Hot Bank Cashier
मेरा नाम अनूप है। मैं गुड़गांव की एक फैक्ट्री में सुपरवाइजर हूँ। आपको अपनी ये दास्तान सुना रहा हूँ। हुआ ये की 8 नवंबर को हमारे महान प्रधानमन्त्री ने शाम को 8 बजे घोषणा कर दी की अब 500 और हजार के नोट नही चलेंगे। हर परेशान इंडियन की तरह मेरे पास 10 हजार की गड्डी 500 रूपए में थी। हर इंडियन की तरह मेरी भी फट गयी थी। Hot Bank Cashier
जहाँ गुड़गाँव में हर अमीर और काला धन रखने वाले शॉपिंग मॉल में घुसकर शौपिंग कर रहे थे, वही मेरे जैसा आम आदमी जो मुश्किल से 20 हजार कमा पाता था, वो क्या शौपिंग मॉल में जाकर महंगी शौपिंग करता। जब सुबह हुई तो मैं चीनी, चायपत्ती और सामान लेने ले लिए पास की दुकान पर गया।
देखा दुकान पर लोगों की भीड़ लगी थी। दुकानदार जिसका नाम रमेश था 500 या 1000 के नोट नही ले रहा था। सब कस्टमर के साथ मुझसे भी खासी दिक्कत हुई। मुझसे सुबह 6 बजे ही चाय पीने की आदत है। मैं बहुत परेशान हो गया। चाय की तलब मुझसे परेशान कर रही थी। फिर मुझसे सीमा की याद आई।
सीमा मेरे सामने के घर में रहती थी। मेरे ऊपर फ़िदा दी। वो मुझसे अक्सर लाइन दिया करती थी। मैं उसे कुछ खास पसंद नही करता था। क्योंकि वो थोड़ी मरियल सी बीमार बीमार सी लगती थी। मैंने सोचा की अगर मैं उससे थोडा प्यार दिखाऊँ तो मुझे थोड़ी चायपत्ती और चीनी तो उधर मिल जाएगी। मैं सुबह सुबह सीमा के घर पहुच गया। मैंने दरवाजा खटखटाया। सीमा निकली।
ओ सीमा! क्या मुझसे थोड़ी चायपत्ती और चीनी उधर मिल सकती है। असल में 500 के नोट बन्द हो गए है। इसलिए दुकान पर सामान नही मिला मैंने कहा।
मुझसे देखकर वो फूल की तरह खिल गयी। उसे यकीन नही हुआ की मैं उसे हमेशा नजर अंदाज करता था आज खुद क्यों उसके पास चला गया।
अरे! इसमें इतना सोचना क्या अनूप! आओ आओ अंदर आओ। मैं तुम्हारे लिए चाय बना देती हूँ सीमा बोली।
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मैं अंदर चला गया। उसके पापा ऑफिस निकल गए थे। माँ जी सायद बाथरूम में थी। सीमा किचेन में तुरंत चली गयी और मेरे लिए चाय बनाने लगी। वो मुझे पसंद करती थी। मैंने सोचा थोडा प्यार दिखा देना चाहिए। मैं भी किचन में चला गया। चाय गैस पर चढ़ी थी। अभी खौली नही थी। सीमा मुझसे देखकर होश खो बैठी।
हाय रब्बा!! तुसि आज मेरे घर कैसै आ गए हो?? मैंने तो विस्वास ही नही होता है?? वो अपने गाल पर हाथ रखती हुई बोली.
मैं मुसकुरा दिया। मैंने अपने हाथ फैला दिए शाहरुख़ खान की तरह की अगर वो मुझसे गले मिलना चाहती है तो मिल ले। सीमा को अपनी किस्मत पर विश्वास नही हो रहा था। वो मेरी बाँहों में आ गयी। मैंने भी उसे सीने से चिपका लिया।
मोदी ने नोट बन्द करके सही काम किया है। लड़की को सीने से लगाओ भी और चाय भी पियो। मैं मोदी को धन्यवाद करने लगा। मैंने भी सीमा को सीने से चिपका लिया और मजे लेने लगा। उसकी छातियाँ अभी नई नई निकली ही थी जैसे सीजन आने पर अमरुद के पेड़ में नए नए मीठे सफ़ेद अमरुद लगते है।
मैंने मौका पाकर सीमा के रसीले ओंठ पर अपने ओंठ रख दिए और किचन में ही उसे पीने लगा। एक बार तो मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। जब लड़की खुद मेरे ऊपर लट्टु है तो मैं क्यों मौका छोड़ो। मेरा हाथ सीमा के नए नए अमरूदों पर चले गए जो अभी 2 निकले ही थे।
हालांकि सीमा थोड़ी बीमार बीमार सी लगती थी। थोड़ी मरियल लगती थी। कम काम चलाऊ थी। वो अभी 17 की थी और 4 महीने बाद 18 की होने वाली थी। मैं कब उसके अमरुद दबाने लगा मुझे पता की नही था। वो भी जवानी के मजे लेने लगी। मैंने आधे घण्टे तक सीमा के अमरुद दबाये, उसके ओंठ पिए और चाय पीकर आ गया।
उस बेचारी नारी ने जो कुंवारी थी और साथ ही साथ प्रेम की मारी भी थी ने मुझसे 1 कप चाय पत्ती और एक कप चीनी दी। अब मुझसे अपनी फैक्ट्री जाना था। मैं बस में चढ़ा तो देखा खुल्ले पैसे ही नही थे। किसी तरह मैंने बस कंडक्टर से हाथ जोड़े और फैक्ट्री पंहुचा।
फैक्ट्री में बवाल मचा था। फैक्ट्री मालिक ने कह दिया था की आज शाम को मजदूरो को वो 500 रुपए के नोट ही दे पाएगा। मजदूर ये नोट लेने को तैयार नही थे। इसलिए काम बन्द हो गया था। इस तरह दोस्तों 5 दिन निकल गए। सारे मजदूर बैंक चले गए थे नए नोट निकालने।
पूरा पूरा दिन वो लम्बी 2 लाईनों में खड़े रहते थे। जब 6 7 घण्टे बाद नंबर आता था तो कैश खत्म हो जाता था। दोस्तों इस तरह नोट बन्दी जी का जंजाल बन गयी। मैं भी बिना कैश हो गया था। मुझसे सब्जी, तेल, आटा , चावल और खाने पीने की चीजे खरीदनी थी। ना चाहते हुए भी मुझसे बैंक जाना पड़ा।
जब मैं बैंक पंहुचा तो है हैरान था। 300 लोग लाइन में लगे थे। कुछ सुबह 5 बजे ही आ गए थे की जल्दी नंबर आ जाए। मेरा तो दिमाग ही ख़राब हो गया था। मैं दुबला पतला था, कोई पहलवान नही की 7 8 घण्टे तक लाइन में खड़ा रहू। 300 लोगो के बाद मेरा नंबर आएगा। मैं परेशान था।
मैं लाइन में लग गया और वही हुआ जिसका डर था। जब मैं कॉउंटर पर पंहुचा तो पैसा खत्म हो गया था। मेरी बैंक की केशियर प्रिया सिंह है। पिछले 3 सालों से वही मुझसे कैश देती है। दोस्तों, प्रिया बहुत सॉलिड मॉल है। जैसा आप लोग जानते ही होंगे की बैंकों को कितनी मस्त मस्त मॉल नौकरी करती है।
वैसे ही इकदम कोमल थी। उसने परीक्षा पास करके नौकरी पायी थी। मैं जब भी पैसे निकलने जाता था तो इसे आँख भरकर देखता था। प्रिया कुंवारी थी पर उसका काम चलता था। मुझसे बैंक के गार्ड ने बताया था की वो कई नए नए लड़कों ने पेलवाती है।
यहाँ तक की बैंक के गार्ड जी को भी प्रिया लाइन देती थी। मैं जब पैसे निकलने जाता था तो इसे लाइन मरता था। प्रिया की आँखे खूब बड़ी 2 थी। मैं उसकी आँखों का दीवाना था। मैं काउंटर पर पंहुचा और कॅश खत्म हो गया। मैं झल्ला गया।
क्या प्रिया जी?? अपने जान पहचान वालों का तो ख्याल रखा करो। मेरे पास सब्जी खरीदने तक के पैसे नही है। अब बताओ प्रिया जी मैं क्या करूँगा?? मैंने उसे दुलार दिखाते हुए लाइन देते हुए कहा।
मैं अच्छी तरह जानता था की वो मुझसे लाइन मरती है। वो हस पड़ी और उसने अपना सिर बायीं ओर झुका लिया। उसका यही स्टाइल था। जब वो किसी से प्यार से बात करती थी तो ऐसे ही बायीं ओरे सिर झुकाके बोलती थी।
ओह्ह!! ई ऍम सो सॉरी! अनूपजी!! अभी अभी कैश खत्म हो गया! वो मुझसे बड़े प्यार से अपना सर झुका कर बोली.
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प्रिया जी!! मैं कुछ नही जानता। मैं आपका पुराना कस्टमर हुँ। इसके साथ ही मैं आपका दोस्त हूँ। आपको मेरी मदद करनी ही होगी मैंने भी उसे मक्खन लगाया। वो समझ गयी।
प्रिया जी मुझसे 10 हजार के नोट बदलने है मैंने पुराने नोट की गड्डी दिखाई।
अनूप जी, आप मेरी मजबूरी समझिये इश्कबाज प्रिया बोली.
मैं कुछ नही जानता। मुझसे ये नोट बदलने है मैंने जिद करते हुए कहा।
ठीक है शाम को पैसो लेकर मेरे रूम पर आ जाना। काम हो जाएगा प्रिया ने धीरे से फुसफुसाते हुए कहा।
और अनूप जी! ये बात किसी दूसरे कस्टमर से मत कहना वरना आफत आ जाएगी! प्रिया बोली.
बिलकुल नही! मैंने कहा।
मैं बैंक से बाहर निकला। मैं बहुत खुस था की काम हो जाएगा। शाम को मैं प्रिया सिंह के आवास विकास वाले घर पर पहुँच। प्रिया ने गुलाबी रंग की नाईट वेयर ड्रेस पहन रखी थी। अनूप जी! ये रहे 100 की 10 हजार की गड्डी प्रिया ने मुझसे नोट दिये। मैंने उसे अपनी 500 रुपए वाले नोट दिए। मैं बड़ा खुश था की काम हो गया। वरना पता नही मैं कितने दिन बैंक के चक्कर काटता। मैंने उसे धन्यवाद कहा और चलने लगा।
अरे इतनी भी क्या जल्दी है अनूप जी, चाय तो पी लीजिये प्रिया हँसकर बोली.
नहीं प्रिया जी, धन्यवाद। मुझसे बड़ी देर हो रही है। सब्जी और दूसरा सामान लेना है मैंने कहा.
पर आपको मेरी चाय तो पीनी होगी प्रिया बोली.
मैं हस दिया। मैंने सोचा की उसने मेरी इतनी बड़ी मदद की है। मुझसे मना नहीं करना चाहिए।
ठीक है, प्रिया जी आप इतना जोर दे रही है तो बना दीजिये।
प्रिया चाय बनाने चली गयी। मैं सोफे पर बैठ गया और इंतजार करने लगा। वो चाय लेकर आई उनसे चाय रख दी। मैंने पीने लगा। वो मेरे बगल ही बैठ गयी और मुझसे चिपकने लगी। ऐसा नही था की मुझसे वो पसंद नही थी। मैं भी उसे मन ही मन चाहता था पर रोमांस करने का अभी मन नहीं था। मैं चाय पी ही रहा था की प्रिया ने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया।
और कोई सेवा हो तो बताइये? वो डबल मीनिंग में बोली.
मेरा तो दिल ही बैठ गया। ये क्या बला है बीड़ू?? ये मेरी जांघ पर हाथ रख रही है और कह रही है और कोई सेवा हो। मैं थोडा डर गया।
नही प्रिया जी! थैंक यू! मैंने कहा और चलने लगा।
अनूप जी, आपने काम करा लिया और चार्ज तो दिया ही नही प्रिया पीछे से बोली.
अरे ये तो रिश्वत मांग रही है मैंने मन ही मन सोचा। मैंने 100 रुपए का नोट निकाला और उसे देने लगा।
नही अनूप जी! मेरा चार्ज तो कुछ दूसरा है! फिर से प्रिया डबल मीनिंग में बोली.
वो क्या है?? मैंने साफ 2 पूछ लिया.
मैंने आपको इशारा तो किया अनूप जी! अब समझदार के लिए इशारा काफी होता है। अरे भोसड़ी के, ये तो चुदासी है। ये तो मेरा लण्ड मांग रही है। मैंने खुद से कहा। मैं हस दिया क्योंकि कही ना कहि मैं उसे उसे एक बार लेना चाहता था। प्रिया जवान और खूबसूरत थी। सरकारी नौकर थी। भला उसे कौन मना करता।
मैं हस दिया। प्रिया जी! मैं आपको कीमत चुकाने को तैयार हूँ जो आपने मांगी है। पर एक दिक्कत है। मुझसे 1 हफ्ते पहले एनीमिया हो गया है। मेरे शरीर में खून कम है। थोडा कमजोर हूँ इस दिनों। दवा भी चल रही है। इसलिए अभी आपको कीमत चुकाना थोडा मुश्किल है। मैं पूरी तरह से ठीक हो जाऊ। मेरे शरीर में खून हो जाए, तब आपको कीमत दे दूंगा मैंने प्रिया से कहा।
अगर मैं उसकी चुदाई करता तो निश्चित तौर पर मुझसे कमजोरी आती। क्योंकि चुदाई में बड़ी ताकत खर्च होती है। इसलिए मैंने प्रिया को मना कर दिया। वो इकदम से बिज़नेसमैन बन गयी।
अनूप जी! मैंने आपको दूसरे कस्टमर के हिस्से के पैसे दिए है। क्या आपको पता है अगर ये बात लीक हो गयी तो मेरी नौकरी चली जाएगी। मैंने आपके लिए इतना बड़ा रिस्क उठाया है और आप कह रहे है कीमत बाद में देंगे।
मुझसे थोडा बुरा लगा। लगता है साली मूड बना के रखी थी। आज की तारिक में इसे चुदवाना ही है। लगता है आज के तारिक़ में इसे लण्ड खाना ही है। मैंने अपनी जिंदगी में बहुत सी चोदवासी लड़किया देखी थी। जो अगर मन बना लेती थी तो किसी भिखारी से भी चुदवा लेती थी। वैसा ही आज प्रिया का सिन था।
पता नही क्यों मेरे आत्मसम्मान को ठेस लगी। अब तो अपना सम्मान देकर ही अपने आत्मसंम्मान की रक्षा हो सकती है। जब ये मॉल इतना जिद कर ही रही है तो पेल दो साली को मैंने खुद से कहा। मैंने मुड़ा। चलिए आपको कीमत दे दूँ प्रिया जी मैंने उस चुदासी बैंक कैशियर से कहा।
मैं प्रिया के बेडरूम में आ गया। क्या मस्त कमरा सजा रखा था। दिवार का रंग गुलाबी, बेडशीट, पिलो गुलाबी। गुलाबी टेडयबीर। गुलाबी सैंडल्स। लगता है इसकी चूत भी गुलाबी होगी? मैंने अंदाजा लगाया, वाह मोदी जी! आप जो ना करे वही कम है। सुबह सीमा के अमरुद दबाने को मिले और शाम को प्रिया की गुलाबी चूत।
मैंने मोदी जी को धन्यवाद् किया। प्रिया चाहती थी की मैं इसे एक बॉयफ्रेंड की तरह प्यार करुँ। रोमांटिक होकर उसे बड़े प्यार से चोदूँ। पर मैं तो अपनी तबियत के बारे में सोच रहा था। मैंने सोचा इसे पेलो पालो और चलो। अभी सामान भी खरीदना था। रात का खाना भी बनाना था। मैंने उसे जादा किस विस नही किया। मैं जल्दबाजी दिखाने लगा।
उफ़ अनूप जी, क्या जल्दी है! आप आराम से करो। मैं आपको खाना खिला के भेजूंगी! प्रिया बोली.
सही है भाई चोदो भी चुदाई भी लो! मैंने खुद से कहा। अब मैं इत्मिनान से हो क्या। जैसा प्रिया चाहती थी, वैसा भी मैंने किया। पहले तो उसे मैंने पूरा नंगा कर दिया और खूब इसके मम्मे पिए। उसे मैंने पूरी सेवा दी जैसे मैं उसका बॉयफ्रेंड हुँ। वो बिलकुल मस्त हो गयी। उसके मम्मे बड़े मस्त थे। 24 साल की प्रिया हसीन थी। खूब मम्मे पिए उसके। फिर मैंने चोदने के बारे में सोचा।
जब उसकी बुर देखी तो थोडा हैरान था। उसकी बुर ढीली थी। अच्छी खासी ढीली। बुर के ओंठ खुले हुए थे। लग रहा था वो बहुत चुदी है। मुझसे विस्वास नही हो ऱहा था। देखने में कितनी भोली कितनी सती सावित्री लगती है और हरामिन कितना चुदवाई है।
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एक बार को तो मैं डर गया। कहीं ऐसा ना हो की इसको चोदने के बाद मुझसे एड्स ना हो जाए। अरे अनूप जी! कहाँ खो गए आप?? प्रिया बेचैन होकर बोली. दोस्तों, फिर मैं उसे चोदने लगा। क्योंकि कंडोम तो था नही मेरे पास। फिर मैंने उसकी टंगे फैला फैलाकर खूब उसकी सेवा की। खूब उसे संतुस्ट किया। खूब चोदा साली को। प्रिया चुदासी थी ही। इसलिए मैंने उससे खूब लण्ड भी चुसवाया। जब कोई लड़की चुदवासि हो तो जो जो कहो सब करती है।
फिर मैंने उसकी गांड भी खूब मारी। खूब पेला साली को। उसकी गांड भी फटी हुई थी। प्रिया जिससे भी चुदवाती थी गांड भी मारती थी। उसे मैंने पूरी रात चोद। रात 2 बजे उसने मेरे लिए और अपने लिए खाना बनाया। हम दोनों ने साथ खाना खाया। मैं वहीँ पर उसके घर में सो गया। सुबह 10 बजे प्रिया ने अपनी स्कूटी से मेरी फैक्ट्री छोड़ दिया। उसने मुझसे अपना नम्बर भी दिया। जब उसे चुदवाना होता था वो मुझे बुला लेती थी। हर बार मुझे वो हजार रुपए देती थी।