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चुदासी मकान मालकिन के जिस्म से खेला

दिसम्बर 24, 2022 by hamari

Bathroom Sex Fantasy

मेरा नाम राघवेन्द्र है। मैं आजमगढ़ में रहता हूँ। मेरा कद 5 फ़ीट है। मैं देखने में बहुत ही गोरा हूँ। मेरी भूरी आँखे बहुत ही अच्छी लगती है। लडकियां मेरी आँखों पर ही फ़िदा हो जाती हैं। मैं भी लड़कियों की चूंची को बहुत ही पसंद करता हूँ। लड़कियों की फूली चूंचियां मुझे बहुत ही अच्छी लगती हैं। Bathroom Sex Fantasy

मैंने अब तक कई लड़कियों का शिकार अपनी आँखों से पटा कर किया है। लडकियां भी मेरे लंड को चूसना बहुत पसंद करती हैं। लड़कियों को अपना लंड मै लॉलीपॉप की तरह चुसाता हूँ। लडकिया मेरे लंड को बड़ा मजा ले ले कर चूसती हैं। मुझे लडकियो की चूत चाटना बहुत ही अच्छा लगता है। दोस्तों मै अब अपनी कहानी पर आता हूँ।

दोस्तों मै एक मीडियम परिवार का लड़का हूँ। मेरे पापा एक किसान है। लेकिन हम लोगो के पास खेत ज्यादा है। इसी के कारण हम लोग बाहर रह कर पढ़ पाते हैं। मैंने अब तक ग्रैजुअशन कम्पलीट कर चुका हूँ। मै अब तैयारी के लिए कानपुर में रहता था।

बात उन दिनों की है जब मैं ग्रैजुएशन कम्पलीट करके आया था। मै कानपुर में आकर बैंक की तैयारी करने आया था। मै कानपुर में रूम लेकर रहता था। मेरी मकान मालकिन बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। मेरा लंड उसे देखते ही खड़ा हो जाता था।

मै छत जब भी जाता था तो मकान मालकिन की ब्रा पैंटी पर खूब मुठ मार मार कर खेलता था। मै सब कुछ सोच सोच कर देखकर रोज मुठ मारता था। मेरी मकान मालकिन का नाम ख़ुशी मिश्रा है। मैं जब भी उनकी तरफ देखता था तो मेरा मन मालकिन को चोदने को मचलने लगता था।

मै मकान मालकिन को चोदने में बहुत मजा आता अगर मालकिन की चुदाई करने का मौका मिल जाता। मै उनको चोदने की रोज रोज नई नई तरकीब सोचता रहता था। ख़ुशी जी घर पर अकेली ही रहती थी। मै उनका कोई काम भी कर देता था जो भी मुझसे कहती थी।

मकान मालकिन भी मुझे सारे लड़को में पसंद करती थी। वो अपना सारा काम मुझसे ही करवाती थी। रोज शाम को जब चाय बनाती तो मुझे पीने को बुलाती रहती थी। कभी कभी मै चाय पीने के लिए उनके रूम में जाता। तो वो मुझसे खूब ढ़ेर सारी बाते करती रहती थी।

मैं जब भी बात करता था तो मेरा लौंडा खड़ा होता चला जाता था। मकान मालकिन मेरे लौड़े की तरफ देखती रहती थी। मैं उसकी तरफ देखता तो अपना लौड़ा तकिए से ढक देता था। उसकी चिकनी चूत को चोदने में को मेरा भी मन मचलता था। मेरा लौंडा उन्हें चोदने को चोदने को बेकरार हो रहा था।

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लेकिन वो उम्र में बड़ी भी थी। ऊपर से वो मकान मालकिन भी तो थी। मैं इसी के डर से कुछ नही कहता। उनकी मटकती गांड़ को मै देखकर तुरंत ही मुठ मारने को मजबूर हो जाता था। हम दोनों लोग शाम को एक दिन बैठकर चाय पी रहे थे।

कई दिनों तक उनके पति घर नहीं आये हुए थे। उनका नाम कृष्णा है। दोनों का कुछ झगड़ा होने की वजह से दूर रहते थे। मै मकान मालकिन की चूंचियो की तरफ देख रहा था। उनकी चूंचियां उस दिन कुछ ज्यादा ही शानदार लग रही थी। उन्होंने उस दिन खूब ढेर सारा मेकअप कर रखी थी।

मैं उनकी तरफ हवस की नजरो से देख रहा था। मैं उनकी तरफ देखकर जान गया कि वो भी चुदाई की प्यासी लग रही थी। मै सब समझ गया। मकान मालकिन ने उस दिन अपने होंठो पर लिपस्टिक लगा कर लिप लाइनर भी लगाया था। उन्होंने अपने गालो को ब्लश करके लाल लाल कर लिया था। लाल लाल टमाटर जैसे गाल को देखकर मेरा चूमने का मन करने लगा।

मकान मालकिन-“क्या देख रहे हो राघवेन्द्र.”

मै -“कुछ नहीं आंटी मै तो बस आप की गालो को देख रहा था। आप कितनी गोरी हैं.”

मकान मालकिन-“तुम भी तो कुछ कम नहीं हो। मुझे तो तुम बहुत ही अच्छे लगते हो.”

मै-“अरे नहीं आँटी कहां आप और कहाँ हम.”

मकान मालकिन-“तुम्हारी तो बहुत सारी गर्लफ्रेंड होंगी.”

मैं-“नहीं आँटी मेरी कोई गर्लफ्रेंड है.”

मकान मालकिन-“क्या तुम अभी तक पूरी तरह से कुवांरे हो?”

मै-“हाँ आँटी मैंने अभी तक किसी लड़की को हाथ भी नहीं लगाया है.”

मकान मालकिन-” राघवेन्द्र तुम मेरा एक काम करोगे.”

मैं-“मैंने कभी ना तो नहीं किया है आंटी तो इसमें पूंछने वाली क्या बात है.”

मकान मालकिन-“आज रात को बताऊंगी.”

मै हर समय यही सोचता रहा की आँटी ने क्या करने को कहा होगा। उसने मुझे रात में ही क्यूँ बुलाया है। मुझे ज्यादा तो नहीं लेकिन ये बात मुझे कुछ कुछ समझ में आ रही थी। इन बातों के बारे में सोच सोच कर मै खुश होकर अपना लंड खड़ा करके मुठ मार रहा था।

मै रात होने का इंतजार कर रहा था। मकान मालकिन ने रात के 9 बजे तक नहीं बुलाया। मुझे लगने लगा की कही वो तो भूल नहीं गयी होंगी। मै उसे मन ही मन गालियां देने लगा। तभी कुछ देर बाद मकान मालकिन की बोलने की आवाज सुनाई दी। वो मुझे ही बुला रही थी। मैं मन ही मन बहुत ही खुश हो गया।

मैने उनके पास जाकर मैंने कहा-” क्या काम था आंटी.”

मकान मालकिन-“कुछ नहीं आज तुम मेरे साथ रहोगे रात भर.”

मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगा। मै बहुत ही खुश हो गया। मैंने उसकी तरफ देख कर मन ही मन खुश हो गया। वही पास पर रखे सोफे पर बैठ कर अपना लंड खड़ा कर रहा था। मैं अपना लौड़ा खड़ा करके उनको चोदने का इंतजार कर रहा था।

कुछ देर बाद आंटी अपनी नाइटी पहन कर बाहर आई। मैंने उनको काले रंग की नाइटी पहन बाहर निकाली। मै तो काले रंग की नाइटी में उन्हें देखकर पागल होता जा रहा था। ये देखकर मेरा लौड़ा चुदाई का बेकरार होने लगा। आंटी ने मुझे अपने कमरे में बुलाया। मैंने अपने आप को कंट्रोल नही कर पा रहा था।

मकान मालकिन-“आज मैंने तुम्हारी रोज रोज की तमन्ना को पूरी करने के लिए बुलाया है.”

मै-“तुम मेरी तमन्ना को कैसे जान गई.”

मकान मालकिन-“मैं तुम्हारे में खड़ा लंड को देखकर जान गई.”

उन्होंने मुझे पकड़ कर बिस्तर पर अपने साथ लिटा लिया । मुझे अपने से चिपका लिया। उन्होंने अपने होंठ को मेरे होंठ से चिपका लिया। उनकी गोरे बदन से बड़ी ही मस्त खुसबू आ रही थी। मकान मालकिन के बाल भीगे हुए थे। मैं उनके बालों को सहलाते हुए उनकी होंठो को चूसने लगा।

उन्होंने मेरे होंठो पर अपना होंठ चिपका दिया। मै उनकी ब्रा और पैंटी को अच्छे से उनकी नाइटी में मुझे साफ़ साफ़ दिख रही थी। वो मुझे अपना होंठ चूसने में पूरा मदद कर रही थी। मैं धीऱे धीऱे मजे लेकर उनकी होंठो को चूस रहा था। मैंने अपना लौड़ा मकान मालकिन की चूत के ऊपर सटाये हुए था।

गर्म होकर वो मुझे कस के पकड़ लिया। मैंने उनकी होंठ को मैं चूस चूस कर लाल लाल कर दिया। उसके होंठ अब और भी जबरदस्त लग रहे थे। मैंने अपना लौड़ा खड़ा करके उनकी हाथों से छुवाया। बड़े मोटे लौंडे को छूकर बहुत खुश हो गई। मेरा लंड दबाकर मजा ले रही थी।

मकान मालकिन का भी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। मैं उसकी चूंचियों पर अपना हाथ रख कर दबाने लगा। उनकी चूंचियां बहुत ही मुलायम थी। मैं दबाकर उसका रस पीने के लिए। मैंने उनकी नाइटी को निकाल दिया। मैं ब्रा में अपना हाथ डालकर कर चूंचियों को दबा रहा था।

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मैंने कुछ देर बाद उनकी ब्रा भी मैंने निकाल दिया। उनकी दोनो गोरी गोरी चूंचियों को अपने हाथों में लेकर खेलने लगा। दबा दबा कर चूसने लगा। मकान मालकिन की चूंचियो के निप्पल को मैंने अपने मुँह में भर कर चूसने लगा। मैंने उनकी मुह से सिसकारियां निकलवा दिया।

उसके मुँह से “…अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ…आहा …हा हा हा” की आवाज निकल रही थी। उनकी चूंचियो की जबरदस्त चुसाई के बाद मैंने उसकी पैंटी पर हाथ रख दिया। बाप रे!! वो तो बहुत ही गरम हो चुकी थी। उनकी पैंटी पर मैं हाथ घुमा घुमा कर मकान मालकिन को पैंटी से माल निकलवा दिया।

उसकी पैंटी गीली हो गई। उसमे से निकला गर्म गर्म माल मेरी हाथो में लग रहा था। उनकी सिसकारियां सुनकर मुझे भी जोश दिला रही थी। मै गीली पैंटी को निकाल कर अपनी अंगुलियाँ उनकी की चूत में डालने लगा। अपनी तीन उंगलियां डालकर मुठ मार रहा था। वो मेरे लौड़े को पकड़कर दबा रही थी।

मैंने अपना लौंडा मकान मालकिन के सामने निकाल कर प्रस्तुत किया। वो मेरे लौड़े से खेलने लगी। मैं उनकी दोनों टांगों को फैला कर चूत के दर्शन करने लगा। उनकी स्वच्छ साफ़ चिकनी चूत को देखकर मैं बेक़रार होता जा रहा था। मैंने अपना लौड़ा पकड़ा कर उन्हें खूब खिलाया।

उल्टा होकर मकान मालकिन की चूत में अपना मुह लगा दिया। उनकी चूत को मुँह में अपने दोनों टुकड़ो को अपने मुह में भर लिया। वो अब सिसकारियां की चीख “उ उ उ उ उ…अअअअअ आआआआ….सी सी सी सी…ऊँ…ऊँ…ऊँ…” की चीख निकल गई।

मकान मालकिन बहुत ही गर्म हो गई थी। मै उनकी चूत को मैं चाट चाट कर चूस रहा था। वो भी बहुत मजे ले लेकर चटवा रही थी। उनकी चूत को चाट चाट कर लाल कर दिया। मैंने अपने मुँह में भर कर दांतो से दबा देता था। चूत काटते ही वो अपना सर बिस्तर पर ही पटकने लगती थी।

मकान मालकिन की चूत को मैंने काट काट कर खूब गर्म किया। वो लौड़ा खाने को परेशान होने लगी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में अंदर तक डालनी शुरू कर दी। चूत से गरम गरम पानी छोड़ने लगी। मैंने सारा पानी पीकर साफ़ कर दिया। उनकी चूत में अंदर तक जीभ डालकर। सारा माल चाट रहा था।

मकान मालकिन की चूत को चाट कर साफ़ कर दिया। मैंने लौड़ा उसको दे दिया। वो भी मेरा लौड़ा अपने हाथों में लेकर अच्छे से खेल खेल कर सहला रही थीं। उनकी चूत गरम हो गई थी। मकान मालकिन मेरे लौड़े को आगे पीछे कर रही थी। उसे मेरा लौड़ा बहुत पसंद आया। वो मेरा लौड़ा पकड़ कर बैठी हुई थी।

आइसक्रीम की तरह चूस रही थी। मैंने भी उनकी चूत में अपना लौड़ा डालने के लिए उनको लिटाकर उनकी दोनों टांगों को फैला दिया। उनकी लाल लाल चिकनी चूत पर रगड़ने लगा। चूत के दोनों दरारों को बीच में अपना लौड़ा रगड़ रहा था। उसको गरम कर रहा था। वो तड़प रही थी।

उसकी चूत बहुत ही टाइट थी। चूत में लौंडा बड़ी मशक्कत के बाद घुस गया। लौड़ा घुसते की मुह से “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…आह आह उ उ उ उ उ…अ अ अ अ अ….आआआआ—-” की चीखे निकलने लगी। मैंने धक्का मारकर मकान मालकिन की चूत में पूरा लौड़ा घुसा दिया। मकान मालकिन की चूत को मेरे 9 इंच के लौड़े ने फाड़कर बुरा हाल बना दिया।

मैं उसे धका धक पेल रहा था। जड़ तक घुसा कर चुदाई कर रहा था। मैंने पूरी शक्ति लगा दी। वो भी चूत उठा उठा कर चुदवा रही थी। मेरा लौड़ा सटा सट अंदर बाहर हो रहा था। बहुत ही तेजी से अंदर बाहर जो रहा था। मकान मालकिन की चूत को मैंने कुछ नए स्टाइल में चोदने के लिए उन को उठा कर खड़ा किया।

मैंने इनकी टांग को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया। मकान मालकिन टेबल के सहारे खड़ी हुई थी। उनकी चूत में अपना लौड़ा घुसा कर मकान मालकिन की जबरदस्त चुदाई करने लगा। मुझे उनकी चूत को चोदने में बहुत मजा आ रहा था। मैने खूब अच्छे से चोद लिया था। 20 मिनट मैंने उसकी चूत मारी।

फिर मैंने उसकी गांड़ पर तेल लगाकर लौड़ा घुसाने लगा। मेरा लौड़ा उनकी गांड़ में लौड़ा अपना थोड़ा सा सुपारा घुसा दिया। मकान मालकिन की चीख बहुत तेज निकल गई। वो जोर जोर से “ हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ …ऊँ…ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा… ओ हो हो…” की आवाज निकाल कर थोड़ा सा ही गांड़ चुदवा रही थी।

मैं जोर जोर से करने लगा। 10 मिनट बाद मैं भी झड़ने वाला हो गया। मकान मालकिन को मैनें नीचे बैठा कर। मैंने अपना लौड़ा उनकी मुँह में डालकर अपना सारा माल गिरा दिया। वो सारा माल पी लिया। रात भर दोनों लोग नंगे ही लेटे थे। मकान मालकिन बहुत खुश थी।

कुछ देर बाद हम दोनों का फिर से मौसम बन गया। मैंने उसे कुतिया बनाया। खुद कुत्ता बन कर उसकी सवारी करने लगा। पूरा लौड़ा पीछे से खड़े होकर मैंने उसकी चूत में डाल दिया। उसकी पूरी गांड़ को मेरे लौंडे ने चीर के रख दिया। मैंने अपना लौड़ा आगे पीछे करके चोदने लगा। इसकी गांड़ की गहराई नापने में मेरा पूरा लौड़ा घुस रहा था।

जड़ तक जाने पर भी गहराई का कुछ पता नहीं चल पा रहा था। मैंने उसकी कमर पकड़ी। फिर खूब तेज स्पीड में उसकी गांड़ चुदाई करनी शुरू कर दी। वो “…उंह उंह उंह हूँ… हूँ….हूँ…हमममम अहह्ह्ह्हह…अई…अई….अई…” की आवाज निकाल कर गांड़ मटका मटका कर चुदवा रही थी।

मेरे लौड़े की दोनो गोलियां हवा में लहरा कर उसकी चूत के नीचे ठन ठन लड़ रही थी। उसकी दोनों चूंचियां हिल हिल कर झूला झूल रही थी। पूरा कमरा ऐसी ही आवांजो से भरा हुआ था। जिसको सुनकर जोश बढ़ता ही जा रहा था।

मैंने चुदाई जारी रखी। कुछ देर बाद मैं थक कर लेट गया। मकान मालकिन की गर्मी अभी तक शांत नहीं हुई थी। वो मेरे लौड़े को खड़ा करके उस पर अपनी गांड रखकर बैठ गई। धीऱे धीऱे मेरे पूरे लौड़े को अपनी गांड़ में घुसाकर उछलने लगी। लौड़े को अंदर बाहर कर रही थी।

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मैं भी अपनी कमर उठा उठा कर चोद रहा था। पूरा लौड़ा उनकी गांड़ में घुसते ही वो “ओहह्ह्ह…ओह्ह्ह्ह.अह्हह्हह…अई…अई…अई….उ उ उ उ उ….” की आवाज निकालने लगी। मै और भी जोशीला होता जा रहा था। मैंने उसको उठाकर टेबल पर बिठाया। दोनों टांगो को खोलकर अपना लौड़ा सीधे ही गांड़ में घुसा दिया। गांड में लौड़ा घुसाते ही मैंने झटके पर झटके देने लगा। पूरा मेज चर चर की आवाज करके हिल रही थी। मेज के साथ वो भी पूरा हिल रही थी।

मैंने उनकी गाँड़ का कचड़ा कर डाला। गांड़ बहुत ही ढीली हो गई। मै अब बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होने लगा। मेरा लौड़ा फूलने लगा। मैं जोर जोर से करने लगा। 10 मिनट बाद मैं भी झड़ने वाला हो गया। मकान मालकिन को मैनें नीचे बैठा कर अपना लौड़ा उनकी मुँह में डालकर जोर जोर से मुठ देने लगा। कुछ ही पलों में मेरे सूखे नल में पानी आ गया। अपना सारा माल गिरा दिया। वो सारा माल पी लिया। रात भर दोनों लोग नंगे ही लेटे थे। मकान मालकिन बहुत खुश थी। मैं अब मकान मालकिन को रोज चोदता हूँ। वो मेरा हर महीने किराया माफ़ कर देती है। 

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