Kuwari Ladki Ass Chudai
मेरा नाम शाहरुख़ है. मेरी उमर इस समय 24 साल की है. शादी के 3 साल बाद ही एक रोड एक्सीडेंट में भैया का स्वरगवास हो गया था. मैं भाभी के साथ अकेला ही रहता था. भाभी का नाम सोफिया है. हमारा अपना खुद का बिज़्नेस था. भैया के ना रहने के बाद मैं ही बिज़्नेस की देखभाल करता था. भाभी बहुत ही खूबसूरत थी. वो मुझे शाहरुख़ कह कर ही बुलाती थी. Kuwari Ladki Ass Chudai
पापा और मम्मी का स्वरगवास बहुत पहले ही हो चुका था. मैं एक दम हत्ता कॅट्ता नौजवान था और बहुत ही ताकतवर भी. भाभी उमर में मुझसे 1 साल की छ्होटी थी. वो मुझे बहुत प्यार करती थी. भैया के गुजर जाने के बाद मैं भाभी की पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख़याल रखती थी.
मैं सुबह 10 बजे ही घर से चला जाता था और फिर रात के 8 बजे ही घर वापस आता था. ये उस समय की बात है जब भैया को गुज़रे हुए 6 महीने ही हुए थे. एक दिन मेरी तबीयत खराब हो गयी तो मैने मॅनेजर से दुकान संभालने को कहा और दोपहर के 1 बजे ही घर वापस आ गया.
भाभी ने पुचछा, क्या हुआ शाहरुख़. मैने कहा, मेरा सारा बदन दुख रहा है और लग रहा है कि कुच्छ फीवर भी है. मेरी बात सुनकर वो परेशान हो गयी. उन्होने मुझसे कहा, तुम मेरे साथ डॉक्टर के पास चलो. मैने कहा, मैने मेडिकल स्टोर से कुच्छ मेडिसिन ले ली है. मुझे थोड़ा आराम कर लेने दो.
वो बोली, ठीक है, तुम आराम करो. मैं तुम्हारे बदन पर तेल लगा कर मालिश कर देती हूँ. मैने कहा, नहीं, रहने दो, मैं ऐसे ही ठीक हूँ. वो बोली, चुप चाप अपने कमरे में जा कर लेट जाओ. मैं अभी तेल ले कर आती हूँ. मैं कभी भी भाभी की बात से इनकार नहीं करता था.
मैं अपने कमरे में आ गया. मैने अपनी शर्ट और पॅंट उतार दी और केवल बनियान और नेकार पहने हुए ही लेट गया. मैं एक दम ढीला था और थोडा छ्होटा नेकर ही पहनता था. भाभी तेल ले कर आई. उन्होने मेरे सिर पर तेल लगाया और मेरा सिर दबाने लगी. उसके बाद उन्होने मेरे हाथ, सीने और पीठ पर भी तेल लगा कर मालिश किया.
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आख़िर में वो मेरे पैर पर तेल लगा कर मालिश करने लगी. आख़िर मैं भी आदमी ही था. उनके हाथ लगाने से मुझे जोश आने लगा. जोश के मारे मेरा लंड खड़ा होने लगा और मेरा नेकर टेंट की तरह से उपर उठने लगा. धीरे धीरे मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया और मेरा नेकर एक दम टेंट की तरह हो गया.
मैं जानता था कि नेकर के छ्होटा होने की वजह से भाभी को मेरा लंड थोड़ा सा दिखाई दे रहा होगा. वो मेरे पैरों की मालिश करते हुए मेरे लंड को देख रही थी और उनकी आँखें थोड़ा गुलाबी सी होने लगी थी. उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान भी थी. मालिश करने के बाद वो चली गयी. उसके बाद मैं सो गया.
शाम के 6 बजे मेरी नींद खुली और मैं उठ गया. भाभी चाय लेकर आई. मैने चाय पी. उसके बाद मैं बाथरूम चला गया. बाथरूम से जब मैं वापस आया तो भाभी ने कहा, अब लेट जाओ, मैं तुम्हारे बदन की फिर से मालिश कर देती हूँ. मैने कहा, अब रहने दो ना, भाभी.
वो बोली, क्या मालिश करने से कुच्छ आराम नहीं मिला. मैने कहा, बहुत आराम मिला है. वो बोली, फिर क्यों मना कर रहे हो. मैने कहा, ठीक है, तुम केवल मेरे पैर की ही मालिश कर दो. वो खुश हो गयी. उन्होने मेरे पैर की मालिश शुरू कर दी. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
इस बार मेरा नेकर थोड़ा पिछे की तरफ खिसक गया था जिस से भाभी को मेरा लंड इस बार कुच्छ ज़्यादा ही दिखाई दे रहा था. भाभी मेरे लंड को देखते हुए मेरे पैरों की मालिश करती रही. थोड़ी देर बाद वो बोली, मैं जब तेरे पैर की मालिश करती हूँ तो तुझे क्या हो जाता है.
मैं कहा, कुच्छ भी तो नहीं हुआ है मुझे. उन्होने मेरे लंड पर हल्की सी चपत लगते हुए कहा, फिर ये क्या है. मैने कहा, जब तुम मालिश करती हो तो मुझे गुदगुदी सी होने लगती है, इसी लिए तो मैं मना कर रहा था. उन्होने मेरे लंड पर फिर से चपत लगते हुए कहा, इसे काबू में रखा कर.
मैने कहा, जब तुम मालिश करती हो तो ये मेरे काबू में नहीं रहता. वो बोली, तुम भी अपने भैया की तरह ही हो. मैं जब उनके पैर की मालिश करती थी तो वो भी इसे काबू में नहीं रख पाते थे. मैने मज़ाक करते हुए कहा, फिर वो क्या करते थे. वो बोली, बदमाश कहीं का. मैने कहा, बताओ ना भाभी, फिर वो क्या करते थे.
भाभी शरमाते हुए बोली, वही जो सभी मर्द अपनी बीवी के साथ करते हैं. मैने कहा, तब तो तुम्हें भैया के पैरों की मालिश नहीं करनी चाहिए थी. उन्होने पुछा, क्यों. मैने कहा, आख़िर बाद में परेशानी भी तुम्हें ही उठानी पड़ती थी. वो बोली, परेशानी किस बात की, आख़िर मेरा मन भी तो करता था. मैने कहा, मेरा भी काबू में नहीं है, अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूँ. वो बोली, शादी कर ले.
मैने कहा, मैं अभी शादी नहीं करना चाहता. उन्होने मुस्कुराते हुए कहा, फिर बाथरूम में जा कर मूठ मार ले. मैने अंजान बनते हुए पुछा, वो क्या होता है. वो बोली, क्या सच में तुझे नहीं मालूम है की मूठ मारना किसे कहते हैं. मैने कहा, नहीं. उन्होने मेरे लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, इसे अपने हाथ में पकड़ कर अपना हाथ तेज़ी से आगे पिछे करना. थोड़ी ही देर में इसका जूस निकल जाएगा और ये शांत हो जाएगा.
मैने कहा, तुम मुझे थोड़ा सा कर के बता दो. भाभी जोश में आ ही चुकी थी. वो बोली, तू बहुत ही बदमाश है. इसे बाहर निकाल, मैं बता देती हूँ कि कैसे करना है. मैने कहा, तुम खुद ही इसे बाहर निकाल कर बताओ कि कैसे करना है. उन्होने शरमाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर नेकर से बाहर निकल लिया.
जैसे ही मेरा 9″ लंबा लंड बाहर आया तो वो बोली, बाप रे, तेरा तो बहुत ही बड़ा है और मोटा भी. मैने पुछा, अच्च्छा नहीं है क्या. वो शरमाते हुए बोली, बहुत ही अच्छा है. मैने पुछा, भैया का कैसा था. वो बोली, उनका भी अच्छा था लेकिन तेरे जैसा लंबा और मोटा नहीं था. मैने कहा, अब बताओ कि कैसे करना है.
उन्होने मेरे लंड को पकड़ कर अपना हाथ आगे पिछे करना शुरू कर दिया. मुझे बहुत मज़ा आने लगा. वो भी जोश में आने लगी.2 मिनट मूठ मारने के बाद वो बोली, ऐसे ही कर लेना. अब जा बाथरूम में. मैने कहा, बाथरूम में क्यों, अगर मैं यहीं कर लेता हूँ तो इसमें क्या बुराई है. वो बोली, तेरा जूस यहाँ गिरेगा और मुझे ही सॉफ करना पड़ेगा.
मैने कहा, मैं ही सॉफ कर दूँगा. वो बोली, ठीक है, यहीं कर ले. मैं जाती हूँ. मैने उनका हाथ पकड़ कर कहा, तुम यहीं बैठो ना. वो बोली, तेरे लंड पर हाथ लगाने से मुझे पहले ही थोड़ा सा जोश आ चुका है. अगर मैं तुझे मूठ मारते हुए देखूँगी तो मुझे और ज़्यादा जोश आ जाएगा. फिर मेरे लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाएगा. आख़िर मैं भी तो औरत हूँ और अभी जवान भी.
मैने कहा, मुझ पर भरोसा रखो, मैं तुम्हारे साथ कुच्छ भी नहीं करूँगा. वो बोली, मुझे पूरा भरोसा है तभी तो मैने तेरे लंड को पकड़ कर तुझे मूठ मारना बताया है. मैने पुछा, नेकर उतार दूँ या ऐसे ही मूठ मार लूँ. वो बोली, क्या नेकर भी खराब करेगा. उतार दे इसे.
मैने अपना नेकर उतार दिया और मूठ मारने लगा. भाभी मुझे मूठ मारते हुए देखती रही. मैं भाभी को देखता हुआ मूठ मार रहा था. धीरे धीरे वो और ज़्यादा जोश में आ गयी. जोश के मारे मेरे मूह से आह… ऊह… की आवाज़ निकल रही थी. वो मुझे और कभी मेरे लंड को देख रही थी. उन्होने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया और सहलाने लगी.
मैने पुछा, क्या हुआ. वो बोली, तू मुझे एक दम पागल कर देगा. मैं जा रही हूँ. मैने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा, बैठो ना मेरे पास. वो चुप चाप बैठ गयी. मैं मूठ मारता रहा. भाभी जोश के मारे पागल सी हो चुकी थी. थोड़ी ही देर में उन्होने मेरा लंड पकड़ लिया और बोली, अब रहने दे, अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा है.
मैने पुच्छा, क्या हुआ. उन्होने अपना पेटिकोट उपर कर दिया और बोली, देख मेरी चूत भी एक दम गीली हो गयी. तूने तो मुझे पागल सा कर दिया है. अब मुझे बर्दास्त नहीं हो रहा है, तू मेरी चूत को सहला दे, मैं तेरा लंड सहला देती हूँ. मैने कहा, केवल सहलाना ही है या कुच्छ और करना है.
वो बोली, अगर तेरा मन करे तो मेरी चूत को थोड़ा सा चाट ले जिस से मुझे भी थोडा आराम मिल जाएगा. मैने कहा, कपड़े तो उतार दो. वो बोली, तू खुद ही उतार दे. मैने भाभी के कपड़े उतार दिए. अब वो एक दम नंग हो गयी. उनकी चूत एक दम सॉफ थी. मैने कहा, तुम्हारी चूत तो एक दम सॉफ है.
वो बोली, मुझे चूत पर बॉल बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं इसी लिए मैं इसे हमेशा ही सॉफ रखती हूँ. तेरा भी तो एक दम सॉफ है. मैने कहा, मुझे भी बॉल पसंद नहीं हैं. वो लेट गयी तो मैने उनकी चूत पर अपनी जीभ फिरानी शुरू कर दी. वो बोली, ऐसे नहीं. मैने कहा, फिर कैसे. वो बोली, मुझे भी तो तेरा चूसना है. तू मेरे उपर उल्टा लेट जा और अपना लंड मेरे मूह के पास कर दे फिर चाट मेरी चूत को.
मैं भाभी के उपर 69 की पोज़िशन में लेट गया. मैने उनकी चूत पर जीभ फिराना शुरू किया तो उन्होने मेरे लंड का सूपड़ा अपने मूह में ले लिया और चूसने लगी. मुझे खूब मज़ा आने लगा. भाभी भी जोश के मारे सिसकारियाँ भरने लगी. मैने उनकी क्लिट को अपने होठों से दबाना शुरू कर दिया तो उन्होने ज़ोर की सिसकारी ली.
मैने पुछा, क्या हुआ. वो बोली, बहुत मज़ा आ रहा है, और ज़ोर ज़ोर से दबा. मैने उनकी क्लिट को और ज़्यादा ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया तो उन्होने मेरा लंड अपने मूह में और ज़्यादा अंदर ले लिया और तेज़ी के साथ चूसने लगी. मैने एक उंगली उनकी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
थोड़ी ही देर में भाभी की चूत से जूस निकल आया. वो बोली, चाट ले इसे. मैने उनकी चूत का सारा जूस चाट लिया. थोड़ी ही देर में मेरे लंड का जूस भी निकलने लगा तो भाभी सारा का सारा जूस निगल गयी. उसके बाद मैं हट गया और उनके बगल में लेट गया. भाभी मेरा लंड सहलाने लगी. थोड़ी देर बाद वो बोली, आज तो वो हो गया जो कि नहीं होना चाहिए था. मैने कहा, मैने ऐसा क्या कर दिया.
वो बोली, तूने मुझे अपना लंड दिखा कर आज मुझे पागल सा कर दिया. मैने कहा, मैने तो नहीं दिखाया था. वो बोली, तेरा नेकर ही इतना छ्होटा और ढीला था की मुझे तेरा लंड दिखाई दे गया. अपने आप को काबू में नहीं रख पाई इसी लिए मैने तुझसे पैर की दोबारा मालिश करने के लिया कहा था. मैं तेरा लंड देखना चाहती थी क्यों कि मुझे तेरा लंड बहुत ही लंबा और मोटा दिख रहा था.
मैने कहा, अब तो देख लिया ना. वो बोली, हां, देख भी लिया और पसंद भी कर लिया. मैने कहा, अब क्या इरादा है. वो बोली, तू भी वही कर जो तेरे भैया मेरे साथ करते थे. मैने कहा, ये ठीक नहीं है. वो बोली, क्या ठीक है क्या नहीं, मैं कुच्छ नहीं जानती. अगर तू मेरे साथ नहीं करेगा तो मैं मर जाउन्गी.
मैने पुछा, मैं तुम्हारे साथ क्या करूँ. वो बोली, जो तेरे भैया मेरे साथ करते थे. मैने कहा, मैने तो कभी देखा ही नहीं की भैया तुम्हारे साथ क्या करते थे. भाभी ने मेरे गालों को ज़ोर से काट लिया और बोली, अब चोद दे मुझे. मैने कहा, दर्द होगा. वो बोली, तो मैं क्या करूँ, होने दे. जो होगा देखा जाएगा.
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मैने कहा, तुम मेरी भाभी हो, मैं तुम्हें कैसे चोद सकता हूँ. भाभी का तो जोश के मारे बुरा हाल था. वो बोली, तू मुझे नहीं चोदेगा लेकिन मैं तो तुझे चोद सकती हूँ. मैने कहा, फिर तुम ही चोदो. मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था. भाभी मेरे उपर आ गयी. उन्होने मेरे लंड के सूपदे को अपनी चूत के बीच रखा और दबाने लगी.
उनके चेहरे पर दर्द की झलक सॉफ दिख रही थी फिर भी वो रुकी नहीं. मेरा लंड धीरे धीरे उनकी चूत में घुसता ही जा रहा था. उनकी चूत बहुत ही टाइट थी. उन्होने दबाना जारी रखा तो थोड़ी ही देर में उनकी आँखों में आँसू भी आ अगये. मैने पुछा, क्या हुआ. वो बोली, दर्द बहुत हो रहा है.
मैने कहा, फिर रुक जाओ ना, क्यों इतना दर्द बर्दास्त कर रही हो. वो बोली, मैं पागल हो गयी हूँ. अब तक मेरा लंड भाभी की चूत में 7″ तक घुस चुका था. दर्द के मारे भाभी का बुरा हाल हो रहा था. तभी वो अपने बदन का सारा ज़ोर देते हुए अचानक मेरे लंड पर बैठ गयी. मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी चूत में समा गया.
उनके मूह से ज़ोर की चीख निकली. उनका सारा बदन थर थर काँपने लगा. उनके चेहरे पर पसीना आ गया. उनकी साँसें बहुत तेज चल रही थी. वो मेरे उपर लेट गयी और मेरे होठों को चूमने लगी. मैं उनकी कमर और चूतड़ को सहलाने लगा. तभी मुझे बदमाशी सूझी. मैने उनकी गांद के छेद पर अपनी उंगली फिरानी शुरू कर दी तो उन्हें मज़ा आने लगा.
अचानक मैने अपनी उंगली उनकी गांद में डाल दी तो उन्होने ज़ोर की सिसकारी ली और बोली, बदमाश कहीं का. पहले तो कह रहा था कि तुम मेरी भाभी हो, मैं तुम्हें कैसे चोद सकता हूँ. अब मेरी गांद में उंगली डाल रहा है. क्या मैं अब तेरी भाभी नहीं रह गयी. मैने कहा, बिल्कुल नहीं, अब तो तुमने मेरा लंड तुमने अपनी चूत में डाल लिया है. अब तुम मेरी भाभी नहीं रह गयी हो.
वो बोली, फिर मैं अब तेरी क्या लगती हूँ. मैने कहा, बीवी. वो बोली, फिर चोद दे ना अपनी बीवी को. क्यों तरसा रहा है मुझे. अब तो मैने तेरा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत के अंदर ले लिया है. मेरी उंगली अभी भी भाभी की गांद में थी. मैने फिर शरारत की और कहा, मैं तुम्हें एक ही शर्त पर छोड़ सकता हूँ. वो बोली, कैसी शर्त. मैने कहा, मैं तुम्हारी गांद भी मारूँगा.
वो बोली, अपनी बीवी से भी पुच्छना पड़ता है क्या. मैने कहा, मुझे नहीं मालूम. वो बोली, तेरे भैया ने तो मुझसे कभी नहीं पुछा, जब भी उनका मन किया उन्होने मेरी चुदाई की और जब उनका मन हुआ तो उन्होने मेरी गांद भी मारी. मैने कहा, इसका मतलब तुम भैया से गांद भी मरवा चुकी हो. वो बोली, तो क्या हुआ, मज़ा तो दोनो में ही आता है. अब मुझे ज़्यादा मत परेशान कर, चोद देना.
मैने कहा, थोड़ा सा तुम चोदो फिर थोड़ा सा मैं चोदुन्गा. वो बोली, ठीक है, बाबा. भाभी ने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए तो उनके मूह से चीख निकलने लगी. मैने पुछा, अब क्या हुआ. वो बोली, दर्द हो रहा है. मैने पुछा, क्यों, अब तो पूरा अंदर ले चुकी हो. वो बोली, अंदर लेने से क्या होता है. मेरी चूत अभी तेरे लंड के साइज़ की थोड़े ही हुई है.
मैने पुछा, मेरे लंड की साइज़ की कैसे होगी. वो बोली, जब तू मुझे काई बार चोद देगा तब. वो धीरे धीरे धक्के लगाती रही. मैने पुछा, तुम्हारी चूत को चौड़ा करने के लिए मुझे कितनी बार चोदना पड़ेगा. वो बोली, ये तो तेरे उपर है कि तू किस तरह से मेरी चुदाई करता है.
मैने पुछा, क्या एक बार में भी हो सकता है. वो बोली, बिल्कुल हो सकता है, अगर तू मुझे पहली बार में ही कम से कम 1 घंटे चोद सके तो. लेकिन मैं जानती हूँ की तू ऐसा नहीं कर पाएगा. मैने पुछा, क्यों. वो बोली, तूने कभी किसी को पहले चोदा है. मैने कहा, नहीं. वो बोली, तो फिर तू 10 मिनट से ज़्यादा रुकेगा ही नहीं.
मैने कहा, रुकुंगा क्यों नहीं. वो बोली, तुझे मेरी चुदाई करने में जोश ज़्यादा आ जाएगा इसलिए. भाभी को धक्के लगाते हुए लगभग 10 मिनट हो चुके थे और वो इस दौरान 1 बार झाड़ भी चुकी थी. तभी मेरे लंड का जूस निकल पड़ा और साथ ही साथ वो भी फिर से झाड़ गयी.
वो मुस्कुराते हुए बोली, क्या हुआ पहलवान. मैने कहा, वही हुआ जो तुम कह रही थी. वो बोली, मेरी चूत ढीली करने के लिए तुझे कम से कम 1 घंटे तक मेरी चुदाई करनी पड़ेगी. मैं ये भी जानती हूँ की अगली बार तू ज़्यादा से ज़्यादा 15 मिनट ही मुझे चोद पाएगा. इस तरह जब तू 3-4 बार मेरी चुदाई कर देगा तब कुल मिलकर 1 घंटे हो जाएँगे और मेरी चूत ढीली हो जाएगी और तेरे लंड के साइज़ की हो जाएगी, समझ गये बच्चू.
मैने कहा, बिल्कुल समझ गया, मेडम. भाभी ने मेरे लंड को अपनी चूत के अंदर ही रखा और मेरे उपर लेट गयी. वो मेरे होठों को चूमती रही और मैं उनकी चुचियों को मसलता रहा. 10 मिनट के बाद मेरा लंड उनकी चूत में ही फिर से खड़ा होने लगा तो वो बोली, अब तुम मुझे चोदो. मैने कहा, जैसी आप की मर्ज़ी.
वो मुस्कुराते हुए मेरे उपर से हट गयी और लेट गयी. मैं उनके उपर आ गया. मैने उनकी चुदाई शुरू कर दी. मैं पूरे जोश में था और ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाते हुए उनको चोद रहा था. वो बोली, शाबाश बहादुर, बहुत ही अच्छि तरह से चोद रहे हो, चोदते रहो, रुकना मत, थोड़ा और ज़ोर के धक्के लगाओ. मैने और ज़्यादा तेज़ी के साथ धक्के लगाने शुरू कर दिए. लगभग 15 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया.
भाभी भी इस चुदाई के दौरान 2 बार झाड़ चुकी थी. मैने उन्हें सारी रात खूब जाम कर चोदा. वो भी पूरी तरह से मस्त हो गयी थी और मैं भी. सुबह तक मैं उन्हें 6 बार चोद चुका था. सुबह को मैने पुछा, तुम्हारी चूत मेरे लंड की साइज़ की हो गयी या नहीं. वो बोली, जब तुमने मेरी 4 बार चुदाई कर दी फिर उसके बाद मैं चिल्लाई क्या. मैने कहा, बिल्कुल नहीं. वो बोली, फिर समझ लो की मेरी चूत तुम्हारे लंड की साइज़ की हो गयी.
थोड़ी देर बाद वो बोली, मैं एक बात तुमसे कहना चाहती हूँ. मैने पुछा, अब क्या है. वो बोली, मुझे तो तुम्हारा लंड बहुत पसंद आ गया है. अगर तुम्हें मेरी चूत भी पसंद आ गयी हो तो तुम मुझसे शादी कर लो. मैं तुमसे 1 साल छ्होटी भी हूँ और जवान भी. मैं तुम्हें पूरा मज़ा दूँगी और एक दम खुश रखूँगी. अगर तुम मुझसे शादी नहीं करोगे तो मैं तो तुम्हारी रखैल बन कर रह जाउन्गि. जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तो मुझे कौन चोदेगा.
भाभी खूबसूरत थी ही. मैं उन्हें बहुत प्यार भी करता था और वो भी मुझसे बहुत प्यार करती थी. उनकी बात सही भी थी क्यों कि मुहल्ले के लोग बाद में उन्हें मेरी रखैल ही कहते. मैने मज़ाक किया, अगर तुम मुझसे शादी करना चाहती हो तुम्हें एक काम करना पड़ेगा. वो बोली, मैं सब कुच्छ करने के लिए तय्यार हूँ.
मैने कहा, तुमने उस पागल को देखा है ना जो हमारे मुहल्ले में घूमता रहता है. वो बोली, हां देखा है. मैने कहा, तुमने उसका लंड भी देखा होगा. वो बोली, देखा है. मैने पुछा, उसका लंड कैसा है. वो बोली, उसका तो तुमसे भी ज़्यादा लंबा और मोटा लगता है. मैने कहा, मैं उसे एक दिन घर ले आता हूँ, तुम उस से चुदवा लो.
वो बोली, ठीक है, ले आना. मैं तुमसे शादी करने के लिए कुच्छ भी कर सकती हूँ. मैं उस पागल से भी चुदवा लूँगी. मैने कहा, मैं तो मज़ाक कर रहा था. वो बोली, तो क्या तुम समझे की मैं सच में ही उस पागल से चुदवा लूँगी. मैने कहा, मैं तुमसे एक ही शर्त पर शादी करूँगा.
वो बोली, मैने कहा ना कि मुझे तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है. मैने कहा, सुन तो लो. वो बोली, फिर सुना ही दो. मैने कहा, मैं तुम्हारी गांद मारूँगा तब ही तुमसे शादी करूँगा. वो बोली, जब मैने तुम्हारा लंड अपनी चूत के अंदर लिया तब ही मैं तुम्हारी बीवी बन गयी थी, भले ही हमारी शादी नहीं हुई थी. अपनी बीवी से ये बात पुछि नहीं जाती. अभी मार लो मेरी गांद.
मैने कहा, फिर सुहागरात के दिन मैं क्या करूँगा. वो बोली, फिर रहने दो. सुहागरात के दिन तुम मेरी गांद मार लेना. मैने कहा, एक दिक्कत और है. वो बोली, अब क्या है. मैने कहा, तुमसे शादी करने के बाद मैं सारी ज़िंदगी किसी कुँवारी चूत को नहीं चोद पाउन्गा. वो बोली, मैं तुम्हारे लिए कुँवारी चूत का इंतेज़ाम भी कर दूँगी.
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मैने पुछा, वो कैसे. वो बोली, ये मुझ पर छ्चोड़ दो. मैने कहा, फिर मैं मोलवी से पूच्छ लेता हूँ कि हमें शादी कब करनी चाहिए. वो बोली, पूच्छ लेना. मोलवी से बात की तो उसने 3 बाद का टाइम बताया. 3 दिनो तक मैने सोफिया की खूब जम कर चुदाई की. अब उसे और ज़्यादा मज़ा आने लगा था. सोफिया चुदवाते समय मेरा पूरा साथ देती थी इस लिए मुझे भी खूब मज़ा आता था.
तीसरे दिन हम दोनो ने शादी कर ली. रात में मैने सोफिया की गांद मारी. वो बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन उसने एक बार भी मुझे रोका नहीं. उसकी गांद कयि जगह से कट गयी थी और उसकी गांद की हालत एक दम खराब हो गयी थी. वो 2 दिनो तक ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. मैने पुछा, मैं जब तुम्हारी गांद मार रहा था और तुम्हें इतनी ज़्यादा तकलीफ़ हो रही थी तो तुमने मुझे रोका क्यों नहीं.
वो बोली, मैं अपने पति को कैसे मना करती. आख़िर बाद में मुझे भी तो गांद मरवाने में मज़ा आया. मैने कहा, वो तो आना ही था. अब मेरे लिए कुँवारी चूत का इंतेज़ाम कब करोगी. वो बोली, बस जल्दी ही हो जाएगा. शादी के 4 दिन के बाद जब मैं दुकान से घर आया तो घर पर एक लड़की बर्तन सॉफ कर रही थी. उसके कपड़े थोड़ा गंदे थे लेकिन वो थी बहुत ही खूबसूरत. उसकी उमर लगभग 16 साल की रही होगी.
मैं सीधा अपने कमरे में चला गया. सोफिया भी मेरे पिछे पिछे आ गयी. मैने सोफिया से पुच्छा, ये कौन है. वो मुस्कुराते हुए बोली, मैने इसे घर का काम करने के लिए रखा है. इसका नाम मालती है. पसंद है ना तुम्हें. मैं इसे तुम्हारे काम के लिए भी जल्दी ही तय्यार कर लूँगी. मैने कहा, तुम्हारी पसंद का तो जवाब नहीं है. कहाँ रहती है ये.
सोफिया ने कहा, ये गाओं में रहती थी लेकिन अब यहीं रहेगी. मेरे भैया जब शादी में आए थे तो मैने उन से कहा था कि मुझे घर का काम करने के लिए एक लड़की चाहिए. उन्होने ने ही इसे यहाँ पर भेजा है. ये हमारे साथ ही रहेगी. मैने कहा, जल्दी तय्यार करो इसे. मैं इसे जल्दी से जल्दी चोदना चाहता हूँ. वो बोली, थोड़ा सबर करो.
मालती बर्तन सॉफ कर के कमरे में आ गयी. उसने सोफिया से पुछा, मालकिन, मैने घर का सारा काम कर दिया है, और कुच्छ करना हो तो बता दो. सोफिया ने कहा, तू तो मेरे गाओं की है, मुझे मालकिन मत कहा कर. वो बोली, फिर मैं आप को क्या कह कर बुलाऊं. सोफिया ने कहा, तू मुझे दीदी कहा कर और इन्हें जीजू. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वो खुश हो गयी और बोली, ठीक है, दीदी. सोफिया ने कहा, मेरी तबीयत कुच्छ खराब रहती है इस लिए तू मेरे साथ ही सो जाना. वो बोली, फिर जीजू कहाँ सोएंगे. सोफिया ने कहा, वो भी मेरे पास ही सोएंगे. वो बोली, फिर मैं आप के पास कैसे सो पाउन्गि. सोफिया ने कहा, मेरे एक तरफ तुम सो जाना दूसरी तरफ ये सो जाएँगे.
वो बोली, ये तो ठीक नहीं होगा. सोफिया ने कहा, शहर में सब चलता है. यहाँ ज़्यादा शरम नहीं की जाती. वो बोली, ठीक है, मैं आप के पास ही सो जाउन्गि. हम सब ने खाना खाया उसके बाद मैं अपने कमरे में सोने के लिए आ गया. मैने केवल लूँगी ही पहन रखी थी.
थोड़ी देर बाद सोफिया और मालती भी आ गये. सोफिया ने ब्रा और पॅंटी को छ्चोड़ कर अपने बाकी के कपड़े उतार दिए. उसके बाद उसने मेक्सी पहन ली. सोफिया ने मालती से कहा, अब तू भी अपने कपड़े उतार दे. मैं तुझे भी एक मेक्सी देती हूँ, उसे पहन लेना. वो बोली, नहीं, मैं ऐसे ही ठीक हूँ. सोफिया ने कहा, मैं जो कहती हूँ, उसे मान लिया कर. सोते वक़्त सारा बदन खुला छ्चोड़ देना चाहिए.
वो बोली, जीजू यहाँ हैं. सोफिया ने कहा, जीजू से कैसी शरम, ये तुझे पकड़ थोड़े ही लेंगे. उतार दे अपने कपड़े. मालती ने शरमाते हुए अपनी शलवार और कमीज़ उतार दी. उसका बदन देखकर मैं दंग रह गया. उसकी चुचियाँ अभी बहुत ही छ्होटी छ्होटी थी. सोफिया ने उसे भी एक मेक्सी दे दी तो उसने वो मेक्सी पहन ली.
सोफिया मेरे बगल में लेट गयी. मालती सोफिया के बगल में लेट गयी. हम सब कुच्छ देर तक बातें करते रहे. उसके बाद सोने लगे. थोड़ी ही देर में मालती सो गयी तो सोफिया ने मुझसे कहा, अब तुम मेरी चुदाई करो. मैने कहा, इसके सामने. वो बोली, मैं चाहती हूँ कि ये हम दोनो को देख ले, तभी तो मैं इसे तय्यार करूँगी. तुम मुझे खूब ज़ोर ज़ोर से चोदना जिस से ये जाग जाए.
मैने कहा, ठीक है. मैने सोफिया को ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया. सारा बेड ज़ोर ज़ोर से हिलने लगा. थोड़ी ही देर में मालती की नींद खुल गयी और वो उठ कर बैठ गयी. जैसे ही वो उठी तो मैने अपना लंड सोफिया क़ी चूत से बाहर निकाल लिया. मालती ने जब हम दोनो को देखा तो शर्मा गयी. वो बोली, दीदी, मैं बाहर जा रही हूँ.
सोफिया ने कहा, क्यों, क्या हुआ. वो बोली, मुझे शरम आती है. सोफिया ने कहा, पगली, इसमें शरमाने की कौन सी बात है. तू अपना मूह दूसरी तरफ कर ले और सो जा. मालती उठ कर जाना चाहती थी लेकिन सोफिया ने उसका हाथ पकड़ लिया. मालती कुच्छ नहीं बोली. वो सोफिया के बगल में ही लेट गयी लेकिन उसने अपना मूह दूसरी तरफ नहीं किया.
सोफिया ने मुझसे कहा, अब तुम अपना काम जल्दी से पूरा करो, मुझे नींद आ रही है. मैने सोफिया को चोदना शुरू कर दिया. मालती तिर्छि निगाहों से हम दोनो के देखती रही थी. 15 मिनट की चुदाई के बाद जब मैं झाड़ गया तो मैने अपना लंड सोफिया की चूत से बाहर निकाला. सोफिया उठ कर बैठ गयी और उसने मेरा लंड चाट चाट कर सॉफ कर दिया.
मालती ने शरम के मारे अपनी आखे बंद कर ली. सोफिया ने अपना मूह मालती की तरफ कर लिया और अपना हाथ उसकी चुचियों पर रख दिया. उसने कहा, दीदी, अपना हाथ हटा लो. सोफिया ने कहा, मुझे तो ऐसे ही सोने की आदत है. अब सो जा. मालती कुच्छ नहीं बोली. उसके बाद हम सब सो गये.
सुबह हम सब उठ गये. मालती फ्रेश होने चली गयी. सोफिया ने मुझसे कहा, अब तुम इसे बार बार अपना लंड दिखाने की कोशिश करना लेकिन इसे हाथ मत लगाना. इसे ऐसा लगना चाहिए कि जैसे तुम अपना लंड इसे दिखाने की कोशिश नहीं कर रहे थे. मैने कहा, ठीक है.
मालती फ्रेश हो कर आ गयी. सोफिया ने कहा, अब तू घर में झाड़ू लगा ले. वो झाड़ू लगाने चली गयी. सोफिया ने मुझसे कहा, अब तुम जा कर फ्रेश हो जाओ. आज से अपना टवल साथ मत ले जाना और एक दम नंगे ही नहाना, मैं मालती से तुम्हारा टवल भेज दूँगी. मैने कहा, ठीक है.
मैं बाथरूम में चला गया. फ्रेश होने के बाद मैं एक दम नंगा ही नहाने लगा. थोड़ी देर बाद मैने सोफिया को पुकारा और कहा, टवल दे दो. सोफिया ने मालती से कहा, जा, जीजू को टवल दे आ. वो टवल ले कर आई तो मैने बाथरूम का दरवाज़ा खोल दिया. मेरा लंड पहले से खड़ा था.
मालती की निगाह जैसे ही मेरे लंड पर पड़ी तो उसने अपना सिर नीचे कर लिया. वो मुझे टवल देने लगी तो मैने कहा, थोड़ा रुक जाओ. मैं अपने सिर को ज़रा साबुन से सॉफ कर लूँ. मैने अपने सिर पर साबुन लगाना शुरू कर दिया. मैने देखा कि मालती तिर्छि निगाहों से मेरे लंड को देख रही थी. मैने कुच्छ ज़्यादा ही देर कर दी तो वो बोली, जीजू, टवल ले लो, मुझे और भी काम करना है.
मैं कहा, थोड़ा रुक जाओ, मैं अपना सिर तो धो लूँ. मैने अपना सिर धोया और फिर अपने लंड पर साबुन लगाते हुए कहा, रात को तेरी दीदी ने इसे भी गंदा कर दिया था, ज़रा इसे भी साफ कर लूँ. फिर मुझे टवल दे देना. वो चुप चाप खड़ी रही. मैं अपने लंड पर साबुन लगाने लगा. वो अभी भी मेरे लंड को तिर्छि निगाहों से देख रही थी.
मैने उस से मज़ाक करते हुए कहा, साली जी, तिर्छि निगाहों से मुझे क्यों देख रही हो. अपना सिर उपर कर लो और ठीक से देख लो मुझे. वो बोली, मुझे शरम आती है. मैने कहा, कैसी शरम, मैं तो तुम्हारा जीजू हूँ ना. बोलो, हूँ या नहीं. वो बोली, हां, आप मेरे जीजू हैं.
मैने अब ज़्यादा देर करना ठीक नहीं समझा. मैने अपने लंड पर लगे हुए साबुन को धोया और उसके हाथ से टवल लेते हुए कहा, अब जाओ. वो मुस्कुराते हुए चली गयी. मैने अपना बदन सॉफ किया और लूँगी पहन कर बाहर आ गया. मालती ड्रवेयिंग रूम में झाड़ू लगा रही थी.
मैने सोफिया को पुकारा और कहा, ज़रा तेल तो लगा दो. वो बोली, अभी आती हूँ. सोफिया मेरे पास आ गयी तो मैने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, आज तेल नहीं लगओगि क्या. सोफिया समझ गयी और बोली, लगाउन्गि क्यों नहीं. उसने मेरे लंड पर तेल लगा कर मालिश करना शुरू कर दिया.
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मालती मेरे लंड को देखती रही. इस बार वो ज़्यादा नहीं शर्मा रही थी. तेल लगाने के बाद सोफिया जाने लगी तो मैने कहा, तुम कुच्छ भूल रही हो. सोफिया ने मेरे लंड को चूम लिया. उसके बाद मैने नाश्ता किया और अपने कमरे में आ गया. 10 बजे मैं दुकान जाने लगा तो सोफिया ने कहा, मालती के लिए कुच्छ नये कपड़े और थोड़ा मेक-अप का समान ले आना.
मैने कहा, अच्च्छा, ले आउन्गा. उसके बाद मैं दुकान चला गया. रात के 8 बजे मैं दुकान से वापस आया और मैने मालती को पुकारा. मालती आ गयी और उसने मुस्कुराते हुए कहा, क्या है, जीजू. मैने कहा, मैं तेरे लिए कपड़े ले आया हूँ और मेक-अप का समान भी. देख ज़रा तुझे पसंद है या नहीं.
उसने सारा समान देखा तो खुश हो गयी और बोली, बहुत ही अच्च्छा है. मैने पुछा, सोफिया कहाँ है. वो बोली, फ्रेश होने गयी है. मैने कहा, जा मेरे लिए चाय ले आ. वो चाय लाने चली गयी. मैने अपने कपड़े उतार दिए और लूँगी पहन ली. वो चाय ले कर आई तो मैने चाय पी.
तभी सोफिया आ गयी. उसने पुछा, मालती का समान ले आए. मैने कहा, हां, ले आया और इसे दिखा भी दिया. इसे बहुत पसंद भी आया. मैं टीवी देखने लगा. सोफिया मालती के साथ खाना बनाने चली गयी. रात के 10 बजे हम सब ने खाना खाया और सोने चले गये. आज मालती बहुत खुश दिख रही थी.
उसने आज ज़रा सा भी शरम नहीं की और खुद ही अपने कपड़े उतार दिए और मेक्सी पहन ली. हम सब बेड पर लेट गये. सोफिया ने मुझसे कहा, मुझे नींद आ रही है. तुम अपना काम कर लो और मुझे सोने दो. मैं समझ गया. मैने अपनी लूँगी उतार दी. सोफिया ने भी अपनी मेक्सी खोल दी और पॅंटी उतार दी. मालती देख रही थी. आज वो कुच्छ बोल नहीं रह थी, केवल चुप चाप लेटी हुई थी.
मैने सोफिया को चोदना शुरू कर दिया. मैने देखा की मालती आज ध्यान से हम दोनो को देख रही थी. 5-20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झाड़ गया तो आज मैने सोफिया की चूत को चाटना शुरू कर दिया. मालती ने मुझे सोफिया की चूत को चाटते हुए देखा उसने अपना हाथ अपनी चूत पर रख लिया.
मैं समझ गया कि अब वो धीरे धीरे रास्ते पर आ रही है. सोफिया की चूत को चाटने के बाद मैने अपना लंड सोफिया के मूह के पास कर दिया तो सोफिया ने भी मेरा लंड चाट चाट कर सॉफ कर दिया. उसके बाद मैं लेट गया. तभी मालती ने कहा, दीदी, आप दोनो को घिन नहीं आती एक दूसरे का चाटते हुए. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
सोफिया ने कहा, कैसी घिन, मुझे तो मज़ा आता है और तेरे जीजू को भी. उसके बाद हम सो गये. सुबह मैं नहाने गया तो मैने मालती को पुकारा और कहा, टवल ले आ. वो बोली, अभी लाई, जीजू. वो टवल ले कर आ गयी. मैने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, थोड़ा रुक जा, मैं इसे सॉफ कर लूँ.
मैने अपने लंड पर साबुन लगाना शुरू कर दिया. आज मालती ने अपना सिर नीचे नहीं किया और मेरे लंड को ध्यान से देखती रही. वो अब ज़्यादा नहीं शर्मा रही थी. मैने अपने लंड को सॉफ किया और फिर उस से टवल ले लिया. वो चली गयी. मैं बाथरूम से बाहर आया तो सोफिया ने मेरे लंड पर तेल लगाया और फिर मेरे लंड को चूमा और किचन में चली गयी.
मालती इस दौरान मेरे लंड को ध्यान से देखती रही. मैने नाश्ता किया और दुकान चला गया. रात के 8 बजे मैं वापस आया तो मैं कुच्छ मिठाई ले आया था. मैने मालती को पुकारा. मालती आ गयी तो मैने उसे मिठाई दे दी. उसने मिठाई ले ली और कहा, आप के लिए अभी ले आऊँ. मैने कहा, हां, थोड़ा सा ले आ.
वो मिठाई ले कर आई तो मैने मिठाई खाने लगा. तभी सोफिया आई. उसने मुझे मिठाई खाते हुए देखा तो बोली, आज कल साली की बहुत सेवा हो रही है. मैने कहा, क्या करूँ. मेरी तो कोई साली ही नहीं थी. अब जब मुझे एक साली मिल गयी है तो उसकी सेवा तो करूँगा ही. लेकिन मेरी साली मेरा ज़्यादा ख़याल ही नहीं रखती.
मालती बोली, जीजू, मेरी कोई बहन नहीं है इसलिए मेरा कोई जीजू तो आने वाला नहीं है. आप ही मेरे जीजू हो, आप हुकुम तो करो. मैने कहा, क्या तुम मेरा कहना मनोगी. वो बोली, क्यों नहीं मानूँगी. मैने कहा, ठीक है, जब मुझे ज़रूरत होगी तो तुम्हें बता दूँगा. अगले 2 दिनो में मैने मालती से मज़ाक करना शुरू कर दिया. धीरे धीरे वो भी मुझसे मज़ाक करने लगी. अब वो मुझसे शरमाती नहीं थी.
अब मालती खुद ही टवल ले आती थी. उस दिन भी जब मैं नहा रहा था तो वो टवल ले कर आई और खड़ी हो गयी और मेरे लंड को देखने लगी. मैने कहा, साली जी, आज तुम ही मेरे लंड पर साबुन लगा दो. वो बोली, क्या जीजू, मुझसे अपने लंड पर साबुन लगवाओगे. मैने कहा, तो क्या हुआ. वो बोली, दीदी क्या कहेंगी. मैने सोफिया को पुकारा तो वो आ गयी और बोली, क्या है.
मैने कहा, मैं मालती से अपने लंड पर साबुन लगाने को कहा तो ये कह रही है की दीदी क्या कहेंगी. अब तुम इसे बता दो कि तुम क्या कहोगी. सोफिया ने कहा, मैं तो कहूँगी कि मालती तुम्हारे लंड पर साबुन लगा दे. आख़िर वो तुम्हारी साली है. मैं भला इसे कैसे मना कर सकती हूँ.
मैने मालती से कहा, देखा, ये तुम्हें कुच्छ भी नहीं कहेगी. मालती ने कहा, फिर मैं साबुन लगा देती हूँ. सोफिया चली गयी. मालती ने थोड़ा सा शरमाते हुए मेरे लंड पर साबुन लगाना शुरू कर दिया. मुझे खूब मज़ा आने लगा. उसकी आँखे भी गुलाबी सी होने लगी. थोड़ी देर बाद वो बोली, अब बस करूँ या और लगाना है.
मैने कहा, थोड़ा और लगा दे, तेरे हाथ से साबुन लगवाना मुझे बहुत अच्च्छा लग रहा है. वो साबुन लगाती रही. थोड़ी ही देर में जब मुझे लगा कि अब मेरा जूस निकल जाएगा तो मैने कहा, अब रहने दो. उसने अपना हाथ सॉफ किया और चली गयी. मैं नहाने के बाद बाहर आया और ड्रॉयिंग रूम में सोफे पर बैठ गया.
मैने सोफिया को पुकारा, सोफिया, ज़रा तेल तो लगा दो. मालती मेरे पास आई और बोली, मैं ही लगा दूं क्या. मैने कहा, ये तो और अच्छि बात है. तुम ही लगा दो. मालती मेरे लंड पर तेल लगा कर बड़े प्यार से मालिश करने लगी तो मैं कुच्छ ज़्यादा ही जोश में आ गया. मालती ठीक मेरे लंड के सामने ज़मीन पर बैठी थी. मेरे लंड से जूस की धार निकल पड़ी और सीधे मालती के मूह पर जा कर गिरने लगी.
मालती शर्मा गयी और बोली, क्या जीजू, तुमने मेरा मूह गंदा कर दिया. मैने कहा, तुम्हारे तेल लगाने से मैं कुच्छ ज़्यादा ही जोश में आ गया और मेरे लंड का जूस निकल गया. लाओ मैं सॉफ कर देता हूँ. वो बोली, रहने दो, मैं खुद ही सॉफ कर लूँगी. मालती बाथरूम में चली गयी.
सोफिया किचन से मुझे देख रही थी और मुस्कुरा रही थी. सोफिया ने कहा, अब तुम्हारा काम बनने ही वाला है. नाश्ता करने के बाद मैं दुकान चला गया. रात को मैं मालती के लिए एक झूमकि ले आया. मैने उसे झूमकि दी तो वो खुशी के उच्छल पड़ी और सोफिया को दिखाते हुए बोली, देखो दीदी, जीजू मेरे लिए क्या लाए हैं.
सोफिया ने कहा, तू ही उनकी एकलौती साली है. वो तेरे लिए नहीं लाएँगे तो और किस के लिए लाएँगे. रात को खाना कहने के बाद हम सोने के लिए कमरे में आ गये. मैने मालती से मज़ाक किया, क्यों मालती, मेरा लंड तुझे कैसा लगा. उसने शरमाते हुए कहा, जीजू, ये भी कोई पूच्छने की बात है. मैने कहा, तेरी दीदी को तो बहुत पसंद है, तुझे कैसा लगा.
उसने शरमाते हुए, मुझे भी बहुत अच्च्छा लगा. मैने पूछा, तुझे क्यों अच्च्छा लगा. वो बोली, इस लिए कि आप का बहुत बड़ा है. मैने पूछा, जब मैं तुम्हारी दीदी के साथ करता हूँ तब कैसा लगता है. वो बोली, तब तो और ज़्यादा अच्च्छा लगता है. लेकिन जीजू, एक बात मेरी समझ में नहीं आती कि तुम्हारा इतना बड़ा है फिर भी दीदी के अंदर पूरा का पूरा घुस जाता है.
मैने कहा, तेरी दीदी को इसकी आदत पड़ गयी है. वो बोली, लेकिन पहली बार जब आप ने घुसाया होगा तो दीदी दर्द के मारे बहुत चिल्लाई होगी. मैने कहा, दर्द तो पहली पहली बार सब औरतों को होता है. इसे भी हुआ था और ये खूब चिल्लाई भी थी. लेकिन मालती बाद में मज़ा भी तो खूब आता है. तुम चाहो तो अपनी दीदी से पूच्छ लो.
मालती ने सोफिया से पुछा, क्यों दीदी, क्या जीजू सही कह रहे हैं. सोफिया ने कहा, हां मालती, तभी तो मैं इनसे रोज रोज करवाती हूँ. बिना करवाए मुझे नींद नहीं आती. तुम भी एक बार इनका अंदर ले लो. कसम से इतना मज़ा आएगा कि तुम भी रोज रोज करने को कहोगी.
मालती बोली, ना बाबा ना, मुझे बहुत दर्द होगा क्यों कि मेरा तो अभी बहुत छ्होटा है. सोफिया ने कहा, छ्होटा तो सभी का होता है. मालती बोली, मुझे दर्द भी तो बहुत होगा. सोफिया ने कहा, पगली, एक बार ही तो दर्द होगा उसके बाद इतना मज़ा आएगा कि तू सारा दर्द भूल जाएगी. तूने देखा है ना कि कैसे इनका मेरी चूत में सटा सॅट अंदर बाहर होता है.
वो बोली, हां, देखा तो है. सोफिया बोली, फिर एक बार तू भी अंदर ले कर देख ले. अगर तुझे मज़ा नहीं आएगा तो फिर कभी मत करवाना. वो बोली, बाद में करवा लूँगी. सोफिया ने कहा, आज क्यों नहीं. वो बोली, मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ. सोफिया ने कहा, तो फिर आज तू इसे मूह में ले कर चूस ले. जब तेरा मन कहेगा तभी इसे अंदर लेना.
वो बोली, ठीक है, मैं मूह में लेकर चूस लेती हूँ. सोफिया ने मुझसे कहा, तुम मालती के बगल में आ जाओ. मैं मालती के बगल में आ गया. मालती ने मेरी लूँगी हटा दी और अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया. उसके हाथ लगाने से मेरा लंड फंफनता हुआ खड़ा हो गया. मालती उसे सहलाने लगी. मुझे मज़ा आने लगा. मैने कहा, अब इसे मूह में ले लो.
वो बोली, ज़रूर लूँगी, पहले थोड़ा सहलाने दो ना. मैने कहा, ठीक है. थोड़ी देर तक सहलाने के बाद मालती उठ कर बैठ गयी. उसने शरमाते हुए मेरे लंड का सूपड़ा अपने मूह में ले लिया और चूसने लगी. सोफिया ने मुस्कुराते हुए पुछा, क्यों मालती, कैसा लग रहा है. वो बोली, दीदी, बहुत अच्च्छा लग रहा है.
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सोफिया ने कहा, मेरी बात मान जा और इसे अपनी चूत के अंदर भी ले ले. फिर और ज़्यादा अच्च्छा लगेगा. वो बोली, बहुत दर्द होगा. सोफिया ने कहा, तू इतना डरती क्यों है. मैं हूँ ना तेरे पास. उसने कहा, अच्छा, मुझे पहले थोड़ी देर चूस लेने दो, फिर मैं भी अंदर लेने की कोशिश करूँगी.
मालती मेरा लंड चूस्ति रही. मैने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी चूत पर रख दिया लेकिन वो कुच्छ नहीं बोली. मैने पॅंटी के उपर से ही उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया तो वो सिसकारियाँ भरने लगी. थोड़ी देर में ही उसकी चूत गीली हो गयी तो मैने पुचछा, कैसा लगा. वो बोली, बहुत अच्च्छा. मालती अब तक पूरे जोश में आ चुकी थी.
मैने कहा, जब तू मेरा लंड अपनी चूत के अंदर लेगी तो तुझे और ज़्यादा अच्च्छा लगेगा. वो बोली, ठीक है जीजू, घुसा दो, लेकिन बहुत धीरे धीरे घुसाना. मैने कहा, थोड़ा दर्द होगा, ज़्यादा चिल्लाना मत. वो बोली, मैं अपना मूह बंद रखने की कोशिश करूँगी. मैने कहा, ठीक है, तू पहले अपने कपड़े उतार दे. वो बोली, मैने कपड़े ही कहाँ पहन रखे हैं.
मैने उसकी ब्रा और पॅंटी की तरफ इशारा करते हुए कहा, फिर ये क्या है. वो बोली, क्या इसे भी उतारना पड़ेगा. मैने कहा, हां, तभी तो मज़ा आएगा. उसने कहा, ठीक है, उतार देती हूँ. इतना कह कर मालती खड़ी हो गयी और उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए.
सोफिया मुझे देख कर मुस्कुराने लगी तो मैं भी मुस्कुरा दिया. मालती बेड पर लेट गयी तो मैं मालती के पैरों के बीच आ गया. मैने उसके पैरों को एक दम दूर दूर फैला दिया. उसके बाद मैने अपने लंड के सूपदे को उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया. वो जोश के मारे पागल सी होने लगी और ज़ोर ज़ोर की सिसकारियाँ भरते हुए बोली, जीजू, बहुत मज़ा आ रहा है, और ज़ोर से रागडो.
मैने और ज़्यादा तेज़ी के साथ रगड़ना शुरू कर दिया तो 2-3 मिनट में ही मालती ज़ोर ज़ोर की सिसकारियाँ भरने लगी और झाड़ गयी. मालती की चूत अब एक दम गीली हो चुकी थी इस लिए मैने अब ज़्यादा देर करना ठीक नहीं समझा. मैने उसकी चूत की लिप्स को फैला कर अपने लंड का सूपड़ा बीच में रख दिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उसके बाद जैसे ही मैने थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो वो चीख उठी और बोली, जीजू, बहुत दर्द हो रहा है, बाहर निकाल लो. मैने कहा, बस थोड़ा सा बर्दस्त करो. मेरे लंड का सूपड़ा उसकी चूत में घुस चुका था. मैने फिर से थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो इस बार वो ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी. उसने रोना शुरू कर दिया तो सोफिया ने उसे चुप करते हुए कहा, दर्द को बर्दास्त कर तभी तो तो मज़ा ले पाएगी.
वो बोली, बहुत तेज दर्द हो रहा है, दीदी. सोफिया उसका सिर सहलाने लगी तो थोड़ी ही देर में वो शांत हो गयी. मेरा लंड इस उसकी चूत में 2″ तक घुस चुका था. जब मालती चुप हो गयी तो मैने फिर से ज़ोर लगाया तो मेरा लंड थोड़ा सा और घुस गया और उसकी सील मेरे लंड के रास्ते में आ गयी.
वो फिर से चीखने लगी और बोली, जीजू, बाहर निकाल लो, मैं मर जाउन्गि, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फॅट जाएगी. मैने उसकी चुचियों को मसलते हुए कहा, बस थोड़ा सा ही और है. थोड़ी देर तक मैं उसकी चुचियों को मसलता रहा और उसे चूमता रहा तो वो शांत हो गयी. मुझे अब उसकी सील को फाड़ना था.
मैने मालती की कमर को ज़ोर से पकड़ लिया पूरे ताक़त के साथ बहुत ही ज़ोर का धक्का मारा. उसकी चूत से खून निकलने लगा. मेरा लंड उसकी सील को फाड़ते हुए 4″ से थोड़ा ज़्यादा अंदर घुस गया. मालती इस बार कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी तो सोफिया ने उसे चुप करते हुए कहा, बस हो गया, अब रो मत. अब दर्द नहीं होगा, केवल मज़ा आएगा.
वो बोली, क्या पूरा अंदर घुस गया. सोफिया ने कहा, अभी कहाँ, अभी तो आधा ही घुसा है. वो बोली, जब जीजू बाकी का घुसाएँगे तो मुझे फिर से दर्द होगा. सोफिया ने कहा, नहीं, अब दर्द नहीं होगा, अब तुझे मज़ा आएगा. मालती जब शांत हो गयी तो मैने धीरे धीरे उसकी चुदाई शुरू कर दी. उसे अभी भी दर्द हो रहा था और वो आहें भर रही थी.
उसकी चूत बहुत ही ज़्यादा टाइट थी इस लिए मेरा लंड आसानी से उसकी चूत में अंदर बाहर नहीं हो पा रहा था. मैं उसे चोदता रहा तो वो कुच्छ देर बाद वो धीरे धीरे शांत हो गयी. अब उसे भी कुच्छ कुच्छ मज़ा आने लगा था. उसने सिसकारियाँ भरनी शुरू कर दी. सोफिया ने पुछा, अब कैसा लग रहा है. वो बोली, अब तो मज़ा आ रहा है.
सोफिया ने कहा, पूरा अंदर घुस जाने दे तब तुझे और मज़ा आएगा, ये तो अभी शुरुआत है. मैने उसे चोदना जारी रखा तो थोड़ी ही देर बाद उसने अपना चूतड़ भी उठाना शुरू कर दिया. ड़ी देर की चुदाई के बाद मालती झाड़ गयी. उसकी चूत और मेरा लंड अब एक दम गीला हो चुका था. मैने अपनी स्पीड धीरे धीरे बढ़ानी शर कर दी.
मालती पूरे जोश में आ चुकी थी. वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भर रही थी. मैने हर 4-6 धक्के के बाद एक धक्का थोड़ा ज़ोर से लगाना शुरू कर दिया. इस से मेरा लंड थोड़ा थोड़ा कर के उसकी चूत में और ज़्यादा गहराई तक घुसने लगा. जब मैं तेज धक्का लगा देता था तो मालती केवल एक आह सी भरती थी. वो इतने जोश में आ चुकी थी कि उसे अब ज़्यादा दर्द महसूस नहीं हो रहा था.
मैं इसी तरह से उसे चोदता रहा. थोड़ी देर की चुदाई के बाद ही मालती फिर से झाड़ गयी. अब तक मेरा लंड उसकी चूत में 7″ अंदर घुस चुका था. मैने अपनी स्पीड बढ़ाते हुए उसकी चुदाई जारी रखी. थोड़ी ही देर में मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.
सोफिया ने जब देखा कि मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस चुका है तो उसने मालती से कहा, इनका पूरा का पूरा लंड तेरी चूत के अंदर घुस गया है. अब तुझे केवल मज़ा आएगा. वो बोली, मुझे विश्वास नहीं हो रहा है. सोफिया ने कहा, अगर तुझे विश्वास नहीं हो रहा है तो हाथ लगा कर देख ले. मालती ने हाथ लगा कर देखा तो बोली, दीदी, ये पूरा अंदर कैसे घुस गया, मुझे तो कुच्छ पता ही नहीं चला.
सोफिया ने कहा, जब तू थोड़ी देर की चुदाई के बाद पूरे जोश में आ गयी थी तब ये बीच बीच में ज़ोर का धक्का लगा देते थे. जिस से इनका लंड थोड़ा थोड़ा कर के तेरी चूत के अंदर घुस जाता था. तू जोश में थी इस लिए तुझे कुच्छ पता ही नहीं चला. मैने अपनी स्पीड और तेज कर दी क्यों कि अब मैं झड़ने वाला था.
2 मिनट के अंदर ही मैं झाड़ गया तो मालती भी मेरे साथ ही साथ फिर से झाड़ गयी. मैने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल कर मालती से पूछा, चॅटोगी. उसने मेरा लंड देखा तो उस पर जूस के साथ थोड़ा खून भी लगा हुआ था. वो बोली, जीजू, इस पर तो खून भी लगा हुआ है. मैं अगली बार चाट लूँगी.
सोफिया ने कहा, तेरी चूत का ही तो खून है और ये पहली पहली बार निकला है, चाट ले इसे. वो बोली, तुम कहती हो तो मैं चाट लेती हूँ. उसने मेरा लंड चाट चाट कर सॉफ कर दिया. सोफिया ने पूछा, चुदवाने में मज़ा आया. वो बोली, हां, मज़ा तो आया लेकिन ज़्यादा नहीं.
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सोफिया ने पुछा, क्यों. वो बोली, जब मुझे ज़्यादा मज़ा आना शुरू हुआ तो जीजू झाड़ गये. सोफिया ने कहा, अगली बार ज़्यादा मज़ा आएगा. इस बार तो इनका सारा वक़्त तेरी चूत में रास्ता बनाने में ही लग गया. मैं मालती के बगल में लेट गया. वो मेरी पीठ को सहलाते हुए मुझे चूमती रही. 10 मिनट में ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
मैने मालती को डॉगी स्टाइल में कर दिया और उसकी चुदाई शुरू कर दी. उसे इस बार चुदवाने में ज़्यादा मज़ा आया और मुझे भी. उसने इस बार पूरी मस्ती के साथ खूब जम कर चुदवाया. मैने भी उसे पूरे जोश के साथ बहुत ही ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाते हुए खूब जम कर चोदा. इस बार मैने लगभग 35 मिनट तक उसकी चुदाई की.
मालती इस दौरान 4 बार झाड़ गयी थी. मैं मालती के बगल में लेट गया. हम सब आपस में बातें करते रहे. लगभग 1 घंटे के बाद सोफिया ने मुझसे कहा, क्यों जी, तुम मुझे आज नहीं चोदोगे क्या. साली की कुँवारी चूत का मज़ा पा कर मुझे भूल गये क्या.
मैने कहा, भला मैं तुम्हें कैसे भूल सकता हूँ, तुम तो मेरी बीवी हो. मैं रोज रोज घर का ही तो खाना ख़ाता हूँ. कभी कभी होटेल के खाने का मज़ा भी ले लेना चाहिए. तुम तो मेरे लिए घर का खाना हो और मालती होटेल का. आज मैने कुँवारी चूत का मज़ा लिया है इस लिए मैं तुम्हारी चूत को आज हाथ भी नहीं लगाउन्गा. आज तो मैं तुम्हारी गांद मारूँगा. सोफिया बोली, फिर मारो ना.
मालती बोली, जीजू क्या कह रहे हो. मैने कहा, ठीक ही कह रहा हूँ. ये कभी कभी मुझसे गांद भी मरवाती है. गांद मरवाने में भी खूब मज़ा आता है. तुम भी मर्वओगि. वो बोली, पहले आप दीदी की गांद मार लो. ज़रा मैं भी तो देखूं की दीदी आप का इतना लंबा और मोटा लंड अपनी गांद के अंदर कैसे लेती है.
सोफिया डॉगी स्टाइल में हो गयी तो मैने सोफिया की गांद मारनी शुरू कर दी. मालती आँखें फाडे मेरे लंड को सोफिया की गांद में अंदर बाहर होते हुए देखती रही. मैं 2 बार मालती की चुदाई कर चुका था इस लिए मैं जल्दी झाड़ नहीं पा रहा था. सोफिया सिसकारियाँ भरते हुए मुझसे गांद मरवा रही थी. मालती सोफिया को गांद मरवाते हुए देख रही थी.
उसकी आँखों में भी जोश की झलक सॉफ दिख रही थी. मैने मालती से पुछा, कैसा लग रहा है. वो बोली, बहुत ही अच्च्छा लग रहा है, जीजू. मैने पुछा, गांद मरवावगी. वो बोली, फिर से दर्द होगा. मैने कहा, गांद मरवाने में तो बहुत ही ज़्यादा दर्द होता है. वो बोली, ना बाबा ना, मैं गांद नहीं मरवाउंगी. सोफिया ने कहा, मालती, पहले तू खूब जम कर इनसे चुदवाने का मज़ा ले ले. उसके बाद एक बार गांद भी मरवाने का मज़ा ले लेना.
मैने लगभग 45 मिनट तक सोफिया की गांद मारी और झाड़ गया. मैने कयि दिनो तक मालती को खूब जम कर चोदा. उसे अब चुदवाने में बहुत मज़ा आने लगा था. मुझे भी कुँवारी चूत को चोदने का मज़ा मिल चुका था और मैं अब उसकी एक दम टाइट चूत को चोद रहा था.
मैं मालती की गांद भी मारना चाहता था लेकिन उसे मैं खूब तडपा तडपा कर उसकी गांद मारना चाहता था. मैने काई बार मालती के सामने सोफिया की गांद मारी तो एक दिन वो अपने आप को रोक नहीं पाई. वो मुझसे कहने लगी, जीजू, एक बार मेरी भी गांद मार लो, मैं भी गांद मरवाने का मज़ा लेना चाहती हूँ.
मैने कहा, तुझे बहुत ज़्यादा तकलीफ़ होगी. वो बोली, होने दो. मैने उस से कहा, तू नहीं जानती है कि मैने सोफिया की गांद पहली पहली बार कैसे मारी थी. वो बोली, बताओगे तभी तो जानूँगी. मैने कहा, तो सुन, तूने वो पिलर देखा है ना जो आँगन में है. वो बोली, हां, देखा है. मैने कहा, मैने सोफिया को खड़ा कर के उसी पिलर में कस कर बाँध दिया था.
उसके बाद मैने इसके मूह में कपड़ा तूस कर इसका मूह भी बाँध दिया था जिस से ये ज़्यादा चिल्ला ना सके. उसके बाद ही मैं सोफिया की गांद मार पाया था. गांद में लंड आसानी से नहीं घुसता है, बहुत मेहनत करनी पड़ती है और दर्द भी बहुत होता है. गांद से बहुत ज़्यादा खून भी निकलता है.
वो बोली, चाहे जो भी हो आप मेरी गांद मार दो, मैं कुच्छ नहीं जानती. मैने कहा, तू कयि दिनो तक बिस्तेर पर से उठ भी नहीं पाएगी. वो बोली, जब दीदी ने आप से गांद मरवा लिया तो मैं क्यों नहीं मरवा सकती. मैने कहा, सोच ले, बहुत दर्द होगा. तेरी गांद भी फॅट सकती है. वो ज़िद करने लगी, मैं कुच्छ नहीं जानती, तुम मेरी गांद मार दो बस.
मैने कहा, अच्च्छा, कल मैं तेरी गांद मार दूँगा. वो बोली, नहीं आज ही और अभी मेरी गांद मार दो. सोफिया मेरी बात सुनकर मुस्कुरा रही थी. वो जानती थी कि मैं झूठ बोल रहा हूँ. वो ये भी समझ गयी थी मैं उसकी गांद को बहुत ही बुरी तरह से मारना चाहता हूँ. सोफिया ने मालती से कहा, चल आँगन में.
मैं सोफिया और मालती के साथ आँगन में आ गया. सोफिया कुच्छ कपड़े और रस्सी ले आई. उसके बाद मैने मालती से कहा, तू पिलर को ज़ोर से पकड़ कर खड़ी हो जा. वो पिलर को पकड़ कर खड़ी हो गयी. उसके बाद मैने रस्सी से उसकी कमर को पिलर से बाँध दिया. उसके बाद मैने दूसरी रस्सी ली और उसके पैर को भी फैला कर पिलर से बाँध दिया.
फिर मैने मालती के दोनो हाथ भी पिलर से बाँध दिए. वो बोली, जीजू, आप ने तो मुझे ऐसे बाँध दिया है कि मैं ज़रा सा भी इधर उधर नहीं हो सकती. मैने कहा, गांद मारने के लिए ऐसे ही बांधना पड़ता है. उसके बाद मैने मालती के मूह में कपड़ा तूस दिया और उसके मूह को बाँध दिया.
मैने सोफिया से कहा, अब तुम मेरे लंड को थोड़ा सा चूस लो जिस से ये पूरी तरह से टाइट हो जाए. सोफिया ने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया तो थोड़ी ही देर में मेरा लंड पूरी तरह से टाइट हो गया. मैने सोफिया के मूह से अपना लंड बाहर निकाला और मालती के पिछे आ गया.
मैने मालती की गांद के छेद पर अपने लंड का सूपड़ा रखा और पूरी ताक़त के साथ ज़ोर का धक्का मारा. मालती दर्द के मारे तड़पने लगी. वो अपना सिर इधर उधर करने लगी. उसका मूह बँधा हुआ था इस लिए उसके मूह से केवल गूओ गूओ की आवाज़ ही निकल रही थी. एक धक्के में ही मेरा लंड उसकी गांद को चीरता हुआ 2″ तक घुस गया.
उसकी गांद से खून निकल आया. मैने दूसरा धक्का लगाया तो मालती के मूह से बहुत ज़ोर ज़ोर से गूऊ गूऊ की आवाज़ निकलने लगी. मेरा लंड 4″ अंदर घुस गया. मालती की गांद से और ज़्यादा तेज़ी के साथ खून निकलने लगा. मैने फिर से एक धक्का मारा तो मेरा लंड उसकी गांद में 5″ तक घुस गया. उसके बाद मैने एक ही झटके से अपना लंड उसकी गांद से बाहर खीच लिया.
पक की आवाज़ के साथ मेरा लंड मालती की गांद से बाहर आ गया. मालती के मूह से अभी भी ज़ोर ज़ोर से गूओ गूओ की आवाज़ निकल रही थी. मैने सोफिया को अपना लंड दिखाते हुए कहा, इसकी गांद तो बहुत ही टाइट है. देखो कितना खून निकल आया है. सोफिया बोली, क्यों तड़पाते हो बेचारी को. घुसा दो ना अपना पूरा लंड इसकी गांद में.
मैने कहा, ठीक है बाबा, घुसा देता हूँ. मैने मालती की गांद के छेद पर फिर से अपने लंड का सूपड़ा रख दिया. उसकी गांद खून से भीगी हुई थी. मैने बहुत ही ज़ोर का एक धक्का लगाया तो मेरा लंड उसकी गांद में 5″ तक घुस गया. उसके बाद मैने 2 धक्के और लगाए तो मेरा लंड उसकी गांद में 7″ तक अंदर घुस गया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मालती का सारा बदन पसीने से भीग गया था. वो अपना सिर पिलर पर पटक रही थी. उसकी आँखो से आँसू बह रहे थे. मुझे खूब मज़ा आ रहा था. मैं मालती की गांद इसी तरह से मारना चाहता था. मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी. सोफिया आँखें फाडे मुझे देख रही थी. उसने कहा, रहम करो इस बेचारी पर. क्यों तडपा रहे हो इसे.
मैने 2 बहुत ही जोरदार धक्के और लगाए तो मेरा पूरा का पूरा लंड मालती की गांद में समा गया. पूरा लंड घुसा देने के बाद भी मैं रुका नहीं, मैने तेज़ी के साथ मालती की गांद मारनी शुरू कर दी. मालती के मूह से गूओ गूओ की आवाज़ निकल रही थी. उसकी गांद बहुत ही ज़्यादा टाइट थी इस लिए मेरा लंड उसकी गांद में आसानी से पूरा अंदर बाहर नहीं हो पा रहा था.
मैने पूरी ताक़त के साथ धक्के लगा रहा था. 10 मिनट के बाद मेरा लंड थोड़ा आसानी से अंदर बाहर होने लगा. मालती के मूह से भी ज़्यादा आवाज़ नहीं निकल रही थी. मैने मालती से पुछा, मूह खोल दूं. उसने अपना सिर हां में हिला दिया. मैने पुछा, चिल्लाओगी तो नहीं. उसने अपना सिर ना में हिला दिया.
मैने मालती का मूह खोल दिया और उसके मूह से कपड़ा बाहर निकाल लिया. वो रोते हुए बोली, जीजू, आप ने तो मुझे मार ही डाला. क्या इसी तरह से गांद मारी जाती है. मैने कहा, हां, गांद इसी तरह से मारी जाती है. अगर मैने तुम्हारा मूह बँधा नहीं होता तो तुम कितनी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाति, ये तुम अब समझ गयी होगी.
वो बोली, आप सही कह रहे हो, तब तो मैं बहुत चिल्लाती. मैने कहा, अगर मैने तुम्हें पिलर से ना बाँधा होता तो अब तक कयि बार अपना चूतड़ इधर उधर करती और मैं तुम्हारी गांद में अपना लंड नहीं घुसा पाता. वो बोली, जीजू, आप एक दम सही कह रहे हो. मैने तो आप को धकेल ही दिया होता.
मैने कहा, अब तुम ही बताओ मैने सही किया या नहीं. वो बोली, आप ने बिल्कुल ठीक किया. ऐसे ही करना चाहिए था. अब तो मुझे पिलर से खोल दो. मैने कहा, पहले मैं तुम्हारी गांद तो मार लूँ फिर खोल दूँगा. वो बोली, तो मारो ना. मैने पुछा, कुच्छ मज़ा आ रहा है. वो बोली, अभी तो बहुत ही कम मज़ा आ रहा है.
मैने मालती की गांद मारनी शुरू कर दी. मैं पूरी ताक़त के साथ ज़ोर ज़ोर के धक्के लगा रहा था. मालती को भी अब मज़ा आ रहा था. उसके मूह से सिसकारियाँ निकल रही थी. 10 मिनट तक उसकी गांद मारने के बाद मैं झाड़ गया. मैने अपना लंड मालती की गांद से बाहर निकाला और मालती को दिखाते हुए कहा, देखो कितना खून निकला है तुम्हारी गांद से.
वो आँखें फाडे मेरे लंड को देखने लगी. वो बोली, जीजू, अब तो खोल दो मुझे. मैने कहा, एक बार तुम्हारी गांद और मार लूँ फिर खोल दूँगा. वो बोली, कमरे में मार लेना. मैने कहा, तुम फिर से चिल्लाओगी. वो बोली, मैं अपना मूह बंद रखने की कोशिश करूँगी. मैने सोफिया से कहा, खोल दो मालती को.
सोफिया ने मालती के हाथ पैर खोल दिए. मालती बाथरूम जाना चाहती थी लेकिन वो बिल्कुल भी चल फिर नहीं पा रही थी. सोफिया उसे सहारा देकर बाथरूम में ले गयी. मालती ने अपनी गांद और चूत को साबुन से सॉफ किया. फिर सोफिया उसे कमरे में ले आई. मैं कमरे में आया तो मालती बेड पर लेटी थी. मैं उसके बगल में लेट गया.
1 घंटे के बाद मैने फिर से मालती की गांद मारनी शुरू की. वो थोड़ी देर तक चिल्लाई फिर शांत हो गयी. उसके बाद उसे खूब मज़ा आया और मुझे भी. उसने मुझसे खूब जम कर गांद मरवाई. रे धीरे 6 महीने गुजर गये. मालती मुझसे खूब जम कर चुदवाती रही और गांद मरवाती रही.
मुझे भी मालती की चुदाई करने में और उसकी गांद मारने में खूब मज़ा आता था. एक दिन मैने दुकान के नौकर रामू को कुच्छ फाइल लाने के लिए घर भेजा. उसने घर पर मालती को देखा तो मालती उसे बहुत पसंद आ गयी. रामू की उमर भी 20 साल की थी और वो अभी कुँवारा था.
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उसने मुझसे मालती के बारे में पुछा तो मैने उसे बता दिया कि वो सोफिया के गाओं की रहने वाली है. उसने मुझसे कहा कि वो मालती से शादी करना चाहता है. मैने कहा, ठीक है, मैं मालती से पूछ लूँ फिर बता दूँगा. रात में जब मैं घर आया तो मैने मालती से बात की तो वो तय्यार हो गयी. उसे भी रामू पसंद आ गया था. उसने मुझसे कहा, जीजू, एक दिक्कत है. मैने पूछा, वो क्या. वो बोली, आप मुझे बहुत ही अच्छि तरह से चोदते हैं और मेरी गांद भी मारते हैं. अगर मैं शादी कर लूँगी तब मैं आप से मज़ा कैसे ले पाउन्गी.
मैने कहा, पगली, तू अपनी दीदी से मिलने के बहाने आ जाया करना. मैं तेरी चुदाई कर दूँगा और तेरी गांद भी मार दूँगा. सारी ज़िंदगी तू कुँवारी तो नहीं रह सकती. वो बोली, फिर ठीक है. मैने मालती के माता पिता से बात की तो वो भी तय्यार हो गये. कुच्छ दिनो के बाद मालती की शादी रामू से हो गयी. सनडे को दुकान की छुट्टी रहती है. मालती हर सनडे के दिन सोफिया से मिलने आती है और मैं सारा दिन खूब जम कर उसकी चुदाई करता हूँ और उसकी गांद भी मारता हूँ.
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