• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer

HamariVasna

Hindi Sex Story Antarvasna

  • Antarvasna
  • कथा श्रेणियाँ
    • Baap Beti Ki Chudai
    • Desi Adult Sex Story
    • Desi Maid Servant Sex
    • Devar Bhabhi Sex Story
    • First Time Sex Story
    • Group Mein Chudai Kahani
    • Jija Sali Sex Story
    • Kunwari Ladki Ki Chudai
    • Lesbian Girl Sex Kahani
    • Meri Chut Chudai Story
    • Padosan Ki Chudai
    • Rishto Mein Chudai
    • Teacher Student Sex
  • Girlfriend Boyfriend Sex Story
  • Bhai Bahan Sex Stoy
  • Hindi Sex Story
  • माँ बेटे का सेक्स
  • अपनी कहानी भेजिए
  • ThePornDude
You are here: Home / Hindi Sex Story / मेरी पत्नी अपने मैनेजर की रखैल बन गई

मेरी पत्नी अपने मैनेजर की रखैल बन गई

जुलाई 2, 2024 by hamari

Wife Live Chudai Show

मैं 34 साल का हूँ, और मेरी बीवी का नाम दीपाली है| मेरा खुद का एक कंप्यूटर सेंटर है और मेरी बीवी एक बैंक में असिस्टेंट मैनेजर है | मैं हर रोज़ सेंटर पे जाने से पहले दीपाली को बैंक में छोड़ता हूँ. एक दिन दीपाली ने घर आ कर बताया के उनके बैंक ने एडवांस कंप्यूटर कोर्स के लिए क्वोटेशन्स फ्लोट की है और बिड की आखरी तारीख भी बता दी. Wife Live Chudai Show

मैंने दीपाली से कहा की अगर ये contract हमें मिल जाए बात बन जाएगी. दीपाली ने कहा की वो पूरी कोशिश करेगी. अगले दिन घर आ कर दीपाली ने फिर बताया कि सारा मामला उनके मैनेजर सिस्टम के हाथ में है और उसका नाम अशोक है.

दीपाली ने ये भी बताया कि अशोक आज लंच के बाद उसे मिला था और चलते चलते उसने दीपाली से पूछा था कि ये कंप्यूटर कोर्स वाले मामले में क्या वो अशोक को असिस्ट कर सकती है. इस पर दीपाली ने कहा कि सर आप रीजनल मैनेजर सर से बात कर लो, मुझे कोई दिक्कत नहीं है..

अगले दिन दीपाली ने कहा कि मैं उसे बैंक के सामने न उतारूँ क्योंकि वो कोशिश करेगी के बैंक वालों को ये पता न चले कि ये बिज़नस मैं भी करता हूँ और मैं दीपाली का पति हूँ. मैं दीपाली की प्लानिंग समझ गया और उस दिन से उसे बैंक से दूर उतारने लग गया.

इसी बीच मैंने भी बैंक में अपना कोटेशन भी दाल दिया. 1 हफ्ते के बाद शाम को 4:30 बजे के करीब दीपाली ने बैंक से मुझे फोन किया और कहा “हो गया” बाकी बात शाम को. मै ख़ुशी के मारे उछल पड़ा. शाम को दीपाली आई तो हम दोनों ख़ुशी के मारे पागल हो रहे थे.

दीपाली ने कहा की भूल से भी किसी को ये पता न चले की हम दोनों पति पत्नी हैं. मैंने कहा बिलकुल पता नहीं चलेगा. दीपाली ने कहा की अशोक के साथ दोस्ती गांठना अब मेरी जिम्मेवारी होगी, ताकि आगे के लिए बैंक कंप्यूटर से संबंधित सर्विस करने के लिए अशोक मेरा मुह ही ताके क्यों की अब सब कुछ उसी के ही हाथ में है.

इसे भी पढ़े – मरीज के प्यार में बीमार हो गई प्यासी डॉक्टर 1

मैंने कहा तुम चिंता मत करो और अब मैं सब को शीशे में उतार लूँगा. और उस रात हम दोनों ने जम कर सेक्स किया. धीरे धीर बैंक के लोग शाम को बैंक टाइम ख़तम होने के बाद 1 घंटा कंप्यूटर कोर्स के लिए आने लग पड़े. बीच बीच में मेरी अशोक से भी बात होती रहती थी.

1 हफ्ते के अन्दर ही हम 3-4 बार मिले और 7-8 बार फोन पर बात हुई. एक दिन दोपहर 3 बजे अशोक का फोन आया और उसने कहा कि उसके लिए कोर्स अटेंड करने के लिए कोई 7 बजे का टाइम फिक्स कर लो और साथ ही अशोक ने ये भी कहा की कि कोई अच्छा सा इंस्ट्रक्टर भी अप्पोइंट कर दूं.

मैंने कहा “सर आप आज शाम को आयिए सब अरेंजमेंट हो जायेगा.”

शाम 7:30 बजे के करीब अशोक मेरे केबिन में आया. फिर हम दोनों बैठ कर बातें करने लगे. अशोक ने कहा कि क्या किसी अच्छे इंस्ट्रक्टर को कहा मैंने. मैंने कहा कि आपको कोई ज़रूरत नहीं है क्लास अटेंड करने की और न ही इंस्ट्रक्टर की, मैं आपको यहीं अपने ऑफिस में अपने लैपटॉप पे सिखा दूंगा.

2-3 दिनों में ही हम काफी घुल मिल गए और फिर 4th day क्लास ख़तम होने पर मैंने कहा “सर आप आज मेरे साथ डिनर करिए”.

अशोक ने कहा- “हाँ ठीक कहते हो आज सारा दिन बहुत काम था. एक-एक बियर भी पियेंगे… तुम पी लेते हो न बियर”.

मैंने कहा “चलो आज थोड़ी मस्ती करते हैं, बढ़िया वाली बियर पीते हैं.”

और में अशोक को एक बहुत अच्छे रेस्टोरेंट में ले गया. बियर पिटे हुए हम ने इधर उधर की बातें शुरू की.

फिर अशोक ने कहा- “यार तुम तो सारा दिन फ्रेश रहते होओगे. हर क्लास में कितनी सुंदर सुंदर लड़कियां आती हैं”.

मैं जोर से हंसा और कहा- “और हम ये सोचते हैं की आपके बैंक में एक से एक पटाका एम्प्लोयी है”.

उसने हँसते हुए कहा,” हाँ और वो भी आज कल तुम्हारी स्टूडेंट्स हैं”.

फिर हम दोनों हंस पड़े. अशोक ने कहा- “यार सोमित ! हमारे बैंक का पटाका नंबर 1 तो अभी तुमने देखा नहीं है”.

मैंने पूछा कब दिखा रहे हो. इस पर अशोक ने कहा- “अरे जी भर के देख लेना तुम भी. मैं तो दीवाना हूँ उसका, एक बार, तुम्हें अगर उसकी मिल जाये, सच कहता हूँ तुम्हारी लाइफ बन जाएगी”.

मैंने कहा :” मतलब आप पेल चुके हो उसको!!!”

“अरे यार सोमित बस पूरी कोशिश में हूँ, पिछले दो हफ़्तों से ही ज्यादा इंटिमेसी हुई है बस कार में ही थोडा बहुत कर पाए हैं.”

मैंने कहा: “क्या क्या कर चुके हो बताओ न, अब मेरे साथ बैठ के बियर पी सकते हो तो बता भी दो क्या क्या किया है और कौन है वो पटाका?”

अशोक ने हँसते हुए कहा. “नहीं यार असल में बहुत ही सेक्सी है. पता नहीं कब देगी, स्मूच तक तो बात पहुँच चुकी है और 5 -6 बार बूब्स भी दबवा चुकी है, लेकिन एक तो वो शाम को ही फ्री होती है और दूसरे हम कार में होते हैं, तीसरे वो भी शादीशुदा है और मैं भी. इसलिए दुनिया की नज़रों से भी बचना चाहते हैं. और भाई असल में तो बात ये है के कार में जगह कम होती है नहीं तो उसको कब का रगड़ दिया होता”.

“अरे भाई साब मिलवाओ तो कभी उसको, आप तो सब कुछ हो बैंक में, अपने साथ ही ले आया करो ट्रेनिंग के लिए.”

शाम को करीब 7 बजे अशोक आ गया और साथ में थी दीपाली. मैंने अशोक से हाथ मिलाया और दीपाली से अनजान बना रहा. अशोक ने हमारी इंट्रोडक्शन करवाई. अशोक ने दीपाली को कहा, “दीपाली मेरी नोटबुक कार कि बैक सीट पे ही रह गयी है प्लीज ले आओ”. और दीपाली उठी ओर नोटबुक लेने चली गयी.

मैंने पूछा, “आपका वो पटाका नहीं आया.”

तभी अशोक ने कहा, “अरे यही तो है जो तुमने अभी देखा!”

यही है वो पटाका! और मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी. मुझे लगा कि मेरे दिल की धड़कन रुक गयी. मैं अभी पिछली शाम कि बातें सोच ही रहा था कि अशोक ने कहा था कि— “नहीं यार असल में बहुत ही सेक्सी है, पता नहीं कब देगी, स्मूच तक तो बात पहुँच चुकी है और 5 -6 बार बूब्स भी दबवा चुकी है.”

तभी अशोक ने कहा, “आज प्रोग्राम बना के आया हूँ के यहाँ से जाते हुए रास्ते में पक्का कुछ न कुछ करूंगा.”

इतने में केबिन का दरवाज़ा खुला और दीपाली नोटबुक ले कर आ गयी. उससे अशोक ने कहा, “तुम क्लास अटेंड कर लो मैं सोमित जी के साथ कुछ ज़रूरी काम कर लेता हूँ.”

दीपाली के बाहर जाते ही अशोक ने कहा,  “क्यों भाई कहा खो गए? कैसी लगी?”

अब मैं अशोक को क्या बताता कि लगी तो बहुत अच्छी लेकिन जो लगी थी वो मेरी गांड लगी थी धरती में.

मैंने कहा,”हाँ हाँ बहुत अच्छी है बिलकुल मस्त.”

“आज हम एक स्टेप और बढ़ गए.”

“क्या?”

“बैंक से ले कर यहाँ तक मैंने उसका हाथ अपनी पेंट के ऊपर से ही अपने लंड पे रखवाया और कमाल तो ये हुआ कि इसने एक बार भी नहीं हटाया और मेरी पेंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाती रही.”

ये मैं क्या सुन रहा था वो भी दीपाली के बारे में जो पिछले 7 साल से मेरी पत्नी है. क्या वो ये सब ज़बरदस्ती सह रही है मेरे लिए! या इस कॉन्ट्रैक्ट तो हांसिल करने के लिए, ये मैंने क्या किया? अपनी पत्नी को फ़ोर्स किया? क्या इस सब का रीज़न मैं हूँ?

तभी अशोक ने मेरा ध्यान तोडा, उसने कहा, ” आज तो पक्का इसकी चुदाई करूँगा चाहे होटल ही बुक क्यों न करवाना पड़े.”

मैंने कहा, “और ये घर पे क्या बताएगी?”

“जो मर्ज़ी बताए लेकिन सोमित सच कह रहा हूँ पूरी तरह तैयार है देने को. मैं ही देर कर रहा हूँ. कोई जगह भी तो नहीं है.”

उस समय मुझे जलन और गुस्सा दोनों हो रहा था लेकिन मेरा लौड़ा भी टाइट हो गया था.

तभी अशोक ने कहा, “यार सोमित कर सको तो तुम कोई तो अरेंजमेंट करो.”

मेरे मुह से अनायास निकल पड़ा, ” ऐसा है कि मेरे पास तो ये कंप्यूटर सेंटर है.. और ये रात 8:30 के बाद बंद होता है और खाली रहता है.”

हे भगवान् !!!! ये मैं क्या कह रहा था…. अशोक को चोदने के लिए अपनी पत्नी दे रहा था और अपनी ही जगह दे रहा था. इससे पहले मैं संभल पाता अशोक ने कहा, ” ये हुई न बात! बस 8 :30 का बाद आज ही!”

खैर अशोक के कहने से क्या होगा, जब दीपाली मानेगी तभी न! मुझे पाता था कि दीपाली चुदने के लिए यदि तैयार तो यह कभी नहीं चाहेगी कि मुझे इस बात का पता लगे इसलिए अगर वो यहाँ चुदने के लिए तैयार हुई तो इसका मतलब कि वो जानती है कि मेरे और अशोक के बीच में क्या बात है. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

लेकिन ऐसा नहीं हो सकता!! तभी मेरे मन में एक विचार कौंधा. मैंने अशोक से कहा कि मैं अभी आया और बाहर जा कर मैंने दीपाली के मोबाइल पे फोन किया और कहा, “मै उसे ये बताना भूल गया था कि मुझे आज रात को एक पार्टी में जाना है और पार्टी एक फार्म हॉउस में है.”

दीपाली ने कहा, “अब क्या करें?”

मैंने कहा,” वैसे तो मैं विवेक(ऑफिस असिस्टेंट जो सबसे बाद में जाता है) को कह दूंगा कि वो ध्यान रखे, लेकिन क्या अशोक को इस तरह छोड़ के जाना शालीनता होगी?”

दीपाली ने कहा ,”तुम अशोक को कह दो कि कोई इमरजेंसी है और जल्दी से घर जा के तैयार हो जाओ और पार्टी में जाओ. मैं बाद में आ जाउंगी. और फिर सेंटर पे मैं तो रहूंगी ही. चिंता कि कोई बात नहीं है.”

एक पल के लिए मुझे लगा कि दीपाली कि चूत के होठों में शायद अशोक को सोच कर पानी आ रहा है. फिर मुझे गिल्टी फीलिंग भी हुई कि मैं ये क्या सोच रहा हूँ. खैर वापिस ऑफिस में आ कर मैंने अशोक से कहा कि मुझे तो कोई इमरजेंसी है और अभी जाना पड़ेगा लास्ट क्लास चल रही है 15 मिनट के बाद ख़तम हो जाएगी.

इसे भी पढ़े – प्यासी औरत को संतुष्ट किया स्वामी ने 1

अशोक ने तुरंत कहा,”सोमित क्या रात को यहाँ पे कोई और भी रहता है ?”

“कोई नहीं बस विवेक सबसे बाद में लॉक लगा कर जाता है.”

“तुम विवेक को कह दो कि आज लॉक मैं लगा कर चाबी उसके घर दे दूंगा.”

मैंने पूछा,” पक्का आज ही करोगे और अगर उसके पति को पता चल गया तो?”

“यार वो कोई बहाना बना देगी और फिर कौन सा हमने पूरी रात बितानी है? 1 घंटे में फ्री हो जायेंगे हम दोनों.”

मैंने सोचा कि मैं ये क्या कर रहा हूँ?.क्या मेरे दिमाग में जो विचार कौंधा था क्या वो मैं देखना चाहता हूँ?

तभी न चाहते हुए भी मैंने इण्टरकॉम पे विवेक को बुलाया और कहा,” अशोक सर को सेंटर कि सारी चाबियाँ दे दो और सुबह इनके घर से ले लेना अभी 1-2 घंटे इनको बैंक की कोई स्टेटमेंट्स वेरीफाई करवानी हैं मुंबई ब्रांच से.”

विवेक ने चाभियां अशोक को दे दी और फिर मैं उसको बॉय बॉय कह के बाहर आ गया. जिस बिल्डिंग में मेरा कंप्यूटर सेंटर है उसके साथ वाली बिल्डिंग नयी बन रही थी. मैं कार में बैठा और घुमा फिरा कर कार उस बिल्डिंग के पीछे ले गया. वहां अँधेरा और गन्दगी पड़ी थी.

वहां पे 2 ट्रक और एक वन खड़ी रहती थी. मैंने सलीके से अपनी कार उन दोनों ट्रकों और वन के बीच खड़ी कर दी और जल्दी से कूड़े के ढेर में से होता हुआ साथ वाली बन रही बिल्डिंग के पिछले हिस्से से अन्दर घुस गया और सीढ़ियों से चढ़ कर टॉप फ्लोर पे पहुँच गया सारा शहर दिखाई दे रहा था.

मैं 6th फ्लोर पे था और साथ वाली बिल्डिंग में मेरा ऑफिस 4th फ्लोर पे था. मैं जल्दी से छत के रास्ते होता हुआ अपने बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पे आ गया. और नीचे देखते हुए इंतज़ार करने लगा की कब सभी लोग सेंटर से बाहर जायेंगे.

धीरे धीरे सभी बाहर आने लगे और लास्ट में १० मिनट के बाद विवेक निकला और चला गया. अब मेरी मेरी पत्नी दीपाली और अशोक सर अकेले मेरे कंप्यूटर सेंटर में थे. मैं फटा फट भाग कर 4th फ़्लोर पे आगया और कॉरिडोर से होता हुआ बिल्डिंग की पीछे वाले इलाके में चला गया.

वहां पर लकड़ी का दरवाज़ा सिर्फ चिटकनी के साथ बंद था. दरवाज़ा खोल कर मैं अन्दर घुस गया और अन्दर से चिटकनी लगा ली. ये हमारे कंप्यूटर सेंटर की किचन थी. किचन में घुप अँधेरा था. थोड़ी थोड़ी लाइट बस दरवाज़े के नीचे से आ रही थी.

लेकिन सर्विस विंडो के शीशे पर ब्लैक कलर का चार्ट चिपकाया हुआ था. जो की पुराना हो चूका था और थोडा थोडा सा फट रहा था. मैंने थोडा सा उसे और फाड़ा और मेरा कंप्यूटर सेंटर पूरा दिखाई दे रहा था!. अशोक और दीपाली मेरे ऑफिस केबिन में थे.

उसने दीपाली को कुछ कहा और वो उठ कर गयी और मैं दूर को लॉक कर दिया. लॉक ऐसा था जो कि बाहर से भी खुल सकता था और अन्दर से भी. उस लॉक कि एक चाबी मेरी जेब में थी. मैं चाहता तो अपनी पत्नी का भांडा फोड़ सकता था.

पर पता नहीं क्यों मैं उसे किसी दूसरे मर्द से चुदने कि चाहत दिल में बिठा चुका था. और वो भी वो आदमी जिसने मेरे सामने ही मेरी पत्नी के बारे में बहुत कुछ बताया था. अब मुझे सिर्फ इस बात का इंतज़ार था कि क्या दीपाली ने ये सब मुझे ये कॉन्ट्रैक्ट दिलवाने कि लिए किया है?

इतने में दीपाली वापिस आई और अशोक ने उठ कर उसे अपनी बाहों में भर लिया और लगा दीपाली के होंठ चूसने. वे मुझ से करीब 25 फ़ुट कि दूरी पे थे पर साफ़ पता चल रहा था कि दीपाली भी पूरा साथ दे रही थी. अब अशोक ने अपने एक हाथ दीपाली के चूतड पे रखा और उसे दबाने लगा.

फिर दूसरा हाथ भी दूसरे चूतड पे रख के दबाने लगा. दीपाली के होंठ अशोक के होंठों से चिपके हुए थे ओए वो उन्हें बिलकुल अलग नहीं कर रही थी. तभी अशोक ने एक उंगली दीपाली के चूतडों की दरार में घुसा दी और दीपाली थोडा सा उछल पड़ी. अब धीरे धीरे अशोक अपने हाथों से दीपाली की साड़ी उठाने लगा.

तभी दीपाली ने अशोक को कुछ कहा और वो उस से अलग हो गयी और स्विच बोर्ड के पास जा कर लाइट बंद कर दी और मेरे केबिन में अँधेरा हो गया. मैंने सोच की शायद वो शरमा रही है इसलिए लाइट बंद कर दी है.

अब वो दोनों थोड़े थोड़े ही दिखाई दे रहे थे क्योंकि मेन हॉल में लाइट अभी भी जल रही थी और उसकी रोशनी मेरे केबिन में भी जा रही थी. लेकिन वो दोनों मेरे केबिन से निकल कर हॉल में आ गए और अब मुझे उस दोनों कि बातें सुनाई देने लगी.

अशोक ने पूछा ”क्या हुआ, वहां क्यों नहीं?”

दीपाली ने कहा,” वो जो विंडो है, वहां पे लाइट जलने से नीचे सडक पे पता लगता है कि सेंटर में अभी भी कोई है, और कोई आ न जाये इसलिए इस हॉल में ज्यादा ठीक रहेगा”.

‘ ‘लेकिन यहाँ करेंगे कैसे. सोफा तो सोमित के केबिन में ही है”.

“अरे बाबा जब करना होगा तो वहां चल पड़ेंगे. लाइट ज्यादा ज़रूरी है क्या?”

और इतना कहते ही अशोक ने दीपाली को फिर से अपने बाहों में जकड लिया और लगा चूमा चाटी करने. अब वो भी अशोक को बेतहाशा चाट और चूम रही थी. एक दुसरे को चूसते चाटते हुए ही अशोक ने दीपाली के ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए. और थोडा सा पीछे हो कर सामने से उसके खुले ब्लाउज को देखने लगा.

“क्या देख रहे हो?”

“देख रहा हूँ कि तुम कितनी सेक्सी हो. ज़रा देखो अपने बूब्स को! कितनी सुंदर तरह से इस सेक्सी ब्रा में पैक्ड हैं.”

“तो ये गिफ्ट पैक खोल के अपना गिफ्ट ले लो!”

और अशोक अपने दोनों हाथ दीपाली के पीछे ले गया और ब्रा के हुक खोलने लग गया. ब्रा के हुक खुलते ही दीपाली के बूब्स हलके से नीचे की और लहराए. अब अशोक दीपाली से अलग हो गया और २-3 कदम पीछे हट कर देखने लगा.

“अब क्या हुआ आपको?”

“देख रहा हूँ तुम्हें के क्या लाजवाब लग रही हो. थोडा सा साड़ी का पल्लू हटाओ.”

और पल्लू हटाते ही अशोक के साथ साथ मैं भी अपनी पत्नी के सौंदर्य को निहारने लगा. ब्लाउज के खुले हुक और उसमें से झांकती वाइट ब्रा जो की अब हुक खुल जाने के कारण मुश्किल से दीपाली की चूचियों को ढक पा रही थी. दीपाली के निप्पल अभी भी ब्रा के पीछे ही थे लेकिन उसके बूब्स की गोलाइयाँ और शेप साफ़ नज़र आ रही थी.

इसे भी पढ़े – बहन के गुलाबी होंठो पर लंड रखा

“कार में तो बड़े उतावले होते हो इनको पकड़ने के लिए? और अब खोल के भी छोड़ दिए?”

“दीपाली ! क्या तुम्हें कभी किसी ने बताया है की तुम कितनी सेक्सी हो?”

“क्या मतलब ?”

“इधर आओ.”

दीपाली अशोक के पास गयी और अशोक ने दीपाली की साड़ी के नीचे फिर से हाथ डाला और कुछ हलचल हुई. और दीपाली ने हलकी से मुस्कराहट के साथ हंसी की फुलझड़ी सी छोड़ी और कहा,”अरे रुको तो!” और अब अशोक ने दीपाली की साड़ी और पेटीकोट ऊपर उठाना शुरू किया.

घुटनों से साडी ऊपर उठे ही मैंने देखा की दीपाली की पीले रंग की पेंटी दीपाली के घुटनों में फंसी हुई थी. मैंने सोच की ओह्ह तो वो हलचल दीपाली की पेंटी को नीचे करने की थी. अशोक का एक हाथ दीपाली के चूचे को रगड़ रहा था और दूसरा हाथ साडी के अन्दर था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

क्योंकि दीपाली की पेंटी अब उसके घुटनों के आसपास थी इसलिए मुझे यकीं था की अब अशोक की उंगलिया मेरी पत्नी की चूत से खेल रही थी. तभी दीपाली ने एक हलकी सी आह भर कर अपनी आँखे बंद कर ली….

“क्या हुआ? मज़ा आया?”

दीपाली ने हाँ में सर हिलाया और अपना हाथ अशोक की गर्दन में लपेट लिया.

दीपाली थोड़ी से जोर से हिली और बोली,” प्लीज़ दो उँगलियाँ नहीं,एक से ही कर लो.”

अशोक मेरी पत्नी की चूत में उंगली डाल रहा था. तभी अशोक ने वहां पड़ी एक रिवॉल्विंग कुर्सी पे दीपाली को बिठाया और कहा, “दीपाली तुम्हारे हस्बैंड कितने लकी हैं, अगर मैं तुम्हारा पति होता तो दिन रात तुम्हारी साड़ी में ही घुसा रहता.”

“तुम्हें क्या पता मेरी साड़ी में क्या है?”

“मेरी इन उँगलियों ने देख लिया है की क्या है तुम्हारी साड़ी में और वो ये बता रही हैं कि साड़ी में जो छेद है वो उँगलियों से खेलने कि नहीं है.”

“तो फिर किस चीज़ से खेलने कि है?”

अशोक ने अपनी जीभ की टिप निकली और कहा,”-इस से.”

ये कह कर अशोक, दीपाली की पेंटी निकालने लगा.

अशोक ने दीपाली को थोडा सा कुर्सी पर और लिटाया ताकि उसके चूतड़ थोड़े से बाहर निकल आयें और दीपाली की साड़ी को ऊपर उठा दिया. अब दीपाली की गोरी गोरी पिंडलियाँ और जांघे अशोक को तो क्या मुझे भी साफ़ साफ़ नज़र आने लगी. अशोक ने जांघो को थोडा सा खोला और अब दीपाली की चूत , जिस पर छोटे छोटे बाल थे, नज़र आने लगी.

अशोक ने एक लम्बी सांस भरी और कहा-,”ओह गॉड ! दीपाली तुम्हारी चूत इतनी सुंदर है !”

“अशोक !! मुझे शर्म आ रही है. प्लीज़ ऐसे मत बोलो !”

“दीपाली ! सच कह रहा हूँ, इतनी सुंदर चूत मैंने आज तक नहीं देखी.”

अशोक ने दीपाली की चूत की दरार में अपनी जीभ फिरानी शुरू की. और जैसे ही अशोक की जीभ चूत पर नीचे से ऊपर गयी, दीपाली ने एक छोटी सी सिसकी ली. अब अशोक ने अपनी जीभ पूरी बाहर निकली और दीपाली की चूत पर सबसे नीचे रखी और पूरी जीभ से दीपाली की चूत को चाटता हुआ धीर धीर ऊपर ले जाने लगा.

“आआ…ह्ह्ह्हह्ह….. ओह्ह्ह …..मर जा….उंगी……मैं…..अह्ह्. ह…….उह्ह्ह बस….बस अशोक….!!!”

इतना कहते ही दीपाली ने अशोक के बाल पकड़ किये और सारा शरीर अकड़ने लगा. और बोली,” ओह्ह्ह गौड़ड़ड़ !……ऑउच……….अह्ह्ह…. आई म…. कम्मिंग!! ….अशोक !!!

और ये दीपाली का पहला ओर्गास्म था. दीपाली ने शायद 1 मिनट तक लम्बी लम्बी साँसे ली.

“अरे दीपाली तुम तो पहले चखने में ही निकल गयी! इतनी जल्दी !”

और दीपाली अशोक को देख कर मुस्करा दी और कहा,”.प्लीज़ डू इट अगेन!”

और अब अशोक ने दीपाली की चूत को जीभ से चाटने की रेल सी चला दी. लगा मेरी बीवी की चूत को अच्छी तरह से चाटने. अब अशोक मेरी पत्नी की चूत के अंदर जीभ घुसाने लगा और दीपाली की आहें तेज़ होती गयी. अशोक ने अपना चेहरा थोडा सा पीछे किया और अपने हाथो की दोनों उँगलियों से दीपाली की चूत की फलको को खोलने और फिर अपनी पूरी लम्बी जीभ से अन्दर उनको को चाटने लगा.

तभी दीपाली ने कहा,” लिंक माय क्लिट प्लीज़ .”

उसकी तरफ देख कर अशोक ने कहा,”अभी चाटता हूँ दीपाली,.तुम देखती जाओ आज तुम्हारी कैसे हर तमन्ना पूरी करूँगा.” और ये कह कर अशोक ने दीपाली कि चूत की क्लिट अपनी जीभ के टिप से चाटना शुरू किया.

” अह्ह्ह्ह…..हाँ ……….धीरे थोडा धीरे अशोक……..आउच ……..अह्ह्ह…… अहह्म्म्म…..ओह माय गॉड . ये क्या कर रहे हो !!” और अशोक ने अब दीपाली की क्लिट अपने लिप्स के बीच में पकड़ लिया और चूसने लगा.

“बस करो अशोक !!!! मर जाउंगी मैं ……ऊह्ह्ह्ह …….फिर से होने वाली हूँ मैं …….आःह्ह….. …..आ रही हूँ मैं फिर से…….थोडा और……यहीं पे… बस यही पे… और करो …..आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!!!”

और दीपाली एक बार फिर से झड़ने लगी. १-२ मिनट तक अकड़ती रही और फिर निढाल हो कर कुर्सी पे अधलेटी सी हो गयी. अशोक एक विजयी मुस्कान के साथ उठा और कहा,”क्या हुआ दीपाली ? थक गयी हो क्या अभी से?”

दीपाली ने एक थकी हुई मुस्कान के साथ कहा,” अगर कहूँ कि थक गयी हूँ तो क्या आप मुझे छोड़ दोगे?”

“अच्छा बाबा थोड़ी देर आराम कर लो.”

“जी नहीं अब तो एक बार ही आराम होगा.”

इसे भी पढ़े – शराबी भैया मेरी बिस्तर में घुस गए

और उँगली से अशोक को अपने पास आने का इशारा किया. जैसे ही अशोक दीपाली कि लेफ्ट साइड पे आया, दीपाली ऊपर मुंह करके अशोक की और देखने लगी लेकिन उसके हाथ अशोक के पैंट खोलने लगे. बेल्ट और पैंट के हुक खोलने के बात दीपाली ने अशोक कि पैंट नीचे सरका दी और अशोक ने सफ़ेद रंग का अंडरवियर पहना हुआ था.

अशोक ने पूछा,”क्या देख रही हो.”

“अभी तो कुछ नहीं दिखा?”

” क्या देखना चाहती हो.”

दीपाली ने कुछ नहीं बोला और उंगली से अशोक के अंडरवियर के उभरे हुए हिस्से की तरफ अपनी आँखों से इशारा किया.

“कौन रोक रहा है? देख लो.”

दीपाली नीचे मुंह करके बोली, मुझे शर्म आ रही है.”

अशोक ने कहा ,”जब …”फिर से होने वाली हूँ मैं …….आःह्ह……आ रही हूँ मैं फिर से…….थोडा और……यहीं पे…बस यही पे…और करो” कह रही थी तो शर्म नहीं आ रही थी क्या…मेरा लौड़ा देखने में शर्म आ रही है अब !”.

“हाय राम कितने गंदे हो आप….!!! कैसे कैसे बोलते हो”.

“अरे अगर लौडे को लौडा नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे?”

” अच्छा अब चुप भी करो.”

“तो फिर निकालो इसे बाहर नहीं तो फिर से कहता हूँ लौ..”.

इतना कहता ही दीपाली ने ध्रुव के अंडरवियर धीरे नीचे करने लगी. अंडरवीयर नीचे आते ही अशोक का कड़ा सा लंड बाहर आ गया. लौड़े का टोपा मशरूम जैसा चिकना और मोटा. दीपाली ने हाथ में ले कर लौड़ा थोड़ी देर तक मुठियाया… और फिर बिना कोई नोटिस दिए एक किस लंड के सुपाड़े पे दे दी. जब से हमारी शादी हुई है दीपाली ने सिर्फ २ बार मेरे लंड पे किस की है. हाथ में ज़रूर पकड़ लेती है.

अशोक ने कहा,”दीपाली एक बात पूछूं?”

दीपाली ने लंड पकडे हुए अशोक की और देखा और कहा “हाँ पूछिए.”

“तुम्हारे पति से बड़ा है क्या?”

दीपाली ने कहा ,”नहीं मेरे पति से बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन इसका मशरूम शेप और गोरापन ज्यादा है.”

दीपाली अभी भी अशोक के लुंड को मुठिया रही थी और फिर ऐसा हुआ की एक दम से अपनी जीभ निकली और लंड की लम्बाई को जीभ से चाटने लगी. नीचे से ऊपर-ऊपर से नीचे….और फिर मुह खोल के पूरा सुपाड़ा अंदर ले कर चूसने लगी.

दीपाली बड़ी मुश्किल से मेरे लंड चुस्ती थी और यहाँ मेरी बीवी किसी गैर मर्द के लैंड मुंह में डाल कर चूस रही थी. कितनी तम्मना थी मेरी की मेरी बीवी मेरा लंड चूसे. लेकिन वो आज किसी और की तम्मना पूरी कर रही थी. दीपाली, अशोक के लौड़े को ऐसे चूस रही थी मानो पता नहीं कितने सालों से लंड चूसने की प्रैक्टिस है.

अशोक बड़बड़ाने लगा,” फ़क यू दीपाली ! ओह्ह माय गॉड ! लगी रहो…..बहुत अच्छा लग रहा है.”

५-७ मिनट चूसने के बाद दीपाली ने लौड़ा मुंह से बहार निकाला और अशोक के टट्टे चाटने लगी.

तभी अशोक बोला,” बस यार…अब और नहीं…..!!!”

दीपाली ने ऊपर देख कर पूछा क्या हुआ?

अशोक ने दीपाली को उठाया और कुर्सी पे बिठाया और कहा “चौड़ी करो अपनी टाँगे.”

दीपाली ने कहा,” अरे रुको ….यहाँ नहीं……कंडोम नहीं है….प्लीज़ …बिना कंडोम के नहीं!”

अशोक दीपाली के चेहरे के पास आया और होंठो से होंठ मिला कर बोला, “दीपाली आई वान्ना फ़क यु राइट नाउ! मै तुमको नंगे लंड से यही चोदना चाहता हूँ! तुम्हरी चूत मेरे लंड को पूरा महसूस करे दीपाली रानी!”.

दीपाली मिमयाती बोली,” लेकिन बिना कंडोम के? ये मेरे सेफ डेज भी नहीं हैं,प्लीज़ अशोक मान जाओ !

अशोक बोला,” सिर्फ एक बार कह दो तुम्हारा मन नहीं है मैं कुछ नहीं करूँगा.”

दीपाली ने शर्माते हुए कहा,”मन तो बहुत है अशोक लेकिन बिना कंडोम के खतरा है,कहीं कुछ गडबड न हो जाये.”

अशोक ने कहा ,” दीपाली चिंता मत करो, तुम्हारे अंदर नहीं छोडूंगा ,पक्का जेंटलमैन प्रॉमिस.”

और ये कह कर दीपाली के होंठ चूसने लगा. यह कह के अशोक, दीपाली से अलग होने लगा. तभी दीपाली ने अशोक का लौड़ा (जो अब थोडा ढीला पड़ चूका था) पकड़ा और धीरे से कहा “अरे बाबा ! मैं कह रही हूँ आज तो कर लो पर फिर कभी कंडोम के बिना मत करना.”

अशोक ने मुस्कुराते हुए कहा,”बहुत शरारती हो तुम.”

और फिर अपना ठीला होता लौड़ा एक बार फिर से दीपाली के मुंह में दे दिया और दीपाली फिर से उसे चूसने लगी और 1 मिनट के अंदर ही फिर से एक दम कड़क लंड बना दिया. अब अशोक ने अपना लौड़ा दीपाली के मुंह छुडवाया और दीपाली उसकी जांघे चौड़ी कर के उसकी चूत को 7-8 बड़े बड़े चुंबन दिए और दीपाली सिहरने वाली ही थी कि अशोक ने उसे छोड़ दिया.

अशोक जैसे ही दीपाली कि चूत पे अपना लौड़ा लगाने लगा तो दीपाली ने अशोक का लंड पकड़ा और चूत के ऊपर रख दिया. जिस चूत को मेरे लंड ने चोदा था अब वो मेरे ही ऑफिस में किसी गैर मर्द के साथ चुदवाने के लिए तैयार थी. और मैं एक बेचारे की तरह छुप के देख रहा था.

तभी दीपाली ने कहा,” अशोक! अगर मुझे तुमसे प्यार हो गया तो?”और कह कर हंस दी.

“ओह्ह्ह! आई लव यु दीपाली!”और कह कर अपना लंड धीरे धीरे दीपाली की चूत में घुसेड़ना लगा.

” अह्ह्ह्ह्म्म्म्म ……आह…..धी..रे …धी….रे….अहह….हाँ करो अब पूरा अंदर…..आउच …..पलीज़ .थोडा धीरे!”

और अशोक ने धीरे धीरे अपना पूरा लौड़ा मेरी पतिव्रता पत्नी की चूत में जड़ तक घुसा दिया.

” कैसा लग रहा है?”

“प्लीज़ अशोक अभी धक्के शुरू मत करना!” और दीपाली ने अशोक की बाहों को कस के पकड़ लिया और आँखे बंद कर ली और थोड़ी तेज़ आवाज़ में फिर से कहा, “अशोक अभी बाहर मत निकलना!!! मैं अह्हह्ह…..फिर से……ओह्ह्ह्ह्ह्ह….हे भगवान…….यार क्या हो तुम……आः.. अह्ह्म्म……ओह्ह गॉड …आई आम कम्मिंग अशोक!!.येस्स्स .. !!! आई आम कम्मिंग अगेन!!”

और दीपाली एक बार फिर से झड गयी. इधर अशोक ने दीपाली के झड़ते ही चूत की चुदाई शुरू कर दी…जैसे ही अशोक ने अपना लौड़ा दीपाली की चूत से बाहर निकालता तो लौड़ा दीपाली की चूत के गीलेपन से चमकता हुआ दिखाई देता. धीरे धीर अशोक ने झटकों की स्पीड बढ़ा दी और लगा चूत का चूरमा बनाने.

दीपाली के मुह से आवाज निकल रही थी,” अहह..थो..डा …धीरे….अह्ह्ह..ध्रुव….. ओह्ह्ह…प्लीज़ थोड़ा रुक के !”

“क्यों …मज़ा नहीं आ रहा क्या …धीरे धीर करूँगा तो मैं सुबह तक नहीं निकलूंगा!”

“बहुत मज़ा आ रहा है! कभी ऐसा महसूस नहीं किया!मन करता है चुदते चुदते मर ही जाऊं!”

“हाँ दीपाली अब हुई हो मस्त! निकल गयी न सारी शर्म.! तुम भी बोलने लग गयी ये सब.”

इधर मुझे अपने कानो पर विश्वास नहीं हो रहा था .”चुदते चुदते मर जाऊं” ये क्या बोल रही थी मेरी दीपाली!

फिर यका यक अशोक ने अपना लौड़ा दीपाली की चूत से बारह निकाला और कहा- “निकलो बाहर कुर्सी से.”

दीपाली कुर्सी से बारह निकली और अपने कपडे सँभालते हुए बोली, “क्या हुआ?”

अशोक कुर्सी पे बैठा और दीपाली को कहा “बैठो अब अपने यार पे !”

“बेशरम! क्या बोल रहे हो.”

अशोक अपने लंड हो जड़ से पकड़ कर बोला “क्यों ये तुम्हारा यार नहीं है? अच्छा नहीं लगता ये.”

दीपाली अपने चेहरे पे मुस्कान लाती हुई बोली “बहुत गंदे और बेशर्म हो” और अशोक के और से मुह फिरा के अपने चूतड़ पीछे की और बहार निकाल के दोनों जांघों के बीच से अपनी कलाई को ले जा कर मदमस्त लौड़ा पकड़ लिया और अपनी चूत के मुहाने पे लगाने लगी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

जैसे ही लंड के टोपे ने दीपाली की चूत के होंठों को छुआ, दीपाली ने अपने चूतड़ों को नीचे करना शुरू किया और धीरे धीरे दीपाली की चिकनी चूत एक बार फिर से अशोक का पूरा लौड़ा खा गयी. दीपाली के दोनों चूंचियां अब अशोक ने अपने हाथों में पकड़ रखे थे. मुश्किल से पांच मिनट चुदाई चली होगी के दीपाली ने ऊपर नीचे होना बंद कर दिया और एक झटके के साथ अशोक के लौड़े पे बैठ कर लंबी लंबी साँसे लेने लगी.

“फिर झड गयी?”

“नहीं. अबकी बार थक गयी हूँ.”

“ओके उठो फिर.”

दीपाली अशोक के लौड़े पे से उठ गयी और फिर अशोक भी उठ गया.

अशोक ने कहा,” दीपाली अपने कपडे उतर कर नंगी हो जाओ.”

“हाय राम बेशरम ! और कितनी होऊं? सब कुछ तो देख लिया मेरा और क्या बाकी है अब?”

“बस दीपाली अब गाडी स्टेशन पे ही आ के रुकेगी.”

इसके बाद दोनों ने अपने कपडे निकलने शुरू किये और बिलकुल नंगे हो गए..

अशोक ने दीपाली से कहा,” तुम इस मेज़ पे दोनों हाथ टिका के कड़ी हो जाओ मैं पीछे से घुसाऊंगा.”

और दीपाली टेबल के ऊपर अपने दोनों हाथ टिका के खड़ी हो गयी. दीपाली की कमर और सुन्दर चूतड़ मेरी और थे. अब अशोक, दीपाली के पीछे आया और अपना लौड़ा दीपाली के चूत पे लगाया और एक ही झटके में अंदर कर दिया.

जैसे अशोक का लंड उसकी चूत में घुसा, दीपाली ने कहा, “आह्ह्ह…….हर बार…जान निकल देते हो !”

और अशोक ने टाप लगनी शुरू की….एक दो तीन चार …..धक् धक् धक् धक्…..लौड़ा पूरा बाहर जाता और फिर अंदर. मैं पीछे खड़ा ध्यान से यही देख रहा था….अशोक के लंड ने दीपाली की चूत चौड़ी कर रखी थी. अब उसने तेज तेज चुदाई शुरू की.

“आआह्ह्ह्ह……अशोक … ..रुकना मत………ह्ह्ह ह्ह्ह्ह……..हाय……उफ़…. .म्म्म..मम..मम्म्म…..लगे रहो…बहुत म…जा …आह्ह्ह….आ रहा….आआऔऊउच…..है!!!”

और कस के मेज़ पकड़ कर झुक गयी,  दीपाली ने कहा का लंड एक पिस्टन की तरह अंदर बहार होता दिख रहा था .तभी अशोक ने दीपाली के चूतड़ पकडे और कहा,” दीपाली,तैयार हो जाओ,बस अब आने वाला हूँ!!”

” ओह्ह……..ह्ह्ह… …अंदर नहीं बस….जहाँ मर्ज़ी कर दो…….मै भी झड़ने वाली हूँ!”

यह कह कर शायद दीपाली भी झड़ने लगी. तभी अशोक ने अपना लौड़ा निकाला और दीपाली की गांड की दरार में रख दिया और मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया. बस फिर मैंने देखा के दीपाली की गांड की दरार में से अशोक का गाढ़ा वीर्य दीपाली की मांसल जांघों की ओर बहना शुरू हुआ.

और एक के बाद एक वीर्य की लहर दीपाली की जांघों में से होती हुई दीपाली के टखनो तक पहुँच गयी और अशोक की जकड़न को देख कर लग रहा था की वो अभी भी अपने लंड को दीपाली की गांड पे अंतिम बूँद तक दीपाली के चूतडों की दरार में निकल देना चाहता था.

“बस करो अशोक, अब और कितना निकलोगे!”

ओर फिर अशोक, दीपाली पीछे से हटा तो दीपाली की खूबसूरत गांड, जांघे और टखने अशोक के वीर्य से चमक रहे थे और वीर्य अभी भी चूतडों से नीचे की और बह रहा था.

दीपाली ने कहा, “प्लीज़ मेरी अंडरवीयर दे दो.”

अशोक ने अपने लंड को सहलाते हुए दीपाली की अंडरवीयर तक गया और उठा कर सूंघने लगा और हँसते हुए दीपाली को दे दी. दीपाली ने अपनी पीली पैंटी से अपनी गांड साफ़ करने लगी और फिर धीरे धीरे अपनी जांघें और टाँगे साफ़ की.फिर अपनी पैंटी को मेज़ पे रख के अपने कपडे पहनने लगी.

अशोक ने कहा,” तुमने तो साफ़ कर लिया, मेरा क्या होगा?”

इसे भी पढ़े – कामातुर बहु गलती से ससुर से चुद गई

दीपाली बोली,” तुम भी मेरी ही पैंटी से साफ़ कर लो “और कह कर हँसने लगी. अशोक ने दीपाली को कन्धों से पकड़ा और कुर्सी पे बिठा दिया. ” क्या कर रहे हो?” अशोक ने अपना लंड दीपाली की और किया और कहा,” चूसो और लंड लो साफ़ करो.” दीपाली ने सर हिला कर मना किया लेकिन अशोक ने ज़बरदस्ती दीपाली के होंठों पे अपना ढीला लंड लगाया और कहा- “दीपाली प्लीज़ डू ईट” और ये कह कर दीपाली के मुंह में ज़बरदस्ती ठूंसने लगा.

दीपाली ने अनमने ढंग से 7-8 चूसे मार कर अशोक का लौड़ा छोड़ दिया और सीधी खड़ी हो कर ज़बरदस्ती अशोक के होंठो के साथ होंठ मिला कर उसे किस करने कगी और शायद सारा (saliva)जो उसने अशोक के लंड से लिया था अशोक के ही मुंह में दे दिया और फिर अलग हो कर हँसने लगी. और कहने लगी “टिट फॉर टाट!” मै सब देखता रहा और अनजाने में अपने लंड को हिलाते हिलाते वही खड़ा खड़ा झड़ गया.

ये Wife Live Chudai Show की कहानी आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ फेसबुक और Whatsapp पर शेयर करे………………

अपने दोस्तों के साथ शेयर करे-

Related posts:

  1. मकान मालकिन की सहेली भी मेरे लंड पर चढ़ी
  2. दुकान में गांड मरवाने लगी एक औरत
  3. आदिती नशे में ऑटो वाले से चुदवाने लगी
  4. झारखण्ड की प्यासी हाउसवाइफ को लंड चाहिए
  5. बुड्ढा बनिये ने जवान औरत साथ संभोग का मजा लिया
  6. पति सेक्स के टाइम वहशी बन जाता 2

Filed Under: Hindi Sex Story Tagged With: Blowjob, Boobs Suck, Hindi Porn Story, Horny Girl, Kamukata, Mastaram Ki Kahani, Non Veg Story, Sexy Figure

Primary Sidebar

हिंदी सेक्स स्टोरी

कहानियाँ सर्च करे……

नवीनतम प्रकाशित सेक्सी कहानियाँ

  • Ration Leke Chut Chudwa Liya
  • प्यासी विधवा टीचर ने मासूम स्टूडेंट से चुदवाया
  • Summer Vacation Me Sexy Maje Kiye Cousin Ne
  • बारिश में भींगी औरत ने घर ले जाकर चुदवाया
  • 3 Ladkiyon Ne 1 Ladke Se Chudwaya

Desi Chudai Kahani

कथा संग्रह

  • Antarvasna
  • Baap Beti Ki Chudai
  • Bhai Bahan Sex Stoy
  • Desi Adult Sex Story
  • Desi Maid Servant Sex
  • Devar Bhabhi Sex Story
  • First Time Sex Story
  • Girlfriend Boyfriend Sex Story
  • Group Mein Chudai Kahani
  • Hindi Sex Story
  • Jija Sali Sex Story
  • Kunwari Ladki Ki Chudai
  • Lesbian Girl Sex Kahani
  • Meri Chut Chudai Story
  • Padosan Ki Chudai
  • Rishto Mein Chudai
  • Teacher Student Sex
  • माँ बेटे का सेक्स

टैग्स

Anal Fuck Story Bathroom Sex Kahani Blowjob Boobs Suck College Girl Chudai Desi Kahani Family Sex Hardcore Sex Hindi Porn Story Horny Girl Kamukata Kunwari Chut Chudai Mastaram Ki Kahani Neighbor Sex Non Veg Story Pahli Chudai Phone Sex Chat Romantic Love Story Sexy Figure Train Mein Chudai

हमारे सहयोगी

क्रेजी सेक्स स्टोरी

Footer

Disclaimer and Terms of Use

HamariVasna - Free Hindi Sex Story Daily Updated