Desi Urban Sex Stories
मैंने बिस्तर पर करवट बदलकर खिड़की के बहार झाँका तो देखा सूरज देवता उग चुके थे. मैं उठ कर बैठा और एक सिगरेट जला ली. रात भर की चुदाई से सर एकदम भारी हो रहा. एक कप स्ट्रांग कॉफ़ी पीने की जबरदस्त इच्छा हो रही पर खुद बनाना की हिम्मत नहीं थी. ‘अंकुर ऑफिस चल कोई लड़की बना के पिला देगी’ मैंने खुद से कहा. Desi Urban Sex Stories
घडी में देखा सुबह के ७.०० बजे थे. काफी जल्दी थी पर शायद कोई मेरी तरह जल्दी आ गया होगा. मैं तैयार होकर ऑफिस पंहुचा. कंप्यूटर चालू करके में रिपोर्ट्स पढ़ रहा. मैं सोचने लगा की इन सात सालों में क्या से क्या हो गया. जब में पहली बार यहाँ इंटरव्यू के लिए आया था…
मेरा घर यहाँ से हज़ारों मील दूर नार्थ इंडिया में था. मेरे पिताजी श्री रघुवीर एक सादे से किसान थे. मेरी माताजी एक घरेलु औरत थी. मेरे पिताजी बहुत सख्त थे. उन्होंने जो कह दिया वह कह दिया. मेरे दो बड़े भाई अशोक 27 अर्जुन 26 और मेरी दो छोटी बहने सीता 23 और गीता 21 और में अंकुर 24 इन चारो में तीसरे नम्बर पर था. हम सब साथ साथ ही रहते थे.
मैं पढाई में कुछ ज्यादा अच्छा नहीं था पर हाँ मैं कम्प्यूटर्स में एक्सपर्ट था. साथ ही मेरी मेमोरी बहुत शार्प थी. इसीलिए मैंने कम्प्यूटर्स & फाइनेंस की एग्जाम दी और अच्छे मार्क्स से पास हो गया. मैंने अपनी नौकरी की एप्लीकेशन मुंबई की एक इंटरनेशनल कंपनी में की थी और मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया था.
मुझे 27th को पहुंचना था पर मैंने अपना रिजर्वेशन 21st का ही करा लिया जिससे में तैयारी कर सकू. दो दिन का सफर तय कर में मुंबई के मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर उतरा. एक नये शहर में आकर अजीब सी ख़ुशी लग रही थी. स्टेशन के पास ही एक सस्ते होटल में मुझे एक कमरा किराये पर मिल गया.
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27th की सुबह में अपने एकलौते सूट में मिस्टर दीपक जनरल मैनेजर (एकाउंट्स & फाइनेंस) के सामने पेश हुआ. मिस्टर दीपक 48 साल के इंसान है 5’11’’ की हाइट और बदन भी मजबूत था. उन्होंने मुझे ऊपर से निचे तक परखने के बाद कहा ‘अच्छा हुआ अंकुर तुम टाइम पर आ गए. तुम्हे यहाँ काम करके मज़ा आएगा. और मन लगा कर करोगे तो तरक्की के चांस भी ज्यादा है. देखता हूँ एम डी फ्री हो तो तुम्हे उनसे मिलवा देता हूँ नहीं तो दूसरे काम में मशरूफ हो जायेंगे.’
मिस्टर दीपक ने फ़ोन नंबर मिलाया ‘सर मैं दीपक अपने नए अकाउंटेंट मिस्टर अंकुर आ गए है, हाँ वही क्या आप मिलना पसंद करंगे’. मिस्टर दीपक ने कहा ‘हाँ सर हम आ रहे हैं’. चलो अंकुर एम डी से मिल लेते हैं. मिस्टर दीपक के केबिन से निकल कर हम एम डी के केबिन में आ गए. एम डी का केबिन मेरे होटल के रूम से चार गुना बड़ा था.
मिस्टर अखिलेश कंपनी के एम डी जो कंपनी में एम डी के नाम से पुकारे जाते हैं अपनी कुर्सी पर बैठे अख़बार पढ़ रहे थे. “वेलकम टू आवर कंपनी अंकुर मुझे ख़ुशी है की तुमने ये जॉब एक्सेप्ट कर लिया. हमारी कंपनी काफी आगे बढ़ रही है. मैं जानता हूँ की हम तुम्हे ज्यादा तन्खवाह नहीं दे रहे पर तुम काम अच्छा करोगे तो तरक्की भी जल्दी हो जाएगी मिस्टर दीपक की तरह. तुम्हारा पहला काम है कंपनी के एकाउंट्स को कंप्यूटराइज्ड करना उसके लिए तुम्हारे पास तीन महीने का टाइम है. क्यों ठीक है न”
“सर! में अपनी पूरी कोशिश करूँगा” मैंने जवाब दिया.
“ओके तुम अपना काम आज से ही शुरू कर सकते हो” एम डी ने कहा.
हम एम डी के केबिन से बाहर आ गए. मिस्टर दीपक बोले आओ तुम्हे तुम्हारे स्टाफ से परिचय करा दूँ. हम एकाउंट्स डिपार्टमेंट में आये वहां तीन सुन्दर औरतें थी. मिस्टर दीपक कहा “लेडीज ये मिस्टर अंकुर हमारे नए एकाउंट्स हेड हैं. और अंकुर इनसे मिलो ये मिसेज प्रिया, मिसेज शबाना और ये मिसेज इशिका. इन तीनो को कंप्यूटर का पूरा नॉलेज है और आज से ये तुम्हे रिपोर्ट करेंगी.
मेरी तीनो अस्सिस्टेंस देखने में बहुत ही सूंदर थी. मिसेज शबाना 40 साल की मैरिड महिला थी. उनके दो बच्चे एक लड़का 16 और लड़की 15 साल की थी. उनके हस्बैंड फार्मा कंपनी में वर्कर थे. मिसेज प्रिया 35 साल की शादी शुदा औरत थी. उसके भी दो बच्चे थे. उनके हस्बैंड एक टेक्सटाइल कंपनी में सेल्समेन थे सो अक्सर टूर पर ही रहते थे. प्रिया देखने में ज्यादा सूंदर थी और उसकी छातियाँ भी काफी भरी भरी थी एकदम तरबूज़ की तरह.
मिसेज इशिका सबसे छोटी और प्यारी थी. उसकी उम्र 27 साल की थी. उसकी शादी हो चुकी थी और उसके हस्बैंड दुबई में सर्विस करते थे. उसकी काली काली ऑंखें कुछ ज्यादा ही मदहोश थी. हम लोग जल्दी ही एक दूसरे से खुल गए थे और एक दुसरे को नाम से पुकारने लगे थे. तीनो काम में काफी होशियार थी इसिलए ही में अपना काम समय पर पूरा कर पाया. में अपनी रिपोर्ट लेकर एमडी के केबिन में बढ़ा.
“सर! देख लीजिये अपने जैसे कहा था वैसे ही काम पूरा हो गया है. हमारे सारे एकाउंट्स कंप्यूटराइज्ड हो चुके है और आज तक अपडेट है” मैंने कहा.
“शाबाश अंकुर तुमने वाकई अच्छा काम किया है. ये लो!” कहकर एमडी ने मुझे एक लिफाफा पकड़ाया.
“देख क्या रहे हो ये तुम्हारा इनाम है और आज से तुम्हारे सैलरी भी बढाई जा रही और प्रमोशन भी हो रही है खुश हो न.” एमडी ने कहा.
“थैंक यू वैरी मच सर” मैंने जवाब दिया.
“इसी तरह काम करते रहो और देखो तुम कहाँ से कहाँ पहुँच जाते हो” कहकर एमडी ने मेरी पीठ थपथपाई.
मैं काम में बिजी रहने लगा. होटल में रहते रहते बोर होने लगा था इसलिए में किराये पर मकान ढून्ढ रहा था. एक दिन प्रिया मुझसे बोली अंकुर “मैंने सुना तुम मकान ढून्ढ रहे हो”.
“हाँ ढून्ढ तो रहा हूँ होटल में रहकर बोर जो गया हूँ” मैंने जवाब दिया.
“मेरी एक सहेली का फ्लैट खाली है और वो उसे किराये पर देना चाहती है तुम चाहो तो देख सकते हो” प्रिया ने कहा.
“अरे ये तो अच्छी बात है में जरूर देखना चाहूंगा.” मैंने जवाब दिया.
“तो ठीक है में कल उससे चाबी ले आउंगी और हम शाम को ऑफिस के बाद देखने चलेंगे” प्रिया ने कहा.
“ठीक है” मैंने जवाब दिया.
दुसरे दिन प्रिया चाभी ले आयी थी और शाम को हम फ्लैट देखने गए. फ्लैट 2 BHK था और फर्निश्ड भी था मुझे काफी पसंद आया पर कुछ किराया ज्यादा था. प्रिया ने अपनी फ्रेंड से बात कर के मना लिया. मैं खुश था की चलो अपना घर तो हुआ किराये का ही सही.
“थैंक यू प्रिया तुम्हारा जवाब नहीं” मैंने कहा.
“अरे थैंक यू की कोई बात नहीं ये तो दोस्तों का फ़र्ज़ है एक दूसरे के काम आना.” प्रिया ने जवाब दिया.
“में कब से रहने आ सकता हूँ” मैंने पूछा.
“चाहो तो आज से ही मैंने बात कर ली है” उसने जवाब दिया.
“ठीक है फिर में आज रात को ही अपना सामन होटल से यहाँ शिफ्ट कर लेता हूँ तुम बहुत अच्छी हो प्रिया.” मैंने कहा.
“लेकिन में तुम्हे इतनी आसानी से जाने देने वाली नहीं हूँ मुझे भी अपनी दलाली चाहिए” प्रिया ने कहा.
ये सुन कर में थोड़ा चौंक गया “ओके कितनी दलाली होती है तुम्हारी” मैंने पूछा.
“दो महीने का किराया एडवांस” उसने जवाब दिया.
“लेकिन फ़िलहाल मेरे पास इतना पैसा नहीं है” मैंने जवाब दिया.
“कोई बात नहीं और भी दुसरे तरीके है हिसाब चुकाने के” उसने कहा.
“दुसरे तरीके में कुछ समझा नहीं तुम्हारे मतलब क्या है? मैंने पूछा.
“तुम्हे मुझसे प्यार करना होगा मुझे रोज़ ज़ोर ज़ोर से चोदना होगा” इतना कहकर वो अपने कपडे उतर कर बिलकुल नंगी मेरे सामने खड़ी हो गयी.
“प्रिया ये क्या कर रही हो कहीं तुम पागल तो नहीं हो गयी हो. तुम्हारे पति को पता चलेगा तो हम क्या कहेंगे.” मैंने कहा
“कुछ नहीं होगा अंकुर प्लीज में बहुत प्यासी हूँ प्लीज मान जाओ”. इतना कह कर वो मुँह बिस्तर पर घसीटने लगी और मेरी पेंट के पर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी. उसके गोर और गदराये बदन को देख कर मेरे मन भी सेक्स करने को करने लगा. मैंने जिंदगी अभी तक किसे लड़की को चोदा नहीं था. पर में उसके बदन की खूबसूरती में इतना खोया हुआ था की!
“अरे क्या सोच और देख रहे हो? क्या पहले किसी को नंगा नहीं देखा है या किसी को चोदा नहीं है?” उसने पूछा.
“कौन कहता है की मैंने किसी नहीं चोदा मैंने अपने गाँव की लड़कियों का चोदा है”. मैंने उससे झूठ कहा और अपने कपडे उतारने लगा. जैसे ही मेरा लंड बहार निकल कर खड़ा हुआ… “वाह तुम्हारा लंड तो बहुत ही लम्बा और मोटा है चुदवाने में बहुत मज़ा आएगा. आओ अब देर मत करो” इतना कहकर वो अपनी टांगो को और चौड़ा कर दी.
उसकी गुलाबी चूत और खिल उठी जैसे मुझे चोदने को इनवाईट कर रही थी. मैंने चुदाई पर काफी किताबे पढ़ी थी पर आज तक किसी को चोदा नहीं था. भगवान का नाम लेते हुए में उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा. मगर चार पांच बार कोशिश करके भी मैं नहीं कर पाया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“रुक जाओ अंकुर प्लीज रुको” उसने कहा.
“क्या हुआ? मैंने पूछा.
उसने हँसते हुए मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पर रख दिया और कहा “हाँ अब करो डाल दो इसे पूरा अंदर”. मैंने जोर से धक्का लगाया और मेरा लंड उसकी चिकनी चुपड़ी चूत में पूरा जा घुसा. में जोर जोर से धक्के लगा रहा था. अंकुर जरा धीरे धीरे करो वो मुझसे कह रही थी पर में कहाँ सुनने वाला था.
ये मेरी पहली चुदाई थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. में उसके दोनों मम्मो को पकड़ कर जोर जोर से धक्के लगा रहा था. मैं झड़ने के करीब था मैंने दो चार जोर के धक्के लगाए और अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया. उसके ऊपर लेट कर में गहरी गहरी सांसे ले रहा था. उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए मुझे किश किया और बोली “अंकुर तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला ये तुम्हारी पहली चुदाई थी है न”.
“हाँ” मैंने कहा.
“कोई बात नहीं सब सिख जाओगे धीरे धीरे” इतना कह कर वो मेरे लंड को फिर सहलाने लगी. मैं भी उसकी छातियों को चूसने लगा. उसने एक हाथ से मेरे चेहरे को अपनी छाती पर दबाया और दुसरे हाथ से मेरे लंड को मसलने लगी. मेरे लंड में फिर गर्मी आने लगी. मेरा लंड फिर तन गया था.
“ओह अंकुर! तुम्हारा लंड तो वाकई बहुत सूंदर है”. इससे पहले वो कुछ और कहती मै अपने लंड को पकड़ कर उसकी चूत में घुसा दिया.
“अंकुर इस बार धीरे धीरे छोड़ो”. इससे हम दोनों को ज्यादा मज़ा आएगा”. उसने प्यार से कहा.
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में धीरे धीरे अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा. करीब पांच मिनट की चुदाई में हु भी अपनी कमर हिलने लगी और मेरे धक्के से धक्का मिलाने लगी. अपने दोनो हाथों से मेरी कमर पकड़ कर अपने से जोर से भींच लिया और……… “ओह्ह्ह्हह्हह अंकुर! बहोत अच्छा लग रहा है. आआअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह जोरो से चोदो… हाँ तेज और तेज उह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह.”
“बस दो चार धक्को की देर है आआआ जोर जोर से करो” वो उत्त्तेजना में चिल्ला रही थी. उसकी चीखे सुन कर में भी जोर जोर से धक्के लगा रहा था. मेरी भी सांसे तेज हो चली थी. पर मेरी दूसरी बारी थी इस्सलिये मेरा पानी जल्दी छूटने वाला नहीं था. वो निचे से अपनी कमर जोर जोर से उछाल रही थी ऐसे ही करो ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह चोदो अंकुर और जोर से अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह…. मेरा छूटने वाला है.”
उसकी सिसकारियां कमरे में गूँज रही थी. मैं भी धक्के पे धक्के लगा रहा था. हम दोनों पसीने में तर थे. मैं भी छूटने ही वाला था और दो चार धक्के में अपना पानी उसकी जड़ो तक छोड़ दिया. मैं पलट कर उसके बगल में लेट गया.
“ओह अंकुर तुम शानदार मर्द हो. काफी मज़ा आया. इतनी जोर से मुझे आज तक किसी ने नहीं चोदा. आज पहली बार किसी ने मुझे इतना आनंद दिया है” वो बोली.
“क्यों तुम्हारे पति तुमको नहीं चोदते क्या? मैंने पूछा.
“चोदते हैं पर तुम्हारी तरह नहीं. वो टूर पर से थके हुए आते है और जल्दी जल्दी करते हैं. वो ज्यादा देर तक चुदाई नहीं करते और जल्दी ही झड़ जाते हैं”. उसने कहा.
करीब आधे घंटे में मेरा लंड फिर से तन्नाने लगा. में एक हाथ से अपने लंड को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसके मम्मो से खेल रहा था. कभी में उसके निप्पल पर चिकोटी काट लेता तो उसके मुँह से दबी सिसकारी निकल पड़ती. उसमे भी गर्मी आने लग रही थी. वो भी अपनी चूत को अपने हाथ से मसल रही थी.
“ओह अंकुर तुमने ये मुझे क्या कर दिया है. देखो न मेरी चूत गीली हो गयी है इसे फिर तुम्हारा मोटा और लम्बा लंड चाहिए प्लीज इसकी भूख मिटा दो न”. इतना कहकर उसने मेरा हाथ को अपनी चूत पर दबाने लगी. मेरा भी लंड तन कर घोड़े जैसे हो गया था और मुझसे भी नहीं रुका गया. मैंने उसकी टांगे फैलाई और एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में दाल दिया.
उसके मुँह से चीख निक़ल पड़ी… “ओह माआआर डाला. अंकुर जरा धीरे तुम तो मेरी चूत को फाड़ ही डालोगे”.
“अरे नहीं मेरी जान मैं इसे फाडून्गा नहीं बल्कि इसे प्यार से इसकी चुदाई करूँगा तुम डरो मत”.
इतना कहकर में जोर जोर से उसे चोदने लगा. वो भी अपने कमर उछाल कर मेरा साथ देने लगी.
“हाँ इसी तरह छोड़ो राजा. मज़ा आ रहा है. ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह डाल दो और जोर से इश्शश्श्श्शश्श्स” उसके मुँह से आवाजे आ रही थी. हमारी जांघे एक दूसरे से टकरा रही थी. थोड़ी देर में हम दोनों का काम साथ साथ हो गया. वो पलट कर मेरे ऊपर आ गयी और बोली “अंकुर तुम बहुत अच्छे हो आई लव यू.”
“मुझे भी तुम पसंद हो प्रिया” मैंने कहा.
प्रिया बिस्तर पर से खड़ी होकर अपने कपडे पहनने शुरू किया.
मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा “थोड़ी देर और रुक जाओ न तुम्हे एक बार और चोदने का दिल कर रहा है.”
“नहीं अंकुर लेट हो रही है. मुझे जाना होगा. घर पर सब इंतज़ार कर रहे होंगे. वादा करती हूँ डार्लिंग वापस आउंगी”. इतना कहकर वो चली गयी.
उसके जाने के बाद मैंने सोच पिताजी ठीक कहते थे मेहनत का फल मीठा होता है. तीन महीनो में ही मेरी सैलरी बढ़ गयी थी तरक्की हो गयी फ्लैट भी मिल गया और अब एक शानदार चूत हमेशा चोदने के लिए मिल गयी. मुझे अपनी तक़दीर पे नाज़ हो रहा था. मैंने निश्चय किया की मैं और मेहनत के साथ काम करूंगा. अगले दिन में ऑफिस पहुंचा तो देखा की इशिका अपनी सीट पर नहीं है.
“इशिका कहाँ है?” मैंने शबाना और प्रिया से पूछा.
“लगता है वो मिस्टर दीपक के साथ कोई अर्जेंट काम कर रही है.” शबाना ने हँसते हुए जवाब दिया.
लंच टाइम हो चुक्का था पर इशिका अभी तक नहीं आयी थी.
“अंकुर चलो खाना शुरू करते है. इशिका बाद में आकर हम लोगो को ज्वाइन कर सकती है” प्रिया ने कहा.
“अंकुर तुम्हे वो फ्लैट कैसा लगा जो प्रिया तुम्हे दिखने ले गयी थी?” शबाना ने पूछा.
“काफी अच्छा और बड़ा है. में तो प्रिया का शुक्रगुजार हूँ की उसने मेरी ये समस्या का हल कर दिया. वरना इतना अच्छा और सूंदर फ्लैट मुझे कहाँ से मिलता.” मैंने जवाब दिया.
पता नहीं क्यों शबाना शक भरी नज़रों से प्रिया को देख रही थी. मुझे ऐसे लगा की उसे हमारे चुदाई के बारे में शक हो गया है. शबाना कुछ बोली नहीं. फिर हम सब काम में बिजी हो गये. प्रिया बराबर ऑफिस के बाद मेरे फ्लैट पर आने लगी. और हम लोग जम कर चुदाई करने लगने.
उसने किचन में खाना बनाना का सामान भी भर दिया और मुझे भी खाना बनाना सीखने लगी. वो मेरा बहुत ही ख्याल रखने लगी जैसे एक पत्नी एक पति का रखती है. एक दिन हम लोग बिस्तर पर लेटे थे और बड़ी जमकर चुदाई करके हटे थे. वो मेरे लंड से खेल कर उसमे फिर से गर्मी भरने की कोशिश कर रही थी. उसके हाथों की गर्माहट से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था.
अचानक वो बोली “अंकुर आज मेरी तुम गांड मारो.”
ये सुन कर में चौंक कर बोला “पागल हो तुम. तुम्हे क्या होमो नज़र आता हूँ”.
“अरे पागल कोई गांड मारने से आदमी होमो थोड़ी हो जाता है. मानो मेरी बात तुम्हे मज़ा आएगा और रोज़ मेरी गांड मारोगे.” उसने कहा.
मैं मना करता रहा और वो जिद करती रही आखिर मैंने कहा की “ठीक है मैं तुम्हारी गांड मारूंगा पर एक शर्त पर अगर मुझे मज़ा नहीं आया तो नहीं करूँगा ठीक है?”
उसने कहा “ठीक है मुझे मंज़ूर है तुम्हारे पास वेसिलीन है?”
“क्यों वेसिलीन का क्या करोगी” मैंने पूछा.
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“वेसिलीन अपनी गांड पर और तुम्हारे लंड पर लगाऊँगी जिससे मेरी गांड चिकनी हो जाये और जब तुम्हारे घोड़े जैसा लंड मेरी गांड में घुसे तो मुझे दर्द न हो” उसने कहा.
मैं बाथरूम से वेसिलीन ले आया. वेसिलिन लाते ही उसने मुझे वेसिलीन अपनी गांड पर खुद के लंड पर लगाने को कहा. मैंने अच्छी तरह से वेसिलीन मल दी. वो बिस्तर पर घोड़ी बन चुकी थी और कहा “अब देर मत करो मेरे पीछे आकर अपना मुसल जैसा लंड जल्दी से मेरी गांड में डाल दो.”
में उसके पीछे आकर अपना लंड उसकी गांड के छेद पर रगड़ने लगा. “मममममममम अच्छा लग रहा है अंकुर अब तड़पाओ नहीं प्लीज जल्दी से डाल दो”. इतना कह कर वो आगे से अपने चूत को मसल रही थी. मैंने जोर से अपना लंड उसकी गांड में घुसाया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“ओह्ह्ह्हह्ह अंकुर जरा धीरे डालो दर्द होता है थोड़ा सा प्यार से घुसेडो न”. वो दर्द से कहते हुए बोली.
मैं धीरे धीरे उसकी गांड में अपना लौड़ा अंदर बाहर करने लगा. अब उसे भी मज़ा आने लगा रहा था. मेरा किसी का गांड मारने का पहला अनुभव था पर मुझे भी अच्छा लग रहा था. मैं जोर जोर से अब उसकी गांड मार रहा था. वो भी घोड़ी बनी हुई पूरा मज़ा ले रही थी.
साथ ही अपनी चूत को ऊँगली से चोद रही थी. थोड़ी ही देर में मैंने अपने लंड की पिचकारी उसकी गांड में कर दी. उसके गांड मेरे पानी से भर सी गयी थी और बूंदे जमीन पर चू रही थी. मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देख कर बोली “कैसा लगा? अब कौन से छेद को चोदना चाहोगे?”
“गांड को” मैंने हँसते हुए जवाब दिया.
समय के साथ साथ प्रिया और मेरा रिश्ता बढ़ता गया. साथ साथ ही शबाना का शक भी बढ़ रहा था. एक दिन शाम को जब में प्रिया के कपडे उतार रहा था उसी समय दरवाज़े पर घंटी बज़ी. मैंने दरवाज़ा खोला तो शबाना को वहां पर खड़े पाया. मैंने उसे अंदर आने से रोकना चाहा पर वो मुझे धक्का देती हुई अंदर घुस गयी. जब प्रिया को नंगा बिस्तर पर लेते देखा तो बोली “अब समझी तुम दोनों के बिच क्या चल रहा है तो मेरा शक सही निकला”.
शबाना को वहां देख कर प्रिया नाराज़ हो गयी “तुम यहाँ पर क्यों आयी हो हमारा मज़ा ख़राब करने.”
“अरे नहीं यार मैं मज़ा ख़राब करने नहीं बल्कि तुम लोगो के साथ देने और मज़ा लेने आयी हूँ.” ये कहकर वो अपने कपडे उतारने लगी.
शबाना का बदन देखकर लगता नहीं था की वो ४० साल की है. उसकी छातियाँ काफी भरी भरी थी. निप्पल भी काला और दाना मोटा था. उसकी चूत पर हलके से तराशे हुए बाल थे जो उसे और सूंदर बना रहे थे. उसके बदन को देखकर ही मेरा लंड तन गया था.
“अंकुर आज इसकी चूत और गांड इतनी जोर जोर से चोदो की इसे नानी याद आ जाये की मोटे और तगड़े लंड से चुदाने से क्या होता है.” प्रिया ने कहा.
मैंने उसे बिस्तर पर लिटाकर उसकी टांगो को घुटने के बल मोड़ कर उसकी छाती पर रख दिया और एक जबरदस्त झटके से अपना पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया.
“ओह्ह्ह्हह अंकुर तुम्हारा लंड कितना मोटा और लम्बा है. मेरी चूत को कितना अच्छा लग रहा है. डार्लिंग अब जोर से चोदो फाड़ डालो इसे.” हु मज़े लेते हुए बोल पड़ी.
मैंने अपना लंड बाहर खिंचा और जोर के झटके से अंदर डाल दिया. “आआआआआ हाआआआं ऐसईईईई चोदो ओ जोर से” उसके मुँह से सिसकारी भरी आवाज़े निकल रही थी. थोड़ी देर में वो भी अपने चूतड़ उछाल कर मेरे धक्के से धक्का मिलाने लग गयी. उसकी सांसे मरे उन्माद के उखड रही थी.
“ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अंकुर जोररररररर से जल्दीईईईई जल्दीईई डालो मेरा अब छूटने वाला है आईईई प्लीज जोर से चोदोओओओओ.” इतना कहकर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो निढाल पड़ गयी.
मैंने भी अपनी रफ्तार बढ़ा दी और दो धक्के मार कर उसे कस कर अपने से लिपटा कर अपने पानी की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी. लगा जैसे मेरा लंड उसकी बचेदानी से टकरा रहा था. जब हमारी सांसे सम्भली तो उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा “अंकुर मज़ा आ गया. आज तक किसी ने मुझे ऐसे नहीं छोड़ा है. आई लव यू डार्लिंग.”
“क्यों क्या तुम्हारा पति तुम्हे नहीं चोदता?”
“चोदता है लेकिन हफ्ते में एक बार. वो अब बुड्ढे हो गए है दो मिनट में ही झड़ जाते है और मेरी चूत प्यासी रह जाती. मुझे जोरदार चुदाई पसंद है जैसे तुम करते हो.” शबाना बोली.
शबाना ने मुझे प्रिया पर धकेलते हुए कहा “अब तुम प्रिया को चोदो हमारी चुदाई देख कर इसकी चूत म्युनिसिपल्टी की नल की तरह चू रही है.”
“नहीं अंकुर आज शबाना को तुम्हारे लंड का मज़ा लेने दो. मैं तो कई महीनो से मज़ा ले रही हूँ.” प्रिया ने जवाब दिया.
“ओह प्रिया तुम कितनी अच्छी हो.” ये कह कर शबाना मेरे लंड को सहलाने लगी.
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मैं भी उसके मम्मे दबा रहा था. उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी. “ओह अंकुर अब नहीं रहा जाता जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो” वो कहने लगी. मैंने अपना लौड़ा जोर से उसकी चूत में डाल दिया और जोर से उसे चोदने लगा. थोड़ी देर में ही हम दोनों का पानी छूट गया. जब हम चुदाई करके अलग हुए तो प्रिया बोली “अंकुर अब शबाना की गांड मारो.”
“ठीक है में इसकी गांड भी मारूंगा पहले मेरे लंड को फिर से खड़ा तो होने दो तब तक तुम जाकर वेसिलीन क्यों नहीं ले आती.” मैंने कहा
“शबाना क्या तुम्हे वेसिलीन की जरूरुत है?” प्रिया ने शबाना से पूछा.
“हाँ यार वेसिलीन तो लगनी पड़ेगी नहीं तो अंकुर का मोटा और लम्बा लंड तो मेरी गांड ही फाड़ के रख देगा.” शबाना ने जवाब दिया.
उसकी गांड और अपने लंड पर वेसिलीन लगाने के बाद मैंने जैसे ही अपना लंड उसकी गांड में घुसाया वो दर्द के मारे चिल्ला उठी… “अंकुर दर्द हो रहा है….. बहार निकालो!” मैंने उसकी बात सुने बिना जोर से अपना लंड उसकी गांड में डाल दिया और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा.
थोड़ी देर में उसे भी गांड मरवाने में मज़ा आने लगा. थोड़ी देर मेरे लंड अपना पानी उसकी गांड में उंडेल दिया. वो दोनों कपडे पहन कर जाने के लिए तैयार हो गयी. अगले दिन को फिर आने का वादा कर दोनों चली गयी. अब प्रिया और शबाना हफ्ते में तीन चार दिन आने लग गयी. हम लोग जम कर चुदाई करते थे.
एक दिन मैंने कहा “तुम दोनों साथ साथ क्यों आती हो?. और अकेले होगी तो में अच्छी तरह से तुम्हारी चुदाई कर सकूंगा. और अगली रात मुझे अकेले भी नहीं सोना पड़ेगा.”
“नहीं अंकुर हम लोग साथ में ही आएंगे इससे किसी को शक नहीं होगा.” प्रिया ने जवाब दिया.
“ठीक है जैसे तुम लोगो की मर्ज़ी”.“क्या तुम दोनों संडे को नहीं आ सकती जिससे हमे ज्यादा वक़्त मिलेगा”. मैंने पूछा.
“नहीं अंकुर संडे को हम हमारे परिवार के साथ रहना चाहते हैं”.
मुझे सोचते हुए देख शबाना ने कहा “तुम इशिका को क्यों नहीं बुला लेते उसका हस्बैंड दुबई में है और वो अकेली रहती है.”
मैंने चौंकते हुए पूछा “तुम्हे क्या लगता है वो आएगी?”
“क्यों नहीं आएगी जरुर आएगी अब ये मत बोलना की तुमने उसे नहीं चोदा है.” शबाना ने कहा.
“चोदा तो नहीं पर चोदना जरूर चाहूंगा वो बहुत ही सूंदर है.”
“हाँ सूंदर भी है और हम दोनों से छोटी भी तुम्हे बहुत मज़ा आएगा.” शबाना ने हँसते हुए कहा.
“अरे तुम दोनों बुरा मत मानो मैंने तो ऐसे ही कह दिया था.”
“अरे नहीं हमें बुरा नहीं लगा. तुम्हे इशिका को चोदना अच्छा लगेगा. उसकी चूत भी कसी कसी है क्यों की उसे अभी बच्चा नहीं हुआ है न. वैसे भी सुना है की मर्दों को कसी चूत अच्छी लगती है.” प्रिया ने कहा.
“तुम्हे कैसे मालूम की वो आएगी?” मैंने पूछा.
“तो तुम्हे नहीं मालूम” शबाना ने प्रिया की तरफ मुड़ कर पूछा “तो तुमने अंकुर को कुछ भी नहीं बताया”.
प्रिया ने न में सर हिला दिया.
“मुझे क्या नहीं मालूम चलो साफ साफ बताओ बात क्या है”. मैंने कहा
“ठीक है में तुम्हे बताती हूँ.” शबाना ने कहा.
“हमारी कंपनी आज से 15 साल पहले मिस्टर संजय ने शुरू की थी. वो इंसान अच्छे थे पर उनकी पॉलिसीज गलत थी. इसीलिए कंपनी में मुनाफा कम होता था और हम लोगो की सैलरी भी कम थी. मगर मिस्टर संजय की डेथ एक प्लेन क्रैश में हो गयी और सारा भार उनकी विधवा मिसेज योगिता पर आ गया. शुरू में तो वो सब काम संभालती थी पर बाद में उन्हें लगा की ये उनका बस का नहीं है सो उन्होंने अपने रिश्तेदार मिस्टर अखिलेश को कंपनी का एमडी बना दिया.”
“मिस्टर अखिलेश काफी पढ़े लिखे है और होशियार भी. थोड़े ही सालों में कंपनी का प्रॉफिट बढ़ने लगा. जैसे मुनाफा बढ़ा हम लोगो की सैलरी भी बढ़ गयी.”
“ओके शबाना ये सब मुझे मालूम है मुझे वो बताओ जो मुझे नहीं मालूम है.” मैंने कहा.
“ठीक है मैं बताती हूँ.” प्रिया ने कहा
“अपने एमडी चुदाई के बहुत शौकीन है. जब हम नए ऑफिस में शिफ्ट हुए तो उन्होंने चुतो की खोज करने शुरू कर दी. इस काम के लिए उन्हें मिस्टर दीपक मिल गए.”
“तुम्हारा मतलब अपने मिस्टर दीपक.” मैंने पूछा
“हाँ वही.” प्रिया ने सहमति में कहा.
“क्या औरतों ने बुरा नहीं माना?” मैंने पूछा.
“शुरू में मन करने पर एमडी ने एकदम क्लियर कर दिया. की नौकरी चाहिए तो चुदवाना पड़ेगा. इसीलिए वो शादी शुदा औरतों को ही रखता था जिससे किसी को कोई शक न हो.” प्रिया ने कहा.
“तुम्हारे कहने का मतलब की ऑफिस की सभी लेडीज चुदवाती है” मैंने कहा.
“हाँ सभी चुदवाती है अंकुर देखो एक तो सैलरी भी डबल मिलती है और काम भी अच्छा है. ऐसी नौकरिया रोज़ तो नहीं मिलती न. और अगर ऐसे नौकरी के लिए एक दो बार चुदवाना भी पड़ गया तो क्या फर्क पड़ता है.” प्रिया ने कहा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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“इसका मतलब तुम दोनों भी एमडी और मिस्टर दीपक से चुदवाती हो?” मैंने पूछा.
“हाँ दिल खोलकर और मज़े लेकर”. दोनों ने जवाब दिया.
“तुम्हारा मतलब है ये सब ऑफिस में होता है.” मैंने फिर सवाल किया.
“हाँ ऑफिस में भी आवर होटल शेरेटन में भी. वहां पर एमडी ने पुरे साल के लिए एक सुइट बुक कराया हुआ है.” शबाना बोली.
मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था और में अजीब नज़रों से दोनों को घूर रहा था. मुझे घूरते देख प्रिया बोली “शबाना इसे जब तक विश्वास नहीं आएगा जब तक ये अपनी आँखों से नहीं देख लेगा. एक काम करते हैं संडे को इशिका को बुलाते है और उसी से सुनते है की वो इस जाल में कैसे फँसी. लेकिन पहले उसे यहाँ आने पर तैयार करना है और उसे अंकुर के लंड का मज़ा चखना है.”
“ये संडे को मेरा बर्थडे है तो क्यों नहीं में तुम तीनो को दोपहर के खाने पर दावत दूँ.” मैंने कहा.
“ये ठीक रहेगा इस तरह इशिका ना भी नहीं बोल पायेगी.” शबाना बोली.
अपने गरदन हिलाते हुए मैंने कहा “मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है ऐसे लग रहा है जैसे में किसी रंडी खाने में काम कर रहा हूँ.”
इतने में शबाना ने मेरा लंड पकड़ते हुए कहा “तुम्हे तो खुश होना चाहिए अंकुर रोज़ नई और कुंवारी चूत मिलेगी चोदने के लिए. और अगर बात फ़ैल गयी की तुम्हारा लंड इतना लम्बा और मोटा है तो थोड़े ही दिनों में तुम ऑफिस की हर लड़की को चोद चुके होंगे. चलो अब एक बार हम दोनों को और चोद दो.”
संडे के दिन में जल्दी उठ गया और खाने का इंतेज़ाम करने लगा. ठीक 12 बजे वो तीनो आ गयी. शबाना ने लाल कलर की साडी पहनी और प्रिया ने हरे रंग की. इशिका ने स्लीवलेस ब्लाउज के साथ ब्लू कलर की पहन रखी थी. तीनो बहुत ही सूंदर लग रही थी. मैंने उन तीनो को सोफे पर बैठने को कहा और खुद उनके सामने बैठ गया. थोड़ी देर बाद तीनो को कोल्ड ड्रिंक देकर मैंने कहा “तुम तीनो बातें करो जब तक खाने का इंतेज़ाम करके आता हूँ.”
ये हमारे प्लान के तहत हो रहा था जो हमने पिछले दिन तैयार किया था. इसलिए में किचन में न जाकर बाहर दरवाज़े से उनकी बातें सुनने लगा. वो तीनो बातें करते रहे. कुछ देर बाद शबाना ने इशिका से पूछा “अच्छा इशिका तुम्हारी सेक्स लाइफ के बारे में बताओ?”
“कैसी सेक्स लाइफ तुम्हे तो पता है मेरे हस्बैंड तो बाहर रहते हैं.”
“हमें पागल मत बनाओ हम सब जानते हैं तुम मिस्टर दीपक के साथ क्या करती हो जब अर्जेंट असाइनमेंट निपटाने होते हैं.”
“क्या मतलब तुम्हारा.” इशिका ने जल्दी से कहा.
“अरे पगली तुम्हारे आने से पहले हम ही उसका अर्जेंट असाइनमेंट निपटाते थे.”
“तो क्या उसने तुम दोनों को भी चोदा है.” इशिका ने पूछा.
“आज से नहीं वो हमें कई सालों से चोद रहा है.” शबाना ने जवाब दिया.
“में तो समझती थी की में अकेली ही हूँ.” इशिका बोली.
“अरे हम तो ये भी जानते हैं के तू उस स्टोर मैनेजर के साथ क्या करती है.” प्रिया ने कहा.
“बाप रे तुम्हे उसके बारे में भी पता है क्या तुम लोग मेरा पीछा करते रहते हो.” इशिका थोड़ा नाराज़ होते हुए बोली.
“नाराज़ मत हो हम तेरा पीछा नहीं करते पर ऑफिस में क्या हो रहा इस बात की जानकारी जरूर रखते हैं.” शबाना ने कहा.
“इशिका जब दीपक तुम्हारी चूत का ख्याल रखता है तो तुम उस स्टोर मैनेजर से क्यों चुदवाती हो?” प्रिया ने पूछा.
“प्रिया तुम्हे तो पता है की मिस्टर दीपक को सिर्फ मम्मे और गांड मारना पसंद है. पक्का गांडू है वो. इसीलिए मेरी चूत प्यासी रह जाती है. एक दिन में स्टोर में कुछ सामान लेने गयी और मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी बस तभी मैंने इस मैनेजर को देखा और उसे मुझे चोदने की लिए पटा लिया. अब मैनेजर मेरी चूत चोदता है और दीपक मेरी गांड. इस तरह मेरी दोनों भूख मिट जाती है. दीपक ने तो मुझे ब्रा पहनने को भी मना किया है देखो इस वक्त भी नहीं पहनी हूँ.”
उसने अपने ब्लाउज के बटन खोल कर दिखाया. उसकी नाज़ुक और नरम चूचियां देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया. प्रिया ने अपने दोनों हाथ उसके ब्लाउज में डाल दिया और उसके मम्मो को दबाने लगी. “हाय इन्हे इस तरह मत दबाओ नहीं तो गरम हो जाउंगी.” इशिका हंसती हुई अपने ब्लाउज के बटन बंद करने लगी.
“अच्छा एक बात बताओ तुम यहाँ काम करने के लिए क्यों आयी तुम्हारे हस्बैंड दुबई में काम करते हैं और पैसा भी अच्छा कमाते है तो जाहिर है पैसे के लिए तो तुम नहीं आयी.” प्रिया ने पूछा.
“नहीं पैसे के लिए नहीं आयी में घर पर बोर होती रहती थी. और अपने हस्बैंड को मिस करते हुए में अपनी चूत में ऊँगली भी करने लगी थी. फिर मैंने ये एड्वेर्टीजमेंट देखि. मैंने एकाउंट्स और कंप्यूटर में डिप्लोमा लिया हुआ था तो अप्लाई कर दिया और मुझे जॉब मिल गयी.”
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“इसका मतलब तुम्हे चुदवाये बगैर जॉब मिल गयी.” प्रिया ने पूछा.
“हाँ लेकिन बाद में चुदवाना पड़ा.” इशिका ने हँसते हुआ कहा एक दिन दोपहर को मिस्टर दीपक ने कहा एमडी तुमसे मिलना चाहते हैं.”
मैंने पूछा “मुझ जैसी छोटे क्लर्क से”.
तो मर दीपक ने कहा की “एमडी आदमी चाहे छोटा हो या बड़ा अपने स्टाफ का पूरा ख्याल रखते हैं. चलो एमडी ने बुलाया है.”
“उस दिन लंच के बाद मिस्टर दीपक मुझे एमडी से मिलवाने ले गया. और उस दिन दोनों ने मेरी खूब चुदाई की.”
“तुमने मना नहीं किया.” शबाना ने पूछा.
“शुरू में किया पर मेरे हस्बैंड बाहर रहते हैं और मेरी भी चुदवाने की इच्छा थी सो में उन्हें चोदने दिया.” इशिका हँसते हुए बोली.
“क्या तुम्हे प्रेग्नेंट होने का डर नहीं लगता.” प्रिया ने पूछा.
“नहीं मेरे हस्बैंड के जाने के बाद मैंने बर्थ कण्ट्रोल की गोली लेनी शुरू कर दी थी.” इशिका बोली.
“दीपक तो तुम्हे ऑफिस में चोदता है पर एमडी का क्या?” शबाना ने पूछा.
“दीपक मुझे बता देता है की ऑफिस के बाद मुझे होटल शेरेटन में जाना है तुम लोगों को होटल शेरेटन के बारे में तो मालूम है न!” इशिका ने कहा.
प्रिया और शबाना दोनों ने साथ कहा “हाँ मालूम है.”
“अच्छा मेरे बारे में तो बहट हो गया अब तुम दोनों अपनी सेक्स लाइफ के बारे में बताओ क्या दीपक तुम लोगो को नहीं चोदता.” इशिका ने कहा
“हमारे हस्बैंड हैं हम दोनों के लिए.” शबाना ने किचन की तरफ हाथ से इशारा करते हुए कहा.
“क्या अंकुर तुम दोनों को चोद रहा है? इशिका ने चौंकते हुए पूछा.
“हाँ कई महीनो से.” प्रिया हँसते हुए बोली.
“अगर तू चाहे तो अंकुर तुम्हे भी चोद सकता है.”
“न बाबा में जैसी हूँ ठीक हूँ.” इशिका ने अपनी नज़रे झुकाते हुए कहा.
“मैंने सुना है नार्थ वालों का लंड लम्बा और मोटा होता है.”
“मुझे नहीं मालूम तुम्हारा मापदंड क्या है पर इतना जानती हूँ की अंकुर का लंड अपने दीपक के लंड से लम्बा और मोटा है.” शबाना बोली.
“हे भगवान दीपक से बड़ा. मुझे विश्वास नहीं होता” इशिका बोली.
“अपनी आँखों से देख कर फैसला कर लेना में उसे अभी बुलाती हूँ”,
“नहीं उसे न बुलाना मुझे शर्म आएगी.” इशिका ने प्रिया को रोकना चाहा.
इशिका के रोकने के बावजूद प्रिया ने मुझे आवाज़ लगायी “अंकुर यहाँ आओ इशिका तुम्हारा लंड देखना चाहती है.”
मुझे इसी मौके का तो इंतज़ार था. मैंने अपने कपडे उतरे और अपने खड़े लंड के साथ कमरे में दाखिल हुआ. “किसने मुझे पुकारा.” मैंने पूछा और अपने लौड़े को हिलाने लगा. दोनों प्रिया और शबाना ने इशिका को खड़ा कर मेरी तरफ धकेल दिया. मैंने इशिका को बाँहों में भरते हुए उसका हाथ अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा “तुम खुद देख लो.” ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“हे भगवान अंकुर तुम्हारा लंड तो सही में काफी तगड़ा और मोटा है.” इशिका मेरे कानो में फुसफुसाई और मेरे लंड को सहलाने लगी.
मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए और अपने होंठ उसकी छातियों पर रख दिए. इशिका ने मेरा चेहरा ऊपर उठा कर अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए. हम दोनों की जीभ एक दूसरे से खेल रही थी. दोनों एक दूसरे की जीभ को मुँह में लेकर चूस रहे थे शबाना ने इशिका की साडी खोलनी शुरू कर दी और उसके पेटीकोट का नाडा भी खोल दिया. प्रिया ने झटके में उसका पेटीकोट भी खिंच कर निचे कर दिया.
“शबाना देख इशिका ने पेंटी भी नहीं पहनी है लगता है दीपक ने पेंटी पहनने को भी मना किया है.” प्रिया हँसते हुए बोली.
“नहीं मुझे लगता है ये स्टोर मैनेजर के लिए है की काम जल्दी हो जाये.” शबाना ने भी हँसते हुए जवाब दिया.
हम दोनों खड़े खड़े एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे.
“अंकुर किसका इंतज़ार कर रहे हो इशिका को चोदो.” शबाना बोली.
“अंकुर इशिका को चोदते क्यों नहीं.” इतने में प्रिया भी बोली.
“हाँ अंकुर मुझे चोदो न अब रहा नहीं जाता.” इशिका ने धीरे से कहा.
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मैंने इशिका को अपनी बाँहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया. फिर उसके ऊपर लेट कर में उसके बूब्स से खेलने लगा धीरे धीरे उन्हें भींचने लगा. इशिका की सिसकारियां तेज हो रही थी. मैंने उसके निप्पल्स को अपने दातों से दबाने लगा कभी जोर से भींच लेता तो उछल पड़ती. उसकी बाहें मेरे पीठ को सहला रही थी और मुझे भींच रही थी.
में थोड़ा निचे खिसका और उसकी जांघो के बिच आ उसकी चूत को चाटने लगा. अपनी जीभ को उसकी चूत में डाल देता और जोर जोर से चुसता. जैसे ही मैं और जोर से उसकी चूत को चाटने लगा इशिका पागल हो गयी “ओह अंकुर ये क्या कर रहे हो आज तक किसी ने ऐसा नहीं किया मुझे बहुत अच्छा लग रहा है हाँ जोर जोर से चाटो हननननननन.” वो उत्तेजना में चिल्ला रही थी.
मैंने प्रिया को कहते सुना “देख शबाना अंकुर इशिका की चूत चाट रहा है. उसने मेरी तो चूत कभी नहीं चाटी क्या तुम्हारी चाटी है?”
“नहीं मेरी भी नहीं छाती लगता है इशिका की बिना बालों की चूत ने अंकुर को उकसा दिया.” शबाना बोली.
“हमें तुरंत कुछ करना चाहिए.” प्रिया ने जवाब दिया.
“हाँ कुछ करेंगे पहले इन्हे तो देख ले.” शबाना बोली.
मैंने इशिका के घुटनो को मोड़ कर उसकी छाती पर कर दिया जिससे उसकी चूत का मुँह ऊपर को उठ गया और अच्छी तरह दिखाई देने लगा. उसकी चूत का मुँह बड़ा जरूर था पर प्रिया और शबाना जितना नहीं. मैंने अपनी जीभ जोर जोर से उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा.
“ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह अंकुर.” इतना कहते हुए इशिका दूसरी बार झड़ गयी.
“ओह अंकुर अब और मत तड़पाओ अब सहा नहीं जाता जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो प्लीज” इशिका गिड़गिड़ाने लगी.
जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा वो बोली “अंकुर धीरे धीरे डालना मुझे तुम्हारे लम्बे लंड से डर लगता है.” प्रिया और शबाना की तरफ हंस कर देखते हुए मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया. “तुम्हारा मतलब ऐसे” मैंने कहा.
“ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ममममर गयी तुम बड़े बदमाश हो जब मैंने धीरे से डालने को कहा तो तुमने इतनी जोर से क्यों डाला दर्द हो रहा है न.” उसने तड़पते हुए कहा.
“सॉरी डार्लिंग मैं समझा तुम मजाक कर रही हो क्या ज्यादा दर्द हो रहा.” यह कहकर में अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा.
“ओह अंकुर बहुत मज़ा आ रहा है अब और मत तड़पाओ जोर जोर से करो अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अंकुर आज मुझे पता चला असली चुदाई क्या होती है. हाँ राजा जोर से चोदते जाओ ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह मेरा पानी निकलने वाला है हाँ ऐसे ही.” इशिका उत्तेजना में चिल्ला रही थी.
अपने कूल्हे उछाल उछाल कर मेरे धक्के का साथ दे रही थी. प्रिया और शबाना ने सच कहा था इशिका की चूत वाकई में कसी कसी थी ऐसा लग रहा था की में उसकी गांड ही मार रहा हूँ. मैं उसे जोर जोर से चोद रहा था अब मेरा भी पानी छूटने वाला था. अचानक उसका जिस्म थोड़ा ठहराया और उसने मुझे जोर से भींच लिया.
“ओओओओओओ अंकुर मेरा छूट गया” कहकर निढाल हो गयी.
मैंने भी दो तीन धक्के लगा कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया. हम दोनों की सांसे तेज चल रही थी. हम दोनों थक कर लेटे हुए थे की प्रिया और शबाना बाहर जाने लगी मैंने पूछा “कहाँ जा रहे हो”. “बाजार से थोड़ा सामान लेकर आ रहे है तब तक तुम इशिका से मज़े लेते रहो.” इतना कह कर प्रिया और शबाना चले गए.
“हाँ ये अच्छी बात है अंकुर मुझे फिर से चोदो.” इशिका ने ये कहकर एक बार फिर मुझे अपने ऊपर घसीट लिया. जब तक प्रिया और शबाना लौटे हम लोग थक कर चूर हो चुके थे.
“आओ चल कर कुछ खाना खा लो फिर लंच के बाद करेंगे” शबाना ये कह कर खाना लगाने लगी.
खाना खाने के बाद ड्रिंक्स का दौर चला और हम सब ने दो दो पैग रम के पि लिए.
“लेकिन प्रिया और शबाना ये अच्छी बात नहीं है हम दोनों तो नंगे है और तुम दोनों कपडे पहने हुए हो अंकुर आओ इन लोगो के कपडे उतार दे.” यह कहकर इशिका प्रिया को नंगा करने लगी और में शबाना को.
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“इशिका अब हमें चूत के बाल साफ़ करना सिखाओ हम बाजार से वीट क्रीम ले आये है.” प्रिया ने कहा.
“लाओ सिखाती हूँ”. ये कह कर इशिका उन दोनों की चूत पर क्रीम लगाने लगी. मैं उन दोनों के देखते हुए अपनी ड्रिंक ले रहा था.
“अंकुर हमारी बिन बालों की चूत अब कैसी लग रही है? शबाना ने पूछा.
“बहुत सूंदर और अच्छी ये कह कर में प्रिया की जांघो के बिच आ गया और उसकी चूत को चाटने लगा. अब में बारी बारी से दोनों की चूत चाट और चूस रहा था. थोड़ी देर में दोनों झड़ गयी. हम लोग शाम तक चुदाई करते रहे मुझे नहीं मालूम शराब के नशे में कब सो गया और कब तीनो देविया मुझे सोता छोड़ कर चली गयी.
सुबह मैं तैयार होकर अपने केबिन में किसी सोच में डूबा था की अचानक किसी की हंसी सुनकर मैंने नज़रें उठाई तो तीनो को अपने सामने पाया. “गुड मॉर्निंग अंकुर” तीनो ने साथ में कहा.
“इतनी जोर से नहीं कोई सुन लेगा इस समय मुझे एक कप कॉफ़ी चाहिए.” मैंने कहा.
“मैं लाती हूँ.” यह कहकर इशिका कॉफ़ी लेने चली गयी.
मुझे प्रिया कुछ अपसेट लग रही थी.
“क्या बात है प्रिया तुम कुछ परेशान हो.” मैंने पूछा.
“मुझे तुमसे कुछ बात करनी है.” प्रिया ने कहा.
“मुझसे कहो क्या बात है.” मैंने कहा.
“अंकुर अगर आज के बाद जब मैं तुम्हारा लौड़ा चूस रही हूँ तो सो मत जाना वरना मैं उस दिन के बाद…..” उसने अपना वाकया अधूरा छोड़ दिया.
“हाँ बोलो न की आज के बाद तुम अंकुर से नहीं चुदवाओगी”. इशिका ने हँसते हुए कहा.
“नहीं में ये नहीं कह सकती में अंकुर के लंड के बिना नहीं रह सकती.” प्रिया ने कहा.
“अच्छा अब ये सब बातें छोड़ो आई ऍम सॉरी मैं आगे से ज्यादा ड्रिंक नहीं करूँगा अब सब काम पर लग जाओ.” मैंने कहा.
मैं बहुत खुश था प्रिया और शबाना वीक में तीन बार आती थी और इशिका सैटरडे को शाम को आती थी और संडे शाम तक मेरे साथ रहती थी. समय मस्ती में कट रहा था.
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