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4 लंड और एक अकेली बुर

अक्टूबर 28, 2024 by hamari

Kamuk Dehati Aurat Chudai

नीले रंग की कार बड़ी तेजी से भागी जा रही थी। उस कार में चार दोस्त बैठे हुए थे, जिनमें एक दोस्त कार ड्राइव कर रहा था। चारो दोस्त का नाम था- नितेश, अरुण, शुभम और ऋतिक। चारों दोस्त घुमने के लिहाज से निकले थे। वह पहाड़ी इलाका था। रास्ते उंचे-नीचे और घुमावदार थे। इसे बड़ी सावधानी से गाड़ी चलानी पड़ रही। सूरज डूबने को चला था। Kamuk Dehati Aurat Chudai

अचानक कार का इंजन बंद हो गया। कार कुछ दूर आगे चलकर रूक गई। चारों दोस्त नीचे उतर पड़े। अचानक क्या हो गया गाड़ी को ? जरा इंजन चेक करो तो लगता है क्यों कोई खराबी आ गया है। ठीक है अभी देखता हूँ। कहकर जो गाड़ी ड्राइव कर रहा था, उसी ने आगे बढ़कर इजन को वोनट खोला और इंजन चेक करने लगा।

थोड़ी देर तक इंजन के कल-पुर्जे को चेक करने के बाद वह बोला इंजन में तो कोई खराबी नजर नहीं आ रही है, पता नहीं गाड़ी को क्या हो गया है जो अचानक रूक गयी। जरा पेट्रोल चेक करो. तो दूसरे ने कहा। अभी करता हूं कहकर। गाड़ी चलाने वाले ने टंकी का ढक्कन खोला और तेल चेक किया। तो टंकी में पेट्रोल था ही नहीं।

पेट्रोल खत्म हो गया। तभी तो गाड़ी अचानक रूक गई है अब क्या होगा। कोई कार-जीप नजर आएगी। तो उससे एक दो लीटर पेट्रोल ले लेंगे तथा यह भी पूछ लेंगे कि आगे पेट्रोल पम्प कितनी दूर पर है ? हां यही अच्छा रहेगा। चारों दोस्त गाड़ी के पास खड़े होकर किसी कार या जीप का इंतजार करने लगे।

सूरज डूब चुका था और अंधेरा धीरे-धीरे चैलता जा रहा था लेकिन अब तक कार या जीप उधर से नहीं गुजरी थी और न कोई बस या टूक ही गुजरा। अब क्या होगा ? अगर कोई सहारा न मिला। तो नितेश ने चिंतित होकर पुछा। हां यार गम्भीर समस्या हो जाएगी। आस-पास न तो कोई बाजार है और नही कोई होटल जहां ठहरा भी जा सके। अरुण बोला।

चारों दोस्तों ने इधर-उधर नजर दौड़ानी शुरू कर दी, ताकि कोई ठहरने का जगह मिल सके रात भर के लिए। करीब डेढ़ सौ गज के फ़ासले पर चार-पांच कच्ची झोपड़िया बनी हुई थी।

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”वो देखो उधर कुछ घर है’‘ नितेश बोला।

”अरे यार वो तो छोटी छोटी झोपड़िया हैं, वहां हमलोग कैसे ठहर सकते हैं’‘अरुण बोला।

”मजबुरी में सब चलता है यार। मैं उनलोगों से बातचीत करके देखता हूँ कि रात भर भी किसी तरह ठहरा जा सकता है या नहीं।’‘ ऋतिक बोला।

‘‘ठीक है, जाकर पता लगाकर जल्दी आओ’‘ शुभम ने कहा।

यह सुनकर ऋतिक बढ़ गया उन झोपड़ियां की ओर। पक्की सड़क से कच्ची सड़क निकली जो उन झोपड़ियों की ओर ही जाती थी। उसी कच्ची सड्क के सहारे ऋतिक चल पड़ा।।

एक झोपड़ी के नजदीक पहुंचकर ऋतिक ने आवाज लगाई,’‘कोई है’‘

‘‘क्या बात है ?’‘कहते हुए एक जवान महिला अंदर से निकली। वह देखने में थोड़ी काली थी लेकिन उसका बदन गठा हुआ था।

और चेहरे पर जवानी की चमक थी।

‘‘हमलोग दूर जा रहे थे। कि हमारी गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया। क्या हमलोग रात भर यहां किसी तरह रूक सकते हैं। सुबह तक कोई न कोई व्यवस्था हो जाएगी’‘ऋतिक बोला।

महिला ने ऋतिक को गौर से देखा, कर कुछ सोचते हुए बोली।’‘आपलोग कितने आदमी हैं ?’‘

”चार आदमी’‘ -ऋतिक ने जवाब दिया.

‘‘ठीक है चले आइये। किसी तरह रात गुजर हो जाएगी।’‘वह महिला बोली।

‘’गाड़ी को वहीं सड़क पर ही छोड़ दें?’‘ऋतिक ने पूछा.

‘’नहीं, गाड़ी को वहां छोड़ना ठीक नहीं होगा। किसी तरह धकेल कर यहां से आइए।’‘महिला बोली।

‘’ठीक है, अभी हमलोग आते हैं।’‘चहक कर ऋतिक वहां से चल पड़ा.

थोड़ी देर में चारों दोस्तों ने कार को धकेलते हुए कार को पक्की सड़क से नीचे कच्ची सड़क पर उतारा और झोपड़ी की ओर बढ़ चलें अन्धेरा छाता जा रहा था।

झोपड़ी के नजदीक पहुंचे तो वह महिला झोपड़ी के दरवाजे पर ही खड़ी थी। चारों दोस्तों को देखते ही वह बोली ’‘आइए, आइए इस झोपड़ी में आप सबों का स्वागत है।’‘

गाड़ी को वहीं स्थिर छोड़ चारों दोस्त झोपड़ी के अंदर प्रवेश कर गए। झोपड़ी बाहर से देखने में भले ही बदसूरत थी लेकिन अंदर में उतनी ही खूबसूरत थी। दीवार तो मिट्टी की ही थी लेकिन उस पर बड़े ही कलात्मक ढंग से चित्रकारी की गई थी जो बहुत सुंदर नजर आ रही थी। अन्दर में एक लकड़ी की चौकी बिछी हुई थी जिस पर साधारण सा विस्तर लगा हुआ था। उसी विस्तर पर चारों दोस्त बैठ गए।

‘‘क्या आपलोग कुछ नास्ता करना पसंद करेंगे ?’‘वह महीला नजदीक आकर पूछी।

‘’नहीं-नहीं, अभी हमलोगों को भूख नहीं है। थोड़ी देर पहले ही तो हमलोग बाजार में नाश्ता करके चले हैं’‘नितेश बोला।

‘’तो क्या चाय चलेगी ?’‘महिला ने दुबारा पूछा.

‘’हां, चाय चल सकती है,’‘नितेश बोला।

यह ‘सुनते ही वह औरत घर के अंदर चली गई। झोपड़ी के अंदर से दूसरी झोपड़ी में जाने का रास्ता था। गुमसुम से चारों दोस्त थोड़ी देर तक बैठ रहें कि वह औरत चाय चार ग्लास में लेकर चली आई। एक-एक ग्लास उसने सबों को पकड़ा दिया और फिर अंदर चली गई। इस बार बाहर आई तो उसके एक हाथ में लालटेन था और दूसरे हाथ में चाय का एक ग्लास। लालटेन को उसने टाँग दिया और खुद फर्श पर बैठकर चाय पीने लगी।

‘’आप अकेले रहती है क्या ?’‘नितेश ने पुछा।

‘’नहीं, मैं अपने पति के साथ रहती हूँ’‘उस औरत ने जबाव दिया.

‘’सुबह लौटकर आएंगे।’‘बोली वह औरत.

‘’अकेले मैं आपने हमें मेहमान बना लिया। क्या आपको डर नहीं लगता ?’‘नितेश ने सवाल किया।

‘’डर किस बात का ? औरत होकर मर्द से क्या डरना।’‘बड़ी बेफ़िक्री से उस औरत ने जवाब दिया।

‘‘और फिर आपलोग कोई चोर-उचक्के ता हैं नहीं। चलता हुआ मुसाफ़िर हैं। आपकी गाड़ी का पेटोले खत्म हो गया अन्यथा आपलोग इस झोपड़ी की ओर ताकते नहीं। यह तो इस झोपड़ी का सौभाग्य है कि आपकी गाड़ी का तेल खत्म हो गया’‘महिला बोली।

यह सुनकर चारों दोस्त अवाक रह गए। कुछ भी जवाब नहीं दे पाए। और एक-दूसरे का मुंह देखने लगे खामोश होकर।

चाय जब खत्म हो गई तो सभी ग्लासों को समेटने के बाद वह। औरत पूछी,’‘रात में आप लोग क्या खाना पसंद करेंगे ?’‘

‘’जो मिल जाए। खा लेंगे’‘नितेश बोला।

‘’जो मिल जाए नहीं, जो इच्छा हो सो बोलिए।’‘उस औरत ने जवाब दिया.

‘’इच्छा को छोड़िए।’‘अरुण बोला.

‘’छोडिए क्यों ? इच्छा हो तो सब कुछ है यहाँ “” औरत ने शरमाते हुए जवाब दिया.

‘‘क्या यहां हर चीज उपलब्ध है ?’‘शुभम ने उस औरत की आँखों में आखे डाल कर पूछा.

”बिल्कुल उपलब्ध है और जो नहीं है वह पड़ोस के घर से ले आउंगी सुनते हैं शहरी बाबुओं को मुर्गे अधिक पसंद आते हैं’‘महिला बोली।

”मुर्गे है क्या ?’‘ऋतिक ने पूछा।

”मुर्गे तो अपने पास ही आठ-दस हैं। शराब चाहिए तो वह भी मिल जाएगी लेकिन देशी। औरत चाहिए वह भी मिल जाएगी देशी।’‘उस औरत अपना होंठ दाँतों मे दबाते हुए कहा.

तब तो रात मुर्गा मस्ती में गुजरेगी। ऋतिक ने आंख दबाते हुए शुभम से धीरे से कहा।

चुप रह, तुम्हें तो औरत ही खाली सुझती है। शुभम ने धीरे से डांटा उसे।

थोड़ी देर में दो मुर्गे चिचयाने की आवाज आई तो सभी दोस्तों ने समझ लिया कि दो मुर्ग हलाल कर दिए गए। करीब डेढ़ घंटा के बाद खाना तैयार हो गया तो उस औरत ने खाना लगा दिया। गाड़ी से शराब की बोतल ले आया नितेश.

नितेश ने उस महिला से भी शराब पीने को कहा तो तुरंत तैयार हो गई। महिला ने अपना खाना भी इनलोगों के साथ ही लगा लिया और साथ ही बैठकर खाने भी लगी और शराब भी पीने लगी। खाना जब समाप्त हुआ तो शराब का असर सबों पर हल्का-हल्का हो चुका था।

‘’औरत की व्यवस्था कहां हुई ?’‘नितेश ने पूछा.

”मैं तो हूँ ही, कर दूसरी औरत की जरूरत क्या है !’‘उस औरत ने जवाब दिया.

”आप अकेली हैं और हम् चार हैं।’‘ऋतिक ने आश्चर्य के साथ बोला और उस औरत को गौर से देखने लगा।

”तो क्या हुआ ? मैं अकेले ही आप चारों का सम्भाल लुंगी’ . आप चारों को एक साथ खुश कर दूंगी।’‘बड़े ही आत्म विश्वास के साथ वह महिला बोली।

यह सुनकर सब एक दूसरे का मुंह देखने लगे। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था। इस औरत की बात पर.

‘‘क्या सचमुच आप अकेले एक साथ हम चारों को, सम्भाल लेगी ?’‘नितेश ने आश्चर्य से पूछा।

‘‘इसमें आपलोगों को आश्चर्य क्यों हो रहा है ? अरे मैं औरत हूँ दमदार औरत और औरत में बहुत ताकत होती है। बहुत दमखम होता है। मर्द तो एक बार खलास हुआ कि औंधे मुंह लेट जाता है।’‘वह महिला बोली।

‘‘गजब की हिम्मत है आप में’‘नितेश बोला।

‘‘आपको आश्चर्य हो रहा हैं न, लेकिन जब एक साथ में आप सबों को संतुष्ट कर दूँगी, तभी आपलोगों को यकीन आएगा।’‘वह औरत बोली।

”लेकिन क्या आपके अगल-बगल के लोग कुछ नहीं बोलेंगे ?’‘ऋतिक ने पूछा।

‘‘कौन साला बोलेगा। यहां यौन सम्बन्धों को कोई अपराध नहीं मानता। जिसकी मर्ज़ी जिसके साथ ही सम्बन्ध बना सकता है, लेकिन हां, इस मामले में यहां जबरदस्ती नहीं चलती। औरत और मर्द का होना बहुत जरूरी है, नहीं तो मार काट मच जाएगी।’‘वह औरत मौली।

‘‘वाह! तब तो बहुत उदार है आपका समाज इस मामले में। शुभम ने हंसते हुए कहा।

”तो कर शुरू हो जाए हमलोग?’‘ऋतिक ने मुस्कुराते हुए कहा।

‘‘हां तो अब देर किस बात की मैं भी तो जरा देखूं कि आप शहरी बाबूओं का शरीर कितना दमदार है।’‘हंसते हुए वह औरत बोली।

यह सुनते ही नितेश ने लपक कर उस औरत को अपनी बाहों में ले लिया और चुमते हुए पुछा,’‘आपका नाम तो अभी तक हमलोगों ने जाना ही नहीं।”

”मेरा नाम मैना है।’‘तब औरत बोली।

”आप सचमुच बहुत मैना है’‘कहते हुए ऋतिक उसकी चुचियों को अपने हाथ में ले लिया और हौले-हौले सहलाने लगा।

‘‘पहले झोपड़ी का दरवाजा तो बंद करने दीजिए। पुरी रात है अपने पास इतना हड़बड़ी क्यों दिखाते हैं।’‘मैना बोली।

यह सुनकर नितेश ने मैना को अपनी बाहों से मुक्त कर दिया। मैना ने उठ कर झोपड़ी के दोनों दरवाजे बंद कर दिए और पहुंच गई। चारों दोस्तों के पास। झोपड़ी के अंदर लालटेन की धीमी रोशनी फैली हुई थी। इस बार ऋतिक ने लपक कर मैना को अपनी बाहों में ले लिया और उसके भरे हुए गालों को चुमने लगा। नितेश ने उसकी एक चुची पकड़ ली और सहलाने लगा।

शुभम ने उसकी दुसरी चुची पकड़ ली और मसलने लगा। अरुण के हिस्से में कुछ न आया तो मैना की साड़ी को उपर उठा दिया और उसके चुतड़ों को ही दबाने लगा। सबों ने मिलकर उसे उठाया। और चौकी पर पड़े विस्तर पर लिटा दिया। ऋतिक उसकी साड़ी को खोलने लगा। नितेश उसके ब्लाउज के हुकों को खोलने लगा। थोड़ी ही देर में चारों दोस्तों ने मिलकर मैना के शरीर पर से सारे कपड़े अलग कर दिए। बिल्कुल नंगी हो गई मैना।

”आपलोग अपने कपडे भी तो खोलिए। किं मुझे नंगा कर देने से बात थोडे ही बनेगी’‘मैना मुस्कुराते हुए बोली।

यह सुनते ही चारों दोस्त अपने-अपने कपड़े धड़ाधड़ खोलने लगे।। कुछ ही मिन्टों में चारों दोस्त बिलकुल मारदजात हो गए। सभी के लण्ड एकदम तन गए थे। मैना की बुर पर आक्रमण करने के लिए। मैना ने चारों नगे दोस्तों की ओर एक बार गहरी नजर से देख कर उसने सभी के तने हुए लण्डों की ओर देखा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

एक साथ चार लण्डों को देखते ही मैना पर जवानी की मस्ती छा गई। और उसने बाएं हाथ से नितेश का लण्ड पकड़ लिया और दाहिने हाथ से अरुण का लण्ड और फिर वह दोनों के लण्ड को सहलाने लगी। तभी ऋतिक ने अपना लण्ड मैना के मुंह की ओर बढिया तो मैना उसके लण्ड को मुंह में लेकर चूसने लगी और मैना की बुर को शुभम चुमने लगा।

मैना की एक चुची नितेश के हाथ में थी तो। दूसरी चूची अरुण के हाथ में। दोनों प्रेम पुर्वक अपने-अपने हिस्से में आई चुचियों को सहला रही थे बीच-बीच में हौले हौले मसल भी रहे थे। चारों मर्दों को सचमुच में एक अकेली औरत सम्भाल ली थी और चपर शॅपर कर के बड़े प्रेम से अकेली औरत पर लगे हुए थे। मस्ती चारों ओर से आ रही थी और वह औरत यानी मैना तो मस्ती में थी ही।

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कोई दूसरी औरत होती तो चार-चार मर्दो के साथ एक बार चुदवाने को तैयार ही नहीं होती, क्योंकि चार मर्दो से एक साथ चुदवाना कोई आसान काम नहीं है। मैना की बुर के उपर बड़े-बड़े घने झांट थे क्यूँकि मैना अभी तक की उमर में कभी भी अपने झांट को सॉफ की ही नहीं थी.

शुभम को मैना की बुर को चाटने में बड़ा मजा आ रहा था। बुर, का नमकीन स्वाद शुभम को बड़ा अच्छा लग रहा था। बुर चाटने के साथ ही वह मैना की मोटी-मोटी जांघों को भी प्रेम से सहला रहा था सहलाते सहलाते वह कभी उसकी जांघ में चिकोटी भी काट लेता था।

मैना की दोनों चुचियाँ बहुत बड़ी-बड़ी थी एकदम बेल के समान लेकिन बहुत ही मुलायम और बहुत ही आकर्षक। इसलिए नितेश और अरुण बड़ी मस्ती के साथ उसकी एक-एक चुची में उलझे थे। नितेश और अरुण ने अपने दोनों हाथो से मैना की एक-एक चुची थाम रखी थी। ऋतिक मैना की कमर, पेट आदि को सहला रहा था। बड़ी चिकनी थी, मैना नंगी देह और ऋतिक के हाथ फिसल रहे थे, औरत उधर बुर चाटने में मस्त था शुभम।

‘‘क्या आप सबों को मजा आ रहा है न ?’‘मुंह में से ऋतिक के लण्ड को निकालकर औरत बोली।

‘‘हां हां बहुत मजा आ रहा है।’‘चारों दोस्तों ने एक साथ कहा।

”हां में हां मत मिलाइए। अगर किसी को कम मजा आ रहा हो तो तुरंत कहिए। मेरे पास और भी तरीके हैं। मैं चाहती हूं आप चारों को आज पूरी तरह से संतुष्ट कर दूं और किसी को किसी तरह कि शिकायत का मौका नहीं हो’‘औरत बोली।

‘‘नहीं हमें कोई शिकायत नहीं है। हम तो इस बात से आश्चर्य चकित हूं कि आपने अकेले हम चारों दोस्तों से एक साथ चुदवाने की हिम्मत कैसे कर ली। नितेश बोला।

”अरे शहरी बाबु मैं पहाड़ी।औरत हूं शहरी औरत की तरह सुकुमार नहीं हैं कि केवल नाज नखरे दिखाउँ और एक ही लण्ड के सामने हार मान जाउं। हम पहडी औरतों के बुर में भी बहुत ताकत होता है, इतनी ताकत कि दस मर्दों को भी परास्त कर दे।’‘औरत बोली।

यह कहने के बाद मैना ने ऋतिक के लण्ड को अपने मुंह में ले लिया और चुसने लगी। चारों दोस्तों के लण्ड में ज्वालामुखी धधकने लगी थी। इसी बीच शुभम औरत की बुर को बिचका कर अपना लण्ड घुसाने की कोशिश करने लगा।

”अरे रे रे, आप इतनी जल्दी अपने लण्ड को बुर में घुसाना क्यों चाह रहे हैं। मेरी बुर में आपका लण्ड एक बार घुस गया तो अन्दर से परास्त होकर ही निकलेगा। इसलिए जल्दीबाजी में मेरे बुर में लण्ड मत घुसा दीजिए क्योंकि तब तो आपके लण्ड का खेल ही। खत्म हो जायेगा.’‘औरत बोली।

यह सुनकर शुभम ने अपने लण्ड को औरत की बुर के दरवाजे पर ही रोक लिया। उसका लण्ड उतावला हो रहा था बुर में घुसने के लिए लेकिन उसने अपने लण्ड को रोक लिया।

”अब आप जाइए मेरे बुर की ओर, मैं तब तक उनका लण्ड चुसती हूँ, क्योंकि उनका लण्ड मेरे बुर के छेद में घुसने को बेकरार हो गया है।’‘औरत ऋतिक से बोलो।

सुनते ही ऋतिक चला गया औरत की बुर के साथ छेडखानी करने के लिए और शुभम अपने भीगे हुए लंड को लेकर चला आया औरत के पास और आते ही शुभम ने अपने लण्ड को मैना के होंठो पर रख दिया. मैना ने अपनी जीब को बाहर निकाला और लंड के टोपे पर लगे प्रेंकू को चाट लिया.

फिर अपनी ज़ुबान को लंड की लंबाई पर चलाने लगी कुछ देर चाटने के के बाद मैना ने लंड को अपने मुँह के अंदर ले लिया लौ इस तरह चुसने लगी मानो वह कोई स्वादिश्ट लोलीपोप चुस रही हो स्वाद ले ले कर। ऋतिक मैना की बुर को चुमने लगा और उसकी बुर से निकलती मादक गंध को सुघने लगा। चुमते-चुमते वह मैना की जांघ में दाँतों से भी काटने लगा लेकिन जोर से नहीं हौले-हौले।

इधर मैना के हाथों के कोमल स्पर्श से नितेश और अरुण के लण्ड में भी भयानक गरमी आ गयी थी। बिल्कुल जोश में आ चुके थे नितेश और अरुण के लण्ड। मैना की चुचियां लगातार सहलाए जाने एवं मसले जाने के लिए कारण चुचियों के निपल कड़े हो गए थे। मैना की चुचियों में भी खुन तेजी से दौड़ने लगा। एक तरफ मैना को शाराब का नशा था तो दूसरी तरफ चार-चार मर्दो के लण्डों से एक साथ खेलने का नशा।

ऋतिक भी मैना की बुर को चाटने लगा था। मैना की बुर में भी बहुत जोश आ गया था। और उसकी बुर के दोनों होंठ खुल गये थे जोश में आकर। उसकी बुर की दीवारों से हल्का-हल्का गाढा पानी जैसा रिसने लगा जिसे बाहर निकलते ही ऋतिक अपनी जीभ से। चाट लेता था।

मैना की बुर के पानी का नमकीन स्वाद ऋतिक को बड़ा प्यारा लग रहा था। बुर चाटते चाटते एक बार ऋतिक ने मैना की बुर में हौले से दांत से काट लिया तो मैना के मुंह से निकला, ईश आह्ह्ह्ह्ह् ओश्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह….! ‘‘ई का करत प्यारे शहरी बबुआ हमरी बुरिया को खाना है का’‘ मैना अपनी चूत को ऋतिक के मुँह पर दबाते हुए सिसकी.

इधर बुर चाटते-चाटते जब ऋतिक को अपने लण्ड को काबू में रखना मुश्किल हो गया तो उसने मैना की बुर को बिचकाया और अपने लण्ड को बुर के छेद के पास रखकर धक्का लगाने लगा। तभी नितेश ने ऋतिक का हाथ पकड़ा और बोला, इतना हडबड काहे करते हो बुर चोदने के लिए।

अभी पुरी रात पड़ी है, जितनी मर्जी हो चोदना न, मैना का बुर भागा थोड़े ही जा रहा है। चल हटो, इधर आओ। अब तुम मैना की चुची पकड़ो और मैं उसका बुर चाटता हूं। हम भी जरा इसके बुर का स्वाद ले ले। ऋतिक अपने लण्ड को मैना की बुर के पास से हटाना नही चाहता था क्योंकि उसका लण्ड मैना की बुर को गाड़ देने के लिए बेताब हो रहा था.

कर भी क्या सकता था नितेश की जिद के कारण उसने अपने लण्ड को मैना की बुर के पास से हटा लिया और मैना की मस्त चुचियों में उलझ गया। मैना उसका लंड अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी। जोश में आकर ऋतिक ने बड़े जोर से मैना की एक चुची को दबा दिया।

ईश.अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाइईईईईईईईईईईईईईईईई….। मैना के मुंह से निकला और वह शुभम के लण्ड को अपना मुंह से निकालकर बोली, ”क्यों शहरी बाबु आपका लण्ड कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया है क्या ?’‘

‘‘हां मैना, मेरा लण्ड अब तुम्हारी बुर को चोद चोद कर वेहाल कर देना चाहता है’‘ऋतिक बोला।

”मेरे लण्ड काभी यही हाल है मैना, उसे चुस-चुस कर आपने और भी भड़का दिया है। इच्छा होता है कि आपके मुंह में ही चोदने लगू लेकिन करू तुम्हारे दांत मेरे लण्ड में गढ़ेंगे। इसलिए लाचार हूं अन्यथा आपके कण्ठ में ही घुसा देता’‘शुभम बोला।।

तभी नितेश बोल उठा,’‘अब मेरा लण्ड भी मैना की बुर को फाड़ देना चाहता हैं। बहुत मस्ती में आ गया है मेरा लण्ड।’‘

‘‘तो तुम लोग क्या समझ रहे हो कि मेरे लण्ड में कोई दम नहीं है। मेरे लण्ड की तो इच्छा हो रहा है कि मैना के पेट में ही छेद कर दे और जमकर चोदे।’‘अरुण बोला।

‘‘मैं समझ गई कि आप सबों का लण्ड अब मेरी बुर को चोद चोद कर फाड़ देने के लिए बेताब हो गया है और आज बुरी फँसी मैं आज खैरियत नहीं है मेरी बर की लेकिन अभी थोड़ी देर में पता चल जाएगा किं आपलोगों के लण्ड में कितनी ताकत है और मेरी बुर में कितनी ताकत है। तबतक आप सबों के लण्ड को और थोडा गरम कर देती हूँ और साथ ही मेरा बुर भी तैयार हो रहा है चुदवाने के लिए और आप सबों के लंडों के आक्रमण का सामना करने के लिए’‘मैना बोली।

मैना की बुर को चाटते-चाटते ऋतिक चूसने लगा उसका मुँह का पुरा गीला हो गया था मैना की बुर बुरी तरह से पनिया चुकी थी क्योंकि उसकी बुर पानी छोड़ने लगी थी उसकी बुर के अंदर भी बिजली का करेन्ट दौडने लगा तेज रफ्तार में।

अब मैना ने शुभम के लण्ड को अपने मुंह से निकाला और अरुण के लंड का मुंह में लेकर चूसने लगी . शुभम के लण्ड को वह हाथ से ही हौले-हौले सहलाने लगी। मैना के मुंह में जाते ही अरुण के लण्ड में भी कफी तेजी से सनसनी होने लगी।

(दोस्तो चार लण्ड और एक अकेली बुर। चारों लंड बुर पर जोरदार आक्रमण करने के लिए तैयार और बुर भी पूरी मस्ती में चुदवाने को तैयार। चार लण्ड का एक बुर का जोरदार हमला। बड़ा ही रोचक दृश्य उपस्थित हो गया है। अब क्या होगा मैना की चूत का.) अब मैना की भी इच्छा हो गई कि बुर की लण्डों से मुलाकात करवा ही दी जाय क्योंकि इन चारों, दोस्तों के लण्डों के अलावा मैना की बुर का भी बेहाल हो गया था चुदवाने के लिए।

‘‘पहले कौन चोदेगा मुझे?’‘मैना ने एक सवाल किया सबों से।

”मैं चाहूंगा सबसे पहले’‘अरुण बोला।

”नहीं, मैं चोदूंगा सबसे पहले’‘शुभम बोला।

‘‘नहीं, किसी की नहीं चलेगा। सबसे पहले मैं चोदुन्गा मैना के बुर को’‘ऋतिक बोला।

”छोड़ों यार, पहले मैं चोदूंगा’‘नितेश बोला।

‘‘अरे रे……. आपलोग तो पहले चोदने के लिए लड़ने लगे। अरे पहले चोदिए या बाद में, इससे क्या कर्क पड़ता है। मेरा बुर भी अपनी जगह पर है और लंड भी आपलोगों का अपनी जगह पर है तो फिर काहे पहले और बाद का झूमेला। आपलोग मेरी बुर का शील तो तोड़ने नही जा रहे है कि जो पहली बार शील तोड़ेगा उसे मजा आयेगा।

मेरी बुर का शील तो बहुत पहले टूट चुका है। अब कोई कितना भी चोद ले तो मेरी बुर को कोई फ़र्क नहीं पड़ता। इसलिए आपलोग आराम से मेरी बुर को एक-एक करके जमकर चोदिए। आज की रात मेरी बुर है और आपलोगों का लंड है। जबतक आपलोगों के लंड में दम रहेगा, मेरी बुर जरूर साथ निभाएगी’‘मैना बोली।

‘‘लेकिन फिर भी सबसे पहले मैं ही चोदूंगा। आपकी बुर को।’‘ऋतिक ने कहा !

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‘‘नहीं, सबसे पहले इनको चोदने दीजिए क्योंकि ये वेचारे शुरू से ही मेरी बुर पर आंख गड़ाए हुए हैं। मेरी बुर को चाटने की शुरूआत इन्होंने ही की थी और सबसे पहले इन्हीं के लण्ड ने मेरी बर पर आक्रमण किया था चोदने के लिए।’‘शुभम की ओर इशारा करती हुई बोली मैना।

मैना के निर्णय को मानने के लिए सब दोस्त मजबुर हो गए। और विजयी भाव से अपने लण्ड को लहराते हुए शुभम बढ़ा मैना की बुर की ओर। मैना की बुर के नजदीक पहुंच कर शुभम ने प्रेम से एक बार बुर को चुमा। चुमने के बाद शुभम अपने आप को बुर चोदने की पोजीशन में लाया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

फिर उसने एक हाथ से मैना की बुर को बिचकाया (कुछ दोस्त कनफ़्यूज हो रहे होंगे कि ये बिचकाना क्या चीज़ है तो दोस्तो यहाँ बिचकाना का मतलब है फैलाया} और बुर के छेद के ठीक पास अपने फनफनाते हुए लण्ड को रखा। शुभम ने दोनों हाथ से मैना की कमर को पकड़ते हुए एक जोरार धक्का मारते हुए बुर की दीवारों को चीरता हुआ शुभम का लण्ड मैना की बुर के अन्दर चला गया।

शुभम ने फिर अपने लण्ड को थोड़ा बाहर निकाला और पुरी ताकत के साथ धक्का मारा। इस बार पूरा का पूरा लण्ड मैना की बुर में समा गया। वस अब तो शुभम लागातार मैना की बुर पर अपने लण्ड से आक्रमण करने लगा। उसका लण्ड दनादन मैना की बुर में अन्दर बाहर जाने लगा.

मैना अपनी बुर एक लण्ड से चुसवा भी रही थी तथा एक लण्ड को वह मुंह में रखकर चूस भी रही थी। इतना ही नहीं, उसके दोनों हाथों में एक-एक-एक लण्ड जिसे वह सहला सहला कर पुरी तरह जोश में ला रही थी। ताकी एकलण्ड उसकी बुर में दम तोड़ दे तो दूसरा लण्ड मोर्चा संभाल ले और उसकी बुर की चुदाई जमकर हो, इतनी हो चुदाई कि मस्त हो जाए।

मैना की बुर इतनी गीली हो गई थी कि बड़े आराम से शुभम का लम्बा सा लण्ड उसकी बुर में घुस रहा था और निकल रहा था। मैना की बुर को चोदने में शुभम को बड़ा मजा आ रहा था। इतनी जारे से शुभम धक्के मारता था कि उसका पूरा का पुरा लण्ड धुप से मैना की बुर को चीरता हुआ अंदर घुस जाता था.। अथाह थी गहराई मैना की बुर की।

इस वक्त मैना भी अपने को खुश किस्मत समझ रही थी। क्योंकि उसके चारों तरफ लण्ड ही लण्ड थे। एक उसकी बुर को चोद रहा था यानी कि चूत के मुँह में था एक दुसरे मुंह में था और दो उसके हाथ में ऐसा महत्वपूर्ण अवसर भी पहली बार मिला था।इसके पहले वह एक साथ तीन मदों से चुदवा चुकी थी, लेकिन चार मर्द से चुदवाने का अवसर पहली बार मिला था।

इसलिए वह भी अपने अनुभवों की डायरी में एक ओर नया अनुभव जोड़ लेना चाहती थी। इन चारों दोस्तों के जीवन में भी यह पहला अवसर था जब ये चारों दोस्त मिलकर एक ही साथ एक ही औरत को चोद रहे थे। बड़ी ही दिलचस्प लग रही थी। उन्हें यह मैना और उसकी बुर की चुदाई. एक ही औरत को उन चारों मित्रों ने चोदा जरूर था, लेकिन एक ही साथ नहीं बल्कि बारी बारी से।

मैना की बुर को चोदते-चोदते शुभम बहुत ही जोश में आ चुका था। उसने मैना को कसकर पकड़ लिया था। और दनादन धक्का लगाए जा रहा था। हल्की-हल्की चकचाकच की आवाज भी आने लगी थी बुर और लण्ड के मिलन से. शुभम अपनी ही धुन में अपना लंड मैना की चूत में पेले जा रहा था।

शुभम को दनादन मैना की बुर में लण्ड पेलते देखकर नितेश अरुण और ऋतिक के लण्डों का जोश बढ़ता ही जा रहा था। लण्डों मे इस आये ताव को रोकना तीनों के लिए बहुत कठीन हो रहा था। *. लेकिन कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था सिवाय बर्दास्त करने के अलावा।- ये लोग मैना की.चुचियों पर टूट पड़े थे और चुचियों को बुरी लरह मसले जा रहे थे।

‘‘लगता है अब आपके लण्ड में बहुत गरमी आ गई है।’‘शुभम को जोर-जोर से धक्के मारते देख मैना ने मुस्कुराते हुए कहा।

‘‘हां मैना, मेरा लण्ड इस समय पगला गया है तुम्हारी बुर को चोदते चोदते। मेरा लण्ड फाड़ देगा तुम्हारी बुर को इस वक्त’‘झुमता हुआ शुभम बोला।

”अरे शहरी बाबू औरत की बुर को तो उपर वाला ही फाड़ कर भेजता है, आप क्या फाड़ेंगे। कुछ ही देर में तो आपका लण्ड दम तोड़ देगा और तब आपके लण्ड की हिम्मत ही नहीं होगी मेरी बुर में घुसने की भी!’‘मैना ने मुस्कुराते हुए कहा।

‘‘अभी बहुत ताक़त है मेरे लण्ड में’‘शुभम ने एक जोरदार शॉट मारते हुए कहा।

”जब तक किसी का लण्ड खलास नहीं हो जाता है। न, तबतक लगता है कि बहुत ताकत है मेरे लण्ड में। यही बात है। आपके साथ में भी और आपके लण्ड की रफ्तार बता रही है आपके लंड को खलास होने में ज्यादा देर नहीं है। और आपका लण्ड खलास हुआ कि आप गये काम से।’‘मैना इस तरह बोली मानो उसे मर्दो के लण्ड का बहुत ज़्यादा अनुभव हो।

पहले चोदने दीजिए जमकर अपनी बुर को। खलास तो हर लण्ड को अन्तः मे होना ही है। अगर लण्ड खलास न हो तो बुर की क्या दुर्गती होगी यह कभी सोचा है आपने। कहते हुए शुभम दनादन मैना की बुर् पर अपने लण्ड से आक्रमण करता रहा।

थोड़ी ही देर के बाद शुभम ने अपनी सारी ताकत लगा दी अपने लण्ड के पीछे और बड़ी तेजी से अपने लण्ड को बाहर निकाल-निकाल कर मैना की बुर को चोदने लगा। चचचच पॅच पॅच फॅक फॅक फच फच की आवाज निकल रही थी चुदाई से।। लेकिन शुभम के लण्ड की यह रफ्तार टिक नहीं पाई और शीघ्र ही उसका लण्ड गरम-गरम वीर्य उगलने लगा मैना की बुर में। वीर्य उगलते-उगलते शुभम के लण्ड का जोश धीमा पड़ने लगा और अन्तः में थम गया शुभम का लण्ड।

‘‘चल हठ शुभम अब तुझे क्या तेरे लण्ड का काम तमाम। अब मैं मैना की बुर को चोदूंगा’‘ऋतिक ने कहा शुभम से।

शुभम आहिस्ते से उठा और बगल में नीचे बैठकर आराम करने लगा और ऋतिक लपका मैना की बुर की ओर। मैना की बुर का छेद तो बिचका हुआ था ही। ऋतिक ने तपाक से अपने को चोदने की पोजिशन में लाया और मैना की पतली कमर को पकड़ कर अपना लण्ड पेल दिया मैना की बुर में।

दो-तीन बार ऋतिक ने धीरे-धीरे मैना की बुर में धक्का मारा। और ऋतिक ने देखा कि उसका लण्ड का निशाना बिल्कुल ठीक हैं तथा उसका लण्ड सीधा उस औरत की बुर में घुसता चला जा रहा है तो उसने एक जोरदार शॉट मारा। ऋतिक का लण्ड सीधा औरत को बुर को चीरता हुआ पुरा का पुरा औरत की बुर में घुस गया।

‘‘आपके लंड का निशाना तो बड़ा सटीक है शहरी है’‘। मुस्कुराते हुए मैना बोली.

‘‘चोदे हुए बुर में और बीचके हुये बुर में भी अगर लण्ड का निशाना सटीक अगर न बैठे तो बेकार है बुर का चोदना ऋतिक ने हंसते हुए कहा।

‘‘हां शहरी बाबू मेरी बुर में तो रास्ता आपके दोस्त ने ही बना दिया है। अब दिल खोलकर अपना लण्ड पुरी मस्ती में पेलते जाइये। सीसियाते हुए मैना बोली।

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यह सुनते ही ऋतिक दनादन औरत की बुर में अपना लण्ड पेलने लगा। और औरत ने नितेश के लण्ड को अपने मुंह में ले लिया और चूमने लगी। नितेश और अरुण उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों को मसलने लगे . नितेश की मन हो रहा था कि वह ऋतिक की हटाकर अपने लण्ड को पेल दे औरत की बुर में, लेकिन उसने किसी तरह अपने लण्ड को काबू में रखा।

अरुण का लण्ड भी धमाल मचा रहा था चूत चोदने के लिए लेकिन उसके पास भी धैर्य रखने और अपनी बारी का इंतजार करने के सिवा कोई रास्ता नहीं था। सुस्त पड़ा शुभम चुपचाप देख रहा था। ऋतिक को चोदते हुये। उसका लंड अब सिकड़कर छोटा हो गया था। लग रहा था जैसे उसका लंड मर गया हो।

शुभम की चलती सांस अब धीमी होने लगी थी। नितेश और अरुण कभी उसकी चुचियों को मसलते तो कभी उसकी चुचियों में दांत से काट लेते तो कभी चुचियों में नाखुन गडा देते। इन दोनों से भी अपने लंड के जोश को रोकना बड़ा कठिन हो रहा था। मैना की बुर भी बहुत गरम हो रही थी, लेकिन उसे अभी दो और लंड की गरमी उतारनी थी।

इसलिए मैना अपनी बुर को नियंत्रण में रखी हुई थी ताकि उसकी बुर नितेश और अरुण के लंड को खलास किये बिना ही न खलास हो जाय। ऋतिक के लंड ने भी रफ्तार पकड़ ली। मैना की बुर के अन्दर का रास्ता तो बहुत ही गीला था इसलिए उसका लंड बड़े आराम से उसकी बुर में घुस रहा था और निकल रहा था। पुरी मस्ती में ऋतिक डाले जा रहा था मैना की बुर में।

‘‘क्या शहरी बाबू, मजा आ रहा है न चोदने में मेरी बुरिया को।।’‘मैना पूछी ऋतिक से।

‘‘बुर चोदने में भी अगर मजा नहीं आएगा तो मजा आएगा किस काम में। किसी भी मर्द के लिए इससे ज्यादा आनन्दायक काम दुनिया में है ही नहीं।’‘ऋतिक ने जबाव दिया।

‘‘ठीक है तो आप भी अपने लंड की ताकत को दिखला ही दीजिए मुझे भी देखना है कि आप चारों दोस्तों में से किसका लंड सबसे तगड़ा और दमदार है ?’‘मैना मुस्कुराते हुए बोली।

यह सुनकर ऋतिक को ओर जोश आ गया क्योंकि उसके लंड की प्रतिष्ठा का सवाल उत्पन्न हो गया। उसने मन ही मन सोच लिया। कि किसी भी कीमत पर उसे अपने लड की प्रतिष्ठा बचानी है, ताकि मैना यह न समझ ले कि ऋतिक का लंड अन्य मित्रों के लंड की तुलना में कमजार है।

इसलिए वह और जोर-जोर से मैना की बुर में धक्का मारने लगा। प्रत्येक धक्के के साथ ऋतिक का लंड फ़चाक से मैना के बुर में घुस जाता और फिर तुरंत ही बाहर भी निकल जाता। बाहर निकलते ही उसका लण्ड फिर से मैना की बुर पर हमला कर देता।। काफ़ी तेजी से ऋतिक का लंड मैना की बुर पर हमला किये जा रहा था।

मैना को भी चुदवाने में खुब मजा आ रहा था। उसका मन इसी तरह की चुदाई चाहता भी था। कमजोर चुदाई औरत की बुर को पसंद नहीं थी इसलिए. कमजोर मर्दो की ओर औरत की नजर भी नहीं जाती थी। जितनी ताकवर औरत की बुर होती है उतना ही ताकतवर वह मर्द का लण्ड भी खोजती है।

तगड़ा लंड पाने की तलाश में ही मैना ने अपने लिए पति चुना था। अपने पति को पति बनाने से पूर्व यह आठ-दस बार उसके लंड से चुदवाकर देख ली थी कि उसके लण्ड में उसकी बुर को परास्त करने की क्षमता है या नहीं, क्योंकि जीवन भर का सवाल था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

”और चोदिए, जमकर चोदिए। दिखा दीजिए की शहरी लण्ड में भी ताकत होती है पहाड़ी बुर को पछाड़ने की। पहली बार में शहरी लंड से चुदवा रही हूं। अभी तक तो पहाडी लंड से ही पाला पड़ा। था। औरत ने बोला।

यह सुनकर ऋतिक को और जोश आ गया और उसने अपने लण्ड के पीछे और ताकत लगा दी ताकि मैना को यह अहसास न हो कि शहरी बाबु केवल उपर से देखने में जोशीले नजर आते हैं, और उनके लण्ड में कोई ताकत होती हो नहीं। जमकर चोदना और औरत की बुर को संतुष्ट करना ऋतिक के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया।

खुब जोर-जोर से धक्के मारते हुए ऋतिक ने पुछा मैना से,’‘कैसी हो रही है आपकी बुर की चुदाई। आपकी बुर के लायक चुदाई हो रही है। या नहीं।”

‘‘हां हां, आपका लंड तो मस्ती में चोद रहा है मेरी बुर को। और ताकत हो आपके लंड में तो दिखाइए। शायद ऐसा मौका फिर न मिले।’‘औरत बोली.

यह सुनकर ऋतिक ने अपनी पूरी ताकत लगा दी अपने लंड के पीछे। अपने लंड की प्रतिष्ठा बरकरार रखने के लिए क्योंकि सवाल उसके लंड की प्रतिष्ठा का ही नहीं था।। सभी शहरी लोगों के लंड की प्रतिष्ठा का सवाल था। वह नहीं चाहता था कि शहरी लंड की प्रतिष्ठा मिट्टी में मिल जाए।

इतनी तेजी से ऋतिक का लंड औरत के बुर में आ जा रहा था। कि ऐसा लग रहा था कि ऋतिक के लंड में कोई स्पींग फैट कर दिया हो जिससे उसका लंड टकटटकट औरत के बुर में घुस रहा है और निकल रहा है। लंड और बुर की लड़ाई में चचचच की आवाज निकलने लगी क्योंकि औरत का बुर बहुत गीला था।

पुरी मस्ती में ऋतिक टूटे पड़ा था औरत के बुर पर। इस वक्त अगर औरत कि बुर के उपर बड़े-बड़े घने झांट न होते तो ऋतिक और औरत की हड्डियां टकराती खूब जोर से।। औरत की बुर के उपर घने झांट इस वक्त गदा का काम कर रहे थे नहीं तो बुर के उपर की हड्डी और लंड के उपर को हड्डी दोनों में खुब टकराव होता।

और तब ऋतिक के लिए इतने जोर-जोर से औरत के बुर में धक्के मारना सम्भव भी नहीं होता। ऋतिक के इन धक्कों से औरत की बुर भी मस्त हो उठी। लंड के ऐसे ही आक्रमणों से मैना की बुर पर मस्ती छाती थी। मैना भी नीचे से चूतड़ उछला-उछला कर ऋतिक की लंड के आक्रमण का जबाव देने लगी।

बाह ! क्या चुदाई हो रही है। नितेश बोला।। अरे ऋतिक ! इतना जोर से मत चोदो कि मैना का बुर तहस-नहस हो जाये और हमलोगों को चोदने लायक ही नहीं रहे।

आखिर हमलोगों का लंड इस वक्त कहां जाएगा बुर की तलाश में। अरुण ने हंसते हुए कहा।

आप दोनों चिंता मत कीजिए इनका लंड से मेरे बुर का कुछ नहीं बिगड़ने वाला है। आप दोनों के लंड की शक्ति को भी बड़े आराम से देखेगी मेरी बुर। बहुत ही मजबूत है मेरी बुर मैना बोली।

इतनी तेजी से ऋतिक का लड चोदे जा रहा था कि ऐसा लग रहा था मानो पागल हो गया है ऋतिक का लंड। तुम्हारा लंड पगला गया है क्या ऋतिक ? नितेश पूछा।

“”हां “” ऋतिक ने कहा।

“”क्यों ? “”

“” मस्त बुर को ताकत देखकर।””

“” तो ठीक है अपने लंड का पागलपन उतार ही लो। “”

“”बिल्कुल उतार लूंगा।””

“” कुछ भी बाकी मत रखना।””

“” बिल्कुल नहीं रखेंगा।””

‘‘क्यों ? “”

‘‘ताकि औरत को बुर को अहसास हो जाये। “”

“”किस बात का ? “”

“”यह कि शहरी बाबु का लंड में भी ताकत होती है ? “”

“” ठीक है चोदते जाओ कुल स्पीड से। “

“” और स्पीड बढाउं क्या ?””

“” अगर बढ़ा सकते हो तो बढ़ा ही दो।। “”

यह सुनकर ऋतिक ने अपने लंड की रफ्तार बढ़ा दी। उसके लंड कि रफ्तार इतनी बढ़ गई कि उससे ज्यादा बढ़ाना अब ऋतिक के बश के बाहर की बात थी।

“”तुम जितना चोद सको, चोदो। “”

“”पीछे हमलोग भी हैं शहरी लंड का परिचय पहाड़ी बुर को देने के लिये।”” नितेश बोला।

“”वाह शहरी बाबू वाह। “” औरत के मुंह से निकला,”” क्या रफ्तार है चोदने की। मेरा बुर तुम्हारे लंड को धन्यवाद दे रहा है मस्ती में झूमते हुये।”” चुदाई के नश में झूमती हुई औरत बोली।।

“”मस्ती आ रही है ? “”ऋतिक पूछा।

“”हां, मस्ती आ रहा है “” औरत ने बोला।

“”आपकी बुर को कोई कष्ट तो नहीं ?””

“” नहीं-नहीं कष्ट कैसा ?””

“”बहुत मजा आ रहा है ?””

“” हां मजा आ रहा है पहाड़ी लंड से ज्यादा या कम। “”

“”ज्यादा !””

“” ऐसा क्यों ? “”

“”आपके लंड की रफ्तार का कारण। “”

“”यह रफ्तार पहाडी लंडों में नहीं होता।।””

“”होती है लेकिन इतना नहीं। “”

“”और रफ्तार बड़ा दें।””

“” अगर सम्भव हो तो बढाइये।””

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यह सुनकर ऋतिक ने अपना लंड की रफ्तार को और बढ़ाने का प्रयास किया, लेकिन रफ्तार की सीमा खत्म हो चुकी थी इसलिए और बढ़ाना सम्भव नहीं था। लंड और बुर का जबरदस्त मुकाबला चल रहा था जिसमें लंड की रफ्तार बहुत अधिक थी और बुर की कम।

बिल्कुल मशीनी अंदाज में ऋतिक का लंड औरत की बुर में घुस रहा था और निकल रहा था अंदर से बाहर निकलते ही तपाक से उसका लंड औरत की बुर में विलीन हो जाता है। औरत का बुर भी बड़ा प्रसन्न हो रहा था इस शानदार चुदाई से मस्त होकर। शुभम चुपचाप इस शानदार चुदाई को निहारे जा रहा था। क्योंकि उसकी बारी फिलहाल समाप्त हो चुका था।

इस जबरदस्त चुदाई के दौरान ऋतिक ने औरत को बुरी तरह जकड़ रखा था अपनी बांहों में. उधर चुचियों का मसला जाना चल रहा था नितेश और अरुण के द्वारा। अरुण के लंड को औरत मुंह से चुसती भी जा रही थी। ”चोदो…..चोदो और जमकर चोदो….।’‘नितेश ने ऋतिक का उत्साह बढ़ाया चोदने में। और ऋतिक पुरी ताकत के साथ औरत की बुर पर पड़ा हुआ था।

उसकी सांस तेज चलने लगी थी बहुत तेजी से चोदने के कारण। लेकिन थोड़ी देर में ही ऋतिक का लंड वीर्य उगलने लगा औरत की बूर के अंदर औरत की बुर उसके गरम-गरम वीर्य को पीने लगी. और मस्ती में झूमने लगी. वीर्य उगलते-उगलते ऋतिक का लंड शांत हो गया और साथ ही शांत हो गई ऋतिक के शरीर की हरकत। सुस्त हो गया उसका लंड।

तभी नितेश ने कहा-हो गया तेरे लंड का भी काम तमाम चल हटा अब मुझे चोदने.दे यह सुनकर ऋतिक धीरे से उठा और शुभम की बगल में आकर बैठ गया और अपने लण्ड को एक कपड़े से पोछने लगा। नितेश के खड़े हुए लण्ड को आने हाथ मे लेकर तपाक से मैना अपनी बुर से रगड़ते हुए हंसते हुए बोली’‘हां, अब आप भी अपने लण्ड का बुखार उतार ही लीजिए।

ऋतिक ने हंसते हुए कहा-’‘मेरा लण्ड भी बहुत मजबुत है रानी’‘।

मैना ;’‘सो तो अभी पता चल ही जायेगा।”

नितेश ;’‘मेरा लण्ड ऋतिक के लण्ड से ज्यादा ताकतवर है।”

‘‘हाथ कगन को आरसी क्या। पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या जो चोदकर गये है एक बार उन्हें देख लो शहरी बाबू।”

यह सुनकर नितेश पहले अपने आप को बुर चोदने की पोज़ीशन में ला कर और अपने लण्ड को औरत के बिचके हुए बुर के पास और धीरे-धीरे से धक्का मारा। बिना किसी बाधा के उसका लण्ड औरत की बुर में थोड़ा सा घुस गया। नितेश ने दुबारा धक्का मारा तो उसका लण्ड थोड़ा और बुर के अन्दर चला गया। वह समझ गया कि बुर का लाईन एकदम किलीयर है और बस दनादन लण्ड को पेलते जाना है। आखिर औरत का बुर अब तक दो लण्डों से चुदवा चुका था।

”जोर से धक्का मारिये, धीरे-धीरे क्या मेरे बुर को सहला रहे हैं।’‘औरत बोली।

”अभी बताती हूँ आपके ३ लंड बुर को आप क्या बताईएगा। चोद -चोदकर कर मज़े लीजिए। आखिर मेरा बुर है किसलिए भगवान ने बुर को बनाया ही है चुदवाने के लिए, क्या दुनियां में ऐसी कोई औरत है जिसका बुर चोदा नहीं जाता हो’‘औरत कही।

यह सुनकर नितेश ने एक जबरदस्त शॉट लगाया मैना की बुर पर। बन्दुक की गोली की तरह उसका लण्ड औरत की बुर में घुसता चला गया। बुर के गीला होने की वजह से कोई दिक्कत नहीं हुई.

”मेरा लण्ड बहुत जोश में है’‘नितेश ने कहा।

”तो चदिए न जमकर कहते क्या हैं?’‘

‘‘आपका बुर तो जी टी रोड बन गया है।”

‘‘दो-दो शहरी लण्डों को झेल चुका है। मजाक है क्या?’‘औरत बोली।

यह सुनते ही नितेश ने दनादन मैना की बुर पर हमला प्रारम्भ कर दिया। उसका लण्ड मैना की बुरं में धड़ाधड़ घुसने और निकलने लगा। चुदवाते-चुदवाते मैना की बुर की दिवार भी ढीली हो गई थी। और साथ ही दो-दो लण्डों ने उसके अन्दर अपना गरम-गरम वीर्य उगला था। इसलिए नितेश के लण्ड को किसी तरह की परेशानी नहीं हो रही थी। बुर के अंदर घूसने और निकलने में। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

”आपके लण्ड के शॉट भी अच्छे हैं।’‘मैना ने अपनी चूत को उछालते हुए कहा.

‘‘तो और क्या ? बिल्कुल नौ इंच का लण्ड है मेरा धमाकेदार और जायकेदार’‘नितेश ने कहा।

‘‘मेरी बुर की गहराई भी कम नहीं है।’‘मैना ने सीसियाते हुए कहा.

‘‘सो तो मैं देख हो रहा हूं।”

‘‘देखिए नहीं जमकर चोदिए।”

‘‘क्यों आपका बुर बहुत गरम है क्या ?”

‘‘दो दो लण्डों को गरमी झाड़ने के बाद भी मेरा बुर गरम नहीं होगा’‘औरत कही।

नितेश ने औरत की दोनों चूचियों को अपने हाथ में ले लिया और उन्हें मसलते हुए चोदने लगा पुरी ताकत के साथ। औरत के मुंह में अरुण का लण्ड था जिसे वह आम की तरह चुसे जा रही थी मस्ती में।

‘‘बुर और चुची दोनों को तुम अपने ही कब्जे में रखोगे तो मैं क्या खाली लण्ड चुसवाउन्गा मैना से। कम से कम एक चुची तो मेरे लिए छोड़ दो।’‘अरुण ने नितेश से कहा।

”चिंता भूत करो। अभी थोड़ी देर के बाद बुर और दोनों चुचियां यानी की पुरी मैना तुम्हारे लिए फ्री हो जाएगी। तब तुम्हें अकेले जो कुछ करना होगा जमकर करते रहना। कोई बाधा नहीं डालेगा।’‘नितेश ने कहा।

‘अच्छा ठीक है अब अपने लण्ड की गर्मी पहले शांत करो।। फिर तो मेरे लण्ड और मैना की बर का मुकाबला होगा।’‘अरुण ने कहा हंसते हुए।

नितेश दनादन मैना की बुर में अपना लण्ड पेले जा रहा था। बड़ा ही दिलचस्प मुकाबला था बुर और लण्ड का जिसे चुपचाप बैठकर देख रहे थे शुभम और ऋतिक।

‘‘आह ! हाइईईईईईईईईईई मेरे राज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्जाअ क्या चुदाई करते हो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’‘औरत बोली।

‘‘मजा आ रहा है आपकी बुर। को ?’‘नितेश ने एक जोरदार शॉट लगाते हुए मैना से पूछा.

‘‘हाइईईईईईईईईईईईईईई बाबूऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ बहुत मजा आ रहा है।’‘मैना पूरी तरह मस्ताती हुई बोली.

‘‘और रफ्तार बढाउ अपने लण्ड का ?’‘नितेश ने मैना की चुचि के निपल को छेड़ते हुए पूछा.

‘‘रफ्तार जितनी बढ़ाओगे मजा उतना ही आयेगा मेरे राजा।”

‘‘बहुत रसीला है। आपका बुर।’‘

‘‘आपका लण्ड भी कम मस्त नहीं।”

‘‘ऐसी बुर को ऐसा ही लण्ड चाहिए ?..”

‘‘हां तभी मजा भी आता है चुदाई में।”

‘‘आपकी चुचियों भी शानदार है।’‘

‘‘उपर वाले की मेहरवानी है।’‘

‘‘या मरद ने मसल-मसल कर बड़ा कर दिया है’‘

‘‘ऊपर वाला अगर मेरी चुचियों को बनाने में उदार न होता तो मरद के मसलने से होता ही क्या ? दोनों के सहयोग से ही मेरी चुचियां मस्त-मस्त हैं।’‘

‘‘आपका मिजाज भी रंगीला है।’‘

”और दुनिया में है ही क्या ? चार दिनों की तो जिन्दगानी है फिर तो इस दुनिया से चल ही देना है। इसलिए जितनी मौज मस्ती से दिन गुजार ले उतना ही अच्छा है।

चोदते-चोदते नितेश मैना की चुचियों को बुरी तरह मसलने लगा लेकिन वह सब मैना को अच्छा लग रहा था। नितेश औरत की चुची के निप्पल को मसलने लगा। चूसते चुसते वह कभी दांत भी काट लेता निप्पल को। चुची को चुसे जाने से मैना की बुर की आग और बढ़ गयी। मैना भी अपने आपको उचका-उचका कर नितेश के लण्ड के जोरदार हमलों का जवाब देने लगी।

लेकिन जितनी तेजी से लण्ड आक्रमण कर रहा था बुर पर उतनी तेजी से मैना की बुर नहीं उछल रही थी क्योंकि मैना सोच रही थी कि अभी उसके बुर् को एक और लण्ड का सामना करना है इसलिए बुर् की शक्ति को बचाकर भी रखना है ताकि अंत में चोदने वाले को निराशा हाथ न लगे।

नितेश तो एकदम पागल की तरह चोदे जा रहा था, मैना की मस्त बुर से चचे-चचफुक फकफ़च फव्च की आवाज निकलने लगी। बुर और लण्ड के जोरदार मुकाबले से। बड़ी तेजी से नितेश की कमर उपर नीचे हो रही थी। और उतनी ही तेजी से उसका लण्ड बुर को चोद चोद कर बेहाल किये जा रहा था।

‘‘हां जी आपको लण्ड में भी बहुत दम है।’‘

‘‘क्या मेरा लंड सबसे तगड़ा है ?’‘

‘‘तगड़ा लण्ड ही तो मस्त करता है बुर को।”

‘‘मस्ती मिल रही है न ?’‘

‘‘बहुत मस्ती मिल रही है।’‘

करीब दस मिनट तक नितेश अपनी पुरी रफ्तार में मैना की बुर को दनादन चोदता रहा तो मैना का शरीर निहाल हो गया लण्ड की मस्ती से।

‘‘वाह ! वाह ! आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हक्या लण्ड है आपका’‘।

‘‘धन्यबाद मेरे लण्ड को तारीफ के लिए।’‘

”मेरी बुर तो आपको लण्ड की दिवानी हुई जा रही है।’‘

”मेरा लण्ड भी आपके बुर का दिवाना होता जा रहा है। ऐसा बुर कभी-कभी ही चोदने को मिलता हैं।’‘

”चोदिए, चोदिए, जमकर चोदते जाइए। मुश्किल से होती है ऐसी चुदाई’‘औरत बोली।

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बिल्कुल मशीनी अंदाज में नितेश चोदे जा रहा था औरत की बुर को, लेकिन थोड़ी देर के बाद ही नितेश का लण्ड भी गरमा गरम वीर्य उगलने लगा बुर के अंदर। थोड़ी ही देर में नितेश का लण्ड सारा वीर्य उगलकर शांत हो गया। बुर के अंदर ही।। और नितेश का शरीर भी सुस्त हो गया। उसकी सांस अभी भी तेज रफ्तार से ही चल रही थी। उसका लंड अभी भी बुर के अंदर ही था। नितेश का शरीर भी सुस्त हो गया। उसको सांसे अभी भी तेज रफ्तार से हो चल रही। थी।

तभी अरुण बोला’‘हट नितेश अब तू भी जा ऋतिक के पास बैठ और मेरे लंड कोअब मैना की बुर की शक्ति आजमाने दे।”

धीरे-धीरे नितेश उठा और ऋतिक के बगल में जाकर बैठ गया। कपड़े से अपने लंड को उसने ढका और ऋतिक के बगल में जाकर बैठ गया। कपड़े से अपने लंड को उसने पोंछ लिया क्योंकि बहुत गंदा हो गया था उसका लंड। अब अरुण अकेला था मैना के लिए और मैना भी अकेली थी अरुण के लिए। अरुण ने तपाक से गुलानी को अपनी बाहों में भर लिया। और उसके रसीले होठों को चूमने लगा। होठों को चूमते-चुमते ही उसने अपने शरीर की बुर चोदने की पोजीशन में ले आया।

”आपका लंड कितना ताकतवर है?”

‘‘यह तो अभी आपको पता चल जाएगा।’‘

”अब हम दो ही हैं मैदान में।’‘

”अच्छा है कि आखिरी बारी मेरी है।”

‘‘ऐसा क्यों ?”

‘‘इसलिए कि मेरा लंड ही आपके बुर की गरमी को शांत करेगा’‘अरुण बोला।

‘‘हां यह बात तो सही है।’‘

अरुण ने बिना कोई निशाना बनाए बिना औरत की बुर को विचकाए और बुर के छेद को टटोले पुरी ताकत के साथ एक जोरदार आक्रमण किया अपने मस्ताने लण्ड से। अरुण का लण्ड बिना किसी हिचकिचाहट के मैना की बुर की चीरता हुआ तपाक से अंदर पुरा का पुरा घुस गया।

‘‘वाह ! आपका तो पहला शाट ही जोरदार है। मेरे राजा आझ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह”.

‘‘अभी और शॉट देखिए।’‘

यह कहकर अरुण ने मैना की दोनों चुचियों को कसकर पकड़ा और दनादन शॉट लगाने लगा। एक चूची को उसने अपने मुंह में ले लिया और दुसरी के निप्पल को वह हाथ से मसलने लगा। मैना ने भी अरुण को अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसे चुमने लगी।

चुमते हुए वह भी अपनी बुर को उछल-उछला कर अरुण के लण्ड के जोरदार हमलों का जबाव देने लगी। चूंकि अब कोई लण्ड बाकी नहीं था। यह आखिरी लण्ड था इस लिए मैना ने अपनी बुर को भी पूरी रफ्तार में खुला छोड़ दिया चुदवाने के लिए। ताकि अरुण के लण्ड के साथ ही उसकी बुर भी खलास ही जाए।

‘‘मस्ताना लण्ड है न मेरा ?’‘पूछा अरुण ने.

”हां बहुत जानदार है।’‘

”चूदायी अच्छी है न।’‘

”लण्ड को थोडा बाहर निकाल निकाल कर पेलिए न।’‘

यह सुनकर अरुण अपने लण्ड को चूत से बाहर निकाल करीब पांच छह इंच बाहर ले जाता और तब फिर आक्रमण करता।

‘‘हां यह चुदायी अच्छी है।’‘

”ठीक है।’‘

करीब 5 मिनट तक अरुण के लंड और मैना की बुर में धमासान लड़ाई चलती रही। और धीरे-धीरे लण्ड और बुर दोनों जोश और उतेजना की सीमा रेखा के पास पहुंचने लगे। अरुण ने मैना के गाल में दांत से काट लिया। मैना भी अरुण की गाल में दांत से काट ली। बहुत गर्मी में आ चुकी थी मैना की बुर और अरुण का लंड।

दोनों की मस्ती में ये मस्त चुदाई चल रही थी। दोनों एक दूसरे से बुरी तरह लिपटे हुए थे। एक-दूसरे को अपनी बांहों में जकड़े हुए थे। ;”ओह…आह…मजा….आ…रहा …है पेलिए…..ओर पेलिए……..लंड को….खूब…..पेलिए ….मस्ती…..में….है….मेरी….बु.र….।’‘मैना के मुँह से उत्तेजना से भरपूर आवाज़ें निकलने लगी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

इसके साथ ही उसका बुर खलास होने लगा। और तभी अरुण का लंड भी गरम गरम वीर्य उगलने लगा। दोनों एक ही साथ खलास हो गये। कुछ देर तक अरुण मैना की देह पर ही पड़ा रहा। दोनों की.. सांसे धीरे-धीरे थम रही थी- फिर अरुण भी मैना की देह पर से उतर गया और अपने लण्ड को पोछने लगा।

”अब बताइए कि कैसा रहा, यह कार्यक्रम।’‘मैना पुछी सभी से।

‘‘बहुत ही अच्छा, बहुत शानदार ?’‘सभी ने एक साथ में कहा।

”क्या और बुर चोदने का इरादा है। आपलोगों का ?”

‘‘चोदेगें तो जरूर लेकिन शराब का एक दौर पहले चल जाये तो अच्छा है नितेश ने कहा।”

‘‘तो चला दीजिए।”

नितेश ने दुसरी बोतल निकाल ली और चौकी पर बैठकर सब लोग जाम से जाम टकराने लगे। किसी के शरीर पर कोई कपड़ा नही था। बिल्कुल मारदजात नंगे थे सब के सब। मश्ती से पैग पर पैग पीने लगे और बचा हुआ मुर्गा खाने लगे। करीब एक घंटा तक सबलोग जमकर शराब पीते रहे। शराब की लाली आंखों में उतरने लगी। नशे से मन झुमने लगा-इतने में शुभम उठा और मैना को अपनी बाहों में भरकर उसे चूमने लगा।

‘‘क्या आपका लण्ड कर तैयार हो गया मेरे बुर को चोदने के लिये’‘मैना पुछी.

‘‘हां बिल्कुल तैयार हो गया।’‘

”तो ठीक है आ जाइये मेरी बुर के मैदान में।”

ऋतिक ने ग्लास और बोतल को हटाकर एक ओर रख दिया ताकि शुभम को चोदने में कोई परेशानी न हो ! शुभम ने औरत को चित लिटा दिया चौकी पर और उसके उपर बढ़ गया। चढ़ते ही उसने मैना की चुचियों को पकड़ा और उसकी बुर में अपना लण्ड पेल दिया।

मैना की बुर में लण्ड पेलने के साथ ही शुभम दनादन दनादन बुर को चोदने लगा। उसके लण्ड ने तुरंत रफ्तार पकड़ ली। अन्य तीनों दोश्तों के लण्ड में भी नया उत्साह आ गया। वे तीनों भी लपके मैना के नंगे शरीर की ओर। शुभम तो मैना को चोद ही रहा था।

बाकी तीनों दोश्त भी मैना की चुचियों को उसके गोरे गालों को नोचने खसोटने लगे। ऋतिक ने मैना के मुंह में अपना लंड डाल दिया। और इस तरह से चुदाई का दूसरा दौर प्रारम्भ हो गया। चार नग्न मर्द और एक अकेली नग्न औरत। चारों मर्द भी जोश में और औरत भी जोश में। जवानी का जोरदार खेल.

‘‘गजब क्षमता है आपकी बुर में भी।”

‘‘अभी-अभी चार मर्दों से चुदवाने के तुरंत बाद चार मदों से चुदवाने को तैयार हो गया। ऋतिक बोला.

‘‘यह पहाड़ी औरत की बुर है।’‘ऋतिक के लण्ड को अपने मुंह से निकालकर औरत बोली।

‘‘शुभम के बाद मैं चोदूंगा’‘नितेश बोला।

‘‘नहीं मैं चोदूंगा इसके बाद’‘ऋतिक बोला।

”आपलोग चोदने के लिए विवाद क्यों करते हैं। पहली बार जिस क्रम में आपलोगों ने चुदायी की थी उसी क्रम में इस बार भी चोदिए।’‘औरत बोली.

‘‘हां यही ठीक रहेगा’‘ऋतिक बोला.

यह सुनकर नितेश और अरुण भी चुप हो गये क्योंकि यही क्रम उन्हें ठीक लगा। मैना का बुर इतना गीला था कि पूछिये मत ! हल्के धक्के में ही पूरा का पुरा लण्ड उस की बुर के भीतर चला जाता था, इसलिए शुभम बड़े आराम से मैना की बुर को चोद रहा था। चोदते चोदते शुभम ने एक बार मैना की चुची में दांत काट लिया।

‘‘इसस्स्सस्स आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…औरत के मुंह से निकला। धीरे-धीरे शुभम का लण्ड पुरे जोश में आ गया और दनादन मैना की बुर पर आक्रमण करने लगा। फॅक फॅक फ़च फ़च की आवाज के साथ शुभम का लण्ड मैना की बुर को चीरता हुआ घूसने लगा और निकलने लगा। चोदते – चोदते इतना जोश आ गया कि शुभम को कि पूछिये मत ! वह अपना चूतड़ उछाल-उछाल कर मैना की बुर पर आक्रमण करने लगा।

‘‘बहुत मस्ती छा रही है लण्ड पे’‘मैना ने पूछी?

”हां बहुत।।‘‘

‘‘तो ठीक है चोदते चले जाइये।”

शुभम ने चोदने की रफ्तार बढ़ा दी और उसके लण्ड का जोश बढ़ता जा रहा था। उसने कसकर पकड़ लिया। औरत को और शानदार ढंग से चोदने लगा। दोनों की झांटें आपस में टकरा जाती थी। जब लण्ड बुर में पुरा का पुरा घुस चुका होता था। झाट न होती तो हड्डियां टकराती आपस में। लेकिन थोड़ी देर के बाद ही लण्ड गरमा-गरम वीर्य उगलने लगा मैना की बुर में। और मैना की बुर ने वीर्य को पीना शुरू कर दिया। वीर्य को उगलते ही शुभम का लौड़ा ठण्डा पड़ गया। और शुभम भी सुस्त पड़ गया।

”हट ना यार अब काहे को मैना पर पड़ा है। तुम्हारे लौड़ा ने तो जवाब दे दिया। अब हमें चोदने दो।’‘ऋतिक ने शुभम को हिलाते हुए कहा।

यह सुनकर शुभम धीरे से उठा और नीचे बैठकर अपने लण्ड को कपड़े से पोछने लगा। ऋतिक लपका मैना की बुर की ओर पास जाकर उसने तुरंत खुद को चोदने की पोजिशन में किया और मैना की कमर को पकड़कर अपना लौड़ा पेलने लगा दे दनादन दे दनादन और मैना की बुर में कुछ ही मिन्टों में नितेश का लौड़ा भी गरम-गरम वीर्य उगलने लगा.

मैना की बुर के अंदर और बुर पी गया नितेश के लौड़ा के वीर्य को भी। इसके साथ ही नितेश का लौड़ा भी खामोश हो गया और वह धीरे से उतर कर नीचे ऋतिक की बगल में बैठ गया और अपने लौड़ा को पोछने लगा। अब आखिरी बारी आयी अरुण की। नितेश के हटते ही अरुण ने मैना को अपनी बाहों में जकड़ लिया और सीधे उसकी बुर में अपना लौड़ा पेल दिया।

मैना की बुर भी दुबारा बहुत गरम हो चुकी थी, इसलिए उसने भी अरुण को अपना बाहों में जकड़ लिया। मैना के रसीले होठ चुसते हुए अरुण बड़े प्रेम से उसकी गीले बुर को पेलने लगा। मैना भी अरुण के होठों को चूसने लगी तथा बुर को उचका-उचका कर अरुण के लौड़ा से चुदवाने लगी।

धीरे-धीरे अरुण के लौड़ा की रफ्तार बढ़ने लगी तो औरत की बुर की रफ्तार भी बढ़ने लगी। किसी प्रकार की कोई हड़बड़ी नहीं थी रफ्तार बुर और लैडा की अपने आप बढ़ती जा रही थी। थोड़ी देर में अरुण के लौड़ा की रफ्तार बढ़ गयी तो औरत ने भी अपनी बुर की रफ्तार बढ़ा ली। मैना की चुचियों को भी अरुण खूब जोर-जोर से मसले जा रहा था, जो बुर की रफ्तार को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहा था.

‘‘दुबारा मस्ती आ रही है या नहीं ?”

‘‘बिना मस्ती के लौड़ा कभी भी बुर को चोदता ही नहीं है।’‘ बोला अरुण.

‘‘जमकर चोदिए। हल्का चुदायी पसंद नहीं हैं ?”

‘‘नहीं बिल्कुल नहीं।’‘

‘‘ठीक है अभी देखिए’‘.

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इससे अरुण ने दुबारा ताकत लगा दी अपने लौड़ा के पीछे ताकि मैना की बुर को भरपुर सन्तुष्ट मिले ! बड़ी तेजी से उसका लंड बुर में घुसने और निकलने लगा। मस्ती की सीमा रेखा करीब आने लगी बुर और लौड़ा दोनों की। करीब पांच मिनट तक यह जोरदार चुदाई चलती रही।

उसके बाद बुर और लौड़ा दोनों ने एक ही साथ आत्म समर्पण कर दिया। अरुण के लौड़ा से गरमा-गरम वीर्य निकलने लगा और मैना का बुर भी खलासे होने लगा। खलास हो जाने के बाद कुछ देर तक अरुण औरत के शरीर पर यूं ही पड़ा रहा और उठकर नीचे उतर गया और अपने लण्ड को पोंछने लगा.

‘‘और एक दौर चलेगा चुदाई का या अब सोया जाये’‘औरत पूछी।

‘‘अब सोया जाये।’‘ सबों ने एक साथ उतर दिया क्योंकि सब थक गये थे। उसके बाद सब लोग सो गये चौकी पर तथा औरत चली गयी दुसरी झोपड़ी में। सुबह पेट्रोल मंगवा लिया गया। नास्ता करने के बाद चारों दोस्त चलने लगे तो उनलोगों ने मैना का शुक्रिया अदा किया और उसे बेहतर मेहमानवाजी के लिए पांच सौ रुपये देने चाहे लेकिन औरत ने लेने से बिल्कुल इंकार कर दिया और बोली-मेहमानों से कभी पैसे नहीं लिए जाते हैं। बहुत जिद करने के बाद भी मैना नहीं मानी और इतना आग्रह की कि. जब भी इधर से गुजरियेगा तो एक बार जरूर मिल लीजिएगा। अंत मे कार कर चल पड़ी चारों दोस्तों को लेकर।

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