Desi Ayyashi Sex
मेरा नाम गौतम और मेरी वाईफ का नाम महक है। मेरी हाईट करीब 5 फुट, बदन भरा हुआ, वजन 67 किलोग्राम, उम्र 56 साल और महक उम्र 50 साल, उसकी हाईट लगभग मेरे बराबर ही है, वजन 52 किलोग्राम और फिगर साईज 38-36-40 है। यह कहानी करीब 26 साल पहले की है, जब मेरी उम्र करीब 29-30 साल की होगी और महक 23-24 साल की थी। Desi Ayyashi Sex
में एक सेठ के यहाँ मुनीम था और उनके खाते और उधारी देखता था। में महक को भी अपने साथ यहाँ लाया था और एक किराए के घर में रहता था। एक बार मुझसे उधारी देने में चूक हो गई और सेठ को करीब 50-60 हज़ार का फटका लग गया। तो सेठ मुझसे बहुत नाराज़ हो गया और मुझसे नुकसान भरपाई की माँग करने लगा और नौकरी से निकालने की धमकी देने लगा।
अब में बहुत परेशान हो गया था कि नौकरी चली जाएगी तो में क्या करूँगा? मेरे सेठ का एक दोस्त था, जिनके साथ वो खाते पीते थे और मिलकर अय्याशी करते थे। फिर वो एक रोज उधर कहीं मेरे घर के आस पास आए तो मैंने उन्हें अपने घर पर बुलाया और महक से चाय लाने को कहा।
महक उस समय अच्छी मस्त सेक्सी बदन की थी और बहुत सुंदर लगती थी। मेरी शादी हुए 3-4 साल ही हुए थे, महक गोरी, अच्छे नाक नक्श, भरे हुए बूब्स, अब मेरे सेठ का दोस्त महक को देखता ही रह गया था। फिर मैंने उनको अपनी परेशानी बताई और कहा कि अब मेरा परदेश में बिना नौकरी के क्या होगा? और में नुकसान की भरपाई भी नहीं कर सकता हूँ, आप ही मेरी मदद कीजिए, उनको समझाइए आप उनके बहुत नज़दीकी है।
तो फिर वो बोले कि अशोक (सेठ का नाम) ऐसे नहीं मानता है, वो बहुत पक्का है, उसको बिज़नस में नुकसान एकदम बर्दाश्त नहीं है, इसके अलावा उसको एक ही शौक है और वो है अय्याशी का, अय्याशी में वो पैसे की परवाह नहीं करता है।
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फिर मैंने कहा कि में इसमें क्या कर सकता हूँ? में उनके लिए लड़की कहाँ से लाऊं? मुझे तो इसकी बिल्कुल भी जानकारी नहीं है, आप ही मेरी मदद कीजिए। तो उसने कहा कि तुम्हारे पास तो एक नायाब चीज़ है तुम्हारी घरवाली, अगर वो उसे मिल जाए तो वो सब भूल जाएगा और तुम्हारी नौकरी भी बनी रहेगी, नहीं तो फिर तुम जानो।
अब में मजबूर था फिर मैंने उनको बैठने को कहा और फिर में अंदर महक के पास गया। अब वो मेरी समस्या से वाकिफ़ थी, जब उसने यह प्रस्ताव सुना तो वो पहले तो हिचकिचाई और आख़िर में मेरी खातिर मान गई। फिर मैंने विजयबाबू (सेठ के दोस्त) से कहा कि ठीक है जैसा आप कहे।
फिर उन्होंने कहा कि हम आज रात में आएगें और कल रविवार है तो पूरे दिन रहेगें, उसके बाद अशोक कुछ नहीं कहेगा यह मेरी जिम्मेदारी है। फिर उस रात करीब 8 बजे डोर बेल बजी, तो मैंने दरवाजा खोला तो अब मेरे सामने सेठ (अशोक) और उनका दोस्त विजयबाबू खड़े थे। फिर मैंने उनका वेलकम किया और अंदर आने को कहा।
फिर वो अंदर आए, उनके साथ एक सूटकेस था। फिर अशोक ने कहा कि गौतम तुमने मेरा बहुत नुकसान किया है, लेकिन विजय के कहने से में तुम्हें छोड़ रहा हूँ। फिर उन्होंने सूटकेस खोलकर वॉट 69 की बोतल निकाली और गिलास, सोडा लाने को कहा। फिर मैंने महक को आवाज़ दी और ट्रे में गिलास और पानी लाने को कहा और थोड़े से स्नैक्स लाने को कहा।
अब महक अच्छे से बन-ठन कर आई थी, उसने लो-कट का ब्लाउज पहन रखा था और उल्टे पल्ले की लाईट ब्लू कलर की साड़ी पहन रखी थी, उसके ब्लाउज से उसके बूब्स की लाईन साफ-साफ़ दिख रही थी। उस समय वो गोरी, चिकनी, उसके बूब्स 34c, वेस्ट लाईन 34 और हिप्स करीब 38 साईज़ के थे, उसका वजन भी करीब 52 किलोग्राम रहा होगा।
अब मेरा सेठ तो उसे देखता ही रह गया था, फिर उसने महक का हाथ पकड़कर अपने पास बैठाया और पैग बनाने को कहा, तो महक ने बोतल में से वाईन निकालकर गिलास करीब आधा भर दिया और उसमें पानी भर दिया और महक ऐसा ही विजयबाबू के लिए किया।
फिर सेठ ने दो गिलास और भरने को कहा एक मेरे लिए और एक उसके खुद के लिए। हम लोग पीते नहीं थे, लेकिन सेठ के आगे हमारी एक नहीं चली और हमें भी पीना पड़ा। अब हम सब स्नैक्स खाते-खाते पीने लगे थे। अब जब तक हम अपना गिलास ख़त्म करते अशोक और विजयबाबू तीन पैग चढ़ा चुके थे और वो बोतल करीब-करीब ख़त्म हो गई थी।
अब हमें भी नशा चढ़ने लगा था, अब अशोक और विजयबाबू तो खैर मस्त हो ही गये थे। फिर महक उठी और उसने पास में रखी टेबल पर खाना लगाया और हम सब खाना खाने लगे। महक खाना बहुत अच्छा और लज़ीज़ बनाती थी, तो सबने उसकी तारीफ़ करते हुए खाना खाया और खाना खाकर अशोक और विजयबाबू महक का इंतजार करने लगे।
फिर महक अंदर बर्तन रखकर वापस बाहर आई, तो मैंने कहा कि में जाता हूँ। तो उन्होंने कहा कि तुम कहाँ चले यही रहो और हमारे साथ ऐश करो। फिर अशोक सेठ ने महक को खींचकर अपनी गोद में बैठा लिया और उसके गाल पर अपना हाथ फैरने लगे।
फिर विजयबाबू ने आगे बढ़कर महक का मुँह उठाकर उसके होंठो का चुंबन लिया और उसके बूब्स मसलने लगे। अब यह सब देखकर में भी गर्म हो गया था और मेरा 7 इंच लंबा लंड करवटे लेने लगा था। फिर अशोक सेठ ने महक की साड़ी खींची और उसका पल्लू नीचे गिराकर महक को खड़ा किया और उसकी साड़ी खींचकर पूरी उतार दी और एक तरफ पटक दी।
अब महक सिर्फ ब्लाउज, पेटिकोट में थी और उसके बूब्स ब्लाउज में झूलते हुए बहुत ही सेक्सी लग रहे थे। फिर अशोक सेठ ने महक का ब्लाउज खोल दिया और उसका ब्लाउज भी उतार दिया। फिर विजयबाबू ने महक का पेटिकोट का नाडा खींचा तो महक का पेटिकोट खुलकर नीचे आ गया, अब महक केवल ब्रा पेंटी में थी।
फिर अशोक सेठ ने पीछे से महक की ब्रा के हुक खोल दिए, तो महक की ब्रा उसकी बाँहो में झूल गई, जिसे महक ने खुद ही उतार दी थी। अब वो उसकी कमर के ऊपर से बिल्कुल नंगी थी, अब वो दोनों (अशोक सेठ और विजयबाबू) उसके बूब्स को मसलने लगे थे और महक सिसकी लेने लगी थी। फिर अशोक सेठ ने महक का एक बूब्स अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगे।
अब विजयबाबू अलग होकर अपने कपड़े उतारने लगे और थोड़ी देर में ही पूरे नंगे हो गये थे, विजयबाबू 5 फुट 6 इंच के हट्टे कट्टे 45 साल के पुरुष थे, उनका सीना गठीला 36 इंच का था, उनका लंड करीब 8 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था और अकड़कर फनफना रहा था।
फिर उन्होंने महक को अशोक सेठ की गोद में से उठाकर अपनी तरफ खींचा और कसकर भींच लिया। अब अशोक सेठ अपने कपड़े उतारने लगे थे, वो 5 फुट 4 इंच के मोटे बदन के पुरुष थे। अब वो भी अपने कपड़े उतारकर पूरे नंगे हो गये थे, उनका पेट बाहर निकला हुआ था और उनका लंड करीब 5 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा था, जो अब खड़ा हुआ था।
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फिर मेरे सेठ ने मुझसे कहा कि गौतम तुम क्या देख रहे हो? तुम भी अपने कपड़े उतार दो। तो फिर मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए, में 5 फुट हाईट का था, में उस समय इतना मोटा तो नहीं था, लेकिन फिर भी मेरा शरीर मोटाई की और जा रहा था। अब यह सब नज़ारे देखकर मेरा लंड भी, जो अब करीब 7 इंच लंबा था यह सब नज़ारे देखकर फनफना रहा था।
फिर अशोक सेठ ने मेरा लंड देखकर अपने हाथ में लिया और विजयबाबू से कहा कि विजय देख इसका लंड तो तुम्हारे जितना ही बड़ा है, महक को गौतम से रोज-रोज चुदवाकर लंबे लंड खाने की आदत लग गई होगी। अब मुझे अहसास हो गया था कि सेठ को अय्याशी का शौक तो था ही, लेकिन वो गांडू किस्म का आदमी भी था।
अब यह बातें सुनकर मेरा लंड अपने आपे से बाहर हुए जा रहा था। अब अशोक सेठ ने आगे बढ़कर महक की पेंटी भी उतार दी और अब महक भी पूरी नंगी थी। फिर विजयबाबू ने महक को बेड पर लेटा दिया और उसके बूब्स को अपने मुँह में भरकर चूसने लगे।
फिर अशोक सेठ महक के सिरहाने की तरफ आए और उसके मुँह पर बैठकर अपने लंड का सुपाड़ा महक के होंठ पर ले गये और दबाब डाला तो महक का मुँह खुल गया और उनका सुपाड़ा उसके होंठो पर चला गया। अब महक सेठ के लंड के सुपाड़े को अपनी जीभ से चाटने लगी थी।
फिर विजयबाबू ने अपना मुँह उठाकर बोला कि गौतम तुम क्या देख रहो? तुम भी आ जाओ, तो में बिस्तर पर जाकर महक की चूत पर अपना मुँह ले गया और उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से चाटने लगा। अब महक बुरी तरह से सिसकियाँ ले रही थी, अब उसे बहुत मज़ा आ रहा था।
अब अशोक सेठ अपना पूरा लंड महक के मुँह में घुसाकर आगे पीछे करने लगे थे। फिर विजयबाबू ने अशोक सेठ को कहा कि अशोक तुम बिस्तर पर सीधे लेट जाओ, तो महक नीचे उतर गई और अशोक सेठ सीधे पलंग पर लेट गये। फिर विजयबाबू ने महक को अशोक के पैरो की तरफ आकर लंड चूसने को कहा, तो महक अपनी गांड उठाकर सेठ के लंड को चूसने लगी।
अब सेठ मस्ती से आह आह करने लगा था। फिर विजयबाबू ने अपने घुटनों के बाल बैठकर पीछे से महक की चूत के मुहाने पर अपना लंड रखकर ज़ोर से एक धक्का मारा, तो उनके लंड का सुपाड़ा पूरा अंदर घुस गया। अब विजयबाबू के मोटे लंड का धक्का खाकर महक थोड़ी चीखी, लेकिन फिर सेठ के लंड को चूसने में मस्त हो गई।
फिर विजयबाबू ने पूरे ज़ोर से धक्का दिया तो उनका पूरा लंड महक की चूत में जड़ तक चला गया और फिर विजयबाबू पूरे ज़ोर से महक को चोदने लगा। अब इधर महक भी ज़ोर-ज़ोर से सेठ के लंड को चूसकर आगे पीछे करने लगी थी। अब अशोक सेठ की कमर थोड़ी-थोड़ी अपने आप उठने और गिरने लगी थी और फिर थोड़ी देर में उसके लंड ने महक के मुँह में ही पिचकारी छोड़ दी।
अब महक के मुँह से बहुत सारा वीर्य निकलकर बिस्तर पर फेल गया था। अब सेठ बिस्तर से नीचे आकर लंबी सांसे लेने लगे थे। अब उधर विजयबाबू भी ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगा रहे थे और अब महक के मुँह से आ आ निकल रही थी। अब वो अपने आप बोल रही थी और ज़ोर-ज़ोर से और ज़ोर से, मुझे पूरा चोदो, मेरी चूत फाड़ दो, ओह आज तो मज़ा आ गया।
फिर विजयबाबू ने अपना आसन बदला और महक को पीठ के बल लेटाकर उसकी टांगे अपने कंधे पर रख ली और उसकी चूत के मुहाने पर अपने लंड को रखकर ज़ोर से धक्का दिया। अब इतनी देर तक चुदाई चलने से महक की चूत तो गीली होकर चिकनी हो गई थी और फिर एक धक्के में उनका लंड पूरा अंदर चला गया।
फिर विजयबाबू ने अपना लंड पूरा बाहर खींचा और फिर से ज़ोर से अंदर धकेला और इस तरह ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगे। अब महक भी मस्ती में अजीब-अजीब तरह की आवाज़े निकाल रही थी सीईईईईईईईई आहहाआआआआअ और जोर से और जोर से मजाआाआअ आ गया, आआआआआ ओह अहाआआआअ में गई, में गई करते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
विजयबाबू चुदाई करने में पूरे उस्ताद थे, अब वो लगातार जोर-जोर से धक्के दिए जा रहे थे। अब मेरा लंड यह सब देखकर पूरा खड़ा हो रहा था और अब में अपने हाथ को मेरे लंड पर चलाने लगा था। फिर अशोक सेठ ने कहा कि यह क्या कर रहे हो? रूको कहकर उसने मेरा लंड अपने हाथ में लेकर अपने मुँह में डाला और चूसने लगा।
अब मुझे लगा कि सेठ इस चीज़ का भी शौकीन है, अब में अपने लंड से सेठ के मुँह में धक्का लगाने लगा था और इस तरह मुझे भी मज़ा आने लगा था। अब इधर विजयबाबू पूरे ज़ोर-शोर से धक्के लगा रहे थे और उधर अशोक सेठ ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड को चूस रहे थे। अब आख़िर विजयबाबू की आँखें बंद होने लगी थी और उनके धक्के पूरी स्पीड में हो गये थे।
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अब में समझ गया था कि विजयबाबू अब पूरे क्लाइमैक्स में आ गये है और फिर उन्होंने आह आह करते हुए अपना लंड महक की चूत के अंदर तक डालकर अपनी पिचकारी छोड़ दी। अब महक की चूत पूरी झील हो गई थी। फिर महक ने भी साथ देते हुए एक बार फिर से अपनी चूत से पानी छोड़कर विजयबाबू के लंड का अभिषेक कर दिया। अब इधर मुझे लगा कि दुनिया का पूरा शहद मेरे लंड के सुपाड़े में इकट्ठा हो गया है और फिर मैंने सेठ के मुँह में ही अपनी पिचकारी छोड़ दी।
तो सेठ ने अपना मुँह अलग कर लिया और मेरा पूरा वीर्य ज़मीन पर गिर गया। अब हम चारो लंबी-लंबी सांसे लेने लगे थे। फिर मेरे सेठ ने मुझसे कहा कि तुमने और तुम्हारी बीवी ने हमें खुश कर दिया है। अब तुम उस नुकसान को भूल जाओ और अब तुम तुम्हारी बीवी के साथ नौकरी पर आना। मैंने तुम्हारे साथ तुम्हारी बीवी को भी नौकरी पर रख लिया है। दोस्तों उसके बाद हम दोनों पति पत्नी सेठ के यहाँ नौकरी करने लगे। में वहां पर खाते और उधारी संभालता था और मेरी बीवी कमरे में जाकर सेठ को संभालती थी।