Devar Bhabhi Affair
मैं अपने तायाजी के यहाँ मुंबई में पढने के लिए आया था आज से दो साल पहले. मेरे तायाजी के दो लड़के हैं. दोनों शादीशुदा. बड़े भैया की बीवी है उर्मिला और छोटे भैया की सुरभि. मैं सुरभि की उमर काहूँ. उर्मिला मुझसे कल दो साल बड़ी है. मेरे तायाजी का ट्रेडिंग का बहुत बड़ा व्यवसाय है. Devar Bhabhi Affair
दोनों भैय्या तायाजी के साथ ही काम करते हैं. ताईजी का देहांत हो चुका है. तीनों जाने केवल रुपया कमाने में लगे रहते हैं. बड़े भैया की तीन साल पहले और छोटे भैया की दो साल पहले शादी हो चुकी है लेकिअभी तक दोनों के कोई बच्चा नहीं है.
मैं बहुत खुबसूरत हूँ. बहत जल्द उर्मिला भाभी और सुरभि भाभी दोनों मेरे से बहुत हिलमिल गई. वे दोनों मुझे बहत मज़ाक करती. धीरे धीरे मैंने नोट करना शुरू किया कि वे दोनों मुझे कई बार छूने की कोशिश भी करती. कभी मुझे गुदगुदी कर देती.
भाभी मेरे गालों पर चिकोटी काट लेती. मैंने ध्यान नहीं दिया. मैंने यह भी नोट किया कि दोनों के पति अपनी से बिलकुल भी दोस्ताना नहीं थे. उर्मिला और सुरभि दोनों अपने पतियों के जाने के बाद खिल जाती और मेरे साथ खूब बातें करती.
मेरी कॉलेज सवेरे सात बजे से बारह बजे तक थी. मैं दस मिनट में घर आ जाता. उसी वक्त तायाजी और दोनों भैया काम पर निकल जाते. रात को करीब दस बजे तक लौटते. एक दिन मैं अपने कमरे में बैठा पढ़ रहा था. तभी मैं पानी पीने के लिए किचन में गया.
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जब मैं पानी पीकर वापस अपने कमरे में लौटने लगा तो मैंने देखा कि उर्मिला अपने कमरे में कांच के सामने केवल ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी. वो अपने हाथों से अपने स्तनों को मसलती और फिर एक आह निकालती. मैं वहीँ खडा होकर देखने लगा.
मैं तुरंत समझ गया कि यह सब सेक्स की कमी के कारण है. तभी उर्मिला की नजर मुझ पर पड़ गई. उसने तुरंत एक तकिया अपने सीने पर रखा और मुझे अन्दर आने का इशारा किया. मैं अन्दर आ गया. उर्मिला मेरे सामने उसी तह बैठ गई. उसने तकिये से सीना छुपा रखा था.
वो बोली “वे मेरी तरफ बिलकुल भी ध्यान नहीं देते. महीने में एकाध बार ही मेरे साथ सोते हैं. मैं इसी तरह से तड़पती रहती हूँ. अब तुम ही बताओ एक औरत इस तरह से कैसे रह सकती है. सुरभि की भी यही हालत है.”
मैं सोच में पड़ गया. मैंने उसकी हाँ में हाँ मिलाई और अपने कमरे में आ गया. मुझे उर्मिला का इस तरह से देखना अच्छा लगा था. अब मैं उसे इस तरह से देखने की कोशिश करता. वो अक्सर इस तरह से मुझे खड़ी मिल जाती.
कभी कभी उर्मिला की मुझसे नजर मिल जाती तो वो बिलकुल भी बुरा नहीं मानती. एक दिन उर्मिला मेरे कमरे में आ गई. मैं बैठा हुआ पढ़ रहा था. उस वक्त घर में कोई नहीं था. सुरभि भी कहीं बाहर गई हुई थी. उर्मिला मेरे पास बैठ गई. हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे.
तभी उर्मिला बोली “अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं कुछ कहना चाहती हूँ.”
मैं कुछ नहीं बोला.
उर्मिला ने कहा “तुम मेरा साथ दो. मैं अब इस तरह से नहीं रह सकती. मैं पागल हो जाउंगी. मेरा सीना धडकता है. दिल घबराता रहता है. मैं सारी सारी रात तड़पती हूँ.”
मैं उर्मिला की तरफ देखने लगा. ये क्या कह रही है उर्मिला भाभी! ऐसा कभी होता है क्या? अचानक उर्मिला का जिस्म थर थर कांपने लगा. उसने मुझे पकड़ लिया. ना जाने क्यूँ मुझे उस पर तरस आ गया और मैंने भी उसे अपनी बाँहों में लिया.
अब उर्मिला ने मेरे गालों पर अपने हाथ फिराए और आँखों में आंसू लाते हुए बोली “मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूंगी.” उर्मिला ने मेरे गाल चूम लिए. मैंने भी उसके गालों को चूम लिया. बस इसी चुम्बन ने मेरी जिंदगी बदल डाली. उर्मिला ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया.
उसने अपने सारे कपडे उतार डाले. फिर मेरे पास आकर मेरी भी सभी कपडे खोल दिए. मुझे अपनी बाहों में लिया और पलंग की तरफ बढ़ने लगी. उसकी गर्म गर्म साँसें मुझे मदहोश करने लगी थी.दो मिनट बाद हम दोनों पलंग पर लेते हुए थे. उर्मिला मुझे बेतहाशा चूमे जा रही थी.
धीरे धीरे हम दोनों पर नशा इतना छा गया कि उर्मिला ने मुझे वश में कर लिया. उर्मिला ने मेरे गुप्तांग को इतना सहलाया कि वो एकदम कड़क हो गया. अब उसने अपनी टांगें फैलाकर मुझे अपना जननांग दिखलाया. मैंने उसके जननांग को हाथों से सहलाया और फिर चूमा.
उर्मिला मीठी मीठी आहें भरने लगी. अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उर्मिला के जननांग को अपने गुप्तांग से पाट दिया. अब उसके जननांग में मेरा गुप्तांग ऐसे घुसा हुआ था जैसे बोल्ट में कोई नट घुसा दिया गया हो.
उर्मिला ने मुझसे कहा “जल्दी कोई आनेवाला नहीं है. तुम लगे रहो.”
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उर्मिला ने पहले ही दिन पूरे एक घन्टे अपने जननांग की प्यास बुझाई. उसने मुझे इसके बाद मेरे जिस्म के हर हिस्से को चूमा. वो बहुत ही खुश नजर आ रही थी. उसने आखिर में अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए. मुझे पता नहीं था कि उर्मिला सुरभि को सब कुछ बता देगी.
रात को जब मैं सो गया तो ना जाने कब सुरभि मेरे कमरे में आ गई. वो मेरे पास लेट गई और मुझे चूमने लगी. मेरी आँख खुल गई. मैं सुरभि को देख हिरन हो गया. सुरभि ने कहा कि उर्मिला ने उसे सब कुछ बता दिया है. अब मैं पूरी तरह से मुसीबत में फंस चुका था. सुरभि थोड़ी देर ही मेरे साथ रही लेकिन उसने मुझे गालो पर चूम चूमकर मेरा सारा मुंह गीला कर दिया था.
उसने मुझसे कहा “आधी रात बाद मैं लौट कर आउंगी. तुम तैयार रहना. आज से तुम मेरे और उर्मिला दीदी के हो.”
करीब दो बजे उर्मिला फिर आई. इस बार वो एक नाईटी में थी. उसने आते ही कमरे की लाईट लगा दी. मैंने देखा उसने एक पारदर्शी नाइटी पहनी हुई थी. उसका हर अंग उससे बाहर झाँक रहा था. उसका सांवला रंग गज़ब ढा रहा था. उसने एक कंडोम मेरी तरफ उछाला और एक ही झटके में नाईटी को खोल कर फेंक दिया.
उसने लाईट बंद नहीं की और पलंग पर कूद गई. मैंने सुरभि को अपनी बाहों में कसकर भींच लिया. कुछ देर तक हम एकदूसरे के जिस्म से खेलते रहे. फिर सुरभि ने मुझे लिटाकर कंडोम खोला और मेरे कड़क हो चुके गुप्तांग पर लगा दिया. सुरभि ने अब अपने जननांग को मेरे मुंह के करीब ले आई.
उसका चिकना जननांग बहुत खुबसूरत लग रहा था. मैंने उसे जोर से चूम लिया. सुरभि तड़पकर एक सिसकी के साथ दबी आवाज में चीख उठी. मैंने सुरभि को नीचे लिटाया और उस खुबसूरत गुफा में अपने गुप्तांग को अन्दर तक घूमने के लिए घुसेड दिया.
सुरभि को अब आनंद आए लगा था. मुझे भी सुरभि का जननांग बहुत गीला और गुदगुदा लग रहा था. मैंने सुरभि को भी उर्मिला की तरह एक घंटे तक प्यास बुझाने के बाद ही छोड़ा. सवेरे मैं कॉलेज चला गया. लेकिन कॉलेज में भी उर्मिला और सुरभि के साथ किये गए संभोग याद आते रहे.
दोपहर को मैं लौट कर घर आ गया. आते ही उर्मिला ने मुझे पकड़ लिया. सुरभि भी घर पर थी. उर्मिला मेरे साथ मेरे कमरे में आ गई. एक बार फिर मैं उर्मिला के साथ बिस्तर में था. मैंने उर्मिला की प्यास को आज लगातार दो घंटों से भी अधिक समय तक बुझाया.
इसके बाद सुरभि मेरे कमरे में आ गई. सुरभि ने भी उर्मिला की तरह अपनी प्यास दो घंटों से कुछ ज्यादा ही देर तक बुझ्वाई. अब यह सिलसिला लगातार होने लगा. मेरी पढ़ाई अब पूरी तरह से छूटने लगी थी. जब भी समय मिलता मैं इन दोनों में से किसी के भी साथ संभोग करने लग जाता.
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मैं पूरी तरह से भटक चुका था. उर्मिला और सुरभि जहाँ खुश थी वहीँ मेरी बिगडती पढ़ाई के कारण मैं परेशान और तनाव में रहने लगा था. उर्मिला और सुरभि को मैंने सारी बात बताई. वे दोनों भी इस बात से चिंतित हो गई. उनकी चिंता अलग थी.
उन्होंने ओछा कि अगर मैं फेल हो गया तो मुझे वापस घर लौट जाना पडेगा. फिर उन दोनों का क्या होगा. उन द्नोंने आपस में ना जाने क्या सोचा. अगले दिन जब मैं कॉलेज से वापस आया तो मैंने देखा कि उर्मिला और सुरभि दोनों मेरे कमरे में थी.
उन दोनों ने मुझे अपने बीच में बिठाया और दोनों ही मेरे गालों और गरदन के आसपास चूमने लगी. अब एक और नयी मुसीबत पैदा हो रही थी. उर्मिला और सुरभि ने मेरे सभी कपडे उतार दिए. इसके बाद वे दोनों मेरे सामने खड़ी हो गई.
उन्होंने अपना एक एक कपड़ा उतारकर इधर उधर फेंकना शुरू किया. जब दोनों पूरी तरह से नंगी हो गई तो उन दोनों ने अब एक दूसरे को बाहों में भरा और मुझे ललचाने के लिए अपने स्तनों को आपस में रगड़कर उन्हें दबाने लगी.
कभी वे दुसरे को चूमती तो कभी आपस में एक मर्द और एक औरत की तरह से अलग अलग सेक्स पोझिशन बनाकर मुझे दिखाती. मेरे ऊपर ऐसा नशा छाया जैसे मैंने बेहिसाब शराब पी ली हो. अब उर्मिला और सुरभि दोनों ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया.
दोनों ने मेरे लिंग को अपने होंठों से चूमना शुरू किया. जब वो एकदम कड़क और बड़ा हो गया तो उन्होंने उस पर कंडोम लगा दिया. अब वे दोनों पलंग पर साथ साथ सीधी लेट गई और अपनी अपनी टांगें फैला दी. मैंने उन दोनों के जननांगों को देखा.
मेरे मुंह में पानी भर आया. मैं झुक गया. मैंने दोनों के जननांगों को चूमना शुरू किया. फिर मैंने उनके गुप्तांगों को भी चूमा. इसके बाद मैंने उनके गुप्तांगों जननांगों का एक पूरी बोतल क्रीम लगाकर मसाज किया. अब दोनों के वो हिस्से बहुत ही मुलायम और गीले गीले हो चुके थे.
सारा क्रीम उनके गुप्तान्गों, जननांगों और आस पास के हिस्से पर फ़ैल गया था. मैं एक बार फिर उस क्रीम से अपने हाटों से मालिश करने लगा. सुरभि ने मुझे एक और बड़ी बोतल थमा दी. मैंने वो सारी बोतल उर्मिला और सुरभि के स्तनों पर उंडेल दी.
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मैंने उस सारे क्रीम से उनके स्तनों की खूब मालिश की. अब उन दोनों के पूरे जिस्म पर क्रीम फ़ैल गया था. मैंने उन दोनों को एक बार फिर आपस में अपने स्तनों को मिलाकर आपस में ही मसाज करने को कहा. उनकी चतीयाँ जब आपस में मिली तो क्रीम दूं के स्तनों के बीच में से बूंद बूंद रिसने लगा.
मैंने वो क्रीम हाथ में लिया ऊँके गालों पर लगा दिया. अब तो उर्मिला और सुरभि दोनों मारे उत्तेजना के पागल हो उठी थी. मैंने भी अपनी उत्तेजना चरम पर पहुंची देखा उन दोनों को साथ साथ सीधा लिटाया. दोनों ने अपनी अपनी टांगें फिर फैला दी.
मैंने एक एक को लिया और उनके जननांगों को अपने कड़क और लम्बे हो गए लिंग से बारे बारी से भेदने लगा. क्रीम के कारण चिकनाई हो गई थी और हमें बहुत मजा आ रहा था. दोपहर को एक बजे से हम तीनों शुरू हुए थे और अब शाम के सात बजे थे.
तब से लगातार मैं कभी उर्मिला तो कभी सुरभि के जननांग को लिंग से भेदे जा रहा था. साढे सात के करीब दोनों पूरी तरह से चित्त हो गई. मैंने घडी देखी. आठ बज चुके थे. अभी भी करीब दो घन्टे बाकी थे सभी के लौट कर आने में. मैंने उन दोनों के होंठों को खूब चूमा और फिर जोर जोर से चूसा.
उन दोनों के ढीले पड़ गए जिस्मों में इससे एक बार फिर हलचल होने लगी. मैंने उन दोनों को एक बार फिर अपने पास ले लिया. इस बार मैंने बाथरूम से शम्पू लिया और एक स्पोंज पर लगाकर उनके जिस्म पर पानी कि थोड़ी बूंदों के साथ रगडा.
थोड़ी ही देर में उन दोनों के जिस्म पर ढेर सारा झाग बन गया. हम तीनों जमीन पर चटाई पर लेट गए. अब हम तीनों उस झाग से एक दूसरे के बदन पर मलने और खेलने लगे. झाग से खेलते खेलत एक बार फिर मैंने उर्मिला और सुरभि के साथ संभोग किया.
हमने घडी देखी साढे नौ बज चुके थे. हम तीनों बड़ी मुश्किल से अलग अलग हुए. सारी रात मैं भी अपने कमरे में तडपता रहा और दूसरी तरफ उर्मिला और सुरभि दोनों भी तड़पती रही. मैं अब दलदल में फंस गया था. मुझे अपनी बर्बादी साफ साफ़ नजर आने लगी थी.
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मैंने अब उर्मिला और सुरभि को अपनी परेशानी खुलकर बता दी. उर्मिला और सुरभि ने अपना दिमाग दौड़ाया. उर्मिला के पिता का भी अपना कारोबार था. उर्मिला अपने पिता की अकेली संतान थी. उर्मिला के पति को अपने ससुर के कारोबार में कोई रूचि नहीं थी. उर्मिला और सुरभि ने अपने जिस्म का स्वार्थ देखा और दोनों ने उर्मिला के पिता से मुझे मिलवाया. उन्होंने मुझे अपने साथ तुरंत शामिल कर लिया अब मेरे और उर्मिला-सुरभि के लिए रास्ता सा हो चुका था. मेरे घरवाले भी खुश हो गए.
उन्होंने भी मुझे पढ़ाई छोड़ कर इसी कारोबार में शामिल होने की मंज़ूर दे दी. आज उस बात को पूरा एक साल बीत चुका है. पिछले एक साल से उर्मिला और सुरभि मुझसे सेक्स सम्बन्ध रखे हुए हैं. मैं कई बार उन्हें अब होटल में भी ले जाता हूँ. वहां भी हमारे बीच संभोग होता रहता है. सबसे आखिर में एक बात बता रहा हूँ. उर्मिला चार माह से और सुरभि तीन माह से गर्भवती है. दोनों के पति और तायाजी बहुत खुश है. लेकिन राज की बात यह है कि दोनों के होनेवाले बच्चे मेरी ही देन है.