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गांडू ने अपनी माँ बहन चुदवाई मुझसे 1

सितम्बर 25, 2023 by hamari

Sexy Gujju Bhabhi XXX

हेलो दोस्तों मेरा नाम अशोक है। मै महाराष्ट्र का रहनेवाला हूँ। मेरी उम्र २९ साल है और मैं एक कॉलेज में प्राध्यापक हूँ। वैसे मै दिखने ने ठीकठाक हूँ मेरी हाइट ५ फुट १० इंच है। रंग काला है और फ्रेंच कट दाढ़ी रखता हूँ, मेरी कमर 32 इंच है और मेरा सीना चौड़ा है मेरे सारे बदन पर काफी बाल हैं. लंड मेरा औसत से कुछ ज्यादा है, यही कोई 7 इंच और औसत से ज्यादा मोटा भी है। Sexy Gujju Bhabhi XXX

आज मै आपको मेरी जिंदगी एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ। एक बार मै मुंबई से अहमदाबाद ट्रेन से आ रहा था। मेरे पास एक २५ साल का लड़का बैठा था, उसने अपना नाम दीपक पटेल बताया, बोला प्यार से उसे जीतू कह सकते हैं. बातो बातो में उसने बताया की उसके पिता बड़े अधिकारी हैं और उसका सरकारी मकान गांधीनगर में है.

मुझे उस रोज़ अहमदाबाद ही रुकना था और अगले दिन सुबह वह से निकलना था, उसके आग्रह पर मैं उसके साथ उसके घर चल दिया. उसके पिता का सरकारी घर ठीकठाक सा था. घर में शाम को नौकर आया और खाना बना कर चला गया. हमने खाना खाया फिर छत पैर गप्पे मारने लगे. थोड़ी गर्मी थी, इसलिए हमने टी शर्ट और निक्कर पहना हुआ था।

“गर्मी बहुत है अशोक, चाहो तो टी शर्ट खोल कर आराम से बैठो, तुम कहो तो मैं तुम्हे अपने पिताजी की लुंगी ला देता हू उसे पहन लो, ” उसने कहा।

मैं हाँ बोलता उस से पहले ही वह निचे से लुंगी ले आया, “तुम कहते हो तो पहन लेता हू”, कह कर मैं नीचे जाने लगा। तो वो बोला,’ अशोक दोस्तों में क्या शर्म यहीं पहन लो”.

मैं हँसते हुए बोला, “यार मैं घर में चड्डी नहीं पहनता.”

“तो क्या हुआ, पहन लो यार, अँधेरा है वैसे भी छत से कोई देख नहीं सकता..”

मुझे लगा अब पहन ही लेता हूँ, मैंने लुंगी उपर लपेटी और निक्कर सरका दिया और फिर लुंगी लपेट ली,’ ‘ क्या यार तुम तो बड़ा शरमाते हो,’ वो बोला, मैं हसने लगा..

‘ अशोक मैं मालिश बहुत अच्छी करता हूँ, तुम ट्रेन के सफ़र से थके हुए भी हो, कहो तो एक अच्छी मालिश कर दू? जीतू बोला.

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अब मालिश के लिए कौन मना करेगा, मैं वही छत पर बिछे बिस्टर पर लेट गया, जीतू तेल ले आया और मेरे पैरों से उसने मालिश शुरू कर दी, अँधेरा था ठंडी हवा थी बड़ा अच्छा लग रहा था, उसने रानो पर मालिश के बाद मेरी जांघों पर मालिश शुरू कर दी, मालिश करते करते उसके हाथ मेरे नितम्बों से टकराने लगे. और उसने थोड़ी देर बाद मेरे नितम्बों से लुंगी उपर कर दी.

जांघों के बाद वो मेरे नितम्बों पर भी मालिश करने लगा और बीच के छेद पर भी खूब तेल लगता रहा, मुझे अच्छा लग रहा था, मैं चुपचाप लेटा रहा. मालिश करते करते वो खुद नंगा हो गया था और बिच बिच में उसका लंड मेरी जांघों से टकरा रहा था. पर यह सब मुझे अजीब नहीं लग रहा था न जाने क्यूँ? पहली बार मेरी मालिश कोई नग्न पुरुष कर रहा था और मैं भी तो नग्न ही तो था..

‘यार अशोक लुंगी की गाँठ खोल दे, तेल से ख़राब हो जाएगी, मैंने भी कपडे इसी लिए उतारे हैं, जीतू बोला.

मैंने उसके कहे मुताबिक लुंगी हटा दी, अब मैं उल्टा और नंगा लेटा था.. उसने मेरी पीठ और हाथो पर भी मालिश की, और फिर वापस वो मेरी गांड पर आ गया, गांड के छेद पर उसने खूब सारा तेल डाला और उसको धीरे धीरे सहलाने लगा,’ अशोक बुरा न मनो तो गांड चाट लू?

मुझसे कुछ बोला न गया और मैंने गांड उपर कर दी, जैसे मैं कोई चौपाया जानवर हूँ, उसने अब मेरी गांड के छेद को खोला और अंडर जीभ डाल दी, उसकी जीभ और गहरी जा रही थी, वो गांड ऐसे खा और चाट रहा था जैसे लॉलीपॉप चूस रहा हो, मुझे आश्चर्य हो रहा था की इसको घिन नहीं आ रही पर मैं आनंद ले रहा था जीवन मैं पहली बार गांड चटाई का.

किसी उस्ताद खिलाडी की तरह वो रुका नहीं और अब उसके हाथ मेरे लटक रहे थेले पर आ गए, मेरे अंडकोष वो अब सहला रहा था और बीच बीच में उनको भी चाट रहा था, लेकिन उसका पूरा जोर गांड पर ही था, गांड में उसकी जीभ कोई एक- डेढ़ इंच जा चुकी थी बीच बीच में वो छेद को थोडा खोलता और जीभ और अन्दर दाल देता.

अब मेरी हालत ख़राब थी और उसको इसका अंदाज़ा था, उसने चटाई के साथ साथ एक हाथ से मेरा लौड़ा पकड़ लिया और उसको हिलाने लगा.. दुसरे हाथ से वो मेरे आंड दबा रहा था, गांड आंड और लंड तीनो को उसने अपने कब्ज़े में कर रखा था, मैं झड़ने को ही था और मेरी गांड अब तेज़ी से उपर नीचे होने लगी थी.

उसने जीभ से मेरी गांड को चोदना शुरू कर दिया और हाथ की स्पीड बाधा दी, ‘ओह्ह चूतिये पानी छूट रहा है मेरा, मैं बोला, ‘ हा राजा पानी नहीं अमृत ‘ कह कर उसने ठीक पानी की पिचकारी छूटने से पहले मुह को गांड से हटा कर मेरे लंड के छेद पर रख दिया, मेरी फूट रही वीर्य की बूंदों को वो गटागट पी गया.

अशोक तेरा अमृत बड़ा गाढ़ा और रसीला है, वो बोला.

मैंने पहली बार किसी आदमी के मुह में पानी छोड़ा था, मुझे किस चूत को चोदने का मौका भी नहीं मिला था इसलिए पहली बार किसी और ने मेरे लंड पर हाथ लगाया था और पहली बार किसी ने पानी छुट्वाया था… मैं उत्तेजित तो था लेकिन पूरा रोमांचित नहीं था, मुझे लगा मैं कहीं होमो तो नहीं हूँ या हो रहा हूँ?

एक बार खुलते ही जीतू फॉर्म में आ गया, और मुझे उसकी कहानी सुनाने लगा। बोला जब वो ७ साल का था तब घर के एक नौकर ने उसको लंड चुसवाने और गांड मरवाने की आदत डाल दी थी। ‘ मैं घर से थोडा दूर एक दूधवाले के यहाँ दूध लेने जाता था,’ वो मुझे दूध के बहाने रोक के रखता फिर अपनी धोती खोल कर मेरा मुह चोदता, १३ साल का होते होते जीतू ने कोई १५ लोगों से गांड मरवा ली थी.’

“उन दिनों मैं अच्छे स्कूल में पढने सूरत आया, जहाँ पूरा परिवार रहता था, मैं मेरे पिताजी, मेरी मा और मेरी बहिन”, यहाँ जीतू के घर उसको और उसकी बहन को पढ़ने एक अध्यापक आता था,’ उसका नाम था अमीन खान और वो साठ के आसपास था।

जीतू ने बताया, “दिन में जब माँ सो जाया करती थीं या कई बार बाहर गयी हुई होतीं तब वह बड़ा ज़ालिम बन जाता। मुझे वो नंगा कर के डंडे से मारता, मेरी बहन के सामने मेरी गांड लाल कर देता, कई बार उसी डंडे को मेरी गांड में डालता।

मेरी बहन और मुझे दोनों को डरा धमका कर नंगा कर देता, मेरी बहन की छोटी छोटी चुचियों को वो बड़ी बेरहमी से दबाता और उसकी चूत में ऊँगली करता और कभी डंडा डालने की कोशिश करता, फिर वो नंगा हो कर मेरे मुह पर बैठ जाता. मैं उसकी बदबूदार गांड चाटता और मेरी बहन उसका कटा हुआ लंड चूसती, हालाँकि उसका लंड खड़ा नहीं होता था लेकिन वो नरम लंड से ही मेरे और मेरी बहन के मुह में पानी छोड़ देता था.”

जीतू ने बताया, “बस तब से ही मेरी गांड चाटने की आदत पड़ गई . जीतू की बाते सुन कर में फिर से उत्तेजित होने लगा था, अशोक अब तक मैंने कोई ४० से ५० के बीच लोगों की गांड चाटी है और कोई ६० लोगों का लंड चूसा है या गांड मरवाई है.”

“जीतू तुम्हें कभी किसी औरत को चोदने की इच्छा नहीं हुई ?” मैंने पूछा.

“नहीं कभी नहीं हुई मुझे सिर्फ आदमी ही आकर्षित करते हैं, मैं चाहता हूँ मैं मेरे पापा का लंड भी चूसूं, एक दो बार बहाना कर के उनके साथ भी सोया लेकिन उन्होंने कोई इंटेरेस्ट नहीं लिया”, वो बोला.

“और कभी माँ या बहिन को चोदने की इच्छा नहीं हुई?”

“नहीं कभी नहीं लेकिन अगर तुम उनको चोदोगे तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा।”

मुझे उत्तेजना हुई, मैंने पूछा,’ कैसे?’

‘कैसे क्या तुम चोदो मेरी माँ को और बहिन को मैं तुम्हारा लंड चूसूंगा और गांड चाटूंगा,’ वो बोला।

अच्छा तुम्हारी माँ और बहन की गांड चाटने की इच्छा नहीं होगी ? मैंने पूछा.

“गांड तो मैं किसी का भी चाट लूँ, माँ हो या बहिन, लेकिन अब तक किसी औरत की गांड चाटी नहीं, “उसने कहा.

मैंने कपडे पहने नहीं थे इसलिए मेरा फूलता हुआ लंड अब साफ़ दिख रहा था, जीतू ने उसको प्यासी नज़रों से देखा और अपना मुह उसके पास ले आया, “अशोक तुम्हारा लंड बहुत मोटा है किसी काले केले के जैसा.”

“ले गांडू अब तू इस केले का छिलका उतर और खा इसको” मैं बोला।

जीतू ने अपने होठों से मेरे लंड के आगे की चमड़ी उपर नीचे करना शुरू कर दिया और सुपाड़े को गीला कर के उसको दांतों से हल्का हल्का दबाते हुए चूसने लगा, मेरा सुपाडा फूल कर आलू जैसा हो गया था, ‘ अशोक तू मेरी गांड बाद में मरना अगर तुझे सुसु आ रही हो तो पहले मेरे मुह में मूत ले मुझे प्यास लगी है.

मुझे कुछ उल्टा सीधा सोचना पड़ा ताकि उत्तेजना कम हो और लंड सामान्य हो जाए क्यूंकि सुसु तो लंड के छोटे होने पर ही निकलती है, खैर थोड़ी देर में मेरा लंड छोटा हो गया’ मेरे मुह पर बैठ जाओ अशोक और मूतो, वो बोला, मैं उसके मुह पर बैठ गया उसने मेरा लंड पकड़ा और उसको होठों से लगा दिया.

मेरी धार छूट रही थी, मैं मूत रहा था और वो सांस बंद करके उसको पी रहा था, कोई आधा लीटर मूत वो पी गया, आह अशोक तुमने मेरी प्यास बुझा दी, अब अगर तुमको बाथरूम का कोई भी काम हो टट्टी आये तो भी मेरे मुह में करना, मैं तुम्हारा टोइलेट हू, वो बोला.

‘ तुमको ये अपमान कैसे अच्छा लगता है? मैंने पूछा.

‘अशोक मुझे अपमान में बहुत आनंद आता है,’ एक बार मुझे दो ऑटो रिक्सा वाले अपने साथ अपनी चाल में ले गए और मेरा खूब अपमान किया वो रात मुझे अभी तक याद है.

मैं बोला, ‘क्या किया उन्होंने ?’ मैंने जिज्ञासा में पूछा.

उन्होंने मुझे नंगा कर के एक कुर्सी से बाँध दिया, फिर वो भी नंगे हो गए फिर पहले तो उन्होंने मुझे थप्पड़ मारे जोर जोर से मुह पर, फिर उन्होंने मेरे मुह में मूता और गन्दी गन्दी गालियाँ दीं, वो बोला,’ क्या गलियां दीं ? बोलते रहे कुत्ते, हरामजादे, कमीने, गांडू, भोसड़ी के, चूतिये, मादरचोद, भेन्चोद, भड़वे वगेरह फिर मुझे कहा अपनी माँ और बहिन को गालियाँ दे भड़वे.

तो मैंने मेरी माँ को रंडी कहा लंड चोद कहा भोसड़ी की कहा चूत कहा, बहिन को भाई चोद, बाप चोद रंडी और खूब साडी गालियाँ दीं, फिर उन्होंने मेरे हाथ पांव बाँध कर मुझे घोड़ी बना दिया, एक ने अपना लौड़ा मुह में डाला दुसरे ने गांड में उन्होंने पूरी रात मुझे चोदा मूता गांड चटवाई और गालियाँ दीं और मेरी माँ बहिन को गालियाँ दिलवायीं, जीतू बोला.

“तुम्हारी माँ बहिन को ये सब पता है? मैंने पूछा.”

‘नहीं उनको नहीं पता कि मैं गांडू और गांड चाटू हूँ, बहिन को सिर्फ वो मास्टर वाला किस्सा पता है पर तब हम दोनों छोटे थे,’ वो बोला.

‘अच्छा जीतू तुम मुझे अपनी माँ और बहिन को चुदवादोगे ?’ मैंने पूछा.

हा क्यूँ नहीं? लेकिन मैं सिर्फ मदद कर पाउँगा बाकी काम तुमको खुद करना होगा, वो बोला.

‘मैं कैसे करूँगा? और तुम क्या करोगे?’

देखो एक साथ तो कुछ होगा नहीं मेरी माँ अगले शनिवार को यहाँ आ जाएगी, मैं उनको कह दूंगा की तुम एक कॉलेज में पढ़ते हो और मेरी पढाई में मदद के लिए यहाँ आ रहे हो, बाकी सब तुमको करना पड़ेगा, वो बोला.

इधर उसकी बातें सुनकर मेरा लौड़ा फिर बेकाबू हो चुका था, जीतू फिर से मेरे लंड की टिप से मेरी गांड के छेद तक अपनी जीभ और उँगलियाँ चला रहा था, जब लंड पूरा कड़क हुआ तो वो घोड़ी बन गया, ‘अशोक अब मेरी गांड की प्यास बुझाओ, सहन नहीं होता अब, कहके उसने गांड ऊँची कर दी.

मैंने उसकी गांड पर कसके थप्पड़ मारे और फिर बिना थूक लगाये सूखा लंड गांड के छेद पर रख के दबाव दिया तो सुपाडा गांड में धंस गया, उसकी हलकी चीख निकली,’ ये सोच भड़वे मैं तेरी माँ को चोद रहा हूँ, बता तेरी माँ कैसी है?’

चुदते चुदते ऊ ओह आह करते करते वो बोलने लगा, “मेरी माँ का नाम फाल्गुनी पटेल है, वो 45 साल की है, उसकी लम्बाई 5 फूट 3 इंच है, शादी के वक्त तो दुबली थी अब मोटी है।”

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मैंने जोर से लंड गांड में डाला और बोला, “कितनी मोटी है भड़वे ?”

“कोई 80 किलो होगी, उसके स्तन कोई 36 इंच के होंगे एक बार मैंने ब्रा का साइज़ पढ़ा था बाथरूम में”, वो बोला।

“अपनी रंडी माँ को कभी नंगा देखा ?”, मैंने पूछा।

“हा थोडा सा देखा था”, वो बोला। मैंने फिर लवडे का स्ट्रोक लगाया और पूछा “कैसे और कब देखा बता रंडी की औलाद?”

“बाथरूम के छेद से देखा था, वो अपनी काख के बाल और नीचे की झांटें रेजर से साफ़ कर रही थी। वो नंगी खड़ी थी उसके स्तन थोड़े लटके हुए हैं और निप्प्ल्स थोड़े छोटे हैं और पीले से रंग के हैं, थोडा सा पेट निकला हुआ है, नीचे झांट ज्यादा भरे हुए नहीं थे थोड़े ही थे कम गहरे और थोड़े गुन्घराले, मेरी रंडी माँ ने नीचे बैठ कर चूत के फांकें फैलायीं और फिर पहले क्रीम लगाया………………”

“ऊऊ गांड फट गयी अशोक तुम्हारी चुदाई से.”

“तू माँ के बारे में बता गांडू, अपनी गांड की चिंता छोड़ इसमें सुबह मैं टाँके लगवा दूंगा”, मैंने कहा।

“हा फिर उसने नीचे झुक के अपने झांटों में रेजर फिराया मुझे साफ़ दिखाई नहीं दे रहा था क्यूंकि वो नीचे बैठी थी, पर उसकी चूत के होठ फुले हुए और मोटे लग रहे थे थोड़े से भूरे या काले रंग के, फिर मेरी चोदु माँ ने खड़े होकर नल से चूत और काख धोयी और फिर मुझे लगा की वो बाहर न आ जाये इसलिए मैं वहां से हट गया.”

“गांड कैसी थी रंडी फाल्गुनी की ?”

” गांड बहुत मोटी है मेरी गांड की दोनों फांकें मिला दो तो उसकी एक फांक बनती है”, वो बोला।

“अच्छा भड़वे ये बता तेरी जगह अगर इस वक़्त मैं तेरी माँ की गांड मार रहा हूँ तो तू क्या करेगा?”

“मैं पीछे आकर आपके अंडकोष और गांड चाटूंगा, और जब आप माँ की गांड में पानी छोड़ दोगे तो वो पानी भरी गांड चाटूंगा.”

ये सुनकर मुझे इतनी उत्तेजना हुई कि मेरी पिचकारी भर गयी, “ले रंडी के बेटे, ले तेरी माँ के खसम. तेरे बाप का पानी अपनी भोसड़ी में मादरचोद रंडवे, कोठे की औलाद ये ऊऊह्ह्हआआआआ आआआआआआअहऊ ऊऊऊऊ”, कहकर मैंने फिर पानी छोड़ दिया, ऐसे करके सुबह तक उसने मुझे कोई 5 बार खाली किया.

सुबह वो अपनी गाडी में मुझे स्टेशन छोड़ने आया, “अशोक अगले सन्डे आ जाना, और एक बार माँ को जैसे तैसे पटा लेना, फिर आगे देखेंगे”. मैंने हाँ कहा और ट्रेन में बैठ गया। अगले शनिवार मैं वापस अहमदाबाद पंहुचा, जीतू मुझे स्टेशन पर लेने आया था, गाडी में बैठकर आधे घंटे से भी ज्यादा समय में मैं उसके घर पंहुचा.

जीतू ने मेरा बैग उठाया और जैसे ही अन्दर गया उसकी माँ ने नमस्ते किया। और बोली, “जीतू आपकी बहुत तारीफ कर रहा था की सर बहुत अच्छा पढाते हैं और इसके लिए इतनी दूर से चलकर आये.”

मैं चाहकर भी ठीक से जीतू की मा को देख नहीं पाया, और सीधा उपर वाले कमरे में चला गया जो जीतू का कमरा था। मैं थकान उतरने के लिए नहाया और नहाकर बाहर आया तो जीतू खड़ा था।

“जीतू बता क्या पहनू, लूंगी चलेगी या पजामा कुरता पहनू?”

“लुंगी पहन लो मेरे पापा भी तो पहनते हैं, और पापा वाली लुंगी ही लाया हूँ ताकि माँ को अच्छा लगे”, कहकर उसने मुझे लुंगी दे दी।

मैंने उपर एक कुरता पहना हुआ था, नीचे जीतू के पापा की लुंगी पहन ली। इससे पहले की आगे की बात बताऊँ, जीतू के पापा के बारे में बता देता हूँ, उनको सरकार ने डेप्युटेशन पर जामनगर भेजा हुआ था इसलिए वे गांधीनगर नहीं के बराबर आते थे।

जीतू कोचिंग के लिए गांधीनगर था जबकि उसकी बहन सूरत में ही कॉलेज में पढ़ रही थी। मैं सीढ़ी उतर के नीचे आया और हम दोनों डायनिंग टेबल पर बैठ गए जीतू की माँ और उनका नौकर खाना परोस रहे थे, “आंटी आप भी साथ बैठ कर खा लीजिये ना”, मैंने कहा।

“नहीं आप और जीतू खाईये वैसे भी मेरा शुक्रवार का व्रत है”, जीतू की माँ बोलीं.

मैं उनको तिरछी नज़रों से देख रहा था, उन्होंने गाउन पहना हुआ था वे औसत महिला थी, गोरी थीं और बदन भारी था, उनके स्तन खास बड़े नहीं थे मगर गांड विशाल थी, थोडा पेट उभरा हुआ था मगर इतना तो उत्तेजित करता ही है. उन्होंने गाउन के उपर इज्ज़तदार महिलाओं की तरह चुन्नी नहीं लपेटी हुई थी।

मुझे लगा वे थोड़ी खुली हुई महिला हैं. खाना खाने के बाद मैं वाश बेसिन में हाथ धो रहा था तो जीतू की माँ मेरे पास तौलिया लेकर आई। हाथ पोंछने के बहाने मैंने उनकी उँगलियाँ और थोडा कोहनी से पेट छूने की कोशिश की। उनको इस से कोई खास परेशानी नहीं हुई।

“अशोक सर मेरी माँ कोल्ड कॉफी बहुत अच्छी बनाती है, पियोगे ?” जीतू बोला।

“आंटीजी कोल्ड कॉफी से तो व्रत तो नहीं टूटता ?” मैंने पुछा।

“नहीं सर, कोल्ड कॉफी तो आपके साथ ज़रूर पियूंगी”, वो बोलीं।

“आप मुझे सर मत कहिये मैं आपसे छोटा हूँ,” मैं बोला।

“नहीं जीतू के सर हमारे भी सर हैं”, वो बोलीं।

मैं और जीतू बाहर लॉन में आकर बैठ गए।

“अशोक कैसी लगी मेरी माँ ?” उसने पूछा।

“यार जीतू चुद जाये तो ज़िंदगी बन जाये, माल है तेरी माँ तो,” मैं धीरे से बोला।

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कोई सुन न ले इसलिए हम दूसरी बातें करने लगे। थोड़ी देर में फाल्गुनी कॉफी ले आई और हमारे साथ ही बैठ गयी। फिर हम घर गृहस्थी की बातें करने लगे, मेरे घर में कौन है वगेरह वगेरह। बातों बातों में पता चल गया कि उनके पति यानि जीतू के पापा बरसों से सरकारी नौकरी में इधर उधर रहे हैं यानि उनको पति सुख नहीं के बराबर मिला है।

उधर जीतू बिस्तर लगाने के बहाने उठ कर चला गया। मैंने बातों ही बातों में फाल्गुनी को साथ घूमने के लिए राज़ी कर लिया। वो नाथद्वारा जाना चाहती थीं मगर संभव नहीं हो पाया था क्यूंकि उनके पति व्यस्त रहते थे और दूसरा कोई साथ मिल नहीं पाया था।

चूँकि मैं बीसियों बार वहां गया था इसलिए वे मेरे साथ जाने की इच्छुक थीं। मगर वे चाहती थीं की वे मैं और जीतू साथ चलें। फैसला हुआ की अगले हफ्ते हम तीनों एक साथ नाथद्वारा चलेंगे। मैं उसके बाद फ़ोन पर फाल्गुनी से बात करता रहा, और उसके बेटे जीतू से भी।

जीतू को मैं बताता की मैं उसकी मां को कैसे कैसे चोद रहा हूँ और वो उस वक्त क्या क्या कर रहा है। और फिर फ़ोन पर ही मैं मुठी मारता जीतू अपनी माँ को फ़ोन पर खूब चुदवाता। शनिवार को मैं नाथद्वारा पहुच गया। और वही कॉटेज में मैंने एक कमरा ले लिया।

जीतू और फाल्गुनी भी अहमदाबाद से वहां बस से पहुच गए। कॉटेज में ज़मीन पर ही बिस्तर बिछा कर सोना पड़ता था। ओढने को रजाई और तकिया वगेरह वहीँ से किराये पर मिलता था। कमरा काफी बड़ा था और ठण्ड भी थी, मैंने पहले से ही तीनो बिस्तर एक साथ ज़मीन पर बिछा दिए थे। जीतू की मां को कॉटेज और जगह बहुत पसंद आई।

“इसके कितने पैसे लगे सर?” उन्होंने पूछा।

“अब आप मेरे विद्यार्थी की मां हैं आपसे छोटे मोटे पैसों की बात थोड़े ही करूँगा?”

“फिर भी?”वे बोलीं।

“आप से मैं वसूल लूँगा इसकी कीमत।” मैंने हँसते हुए बोला।

“ठीक है सर”, वे बोलीं।

हमने शीघ्र ही मंगला के दर्शन कर लिए, वहीँ से मैंने प्रसाद भी ले लिया। और दर्शन की भीड़ में मैंने उनका हाथ पकड़ लिया था और मौके बेमौके उनसे खूब चिपटा और उनको दबाता रहा। वे दर्शन के बाद भाव विव्हल थीं, “सर आपने मेरा सपना पूरा कर दिया, आप का मुझ पर बहुत बड़ा एहसान है.”

मैंने कहा, “अच्छा इस को आप एहसान मानती हैं तो बदले में आप मुझे क्या देंगी?”

“जो आप मांगो मेरे बस में जो भी होगा दे दूंगी आपको, आपका मुझ पर और मेरे बेटे पर बहुत अहसान है सर”, उन्होंने कहा।

“जो मैं मांगूं? पक्का?”

“हाँ सर बिलकुल पक्का”, वे बोलीं।

दिन में हमने खाना खाया और घूमे फिरे, शाम को उन्होंने एक बार फिर दर्शन की इच्छा ज़ाहिर की।

“मैं नहीं आऊंगा मां आप सर के साथ चले जाओ”, जीतू बोला।

हम लोग दरवाज़ा खुलने का इंतजार करने लगे। जैसे ही दरवाज़ा खुलने वाला था मैंने कहा, “देखो आप मुझे सर कहते हो और मैं आपको आंटी दोनों शब्द मुझे अटपटे लगते हैं, कोई और शब्द खोजते हैं”, “आपको घर में किस नाम से बुलाते थे?”, मैंने पूछा।

“मुझे बचपन में फुला कह कर पुकारते थे”

“और मुझे भोलू”,’ मैं बोला।

“दर्शन से पहले आप मुझसे वादा कीजिये की आप मुझे भोलू बुलायेंगीं और मैं आपको फुला”, मैंने कहा।

“पर जीतू क्या समझेगा?”, उन्होंने कहा।

“ओके आप जब जीतू नहीं हो तब मुझे इस नाम से बुला लीजियेगा, ठीक है, उन्होंने कहा, पक्का वादा?” मैंने पूछा।

“हाँ पक्का वादा भोलूजी.”

“भोलूजी नहीं भोलू कहो फुला.”

“ओके भोलू”, कह कर हम दोनों हस पड़े और मैंने उनका हाथ पकड़ लिया। भीड़ में प्रवेश से पहले मैंने उनके कान में कहा, “आज श्रीनाथजी से मैं आपकी दोस्ती मांगूंगा” और हम अन्दर चल पड़े। मैंने प्रवेश से पहले फाल्गुनी की कमर में हाथ डाल दिया। “भीड़ बहुत है इस से लोगों के धक्के नहीं लगेंगे फुला”, मैंने कहा।

फाल्गुनी ने कोई प्रतिरोध नहीं किया। भीड़ के बहाने मैंने उनको खूब दबाया और उनसे चिपटता रहा, शायद फुला को भी अच्छा लग रहा था। कई बार मैंने भीड़ के बहाने से उनकी कमर पर हाथ फिराया, दबाया और एक दो बार हाथ थोडा नीचे खिसका कर नितम्ब पर भी सहलाया।

हम बाहर आये तो शाम हुई ही थी और अभी खाने में काफी समय था। मैंने जीतू को फोन लगाया। “मैं बाज़ार में घूम रहा हूँ अशोक सर, आप मा के साथ खाना खा लीजिये मैं सीधा कमरे पर आ जाऊंगा”, वो बोला। (आखिर उसको सहयोग तो करना ही था…) मैंने फोन फाल्गुनी को दिया, जीतू ने उससे भी यही बात कही।

“फुला अभी काफी समय है, बगीचे में चलें?”

“हाँ सर ओह सॉरी भोलू, चलिए,” कह कर फाल्गुनी हस पड़ी।

सर्दी थी इसलिए बगीचे में ज्यादा भीड़ नहीं थी। हम थोड़ी देर तो घूमे फिर एक बेंच पर बैठ गए। फाल्गुनी घर गृहस्थी पति बच्चे और ज़िन्दगी की बातें बताती रहीं, मुझसे वो काफी सहज हो चुकी थीं। मुझे लगा अब बात थोड़ी आगे बधाई जा सकती है।

“फुला अगर मैं कोई व्यक्तिगत बात पूछूँ तो बुरा तो नहीं मानोगी?”

“नहीं, आपकी किसी बात का बुरा मानने का तो प्रश्न ही नहीं उठता”, वो बोली।

“शादी से पहले आपका कोई बॉयफ्रेंड था या किसी से इश्क हुआ था?”

फुला थोड़ी चुप हो गयी फिर बोली, “आप किसी से कहोगे तो नहीं?”

“फुला श्रीनाथजी की कसम खाता हूँ तुम्हारे मेरे बीच जो भी बात या जो कुछ भी होगा उसका किसी को पता नहीं चलेगा”, मैंने कहा।

“ओके भोलू, मुझे आप पर विश्वास है”, मैंने जोड़ा, “लेकिन आपको भी श्रीनाथजी की कसम खानी पड़ेगी की हमारे बीच जो कुछ भी बात होगी या कुछ भी होगा उसकी जानकारी किसी को नहीं होगी”

“हाँ मैं कसम खाती हूँ”, वे बोलीं।

“तो फिर बताओ न”, मैं बोला।

“ठीक है..”

फुला ने फिर उसकी कहानी सुनाना शुरू की। पढ़िए फुला की जुबान में।

मैं तब छोटी थी शायद आठवीं या नवीं में पढ़ती थी। मेरा घर भी सूरत में ही है। मेरे सात भाई और तीन बहने हैं, घर में काफी भीडभाड थी, चार भाई मुझसे बड़े और तीन छोटे थे। मेरा ननिहाल सौराष्ट्र में है वहां हमारा बड़ा घर है हालाँकि कहने को गाँव है लेकिन सारी सुविधाएँ वहा थीं।

मेरे चार मामा थे और तीन मासियाँ। सबसे बड़े मामा मुझसे कोई ३० साल बड़े थे लेकिन सबसे छोटे मामा मुझसे भी ३ साल छोटे थे। हम हर छुट्टियों में वहां जाते थे। बीच वाले मामाओं में से एक मुझसे कोई १५ साल बड़े थे और दूसरे कोई ५ साल। हम वहां अक्सर खेलते थे।

“क्या खेलते थे बताओ न सब?”, मैंने पूछा।

सारे खेल वो बोली।

“फिर भी?

दिन में डॉक्टर डॉक्टर खेलते थे। वे बोलीं। मैं समझ गया, फाल्गुनी क्या खेल खलती थी।

“क्या उम्र थी तब आपकी.”

“कोई १२-१३ साल होगी”, वो बोलीं।

“अच्छा एक बात पूछूँ बुरा न मनो तो?”

“हाँ पूछो?”

“उस उम्र में आपके पीरियड्स शुरू हो गए थे?”

“क्या आप भी कैसे कैसे सवाल पूछते हैं।”

“बताओ न इसमें क्या हुआ।”

“नहीं मेरे पीरियड्स तो १४-१५ की उम्र में शुरू हुए थे, हमारे समय में आज की लड़कियों की तरह जल्दी पीरियड्स नहीं आते थे।”

फाल्गुनी अब आराम से बात करने लगी थी।

“सब कुछ खुल कर आराम से बताओ फुला, मैं तो आपका दोस्त हूँ।”

“कैसे बताऊँ बताते हुए भी शर्म आती है। बस इतना बता सकती हूँ मेरे मामा ने मेरे साथ गलत काम किया, कहते हुए उनकी आँखें भर आयीं.”

मुझे लगा ये मौका अच्छा है इसलिए मैंने तुरंत उनको जकड कर चिपटा लिया। वे मेरे सीने पर चिपक गयीं। मैं अब फुला के बालों पर हाथ फिराने लगा।

“आप बहुत अच्छी हैं और बहुत सुंदर भी”, कह कर मैंने उनका चेहरा उपर किया और अचानक से होठ चूम लिए। फुला को इस की उम्मीद नहीं थी वो अचकचा गयीं, “ये क्या किया सर?”

“सर नहीं भोलू, मैं मुस्कराते हुए बोला.”

“हाँ भोलू ये तो अच्छी बात नहीं.”

“देखो फुला हम दोस्त हैं और आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं और दोस्तों के बीच कुछ भी गलत नहीं होता मैंने प्यार ही तो किया है इसमें क्या गलती?”

“लेकिन मेरी उम्र आपसे ज्यादा है आप मेरे बेटे के दोस्त हैं कल को जीतू को पता चल गया तो वो तो शर्म से मर जायेगा या फिर जीतू के पापा तो मेरी जान ही ले लेंगे”, वे बोलीं।

‘”किसी को कुछ पता नहीं चलेगा और आज की इस दुनिया में किसी को किसी से कोई मतलब नहीं जीतू के पापा आपको कितना प्यार करते हैं? कितना वक़्त देते हैं? बिना प्यार कोई कैसे हक जमा सकता है फुला?, मैं बोला।

फुला कुछ बोलीं नहीं चुप हो गयी मुझे लगा बात थोड़ी सी जम गयी है। थोड़ी देर बाद हम पार्क से निकल पड़े क्यूंकि आठ बजने वाले थे, मैंने अँधेरे में फुला का हाथ पकड़ लिया और सहलाने लगा। उन्होंने कोई प्रतिरोध नहीं किया।

“अच्छा फुला तुमने मामा वाली बात तो बता दी लेकिन प्यार हुआ या नहीं ये नहीं बताया?

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“ओह हाँ प्यार तो होगा ही। जब मैं स्कूल मैं पढ़ती थी तो मेरा एक क्लासमेट था जय वो मेरा बहुत ध्यान रखता था और हम दोनों में प्यार था मगर दोनों एक दूसरे को कह न सके, फिर कॉलेज में गयी तो वहां के एक टीचर थे अनुराग सर, उनसे थोडा आकर्षण हुआ.”

“उनसे कुछ हुआ क्या? चुदाई वुदाई?”

“ये क्या बोल रहें हैं सर?”, फुला बोली।

“ओह सॉरी मेरी आदत है गंदे शब्द निकल जाते हैं “, मैं बोला। फुला हसने लगी।

मैंने दुबारा पूछा “बताओ न.”

“सब बातें बतायीं थोड़ी जाती है”, फुला ने हंस कर कहा।

मैं समझ गया। मुझे लगा अगर आज की रात जीतू आसपास नहीं हुआ तो बात बन सकती है। हम खाना खाने गए, वहीँ बातों बातों में मैंने जीतू को एसएमइस भेजा “फुला चुदने को तैयार है किसी बहाने से आज रात कमरे से बाहर सो जा.”  “ओ के” जीत का जवाब आया। दोस्तों अभी ये कहानी जारी रहेगी, आगे कहानी में क्या हुआ जानने के लिए कहानी का अगला भाग जरुर पढ़े दोस्त, और ऐसी ही मस्त कहानियों के लिए हमारी वासना को पढ़ते रहिये.

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Filed Under: Hindi Sex Story Tagged With: Anal Fuck Story, Bathroom Sex Kahani, Hardcore Sex, Hindi Porn Story, Kamukata, Mastaram Ki Kahani, Non Veg Story

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Comments

  1. Raman deep says

    सितम्बर 27, 2023 at 8:59 पूर्वाह्न

    कोई लड़की भाभी आंटी तलाकशुदा महिला जिसकी चूत प्यासी हो ओर मोटे लड से चुदवाना चाहती हो तो मुझे कॉल और व्हाट्सएप करे 7707981551 सिर्फ महिलाएं….लड़के कॉल ना करे
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