Dehati Maal Chudai
ये छोटा सा गांव जौनपुर के पास था। लगभग सौ घर होगे इस गांव में। यहां के लोग ज्यादातर गरीब और मजदूर तबके के थे। गांव में बस कुछ लोगो के पास अपनी जमीन थी वो भी इतनी कम थी कि मुश्किल से अपना और अपने परिवार का गुजारा चला पाते थे। इसी गांव के मुखिया थे ठाकुर प्रताप सिंह। जो इस गांव और आस-पास के लगभग सारी जमीन के मालिक थे। Dehati Maal Chudai
गांव के बीचों-बीच इनकी बड़ी सी हवेली थी। हवेली इतनी बड़ी और आलिशन थी कि गांव के लगभग सारे लोग आराम से में आ जाए। ठाकुर साहब का शान ऐसा था कि गांव मे किसी कि हिम्मत न थी इनके सामने कुछ बोलने की। गांव के लगभग सारे लोग ठाकुर के खेत में काम करते थे।
ठाकुर साहब कि उम्र 42 साल थी। ठाकुर प्रताप सिंह का इस दुनिया में कोई नहीं। एक समय था कि ठाकुर का भरा पुरा परिवार था- बीवी, दो बच्चे, मां, एक बहन और एक भाई। लेकिन 5 साल पहले शहर किसी काम से जाते समय सड़क दुर्घटना में इन सब कि मृत्यु हो गई।
उसके बाद ठाकुर प्रताप सिंह ने दुसरी शादी के बारे में नहीं सोचा। ऐसा नहीं था कि ठाकुर शरीफ था शादी के पहले और बाद में भी ना जाने गांव कि कितनी बहु बेटियों का बुर और गांड का भोसड़ा बना दिया था। गांव के किसी भी घर में जब भी किसी को पैसो कि जरूरत हो तब वो ठाकुर से मदद लेता था।
ठाकुर भी कभी किसी को पैसे के लिए मना नहीं करता था। लेकिन पैसे के ऊपर ब्याज बहुत लेता था। पैसे और ब्याज न मिलने पर ठाकुर उनकी बीवी बेटी बहु और बहन से अपना सुद और मुल वसूलता हैं। ठाकुर इतना हरामी हैं कि अगर उसे गांव मे कोइ औरत या लड़की पसंद आ जाए तो उसे कैसे भी चोद के रहता हैं।
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और एक बार जो ठाकुर के लंड से चुद जाए वो ठाकुर की दिवानी हो जाती थी। एक तो ठाकुर 6 फिट का लम्बा चौड़ा था ऊपर से 9″ लम्बा और 2″ मोटा लंड। ठाकुर एक बार जो चोदना शुरू करता वो 2-3 घंटे के पहले रूकता ही नहीं। ऐसे ही ठाकुर कि नजर बहुत दिनो से हरखू कि बीवी ममता और उसकी बेटी सविता और बबिता पर थी।
हरखू का गांव में ही एक छोटा सा किराने कि दुकान थी जो हरखू और उसकी बीवी ममता मिल कर चलाते थे। हरखू कि उम्र 42 कि होगी पर ज्यादा दारू पीने के कारण हरखू का शरीर एक दम मरियल की तरह हो गया था। पर हरखू कि बीवी ममता एक दम गदराई माल थी ममता की उम्र लगभग 35 होगी।
ममता एक दम दुध कि तरह गोरी थी और उसके चुची और गांड ऐसे कि किसी का भी देख लंड खड़ा हो जाएगा। हरखू और ममता के दो बेटे मोहन और सोहन थे और दो बेटी थी सविता और बबिता। हरखू के दोनो बेटे ठाकुर साहब के खेत मे काम करते। हरखू अक्सर दारू पीने के लिए ठाकुर साहब से पैसा लेता रहता था और ठाकुर भी हरखू को पैसा दे देता था।
ये जानते हुए भी कि हरखू पैसे वापस नही कर पाएगा ठाकुर बस ममता और उसकी दोनो बेटियों को भोगने के लालच में हरखू जितने पैसा मांगता उतना दे देता था। एक दिन ठाकुर अपने हवेली के बाहर अपने बगीच मे बैठा आरम कर रहा था तभी ठाकुर का खास आदमी हरीया आता है और बोलता है – मालिक हरखू आया है और पैसे मांग रहा है।
ठाकुर- अच्छा फिर आ गया वो कमीना जरा ले आ उसे मेरे पास आज उसका हिसाब करता हु।
हरिया – ठीक है मालिक।
ये बोल हरिया चला जाता है। कुछ देर बाद ठाकुर के दो आदमी हरखू को पकड़े हुए हरिया के साथ ठाकुर के पास आते है। और हरखू को ठाकुर के पैर में पटक देते हैं।
ठाकुर- क्यों रे हरखू तुने बोला था पिछले महिने सारा पैसा दे देगा लेकिन तुम तो फिर पैसे लेने आ गया।
हरखू ठाकुर के पैरो में गिर कर – मालिक माफ कर दो मालिक लेकिन क्या करू इतने पैसे मै कहा से लाउ। एक छोटी सी दुकान हैं वो भी आज कल नहीं चल रहा हैं।
ठाकुर- (गुस्से से) अबे साले दुकान कैसे चलेगा पुरे दिन दारू पि कर कही पड़ा रहेगा तो दुकान कैसे चलेगी। मैं कुछ नहीं जानता मुझे मेरे पैसे चाहीए।
ये सुन हरखू का डर से हाल खराब हो गया।
हरखू(डरते-डरते) – मालिक मुझे माफ कर दो मालिक।
ठाकुर- सुन बे साले अगर तुने मेरे पैसे नही दिये तो तेरा घर और दुकान सब ले लुगा और तो और तुझे और तेरे बेटों की मार मार कर चमरी उधेड़ दुगा।
हरखू (ठाकुर के पैरो में गिर के)- माफी कर दो मालिक माफ कर दो आप जो बोलोगे वो करूंगा।
ठाकुर- देख हरखू तेरी औकात नहीं है मेरे पैसे देने कि तु एक काम कर अपनी पत्नी ममता और दोनो बेटियों को मेरे पास हवेली मे भेज दे कल से वो यहां काम करेगी तो तेरा कर्ज भी कम होगा और मैं तुझे रोज दारू का एक बोतल भी दुगा।
ये सुन हरखू कि आँखो मे चमक आ गई वैसे तो हरखू अच्छे से जनता था की ठाकुर उसकी बीवी और दोनो बेटियों को हवेली में काम करने के लिए क्यो बुला रहा क्योकी ठाकुर पुरे गांव मे इसके लिए बदनाम हैं। आज तक ऐसी कोई औरत या लड़की नही जो हवेली मे आई और बिना चुदे बाहर गई हो. लेकिन एक तो कर्ज का डर ऊपर से रोज दारू मिलने का लालच। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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ठाकुर- बोल बे माधर क्या सोच रहा हैं।
हरखू- कुछ नही मालिक सोचना क्या है आप जो बोलो सो मै कल से ही ममता सविता और बबिता को काम पे भेज दुंगा।
यह सुन ठाकुर मन ही मन खुश होते हुए बोला- ठीक है हरखू कल से तीनो को काम पे भेज दे।
ये सुन हरखू ठाकुर के पैरो मे से उठा और जाने लगा।
तो ठाकुर बोला – कहा जा रहा है अपना आज का कोटा तो लेटे जा। (हरिया से) अरे ओ हरीया जा जाकर हरखू को दारू की दो बोतल और आनाज की एक बोरी और 5000 रूपय दे दे।
ये सुन हरखू खुशी से ठाकुर के पैर में गिर गया और बोला – बहुत- बहुत धन्यवाद मालिक। आप महान हो।
ठाकुर- ठीक है अब जा।
हरखू दारू कि बोतल आनाज और पैसे लेकर घर कि तरफ मस्त होके चल पड़ा। घर पहुंच कर हरखू ने देखा उसकी बीवी ममता घर के बाहर दुकान पे बैठी है। हरखू ममता के पास पहुंच कर उसके पास आनाज की बोरी रख दी।
आनाज कि बोरी देख ममता बोली- ये कहा से ले आया तु।
हरखू जेब से पैसे निकाल देते हुए बोला- मालिक ने दिया है ये सब।
ये सुन ममता बोली – तुम फिर ठाकुर साहब से कर्जा ले आए, कहा से वापस करेगा तु ये सब।
हरखू- नही नही कर्ज नही है ये मलिक ने खुश होकर दिया है ये सब।
ममता- क्यों ऐसा क्या हुआ जो ठाकुर साहब खुश होकर आनाज और इतना सारा पैसा दिया है तुझे।
हरखू- वो मालिक ने आज पैसे वापस करने के लिए बोला तो मै उनके पैरो मे गिर गया और बोला कि मै कहा से पैसे वापस करू। तो मालिक ने बोला एक काम कर तु अपनी बीवी और दोनो बेटीयो को मेरे पास काम करने भेज दे बदले मे धीरे धीरे कर्ज भी खत्म हो जाएगा और तेरे घर का हाल भी कुछ सुधर जाएगा।
ये सुन ममता सारा माजरा समझ गई क्योकि ऐसे ही ठाकुर ने ममता कि पड़ोसन गीता और उसकी बहु अलका को कर्ज के बदले काम करने को हवेली बुलाया था और दोनो को एक साथ खुब चोदता था। एक बार तो खेत मे जाते हुए ममता ने छुप के ठाकुर को गीता और अलका को चोदते देखा था।
उनकी चुदाई देख ममता का भी बुर पनीया गई थी। ममता का भी मन ठाकुर से चुदवाने को करता था लेकिन उसे अपने बेटियो कि चिन्ता थी। ममता अच्छे से जानती हैं कि एक बार उसकी बेटिया हवेली चली गई तो ठाकुर उन्हे भी नही छोड़ेगा। लेकिन ममता के पास और कोई उपाय भी नही था क्योंकी उसके घर की माली हालत बहुत खराब थी.
पति पूरे समय दारू के नशे मे रहता था दोनो बेटो का भी वही हाल था दोनो पूरे दिन ठाकुर के खेत मे काम करते थे और शाम को सारा पैसा दारू मे बर्बाद कर देते है एक छोटी सी दुकान थी वो भी भगवान भरोसे चलता है। अभी तक हरखू और ममता का घर ठाकुर के पैसो से चलता है।
इसलिए ममता फैसला करती है कि अब जो होगा सो होगा कल से वो और उसकी बेटीया सविता और बबिता ठाकुर के हवेली जाएगी काम करने। इतना सोचते ही ममता का बुर ठाकुर के साथ चुदाई का सोच के ही पनीया गई। इधर हरखू ममता को काफी देर चुप देख बोलता है- क्या सोच रही है ममता।
ममता- कुछ नही।
हरखू- कल से जाएगी ना हवेली।
ममता- हा जाना तो पड़ेगा।
हरखू- ठीक है।
ये बोल हरखू वहा से चला जाता है दारू पीने।
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ममता भी दुकान से उठ कर घर के अंदर चली जाती है और अपनी दोनो बेटियो को आवाज देती है – सविता अरे ओ सविता कहा है .
सविता कमरे से निकल कर बोलती है – हा माँ बोलो.
ममता – बबिता कहा है.
सविता – छत पे है माँ.
ममता – बुलाव उसे.
सविता कुछ देर मे बबिता को बुला कर ममता के पास ले आती है.
ममता – देखो कल से मै और तुम दोनो हवेली मे काम करने जाए।
ये सुन सविता और बबिता सोच मे पर जाती है. (सविता और बबिता बिल्कुल अपनी मां पर गई थी गोरा बदन गठिला शरीर सविता कि उम्र 20 कि थी गोरा रंग लम्बे बाल गहरी आँखे गुलाबी होंठ सुराहीदार गर्दन 32 के चुचे पतली कमर 32 के गांड। कुल मिलाकर एक बेहद ही सुंदर लड़की। वैसे ही बबिता कि उम्र 18 की थी थोड़ी मोटी गोरा बदन बिल्कुल अपनी मां और बहन कि तरह मस्त माल।)
ममता- क्या सोच रही हो तुम दोनो।
सविता- कुछ नही मां बस थोड़ी चिन्ता हो रही है.
ममता – चिन्ता मत करो बेटी बस कल जब हवेली जाव तो ठाकुर साहब जो भी कहे वो करना उनकी कोई भी बात को मना मत करना।
ऐसे ही दिन बीत गई। अगले दिन सुबह ठाकुर अपने आराम कुर्सी पर बैठा चाय पी रहा था तभी हवेली के गेट से ममता और उसकी बेटिया सविता और बबिता अंदर आती दिखी ये देख ठाकुर की आँखे खुशी से चमक उठी। साथ मे ठाकुर का 9″ लम्बा और 2″ मोटा लंड झटका मारता है।
ममता ठाकुर के पास आकर – प्रणाम मालिक।
ठाकुर एक नजर ममता और उसकी बेटियो को देखता है। ममता लाल रंग के साड़ी मे एक दम कमाल लग रही थी वही उसकी बेटी सविता पीली सलवार कमीज मे और बबिता हरी फ्राक मे अपनी मां को भी खुबसूरती मे पीछे छोड़ रही थी।
ठाकुर- कैसी है ममता (ममता के पुरे बदन को घुरते हुए) तु तो आज कमाल लग रही है और तेरी बेटीया भी अब बड़ी हो गई है।
ममता – सब आपकी मेहरबानी है मालिक। (सविता-बबिता से) ठाकुर साहब को प्रणाम करो बेटी।
सविता-बबिता- प्रणाम मलिक।
ठाकुर (अपनी चाय की प्याली पास के टेबल पर रखते हुए) खुश रहो बेटा। इधर आव मेरे पास।
ये सुन सविता-बबिता अपन मां के तरफ देखती है ममता इशारो मे उन दोनो को जाने को बोलती है। सविता बबिता ठाकुर के पास जाती हैं तो ठाकुर बबिता को खिंच कर अपनी गोद मे बैठा लिया जिससे बबिता सिधा ठाकुर के लंड पे बैठ गई और बोला- देखू तो मै भी जरा मेरी बेटीया कितनी बड़ी हो गई है।
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ये बोल सविता को अपने बगल मे खड़ा कर उसके सलवार के ऊपर से 32 के गांड पर हाथ रख सहलाने लगा। बबिता सविता से छोटी थी लेकिन वो सविता से थोड़ी मोटी थी और बबिता के चुचे 34 के थे और गांड भी सविता से बड़े 34 के थे। ठाकुर सविता की पूरे गांड को खुब मजे मे सहला रहा था।
जिसके कारण ठाकुर का 9″ का लंड पूरा खड़ा हो गया और बबिता के गांड मे चुभ रहा था। कुछ देर तक सविता के गांड को सहलाने के बाद ठाकुर ने अपना दुसरा हाथ सविता के पेट पर रख दिए और दुसरे हाथ से सविता के गांड के दरार मे डाल कर उसके गांड के छेद को सलवार और पैन्टि के ऊपर से कुरेदने लगा।
ठाकुर के ऐसा करते ही सविता का पुरा शरीर सिहर गया और चेहरा लाल हो गया था। सविता के जवान बदन पर पहली बार किसी मर्द का हाथ परा था और वो भी उसके नाजुक अंग पे जिसके कारण सविता कि कुवारी बुर से पहली बार पानी टपकने लगा। और सविता का पैर कापने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कुछ देर तक ठाकुर सविता कि गांड के छेद को अपनी उंगली से सहलाने के बाद ठाकुर सविता को छोड़कर अपनी उंगलिया को अपने नाक के पास लाकर सुघा। ठाकुर के उंगली से सविता के गांड का महक आ रहा था जिसके कारण ठाकुर को और जोश आ गया। और उसका लंड जोर जोर से बबिता के गांड पे झटके मारने लगा।
ठाकुर पुरी तरह से जोश मे आकर बबिता को जो ठाकुर के गोद मे बैठी थी उसे जोर से अपने सीने से चिपका लिया और जोर से अपना लंड बबिता के गांड मे रगड़ने लगा और जोर से बबिता के गाल पर एक किस किया और बोला- वाह ममता तेरी दोनो बेटीया तो पुरी तरह से जवान हो गई है। अब तुम चिन्ता न कर तेरे और तेरे परिवार कि पूरी जिम्मेवारी मेरी।
ये बोल कर ठाकुर अपनी जीभ निकाल कर बबिता की गालो को कुते कि तरह चाटने लगा। बबिता का भी हाल खराब हो गयी थी। बबिता अभी अभी जवानी कि दहलीज पे कदम रखी थी। और ठाकुर का लंड अपनी गांड पर महसुस कर करके बबिता का बुर बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी।
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इधर ठाकुर ममता के सामने ही बबिता के गाल आंख नाक और हाथ को बुरी तरह से चाट रहा था। और अपना लंड बबिता के गांड मे रगड़ रहा था। कभी देर तक ठाकुर बबिता के चेहरे को चाटने के बाद छोड़ा। बबिता बुरी तरह से हाफ रही थी जिसके कारण बबिता कि चुचीया ऊपर नीचे हो रही थी जिसे ठाकुर ललचायी नजरो से घुर रह था। फिर पता नही क्या सोच कर बबिता को अपनी गोद से उठा दिया।
और बोला (सविता-बबिता से बोला) तुम दोनो थक गइ होगी जाव जा कर थोड़ा आराम कर लो।
बबिता के ठाकुर के गोद से उठने के कारण ठाकुर का लंड धोती मे बड़ा सा तंबू बन गया था। ठाकुर सविता और बबिता के नाजुक बदन से खेल कर बुरी तरह से जोश मे था जिसके कारण ठाकुर का लंड जोर जोर से झटके मार रहा था। इधर ममता सामने खड़ी ठाकुर के लंड को धोती के ऊपर से घुरे जा रही थी।
ये देख कर ठाकुर मुस्कुराते हुए बोला – अरे ओ ममता कहा खो गई।
ममता – (हड़बड़ाहट मे) कही नही मालिक।
ठाकुर- हरिया अरे ओ हरिया.
हरिया दौड़ कर आते हुए – जी मालिक।
ठाकुर- सविता और बबिता को अंदर ले जा कुछ खिला पिला। ममता तु भी जा हरिया के साथ और तौलिया साबुन ले आए मै नहा लेता हुए.
ये सुन हरिया सविता और बबिता को अंदर चला गया साथ मे ममता भी चली गई। ठाकुर अपनी आरामकुर्सी से उठा और बगीचे मे बनी नल के पास जाकर बैठ गया।
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