Jism Ki Pyas Story
मेरा नाम निकेश है, और आज मैं आपको खुद की कहानी बताने जा रहा हूँ। मेरे घर में मेरी मम्मी जिनका नाम नेहा है, और मैं रहता हूँ। मेरे मम्मी-पापा का तलाक हो चुका है। जिसके बाद वो मुझे लेकर दूसरे शहर आ गई। दोस्तों मम्मी की शादी काफी कम उम्र में हो गइ थी, इसलिये वो अभी भी जवान और खूबसूरत है। Jism Ki Pyas Story
उनका गोरा बदन और चेहरा, उभरे हुये बूब्स, और पतली कमर देख कर मोहल्ले के सारे लौंडे उन पर फिदा थे।अभी वो 42 साल की है। बात उन दिनो की है जब मैं फर्स्ट ईयर में पढ़ता था। मम्मी के तलाक के दो साल पुरे हो चुके थे। इन दो सालों में वो काफी चिड़़चिड़ी हो गई थी, और बात-बात पे चिल्लाने लगती थी, और काफी उदास रहती थी।
तलाक के बाद पैसे कमाने के लिये मम्मी ने प्राईवेट एजेंसी मे सिलाई-कढ़ाई का काम शुरू कर दिया। इसी बीच मेरी परीक्षा शुरू हो गई। जिसमें मेरे बहुत कम अंक आये। टीचर ने मार्कशीट घर से साईन करवा के लाने को कहा। ये सुन कर मेरी डर से हालत खराब हो गई।
मम्मी तो छोटी-छोटी बातो पर ही चिढ़ जाती थी। मार्कस देख कर तो मेरी जान ही ले लेंगी। मैं घर पहुँचा तो घर की सफाई करके मम्मी को खुश करने के लिये खाना बना दिया। रात को सोने से पहले मैंने मम्मी को मार्कशीट दिखायी, जिसे देख कर उनका चेहरा गुस्से से लाल हो गया।
मम्मी बोली, “मैं पैसै कमाने के लिये इतनी मेहनत करती हूँ, ताकि तू पढ़ लिख कर कुछ बन सके। पर तुझे तो अपनी आवारा गर्दी से ही फुरसत नहीं। लोग तो मुझे ही दोष देंगे कि बाप छोड़ कर चला गया तो माँ ने बेटे को निकम्मा बना दिया।”
ये सुन कर मैं भी फट पड़ा, “मम्मी हर बात पे इतना गुस्सा क्यो करती हो? रेगुलर मार्कशीट ही तो है, कोई फाइनल रिजल्ट थोड़ी है। इसकी कोई वैल्यू नहीं। मुझे लगता है हर रोज काम से घर और घर से काम के कारण आप चिड़चिड़ी हो चुकी हो। थोड़ा बाहर निकलो, लोगों से मिलो, कोई बॉयफ्रेंड बनाओ, तांकी आपकी ये चिड़चिड़ाहट दूर हो।”
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मम्मी का मूड बदला, और वो बोली, “तुझे सच में लगता है मुझे किसी मर्द के प्यार की जरूरत है?”
मैंने हामी भर दी। अगले दिन सुबह सज-धज कर मम्मी काम पर जाने लगी। जाने से पहले बोली, “सुन, आज शाम को देर से आउँगी। तूने जो बोला वो करके देखती हूँ।” मुझे लगा रात तक मम्मी आ जायेगी। पर वो पूरी रात नहीं आई। अगले दिन सुबह जब वो लौटी, तो उनके चेहरे पर अलग सी चमक थी। बहुत समय बाद मैंने उन्हे खुश देखा। मुझे अंदाजा हो गया था जरूर मम्मी किसी ना किसी मर्द से रात भर चुद के आई थी।
मैंने पूछा, “सारी रात कहाँ थी।”
मम्मी ने हस कर बोला, “तूने ही तो कहा था कि मुझे किसी मर्द के प्यार की जरूरत है। उसी के साथ रात गुजार कर आई हूँ।”
मैं सुन कर सन्न रह गया। अगले दिन जब मैंने कॉलेज से घर आकर दरवाजे का ताला खोला, तो देखा काम पर जाने की बजाये अंदर मम्मी सोफा पे बैठी हुई किसी जवान मर्द को किस कर रही है। मैं दंग रह गया और पूछा, “मम्मी ये कौन है?”
मम्मी ने बोला, “ये मेरा यार धीरज है। हम दोनों कल रात बार में मिले थे। कल रात मैं इन्हीं के साथ थी। चल अब तू अपने कमरे मे जा, हमें थोड़ा प्यार करने दे।”
मम्मी ने ये बिना किसी शर्म के कहा। उधर मैंने अपने रूम मे जाकर खिड़की खोल दी, और दोनों को देखने लगा। 10 मिनट के लिप लॉक के बाद धीरज बोला, “नेहा तुम बहुत खुबसूरत हो, काश तुम मुझे पहले मिली होती, तो तुम्हारी जवानी को मैं यू बर्बाद नही होने देता।”
मम्मी बोली “कोई नहीं अब तो तुम्हें मिल गई ना, अब से मेरा जिस्म बस तुम्हारा है, आज से मैं तुम्हारी रंडी हूँ।”
इतना कह कर मम्मी उससे लिपट गई। धीरज ने मम्मी को प्यार भरा चुंबन दिया, और साथ ही ब्लाउज मे हाथ डाल कर मम्मी के बूब्स दबाने लगा। बूब्स दबते ही मम्मी मचल उठी और सिसकारियां लेने लगी। उन दोनो की आँखो मे वासना साफ दिख रही थी।
थोड़ी देर के बाद धीरज ने मम्मी की ब्लाउज उतार दी, मेरी मम्मी कभी भी ब्रा और पैंटी नही पहनती थी इसलिए उनके तने हुये बूब्स सामने आ गये। बूब्स को चूसने के बाद उसने मम्मी की साड़ी उता कर पेटीकोट भी खोल दिया। मम्मी की चूत की झाटें पूरी गीली थी।
तब धीरज ने मेरी रेजर लेकर मम्मी की चूत को क्लीन शेव किया। यू तो मैंने मम्मी को कई बार नंगा देखा था, क्योंकि वो मेरे सामने ही कपड़े बदलती थी। पर पहली बार उनकी चिकनी गोरी चूत देख कर मेरा भी लौड़ा खड़ा हो गया। मम्मी भी धीरज के कपड़े उतार कर उसका लंड और आंड चूसने लगी।
धीरज के आंठ इंच लंबे मोटे लंड और तगड़ी बॉडी देख कर मेरे होश उड़ गये। अब धीरज ने अपना लंड निकाला, और मम्मी के बूब्स को चोदने लगा। बूब्स चोदने के बाद उसने सोफे पर मम्मी को लिटाया, और 69 पोजिशन मे मम्मी के मुँह मे अपना लंड डाल कर मम्मी की चिकनी चूत में अपनी जीभ डाल दिया।
चूत में जीभ जाते ही मम्मी ऐसे छटपटाने लगी, जैसे उनको करेंट लग गया हो। पर मुँह मे लंड होने के कारण कुछ बोल नहीं पाई। इसको बाद धीरज मम्मी के पूरे शरीर को चाटने लगा। और अपनी गोदी में उठा कर सोफा पे मम्मी को अपनी जांघो पर बैठा लिया, और लंड पे बैठने का इशारा किया।
मम्मी ने भी अपनी चूत खोलकर एडजस्ट करके उसका आठ इंच लंबा लंड एक झटके मे अंदर ले लिया, और आगे-पीछे होने लगी। लंड की मोटाई ज्यादा होने के कारण मम्मी को मीठा दर्द होने लगा। वो उई मां, उफ्फ, हाय मर गई, आह आह आह, हाय मेरी चूत, आह आह जोर-जोर से चिल्लाने लगी।
इसके बाद धीरज ने मम्मी को कुतिया बनाया, और जोर-जोर से चोदने लगा। मम्मी भी मदमस्त होकर चुद रही थी। चुदते हुये उनकी चूत से पानी की बूंदे झड़ रही थी। इसके बाद धीरज खड़ा हो गया, और मम्मी को उठा कर सीने से चिपका कर चोदने लगी। चुदते हुये दोनों ऐसे किस कर रहे थे, जैसे पिछले जन्म के बिछड़े हुये प्रेमी हो। थोड़ी देर के बाद वो लंड निकाल कर मम्मी की गांड मे डालने लगा।
मम्मी हाफते हुये बोली “प्लीज मेरी चूत फाड़ दो, पर गांड मत मारो। बड़ा दर्द होता है। निकेश के पापा पहले मेरी बहुत गांड मारा करते थे।”
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ये सुन कर उसने फिर मम्मी की खुली हुई चूत में लंड डाल दिया। 15 मिनट तक मम्मी की जम कर चूत रगड़ने के बाद धीरज झड़ गया और अपना पूरा वीर्य मम्मी की चूत पर बहा दिया। मम्मी की चूत से भी पानी का फव्वारा निकला। चुदाई के बाद दोनों थक कर सोफा पर एक-दूसरे के उपर लेट गये।
दोनों की सांसे बहुत तेज चल रही थी। इतने जोरदार सेक्स के बाद मम्मी की चूत थोड़ी सूज गई थी। ये देख कर मैंने मम्मी को पानी पिलाया और कपड़े देकर पूछा, “अब तो आप खुश हो ना।” मम्मी ने मुझे गालों पर चुमते हुये कहा, “अगर तूने मुझे रास्ता ना दिखाता होता तो मुझे कभी भी जिस्मानी सुख नहीं मिलता, और इसी तरह चिड़चिड़ी होकर एक दिन मैं हाई बीपी से मर जाती। थैंक्यू मेरा राजा बेटा।”
धीरज भी बोल पड़ा, “तेरी मम्मी तो बड़ी नशीली है। तू बहुत लकी है जो इसकी चूत से पैदा हुआ।” ये सुन कर दोनो हंसने लगे।
धीरे-धीरे समय बीतता गया, और इस घटना को एक महीना बीत गया। उस दिन मम्मी को चोद कर धीरज किसी काम से शहर के बाहर चला गया। मम्मी भी कई सालों बाद जिस्मानी सुख पाकर काफी खुश थी। दोनों घंटो फोन पर बात करते। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
एक महीने बाद जब धीरज मम्मी से मिलने आया, तो मम्मी उससे ऐसे लिपट गई, जैसे दोनों पिछले जन्म के प्रेमी हो। फिर वो एक हफ्ते तक हमारे साथ रहता। मम्मी भी उसके साथ बाहर घूमने जाती और कभी भी रात को घर नहीं आती। मम्मी ने अब सिलाई कढ़ाई का काम भी बंद कर दिया था।
घर आने पर भी दोनों दिन भर एक-दूसरे के साथ चिपके रहते। यहां तक की नहाने भी दोनों साथ जाते। ऐसा लग रहा था कि मम्मी मुझे भुला ही चुकी थी। मैं भी उस दिन को कोस रहा था, जिस दिन मैंने मम्मी को ब्यायफ्रेंड बनाने का आईडिया दिया।
धीरज बराबर ही महीने भर के लिये गायब हो जाता, लौट कर मम्मी के लिये तरह-तरह के गिफ्ट, गहने और कपड़े लाता, और फिर एक एक हफ्ता हमारे साथ रूकता। उसने मम्मी के सारे सपने पूरे कर दिये थे। पर अंजान मर्द को इस तरह मम्मी के साथ रहते और आते-जाते देख मोहल्ले के लोग हमें तिरछी नजर से देखने लगे थे।
इसी बीच अचानक एक दिन जब मम्मी किचन में खाना बना रही थी तो धीरज ने मम्मी से कहा, “नेहा हम कई महीनों से पति-पत्नी बनकर रह रहे है, हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते है, चलो अब सच में पति-पत्नी बन जाते है”।
मम्मी बोली, “मैं तो कबसे तैयार बैठी हूं, चलो अब अपने रिश्ते को पक्का कर देते है, और अपना घर बसा लेते है”।
एक महीने बाद धीरज ने मम्मी से शादी कर ली। मैं भी खुश था कि मम्मी को एक प्यार करने वाला पति मिल गया, मुझे भी नया बाप मिल गया, और अब मोहल्ले के लोगों के ताने भी नहीं सुनने पड़ेंगे। शादी के बाद हम अपने किराये के घर को छोड़ कर धीरज के घर में शिफ्ट हो गये।
धीरज की बात करे तो उसके घर में तीन लोग है। उसका बड़ा भाई काशीराम और मंझला भाई रौनक। परिवार में धीरज ही सबसे छोटा था। माँ-बाप गुजर गये थे। पर काफी जमीन जायदाद और फैमिली बिजनेस छोड़ गये थे। इसी बीच मुझे आगे की पढ़ाई के लिये बाहर जाना पड़ा। मैं बाहर होस्टल में रहकर पढ़ने लगा। सुहागरात वाले दिन धीरज उदास बैठा था।
तो मम्मी ने पुछा, “आज उदास क्यों हो, आज तो हम दोनों के लिये खुशी का दिन है”।
धीरज बोल पड़ा, “नेहा तुम तो जानती हो हमारे घर में एकलौती औरत तुम्ही हो। माँ-बाप के गुजरने के बाद हमारा घर वीरान हो गया था। तुम हमारे सूने घर में फिर से रौनक लेकर आई हो। थैंक्यू”, अब हमारे घर में कोई ऐसा चाहिये जो हमारे शांत घर में फिर से शोर-शराबा लेकर आये”।
मम्मी धीरज के इशारे को समझ गई थी और मुस्कुराकर बोली, “आपको कितने बच्चे चाहिये? एक बड़ा बेटा तो पहले से है”।
धीरज बोला, “कम से कम तीन बच्चे जिसमें हम तीनों भाईयो का एक-एक बच्चा हो”।
ये सुन कर मम्मी हक्की-बक्की रह गई, और बोल पड़ी, “ये आप क्या कह रहे है”?
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धीरज भावुक होकर बोला, “नेहा तुम तो जानती ही हो, हम तीन भाई है, बड़े भईया काशीराम को शराब की लत है। जिसके काऱण उनकी वाईफ ने उन्हें छोड़ दिया और किसी दूसरे के साथ सेटल हो गई। मंचले भईया रौनक थोडे क्रिमिनल प्रवृति के है, और कई बार जेल जा चुके है। जिसके काऱण उनकी शादी नहीं हो रही। ऐसे में बस हमारे बच्चे को परिवार की सारी संपत्ति मिलेगी। तो हम तीनों भाईयो में दुश्मनी हो जायेगी। जो मैं नहीं चाहता।
माँ-बाप के गुजरने के बाद मैं ही सारे बिजनेस को संभाल रहा हूँ। ऐसे में हम तीनों भाई साथ नहीं रहे तो परिवार बिखर जायेगा। जब उस दिन तुम मुझे बियर बार में मिली थी तब तुमसे बात करके मुझे लगा कि एक तुम ही हो जो मेरे घर और बिजनेस को बर्बाद होने से बचा सकती हो।” ये कह कर धीरज रोने लगा।
मम्मी ने कहाँ, “अगर आप यही चाहते है तो मैं वादा करती हूं कि मैं आप तीनो भाईयो के बच्चे की माँ बनूंगी, और आपके साथ अपने दोनों देवरों को भी पत्नी का सुख दूंगी।”
इसके बाद दोनों सेक्स करने लगे। छह महीने बाद मम्मी का जन्मदिन आ गया। मैं भी छुट्टी लेकर मम्मी का जन्मदिन मनाने घर चला आया। मम्मी मुझे देख कर खुश हो गई। पार्टी में मम्मी ने जालीदार साड़ी और बिना स्ट्रैप वाली बिकिनी ब्लाउज पहन रखा था, जिसके कारण उनकी बड़ी क्लीवेज साफ दिख रही थी।
ऐसा लग रहा था उन्होने ब्लाउज बस अपने निपप्ल ढकने के लिये ही पहना है। उस दिन मम्मी बहुत सेक्सी लग रही थी। पार्टी के बीच-बीच में ही धीरज के सामने ही काशीराम और रौनक मम्मी को आके कभी किस और कभी हग करते। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था ये क्या हो रहा था। धीरज कैसै अपने दोनों भाईयो को मम्मी को छूने दे रहा था। केक वगैरह काटने के बाद तीनों भाई शराब पीने लगे। थोड़ा पीने के बाद सब नशे में आ गये, और मम्मी से कहा, “नेहा चलो आज हम तीनों भाई मिलकर तुम्हें बर्थडे गिफ्ट देंगे”।
ये बोल कर धीरज ने मम्मी को हाथ पकड़ कर खींचा और चूमने लगा, और काशीराम मम्मी की कमर सहलाने लगा। मम्मी उन्हें रोकने की कोशिश करने लगी और बोली, “बेटा आया हुआ है, उसके सामने ये सब नहीं”। पर शराब नशे में धुत वो सब कहां रुकने वाले थे। उन्हें अब शबाब चाहिये था।
रौनक ने मम्मी के बूब्स को दबाना चालू किया। धीरज शराब की बोतल ले आया और उसमे कुछ मिला कर मम्मी को शराब पिला दी। अब मम्मी को भी नशा चढ़ने लगा, और उनकी भी काम वासना जाग उठी। काशीराम मम्मी के होंठों को चूमने लगा, मम्मी ने भी उसे अपना चुंबन दिया।
रौनक ने मम्मी की बिकनी बलाऊज उतार दी। मम्मी ब्रा और पैंटी तो पहनती नहीं थी। उनके तने हुए बूब्स की एक चूची को रौनक, तो दूसरी चूची को धीरज चूसने लगा। काशीराम उनकी गर्दन और पीठ को चाटने लगा। अब काशीराम ने शर्ट उतारी और सब को हटा कर मम्मी को सीने से चिपका कर प्यार करने लगा।
मम्मी भी उससे लिपट कर उसका बदन चूमने लगी। मम्मी की साड़ी उतार कर उसने पेटीकोट भी खोल दिया। मैंने देखा मम्मी ने अपनी पूरी चूत को क्लीन शेव कर रखा था। रौनक मम्मी की चूत की लिप्स को दांत से काटने लगा, और चूत में उंगली डाल कर हिलाने लगा। मम्मी भी मद भरी सिसकारियां लेते हुए इसका आनंद लेने लगी।
मम्मी बोल पड़ी, “अब और बर्दाश्त नहीं होता, मेरी चूत की प्यास बुझा दो”।
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ये सुनते ही काशीराम मेरी नंगी मां को गोद में उठाया, और बेडरूम ले जाने लगा। रौनक और धीरज भी चल दिये। मैं भी पीछे-पीछे उनके साथ आ गया। बेड पर लिटा कर काशीराम ने अपनी पैंट उतारी, और अपने लंबे मोटे लंड को सीधा मम्मी के मुंह में घुसा कर उनके मुंह को चोदने लगा।
धीरज अपना लंड मम्मी के बूब्स पर रगड़ने लगा, जबकि रौनक अभी भी मम्मी की गीली चूत में जीभ डाल कर जीभ से ही चोदने और चूसने लगा। दस मिनट तक मम्मी के मुंह को चोदने के बाद काशीराम ने अपना लंड निकाला, और रौनक को हटा कर मम्मी की चूत पर रख दिया।
काशीराम का लंड मम्मी की चूत से नाभि जितना लंबा था। उसका लंड धीरज से भी ज्यादा बड़ा और मोटा था। तभी काशीराम ने एक धक्के में अपना आधा लंड मम्मी की चूत में डाल दिया, और दूसरे धक्के में अपना पूरा लंड चूत में घुसा दिया। मम्मी की जोर से आह निकल गई।
रौनक मम्मी के बूब्स के बीच लंड रख कर रगड़ने लगा, और धीरज ने उनके मुंह में लंड डाल दिया। करीब दस मिनट तक मम्मी को चोदने के बाद काशीराम ने मम्मी को उठाया, और धीरज का लंड मम्मी की चूत में डाल दिया। और खुद मम्मी की गांड में लंड डाल कर आगे-पीछे होने लगा।
गांड में लंड जाने पर मम्मी दर्द से छटपटाने लगी। वे सैंडविच बना कर मम्मी को चोदने लगे, मम्मी जोर-जोर से आह आह, मेरी गांड, मेरी चूत चिल्लाने लगी और मस्ती से चूत और गांड में लंड के आगे-पीछे होने का मजा लेने लगी। अब उनका दर्द भी कम हो गया था।
पंद्रह मिनट तक ऐसे ही चोदने के बाद काशीराम और धीरज दोनों झड़ गये, और अपना पूरा वीर्य मम्मी पर बहा दिया। दोनों थक कर लेट गये। पर ये देख कर मैं हैरान था कि मम्मी अभी भी नहीं थकी थी। इतनी बेरहमी से चुदने के बाद भी वो और सेक्स करना चाहती थी।
रौनक अभी भी बचा हुआ था, उसने शराब मम्मी के जिस्म पर गिरा कर उनकी नाभि से पीना शुरू कर दिया, और साथ ही उनके बूब्स और जिस्म को दांत से काटने लगा। फिर मम्मी के दोनो बाहों को खोल कर उनकी आर्मपिट को चाटने लगा। कुछ देर बाद उसने मम्मी को दीवार से सटा दिया, और उनकी चूत जो पहले से ही खुली हुई थी, उसमे लंड डाल कर चोदने लगा।
मम्मी अपनी आंखें बंद करके सिसकारियां ले रही थी। रौनक की जांघ और मम्मी के हिप्स टकरा रहे थे, जिससे थप-थप की आवाजें आ रही थी। मम्मी के दोनो टांगो को उठा कर वो तेजी से चोद रहा था। मम्मी भी बीच-बीच में और तेज और तेज कह कर उसे चोदने को उकसा रही थी।
बीच-बीच में रौनक मम्मी की गांड पर स्लैप करता, जिसके कारण उनकी गोरी गांड एक-दम लाल हो गई। मम्मी भी मदमस्त होकर चुद रही थी। फिर उसने मम्मी को खड़ा किया, और आगे से आकर चोदने लगा। दस मिनट तक अलग-अलग पोज में मम्मी को चोदने के बाद वो भी झड़ गया, और अपना लंड निकाल कर मम्मी के बूब्स पर पूरा वीर्य गिरा दिया और सोफे पर लेट गया।
शादी से पहले तो धीरज से मैंने मम्मी को कई बार चुदते देखा था, पर उस दिन पहली बार मैंने मम्मी का गैंग-बैंग होते देखा था। मम्मी भी अब थक कर चूर हो गई थी, और हाफ रही थी। रह-रह कर उनकी चूत से पानी और वीर्य दोनों निकल रहे थे। थोड़ा देर सुस्ताने के बाद मम्मी उठ कर बाथरूम जाने लगी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पर इतनी भयंकर चुदाई के बाद उनकी चूत और गांड सूज गई थी, और वो ठीक से चल नहीं पा रही थी। तो मैं उन्हे पकड़ कर बाथरूम ले गया। मुझे देख कर वो थोड़ा हिचकिचा गई। अपने बदन को साफ करने के बाद वो बाहर निकली। उनका नशा भी उतर गया था। मैंने उन्हे साड़ी ब्लाउज लाकर दिया, और पहनने में मदद की।
मैंने पूछा, “मम्मी ये सब क्या था? आपकी तो शादी धीरज से हुई है। मुझे ये समझ नहीं आ रहा। आखिर धीरज अपने भाईयो को आपके साथ संबंध बनाने कैसे दे रहा है”?
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तब मम्मी ने मुझे अपनी सुहागरात में किये वादे और तीनो भाईयो के लिये एक-एक बच्चे की सारी बात बताई और कहा, “हर बार देवर जी और ये मेरे साथ अकेले सेक्स करते थे। दोनो देवरों के साथ एक-एक हफ्ते उनकी पत्नी बन कर रहती हूं। काशीराम के साथ मैं सबसे ज्यादा समय बिताती हूं, क्योंकि वो सबसे बड़ा है। और धीरज परिवार का बिजनेस देखता है इसलिये उसके साथ कम समय रहती हूं। पर पता नहीं क्यो आज पहली बार, तीनों ने एक साथ मुझसे संबंध बनाया”।
मैंने पुछा, “क्या आप ऐसे खुश हो?” तो मम्मी बोली, “पगले मैं इतने बड़े घर पर मैं अकेले राज कर रही हूं। इस मकान और सारी जमीन जायदाद की मैं बस अकेली मालकिन हूं। सारी संपत्ति तुझे और आगे चल कर जो तेरे भाई बहन होते है, उन्हे ही तो मिलेगी जो मेरे ही बच्चे होंगे। साथ ही अपने जिस्म की प्यास मिटाने के लिये एक नहीं तीन-तीन मर्द मिले, एक पति और दो देवर। इससे ज्यादा मुझे और क्या ही चाहिये? तू बस अपनी पढाई पे ध्यान दे”। छुट्टियां खत्म होने के बाद मैं होस्टल वापस चला गया। इन चार सालो में मम्मी अब तक तीसरी बार प्रेगनेंट हो चुकी है।
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