Threesome School Madam
मैं मयंक अपनी सेक्सी कहानी लेकर हाजिर हूँ। मैं 25 साल का हो गया था और कोई चूत नहीं मिल रही थी। मैं एक स्कुल में पढ़ाता था और वहां कई टीचर्स पढ़ाती थी। पर साली सब की सब कहीं ना कहीं फसी हुई थी। मैंने अपने दोस्त टीपू से कहा कि कोई लौण्डिया का इंतजाम कर। Threesome School Madam
बहुत दिन से चूत नहीं मारी है। वो भीं चूत के दर्शन करना चाहता था। अब वो चूत का इंतजाम करने लगा। पर बहनचोद!! हम लोगों की किस्मत गधे के लण्ड से लिखी गयी थी। पर लौण्डिया की चोदने को नहीं मिल रही थी। फिर कुछ दिनों बाद हमारे स्कुल में एक मस्त माल जाह्नवी पढ़ाने आयी।
क्या झकास मॉल थी दोंस्तों। उसे देखकर बस यही दिल कहा कि बस उसका पेटोकोट उठा दू और कसके चोद लू उसको। दोंस्तों जाह्नवी को देख कर बस यही दिल कर रहा था। माल ही ऐसा था। मैं स्कुल मैनेजर भी था। नयी टीचर्स का इंटरव्यू में ही लेता था। जाह्नवी मेरे केबिन में इंटरव्यू देने आयी। टीपू भी मेरे साथ बैठा था।
मे आई कमिन सर?? उसने पूछा.
मैंने सिर उठाकर देखा काली साली में एक नयी 23 24 साल की मस्त जवान चुदासी लड़की। मेरा तो दिन बन गया दोंस्तों। मस्त भरा बदन.
यस!! प्लीज टेक सीट!! मैंने मुस्कुराकर कहा।
सर!! मैं टीचर के इंटरव्यू के लिए आई हूँ!! जाह्नवी बोली.
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बाप रे!! क्या मस्त रसीले ओंठ थे उसके। लग रहा था कि कोई हीरोइन है। मेरी नजरे जाह्नवी के होठों पर ठहर गयी। दिल किया अभी इसके हाथ पकड़ लू और खिंच लूँ, इसके होंठो पर ताबड़तोड़ चुम्मा ले लूँ। मैं जाह्नवी पर मर मिटा था। मेरी नजरे उसकी नाक, गाल, आँखों, गले और मस्त बड़े साइज के मम्मो पर रुक गयी थी। साड़ी के पल्लू को देखने भर से मैं जान गया कि चीज सॉलिड है।
यस!! तो आपकी क्या क्वालिफिकेशन है जाह्नवी जी?? मैंने पूछा हँसकर मुस्कुराकर। मैं जान बूझ कर अधिक अच्छा बन रहा था।
जी मैंने मैथ्स में बीएससी और एम एस सी किया है! जाह्नवी बोली।
मेरे बगल टीपू बैठा था। उसने मुझे टेबल के नीचे पैर मारा। वो कहना चाह रहा था कि माल कड़क है। इसको गियर में लो। कोई चाल चलो की ये नयी टीचर जाह्नवी की चूत मारने का जुगाड़ हो जाए। मैं समझ गया। मैंने जाह्नवी से मैथ्स के कई सवाल पूछे। बंदी होशियार थी। सब बता ले गयी।
फिर मैंने उसे कुछ न्यूमेरिकल्स करने को दिए। बंदी खटाखट कर ले गयी। अब कोई ऐसी चाल चलनी थी जिससे जाह्नवी अपनीं चूत दे दे। मेरी नजरे अब भी उसके मम्मो से हट नहीं रही थी। वही मेरा दोस्त टीपू भी जाह्नवी को मन ही मन चोद रहा था।
देखिये जाह्नवी जी!! आप बड़ी होशियार है। मैंने आपकी सर्टिफिकेट भी देखे है। आप थ्रू आउट फर्स्ट क्लास है!! हमे टीचर चाहिए तो जरूर पर 2 महीने बाद। असल में बात ये है कि हमारी एक टीचर ठीक से नहीं पढ़ा रही है। हम उसको 2 महीने बाद निकल देंगे। तब आपको रख लेंगे।
जाह्नवी बड़ी उदास हो गयी। वो बड़ी झकास माल थी। जैसे खिला हुआ कमल का फूल। उसपर ऐसी उदासी नहीं जम रही थी।
देखिये सर! मुझे नौकरी की बहुत जरूरत है! मुझे घर चलाने के लिए पैसे चाहिये। कुछ दिन पहले की मेरे पिता गुजर चुके है!! वो बोली.
जाह्नवी जी!! ठीक है ! मैं आपको नौकरी दे दूंगा। पर आपको हफ्ते में कम से कम 3 बार रात में मेरे घर आना होगा! तब ही ये नौकरी आपको मिल सकती है। आपको कभी पेमेंट में लेट नहीं होगा! क्या आप समझ् रही है?? मैंने पूछा.
जाह्नवी जान गयी की मैं किस बारे में बात कर रहा था। वो साफ साफ जान गयी की उसकी चुदाई की बात चल रही है। मैं जान गया था कि उसे पैसों की शख्त जरूरत है। इसलिए वो चूत भी दे देगी। वो खामोश थी। कुछ सोच रही थी।
ठीक है!! मैं आज से ही ज्वाइन कर लेती हूँ!! वो बोली.
ओके जाइये क्लास 7 में जाकर पढ़ाइये!! मैंने कहा।
वेलकम तो सेंट जोसफ़ स्कुल!! मैंने हाथ बढ़ाया।
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थैंक यू सर!! वो बोली और मेरी तरह हाथ बढ़ाया। बहुत नरम हाथ था उसका। मैं सोचने लगा की हाथ इतना नरम है तो चूत कितनी नरम होगी। वो पीछे मुड़ी। मैं उसका पिछवाड़ा देखा। खूब बड़ा सा चौड़ा पिछवाड़ा था। मेरी दिल खुश हो गया। मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
मैंने साड़ी के पल्लु के बगल से उसके नर्म गोरे दुधिया पेट की सलवटे भी देख ली। बस क्या बताऊँ दोंस्तों, दिल खुश हो गया। क्या माल थी जाह्नवी। सायद ऊपरवाला हमपर मेहरबान था। हम दोनों के लिए चूत का इंतजाम हो गया था। जाह्नवी क्लास में पढ़ाने चली गयी।
भाई हाथ मिलाओ!! टीपू ने हाथ दिया।
मैंने उसके हाथ पर हाथ मारा। मैं स्कुल के बगल में ही रहता था। ये घर भी स्कुल के मालिक से मुझे दे रखा था। टीपू और मैं जाह्नवी का इंतजार करने लगे। 8 बज गए। चारों तरह अँधेरा हो गया। टीपू तो लण्ड पर हाथ फेरने लगा। जाह्नवी सवा 8 तक आ गयी। हम तीनों अंदर आ गए।
ये क्या सर!! ये यहाँ क्यों है?? जाह्नवी ने टीपू की तरह इशारा किया।
देखो ये भी मैनेजर है। इतना बड़ा स्कुल है! एक मैनेजर से तो सम्भल नही सकता! इसलिए हमारे यहाँ 2 मैनेजर है। अगर ये तुम्हारे फॉर्म पर साइन नहीं करेंगे तो तुमको नौकरी नहीं मिलेगी! मैंने जाह्नवी से कहा। जाह्नवी अब जान गयी की वो आज दो लोगो से चुदेगी.
वो मेरे पास आकर बैठ गयी। मैं उसके बदन से खेलने लगा। दोंस्तों, अच्छा माल थी वो। सुरुवात मैंने उसके लिप्स चूसने से की। मैंने उसके रसीले होंठ चूसने लगा उसने हल्की बैंगनी लिपस्टिक लगा रखी थी। हाथ की उँगलियों और पैर की उँगलियों पर उसने मैचिंग बैंगनी नैलपोलिस लगा रखीं थी।
आज भी वो अपनी वाली काली रंग की साड़ी में थी। साड़ी में हल्के हल्के सुनहरे गोले बने हुए थे। बिलकुल मस्त चुदासी माल लग रही थी। मैंने उसको सोफे पर खींच लिया और लिटा दिया। मै उसके होठ के रस पीने लगा। वही टीपू भी आ गया। वो जाह्नवी के गोरे सूंदर पैर चूमने लगा।
जाह्नवी अभी कुंवारी थी। इसलिए पैर में बिछुआ नहीं थे। उसके पैर गोल गोल गणेश जी जैसे थे। क्या माल थी दोंस्तों! मैं उसकी जितनी तारीफ करुँ कम है। मेरे होंठ उसके मस्त होठों के ऊपर थे, उससे चिपके हुए थे। मेरे हाथ उसके पल्लु के ऊपर उसके बूब्स के ऊपर थे।
मैं मन ही मन सोचने लगा की जिस लड़के से उसकी शादी होगी उसकी तो निकल पड़ेगी। उसकी तो ऐस ही ऐश होगी। खूब चूत मारेगा उसकी। मेरे हाथ उसके बूब्स पर यहाँ वहां नाचने लगे। जबकि मेरे होंठ उसके लिप्स का शहद पी रहे थे। टीपू अब जाह्नवी की टाँगों को चूम चाट रहा था।
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मैंने प्यार के इस अहसास में उसकी नाक, आँखों और माथे को भी चूम लिया। मेरी उँगलियाँ उसके बूब्स दबाने लगी। मैं मदहोश हो रहा था। टीपू ने उसकी सारी को ऊपर उठा दिया था। अब वो जाह्नवी के घुटनो तक पहुँच गया था। बॉप।रे!! कितने मस्त, सूंदर और गोरे घुटने थे जाह्नवी के। दोंस्तों इस लड़की को तो मैं चोद चोद कर प्रेग्नेंट कर दूंगा।
मैंने सोच लिया था। मुझसे अब रहा ना गया। मैंने उसका पल्लू हटा दिया। काले ब्लॉउज़ में उसके दूध कुछ जादा ही गोरे लग रहे थे। मैंने उसके ब्लॉउज़ के बटन खोल दिये। बूब्स ऊपर आने को बेताब थे। मैंने बूब्स मुँह में लेकर पीने लगा। टीपू अब जाह्नवी की जांघ तक पहुँच गया था।
आज उसको डबल लण्ड दूँगा यही सोचा था मैंने। अब हम दोनों से रहा ना गया। मैंने और टीपू ने अपने अपने कपड़े निकाल दिये। मैंने जाह्नवी का ब्लॉउज़ और वो काली साडी निकाल दी। सच कहता हूँ फ्रेंड्स किसी लौण्डिया।को काली साड़ी और काले पेटोकोट ब्लॉउज़ में चोदना, कुछ जादा ही मजा मिलेगा।
मैं प्यासे ही तरह उसके बूब्स पीने लगा। बहनचोद!! माल ही माल थी। बिलकुल रबड़ी थी वो। दूध तो इतने नर्म थे की छूने में डर लग रहा था। मैंने मस्त पीने लगा। वहीँ मेरा दोस्त टीपू उसकी चूत तक पहुँच गया था। उसने जाह्नवी की काली रंग की पैंटी हल्की सी बगल की तो चूत के दर्शन हो गए।
टीपू जाह्नवी की चूत चाटने लगा। वहीँ मैं उसका एक बूब्स अच्छी तरह से पी चूका था। अब मैं दूसरा बूब्स पी रहा था। टीपू जाह्नवी की बुर को मस्ती से झूम झूमकर पी रहा था। मैंने भी उसके बूब्स को पीने लगा। फिर मैं सबसे नीचे लेट गया। मैंने जाह्नवी को अपने ऊपर लिटा लिया।
मैंने उसकी बुर में लण्ड डाल दिया। जाह्नवी की बुर ऊपर की तरफ थी। अब टीपू भी आ गया। उसने ऊपर से बड़ी जुगाड़ से जाह्नवी की बुर में अपना लण्ड भी ख़ोस दिया। असल में एक बुर में 2 लण्ड आराम से चले जाते है पर साले इंडिया वाले चूतिये होते है ना। नये नये प्रयोग करते ही नहीं है। मेरा और टीपू दोनों का लण्ड जाह्नवी की बुर में चला गया था।
हाय मम्मी! मैं मर जाऊंगी!! मयंक जी!! आपसे रिक्वेस्ट है इस तरह डबल लण्ड से मुझे मत चोदिये!! प्लीस!! वो बोली.
आप दोनों मुझे सिंगल सिंगल लण्ड से चोद लीजिये!! मैं रिक्वेस्ट करती हूँ मयंक जी!! जाह्नवी बोली.
अरे जाह्नवी जी!! इतनी गजब का माल होकर आप ऐसी छोटी बाते करती है!! आप बस देखिये जाह्नवी जी! हम दोनों आपको डबल लण्ड से चोदेंगे और आपको मजा भी खूब आएगा! मैंने कहा।
जाह्नवी का अब मनोबल बढ़ गया। दो दो लण्ड उसकी बुर में थे इस वक़्त। मैंने धीरे धीरे अब नीचे से अपना लण्ड चलाने लगा। उधर टीपू भी हल्के हल्के लण्ड चलाने लगा।बड़ा मजा आ रहा था दोंस्तों। धीरे धीरे हम दोनों एक साथ लण्ड जाह्नवी की बुर में चलाने लगे। वो मम्मी मम्मी चिल्लाने लगी।
तेरी मम्मी आ गयी तो वो भी नहीं बचेंगी। हम दोनों उनको भी डबल लण्ड से चोदेंगे!! मैंने कहा।
धीरे धीरे हम रफ्तार पकड़ने लगे। एक समय तो ऐसा आ गया दोंस्तों कि हम दोनों के लण्ड बड़े आराम से उसकी बुर में सरकने लगे, जाह्नवी की बुर को बड़े आराम से चोदने लगे। अब उसे दर्द नही हो रहा था। मैं जान गया कि जोर जोर से लंबे शॉट मारने का सही वक़्त आ गया है।
मैं और टीपू हुकम हुमककर लंबे लंबे सचिन तेंदुलकर वाले शॉट्स मारने लगे। जाह्नवी मम्मी मम्मी करने लगी। हमने उसकी सित्कारे नजर अंदाज कर दी। हम दोनों तो कबसे चूत के प्यासे थे दोंस्तों। आज मौका मिला था। मैं नीचे से सट सट चोद रहा था और टीपू ऊपर से खट खट चोद रहा था।
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लग रहा था जैसे जाह्नवी की चूत के अंदर दो तलवाले युद्ध कर रही हो। लग रहा था कहीं उसकी बुर फट ना जाए। पर मैंने इस तरह की डबल लण्ड की हजारों वीडियोस देखी थी। मैं अच्छी तरह जानता था कि किसी भी हसीन लौण्डिया को चाह्ये कितना भी चोद लो मगर उसकी बुर नहीं फट सकती। दोंस्तों उस दिन मैंने और टीपू ने 1 घण्टे एक साथ डबल लण्ड देकर जाह्नवी की बुर चोदी। उसकी बुर नहीं फटी। फिर टीपू सबसे नीचे आ गया। उसने जाह्नवी की गाण्ड में तेल लगाकर लण्ड डाल दिया। मैं ऊपर से आया और मैंने भी जाह्नवी की गाण्ड में अपना लण्ड पेल दिया।
बॉप रे!! जाह्नवी की तो माँ चुद गयी। अब टीपू धीरे धीरे उसको चोदने लगा। जब गाण्ड रवा हो गयी तो मैं भी लण्ड सरकाने लगा। धीरे धीरे हम दोनों दोस्त एक साथ जाह्नवी को चोदने खाने लगे। पेलते पेलते हम तीनों के पसीने छूट गए। पर हमने चुदाई बन्द नहीं की। टीपू और मैं एक साथ डबल लण्ड देकर उसकी गाण्ड भी चोदने लगे। दोंस्तों उस दिन तो कमाल ही हो गया। 2 घण्टे हम दोनों से जाह्नवी की गाण्ड चोदी और झड़ गये। दोंस्तों, उस रात ये सिलसिला नहीं थमा। 7 8 बार हम दोनों से डबल लण्ड से जाह्नवी की बुर और गाण्ड चोदी।