BBC Fuck Desi Wife
हेल्लो फ्रेंड्स, मैं आपका दोस्त शौकत हूँ, दोस्तों आपको मैं अपनी माँ की चुदाई की कहानी का पहला भाग भेजा था, जो हमारी वासना पर चुदासी माँ मकान मालिक साथ सोने लगी 1 के नाम से है, जिसमे आपने पढ़ा था कि मेरी चुदासी माँ को मेरे मकान मालिक ने पटा लिया था और उसे अपने बिस्तर तक ले गया. अब आगे – BBC Fuck Desi Wife
माँ बाथरूम की तरफ चल दी. विजय पूरा नंगा बिस्तर पर आकर लेट गया. विजय ने डिगई-कॅम टेबल पर रख दिया और उसका फोकस अड्जस्ट किया ताकि पूरा कमरा उसके डिगई-कॅम के फोकस में आ जाए. माँ अपना मुँह साफ करके बाहर आई. उसके बाल खुले थे, और अभी भी थोड़े गीले थे.
जब वो बाहर आई और बिस्तर की तरफ़ जा रही थी, तो उसने अपने दोनों हाथ अपने बालों में फिराए. एकदम मस्त लग रही थी इस वक़्त वो. उपर से नंगी, नीचे सिर्क एक लाल पेटीकोट, आँखों में काजल, गले में हिंदू मंगलसूत्र, और बाहों में लाल चूड़ियाँ. उसका मंगलसूत्र उसके दूधों के बीच पड़ा था.
जब वो अपनी बाहें उठा के अपने बाल सहला रही थी तो उसके आर्म्पाइट्स दिखाई दिए, एक भी बाल नही था वहाँ, और क्या गोरे आर्म्पाइट्स थे उसके. माँ विजय की बगल में आकर लेट गयी. विजय टांगे फैलाए नंगा लेटा हुआ था. उसका लंड थोड़ा मुरझा गया था, पर अब भी वो कम से कम 6 इंच लंबा था.
माँ ने अपना सर विजय की छाती पर रखा और एक हाथ से उसकी छाती और निपल्स को सहलाने लगी. बीच बीच में अपने होठों और जीभ से विजय की छाती और निपल्स को चाटती. फिर अपने हाथ से हल्के हल्के उसके लंड को सहलाना शुरू किया.
फिर माँ उठी और पूरी तरह विजय के उपर लेट गई, और धीरे से विजय के होठों को अपने होठों से चूमा. दोनों ने एक दूसरे के हाथों को कस के पकड़ लिया. फिर से उनका ज़बरदस्त किस शुरू हो गया. वो अपनी कमर हिला रही थी धीरे धीरे, विजय के लंड को अपनी चूत पर रगड़ रही थी, पेटीकोट के उपर से ही.
क्या मादक नज़ारा था, मेरी माँ आधी नंगी लेटी हुई थी एक नंगे मर्द के उपर, और पूरे ज़ोर से उस मर्द के होठों को चूस रही थी. 5 मिनिट तक दोनों ने ज़बदस्त स्मूच किया. फिर विजय ने माँ को अपने उपर से हटाया और उठ के बैठ गया. फिर उसने माँ को अपने उपर लेटाया, माँ की पीठ विजय के छाती पर थी, और उसका सर विजय के कंधे और सर के बीच था.
विजय ने दोनों हाथों से माँ के उभारों को अपने मज़बूत हाथों में लेकर दबाना शुरू किया. माँ सिसकियाँ लेने लगी, “आइईईईई….और ज़ोर से दबा, कितने सख़्त मर्दाना हाथ हैं तेरे. इन पर अब सिर्फ़ तेरा हक़ है. निकाल दे जितना दूध हैं इनमें और पी ले उस दूध को.”
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विजय अब माँ की निपल्स को भी ज़ोर ज़ोर से भींच रहा था. 4-5 मिनिट तक माँ के दूध रगड़ने के बाद विजय ने एक हाथ उसके पेटीकोट के अंदर डाल दिया. विजय अब माँ की चूत में उंगली करने लगा. माँ ऐसे छटपटाने लगी जैसे एक मछली छटपटाती है पानी के बिना.
विजय एक हाथ से माँ के दूध कस के दबा रहा था और दूसरे हाथ से माँ की चूत में ज़ोर ज़ोर से उंगली कर रहा था. बीच बीच में विजय माँ की चुचियों को अपनी उंगलियों में लेकर खींच रहा था. माँ बहुत गर्म हो गयी थी अब, वो अपने होंठ अपने दाँतों में भींच रही थी.
माँ की सिसकियों से पूरा कमरा गूँज रहा था. माँ ने अपना एक हाथ विजय के उस हाथ पर रखा जिससे वो उसकी चूत दबा रहा था और उसके हाथ को दबाया ताकि विजय और ज़ोर से उसकी चूत में उंगली करे. फिर माँ ने खुद अपने हाथ से अपने पेटीकोट का नाडा खोला ताकि विजय को उंगली करने में दिक्कत ना हो.
दूसरा हाथ माँ ने विजय के सर के पीछे रखा और उसके सर को अपनी तरफ़ घुमाया. फिर माँ ने अपना सर घुमाया और अपनी जीभ निकाल के विजय के होंठ चाटने लगी. वो विजय के सर को अपने हाथ से अपनी ओर खींच रही थी और पूरे तगड़े तरीके से विजय के होठों को चाट रही थी.
विजय ने भी माँ की जीभ को अपने मुँह मे लेके चूसना शुरू किया. अपनी माँ को ऐसी आधी नंगी अवस्था में एक नंगे मर्द को ऐसे चूमते देख मैंने भी अपना लंड हिलाना शुरू कर किया. विजय अब बहुत तेज़ी से माँ की चूत में उंगली कर रहा था. 5 मिनिट बाद वो रुका, और अपना हाथ माँ के पेटीकोट से निकाला.
उसकी उंगलियाँ माँ के चूत की मलाई से भीगी हुई थी, विजय ने अपनी उंगलियाँ अपने मुँह में लेके चाटी, और फिर माँ को चटाई. विजय बोला, “तेरा दूध जितना मीठा है, तेरी चूत उतनी ही नमकीन है, मज़ा आ गया.” और फिर से विजय और माँ ने एक तगड़ा किस किया.
अब विजय ने माँ को लेटा दिया और ख़ुद उठ के माँ की टाँगों के पास आ गया. उसने माँ के पेटीकोट निकाल दिया. माँ ने नीचे काले रंग की लेस पैंटी पहनी हुई थी. विजय ने माँ के पैंटी भी निकाल दी. माँ ने खुद अपने चूतड़ उठा कर विजय को अपनी पैंटी निकालने में मदद की.
अब माँ पूरी तरह नंगी हो गयी थी. पहली बार मेरी माँ एक ग़ैर मर्द के आगे नंगी हुई थी, और ये ग़ैर मर्द एक 42 साल का गोरा, मूछों वाला और लंबी दाढ़ी वाला एक मर्द था. विजय माँ की टाँगों के बीच लेट गया. माँ ने भी अपनी टाँगें फैला के विजय को अपनी गोरी चिकनी चूत के दर्शन कराए.
एक महीना में ही मेरी माँ ने अपनी टाँगें फैला दी मकान मालिक के आगे. विजय जीभ निकाल के माँ की चूत को चाटने लगा. जैसे एक कुत्ता एक कुतिया की चूत चाट कर उस कुतिया को गर्म कर देता है, वैसे ही विजय माँ की चूत चाट कर उसको गर्म कर रहा था. विजय पूरे ज़ोरों से माँ की चूत के दाने को अपनी जीभ से रगड़ रहा था.
माँ तो जैसे जन्नत में पहुँच गयी थी, वो पूरे ज़ोर से सिसकियाँ के रही थी, वो भूल गयी थी की उसका 12 बरस का बेटा उपर सो रहा है, अब बस वो विजय के साथ सेक्स में पागल हो गयी थी. माँ के दोनों हाथ विजय के सर पर थे और वो ज़ोर से उसके सर को अपनी चूत की तरफ़ धकेल रही थी, और विजय को और ज़ोर से अपनी चूत चाटने का इशारा कर रही थी.
माँ नीचे से अपने चूतड़ भी उपर को उठा रही थी. “हे भगवान, क्या कर रहा है विजय तू मेरी चूत के साथ, रुक मत अब, खा जा मेरे दाने को तू, और ज़ोर से……और ज़ोर से…. आइईईईई…. हिस्स्स्स्स्सस्स” वो अपने दाँतों से अपने होठों को भींच रही थी, कभी कभी अपने एक हाथ से अपने दूध और निपल्स भी दबाती.
माँ ने अपनी दोनों टाँगों से विजय के सर को कसा हुआ था. आख़िर 10 मिनिट बाद माँ ने अपनी चूत की मलाई विजय के मुँह में छोड़ दी और वो वहीं निढाल हो के लेट गयी. विजय उठा, उसका मुँह माँ की चूत की मलाई से भीगा हुआ था. वो माँ की पूरी मलाई को निगल गया.
फिर वो माँ की बगल में लेट गया. दोनों एक दूसरे से लिपट गये. मेरी माँ पूरी तरह नंगी एक नंगे हिंदू मर्द के साथ लिपटी हुई थी उसके बिस्तर पर. दोनों एक दूसरे की नंगी कमर को अपने हाथों से हल्के हल्के सहला रहे थे. दोनों की आँख लग गयी. 10 मिनिट बाद विजय उठा. वो बाथरूम में गया.
जब वो बाहर आया तो मैने देखा उसका 10” का लोड़ा अभी भी पूरी तरह अकड़ा हुआ था. हो भी कैसे ना, एक बेहद ख़ूबसूरत और गदराए बदन वाली औरत उसके सामने नंगी लेटी हुई थी, सिर्फ़ अपना मंगलसूत्र और चूड़ियाँ पहने. ऐसे में मिठाई खाने वाले एक का कसा हुआ लंड कैसे शांत रह सकता था.
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विजय के उठने से माँ की आँख भी खुल गयी. उसने विजय को बाथरूम से बिस्तर की तरफ आते देखा, जब उसने उसका 10” लंबा कसा हुआ लंड अकड़ा देखा तो वो मुस्कुराई. विजय बिस्तर की बगल में आकर खड़ा हो गया. विजय के बिना कुछ कहे ही माँ अपने आप विजय के सामने आकर लेट गयी, और अपने दोनों हाथों से उसके लंड को सहलाने लगी और उसके सुपाड़े को अपनी जीभ से चाटने लगी.
मेरी माँ दीवानी हो गयी थी उस विजय के 10” लंबे कसे हुए लंड की. 5 मिनिट तक माँ ऐसे ही बिस्तर पर लेटे हुए विजय के लंड को चूसती रही. फिर विजय ने कुछ ऐसा किया जिससे मैं चौंक गया. विजय ने अपने दोनों हाथ माँ के आर्म्पाइट्स के नीचे डाले, और एक झटके से माँ को अपनी बाहों में उठा लिया.
विजय में बहुत ताक़त थी, मेरी 60 किलो की माँ को उसने ऐसे उठाया अपनी मज़बूत बाहों में जैसे कोई 7 साल की एक छोटी बच्ची को उठाता है. उसने दोनों हाथ माँ की मांसल जांघों के नीचे डाले और उसे अपने मर्दाना जिस्म से चिपका लिया.
माँ ने अपनी टाँगों को विजय की कमर के गिर्द लपेट लिया, और अपनी बाहें उसके गले के. और उनका ज़बरदस्त किस शुरू हो गया. मैं अब बहुत उत्तेजित हो गया था, मेरी शादीशुदा माँ को एक मूछ वाले ने अपनी मज़बूत बाहों में उठाया हुआ था और वो पूरी नंगी उस नंगे हिंदू मर्द से लिपटी हुई थी.
मेरी माँ के गोरे दूध, विजय के बालों वाली छाती से चिपके हुए थे, और मेरी माँ पूरी तबीयत से उस के होठों को अपने लाल लाल होठों में लेकर चूस रही थी. 5 मिनिट तक दोनों ने ऐसे ही ज़बरदस्त तरीके से एक दूसरे के होंठ और जीभ चाटे.
फिर विजय ने माँ को नीचे रखा और अब वो दोनों बिस्तर के बगल में नंगे एक दूसरे से लिपटे खड़े थे. माँ ने झट से विजय के कसे हुए अकड़े लंड को अपने हाथ में कस के पकड़ किया और उस पर अपना मेहन्दी लगा हाथ रगड़ने लगी. उनके होंठ अभी भी चिपके हुए थे.
उसकी चूड़ियों की ख़न- ख़न की आवाज़ और उसकी मादक सिसकियाँ बहुत मधुर लग रहीं थी. फिर माँ ने किस तोड़ा और विजय के लंड की तरफ़ देखा. माँ ने अपनी एडियाँ उठाईं और विजय के लंड का सुपाड़ा अपनी चूत पर रगड़ा. पहली बार एक लंड का सुपाड़ा मेरी माँ की चूत को छुआ था, और इतने में ही माँ का पूरा बदन सिहर उठा.
उसने बहुत ज़ोर से सिसकी ली, ऐसे जैसे किसी ने गरम लोहा उसके बदन से छुआ दिया हो. वो ऐसे ही विजय के लंड के सुपाड़े को अपनी चूत पर रगड़ती रही. फिर विजय ने अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ा और माँ की चूत पर ज़ोर से रगड़ा, विजय ने अपनी टाँगें थोड़ी मोड़ीं और झुक के अपने कूल्हे से आगे की ओर एक झटका मारा.
उसके लंड का चौड़ा सुपाड़ा माँ की चूत को भेदता हुआ ऐसे अंदर घुसा जैसे गर्म छुरी मक्खन के अंदर घुसती है. माँ की हल्की चीख निकल गयी. पर विजय ने झुक के उसके होंठों को अपने होठों में भर लिया, और उसकी चीख बीच में ही दबा दी. एक और ज़ोर के झटके से विजय का लंड लगभग पूरा मेरी माँ की चूत में घुस गया.
एक मुस्लिम परिवार की औरत के बदन के साथ गाय की मिठाई खाने वाला एक पहलवान हिंदू मर्द खिलवाड़ कर रहा था, और उसकी चूत में अपना लोड़ा रगड़ रहा था. पर सच तो ये था, मेरी माँ ने ख़ुद सब मान मर्यादा भुला के उस मर्द से शारीरिक रिश्ता बनाया था, और वो खुद चल के आई थी इस हिंदू मर्द के बिस्तर में उसके साथ सेक्स करने.
विजय अब ज़ोर ज़ोर से धक्के दे रहा था, माँ का पूरा बदन हिल रहा था, और उसने विजय को कस कर पकड़ा हुआ था. माँ अपने गोरे मखमली बदन को विजय के बालों वाले काले गठीले बदन पर रगड़ रही थी. 10 मिनिट तक माँ और विजय ऐसे ही बिस्तर के पास खड़े खड़े प्यार करते रहे.
विजय ज़ोर ज़ोर से धक्के दे रहा था, माँ मदहोश होकर विजय के होठों को चूमे जा रही थी. माँ के हाथ विजय के चूतड़ों पर थे, और वो आवने नाख़ून उसके चूतड़ों में घुसा रही थी जैसे इशारा कर रही हो की और ज़ोर से धक्के मार अपने लंड से मेरी चूत में. बहुत ही गर्म सेक्स हो रहा था मेरी माँ और उस मर्द के बीच.
फिर विजय बिस्तर पर बैठ गया, माँ उसकी तरफ बढ़ी और इसकी गोद में बैठ गयी. और अपने हाथ से विजय का लोड़ा पकड़ के एक बार फिर अपनी चूत में घुसाया. अब माँ अपने कूल्हे हिला हिला कर अपनी चूत को विजय के लंड पर रगड़ने लगी.
माँ और विजय के बदन चिपके हुए थे, विजय ने माँ को अपनी मज़बूत बाहों में जकड़ा हुआ था, माँ के गोरे दूध विजय की बालों वाली छाती में घुसे होने के कारण बाहर के तरफ़ फैले हुए थे. और माँ और विजय फिर से तगड़े किस करने में लगे हुए थे.
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अपनी माँ को एक गैर मर्द की गोद में पूरी नंगी बैठी देख और अपनी माँ का एक पहलवान मर्द के साथ ऐसा गर्मा-गर्म सेक्स करता देख मेरा भी बुरा हाल हो रहा था. फिर विजय लेट गया और माँ उसके उपर लेट गयी. विजय नीचे से अपने चूतड़ हिला के धक्के दे रहा था, और माँ उपर से अपने चूतड़ हिला हिला के विजय के लंड पर नाच रही थी.
विजय पलटा और अब माँ उसके नीचे थी, और वो माँ के उपर. वो एक बार फिर पलटे और फिर से माँ विजय के उपर आ गयी. वो दोनों बिस्तर पर लोट-पोट हो रहे थे. कुछ देर ऐसे ही लोट-पोट होने के बाद विजय माँ के उपर आ गया.
अब वो जैसे पागल हो गया था, वो पूरे ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे आज माँ की चूत को फाड़ ही डालेगा. माँ भी कस के विजय से लिपटी हुई थी, और अपने हाथों से विजय के चूतड़ दबा रही थी. पिछले 40 मिनिट से विजय का लोड़ा माँ की चूत को रगड़ रहा था.
माँ और विजय के बदन पसीने से भीग गये थे. ऐसा लग रहा था जैसे दोनों नहा के आए हों, इतने चमक रहे थे उनके बदन पसीने से. बहुत ही गर्म सेक्स हो रहा था मेरी माँ और उस हिंदू मर्द विजय के बीच. 40 मिनिट तक माँ और विजय ने जानवरों की तरह सेक्स किया.
फिर विजय ने अपना वीर्य माँ की बच्चेदानी में गिरा दिया. माँ की कोख में पहली बार एक हिंदू का वीर्य गया था. 2 मिनिट तक विजय का लंड माँ के हिंदू गर्भाशय में अपना वीर्य बोता रहा. मेरी माँ उस मर्द के साथ सेक्स करने में इतनी बेधड़क हो गयी थी की उसने उस मर्द को कॉंडम पहनने के लिए भी नही कहा.
मैने सोचा शायद अब उसके गर्भ में एक बच्चा पले, पर मेरी माँ को कोई परवाह नहीं थी, वो मदहोश थी उस मर्द के साथ सेक्स करने में. मैं सोच भी नहीं सकता था की 40 की उम्र में भी मेरी माँ अपने पति को भुला कर एक हिंदू के साथ इतना गरमा-गर्म सेक्स कर सकती है.
माँ की कोख में अपना वीर्य बोने के बाद 2 मिनिट तक विजय माँ के उपर ही लेटा रहा. माँ हल्के हल्के अपने हाथों से विजय के बालों वाली पीठ को सहला रही थी. फिर विजय माँ के उपर से हटा और उसकी बगल में लेट गया.
दोनों बुरी तरह हाँफ रहे थे, और दोनों के बदन पसीने से भीगे हुए चमक रहे थे. माँ की योनि में विजय का गाढ़ा वीर्य पड़ा हुआ था. थोड़ा सा निकल कर माँ के जांघों पर भी बह गया था. विजय का लोड़ा उसके और माँ की योनि की मलाई से चमक रहा था. हाँफते हाँफते विजय और माँ बातें करने लगे.
विजय, “कैसा लगा मेरी रांड़, इस बंदे का सेक्स?”
माँ, “आज पहली बार औरत होने का एहसास हुआ है. आज पता चला कैसे होता है असली सेक्स और कितना मज़ा आता है सेक्स करने में.”
विजय, “तेरे पति के साथ सेक्स नही करती थी तू?”
माँ, “हाँ करती थी, पर महीने में 1-2 बार. उसे सेक्स करने में शर्म आती थी, वो सेक्स को ग़लत मानता था.”
विजय, “तो अब मेरे साथ और सेक्स करेगी?”
माँ, “अब तो मैं तेरे सेक्स के बिना पागल हो जाऊंगी, अब तो मुझे हमेशा चाहिए तेरा सेक्स.”
विजय, “तू तो मुस्लिम औरत है, एक हिंदू बंदे के साथ बार-बार सेक्स करेगी?”
माँ, “अब एक बार कर लिया तो फ़िर कैसे परहेज़? अब तो कोई परवाह नही, अब तो हज़ार बार तेरे कसे हुए लंड को चूत में डालूंगी. रोक सको तो रोक लो!”
ऐसा कहते हुए माँ ने विजय के होठों को हल्के से चूमा और उसके साथ लिपट गयी. विजय ने माँ को अपनी बाहों में ले लिया. मेरी माँ भी नंगी ही उस नंगे मर्द की बाहों में बाहें डाले और टाँगों में टाँगें डाले लिपट कर सो गयी. मैं कभी सपने में भी नही सोचा था की ऐसा दृश्य देखूँगा.
इस इलाक़े में आने के बाद एक महीने में ही मेरी माँ का रूप बदल गया था. आज मेरी माँ पूरी नंगी लेटी हुई थी, एक गैर मर्द की बाहों में. ये हिंदू मर्द एक पहलवान था और क्या गर्म सेक्स किया था मेरी हिंदू माँ ने उस मर्द के साथ. कितनी तबीयत से उसने उस मर्द के होठों और लंड को चूसा था.
और अब कैसे मदहोश हो के उस मर्द की बाहों में नंगी सो रही थी. किसी की परवाह नहीं थी उसको, जैसे अब उसकी ज़िंदगी का एक ही मक़सद था, उस मर्द के साथ सेक्स करना. इन सब ख्यालों में खोए हुए, और अपनी माँ को एक हिंदू मर्द की बाहों में नंगी लेटे देख मैं भी ज़ोर ज़ोर से अपना 5” का लोड़ा रगड़ रहा था, और अपना पानी छोड़ दिया.
रात के 3 बज चुके थे. पिछले 5 घंटों में मेरी माँ ने उस हिंदू मर्द के साथ बिना रुके लगातार सेक्स किया था. मैं भी वहीं टेरेस पर ही सो गया. 6:30 बजे मेरी आँख खुली. माँ और विजय अभी भी नंगे ही एक दूसरे से लिपटे सोए हुए थे. अपनी माँ को एक हिंदू मर्द के साथ नंगी देख मेरा फ़िर से खड़ा हो गया, पर अब मुठ मारने का समय नहीं था.
मैं झाँक ही रहा था की अंदर माँ भी नींद से जागी. वो बिस्तर से उठी और ज़मीन पर पड़े अपने कपड़े उठाए, ब्लॅक ब्रा, पैंटी, पेटीकोट ब्लाउस और साड़ी. उसने बस अपने बदन पर अपनी ट्रॅन्स्परेंट साड़ी लपेटी और कमरे से बाहर निकल गयी. विजय अभी भी पूरी नंगा अपने बिस्तर पर सो रहा था.
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मैं फटाफट भाग के अपने कमरे में आ गया और अपने बिस्तर पर लेट गया. माँ उपर आई और मेरे कमरे में झाँका. मैने सोने का नाटक किया. उसने मेरे कमरे का दरवाज़ा खोला और नहाने चली गयी. मैं भी 7 बजे उठ के नहा धो कर स्कूल चला गया.
पर स्कूल में पूरे वक़्त मेरी आँखों के आगे मेरी माँ और उस मर्द के बीच रात भर हुए गर्म सेक्स के दृश्य घूमते रहे. मेरा मन कर रहा था फ़िर से अपनी माँ को उस विजय की बाहों में नंगी देखने का. मेरा बस चलता तो स्कूल में ही माँ और विजय के सेक्स के बारे में सोच कर मुठ मार लेता.
शनिवार का दिन होने के कारण 12 बजे ही छुट्टी हो गयी. घर आते ही मैने रात के दृश्यों के बारे में सोचा, कैसे मेरी माँ उस विजय की बाहों में नंगी हो कर पूरी रात उसके साथ सेक्स करती रही, यही सोच सोच मैने ज़ोर ज़ोर से दो बार मुठ मारी.
शनिवार होने के कारण माँ भी बॅंक से जल्दी वापिस आ गयी. आते ही अपने कमरे में सोने के लिए चली गयी. मुझे पता था, कल रात वो ठीक से नही सोई थी, वो विजय रगड़ रगड़ के चोद जो रहा था उसकी चूत को रात भर. शाम 6 बजे वो अपने कमरे से निकली और रसोई में खाना बनाने लगी.
रात का खाना खाने के बाद मैने कल रात की ही तरह दूध खिड़की से बाहर गिरा दिया. कल रात की ही तरह आज भी माँ मेरे कमरे को बाहर से बंद करके नहाने चली गयी. फिर से नहा धो कर नयी साड़ी पहनी, आज साड़ी भगवे रंग की थी, जैसी कोई हिंदू साध्वी पहनती हैं.
इसका ब्लाउज भी बेहद छोटा स्लीव्ले और बॅकलेस था. और आज फिर मेरी माँ सजी थी एक नयी नवेली हिंदू दुल्हन की तरह अपनी सुहाग रात मनाने के लिए एक पहलवान हिंदू के साथ. कितनी खूबसूरत थी मेरी माँ, और उसके इस खूबसूरत बदन का मज़ा उसका पति नहीं बल्कि एक पहलवान हिंदू मर्द लूट लूट के ले रहा था.
विजय भी कुर्ते पाजामे में अपनी प्रेमिका का इंतज़ार कर रहा था. जैसे ही माँ विजय के कमरे में घुसी, दोनों एक दूसरे से लिपट गये, और फिर पागलों की तरह एक दूसरे के होठों को चूसने लगे. मैं भी कल की तरह रोशनदान से सब देख रहा था और बहुत उत्तेजित था, कि आज फिर अपनी माँ का एक हिंदू मर्द के साथ गरमा-गर्म सेक्स देख पाऊँगा.
और वही हो रहा था, क्या गर्म सेक्स चल रहा था माँ और विजय के बीच. कल की तरह आज भी माँ ने विजय को पूरा नंगा करके उसका 10” लंबा लोड़ा अपने मुँह में लेकर चूसा, और विजय ने अपना गाढ़ा वीर्य माँ की सिंदूर से भरी माँग में छोड़ा.
फिर विजय ने माँ को पूरी नंगी करके उसकी चूत को चाटा और उसकी चूत के दाने के साथ खिलवाड़ किया, फिर माँ ने अपनी चूत का पानी विजय के मुँह में छोड़ दिया. फिर दोनों नहाने चले गये. विजय ने शवर ओंन किया और माँ उसके नंगे मर्दाना शरीर से लिपट गयी और अपने गोरे मखमली नंगे बदन को विजय के काले बालों वाले गठीले बदन के साथ रगड़ने लगी.
दोनों पानी में भीगे हुए थे, और एक दुसरे के मुंह में मुंह डाले ज़बरदस्त किस कर रहे थे. माँ के लम्बे बाल पूरी तरह भीगे हुए उसकी कमर के साथ चिपक गए थे. माँ ने अपनी एक टांग उठाई और विजय के कमर के गिर्द लपेट ली.
विजय थोड़ा झुका और अपने लोड़े को माँ की चूत में घुसा दिया. और ऐसे खड़े खड़े ही मेरी माँ और वह हिंदू मर्द एक दुसरे के साथ गरमा-गर्म सेक्स करने लगे. 10 मिनट तक ऐसे ही उसका सेक्स चलता रहा. पानी से भीगे उसके बदन चमक रहे थे.
फिर विजय नीचे फर्श पर लेट गया, और माँ वहीँ शवर के पानी के नीचे उसका 10” लम्बा लोड़ा चूसने लगी. 3-4 मिनट तक माँ ऐसे ही विजय का लोड़ा चूसती रही. क्या हो गया था मेरी माँ को, वो हिंदू के लोड़े को चूस रही थी. उस हिंदू के साथ सेक्स करने की इतनी हवस भरी थी मेरी माँ में वो ऐसे ही मादक तरीके से विजय का लोड़ा चूसे जा रही थी.
कुछ देर बाद विजय फ़िर से खड़ा हुआ और माँ को अपनी मज़बूत मर्दाना बाहों में उठा लिया. वो अभी भी शवर के नीचे ही थे. विजय ने अपना लोड़ा माँ कि चूत में घुसाया और उसे पेलना शुरू किया. बहुत ही मादक दृश्य था, मेरी माँ पूरी नंगी थी.
उसको एक नंगे हिंदू ने अपनी मज़बूत बाहों में उठाया हुआ था, और मेरी माँ अपने बदन को उस हिंदू के बदन से चिपकाये, उसके गले में अपनी बाहें डाले बेतहाशा उस हिंदू के होठों को चूस रही थी. 15 मिनट तक विजय ने ऐसे ही माँ को साथ खड़े खड़े शवर के पानी के नीचे गरमा-गर्म सेक्स किया.
और एक बार फ़िर माँ कि कोख़ में अपना वीर्य बो दिया. मुझे लग रहा था विजय ज़रूर माँ को अपने बच्चे कि माँ बना देगा. मैं सोच रहा था माँ इतनी बेफिक्र कैसे हो गयी थी, एक औरत होते हुए वो एक हिंदू का बच्चा अपनी कोख़ में कैसे पाल सकती थी.
वो विजय के साथ सेक्स करने कि हवस में अंधी हो गयी थी. उसे तो बस विजय के साथ सेक्स चाहिए था, उस सेक्स का नतीजा क्या होगा उसको परवाह नहीं थी इस बात की. बाथरूम में सेक्स करने के बाद माँ और विजय बहार बिस्तर पर आकर लेट गए.
माँ, “भूख़ लग रही है, कुछ खाने को है?”
विजय, “मुझे भी, पर खाने के लिए फ्रिड्ज में सिर्फ मिठाई पड़ा है. खायेगी?”
माँ, “ नहीं.”
विजय, “रात के 1 बजे तो कहीं बाहर से भी नहीं मंगा सकते.”
माँ, “चल मिठाई ही खा लेते हैं.”
विजय अपनी रसोई में गया और 2 प्लेट में मिठाई भर के ले आया. फ़िर दोनों एक साथ सोफे पर बैठ कर खाने लगे. वो लोग अभी भी नंगे ही थे. मुझे यकीन नहीं हो रहा था. रात के 1 बजे मेरी माँ पूरी नंगी बैठी थी, एक पहलवान हिंदू मर्द के साथ और उसके साथ मिल मिठाई खा रही थी.
माँ, “अम्म्म्म्म्म, बहुत स्वाद है ये तो, मुझे पता नहीं था.”
विजय ने आगे झुक कर माँ के लाल लाल होठों पर चुम्बन लिया. मिठाई खाने के बाद दोनों बिस्तर पर आ कर एक दुसरे से लिपट कर सो गए. मैं भी उनके गरमा-गर्म सेक्स को देख के मुठ मारी और सो गया. अगला दिन रविवार था. सब लोग घर पर थे.
विजय भी अपनी मिठाई की दुकान पर नहीं गया. सुबह 9 बजे उठने के बाद मैंने माँ को देखा तो थोड़ा झटका लगा. माँ ने स्लीव्ले ब्लाउज वाली ट्रॅन्स्परेंट साड़ी पहनी थी जैसी वो कोलकाता में पहनती थी. इसका एक ही कारण था, अब वो विजय के आगे अपने गदराए गोरे जिस्म की नुमाइश कर रही थी.
विजय भी केवल एक लुंगी में घूम रहा था. उसका बालों से भरा गठीला मर्दाना बदन देख के मेरी माँ गर्म हो थी. पर मेरे घर पर होने की वजह से दोनों कुछ कर नहीं पा रहे थे. फ़िर भी मौका देख कर उन दोनों ने 3-4 बार तगड़ा किस किया. पर इससे ज़्यादा वो कुछ कर न पाये.
माँ के बेताबी देख के लग रहा था वो बेसब्री से रात होने का इंतज़ार कर रही है ताकि रात होते ही अपने प्रेमी की बाहों में जा सके और उसके साथ गरमा-गर्म सेक्स कर सके. रात में फ़िर माँ ने विजय के साथ 4 बार धमाकेदार सेक्स किया ऐसे ही चलता रहा कुछ दिनों तक.
फ़िर एक दिन माँ सुबह-सुबह बोली उसकी तबियत ठीक नहीं है, वो बैंक नहीं जाएगी. मुझे शक हुआ. मैं स्कूल की तरफ निकला पर आधे रास्ते से ही वापस आ गया. और चुप के घर के अंदर घुस गया. और मेरा शक ठीक था. माँ की सेहत को कुछ नहीं हुआ था, उसको तो बस उस हिंदू का सेक्स चाहिए था.
क्या जानवरों की तरह सेक्स किया माँ और विजय ने दिन भर. रसोई में, बहार आँगन में, बाथरूम में, विजय के बिस्तर पर… पूरा दिन एक भी कपडा नहीं पहना उन्होंने. दिन भर में 6 बार सेक्स किया माँ ने विजय के साथ.
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पर अभी भी मेरी माँ की हवस शांत नहीं हुई थी क्यूंकि रात में फ़िर से माँ ने विजय के साथ 4 बार सेक्स किया. रात में सेक्स करने के बाद विजय हाँफते हुए बोला, “मैंने बहुत सुना था कि बंगाली औरतों, खासकर मुस्लिम औरतों में बड़ी गर्मी होती है सेक्स करने की, बिलकुल सच बात निकली. बड़ी गर्मी है तुझमें. आज दिन भर में ये 10वीं बार सेक्स किया है हमने. क्या मस्त होकर सेक्स करती है तू, बहुत खूब मैंने कभी सोचा नहीं था एक औरत भी इतनी मस्त होकर सेक्स कर सकती है.”
पसीने से भीगी माँ भी हांफती हुए बोली , “मैंने भी हिंदू मर्दों के बारे में जो सुना था वो ठीक निकला.”
विजय, “क्या सुना था?”
माँ, “यही कि बहुत मर्दाना ताकत होती है हिंदू मर्दों में, और सेक्स करने में उनका मुक़ाबला कोई नहीं कर सकता. क्या दम है तुझमें विजय.
आज 10वीं बार सेक्स किया तूने मेरे साथ, इतना सेक्स तो मैं अपने पति के साथ एक साल में करती थी, जितना तेरे साथ एक दिन में कर किया. सच में तेरे साथ सेक्स करने के बाद ही मुझे औरत होने का पूरा एहसास हुआ. तू जब अपनी मर्दाना बाहों में जकड़ता है या मेरे होठों को चूमता है या अपने लोड़े से मुझे पेलता है तब लगता है कि किसी असली मर्द को प्यार कर रही हूँ. अब लगता है कितना मज़ा आता है सेक्स करने में. पहले कितना दबी हुई थी मैं, बहुत झिझक होती थी, और अब उतना ही आनंद आता है.”