Shy Housewife Fuck
नमस्कार दोस्तों मैं अशोक आपके सामने फिर से हाज़िर हूँ. दोस्तों आपके सामने मैंने अपनी कहानी का पहला भाग गांडू ने अपनी माँ बहन चुदवाई मुझसे 1 पेश की थी जिसमे आपने पढ़ा था की ट्रेन की यात्रा में मुझे एक गांडू मिल गया था, जो मुझे अपने घर ले गया और मुझे अपनी गांड चुदवाने के बदले अपनी माँ चुदवाने को राजी हो गया. उसकी माँ को मैंने पता लिया और घुमाने लाया. अब आगे- Shy Housewife Fuck
खाना खाने के बाद हम फिर बातें करने लगे शायद फुला से पहली बार कोई इतने दिनों बाद इतनी फुर्सत से बात कर रहा था। “अशोक पता नहीं इतनी फुर्सत से मैं शायद बरसों बात बातें कर रही हूँ मुझे ये ट्रिप हमेशा याद रहेगी”, वो बोली।
तभी दीपक का फोन आया फुला गुजराती में बातें कर रही थी पर मुझे आईडिया हो गया की दीपक किसी बहाने से बाहर रुकने वाला है पर मैंने अपनी तरफ से कुछ नहीं बोला और इंतजार करने लगा की फुला क्या कहती है थोड़ी देर इधर उधर की बातें करने के बाद मैंने कहा, “अब थकान हो गयी है कमरे पर चलें फुला बाकी बातें वहीँ कर लेंगे?”
“ठीक है लेकिन एक प्रॉब्लम है..!”
“प्रॉब्लम यहाँ क्या प्रॉब्लम हो गयी?”, मैंने पूछा।
“दीपक को कोई दोस्त मिल गए हैं इसलिए वो आज बाहर ही रुकेगा..”,फुला बोली।
“बाहर मतलब?”, मैंने जान बूझ कर पूछा।
“बाहर मतलब वो शायद सुबह आएगा कमरे पर”, फुला बोली।
“कोई बात नहीं अच्छा है न रात भर बातें करेंगे”, मैंने कहा।
रस्ते में ही पीने का पानी ले लिया था हम सीधे कमरे पर चले गए। फुला बाथरूम में कपडे बदलने के लिए चली गयी। बाहर आई तो मैंने देखा उसने नाईटी पहनी हुई थी और उपर एक शाल लपेट लिया। मैं भी बाथरूम में गया और कुरता और लूंगी पहन आया।
“अशोक ठंड नहीं लगेगी खाली कुरता पहना है आपने”, फुला बोली।
“नहीं फुला लगेगी तो आपका शाल ले लूँगा”, मैंने मजाक किया।
“और अगर मैं नहीं दू तो?”, फुला बोली।
“तो मैं आधी बाँट लूँगा”, मैंने फिर मजाक किया।
थोड़ी देर में हम दोनों ज़मीं पर बीचे बिस्तर पर अधलेटे हो गए। फुला मुझसे दूर लेटी थी बीच में जैसे दीपक की जगह छोड़ रखी हो।
“इतनी दूर रहोगे तो फिर मैं शाल कैसे लूँगा?”, मैंने कहा।
“सोना नहीं है क्या?”, फुला बोली।
“ठीक है मगर सोने से पहले थोड़ी देर बातें और करेंगे”, मैंने कहा।
फुला ने हाँ में सर हिला दिया। “बत्ती तो बुझा दो बात तो अँधेरे में भी कर सकते हैं”, फुला ने कहा।
मैंने उठ कर बल्ब बुझा दिया। “फुला मुझे आपका साथ और आपकी बातें बहुत अच्छी लगती हैं। आपको मेरा साथ और बातें कैसी लगती हैं? मैंने पूछा।
“ये भी कोई पूछने की बात है। आप हो ही अच्छे बाकी दीपक के पता नहीं कैसे कैसे दोस्त आते हैं”, वे बोलीं।
“कैसे मतलब?”, मैंने पूछा।
“अरे कोई कोई तो बिलकुल गंवार लगते हैं इसको डांटती भी हूँ पर इसको असर ही नहीं होता”, वे बोलीं।
“ओह्ह”, मैं बोला।
थोड़ी देर इधर उधर की बातों के बाद मैंने यकायक अपना हाथ बढाया और फुला को पास खींच लिया।
“इतनी दूर बैठी हो की आवाज़ तक नहीं सुनाई दे रही। कल दीपक आयेगा तो दूर सोना ही है कम से कम आज की रात तो पास बैठ कर बातें करो”, मैंने बोला।
“क्या सर”, फुला बोली। मगर मेरा प्रतिरोध नहीं किया। अब फुला मेरे बिलकुल पास थी..
थोड़ी देर इधर उधर की बातों के बाद मैंने फुला से पूछा, “अच्छा मैं आपका दोस्त हूँ?”
“हाँ ये बात भी पूछने की ज़रूरत है क्या?”, फुला बोली।
“तो फिर एक वादा करो जो कुछ भी पूछूँगा उस का सही सही उत्तर दोगे कोई लाग लपेट बिना”, मैंने कहा।
“हाँ बाबा हाँ”, फुला बोली।
“तो फिर बताओ आपकी रजोनिवृत्ती हो गयी?”
“कैसे कैसे सवाल पूछते हो आप भी “, वो बोली।
“अब इसमें क्या है बताओ न। मैंने सुना है उसके बाद औरतों की पुरुष में रूचि ख़त्म हो जाती है”
“नहीं ऐसा तो नहीं, पर हाँ मेरी रजोनिवृत्ती दो साल पहले आ गयी”, फुला बोली।
“तो फिर सच बताओ प्रेम में रूचि ख़त्म हो गयी क्या दो साल पहले?”, मैंने पूछा।
“क्या अशोक आप भी”
मैंने मौका देखा और कहा, “फुला एक बात कहूँ अगर बुरा नहीं मनो तो?”
“हाँ कहो मैंने आपकी किस बात का बुरा माना है?”, वे बोलीं।
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“मुझे थोड़ी देर आपकी गोद में सोना है।” कह कर मैं तुरंत उनकी गोद में सो गया। उनकी मज़बूत जांघें मेरे होठों को छु रही थीं। वे थोड़ी देर चुपचाप बिना हिले डुले बैठी रहीं। फिर मैंने उनका हाथ अपने बालों पर रख दिया थोड़ी देर बाद वे मेरे बालों में उंगलिया घुमाने लगीं। मैंने इसी दौरान उनका हाथ पकड़ा और उसको चूम लिया। फुला ने विरोध नहीं किया।
बातों बातों में मैंने फुला के पावों पर उंगलिया फिराना शुरू किया वो बोली, “पाव मत छुओ आप”
“अरे आपके पाव कितने नाज़ुक और सुंदर हैं ये भी तो आपके बदन का हिस्सा हैं क्यूँ नहीं छूँउ?”, मैं बोला।
धीरे धीरे मैंने उनकी रान और फिर थोडा सा जांघों पर हाथ फिराना शुरू कर दिया इसी प्रक्रिया में मैंने अपना सर उनकी गोद से उठाया और सीधा उनके सीने से सटा दिया और उनके हाथ अपने सर और कंधे पर रख दिए। फुला ने मुझे अपनी छाती से भींच लिया। मैंने अपने दोनों हाथ उपर किये और उनके कंधे और पीठ पर रख कर उनको भी अपनी बाँहों में कस लिया।
वे हलकी सी सिसका कर कर चुप हो गयीं अब फुला की साँसें तेज़ चलने लगीं थीं। अब मैं अपना मुह होठ नाक गाल औत पूरा चेहरा उनके सीने पर घुमा रहा था और चेहरे से उनकी छातियाँ दबा रहा था। उनकी छोटी और नरम छातियाँ मेरे चेहरे से दब रही थी और उनका सीना उत्तेजना में फूल रहा था।
मुझे लगा लोहा गरम है। मैंने अपने दोनों हांथों को आगे किया और उनके स्तन दबाने और मसलने शुरू कर किए। “ओह्ह आआआआअह्ह” कर के उनके मुह से हलकी सी चीख निकली। इसी दौरान मेरे हाथ में उनके निप्पल्स आ गए और मैंने उनको भी मसलना शुरू कर दिया।
मैं खुद अब गरम था और मेरी सांस तेज़ चलने लगी थी। अब मेरे हाथ फुला के स्तन गले कंधे पीठ पेट सब जगह घूम रहे थे उसने मुझे जकड़ा हुआ था। उसकी सांस तेज़ चल रही थी और साथ ही वो पूरी गरम हो चुकी थीं। मैंने इसी दौरान अपने होठ उनके होटों पर रखे तो फुला ने होठ हटा दिए।
मुझे रुकना नहीं था मैंने फुला का चेहरा हाथ से जबड़ो से कस कर पकड़ लिया और उनके होटों को चूमने चूसने लगा। उन्होंने शायद घबराहट या डर से या अनुभव नहीं होने के कारण अपने होठ पूरे नहीं खोले मगर मैंने जबड़ा कस कर पकड़ लिया। और होठ थोड़े से चौड़े कर के अन्दर जीभ दाल दी।
ओह्ह आह कर के वे आनंद ले रही थीं थोड़ी देर में वे चुम्बन का मज़ा ले रही थीं और उनकी सांस धोंकनी सी चल रही थी। मैंने चुमते चुमते ही उनके गाउन को नीचे से सरकाना शुरू कर दिया। जो जांघों तक तो आ गया लेकिन आगे उनकी मोटी गांड के नीचे दब गया।
जहाँ से उनके सहयोग के बिना उसे उपर कर पाना संभव नहीं था। मैं उनके कंधो, गर्दन स्तनों , पेट और जांघों के उपरी हिस्से को चुमते चुमते नीचे आया और उनकी नंगी हो चुकी जांघों को चूमने चाटने काटने लगा। और इसी प्रक्रिया में मैंने अपने हाथ पीछे ले कर पहली बार उनकी मोटी और मांसल गांड को छुआ और दबाया।
जैसे ही वे उत्तेजना में थोड़ी सी हिलीं मैंने तुरंत गाउन को उनकी गांड से उपर सरका दिया। अब मैं चड्डी के उपर से उनकी चूत को चूमने की कोशिश कर रहा था लेकिन वे अपने पावों को आपस में दबा रही थीं। इसी दौरान मैंने पीछे हाथ ले जा कर उनकी विशाल गांड को दबाना शुरू कर दिया।
और चड्डी के साइड से हाथ डाल कर अन्दर से भी नंगी गांड मसलना जरी रखा। इसी दौरान मैंने दुबारा अपना सफ़र उपर की तरफ शुरू कर दिया और चूमने के साथ साथ गाउन को उपर करना जारी रखा। उनके थोड़े मांसल मगर लज़ीज़ पेट को भी मैंने चूमा और चाटा फिर उपर आ कर उनकी ब्रा के उपर अपना मुह फेरने लगा।
इसी दौरान मैंने उनका गाउन उपर कर दिया। और उन्होंने अपने हाथ भी उपर कर दिए। मैंने गाउन को उपर ले कर हटा दिया। अब वे सिर्फ चड्डी और ब्रा में थीं। खिड़की के कांचों से आ रही रिशनी में उनकी स्तन काली ब्रा में मस्त लग रहे थे।
मगर में किसी जल्दी में नहीं था। मैंने ब्रा के उपर से ही उनके स्तनों पर मुह घुमाना चालू रखा और ऐसा करते करते पीछे हाथ ले जा कर ब्रा का स्ट्रप खोल दिया। ब्रा खुलते ही उनके छोटे कोई संतरे के आकार के स्तन आजाद हो गए और मेरे भीतर के बच्चे को माँ का दूध मिल गया।
मैं उनके स्तनों को मसलते हुए काटते हुए खाते हुए चूसते हुए उनके निप्पल्स को दबाने लगा चूसने लगा। अब वे पूरी तरह उत्तेजित थीं और उनके मुह से सिस्कारियां निकल रहीं थीं। मैंने तुरंत क्षण भर में अपना कुरता हटा दिया अब उपर से मैं निर्वस्त्र था।
वे मेरे निप्पल्स को सहलाने दबाने लगीं मुझे लग गया वे काम कला में पूर्ण रूप से निपुण हैं। मैंने अब उनके कंधे गर्दन और स्तनों पर चुम्बनों की ताबड़तोड़ झड़ी लगा दी। वे शायद ही कुछ सोच पातीं, मैंने उन्हें मुझसे दूर होने और मेरी गिरफ्त ढीला करने का मौका ही नहीं दिया।
चूमते चूमते मैंने उनका हाथ अपनी लुंगी में फडफडा रहे लौड़े पर रख दिया। मैंने चड्डी नहीं पहनी थी इसलिए वो लगभग पूरा ही उनके हाथ में आ गया। उन्होंने लौड़े को सहला हिलाना और दबाना शुरू कर दिया। मैंने तुरंत लुंगी को ऊँचा किया और नंगा लौड़ा उनके हाथों में थमा दिया।
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वे अब मेरे सुपाडे के उपर की चमड़ी को हिला रहीं थीं। सुपाडे के उपर उनकी उंगलिया अभ्यस्त चुदक्कड़ औरत की तरह हिल रहीं थीं बेच बीच में वे मेरे मूत के छेद को भी संभाल लेतीं। मैंने अब उनको लिटा दिया और उनकी गांड उपर कर उनकी भूरे रंगकी फूलों वाली चड्डी को हटा दिया। उनके पाव फैलाये और उनकी चूत के पास मुह ले गया।
उनके झांट बढे हुए थे। और मैं जैसे ही चूत चाटने की कोशिश करने लगा उन्होंने पाँव जोड़ लिए। मुझे पता था ऐसा वो ही औरत करती है जिसकी चूत काफी संवेदनशील हो। मुझे लगा अगर मैंने लौड़ा डाल दिया तो फुला शायद दो मिनट में पानी छोड़ देगी और मैं उनकी जांघें, चूत, पेट, बोबे, कंधे और गर्दन चूमते चूमते उनके उपर आने लगा।
और अपने लौड़े को हमले के लिए तैयार करने लगा। फुला ने पाँव मिलाये हुए थे मैं उपर आया और एक हाथ से उसकी गर्दन पकड़ कर ताबड़तोड़ चुम्मिया लेने लगा खास तौर पर गर्दन और कंधे पर और बीच बीच में उसके मम्मे सहला और दबा देता निप्पल को खा लेता चूम लेता चाट लेता।
फुला अब निचे से हिल रही थी उसकी गांड अपने आप ही उपर नीचे हो रही थी। मैंने एक हाथ नीचे किया और उसकी चूत के होठ खोल दिया। धीरे धीरे मैं उसकी क्लिटोरिस से खेलने लगा और बीच बीच में ऊँगली अन्दर छेद में सरकता रहा।
उसकी चूत पनिया गयी थी और मेरी उंगलिया भीग चुकीं थीं। वो मेरी उंगलीओं के साथ साथ अपनी विशाल गांड को हिला रही थी। अब मेरे हथिआर को सब्र नहीं हो रहा था। मैंने उसके पाव चौड़े किया और जांघें खोल दी। उसने अपने पाँव लंड की प्रतीक्षा में मोड़ लिए थे। अब देरी ठीक नहीं थी।
मैंने अपने लंड को उसके हाथ में पकड़ा दिया ताकि वो खुद ही उसको अन्दर डाले। फुला ने दोनों हाथ नीचे ले लिए एक हाथ से वो अपनी चूत के होंट खोलने लगी और दूसरे से मेरा लौड़ा पकड़ कर उसका टोपन चूत के द्वार पर रख दिया या यूँ कहूँ की लगभग पूरा सुपाडा ही अन्दर ले लिया था। मैंने अब थोडा एडजस्ट किया और लगभग आधा लंड उसकी गीली चूत में सरका दिया।
“फुला एक बात कहूँ?”, मैं बोला। उसने सी सी करते हुए हाँ में सर हिला दिया।
“तुम्हारी चूत इतनी टाईट है की, ऐसा लगता है जैसे किसी सोलह साल की कुंवारी लड़की की चूत चोद रहा हूँ”, मैं बोला।
“हठो अशोक झूठ मत बोलो”, वो बोलीं।
“नहीं फुला मेरे लंड की कसम इतनी टाईट चूत मैंने कोई बरसो बाद चोदी है। मैं झूठ नहीं बोल रहा तुम्हारी चूत बहुत टाईट है। ऐसा लग रहा है जैसे मेरे लौड़े को कस कर पकड़ रखा है इसने।”, मैं बोला।
“जिस चीज़ का इस्तेमाल कम होता हो वो टाईट ही तो होगी”, वो बोली।
“फुला अब इसको चोद चोद के मैं भोसड़ा बना दूंगा। पूरा लौड़ा अन्दर ले लो मेरी जान।”, मैं बोला।
मैंने थोड़े घिस्से और लगाये और मेरा पूरा लंड उसकी फुद्दी में समां गया। सिर्फ आंड बाहर बचे जो भी अन्दर जाने को कसमसा रहे थे। मैंने अपने होट फुला के होटों से जोड़ रखे थे और दोनों हाथ नीचे ले लिए थे। और दोनों हाथों में उसकी मोटी गांड की फांकें पकड़ी हुई थीं।
जिनके वज़न से मेरे हाथ दब से गए थे। मैं उसकी गांडों को मसल रहा था दबा रहा था और उनमे अपने नाख़ून चुभा रहा था। इतनी मोटी थी फुला की गांड की नाख़ून मोटी चमड़ी में कुछ असर नहीं कर रहे थे। इसी दौरान मैंने गांड को थोडा सा खोल कर अपनी एक ऊँगली उसकी गांड के छेद में तीन चौथाई सरका दी।
फुला को कोई असर नहीं हुआ मुझे पता चल गया की गांड खुल जाये तो फुला उसको आसानी से मरवा भी लेगी। या शायद पहले भी मरवा चुकी हो। अब फुला ने अपने दोनों पाँव आसमान में कर लिए थे और मेरा लवड़ा अब फचफच उसकी चूत की ठुकाई और सैर कर रहा था।
फुला ने पैर थोड़े और उपर करके लगभग मेरे कंधे पर रख दिए दे अब उसकी चूत की फांकें पूरी तरह खुल चुकी थी और लौड़ा आसानी से आ जा रहा था। अब वो गांड को नीचे से और जोर से हिलाने लगीं और उनके मुह से सी सी की आवाजें और तेज़ हो गयीं।
उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और उसका एक हाथ मेरे बालों पर था। जिन्हें उसने कस कर पकड़ा हुआ था और उसकी साँसें अब मेरे कंधे को छू रही थीं। उसका दूसरा हाथ मेरी पीठ और कंधे को जकड कर उसको सहला रहा था।
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“फुला कैसा लग रहा है मेरा लंड?”, मैंने पुछा। वो अब गरम थी इसलिए शर्म की कोई संभावना नहीं थी।
“बहुत अच्छा।”
“अच्छा कैसे?”, मैंने पूछा।
“अच्छा मतलब अच्छा”, वो बोली।
“चूत को कैसा लग रहा है?” मैंने फिर पूछा।
“अच्छा”, वो बोलीं। और फिर सी सी की आवाज़ आने लगी।
“अच्छा या बहुत अच्छा?”, मैंने पूछा।
“बहुत अच्छा आह्ह” वोह बोलीं।
“रुको मत और जोर से करो रुको मत”, फुला बोली।
“जोर से क्या करूँ?” मैंने पूछा।
“वही जो कर रहे हो”
“क्या कर रहा हूँ मैं?”, मैंने पूछा।
“ओह्ह वही जो कर रहे हो”, वो बोली।
“क्या फुला चुदाई बोलने में क्या शर्म। बोलो न चुदाई”, मैंने कहा।
“हाँ चुदाई ” वो बोली।
“कैसी है मेरी चुदाई फुला?”
“बहुत अच्छी है आही ऊऊऊऊऊऊऊऊ ऊऊऊऊऊऊऊऊ आआआआआअह”
“अब कैसे चोदुं फुला?”, मैंने पूछा।
“ऐसे ही बस थोडा जोर से।”, वो बोलीं।
मुझे पता था फुला झड़ने वाली है इसलिए मैंने गति बढा दी। फुला ने अब अपने दोनों हाथों से मेरी गांड पकड़ ली थी और वे उसको गाइड कर रही थी। मैं अब पूरी स्पीड से घचाघच चोद रहा था मेरे मुह से भी अब ऊऊ ऊऊ आह्ह निकलने लगा था।
फुला की चूत अब गीली झील बन चुकी थी मेरा वीर्य आने से पहले का रस भी खूब सारा उसकी चूत में डल चुका था और उसके खुद के रस भी थे। फुला की सांस एकदम से तेज़ हुई और उसने मेरी गांड कस कर पकड़ी खुद की गांड तेज़ी से हिलाई फिर वो शांत पड़ गयी। और उसकी सांस जो धोंकनी की तरह चल रही थी शांत पड़ने लगी।
“क्या हुआ फुला चूत का पानी निकल गया?”, मैंने पूछा।
“हाँ”, उसने आँखें बंद करके बोला।
“मैं मेरा वीर्य निकालूं या थोड़ी देर और चोदूं फुला रानी?”
“जैसी आपकी मर्ज़ी”, वो बोली।
“नहीं फुला तुम बताओ, जो तुम कहोगी वही करेगा मेरा लंड।”, मैंने कहा। “तो थोड़ी देर और करो।”, फुला बोली।
मुझे लग गया फुला की चूत प्यासी है उसने शायद बहुत दिनों से चुदाई नहीं की थी। फुला का ग्रीन सिग्नल मिलते ही मैंने अब धीरे धीरे फिर से उसकी चुदाई और घिसाई शुरू कर दी। मैंने फुला को बिस्तर पर ही टेढ़ा कर दिया और इसी मुद्रा में लंड अन्दर सरका दिया उसकी मोटी गांड के बीच से लंड चूत की खुदाई कर रहा था।
उसने पाँव मोड़ कर खुद के सीने की तरफ कर दिया इससे उसकी गांड बाहर निकल गयी और चूत खुल गयी। मेरा लंड अब आसानी से अन्दर जा रहा था मैं पूरा लंड बाहर निकल कर अन्दर डाल रहा था। उसको चुदाई अच्छी लग रही थी। कोई २-४ मिनट ऐसे चोद कर मैंने फुला को बिलकुल उल्टा कर दिया और उसकी जांघों और चूत के आसपास तकिया रख दिया।
इससे उसकी मोटी गांड और उपर हो गयी और चूत भी थोड़ी उपर आ गयी। इस मुद्रा में मैं उसको चोदने लगा फुला का बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उसकी गर्दन को काटना शुरू कर दिया। वो ऊओह्ह आह करने लगी मैंने स्पीड बढा दी थी और फचाफच चोदने लगा।
फुला को भी मज़ा आ रहा था। अब मैंने फुला का पेट पकड़ा और उसके गांड उपर कर दी फुला ने अपना सर बिस्तर पर टिकाया हुआ था। इस पोजीशन में उसकी चूत पूरी खुली हुई थी और लंड को चूत के फूले और मोटे होंट साफ़ दिख रहे थे।
नीचे हाथ कर के मैंने फुला का मोटा पेट पकड़ लिया और एक हाथ से उसके झूल रहे स्तन पकड़ लिए और उनको दबाने लगा। उसकी चूत से अब चुदाई की आवाजें जोर जोर से आ रही थीं। मेरी गोटियाँ उसकी चूत के होटों से टकरा रही थीं। फुला इसी मुद्रा में शायद एक बार और झड़ने वाली थी।
“फुला मेरा लंड कैसा है? बताओ न..?”,मैंने पूछा।
“बहुत अच्छा”, वे बोलीं।
“अच्छा, ये बताओ ऐसे चोदते वक़्त मेरा लंड घोड़े का लग रहा है या कुत्ते का?”
“घोड़े का”, फुला बोली।
“घोड़े का तो डेढ़ फूट का होता है फुला मेरा तो सिर्फ ८ इंच का ही है”, मैं बोला।
“नहीं ये घोड़े जैसा है ऊऊ अह्ह्ह”, वो बोली।
“ओह्ह फुला तेरा घोडा अपनी घोड़ी की मोटी फुद्दी चोद रहा है। आआआआआ मेरी रानी फुला तू बहुत प्यारी और चोदू है”, मैं बोला।
“आप भी तो एक नंबर के चोदू घोड़े हो।”
“ओह्ह्ह आआआआआह अशूऊऊऊओ” कह कर उसने फिर अपनी विशाल गांड हव में लहरानी शुरू कर दी।
मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ मारने शुरू कर दिए। उनकी गांड थप्पड़ों से सूज रही थी। मैंने चुदाई और पिटाई दोनों चालू रखे फिर से ग्रर्र्रर्र्र घर्रर की की आवाजें आने लगी और फुला की चूत ने दूसरी धार छोड़ दी। अब फुला थक चुकी थी।
मैंने कहा, “जान अब और चोदूं या अपनी थैली खाली कर दूँ?”
“अब बिलकुल नहीं, अब खाली कर दो अपना अमृत मेरे अन्दर”, वो बोली।
मैंने उसको वापस सीधा लिटा दिया और टाँगे खोल दीं। अब मैंने अपने हाथों पर अपना उपर का बदन टिका कर निचे खचाखच जोर के झटके लगाने शुरू कर दिए। उसकी चूत और पेट के टकराने से कमरे में फच फच फचाफच की आवाजें गूँज रही थीं।
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“जब तक कुछ सेक्सी बोलोगी नहीं फुला मेरा पानी नहीं निकलेगा।”, मैं बोला।
“क्या सेक्सी बोलूं?”, फुला ने पुछा।
“कुछ भी बोलो, मेरे लंड के बारे में चुदाई के बारे में तुम्हारी चूत को कैसा लग रहा है। मेरी गन्दी आदत है फुला मैं गन्दी बातें नहीं सुनूँ तो पानी नहीं झड़ता।”, मैंने कहा।
फुला ने ये सुन कर मुझे भींच लिया और टांगे और खोल दीं। “ओह मेरे राजा चोदो अपनी रानी को इसकी प्यासी चूत को अपना अमृत पिलाओ राजा। हाँ मेरे राजा मेरे अशोक रुको मत चोदते जाओ और गीली कर दो मेरी चूत।
हाँ ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊऊओ आआआआआअह राजा।”, फुला ने कहा और उसकी सी सी की आवाजें तेज़ हो गयीं। मैंने पानी छोड़ने का वादा कर दिया था नहीं तो शायद फुला एक बार और चूत की पिचकारी अवश्य छोडती। मुझे भी अब नियंत्रण नहीं हो रहा था मैं चाह रहा था फुला की चूत को पानी पिला ही दूं।
“हाँ फुला मेरी रानी, मेरी गरम चूत, मेरी मोटी गांड वाली चोदू, मेरी चुदक्कड़, मेरे लंड और मेरे गरम पानी की प्यासी, मेरी चोदू रानी, मेरे मोटे लौड़े की गुलाम, मेरे आंड के रस की प्यासी ये ले तेरा पानी ये आ रहा है। गरम पानी गाढ़ा और ताकतवाला वीर्य।
चूत खोल दे रानी और अपनी बच्चेदानी को भी खोल ले। ले तेरे आशिक का असली वीर्य, ये ले ऊऊऊऊह आआआआआआआआअह हाआं हाआआआआआआन याआआआअ ऊऊऊऊऊऊऊ”, कह कर मैं झड गया। वीर्य की बूँदें उछल उछल कर उसके भोसड़े में समां गयी। उसने मुझे भींच लिया और सारा वीर्य अपने भीतर समाने दिया। जब मैं शांत हो गया तो वो रोने लगी। मैंने उसके आंसू पोंछे और कहा.
“क्या हुआ फुला दर्द हुआ?”
“सोरी.. , नहीं ये बात नहीं”
“तो फिर?”
“कुछ नहीं”, वो बोली।
“बताओ न क्या हुआ, बताओ न प्लीज़”, मैंने कहा।
“कुछ नहीं अशोक, तुमने इतना प्यार दिया की बस मरे ख़ुशी के आंसू छलक गए.. “,वो बोलीं।
मैंने उसको गले से लगा लिया और ऐसे ही ५ मिनट तक उपर पड़ा रहा। उसके बाद हम दोनों बारी बारी से बाथरूम गए और धो कर आये। अपने अपने हथियार , तलवार और ढाल। मैंने फुला को कपडे नहीं पहनने दिए और रजाई में ही भींच कर अपने से चिपटा दिया।
“देखो तुमने सर्दी में भी मेरे पसीने छुटा दिए”, मैंने कहा।
“इतनी मेहनत की ज़रूरत ही कहाँ थी?”, फुला बोली।
“अरे जब ज़मीं इतनी मस्त हो तो तो किसान को हल चलाने में मज़े आते हैं चाहे पसीने बहें या पानी।”,कह कर हम दोनों हसने लगे।
“फुला अब तुम मुझसे कुछ नहीं छुपा सकती बताओ न तुम्हारे साथ बचपन में मामा ने क्या किया था?”
“अरे वो सारे मामा थे ही मादरचोद उनका बस चलता तो अपनी माँ तक को नहीं छोड़ते”, फुला के मुह से गाली निकली।
“ओह्ह, कैसे?”
“सबसे बड़ा मामा तो मैं जब १० साल की थी तो मुझे खिड़की में उल्टा खड़ा कर देता फिर मेरी फ्रोक ऊँची कर के मेरी गांड को दबाता और उसकी पिटाई करता। और अपना लंड इस दौरान बाहर निकाल कर उसको हिलाता। मुझे कुछ पता नहीं चलता। मैं मरे डर के खिड़की में उलटी खड़ी रहती। बीच बीच में वो मेरी चूत को भी ऊँगली करता फिर वो मेरी चूत और गांड दोनों को छूता।”
“उसने चोदा नहीं?”
“नहीं बड़े वाले मामा ने सिर्फ यही किया, लेकिन तीसरे नंबर के मामा ने ज्यादा बदमाशियां की”
“कैसे?”
“हम लोग खेलते थे तो एक दिन वो सीढ़ी में बैठा था। मैं उपर जा रही थी तो उसने मुझे पकड़ कर बिठा दिया और फिर अपने निक्कर की साइड से अपना लंड बाहर निकल लिया और मुझे पकड़ा दिया। और बोला इसको हिला। मैं उसके कहे अनुसार उसका लंड हिलाती रही फिर उसका पानी निकल जाता।
फिर उसके बाद तो लगभग हर रोज़ वो तीन चार बार वो मुझसे मुट्ठी मरवाता। रात में भी हम साथ साथ ही सोते थे तो सब के सोते ही वो चद्दर ओढ़ कर घुटने मोड़ लेता और मेरा हाथ अन्दर डाल देता। मैं उसकी मुट्ठी मारती।”
“एक दिन घर में कोई नहीं था तो उसने अपने कपडे उतारे। और मुझे भी नंगा कर दिया। मेरी छातियाँ तब थोड़ी सी उभरी थीं, और नीचे हलके हलके बाल आये ही थे। उसने अब अपना लंड मेरे मुह में दे दिया और मुझसे चुस्वाने लगा मुझे बहुत गन्दा लगा मगर मैं मजबूर थी। ऐसा करते करते उसने मेरे बाल पकड़ कर मेरे मुह में ही अपना वीर्य खाली कर दिया। उसके बाद उसने मेरी कुंवारी चूत भी चाटी” फुला ने अपनी दर्द भरी कहानी जारी रखी।
“ओह्ह फुला फिर क्या हुआ? उसने तुमको चोदा?”
“सब बता रही हूँ अशोक। “, फुला बोली।
“ओ के”, मैंने कहा।
“उसके बाद मेरा मामा नंगा कर के मुझ पर लेट जाता और मैं अपनी टांगें भींच लेती ताकि वो अन्दर नहीं डाल सके। लेकिन वो मेरे पाँव मिला कर मेरी जांघों के बीच और चूत के मुह को चोदता और फिर पानी छोड़ देता। कभी कभी उल्टा कर के गांड और जांघों के बीच लंड फंसा के पानी निकालता। उस वक्त सिर्फ बड़े दो मामा की शादी हुई थी। बाकि दोनों मामा कुंवारे थे”, फुला बोली।
“सभी की उम्र में फर्क था। सबसे बड़े मामा उस वक़्त ५० के आसपास थे। और उनके एक लड़का था जो मुझसे ५-६ साल बड़ा था। उनसे छोटे मामा शायद तब ४० के थे और उनकी कोई औलाद नहीं थी। बाकि दोनों मामा कुंवारे थे। घर के नौकर चाकर भी बदमाश किस्म के थे। दूसरे नंबर के मामा कुछ अजीब थे और बहुत लम्बी उम्र तक तो मुझे पता ही नहीं चला वो मुझसे क्या करवाते थे।”
“वे कई बार मौका देख कर मुझे कमरे में ले जाते और उलटे हो कर नंगे हो जाते फिर मुझसे पीछे कुछ न कुछ डलवाते। मैं कई बार कहती मामी आ जाएँगी। मगर वे कभी दरवाज़ा बंद नहीं करते थे। कई बार उनकी गांड में मैंने मामी की लिपस्टिक भी डाली थी”
“ओह्ह”, मेरे मुह से निकला। “तुमको तुम्हारे मामा ने चोदा तो नहीं?”
“नहीं चोद नहीं पाए लेकिन बाकि सब कुछ कर डाला। लेकिन मेरे कजिन ने आखिर मेरी सील तोड़ ही डाली।”
“कजिन? कौन सा?”
“वही मेरे बड़े मामा का इकलौता लड़का, जेठा नाम था उसका तब वो कोई २२-२३ साल का था। लेकिन ये काम उसने गावं में नहीं किया बल्कि मेरे घर में किया। वो हमारे घर में रह कर शहर में पढता था। गर्मिओं में हम अक्सर छत पर सोते थे। हालाँकि हमारा घर भरा पूरा था और खूब भीडभाड थी।
लेकिन कई बार छत पर हम बच्चे ही सोते थे क्यूंकि बड़े कहीं बिज़ी होते। ऐसे ही रात में कई बार वो मेरे पास अपना बिस्तर लगा लेता। रात में कई बार वो पजामे में मेरा हाथ घुसा देता और मैं उसका लंड हिला देती। फिर वो मेरी चूचियां भी सहलाता और मेरी चूत में भी ऊँगली करता।”
“ऐसे ही एक रात उसने मुझे गरम किया हालाँकि मैं उसका एक बार पानी निकाल चुकी थी। लेकिन उसने मुझे नंगा किया और मेरे उपर चढ़ गया। मैं शोर करती तो आवाजें नीचे जातीं इसलिए मैं चुप थी। उसने मेरी कुंवारी चूत के दरवाज़े पर अपना मोटा लंड रखा और जोर जोर से धक्के मार कर अन्दर घुसाने की कोशिश करने लगा।
मेरी दर्द से हालत ख़राब थी लेकिन वो रुका नहीं बड़ी बेरहमी से वो अपनी तलवार को ज़बरदस्ती अन्दर घुसाता रहा। हालाँकि उसका लंड अन्दर तो नहीं जा सका लेकिन मेरी दर्द के मारे रो रो कर हिचकियाँ बंध गयीं। मुझे कुछ पता नहीं चला सिवाय दर्द के शायद उसके लंड का टोपा अन्दर जा पाया था। पर उसने पानी वहीँ छोड़ा।”
“उसके बाद मैं उससे बचने लगी और नीचे सोने लगी। एक दिन उसने मुझे कहा। देखो चुपचाप उपर आ जाना नहीं तो बुआजी (मेरी माँ) को सब कुछ कह दूंगा। और ये भी कहूँगा की तुमने मेरे साथ ज़बरदस्ती की। मैं बहुत घबराई और फिर छत पर सोने लगी।
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अगली रात उसने फिर मुझे चोदने की कोशिश की। इस बार भी मुझे भयंकर दर्द हुआ लेकिन वो रुका नहीं। रात में कोई ३-४ बार वो कोशिश करता। मैं रोते रोते उसके हाथ जोडती तो वो मुझे थप्पड़ मार कर चुप करवा देता। भईया रहम करो मुझे बहुत दर्द हो रहा है मैं रो रो कर कहती, पर उसने कोई रहम नहीं किया।” “ऐसे ही कोई १५-२० दिन बाद उसके लंड का काफी हिस्सा अन्दर जाने लगा या शायद पूरा ही जाता होगा। मुझे थोडा बहुत मज़ा आने लगा क्यूंकि दर्द अब गायब हो चूका था। लेकिन मेरी बदकिस्मती से मेरे पीरियड्स शुरू हो गए।
और उस हरामजादे ने बंद भी कर दिए। मुझे मजबूरन माँ को बताना पड़ा, माँ ने बहुत मारा फिर किसी डॉक्टर के पास ले जा कर मेरा गर्भपात करवाया। उसको घर से निकाला। और माँ ने चुपचाप लड़का देखना शुरू कर दिया फिर दीपक के पापा से मेरी छोटी उम्र में ही शादी हो गयी।” “मेरी उम्र ज्यादा नहीं थी। लेकिन ये बहुत अच्छे थे और इन्होने मुझे प्यार से रखा। और प्यार से ही सम्भोग किया और मेरे बच्चे होते गए।
Raman deep says
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Ali says
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