Hotel Me Sex
दोस्तो, मेरा नाम नावेद है। मैं एक बार ट्रेन में मुंबई का सफ़र कर रहा था, वैसे भीड़ तो न थी और ट्रेन खाली थी। ट्रेन रुकते ही एक आदमी गुजरात के आनंद से चढ़ा, आकर मेरी बगल में जगह थी तो बैठ गया। थोड़ी देर बाद उसने मेरे बारे में पूछा। Hotel Me Sex
मैंने उसे अपना नाम बताया। उसने अपना नाम आकाश बताया। वो कह रहा था मुझे वापी एक कंपनी में काम से जाना है, कल के मिलने का समय तय है, आज दमन जाऊंगा और एकाध बोतल विहस्की पिऊँगा। उसकी बातें चल रही थी और ट्रेन बहुत धीमी चल रही थी कि अचानक बीच में रूक गई।
आधा घंटा हो गया मगर ट्रेन चलने का नाम नहीं ले रही थी। आकाश ने मुझसे बातों का दौर चालू रखा, उसने अपने सफ़र की कहानियाँ सुनानी शुरू की। वो बातें कर रहा था, उतने में गार्ड ने आकर कहा- ट्रेन का इंजन फेल हो गया है, देर लगेगी। आकाश तो बेफिक्र होकर बातों में लग गया। उसने कहा- यार नावेद, अपनी एक सच्ची कहानी सुनाता हूँ। हम पटरी के किनारे पेड़ की छाँव में बैठ गए।
उसने बताया- नावेद सुनो, मैं एक काम से शोलापुर जा रहा था। ट्रेन न मिलने के कारण मुझे बस में सफ़र करना पड़ा, मैंने मुंबई से बस पकड़ ली, सोचा यही सही। बस में बहुत कम लोग थे। कोई सीज़न नहीं था। बस नवी मुंबई में आ गई। जैसे रुकी तो दो बुर्के वाली औरतें बस में चढ़ गई। यहाँ-वहाँ देखने के बाद एक औरत मेरे बाजू में बैठ गई।
मैंने सोचा- बस खाली है तो दोनों साथ ही क्यों नहीं बैठी। मुझे कोई ऐतराज नहीं था। बस ने मुंबई छोड़ने के बाद स्पीड पकड़ ली। मुझे हल्की सी नींद आ रही थी। मैं अदब से हाथ बांधकर सो रहा था और मुझे ख्याल ही नहीं रहा कि मेरा हाथ उस बुरके वाली को लग रहा था। जैसे मुझे इस बात का पता चला, मैंने उसे कहा- मैडम मैं उठता हूँ और आप अपने साथ वाली औरत के साथ बैठो ! मैं कहीं और बैठता हूँ।
तो उसने मुझे मना किया और वहीं बैठने के लिए मजबूर किया। थोड़ी देर बाद हाइवे पर एक ढाबे के पास बस रुकी वो और उसकी सहेली उतर रही थी और अचानक उसने मुझसे कहा- चलो चल कर थोड़ा टांगें खोल लो। मैं भी उतर गया। उसके साथ वाली महिला खाने की चीजें लेने आगे चली गई।
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उसने मुझे एक कोने में बुलाया और पूछा- कहाँ जा रहे हो?
मैंने कहा- मैं शोलापुर जा रहा हूँ, और तुम?
उसने कहा- मैं शोलापुर के पहले उतरूंगी।
उसकी सहेली कुछ बिस्कुट और वेफर और थम्स-अप ले आई। मैंने सोचा कि अब दोनों मिलकर खाएँगी। मगर दोनों ने मुझे भी खाने में साथ देने कहा। मैंने थोड़ा सा बिस्कुट लिया और कहा- बस आप खा लो, मैंने टिफिन मुंबई से बंधवा लिया है।
बस के ड्राइवर ने हॉर्न बजाया, हम बस में बैठ गए। वो मेरे और करीब आई और रात का अँधेरा होने लगा। बस की बत्तियाँ बुझा दी गई ताकि ड्राइवर को चलाने में तकलीफ न हो। यह देखकर उसने अपना बुरका हटा दिया पर अँधेरे के कारण मैं कुछ देख नहीं पा रहा था। अचानक उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया और कान में बोली- क्या नाम है?
आकाश ! और तुम्हारा?
वो बोली- मेरा नाम आफरीन और उसका नाम है सलमा।
उसकी हिम्मत बढ़ गई। मेरे छाती पर हाथ फेरने लगी। मैं कुछ न बोला पर थोड़ा सहम गया। उसने मेरा हाथ पकड़ कर बुर्के के अन्दर अपनी छाती पर रख दिया। आआआह क्या सकून मिला। मैं समझ गया कि शोलापुर तो बाद में आएगा, पर अब सेक्स का शोलापुर आने वाला है।
उसने धीरे से मेरे लौड़े को पकड़ लिया। बस फिर क्या था लौड़ा टनाटन हो गया। मैं अपने को रोक नहीं पा रहा था। मैंने भी उसके नीचे हाथ फिराना शुरू किया। खेल जम ही रहा था कि इंजन के पास बस में आवाज आने लगी।
ड्राईवर ने कहा- बस बिगड़ गई है, जैसे-कैसे डिपो ले चलता हूँ। मरम्मत होने में कितना वक्त लगेगा, मालूम नहीं।
मैं तो चकरा गया। अरे समय पर पहुँचूंगा या नहीं? कैसे-कैसे बस डिपो पहुँची। थोड़ी देर बाद मिस्त्री ने आकर कहा- बस ठीक होने में दो-तीन घंटे लगेंगे और इस डिपो पर दूसरी बस भी नहीं है। सारे लोग उतर गए। कुछ लोगों को नजदीक ही जाना था उन्होंने अलग इन्तज़ाम किया और चले गए। हम तीनों भी उतर गए, सोचा कि कहीं साधारण सा होटल मिले तो मैं आराम कर लूँ। वो दोनों आफरीन और सलमा भी मेरे साथ चल पड़ी।
आफरीन ने कहा- क्यों ? हमें ऐसे अकेले छोड़ कर जाओगे?
मैं- चलो, तुम भी दूसरा कमरा ले लो !
आफरीन- नहीं हम तुम्हारे साथ रहेंगे।
सलमा- हाँ !
मैं- पर यह कैसे हो सकता है? और मैं तो…. !
आफरीन- कुछ मत बोलो, चलो, कमरे ले लेते हैं।
हमने एक साधारण सा कमरा ले लिया, उसमें एक पलंग और मेज और पंखा और लाईट थी। कमरे में जाते ही……..
मैं- तुम दोनों ऊपर सो जाओ, मैं नीचे किसी तरह आराम कर लूँगा।
तब आफरीन ने अपना असली रंग दिखाया।
आफरीन- अरे चिकने ! आराम की बात छोड़ो। अब तुम दो शेरनियों का शिकार हो। सलमा ! तू कह रही थी न कि तुझे चुदवाना सिखना है ! ये देख ! है न मस्त मर्द?
ऐसा कहकर आफरीन ने बुरका उतार दिया।
बाप रे ! क्या हीरा छिपा था। उसने सिर्फ सफ़ेद कसी हाफ पैंट और लाल टी-शर्ट पहनी थी।
उसकी सहेली सलमा- एरी, क्या लग रही है साली ? तूने ये कपड़े पहने और मुझे बताया भी नहीं?
आफरीन- सलमा ! तू बोल रही थी कि किसी अनजाने से चुदवाना है ताकि काम भी हो और बदनाम भी न हो ! तो यह मौका मिल ही गया। अब तू एक तरफ़ हो जा। आकाश, पलंग पर बैठ।
मेरे बैठते ही वो मेरे गोद में बैठ गई और मेरे छाती के बालो में हाथ फिराने लगी। उसके नर्म और बड़े बड़े कूल्हे ललचा रहे थे।
आफरीन- हे सेक्सी, आज एक औरत तुझे चोदने के लिए मजबूर कर रही है, कभी ऐसा मौका मिला है?
उसने एक-एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मैं अब पूरी तरह नंगा था। उसने झपटकर मेरे लौड़े को मुँह में ले लिया। मेरे मुँह से सिर्फ आआआह के सिवा कुछ नहीं निकल रहा था। उतने में सलमा ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए। वो भी काफी सेक्सी थी।
आफरीन- साली रांड ! रुक मैं अभी तक इसे चख रही हूँ, उसके पहले ही तू तैयार हो गई? ऐसे ठीक नहीं ! देख मैं पहले चुदवाऊँगी और मुझे देखकर तू चुदवा लेना ! सलमा ने मुझे इशारा किया कि मैं आफरीन को नंगा करूँ। इधर आफरीन मस्त हो गई थी।
आफरीन- सलमा मैंने इस भड़वे को बस में ही देख लिया और जानबूझ कर इसके पास बैठ गई। सोचा इससे हम शोलापुर जाकर चुदएंगे और वहाँ से वापस गुलबर्गा की दूसरी बस पकड़ेंगे। मगर इन्तजार नहीं करना पड़ा। मौका अपने आप चला आया।
मैंने अब आफरीन को कस कर बाहों में ले लिया। उसके चूचे एकदम कड़क थे।
मैं- आफरीन, तेरे गेंद तो जबरदस्त हैं।
सलमा- आकाश, यह दो बच्चों की माँ है। फिर भी कैसे टनाटन है। हमारे मोहल्ले में इसकी एक झलक के लिए लोग तरसते हैं।
आफरीन- यह भड़वा तो नसीब वाला है कि इसे ऐसे गेंद खेलने के लिए मिले, वरना यह आफरीन किसी आंडू-पांडू को घास नहीं डालती।
मैंने उसकी गांड पर हाथ फेरना चालू किया। क्या मुलायम गांड थी। मैंने उसकी गांड को चूम लिया।
आफरीन- आकाश, उ उ उ उ ह ! बहुत अच्छा लगता है। भड़वे, मेरी टी-शर्ट खोल, पैंट खोल ! मुझे पूरी नंगी कर अपने हाथों से।
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मैंने धीरे धीरे करके टीशर्ट और हाफपैंट खोल दिए। वो साली काली ब्रेज़ियर और काली पैंटी पहने थी। गोरा बदन और ये काले कपड़े ! साली मस्त लग रही थी। मौका पाकर सलमा ने उसके गेंदों की बाजी उसके हाथ में ले ली। मैंने आफरीन को पलंग पर लिटा दिया और उसकी दुकान को चाटना शुरू किया।
आफरीन- सलमा, अब अपनी चूत मेरे मुँह में दे। आ स्साली ! तुझे भी सिखा दूं कि चुदवाते कैसे हैं ! अब उलटा होकर आकाश का लौड़ा चूसना शुरू कर ! और मैं तेरे कुंवारी चूत को रस से तैयार कर दूँ।
सलमा ने तो कमाल किया, झट से आफरीन के ऊपर आई और मेरा लौड़ा चूसने लगी। और आफरीन ने उसकी चूत में आहिस्ता से दो उंगलियाँ घुसा दी। सलमा की एक सिसकी आई और फिर आफरीन ने उसके चूत का रसपान शुरू किया। थोड़ी देर बाद आफरीन पलटी और सलमा को लिटा कर अब अपनी दुकान चटवाने लगी।
मैं- तुम्हारी तो चूत नही है ! भोसड़ा बन गया होगा।
आफरीन- हाँ रे राज्जा। मुझे नए और अनजान लौड़े बहुत पसंद हैं। पाकिस्तान से मेरी फूफी आई थी, साली क्या गजब की थी। उसने मुझे चुदवाना सिखाया और मैं सलमा को सिखा रही हूँ। ला अपना लौड़ा मुझे पूरी तरह चूसने दे।
मैंने धीरे धीरे करके टीशर्ट और हाफपैंट खोल दिए। वो साली काली ब्रेज़ियर और काली पैंटी पहने थी। गोरा बदन और ये काले कपड़े ! साली मस्त लग रही थी। मौका पाकर सलमा ने उसके गेंदों की बाजी उसके हाथ में ले ली। मैंने आफरीन को पलंग पर लिटा दिया और उसकी दुकान को चाटना शुरू किया।
आफरीन- सलमा, अब अपनी चूत मेरे मुँह में दे। आ स्साली ! तुझे भी सिखा दूं कि चुदवाते कैसे हैं !
अब उलटा होकर आकाश का लौड़ा चूसना शुरू कर ! और मैं तेरे कुंवारी चूत को रस से तैयार कर दूँ। सलमा ने तो कमाल किया, झट से आफरीन के ऊपर आई और मेरा लौड़ा चूसने लगी। और आफरीन ने उसकी चूत में आहिस्ता से दो उंगलियाँ घुसा दी। सलमा की एक सिसकी आई और फिर आफरीन ने उसके चूत का रसपान शुरू किया। थोड़ी देर बाद आफरीन पलटी और सलमा को लिटा कर अब अपनी दुकान चटवाने लगी।
मैं- तुम्हारी तो चूत नही है ! भोसड़ा बन गया होगा।
आफरीन- हाँ रे राज्जा। मुझे नए और अनजान लौड़े बहुत पसंद हैं। पाकिस्तान से मेरी फूफी आई थी, साली क्या गजब की थी। उसने मुझे चुदवाना सिखाया और मैं सलमा को सिखा रही हूँ। ला अपना लौड़ा मुझे पूरी तरह चूसने दे।
इधर सलमा तो साली जैसे पुरानी रंडी हो, उस तरह से बारी-बारी आफरीन का भोसड़ा और मेरा लौड़ा चूसे जा रही थी।
आफरीन- सलमा, तू यार गजब की चुदक्कड़ बनेगी स्साली ! मेरा भोसड़ा क्या कमाल की चूसती है। बस अब हम दोनों के चूत-भोसड़े को बारी-बारी आकाश को चाटने दे।
मैंने दोनों को एक दूसरे के सामने खड़ा किया और नीचे बीच में बैठ कर दोनों की गांड पर हाथ फेरते-फेरते चाटना चालू किया। थोड़ी देर बाद दोनों की सिसकारियाँ शुरू हुई। सलमा तो सातवें आसमान पर पहुँच गई।
आफरीन- बस आकाश ! आओ अब हमें इसे दिखाना है कि कैसे चुदवाना है। सलमा तुम इस बीच मेरी गेंदों के साथ खेलो।
मैं- आफरीन, मेरे ऊपर तुम आओ और सलमा तुम इसकी गेंद मसलो और चूसो, साथ साथ मैं तुम्हारी चूत चूसता हूँ।
आफरीन ने बड़ी बेताबी से लौड़ा अपने भोसड़े में लिया और ऊपर-नीचे होना चालू किया। और आफरीन के वक्ष को भी मसला जा रहा था। इधर मैंने सलमा को चाट-चाट कर बेताब कर दिया। अब वो चाहती थी की उसकी चुदाई हो।
सलमा- आफरीन, मुझे लेने दो इसके लौड़े को।
आफरीन- सलमा, आराम से, पहले मैं चुदवा लूँ।
इतना कहकर आफरीन मेज़ के ऊपर बैठ गई.
आफरीन- आकाश, अब मुझे खड़े खड़े चोदो।
मैंने लौड़े को आराम से घुसा दिया। बहुत देर चुदवाने के बाद वो घोड़ी बन गई और गांड में लेने के लिए तैयार हो गई। मैंने भी देर न की और झट से डाल दिया लौड़ा उसकी गांड में ! वो चिल्ला उठी और मुझे धक्के बढ़ाने के लिए बोलने लगी.
मेरे हर धक्के के साथ कहने लगी- आकाश यार ! मार मेरी गांड ! बहुत तड़प रही हूँ। ऐसे तो बहुत बार गांड मरवाई है ! मगर हमारे वाले मर्दों के लौड़े खतने वाले होते है और बिना खतने वाला पूरा लौड़ा आज तकदीर से मिला।
आफरीन को गाण्ड मरवाते देख कर सलमा बोली- छीः ! ऐसे कोई करवाते हैं क्या?
आफरीन- मेरी चुदाई के बाद जब तुझे भी ऐसा लौड़ा गांड में मिलेगा तो बड़ी खुश होगी।
मैंने गांड मार लेने के बाद आफरीन को सीधे से लिटाया और दोनों टांगो को उठाकर सही चोदना चालू किया।
थोड़ी देर बाद आफरीन बोली- आकाश, च च च च चोद न रे भड़वे ! क्यों तडपा रहा है ?
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दस मिनट बाद उसके भोसड़े ने पानी छोड़ दिया और उसने अपनी टांगों से मेरे गांड को पकड़ लिया। थोड़ी देर उस पर लेटने के बाद मैं ऊपर से हट गया तो सलमा ने मेरे लौड़े को पानी से साफ़ किया और चूसना फिर शुरू किया।
मैंने उसे 69 की अवस्था में आने को कहा। बीस मिनट तक वो मुझे और मैं उसे चाटते रहे ! दुबारा लौड़ा तैयार हुआ तो आफरीन ने मुझे एक दवाई पिलाई और बोली- आकाश, इसकी पहली चुदाई है थोड़ा लम्बा चलने दो !
सलमा- क्या पिलाया ? कोई ऐसा वैसा नहीं कर रही है न।
आफरीन- चुप साली ! अरे यह ऐसी दवा है जिससे लौड़ा बहुत देर तक तुझे चोदेगा।
सलमा- हाँ बरोबर है, क्या मालूम कि ऐसा मौका कब मिलेगा?
मैंने थोड़ी देर बाद उसे उठा कर मेज़ के पास ले गया और उसे एक टांग मेज़ पर रख कर खड़ा होने के लिए कहा। जैसे ही मैंने उसकी चूत में लौड़ा घुसेड़ा, सलमा बोली- आकाश ! मेरे राज्जा ! अह अह अह ! छोड़ना मत मुझे ! हर तरह से चोद ! मैंने दस मिनट बाद उसे घोड़ी की तरह खड़ी करके पीछे से उसके चूत में धक्के देना चालू किया। सलमा चिल्ला उठी और डर गई क्योंकि उसकी चूत अब फट चुकी थी, खून देखकर वो डर गई।
आफरीन- सलमा, डर मत ! तेरी सील टूट चुकी ! अब तेरी चूत भोसड़ा बन गई ! आकाश चोदो इस साली को ! पूरा रस लेने दो और बना दो मेरी तरह रांड साली को ! बहुत चुदवाना चाहती थी, रोज दिमाग चाटती थी।
सलमा- आकाश, हाँ मुझे भी आफरीन के जैसे चुदक्कड़ रांड बनना है। बहुत लौड़े लेने है चूत में।
आफरीन- चुप रांड बन गई तू ! अब कहाँ से आई तेरी चूत ! वो तो भोसड़ा बन गई है।
मैंने सलमा को अब मेरी गोद में बैठने के लिए कहा जिससे एक दूसरे का मुँह देख सकें। मैं गांड पर हाथ फेरता रहा और उसके चुचूक चूसता रहा और गेंद दबाता रहा। मेरा लौड़ा चोदने के तैयार नहीं था। मैंने सलमा को लौड़े के साथ खेलने के लिए कहा।
आफरीन- आकाश क्या गोद में ले के बैठा है उसे ऊपर उठाकर लौड़ा उसके भोसड़े में डाल दे।
जैसे ही मैंने सलमा को उपर उठाया और उसकी चूत में सॉरी, अब भोसड़ा बन चुकी थी उसमें लौड़ा डाल दिया तो बड़ी खुशी से उसने अपने भोसड़े मे लौड़े को खुद के हाथों से डलवा दिया, उसने आफरीन की भान्ति लौड़े पर कूदना चालू कर दिया।
आफरीन- आकाश अब इसे दुबारा घोड़ी बना, इसकी कुँवारी गाण्ड को भी लौड़े का मज़ा दे।
मैंने सलमा को बिस्तर पर घोड़ी बनने को कहा, आफरीन ने मुझे क्रीम दी और कहा- थोड़ी क्रीम उसकी गांड में ऊँगली से लगा दे और थोड़ी अपने लौड़े पर लगा ले जिससे चिकना लौड़ा गांड में जाने से नखरे नहीं करेगा। मैंने वैसे ही किया।
सलमा- आकाश आस्ते-आस्ते डालना ! मुझे आदत नहीं है।
आफरीन- चुप साली ! तुझे चुदवाना था और तड़प रही थी और जब अब मिल रहा है तो नखरे मत कर। आकाश एक ही झटके में डाल दे साली की गांड में जिससे गांड चौड़ी हो जाए।
मैंने भी फट से डाल दिया लौड़ा उसकी गांड में।
सलमा- अह मर गई रे। क्या ऐसा भी कोई चोदता है ? चल अब धीरे धीरे !
आफरीन- चुप री साली ! तू अब रांड बन चुकी है, अनजान लौड़ा ले के अब चुदवा ले बिना चूँ-चा किये।
सलमा- हाँ री, हाँ ! पर जरा धीरे से ! मुझे तेरे जैसी आदत नहीं है।
इस बात से मुझे रहम आया और मैंने पहले धीरे-धीरे उसकी गांड में धक्के देना चालू किया और थोड़ी देर में चमत्कार हुआ।
सलमा- आकाश भड़वे ! क्या जादू किया लौड़े से ? अब चोद डाल अख्खी गांड ! बहुत मज़ा आ रहा है ! सही में अब पता चला कि लोग औरत की गांड के दीवाने क्यों होते है ?
जिन औरतो ने गांड नहीं मरवाई वो इसे पढ़कर जरूर जान लें कि सारे छेद चुदवाने के लिए होते हैं। आफरीन ने उसके नीचे झुक कर जैसे-कैसे- सलमा की गेंदों को कसकर पकड़ लिया और अपना भोसड़ा उससे चटवाने लगी। सलमा अब तेज सिसकियाँ भरने लगी क्योंकि मुँह में भोसड़ा और गांड में लौड़ा। उससे वो संतुष्ट हुई।
सलमा- अब कोई और तरीका ?
मैंने अब सलमा को दीवाल के साथ टिका कर खड़ा किया और उसकी एक टांग हाथ मैं पकड़कर भोसड़े में अपना लौड़ा डाल दिया और धक्के चालू किये। और एक आखरी धक्के से मेरे लौड़े ने ख़ुशी के आँसू बहाते हुए अपना सारा पानी उसके भोंसड़े में डाल दिया। बस सलमा ने झट से सारा वजन मेरे पर डालते हुए अपनी टांगों से मेरी गांड को लपेट लिया। मैंने उसी अवस्था में उसे उठाकर मेज़ पर बिठा दिया और लण्ड अपना काम तमाम करके भोसड़े से बाहर आ गया।
सलमा- आकाश साले ! क्या जादू है रे गांड मरवाने में और चुदवाने में ? दुबारा कब मिलेगा रे ?
आफरीन- अरे फिक्र मत कर ! सफर मैं ऐसे लौड़े बहोत मिलते है। एक ही लौड़े से खुश हुई क्या ?
मैं भी देखता रह गया। आफरीन अब हट गई और पानी लेकर अपना भोंसड़ा धोने लगी और कपडे पहनकर तैयार हुई। अभी भी वो हाफ-पैंट और टीशर्ट में बहुत सेक्सी लग रही थी। सलमा और आफरीन ने पूरे बुरके ओढ़ लिए ताकि कोई पहचान न हो।
आफरीन- देखा आकाश, बुरके का कमाल ! सारा काम तमाम और कोई पहचान ही नहीं। चलो देखते हैं कि बस तैयार हुई क्या ?
अभी मिस्त्री काम कर रहा था, बीस मिनट बाद बस ठीक हुई, इस बीच मैंने अपना टिफिन खा लिया वो दोनों तो चुदवाकर ही खुश थी। कंडक्टर ने सिटी बजाकर सारे यात्रियों को बुला लिया। बहुत कम लोग रह गए थे। हम बस में एकदम पिछली सीट पर जा बैठे। आफरीन और सलमा ने मुझे बीच में बिठाया और चालू बस में भी उनका मकाम आने तक मेरे हाथो से अपनी गेंदों को दबवाया और मेरे लौड़े को सहलाया। बहुत आनंद दिया भी और लिया भी !
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उनका स्टॉप आने की कंडक्टर की आवाज से दोनों ने अपना सामान उठाया और चलने लगी। तो मैंने पूछा- अपना पता भी दे जाओ कभी मौका मिला तो जरूर चोदने आयेंगे। सलमा लिखने को तैयार हुई तो आफरीन बोली- आकाश, उड़ते पंछियों का कोई पता नहीं होता और फुल पेड़ पौधे पता नहीं पूछते। और बोली- रहेंगे चमन तो फ़ूल खिलते रहेंगे. रही जिंदगी तो चुदवाने के लिए तुझ जैसे लौड़े मिलते रहेंगे।
बाय बाय कहते हुए दोनों पंखी उड़ गए और यादें छोड़ गए। तो नावेद ऐसा भी होता है सफ़र में ! ये तो तुम मिले और सारी सच्चाइयाँ तुम्हें बता दी। इधर आकाश की कहानी ख़त्म हुई और उधर ट्रेन को सूरत से आया इंजन लग कर होर्न बजाने लगा। हमने झट से ट्रेन में अपनी सीट पकड़ ली और गार्ड के सीटी बजाते ही ट्रेन चालू हुई। वापी आते ही वो उतर गया न उसने मुझे पता दिया न नम्बर दिया।
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