Kamuk Makan Malkin
हमारा घर भुवनेश्वर में है। हम दोनों भाई अब CA की पढाई कर रहे है। पर हम दोनों मिजाज से काफी रंगीन भी है। हम जब भी कोई लड़की पटाते है तो साथ में उसका काम लगाते है। मैं मीनू की गांड मार चूका हूँ और वो मेरी मार चूका है। हम दोनों के लौड़े 7 7” लम्बे है और किसी रसियन मर्द की तरह दिखते है। Kamuk Makan Malkin
हम दोनों भाइयों का चुदाई का स्टेमिना बहुत अच्छा है। 1 1 घंटे चूत मारने पर भी अब दोनों नही झड़ते है। इसलिए जो लड़की हमसे ठुकवा लेती है बार बार सेक्स करने के लिए आती है। अब सीधे स्टोरी पर आता हूँ। हम दोनों ने अपना पुराना घर छोड़ दिया था और अब नये अपार्टमेन्ट में रहने लगे थे क्यूंकि ये कोचिंग के पास पड़ता था।
उपर एक आंटी रहती थी पर उनसे कुछ ख़ास बोल चाल नही थी। फिर धीरे धीरे दया आंटी से जान पहचान हो गयी। वो अकेले ही रहती थी और टीचर थी। मैंने उनको कई बार सीढियों से आते जाते देखा। वो देखने में अच्छी खासी थी। 5’ 6” कद था उसका। रंग गोरा था, बदन भरा हुआ, तेज चाल, शोख चंचल आँखे, भरी भरी चूचियां, पीछे निकली हुई मटकती गांड थी। ये सब बाते दया आंटी को सेक्सी माल बना देती थी।
“नमस्ते आंटी” मैं और मीनू उनको देखकर बोल देते थे जब भी आंटी दिख जाती थी।
“कैसे हो बच्चो!! तुम्हारा पढाई कैसी चल रहा है??” वो कहती
“कभी चाय पीने आया करो। तुम दोनों तो कभी आते ही नही हो” वो मुस्कुराकर कहती.
“आएँगे कभी आंटी” हम दोनों भाई कहते थे.
दया आंटी को सोचकर हम दोनों भाई एक दूसरे की गांड मार चुके थे। उनका घर 2nd फ्लोर पर था और हमारा घर 1st फ्लोर पर था। एक दिन दया आंटी की नीली ब्रा और नीली पेंटी डोरी पर सुख रही थी जो उड़कर नीचे गिरी और हमारी बालकोनी में आ गिरी।
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“देख टीनू!! आंटी की पेंटी” मीनू बोला और नाक में लगाकर सूघने लगा.
सूंघ क्या रहा है। जा जाकर आंटी को पटा ले और चोद ले जाकर” मैंने कहा.
“हाँ भाई अगर आंटी चुदवा ले तो किस्मत चमक जाये हम दोनों भाइयों के लौड़े की” मीनू कहने लगा.
शाम के टाइम दया आंटी ब्लैक नाईटी में ही आ गयी।
“बच्चो मेरी ब्रा और पेंटी तो नही गिरी तुम्हारी बालकनी में??” वो पूछने लगी.
“हाँ आंटी!! ये गिर गयी थी। ये लो” मैंने कहा और उनकी नीली ब्रा और पेंटी उनके हाथ में रख दी।
“बच्चो!! मैं कल 2 दर्जन केले ले आई थी। तुम लोग ही खा लो वरना खराब हो जाएँगे” वो कहने लगी
मैं और मीनू एक दूसरे की तरफ देखने लगे। कहीं दया आंटी चुदने के मूड में तो नही थी।
“आंटी!! केले तो हमारी भी बेकार हो रहे है। कोई खाने वाला नही है” मैंने कहा.
“तुम मुझे अपना केला खिला दो और मैं तुम्हारा खा लुंगी” दया आंटी कहने लगी.
मेरा चोदू भाई मीनू फिर से मेरी तरफ देखने लगा और हँसने लगा। उसके बाद हम दोनों सीढियों से उनके अपार्टमेन्ट में चले गये जो 2nd फ्लोर पर था। वो हम दोनों को सोफे पर बिठा दी और केले की ट्रे लाकर रख दी। अपने हाथ से छीलकर खिलाने लगी। 2 2 केले हम दोनों भाइयों ने खा लिए। वसुधरा आंटी आकर हमारे बीच में बैठ गयी। हम दोनों भाइयो की पेंट कर उपर से लंड को पकड़कर रगड़ने लगी।
“अब तुम दोनों का केला मैं खाऊँगी” वो कहने लगी।
मैं और मीनू दोनों बहुत खुश हो गये थे क्यूंकि काफी दिनों से हमने चुदाई का मजा नही लिया था। धीरे धीरे दया आंटी हमारी जींस की जिप खोल दी और हमारे लंड को बाहर निकाल दी और हाथ में लेकर मुठ देने लगी।
मैं और मीनू “आआआअहह…..ऊऊऊऊओह…..ईईईईई…. माँआआ…” करने लगे। फिर वो और मुठ देती रही और हमारे केले बड़े बड़े होकर 7” के हो गये। वो चूसना चालु कर दी। 1 मिनट मेरा लंड चूसती, फिर मीनू का। इस तरह से बदल बदलकर चूस रही थी।
“ओह्ह गॉड!! आप कितना मस्त केला चूसती है। और चूसिये” मैंने कहा.
हमारी बात दया आंटी को अच्छी लगी। खूब चूसी जल्दी जल्दी। फिर आकर हमारे बीच में बैठ गयी।
“बच्चो!! मुझसे प्यार करो” वो कहने लगी.
मैंने पीछे से उसको पकड़ लिया और किस करने लगा। मीनू ने सामने से उनको पकड़ लिया और किस करने लगा। इस तरह से हम दोनों भाई उनसे चिपककर किस करने लगे। फिर मीनू दया आंटी के मुंह पर अपना मुंह टिका दिया और गर्लफ्रेंड की तरह चूसना शुरू कर दिया।
आंटी मस्त हो गयी और“ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…उ उ ह उ उ उ….. आआआआहहहहहहह ….” करने लगी। 5 6 मिनट तब बहनचोद मीनू उनके सेक्सी होठो को चूसता रहा। “अब मुझे चूसने दो” मैंने कहा और दया आंटी के चेहरे को पकड़कर अपनी तरफ किया।
मुंह से मुंह जोड़कर मैं भी इमरान हाशमी की तरह चुम्मा लेने लगा। मीनू आंटी के बड़े बड़े 34” के बूब्स को काली नाईटी के उपर से दबाने लगा। मैं तो किस कर रहा था। वो अपने अंगूर जैसे होठो का रस खूब चुसवाई मुझसे। फिर अपनी नाईटी उतार डाली। अब वो लाल ब्रा और पेंटी में आ गयी थी। उन्होंने जाली वाली ब्रा और चड्डी पहन थी।
“भाई!! आंटी का बदन कितना सेक्सी है” मीनू कहने लगा.
“आज मैं तुम दोनों भाइयों की गर्लफ्रेंड हूँ। आज मेरे साथ मौज मस्ती कर लो” वो कहने लगी फिर ब्रा खोलकर हटा दी।
उनके बिपासा बसु जैसे दूध सामने आ गये। हम दोनों का होश खराब हो गया मचलती चूचियां देखकर। क्या गोरी गोरी चिकनी चूचियां थी। हम दोनों हाथ में लेकर मसलने लगे। दया आंटी अब “आआआहहह…..ईईईई….ओह्ह्ह्….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….” करने लगी।
“बच्चों मेरे बूब्स को सक करो अच्छे से” आंटी कहने लगी.
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फिर हम दोनों आँख बंदकर सक करने लगे। एक बूब्स मीनू पकड़ लिया और एक मैं। दोनों दबा दबाकर सक करने लगे। आंटी सोफे पर बेचैन होने लगी। हम दोनों भाई उनसे खूब प्यार कर रहे थे। मैं उनकी लाल पेंटी को सहलाने लगा जिससे उनको और जोश चढ़ जाए। 10 10 मिनट हम दोनों भाई उनके रसीले बूब्स को पिये। उसके बाद मैंने ही उनकी जालीदार पेंटी उतार दी। आंटी सोफे पर टेक लगाकर बैठ गयी।
“आंटी पैर खोलो और बुर दिखाओ” मैंने कहा.
वो खोल दी। मैं जाकर उसकी चूत पीने लगा। खूब चूसा, मजा लिया। उनकी चूत भी कम हसीन नही थी। आंटी नंगे रूप में बेहद चुदासी और कामुक औरत लग रही थी।
“भाई! मैं भी पियूँगा वसुधरा आंटी की बुर” मीनू कहने लगा.
“बच्चो आराम से पियो!! आज मेरे जिस्म के एक एक अंग पर तुम दोनों का हक है” वो आँख नचाकर बोली.
मैंने 4 मिनट उनकी कामुक लाल लाल चूत का सेवन किया। फिर मीनू आकर चाटने लगा। वो आंटी की चूत को फैला फैलाकर मुंह लगाकर मजा ले रहा था।“……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..और चूसो!! मेरी चुददी का पानी निकलवा दो……ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ…..” वो कहने लगी।
हम दोनों भाई बदल बदलकर उनकी बुर का सेवन करते रहे। मैं तो उनकी चिपकी चूत में ऊँगली कर रहा था फिर उनकी बुर के रस से सनी ऊँगली उनके मुंह में देकर चूसा रहा था। मीनू भी ऐसा ही किया। “अब तुम दोनों नंगे हो जाओ” दया आंटी का अगला आदेश था. हम दोनों सभी कपड़ा उतार दिये। आंटी के सामने खड़े हो गये। वो दोनों हाथ से हमारे लंडो को पकड़ ली और फेटने लगी। फिर किस की और चूसना चालु कर दी।
“मजा आ रहा है आंटी!! ….ऊँ…ऊँ…ऊँ सी सी सी… चूस डालिए हमारे लौड़े को” मैंने कहा.
उसके बाद वो बिना रुके हमारे लंड को लेकर चूसी और बराबर हाथ से हिलाती रही। फिर मैं और मीनू दोनों अपने अपने लौड़े उनके बूब्स की निपल में रगड़ने लगे। उनको घोड़ी बना दिया। मैं उनके पीछे की साइड आकर उनकी गांड को हाथ से सहलाने लगा।
मीनू आकर दया आंटी के मुंह में लंड घुसा दिया। वो चूसने लगी हाथ से फेट फेटकर। मैं कुछ देर पीछे से आंटी की चूत पीता रहा फिर लंड को चूत में घुसा दिया। और जल्दी जल्दी चोदने लगा। दोस्तों ये बहुत सेक्सी सीन था। मैंने दया आंटी को घोड़ी बनाकर चोद रहा था और मेरा भाई मीनू आगे से उनसे लंड चुसा रहा था।
मैं जोरदार फटके देना शुरू किया। आंटी “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ…ऊँ…ऊँ….”करने लगी। मेरा लंड 7” का इतना पावरफुल था कि किसी भी औरत को संतुस्ट कर सकता था। मैं तेज तेज झटके देकर उनको पेलने लगा। वो खूब मजा ले ली।
उधर मीनू का लंड चूसने से डबल डबल मजा ले रही थी। फिर मैं हट गया। मीनू आकर अपने लंड को दया आंटी की बुर में पेल दिया और जल्दी जल्दी चोदने लगा। सोफे पर ही उनको हम भाइयों ने घोड़ी बना दिया था।
अब मैं लंड चुसवा रहा था। फिर मैं उनके सर को पकड़ा और जल्दी जल्दी लंड से उनके मुंह को 3 4 मिनट चोदा। मेरा माल उनके मुंह के अंदर ही झड़ गया। वो सारा का सारा रस पी गयी। उनके पूरे फेस पर मेरा माल चुपड़ गया था।
“चोद और चोद मीनू बेटा!! मेरी गांड भी मार!….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ—हमममम” दया आंटी कहने लगी।
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“आंटी! आज हम दोनों भाई तुझे चोद चोदकर रंडी बना देने। तुम्हारी गांड भी मारेंगे” ये बात बोलकर मीनू ने कुछ देर आंटी की नशीली चिकनी रस से सनी चूत को 8 10 मिनट चोदा। फिर लंड बाहर निकाल लिया। आंटी सोफे पर घोड़ी बनी रही। मीनू उनकी गांड पीने लगा। जीभ लगा लगाकर चाटने लगा। फिर उसने चूत में उगली घुसाकर हिलाई और रस लेकर गांड के छेद पर लगा दी।
लंड रखकर अंदर डालने लगा और धीरे धीरे पूरा 7” घुसा दिया। फिर मीनू ने दया आंटी की खूबसूरत गांड भी 15 मिनट चोदी। आंटी “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा…..”बोलती रही। फिर मीनू भी झड़ गया। उसके बाद हम दोनों भाई सारी रात उनके कामुक भरे पूरे बदन से खेलते रहे। हमारा थ्रीसम अच्छा हुआ। अब दया आंटी रोज ही चुदवा लेती है कभी अपने अपार्टमेन्ट में, तो कभी हमारे।