Hard Group Sex
मेरे दोस्त धर्मेश की खूबसूरत बीवी लवली अपने मायके से आ गयी थी। असल में कभी मैं, धर्मेश, वैभव दोस्त हुआ करते थे। पहले लवली वैभव की गर्लफ्रेंड थी। फिर उसके घरवालों ने उसकी शादी अलग तय कर दी। फिर लवली मेरी गर्लफ्रेंड बन गयी थी। पर मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। Hard Group Sex
मेरे घर वालों ने मेरी शादी मेरी इक्षा के खिलाफ कर दी थी। ऐसे में लवली की मुलाकात धर्मेश से हो गयी और धर्मेश ने उससे शादी कर ली। हम चारो दोस्त खुली हुई मानसिकता के थे। इसलिए हम लोग आम हिंदुस्तानी मर्दों जैसे नही थी।
धर्मेश मेरे घर आता था तो मेरी बीवी मुस्कान से खूब घटों घण्टों बात करता था। और मैं जब धर्मेश और वैभव के घर जाता था तो उसकी बीवी से घण्टो घण्टो बात करता था। पर इस सब के साथ हम लोगों की एक सीक्रेट लाइफ थी। असल में हम तीनों दोस्त हर हफ्ते बारी बारी से हर एक की बीवी के साथ गैंग बैंग करते थे।
हम तीनों दोस्त कॉलेज के टाइम से दोस्त से , इसलिये हममे जरा भी शर्म नही थी। हम आधुनिक विचारधारा के थे, और सेक्स पर खुलकर बात करते थे। हमारी बीबियाँ भी हमारे साथ पढ़ती थी। शादी से पहले ही हम तीनों दोस्त एक दूसरे की बीवियों को बदल बदलकर चोदने का गरम खेल खेलते थे।
बाद में हमारी गर्लफ्रेंड हमारी बीबियाँ बन गयी। पर एक चूत मारने में कुछ मजा नही आ रहा था। वही चूत चूत बार बार। हमारी बीबियाँ भी वही एक लण्ड खा खाके बोर हो गयी थी। फिर एक दिन मैंने अपने दोंस्तों को व्हाट्सअप करके पूछा की क्यों ना हम हर हफ्ते बदल बदल के गैंग बैंग करे। बस क्या था, बात बन गयी।
यार! तूने बड़ा मस्त आईडिया दिया है! सुरुवात तेरे से ही होगी! वैभव बोला।
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धर्मेश भी यही कहने लगा। मैंने अपनी बीवी मुस्कान से बात की। वो राजी हो गयी। फिर क्या था। संडे नाईट को मेरी बीवी 3 मर्दों से चूदने वाली थी। मैं एक अच्छी सी ब्रा पैंटी खरीद लाया। लंबे समय तक चुदाई करने वाली गोलियां ले आया। कुछ स्प्रे भी खरीद लाया जिसे स्प्रे करते ही झड़ा लंड भी तुरन्त खड़ा हो जाता है।
मेरी बीबी मुस्कान का ये पहला गैंग बैंग था। उसने अपनी झांटे साफ कर ली। शाम को नहाकर बिलकुल फ्रेश मॉल हो गयी। धर्मेश और वैभव ने पहले ही बता दिया था कि भाभी को साड़ी ब्लॉउज़ में ही रखना। मेरी जवान बीबी को भारतीय कपड़ों में देखकर ही उनके लण्ड खड़े होंगे और वो मेरी जवान बीबी को चोद चोदके उसकी चूत फाड़ देंगे।
असल में हम तीनों कपल बहुत ठरकी थे। हम लोग किसी नैतिकता को नही मानते थे, किसी ईश्वर में विस्वास नही करते थे और चुदाई और जी भरके चुदाई में ही विस्वास रखते थे। शाम को धर्मेश और वैभव घर आ गए थे। मेरी बीवी मुस्कान ने उसके लिये मटन और चिकन बिरयानी बनायी थी। सबने छक कर खाया। मुस्कान चाहती थी की नॉनवेज खाना खाने से गर्मी और ताक़त आएगी जो रात भर चुदाई में काम आएगी।
कैसी हो भाभी??? धर्मेश ने मेरी खूबसूरत बीवी से पूछा।
मैं ठीक हुँ धर्मेश! तुम सुनाओ! मेरी बीवी मुस्कान ने जवाब दिया।
मुस्कान के अगल बगल धर्मेश और वैभव बैठ गए। मैं जरा दूर बैठ गया। धीरे धीरे बाते खत्म होने लगी। हम चारो चुदाई पर अधिक ध्यान देने लगे। धर्मेश मेरी बीवी के पैर पर डाइनिंग टेबल पर खाना खाते खाते हाथ फेरने लगा।
वही वैभव भी मुस्कान के पैर में अपने पैर लगाने लगा। मुस्कान ने मेरी ओर देखा। कोई बात नही! लगी रहो! अभी तो बन्द कमरों में तुमको चुदना ही है इन दोनों से मैंने कहा. मुस्कान ने कुछ नही कहा। हमारी बाते अब खत्म हो गयी थी। खाना हम चारो ने खा लिया था।
दोंस्तों, कमरे में चलने का वक़्त हो गया! मैंने कहा। हम सब कमरे में आ गए। बत्ती बन्द हो गयी और 2 हल्की रोशनी वाले नाईट लैंप जला दिए गए। मैंने सारे पर्दे अच्छे से लगा दिए। हम सभी सफेदपोश आदमी थे, जो रात के अंधेरे में काला काम कर रहे थे। अगर किसी को इसकी भनक लग जाति तो हम सब किसी को मुँह नही दिखा पाते।
धर्मेश बिस्तर पर बैठ गया भाभी इधर आओ! धर्मेश बोला.
मुस्कान उसके पास चली गयी।
भाभी! क्या गजब की लग रही हो? धर्मेश बोला। उसने मुस्कान को अपने पास खीच लिया। उसकी चूड़िया खनकने लगी। धर्मेश ने मुस्कान का हाथ पकड़ लिया और अपने पास बेड पर बैठा लिया। धर्मेश ने मुस्कान को बाँहों में भर लिया। और उसके गालों पर चुम्बन लेने लगा। मेरी बीवी मुस्कान शरमा गयी।
अरे भाभी! इतना शरम करोगी तो हम दोंस्तों का लण्ड कैसे खाओगी? धर्मेश से कहा और मेरी बीबी मुस्कान के गालों, माथे, गले में चुम्बन लेने लगा। गाल पर किस करने से मुस्कान को गुदगुदी सी हुई। उसने शादी वाला काली मोतियों वाला लॉकेट और मंगलसूत्र पहन रखा था। धर्मेश ने मुस्कान को सीने से लगा लिया। इतने में वैभव एक ओर खड़ा शरम कर रहा था।
वैभव आओ भाई! सुरु हो जाओ! आखिर में तुमको भी तो अपनी बीबी को हम दोंस्तों से।चुदवाना पड़ेगा मैंने कहा.
ये सुनते ही वैभव की शरम गायब हो गयी। वो भी बेड पर आ गया। उसने मेरी बीबी मुस्कान को बिस्तर पर खीच लिया। उसने मुस्कान के पेट से साडी का पल्लू हटा दिया। मुस्कान का गोरा जिस्म चमकने लगा। वैभव मेरी बीबी को पेट पर चूमने, चाटने और किस करने लगा।
धर्मेश और वैभव मेरी बीवी को जगह जगह चूम चाट रहे थे। मुस्कान का चेहरा पढ़के मैं बता सकता था कि गैर मर्दों से चुम्वाने, चटवाने में उसे पूरा मजा मिल रहा था। उसने मारे शर्म के आँखे बंद कर ली थी। दोनों उसको जगह जगह चूम चाट रहे थे। दूर से यही लग रहा था कि दो शेर किसी गाय को जमीन पर गिरा चुके है और हलाल करने वाले है।
मनीष!।आओ यार! ऐसै मजा नही आ रहा है! धर्मेश बोला।
इसी महासंग्राम में मैं भी कूद पड़ा। मैं अपनी बीवी के हसींन गोरे पैरों को चूमने चाटने लगा। भाभी! अब नँगी हो जाओ! धर्मेश बोला। मेरी बीबी मुस्कान नँगी होने लगी। हम तीनों दोस्त भी कपड़े उतारने लगे। जैसे ही मुस्कान नँगी हुई, वैभव ने उसे नरम, मखमली बिस्तर, पर खींच लिया। उसके पैर फैलाके उसकी बुर चाटने लगा।
धर्मेश मेरी बीबी के बाये मम्मे को पीने लगा। मैं उसके दाँये मम्मे को पीने लगा। अब अगर कोई हम चारों को देखता तो यही कहता कि 3 शेर एक असहाय गाय का शिकार कर रहे है। वैभव मेरी बीबी मुस्कान के मुँह में लण्ड देना चाहता था, पर जरा हिचक रहा था।
दोंस्तों! शरमाओ मत! खुलकर चोदो मेरी बीवी को! मैंने कहा।
भाई पहले मैं भाभी की गुझिया चाट लूँ! वैभव बोला। और मेरी बीबी मुस्कान की बड़ी सी चूत चाटने लगा। मुस्कान अब गरम् होने लगी। वैभव अपनी खुदरी जीभ से मुस्कान की बुर पी रहा था। जैसै उसने आज तक किसी औरत की बुर नही पी थी।
भाई! दूसरे की बीबी की बुर पीने का मजा ही अलग है। नयी फ्रेश औरत! नये मम्मे और नये चूत! वैभव बोला।
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मैं सोचने लगा की जब इन लोगों की औरत मेरे हाथ लगेगी तो मैं भी खूब उनकी चूत पियूँगा। वैभव मेरी औरत मुस्कान की चूत और उसके मोटे मोटे लबो को चूमने चाटने लगा। वही दूसरी ओर धर्मेश मेरी बीवी के मस्त गोलाकार मम्मो को पिए जा रहा था।
मैं दूसरे मम्मे को पी रहा था। इतने में धर्मेश का मन भर गया। वो उठ खड़ा हुआ। कमरे में आज 3 3 हट्टे कट्टे लण्ड थे। मेरी बीबी बाहर से तो मना करती थी, पर अंदर ही अंदर वो कबसे 3 3 मर्दों से एक साथ चूदने के लिये तरस रही थी। ये उसकी दबी ख्वाहिश थी।
एक बार मैंने मुस्कान की डायरी को चुपके से पढ़ा था। उसकी 10 सीक्रेट ख्वाहिश थी जिसमे 3 4 मर्दों से गैंग बैंग शामिल था। बस तब से मैं उसके साथ में चुदने के सपने देख रहा था। धर्मेश ने एक दो बार अपने हट्टे कट्टे लण्ड पर हाथ फिराया और जल्दी जल्दी मुठ मारते हुए लण्ड को जमाने लगा।
लण्ड अपनी धुन में आ गया। तन गया और नाग की तरह फन फनाने लगा। क्या मस्त लण्ड था। सारी नसें तन गयी। मन कर रहा था कास मेरे पास चूत होती तो मैं भी चुदवा लेता। आज मुस्कान तो गल्ल हो गयी थी। धर्मेश ने मुस्कान को बिलकुल नंगा औंधे मुहँ लेटा दिया। उसके मुँह में लण्ड डाल दिया।
मुस्कान दोनों हाँथो से धर्मेश के लण्ड को पकड़ कर चूसने लगी। धर्मेश ने अपने लण्ड से एक दो बार मुस्कान के लाल गुलाबी लबो में लण्ड डाला और बगल से बोतल के ढक्कन खोंलने की स्टाइल में बाहर निकाला। मुस्कान रोमांचित हो गयी। धर्मेश ने अपने बड़े से लण्ड से अंजली के मुँह ,नाक, पर थप थप करते हुए प्यार भरी थपकी लंड से दी।
मुस्कान और रोमांचित हो गयी। वो ललचा गयी। धर्मेश उसे लण्ड के लिए तरसाने लगा, मुँह में थपकी देता, और दूर हटा लेता। मुहँ में थपकी देता और दूर हटा लेता। मुस्कान तरस गयी, उसने लपक कर लण्ड को दोनों हाथों से पकड़ लिया और सिर हिला हिलाके मजे से चूसने लगी।
मुझे इस पर बड़ा प्यार आ गया। बेचारी मेरी बीवी सुबह उठती है तो रात तक काम करती है। पुरे दिन बेचारी नौकरानी की तरह काम करती रहती है। चलो आज थोड़ा सुख तो ले लेगी आज। उधर वैभव मेरी बीबी की बुर की फाके बड़ी अच्छी तरह पी रहा था। मैं इस गैंग बैंग पार्टी को लेकर बड़ा खुश था। वैभव मेरी बीवी की गाण्ड भी चाटने लगा।
भाभी!!।आँखे खोलो! ऐसे मजा नही आ रहा। तुम्हारी आँखों में देखकर ही तुमको चोदूंगा!! धर्मेश बोला और बच्चो की तरह जिद करने लगा।
अब मुस्कान ने शर्माना छोड़ दिया। उसने आँखे खोल ली। लो मुस्कान भाभी!! छूकर देखो! धर्मेश ने अपना तंदुरुस्त लण्ड मेरी बीवी के हाथ में दे दिया। मुस्कान ने हाथ में लिया तो उसे बड़ा संतोष हुआ, बड़ा सुख मिला की इतना मोटा लण्ड वो खाने वाली है।
मुस्कान वैभव के लण्ड को जल्दी जल्दी फेटने लगी। लण्ड और तन गया। उसमे और जोश और ताक़त आ गयी। उधर धर्मेश मेरी बीवी के मुँह को बिना रुके चोद ही रहा था। वैभव ने मुस्कान से लंड फेटवाने के बाद उसके पैर और खोल दिए। चूत का बड़ा सा दरवाजा दिख गया, वैभव ने अपना तंदुरुस्त लण्ड मेरी बीवी की चूत में डाल दिया और चोदने लगा।
आहहा! कितना सुखद था ये पल। मेरी बीवी कबसे किसी गैर मर्द से चुदाई के सपने देखती थी। आखिर उसको गैर लण्ड मिल ही गया। मैं इस मधुर मिलन को देखकर मन्त्रमुग्ध हो गया। मुस्कान अब जरा भी नही शर्म कर रही थी। वो वैभव से नजरे मिलाकर चुदवा रही थी।
वैभव की नजरें मेरी खूबसूरत जवान बीवी की नजरों से हटती ही ना थी। वो मुस्कान को बस देखे जा रहा था, उधर लण्ड और चूत अपना काम किसी आटोमेटिक मशीन की तरह कर रहे थे। उधर दूसरी ओर धर्मेश मेरी बीवी के मुँह को चोद रहा था। और मैं उसके मम्मे पी रहा था।
मुस्कान की चूत को पहले कौन मारेगा, इसको लेकर कोई झगड़ा नही हुआ। धर्मेश ने कोई विरोध् नही किया। वैभव ने अपने दोनों हाथ मेरी जवान बीवी की चिकनी गुद्देदार जंघों पर रख दिए, और मस्त चोदन करने लगा। ये दृश्य देखने लायक था।
मन था कि अपनी बीवी के गैंग बैंग को वीडियो में रिकॉर्ड करुँ। फिर डर था कि किसी के हाथ लग गया तो गजब हो जाएगा। इसलिए रिकॉर्डिंग नही की। वैभव खूब कस कसके मुस्कान को चोदने नोचने लगा। मुझे मजा आ गया ये देखकर। आधे घण्टे वैभव ने मेरे सामने मेरी बीवी को चोदा नोचा खाया बजाया।
अब धर्मेश ने अपना लण्ड मुस्कान के मुँह से बाहर निकल लिया। उसने वैभव को इशारा किया कि अब हटे। उसे भी मेरी बीवी को खाने नोचने दे। वैभव हट गया और अब मेरी बीवी के मुँह को चोदने लगा। धर्मेश अब मुस्कान को पेलने लगा।
उसका लण्ड बड़ा था, और थोड़ा ऊपर की ओर कटार की तरह घुमा हुआ था, वो जब मुस्कान को चोदने लगा तो उसे एक खास कसावट चूत में महसूस होने लगी। धर्मेश ने मेरी बीवी मुस्कान की कमर को दोनों हाथों से कस लिया और फिर जो चुदाई ठुकाई की की मुस्कान और मैं हम दोनों बिलकुल दीवाने हो गए।
क्या खूब पटाखे दगाये!! उसने!! चट चट चट! खट ख़ट खट! पट पट पट!! इतने पटाखे फोड़े की मुस्कान की चुट का चबूतरा बन गया। चूत का चौबारा बनते देख मैं बहुत खुश हुआ। बेचारी मुस्कान हमेशा घर के काम में हमेशा बिजी रहती है। कभी उसे बाहर घुमाने भी नही ले जाता हूँ। चलो इसी बहाने कुछ सुख तो ले ले! मैंने सोचा।
हा हा हा! धर्मेश मेरी बीवी को जानवरों की तरह चोदे जा रहा था।
हूँ हूँ हूँ! अअअअ आ आ आहा! मुस्कान भी शेरनी की तरह गुर्रा रही थी। मेरी बीवी कितनी बहादुर है, कितने साहस और बहादुरी से चुद रही है, मैं सोचने लगा।
मुस्कान की चूत को धर्मेश ने चोद चोदकर हलवा बना दिया था। मैंने मुस्कान की चूत पर ओंठ लगा दिए और उस जगह चाटने लगा जहाँ धर्मेश का लण्ड मेरी बीवी की चूत में छेद करने वाली रन्दे की तरह अंदर और बाहर जाता था। मैंने खूब पिया उस पावन जामीन को।
मुझे छोड़कर धर्मेश और वैभव दोनों जिम जाते थे। इसलिए उनके पास 6 पैक थे। डोले शोले थे। लण्ड में भी कई पैक बन गए थे। चलो इसी बहाने मुस्कान जिम जाने वालों मर्दों से तो चुद गयी। अब वैभव ने मेरी बीवी मुस्कान का मुँह चोदन बन्द कर दिया। उसने धर्मेश को इशारा किया।
धर्मेश ने एक सेकंड के लिए चोदन कार्यक्रम बन्द किया। मुस्कान को एक सेकंड के लिए बेड से उठाया। वैभव सिरहाने पर लेट गया। उसने अपना लण्ड खड़ा कर लिया। धर्मेश मेरी बीवी मुस्कान को उसपर ले गया और बड़े होले से मुस्कान को वैभव के लण्ड पर बिठाया। वैभव का लण्ड मेरी बीवी की चूत में धस गया।
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पीछे से धर्मेश ने मेरी बीवी की गाण्ड में लण्ड पेल दिया। दोनों मजे से मेरे सामने ही मेरी बीवी का गैंग बैंग करने लगे। मनीष तुम भी आओ यार! धर्मेश बोला। मैं सिरहाने चला गया। मैंने लण्ड अपनी बीवी मुस्कान के मुँह में डाल दिया। अब हम तीनों मुस्कान के मुँह, चूत और गाण्ड को एक साथ चोदने लगे। ये दिन मुस्कान के जीवन का यादगार दिन था। पूरी रात हम तीनों दोस्त मेरी बीवी को चोद चोदके उसकी प्यास बुझाते रहे। सुबह होने पर दोनों नहा धोकर अपने अपने ओफिस चले गए।
मुस्कान से अपनी यादगार रात को अपनी डायरी में लिख लिया और हमेशा 2 के लिए कैद कर लिया। इसके बाद मैंने, वैभव और धर्मेश ने धर्मेश की बीवी के साथ गैंग बैंग किया। फिर हम तीनों दोंस्तों ने वैभव की बीवी को जमकर चोदा ,नोचा, खाया। तबसे हम तीनों कपल्स को ऐसा चस्का लगा की आज तक बच्चे पैदा होने का बाद भी हम सभी बारी बारी से एक दूसरे की बीवियों के साथ गैंग बैग करते है।