मेरे लंड से हटा लिया और डोगी स्टाइल में बिस्तर पर हो गयी। मैं देर न करते हुए उसके पीछे चला गया और अपना लंड उसकी चुत पर रख कर दबाने लगा, तभी उसने अपना हाथ लाकर मेरा लंड अपने चुत से निकाल लिया और अपनी गांड के छेद पर रख दिया।
मुझे यह देखकर थोड़ी हैरानी भी हुई, ज़्यादातर लड़कियां गांड मरवाने से डरती हैं और चुत ही मरवाना पसंद करती हैं लेकिन यह लड़की तो अपनी चुत से लंड निकाल कर अपने गांड में रख रही थी। मैंने ढेर सारा थूक लिया और उसकी गांड के छेद पर लगा दिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
फिर एक उंगली उसकी गांड में डाल कर थूक लगाने लगा। गांड में उंगली घुसते ही वो सिसकारने लगी। मैंने थूक लगाने के बाद अपने लंड का टोपा उसकी गांड के छेद पर रखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। धक्का इतना तेज़ था कि वो मुंह के बल बिस्तर पर गिर गयी।
मैंने उसके क़मर को दोनों हाथों से पकड़ कर फिर से ऊपर उठाया और दूसरा धक्का भी उतने ही ज़ोर का लगाया। अब मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस चुका था. उस लड़की की कराहें निकलने लगी और उसका बदन दर्द से अकड़ने लगा। मैं उसकी तड़प की परवाह न करते हुए उसकी गांड पर लगातार चोट मारने लगा।
उसकी चीख़ें तेज़ होती चली गई- ओह… पापा… प्लीज आराम से, मेरी गांड फट जाएगी, आपका लंड बहुत मोटा है! वो मस्ती में बड़बड़ाती हुई बोली।
उसकी आवाज़ में उत्तेजना थी, मैं उसके द्वारा पापा कहे जाने से और जोश में आ गया और मेरी स्पीड पहले से तेज़ हो गयी। मेरे हर धक्के पर वो पापा पापा… बोलती जा रही थी, उसकी बातों से अब मुझे भी लगने लगा था कि मैं सच में उसका बाप हूँ और मैं अपनी ही बेटी की गांड मार रहा हूं, हालाँकि मेरी कोई बेटी नहीं है।
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मैं पागलों की तरह उसकी गांड मारता रहा, मेरा बदन पसीने से नहा गया था। लगभग 15 मिनट तक उसकी गांड में अपना लंड पेलने के बाद मेरे लंड ने पिचकारी मारना शुरू कर दिया, मैंने कसके उसके चूतड़ों को अपने लंड से चिपका लिया और लंड का सारा पानी उसकी गांड में छोड़ दिया।
कुछ देर लंड को उसी तरह उसके कूल्हों से चिपकाये रखा और फिर अपना लंड निकाल लिया. जैसे ही मैंने अपना लंड निकाला उस लड़की ने तेज़ी से करवट ली और मेरा लंड अपने मुंह में भर लिया और मेरे लंड को अपने होंठों से साफ़ करने लगी।
मैं निढाल होकर बिस्तर पर गिर गया। मैं बहुत थक चुका था, लेकिन वो लड़की अभी भी वैसे ही चुस्ती फुर्ती दिखा रही थी, शायद यह हमारी उम्र का अंतर था। मैंने उसकी तरफ देखा… वो अपनी जीभ अपने होंठों पर फेर रही थी।
“बेटी… में थोड़ा आराम चाहता हूँ… मैं बहुत थक गया हूँ.” मैंने बेटी शब्द का प्रयोग इसलिये किया क्योंकि अभी तक वो मुझे पापा बोलती आयी थी, मुझे लगा कि उसे बेटी बोलने से उसे अच्छा लगेगा और वो ग़ुस्सा नहीं करेगी।
“ओके पापा… वो कहते हुए मेरे ऊपर झुकी और मेरे होंठों को चूम लिया।
फिर एकदम से वो खड़ी हो गयी और कमरे से बाहर निकल गयी। मैं हैरत से उसे जाती हुई को देखने लगा। कुछ ही देर में वो वापस आ गयी। वो बियर लेने गयी थी, उसके एक हाथ में बियर का बोतल और दूसरे हाथ में दो गिलास थे। उसने दोनों गिलास में बीयर उड़ेली और एक गिलास मेरी ओर बढ़ा दिया और दूसरा खुद ले लिया।
उसने फिर से अपना हाथ उठकर “चीयर्स!” कहा और बियर पीने लगी। मैंने भी उसका अनुसरण किया और बियर का घूँट भरने लगा। मैं चुपचाप बियर पीते हुए उस लड़की के बारे में सोचने लगा ‘कौन है ये लड़की? और मुझे पापा क्यों कह रही है?’
मेरे मन में कई सवाल थे जो मैं उस अजनबी लड़की से पूछना चाहता था लेकिन मेरी हिम्मत नहीं बन रही थी, क्या पता यह लड़की मेरे सवाल से भड़क जाए और मुझे नुकसान पहुंचा दे। मैं ख़ामोशी से बियर पीता रहा और उसे देखता रहा।
कुछ ही देर में मेरा गिलास खाली हो गया, मैंने गिलास साइड के टेबल पर रख दिया और एक सिगरेट सुलगा ली। जब तक उसका गिलास खाली होता, मैंने सिगरेट भी पी ली थी। उस लड़की ने अपना गिलास मेज पर रखा और मेरे पास आकर मेरे ऊपर आकर लेट गयी और मेरे होंठों को चूसने लगी, मैं भी उसे सहयोग देने लगा।
अचानक उस लड़की ने मेरा एक हाथ अपनी चुत पर रख दिया और मेरी एक अँगुली अपनी चुत पर घुसा ली और मेरा दूसरा हाथ अपने बूब्स पर रखकर दबाने लगी. अजनबी लड़की मेरी उंगली को अपनी चुत में घुसाए हुए अपनी कमर को धीरे धीरे हिलने लगी ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरी उंगली को चोद रही हो।
उस लड़की के हिलते चूतड़ देख कर मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी, मैं अपने हाथ का दबाव उसकी चूची पर बढ़ाने लगा, वो उम्म्ह… अहह… हय… याह… की सिसकारी निकालने लगी। मैंने अपना सर झुकाया और उसकी दूसरी चूची को मुंह में भर लिया, उसका निप्पल चुसने लगा.
उसकी सिसकारियाँ तेज़ हो गयी। मैंने अपनी उंगली की रफ़्तार भी उसकी चुत पर बढ़ा दी थी। अचानक वो लड़की एक झटके में उठी और अपना सर मेरे लंड के पास ले गयी और मेरे लंड को अपने मुंह में भर कर चूसने लगी। मेरा लंड उसके होंठों की गर्मी से अपनी औक़ात में फूलता चला गया।
मेरे लंड के पूरे उफान पर आते ही उस लड़की ने अपना मुंह मेरे लंड से खींच लिया और वो मेरी जाँघों के बीच दोनों पैर फैला कर बैठ गयी। कुछ ही देर में मेरा गिलास खाली हो गया, मैंने गिलास साइड के टेबल पर रख दिया और एक सिगरेट सुलगा ली।
जब तक उसका गिलास खाली होता, मैंने सिगरेट भी पी ली थी। उस लड़की ने अपना गिलास मेज पर रखा और मेरे पास आकर मेरे ऊपर आकर लेट गयी और मेरे होंठों को चूसने लगी, मैं भी उसे सहयोग देने लगा। अचानक उस लड़की ने मेरा एक हाथ अपनी चुत पर रख दिया और मेरी एक अँगुली अपनी चुत पर घुसा ली और मेरा दूसरा हाथ अपने बूब्स पर रखकर दबाने लगी.
अजनबी लड़की मेरी उंगली को अपनी चुत में घुसाए हुए अपनी कमर को धीरे धीरे हिलने लगी ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरी उंगली को चोद रही हो। उस लड़की के हिलते चूतड़ देख कर मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी, मैं अपने हाथ का दबाव उसकी चूची पर बढ़ाने लगा, वो उम्म्ह… अहह… हय… याह… की सिसकारी निकालने लगी।
मैंने अपना सर झुकाया और उसकी दूसरी चूची को मुंह में भर लिया, उसका निप्पल चुसने लगा. उसकी सिसकारियाँ तेज़ हो गयी। मैंने अपनी उंगली की रफ़्तार भी उसकी चुत पर बढ़ा दी थी। अचानक वो लड़की एक झटके में उठी और अपना सर मेरे लंड के पास ले गयी और मेरे लंड को अपने मुंह में भर कर चूसने लगी।
मेरा लंड उसके होंठों की गर्मी से अपनी औक़ात में फूलता चला गया। मेरे लंड के पूरे उफान पर आते ही उस लड़की ने अपना मुंह मेरे लंड से खींच लिया और वो मेरी जाँघों के बीच दोनों पैर फैला कर बैठ गयी। फिर मेरे लंड को अपनी चूत पर रखकर बैठने लगी, मेरे लंड का टोपा उसकी चुत में घुस चुका था.
फिर उस लड़की ने नशीली नज़र से मेरी ओर देखते हुए एक करारा धक्का मेरे लंड पर मारा। उसका धक्का लगते ही फच की आवाज़ के साथ मेरा लंड उसकी चुत में घुस गया। अब वो मेरे लंड को जड़ तक अपनी चुत में घुसाए मेरे जाँघों पर बैठी हुई थी।
कुछ देर उसी हालत में बैठे रहने के बाद वो धीरे धीरे अपनी गांड हिला कर मुझे चोदने लगी। मेरी आँखें मस्ती में बंद होने लगी. धीरे धीरे उस लड़की की रफ़्तार बढ़ने लगी, अब वो किसी एक्सप्रेस की गति से धक्के पर धक्का लगा रही थी.
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मेरे मुंह से आह निकलने लगी, मैंने आँखें खोलकर उसको देखा… वो लड़की किसी जंगली शेरनी की तरह आक्रमक लग रही थी. मैंने उसके हिलते हुए बूब्स को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उन्हें मसलने लगा। मेरे ऐसा करने से उसकी रफ़्तार और बढ़ गयी, अब उसकी भी चीख़ें निकलने लगी थी, उसका पूरा बदन पसीने से भीग चुका था।
फिर अचानक वो मुझसे चिपक गयी और अपने दाँत मेरे कन्धे पर गड़ाते हुए अपनी कमर को मेरी कमर से दबा ली, तभी उसकी चुत से एक पिचकारी निकली और मेरा पूरा पेट गीला हो गया। वो लड़की हांफती हुई मेरी छाती से लिपट गयी।
वो लगभग पांच मिनट तक हांफती रही और अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिश करती रही, उसका पूरा शरीर मेरे ऊपर लिटा हुआ था, उसके दोनों बूब्स मेरी छतियों में दबे हुए थे. मैं उसके बालों को सहलाते हुए उसे देखने लगा, वो आँखें बंद किये लेटी हुई थी, अब उसकी साँसें सामान्य हो गयी थी लेकिन बदन अभी भी पसीने से भीगा हुआ था।
लगभग 5 मिनट बाद मैंने उसे पुकारा लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। मैंने उसे देखा कि वो गहरी नींद सो चुकी थी, मैंने उसके चेहरे को गौर से देखा उसके खूबसूरत चेहरे में सुख की चादर फ़ैली हुई थी, उसकी भोली सूरत पर मुझे बहुत प्यार आया, मैंने उसका माथा चूम लिया और उसकी पीठ सहलाने लगा।
मैं एक बार फिर उस लड़की के बारे में सोचने पर मजबूर हो गया ‘कौन है ये लड़की… इसके माँ बाप कौन हैं, इस लड़की ने इस तरह मेरे घर आकर मेरे साथ सेक्स क्यों किया?’ मैं सोचते सोचते पता नहीं कब सो गया।
आँख खुली तो सुबह के 7 बज चुके थे, वो लड़की अभी भी मेरी छाती पर सर रखे अभी भी गहरी नींद में थी। नींद में होने की वजह से मेरा लंड अभी भी पूरे तनाव में उसकी चुत के अंदर था। मैंने उस लड़की के पीठ सहलाते हुए उसका माथा चूम लिया और उसकी पीठ सहलाने लगा।
मैंने उससे थोड़ा सा हिलाया तो वो थोड़ी सी कसमसा कर रह गयी। उसका बदन हिलने से मेरा लंड और ज़्यादा उत्तेजित हो गया। अब मेरे मन में रात की चुदाई का नजारा घूमने लगा, रात की चुदाई याद करते ही मेरे लंड में मस्ती आ गयी और उसकी पीठ सहलाते हुए नीचे से धीरे धीरे अपनी कमर उठाकर उसे चोदने लगा।
अभी मैंने 4 से 5 धक्के ही मारे थे कि उसकी आँख खुल गयी। उसको जागती देख मैंने एक स्माइल दी और फिर उसको जकड़ते हुए धीरे से एक धक्का दिया. वह हैरानी से मेरी और देखते हुए उठकर बैठ गई। वो आँखें फाड़े मेरी ओर देखने लगी, उसको इस तरह मेरी ओर देखता पाकर मैं परेशान हो गया।
मैं सोचने लगा… कहीं इस लड़की का दिमाग फिर से तो नहीं ख़राब हो गया। तभी उस लड़की को अपने नंगा होने का अहसास हुआ, वो अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को ढकने लगी। फिर जैसे ही उसकी नज़र नीचे गयी, उसकी आँखें हैरत से फ़ैलती चली गई। मेरा लंड अभी भी उसकी चुत में घुसा हुआ था, वो एकदम से उछल कर खड़ी हो गयी और मुझे गुस्से से देखती हुई एक जोरदार लात मेरी गांड पर दे मारी। मैं कराह कर बिस्तर से उठ गया।
“यू बास्टर्ड़… तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे नंगी करने की… हरामी की औलाद अब तू नहीं बचेगा… तूने मुझे ख़राब किया है… मैं तुझे जान से मार दूँगी।” वो चीखती हुई मुझ पर झपटी, मैं फुर्ती से बिस्तर से उछल कर नीचे आ गया. वो लड़की मुंह के बल बिस्तर पर गिरी.
इससे पहले कि वो उठकर फिर से मुझपर हमला करे… मैं दरवाज़े की तरफ भागा, मैं अभी दरवाज़े तक ही गया था कि तभी मेरी पीठ पर कोई भारी वस्तु आकर टकराई, मैं टेढ़ा होता चला गया। मैंने पलट कर देखा, मेरे पाँवों के सामने बीयर की टूटी हुई बोतल पड़ी थी.
तभी मैंने उस लड़की को अपनी ओर दोड़ते पाया। मैं पलक झपकते उस रूम से ऐसे ग़ायब हुआ जैसे गधे के सर से सींग… मैंने बाहर से रूम को लॉक कर दिया और सोफ़े पर जकर पसर गया। मेरे पाँव ऐसे काँप रहे थे जैसे मुझे लकवा मार गया हो।
मेरा दिमाग अभी भी कुछ सोचने की पोजीशन में नहीं था। वो लड़की अभी भी पागलों की तरह दरवाज़ा पीट रही थी। मेरे समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करूँ, मैं तो बस डरे सहमे दरवाज़े की तरफ देखते हुए यही फरियाद करता रहा कि मालिक कुछ भी करना मगर दरवाज़े को मत टूटने देना।
लगभग 15 मिनट बाद वो लड़की शांत हो गयी। मैं सोफ़े से उठा और रूम की खिड़की के पास चला गया, मैंने अंदर नज़र दौड़ायी वो लड़की मुझे फर्श पर लेटी हुई दिखाई दी, वो दर्द से कराह रही थी… उसकी आँखें बाहर आ रही थी, साथ ही साथ वो वही रात वाला वाक्य बड़बड़ा रही थी “पापा तुम गंदे हो!”
मेरे तो होश उड़ गये, मुझे समझ में नहीं आया क्या करूँ। तभी मुझे मेरे एक डॉक्टर दोस्त की याद आयी। वो एक साइकोलोजिस्ट हैं और अक्सर ऐसे पागल मरीज़ उनके पास इलाज़ के लिए आते रहते हैं। मैं दौड़ कर अपने फ़ोन के पास गया और उनका नंबर डायल करने लगा।
कुछ देर में उधर से रिंग बजने की आवाज़ सुनाई दी। डॉक्टर तो इस वक़्त सो रहा होगा, पता नहीं मेरा फ़ोन उठायेगा भी या नहीं… अगर उठायेगा तो मैं क्या कहूँगा उससे? तभी उधर से किसी ने फ़ोन उठाया- हलो… मुझे फ़ोन के दूसरी तरफ से एक औरत की आवाज़ सुनाई दी, ये डॉक्टर ज्ञानेश की वाइफ थी।
“हल्लो… भाभी जी… क्या आप मुझे डॉक्टर ज्ञानेश से बात करा सकती हैं… मैं उनका दोस्त विवेक बोल रहा हूं… मुझे उनसे एक जरूरी काम है… प्लीज आप उन्हें बता दीजिये।” मैंने एक साँस में बोलकर जवाब का इंतज़ार करने लगा।
कुछ ही देर में मुझे डॉ रितेश की आवाज़ सुनाई दी- हल्लो… विवेक जी, कहिये इतना सुबह सुबह कैसे याद किया? सब ख़ैरियत से तो है?
“कुछ भी ख़ैरियत से नहीं है ज्ञानेश जी… आप यह बताइये कि आप अभी मेरे घर आ सकते हैं.?” मैंने ख़ुशामद करते हुए कहा।
“ऐसा क्या हो गया है… जो आप मुझे इस वक़्त घर बुला रहे हैं?” उधर से डॉ ज्ञानेश ने पूछा।
“आप पहले यहाँ आइये, फिर सब बताता हूँ!” मैंने फिर से उन्हें रिक्वेस्ट किया।
“ओके, मैं आता हूँ!” उधर से डॉ रितेश की आवाज़ आयी और इसके साथ ही लाइन कट गयी।
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मैंने फ़ोन का रिसीवर रखा और सोफ़े पर जाकर बैठ गया। अचानक ही मुझे अपने नंगे होने का ख्याल आया, मैंने जल्दी से अपने बदन पर कपड़े चढ़ाये और वापस सोफ़े पर बैठ गया और उस लड़की के बारे में सोचने लगा। मैं डरा सहमा सोफ़े पे बैठा हुआ उस अजनबी लड़की की सोच में गुम था कि तभी दरवाज़े की घण्टी बजी, मैं ऐसे उछला जैसे किसी ने मेरे पिछवाड़े के नीचे जलता तवा रख दिया हो।
फिर मुझे ध्यान आया कि मैंने डॉक्टर को फ़ोन लगाया था. मैं विद्युत की रफ़्तार से दरवाजे तक गया और सेकंड से भी कम समय में दरवाज़ा खोल दिया। दरवाज़ा खुलते ही मेरे चेहरे से सारी ख़ुशी ग़ायब हो गयी, सामने मेरी नौकरानी खड़ी थी।
“क्या हुआ साहब… आप ऐसे क्यों आंखें दिखा रहे हो?” नौकरानी ने हैरत से देखते हुए कहा।
“शीला… आज तुम्हें सफाई करने की जरूरत नहीं है… तुम घर जाओ.” मैं दरवाज़े पर खड़े खड़े नौकरानी से कहा।
“साहब, कोई गलती हुई हो तो माफ़ी दे दो… पर काम से मत निकालो!” नौकरानी ने परेशान होकर मेरी खुशामद की।
“ऐसी बात नहीं है शीला, असल में मैं पूरी रात बाहर जाग कर आया हूँ और आराम से सोना चाहता हूं, तुम्हारे काम की खटर पटर से मैं ठीक से सो नहीं पाऊँगा.” मैंने उसे समझाया।
“ठीक है साहेब… मैं कल आ जाऊँगी.” नौकरानी ने कहा और वो पलट कर जाने लगी।
उसके लौटते ही मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया, वापस सोफ़े पर बैठ गया और सिगरेट सुलगाकर कश लेने लगा। मैंने अभी दो चार कश ही लिये थे कि फिर से दरवाज़े की बेल बजी। मैं लपक कर दरवाज़े तक गया, दरवाज़ा खोलते ही डॉक्टर ज्ञानेश खड़े दिखाई दिए। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“गुड मॉर्निंग विवेक जी!” डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए कहा।
“गुड मॉर्निंग डॉक्टर ज्ञानेश… आप अंदर आइये!” मैंने उन्हें अंदर आने को कहा।
उनके अंदर आते ही मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया और डॉक्टर के पास पहुँच गया।
“कहिए विवेक जी… इतनी सुबह सुबह किस समस्या ने आपके घर दस्तक दे दी जो आपने मुझे बुला लिया?” डॉक्टर हमेशा की तरह मुस्कुराते हुए बोले।
मैंने डॉक्टर को सोफ़े पर बैठने को कहा और फिर झिझकते हुए अपने ऑफिस से निकलने से लेकर सुबह उस लड़की के द्वारा अपने ऊपर हुए हमले तक की एक एक बात बता दिया। मेरी बात सुनकर डॉक्टर की आँखें फैल गई, वो अभी तक इस राज़ से अनजान थे कि मैं रात को लड़की बुलाता हूँ। मैं सर झुकाये उनके बोलने का इंतज़ार करने लगे।
“मैं उस लड़की को देखना चाहता हूँ!” अचानक मेरे कानों में डॉक्टर की आवाज़ सुनाई दी।
मैंने नज़र उठाकर डॉक्टर को देखा और उठकर खिड़की के पास चला गया। डॉक्टर भी मेरे आगे आगे खिड़की के पास आ कर खड़े हो गए। अन्दर अभी भी वो लड़की नंगी फर्श पर पेट के बल लेटी हुई थी। लेकिन उसकी कराहें अब बंद हो चुकी थी। यह कहना मुश्किल होगा कि वो इस वक़्त जागती हुई हालत में थी या सोती हुई।
आप दरवाज़ा खोलिये…” डॉक्टर ने मेरी और देखते हुए कहा।
मैंने डॉक्टर को ऐसे देखा जैसे वो पागल हो गया हो- डॉक्टर, मैं आपको बता चुका हूँ कि यह लड़की पागल है… आपका अंदर जाना ठीक नहीं रहेगा. मैंने डॉक्टर को समझाना चाहा।
“आप निश्चिन्त रहिये…” उन्होंने मेरी ओर देखते हुए कहा- मुझे कुछ नहीं होगा, मेरे लिए यह कोई नयी बात नहीं है, आप दरवाज़ा खोलिये.
“जैसी आपकी मर्ज़ी!” मैंने डॉक्टर से कहा और दरवाज़ा खोल दिया।
डॉक्टर धीरे धीरे अपने पाँव को अंदर बढ़ाता गया, वो चलते हुए बिल्कुल उस अजनबी लड़की के पास पहुँच गये। डॉक्टर ने पहले उस लड़की को चादर से ढक दिया फिर उसके सिरहाने बैठकर उसे ध्यान से देखने लगे। फिर अपना हाथ नीचे ले जाकर कुछ चेक करने लगे जो मैंने देख नहीं पाया। कुछ देर तक उस लड़की का ज़ायज़ा लेने के बाद डॉक्टर बाहर आ गए।
“क्य हुआ डॉक्टर…?” मैंने बेचैन होते हुए पूछा।
किन्तु डॉक्टर ने मेरी बात का ज़वाब नहीं दिया, वो हॉल में टहलते रहे। मुझसे डॉक्टर की ख़ामोशी सहन नहीं हो रही थी, मैं उनके जवाब के इंतज़ार में उनके आगे आगे चक्कर काटने लगा। डॉक्टर एक नज़र मेरे चेहरे पर फेंक कर बोलने के लिए मुंह खोले- यह हिस्टीरिया का केस है।
“हिस्टीरिया?” मैंने हैरानी से देखते हुए दोहराया।
जैसा आपने कहा कि यह लड़की सेक्स के दौरान अपने पापा को इमेजिन कर रही थी, तो इसका अर्थ है इस लड़की के साथ बचपन से बेचारी बाप के द्वारा शारीरिक शोषण हुआ है, और वो इस हद तक हुआ है कि यह लड़की उस चीज की आदि हो चुकी है। और अब किसी वजह से इसे अपने पापा से वो चीज नहीं मिल रहा है, यही कारण है कि यह आप जैसे अधेड़ आदमी के साथ यहाँ तक आयी और आपके साथ सेक्स भी किया।” डॉक्टर ने मुझे समझाया।
“वो सब तो ठीक है डॉक्टर लेकिन इसने मुझ पर हमला क्यों किया? यह कभी कभी बहुत ज़्यादा उग्र हो जाती है।” मैंने डॉक्टर को बताया।
“सीधी सी बात है… यह लड़की अपने बाप से नफरत करती है। जब तक यह सेक्स की कमी महसूस करती है, अपने बाप को पसंद करती है, लेकिन सेक्स पूरा होते ही इसे अपने बाप से नफरत होने लगती है। ऐसी हालत में यह अपने पिता की हत्या भी कर सकती है.” डॉक्टर ने मुझे बताया।
“अब आपके विचार से क्या करना चहिये?” मैंने डॉक्टर से राय माँगी।
मैं इसका इलाज़ करना चाहूँगा!” डॉक्टर ने कहा।
और मैंने डॉक्टर को किसी मसीहा की तरह देखा- थैंक यू डॉक्टर ज्ञानेश! मैंने राहत की साँस लेते हुए कहा।
डॉक्टर उठे और वापस रूम के तरफ बढ़ गये। मैं एक बार डर महसूस करने लगा। डॉक्टर उस लड़की के पास जाकर घुटनों के बल बैठ गये और उस लड़की को उठाने लगे. वो लड़की थोड़ी कसमसाती हुई उठकर बैठ गयी, उसने डॉक्टर को आँखें फाड़ कर देखा। इस बार उसकी आँखों में दरिन्दगी नहीं थी उसकी आँखों में पीड़ा थी।
“मैं डॉक्टर ज्ञानेश हूँ, मैं एक मनोचिकित्सक हूँ। इन्होंने मुझे फ़ोन करके बुलाया है, मैं तुम्हारा इलाज़ करना चाहता हूं, क्या तुम अपना प्रॉब्लम मुझे बता सकती हो?” डॉक्टर ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा। जब डॉक्टर ने ‘इन्होंने’ कह कर मेरी और इशारा किया तो एक पल के लिए मैं काँप गया।
लेकिन उस लड़की ने एक नज़र मेरे ऊपर डाली और डॉक्टर की बातों में खो गयी। डॉक्टर की बात पूरा होते ही वो लड़की उसे ध्यान से देखने लगी, अचानक न जाने क्या हुआ वो लड़की फ़फ़क कर रो पड़ी। मेरी आंखें हैरत से फ़ैल गयी लेकिन डॉक्टर प्यार से उसके सर पर हाथ फेरता रहा।
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“तुम एक अच्छी ज़िन्दगी जी सकती हो! मैं तुम्हें पूरी तरह से ठीक कर दूँगा बस तुम्हें मुझ पर विश्वास करना होगा!” डॉक्टर ने जैसे उसके मन को पढ़ लिया था।
वो लड़की उनकी बातों के प्रभाव में आ रही थी- क्या आप सच में मुझे ठीक कर देंगे? क्या मैं एक नार्मल लड़की की तरह ज़िन्दगी जी सकती हूँ?” उसने रोते हुए डॉक्टर से कहा।
“बिल्कुल जी सकती हो… तुम ठीक होकर शादी कर सकती हो, घर बसा सकती हो और हर वो लाइफ जी सकती हो जिसकी तुम ख्वाहिश रखती हो!” डॉक्टर ने उसके आंसू पौंछते हुए कहा।
“मैं अपनी ज़िन्दगी से मायूस हो चुकी थी, मैं तो मर जाना चाहती थी, लेकिन अब जीना चाहती हूं, प्लीज डॉक्टर मुझे बचा लीजिये, मुझे ठीक कर दीजिये!” उसने डॉक्टर के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा।
“तुम अपने कपड़े पहन लो, हम बाहर तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं.” डॉक्टर ने उस लड़की से कहा और रूम से बाहर आ गया।
मैं हैरानी से डॉक्टर को देख रहा था जो कितनी आसानी से उस लड़की को अपने वश में कर लिया था। मैं डॉक्टर के साथ सोफ़े पर बैठ गया और उस लड़की के आने का इंतज़ार करने लगा।
कुछ देर बाद उस लड़की की आवाज़ हमें सुनाई दी- मेरे कपड़े यहाँ नहीं हैं!
वो दरवाज़े के पास चादर लपेटे खड़ी थी। मुझे याद आया उसने कपड़े हॉल में उतारे थे जिसे मैंने उठाकर वाशिंग मशीन के ऊपर रख दिया था। मैं उठा और उसके कपड़े लेकर उसे दे दिये । कपड़े उसे पकड़ाते हुए मेरे अंदर थोड़ा सा डर भी था लेकिन डॉक्टर की मौजूदगी की वजह से मैं यह साहस कर गया।
सॉरी… मैंने सुबह आपके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया!” उसने मेरी ओर देख कर कहा।
मैं हैरान था कि इस लड़की को सब कुछ याद है, मुझे लगा था कि यह सब भूल गयी होगी।
“इटस ओके!” मैंने उसे जवाब दिया और वापस डॉक्टर के बगल में बैठ गया।
कुछ देर में वो लड़की हॉल में आ गई, डॉक्टर ने उसे बैठने को कहा, वो चुपचाप सोफ़े पर डॉक्टर के बगल में बैठ गयी।
“अगर तुम कम्फर्टेबल नहीं हो तो हम अकेले में भी बात कर सकते हैं.” डॉक्टर का इशारा मुझसे था लेकिन मुझे डॉक्टर की यह बात अच्छी नहीं लगी।
“मैं इन पर भरोसा कर सकती हूं, आप जो पूछना चाहते हैं पूछ सकते हैं.” उस लड़की ने कहा और मैं खुश हो गया।
“ठीक है, सबसे पहले तुम अपने बारे में बताओ कि तुम कौन हो, तुम्हारा नाम क्या है, तुम्हारे माता पिता कौन हैं?” डॉक्टर ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा। उसने बताना शुरू किया: दोस्तों अभी कहानी बाकि है, उस लड़की की क्या कहानी थी जानने के लिए कहानी के अगले भाग का इन्तेजार करिए, और हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ते रहिये.