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भाभी की चूत में दो लंड एक साथ 1

मार्च 30, 2024 by hamari

Desi Couple Sex Fun

मेरी शादी के तीन साल बाद मेरे एक बेटा हुआ और मेरी बीवी मीनाक्षी का सेक्स में रुझान कम हो गया। मैं छब्बीस साल का गोरा चिट्टा फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाला आकर्षक व्यक्तित्व का नौजवान हूँ, मुझे सेक्स का बहुत शौक है पर अब बीवी साथ नहीं देती तो मुठ से काम चलाना पड़ता था। Desi Couple Sex Fun

मैं अंग्रेजी नोवल पढ़ता और एडल्ट मूवीज बहुत देखता था। मेरे एक बड़े भाई जैसे दोस्त थे शशांक, उनकी पत्नी रूही… दोनों बहुत मस्त प्रकृति के थे और मुझसे बहुत प्रेम रखते थे। उन दोनों की शादी जल्दी हुई थी और बच्चा भी तुरंत ही हो गया था।

उनकी कोठी अगली कॉलोनी में ही थी और वो अपने माँ-पिताजी के साथ रहते थे। उनके माँ-पिताजी को मैं चाची-चाचा कहता था, वो लोग नीचे रहते थे और शशांक – रूही का कमरा ऊपर था। शशांक के एक ही लड़का था वो भी हॉस्टल में पढ़ता था।

शशांक शाम को अपने व्यापार से सात बजे तक आ जाते थे और आधा घंटा नीचे माँ-पिताजी के साथ बैठकर फिर ऊपर चले जाते थे। कहीं जाना हो तो अलग बात है वर्ना फिर वो अगले दिन सुबह ही नीचे आते थे। खाना भी उनका नौकर ऊपर ही लाता था।

मैं महीने में 4-5 बार तो खाना उनके घर ही खाता था। मीनाक्षी ने कभी इस पर एतराज भी नहीं किया। इधर कुछ दिनों से मैं महसूस कर रहा था कि शशांक, रूही मुझसे कुछ ज्यादा ही खुल गए हैं। मैं रूही को भाभी कहता था मगर अब उन्होंने मुझसे जबरदस्ती अपना नाम लेने को ही कहा, मुझे भी कोई दिक्कत नहीं लगी क्योंकि मेरी और रूही की उम्र बराबर ही थी।

हाँ, शशांक को मैं शशांक भाई कहता था, वो थे भी मुझसे 4 साल बड़े! रात को इन दिनों रूही ने कुछ ज्यादा ही सेक्सी नाईट ड्रेस पहननी शुरू कर दी थी। एक शाम को जब में चाचा-चाची के पास बैठा था शशांक ने ऊपर से मुझे आवाज देकर बुलाया और मुझसे रात को खाना खाकर ही जाने के लिए कहा।

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मैंने कहा- नहीं, घर पर खाना बन चुका होगा।

तो चाची बोली- कोई बात नहीं, मीनाक्षी को कह देना कि चाची ने कहा था।

मैं कुछ नहीं कह पाया, थोड़ी देर बाद ऊपर चला गया। गर्मी के दिन थे पर शशांक का कमरा आज ए सी से खूब ठंडा हो रहा था और मोगरा की खुशबू से महक रहा था। पता चला कि आज रूही की बर्थडे है, रूही बाथरूम में थी।

मैंने शशांक से कहा- भाई मैं अभी आता हूँ, रूही के लिए एक गिफ्ट ले आऊँ!

शशांक हंस कर बोले- तू खुद ही आज गिफ्ट बन जा!

मैं कुछ समझा नहीं और हंस कर कह दिया- मैं तो आप ही लोगों का हूँ।

नौकर रामू खाना रख गया। शशांक ने रूही को आवाज दी, संभवतः वह रामू के जाने का ही इन्तजार कर रही होंगी बाहर आने के लिए! वो ही हुआ, शशांक के आवाज देने के बाद ही रूही बाथरूम से बाहर आई! क्या ग़जब की खूबसूरत लग रही थी, लाल रंग की मिनी नाईटी पहने हुए थी वो… होठों पर लाल लिपस्टिक थी, हाथों में लाल रंग की ही नेल पॉलिश लगा रखी थी और स्लीपर भी उन्होंने लाल ही पहने थे।

मैंने होश खोते हुए उनसे हाथ मिलाते हुए हैप्पी बर्थडे कहा। हाथ छूते ही लगा कि करंट लग गया हो… जिन्दगी में पहली बार मैंने उन्हें छूआ था पर उन्होंने तो कमाल ही कर दिया। रूही ने थैंक्स कहते हुए मुझे चूम लिया था। हालाँकि उनकी इस हरकत को शशांक ने नहीं देखा।

खाना खाकर शशांक ने रामू को आवाज दी बर्तन ले जाने के लिए, रूही बाथरूम में चली गई, मैं भी उनको स्वीट ड्रीम्स बोलकर वापस घर जाने के लिए खड़ा हुआ तो शशांक बोले- थोड़ी देर में चले जाना!

उनके कहने पर रूही ने मीनाक्षी को फोन कर के कह दिया कि मैंने उनके घर खाना खा लिया है और मैं देर से घर आऊँगा। हम लोग बिस्तर पर अधलेटे होकर टीवी पर सीडी देख रहे थे, शशांक ने कोई इंगलिश रोमांटिक मूवी लगा दी थी। जो पार्ट हम लोग देख रहे थे उसमे फ्रेंच किस सीन, जिसमें जोड़े होठों से होंठ मिलाये देर तक रहते हैं, ज्यादा थे।

हम लोग इस तरह से लेट कर टीवी देख रहे थे कि मेरी पीठ शशांक की ओर थी और शशांक की पीठ रूही की ओर थी। मूवी देख कर हम सभी गर्म हो रहे थे। रूही कब शशांक से चिपक गई, मुझे पता ही नहीं चला। मुझे जब स्मूच की आहट हुई तब बिना मुड़े मैंने यह अंदाज़ कर लिया कि शशांक रूही फ्रेंच किस कर रहे हैं।

मगर ये मेरी उपस्थिति में क्यों इतने बेताब हो रहे हैं, यह मैं उस समय नहीं समझ पा रहा था। मेरा सिर शशांक की छाती से टिका था और मुझे अब यह एहसास हो रहा था कि रूही अपना हाथ शशांक की छाती पर ले आई है और शशांक के निप्पल पर अपनी उँगलियाँ घुमा रही है।

उसकी इस हरक़त से निश्चित रूप से शशांक का खड़ा हो गया होगा और इस विचार से मेरा भी खड़ा हो गया था। बड़ी अजीब स्थिति थी… न तो मैं पीछे देख पा रहा था और न ही घर जा पा रहा था। अचानक शशांक यह कह कर उठा कि नीचे झांक आऊँ और बाहर जाकर वापस आ गया और रूही को आगे मेरी ओर धकेल कर खुद उसके पीछे लेट गया।

अब रूही बीच में थी। शशांक ने बदमाशी में रूही को पीछे से धकेला तो रूही बिल्कुल मुझसे चिपक गई। शशांक ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और रूही का हाथ मेरे ऊपर रख दिया और मुझसे बोला- तू तो आज रूही का बर्थडे गिफ्ट है तो झिझक क्यों रहा है?

अब मैं भी मस्ती के मूड में आ चुका था तो बोला- नहीं, मैं तो नहीं झिझक रहा पर जिसका गिफ्ट है उसकी जो मर्जी हो, वो अपने गिफ्ट से कर सकती है।

शशांक ने रूही से कहा- अपना गिफ्ट अनरैप कर लो!

रूही शरमाई पर शशांक ने उसे फिर उकसाया तो उसने अपना हाथ मेरी छाती पर रख दिया और मेरे निप्पल पर अपनी उंगलियाँ गोल गोल घुमाने लगी। अब तो मेरी गांड फट चुकी थी और लंड बगावत कर बाहर आने को तैयार था। मुझे फच फच की आवाज आने लगी तो मैं समझ गया कि शशांक ने अपनी उंगली रूही की चूत में कर दी है।

मैंने भी सर घुमाकर रूही के होठों को अपने होठों से मिला लिया। अब पागल होने की बारी रूही की थी, एक तो शशांक ने उसकी चूत को मस्त कर दिया था और अब होठों की गर्मी उसकी कामाग्नि भड़का रही थी। वो पागलों की तरह मुझसे लिपट गई और मेरे पूरे चेहरे को चूमने चाटने लगी।

मैंने भी एक हाथ से उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिये थे। तभी मुझे एहसास हुआ कि जो कुछ हो रहा है, यह गलत है। मैं एक झटके में रूही को अपने से अलग करके खड़ा हुआ और कमरे से बाहर आ गया। पीछे से शशांक ने धीरे से आवाज दी तो मैंने कोई जबाब न देते हुए सीधे सीढ़ियों पर से नीचे आ गया और अपने घर की ओर चल दिया।

घर आकर मीनाक्षी ने मुझसे पूछा- आजकल रूही भाभी तुम्हें रोज दावत देती हैं, मैंने उनसे कह दिया है कि मुझे भी कभी कभी दावत दिया करें!

मैं कामाग्नि में जल रहा था और मन में पश्चाताप भी था कि आज तो बहुत कुछ गलत हो गया, पता नहीं अब शशांक मुझे कभी घर आने देंगे या नहीं? कभी मीनाक्षी को पता चल गया तो?

मैं नहा कर चुपचाप बिस्तर पर लेट गया। मीनाक्षी को भी यह एहसास था कि हमारी सेक्स लाइफ नीरस हो गई है इसलिए आज उसने भी हल्का सा मेकअप किया और एक झीनी सी नाइटी पहन कर बिस्तर पर आई और आते ही मुझसे चिपक कर मुझे चूमने लगी। उस रात हम लोगों ने बहुत दिनों के बाद सेक्स का आनन्द लिया।

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अगले दिन शशांक दोपहर को मेरी फैक्ट्री आये और बोले- चल ठण्डा पिला!

मैंने फ्रिज से बोतल निकाल कर उसे दो गिलासों में करी। ठंडा पीते पीते मैंने उनको सॉरी बोला।

शशांक हंसकर बोले- सॉरी तो तुझे बोलना चाहिए पर रूही को जिसका बर्थडे तूने ख़राब कर दिया।

वो बोले- चाहे फिर कभी नहीं मानता, पर कल तो तुझे रूही को किसी बात के लिए मना नहीं करना चाहिए था।

मैंने शशांक को बोला- आप मेरी ओर से भाभी को सॉरी बोल देना!

शशांक बोले- गलती तूने की है, सॉरी तुझे खुद घर आकर बोलनी होगी।

मेरी हिम्मत नहीं पड़ रही थी, घर आने की तो शशांक ने अपने मोबाइल से रूही का नंबर मिलाया और बोले- ले मिथुन से बात कर ले!

रूही ने मुझसे फ़ोन पर चुम्बन करते हुए कहा- जो कुछ हुआ, वो सबकी मर्जी से हुआ… उसे भूल जाओ और आज घर आ जाना!

मैं शाम को फैक्ट्री से घर जल्दी आ गया और मीनाक्षी को झूठ बोल कर कि मुझे किसी पार्टी के साथ फैक्ट्री पर ही डिनर करने जाना है, नहा धोकर निकल लिया। घर से निकला ही था कि शशांक का फ़ोन आ गया- कितनी देर में आ रहा है?

मैंने कहा- तुम लोग खाना खा लो, मैं रात को आऊँगा, जब तुम फ्री हो जाओ तो मुझे फोन कर देना!

जब आदमी बेईमानी पर आता है तो वो बहुत प्लानिंग करता है, मैंने होटल से खाना पैक कराया, फैक्ट्री जाकर खाना खाया। तभी शशांक का फ़ोन आ गया। अब मेरे पास यदि मीनाक्षी शक करती या कुछ पूछती तो होटल का बिल भी था और शशांक के घर जाने का बहाना भी था कि शशांक ने फ़ोन करके बुलाया था।

मैं रात को नौ बजे करीब शशांक के घर पहुँचा, शशांक ने मेन गेट खोला और मुझे अन्दर करके बंद कर दिया। चाचाजी चाचीजी अपने कमरे में सोने की तैयारी में होंगे, हम दबे पाँव ऊपर आये। रूही भाभी ने आज काले रंग की स्लीवलेस मिडी पहन रखी थी और गोरी होने से उसके ऊपर खूब फब रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

रूही की आँखें नशीली हो रही थी। शशांक ने मुझसे कहा कि मैंने रूही को उसके बर्थडे पर रुलाया है, इसलिए अब मैं ही उसे खुश करूँगा। मैंने रूही के पास जाकर सॉरी बोला तो उसने मेरे बाल पकड़कर मुझे अपनी ओर खींचा और होठों से होंठ मिला दिये।

मुझे लगा कि शायद यही सही है तो मैंने कुछ एतराज नहीं किया और रूही के सर के पीछे दोनों हाथ ले जाकर उसे अपनी ओर भींच लिया और अपनी जीभ उसके मुंह के अन्दर कर के उसकी जीभ को चूसने लगा। वो पागलों भी की तरह मेरी जीभ को अपनी जीभ से चूस रही थी। अब अचानक ही मेरा एक हाथ उसके मम्मों पर आ गया और उसका एक हाथ मेरे लंड को टटोल रहा था।

अचानक ही शशांक की आवाज़ आई- अरे भाई हमें भी शामिल कर लो बर्थडे पार्टी में!

सच में हम दोनों को ही झटका लगा… वाकयी हम तो यह भूल ही गए थे कि कमरे में शशांक भी है। पर रूही बहुत प्रैक्टिकल निकली, उसने शशांक को भी खींचा और अब उसके होंठ शशांक के होंठों से मिल चुके थे और उसके एक हाथ में मेरा और दूसरे हाथ में शशांक का लंड था।

मैं भी थोड़ा झुककर उसकी मिडी के ऊपर से ही उसके मम्मे चूस रहा था। यह देख शशांक ने उसकी मिडी उठाकर उसकी चूत में अपनी उंगली कर दी थी। दो मिनट के बाद ही रूही ने हम दोनों को धक्का देकर अलग कर दिया और नीचे बैठकर कभी मेरा कभी शशांक का लंड चूसने लगी।

 उसका चूसने का स्टाइल ऐसा ग़जब था जैसे वो चूस कर अंदर का माल निकालना चाहती हो। शशांक और मेरे दोनों के लंड पूरे तने हुए थे। भाभी शिश्न की खाल को अपने हाथ से आगे पीछे कर के पूरी उत्तेजना पैदा कर रही थी। शशांक ने थोड़ा झुक कर रूही की मिडी ऊपर खींच कर उतार दी।

हम लोगों ने भी अपने पूरे कपड़े उतार दिये। अब हम तीनों बिल्कुल नंगे थे। रूही खड़ी हुई और हम दोनों के हाथ पकड़कर बेड तक ले गई, वो बीच में लेटी, उसकी एक ओर मैं और दूसरी ओर शशांक था। उसने अपने हाथों में हम दोनों के लंड ले लिए, मैं उसके होंठों से चिपक गया, मेरे हाथ उसके चेहरे को मजबूती से अपनी ओर भींचे हुए थे।

शशांक को कुछ और समझ में नहीं आया तो वो रूही से अपना लंड छुड़ाकर उसकी चूत को चूसने लगा। रूही की चूत तो पहले ही पानी छोड़ चुकी थी। शशांक ने अपनी जीभ उसकी चूत में पूरी अन्दर कर रखी थी और उसने उसकी चूत में अपने मुँह से खूब सारा थूक भी वहाँ डाला हुआ था जो बहकर रूही की गांड तक आ रहा था।

शशांक के चूमने चाटने से रूही की आग बहुत भड़क उठी थी। अब मैं भी उसके होंठ छोड़कर उसके मम्मे चूस रहा था। रूही के मम्मे मांसल और गोरे थे और उसकी निप्पल भी उठी हुई थी। निप्पल के चारों ओर भूरे रंग की गोलाई थी, कुल मिलकर हूरों जैसा रूप था रूही का…

शायद किसी के लिए भी उसके नजदीक आना एक नसीब की बात थी और ऐसे हुस्न की मलिका आज नंगी मेरी बाँहों में थी। शशांक ने चूत चूसते चूसते अपनी एक उंगली रूही की गांड में कर दी, रूही हल्का सा चीखी! तभी मैंने उसके निप्पल पर दातों से काटा था, मुझे लगा कि रूही मेरे काटने से चीखी है तो मैंने अपने होंठों से उसका मुँह सिल दिया। शशांक ने भी अपनी जीभ की स्पीड और बढ़ा दी।

रूही ने मेरे कान में फुसफुसा कर कहा- अन्दर आ जाओ!

मैं वहाँ से हटा तो शशांक को भी हटना पड़ा और शशांक एक बार बेड से नीचे उतरा। मैंने मौका साफ़ देखा तो रूही की टांगों के बीच में आ गया और धीरे से उसके ऊपर आ गया, रूही ने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत के ऊपर रख दिया।

मैंने भी अपने लंड का दवाब रूही की चूत पर डाला और धीरे से उसकी चूत के अन्दर किया। चूंकि रूही की चूत को शशांक पहले ही चिकना किये हुए था, इसलिए रूही को एक नए लंड से कोई दिक्कत नहीं हुई। रूही भाभी और मेरे लिए अपने साथी के अलावा किसी अन्य से सम्भोग करने का पहला अवसर था इसलिए आग पूरी लगी हुई थी, दो जिस्म एक होने को बेक़रार थे, हम भूल चुके थे कि शशांक कमरे में ही है।

रूही ने अपनी बाहें मेरी गर्दन में डालकर मुझे झुका लिया था और मैं भी अपना लंड पूरा अन्दर कर चुका था। रूही की कामाग्नि भड़क चुकी थी, वो मेरे लंड को और गहराई से अन्दर करना चाह रही थी। मैंने धक्के देने शुरू किया… अब रूही की सीत्कारें निकलने लगी, वो हाँफ रही थी और कह रही थी- मिथुन और अन्दर करो… जोर से करो, और तेज करो प्लीज मिथुन… मुझे पूरा मजा दो… आज फाड़ दो मेरी चूत को!

मैंने भी पूरा जोर लगा कर अपनी स्पीड बढ़ा रखी थी। अब शशांक भी अब बेड पर पर रूही के सर के पास आ गया था, रूही ने हाथ बढ़ाकर शशांक का लंड अपने मुँह में ले लिया। शशांक मुझे देखकर मुस्कुराया, मैंने अपने हाथ से शशांक का हाथ पकड़ा।

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तभी मुझे लगा कि मैं छूटने ही वाला हूँ, मैंने कहा- रूही भाभी, मैं आने वाला हूँ कहाँ निकालूँ?

रूही ने मुझे भींचते हुए कहा- बाहर मत निकालना!

मैं दो-चार धक्कों में ही आ गया, मैंने अपना सारा माल रूही भाभी की चिकनी चूत में डाल दिया और साफ़ करने के लिए उठने की कोशिश की पर रूही ने मुझे जकड़ लिया, बोली- कहीं मत जाओ, ऐसे ही पड़े रहो!

मगर मुझे लगा कि अभी शशांक का तो हुआ नहीं है इसलिए मैं जोर देकर उठ गया और बाथरूम की ओर चल दिया। बाथरूम से धोकर साफ़ करके आया तो देखा कि शशांक रूही को कुतिया बना कर चोद रहा है, वो उसके ऊपर चढ़ा हुआ था और रूही की चुदाई कर रहा था।

वो अपने एक हाथ से रूही के मम्मे भी मसल रहा था। कुछ ही देर में शशांक भी आ गया और रूही वहीं बिस्तर पर पेट के बल निढाल होकर लेट गई… शशांक बाथरूम की ओर चल दिया। अब मुझे भी घर जाना था, मैंने कपड़े पहने, बिस्तर पर लेटी रूही को चुम्बन किया और शशांक से नीचे दरवाजा खोलने को कहा और दबे पाँव नीचे आ गया।

अगले दिन 11 बजे रूही का फोन आया, एक लम्बे किस के बाद उसने मुझे थैंक्स बोला।

मैंने उससे पूछा कि वो इतनी खूबसूरत है और शशांक भी बहुत सेक्सी है… फिर मुझे बीच में क्यों घुसा लिया?

रूही ने बताया कि पता नहीं क्यों पर मैं उसे बहुत अच्छा लगता हूँ। सेक्स के दौरान रूही और शशांक ने पाया कि अगर वो किसी तीसरे का नाम लेते हैं तो उन्हें सेक्स में ज्यादा मजा आता है। शशांक उस दौरान रूही की चचेरी बहन जो रूही की ही हमउम्र और गठीले बदन की है, का नाम लेता था और रूही मेरा नाम लेती थी।

रूही ने बताया कि उसकी चचेरी बहन दिशा तो फिलहाल रूही की पकड़ में नहीं आ रही थी शशांक के लिए, हालाँकि रूही और दिशा आपस में बहुत खुले हुए हैं और एडल्ट जोक्स खूब शेयर करतें हैं और एक दो बार एक बिस्तर पर दोनों ने एक दूसरे के मम्मे दबाये और चूत में उंगली की है। पर यह कहने की कि दिशा शशांक से चुदा ले, अभी तक रूही की हिम्मत नहीं हो पाई है।

हाँ पर जब रूही मेरा नाम लेती थी तो शशांक की चोदने की स्पीड बढ़ जाती थी और पिछले दिनों एक बार शशांक ने रूही से पूछ ही लिया था कि अगर वो मुझसे रूही को चुदा दे तो क्या रूही दिशा को शशांक से चुदने के लिए मना लेगी।

इस पर रूही ने शशांक को कहा था कि वादा तो नहीं है पर अगले महीने दिशा 2-3 दिनों के लिए यहाँ आएगी, उस दौरान रूही पूरी कोशिश करेगी कि दिशा शशांक से चुद जाए। रूही के बर्थडे वाले दिन जब मैं अचानक वापस आ गया तो रूही बहुत घबरा गई थी कि चुदाई भी हुई नहीं और बात भी खुल गई कि रूही मुझमें इंटरेस्ट रखती है। तब उसने शशांक को कहा था कि बस एक बार शशांक मुझे घर बुला लाये, बाकी रूही खुद सम्भाल लेगी।

रूही ने मुझसे पूछा- सच बताना तुम्हें कैसा लगा?

मैंने कहा- मुझे तो अभी तक यकीन नहीं हो रहा कि रूही जितनी प्यारी और ख़ूबसूरत लड़की मेरे साथ बिस्तर पर थी, वो भी अपने पति की मौजूदगी में!

रूही ने कहा कि उसे मेरे बात करने का और सलीके में रहने का स्टाइल बहुत पसंद था, पर अब उसे मेरा सेक्स करने का स्टाइल भी बहुत पसंद है। उसने मेरे लंड का नाम ‘चैम्प’ रखा और मैंने उसकी चूत का नाम ‘परी’ रखा। हमने अपने सेक्स का नाम ‘मस्ती’ रखा।

कुल मिलकर हमारे बीच अब एक नया रिश्ता जुड़ चुका था जिसमें मीनाक्षी और शशांक कहीं नहीं थे। रूही बोली कि मर्द कुछ भी बोले पर शक्की बहुत होता है। रूही ने बताया कि शशांक को आज सुबह लग रहा था कि कहीं रूही मुझसे जुड़ तो नहीं गई है इसलिए अब वो मुझे फोन शशांक से छिप कर करेगी, रोज ठीक 11 बजे, क्योंकि 11 बजे शशांक दुकान जाता है और अगले एक घंटा उसे फुर्सत नहीं मिलती।

इसलिए रूही ने शशांक से कह रखा है कि अगर 11 से 12 के बीच रूही का फोन व्यस्त आये तो शशांक समझ ले कि रूही या तो अपने मायके वालों से बात कर रही है या अपनी सहेलियों से! इसलिए इस बीच रूही मुझे किया करेगी, वो भी लैंडलाइन पर…

सच बेवफाई और प्यार बहुत शातिर बना देता है। मैं और रूही अब रोज 11 से 12 अपनी ‘मस्ती’ की बातों में डूबने लगे। एक दिन शशांक ने मुझे कहा कि कल वो और रूही मेला देखने जा रहें हैं। उसने मुझसे कहा साथ चलने के लिए! ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

हालाँकि में उस दिन दिल्ली जा भी रहा था, पर मैंने उनके साथ जाने को मना कर दिया, कहा- जाओ और मस्ती कर के आओ!

शाम को रूही भाभी का फोन आया और उसने मुझे साथ चलने के लिए दवाब दिया।

आखिर मैंने उससे इस बात के लिए बोल दिया- ठीक है, मैं दोपहर को पहुँच जाऊँगा।

अगले दिन मैं अपना काम निपटा कर दोपहर एक बजे करीब मेले में पहुँचा। मुझे रूही और शशांक मिल गए, रूही ने जीन्स और टॉप पहना था। हम लोगों ने रेस्टोरेंट में खाना खाया।

रूही बोली- मुझे तो नींद आ रही है!

और ऐसा कहते उसने मेरी ओर शशांक से छुपा कर आँख मारी। मैं समझ गया कि वह चुदासी हो रही है, मैंने उससे धीरे से कहा कि होटल में कमरा लेना पड़ेगा और दो हजार से कम का कमरा मिलेगा नहीं, क्यों दो तीन घंटों के लिए पैसा बर्बाद करती हो।

मगर उसे और शशांक को तो चुदाई सूझ रही थी। वहीं कॉटेज भी थीं जिनका किराया एक हज़ार रूपये था, जो शायद चुदाई के ही काम आती होंगी। खैर, हम लोग एक कॉटेज में गए।

मैंने उन्हें एकांत देने के मूड से कहा- तुम लोग आराम कर लो, मैं घूम कर आता हूँ।

तब शशांक बोला- पहले हम बाथटब में नहा कर आते हैं, फिर बैठ कर गप्पें मारेंगे।

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एक्स्ट्रा कपड़े तो लाये नहीं थे इसलिए उन दोनों ने अपने कपड़े कमरे में ही उतार कर तौलिये लपेट लिए थे। तौलिये में रूही का चिकना और संगमरमरी बदन क़यामत ढा रहा था, गोरी चिकनी उँगलियों पर उसने लाल नेल पॉलिश लगा रखी थी।

सच मेरा चैम्प तो जीन्स फाड़ कर बाहर आने को तैयार था मगर समय की मजबूरी थी, बिना शशांक से न्यौता मिले मैं कुछ नहीं कर सकता था। मेरा खड़ा करके रूही और शशांक नहाने चले गए। अंदर से उनके चूमने, चिपटने की आवाज आ रही थी.

मैं अपना लंड बाहर निकाल कर मुठ मारने की सोच ही रहा था कि रूही तौलिया लपेट कर बाहर आई और मुझे एक चुम्मी देकर कान में फुसफुसा कर बोली- अभी शशांक नखरे कर रहा है, शायद आज चुदाई न हो!

सही बात यह थी कि शशांक इस बात से डर गया था कि कहीं रूही उसके हाथ से निकल कर मुझसे प्यार न कर बैठे! अब शशांक को कौन समझाए कि जिस बात से वो डर रहा है, वो तो हो चुका… अब रूही बीवी तो सिर्फ उसकी है पर माशूका मेरी है।

मेरी माशूका की चूत में बाथटब में नहाकर आग लगी हुई थी, जो शायद उसका पति नहाते समय न बुझा पाया हो, या फिर वो अपने आशिक के लंड की प्यासी हो रही हो! तभी शशांक भी तौलिया लपेट कर बाहर आ गया।

रूही ने बड़े स्टाइल से मुझसे आँख मारकर कहा- तुम प्लीज बाहर चले जाओ जिससे मैं कपड़े बदल सकूँ।

मैं दरवाजे से निकला ही था कि रूही ने अपना तौलिया हटा दिया और शशांक का भी तौलिया खींच दिया।

रूही ने ये सब क्यों किया? सुनिए उसी की जुबानी:

मिथुन के लंड के लिए में बहुत बैचैन हूँ, पर शशांक से कह नहीं सकती। और शशांक डर रहा है कि कहीं मैं मिथुन के लंड की दीवानी न हो जाऊँ। शशांक को क्या मालूम कि मैं शशांक से बहुत प्यार करती हूँ पर मिथुन की दीवानी हो गई हूँ, उसका बात करने का, कपड़े पहनने का, चोदने का, होठों पर चूसने का अंदाज़ अलग है।

मैंने सोचा कि कुछ ऐसा करूँ जिससे शशांक को लगे कि मैं सिर्फ उससे नजदीकी चाहती हूँ और मैं उसे यह विश्वास दिला दूँ कि दिशा की चूत उसे दिलाने के लिए मैं अपनी पूरी कोशिश कर रही हूँ। मैं ऐसा करती हूँ कि मिथुन को बाहर भेज देती हूँ.

तो शशांक को लगेगा कि मैं मिथुन की मौजूदगी में मजे नहीं ले पा रही हूँ, इसलिए मैंने मिथुन को आँख मारकर बाहर भेज दिया ताकि उसे बुरा न लगे। और उसके जाते ही खुद भी नंगी हो गई और शशांक को भी नंगा कर दिया। जब दो बदन नंगे हों तो आग तो लग ही जानी है… शशांक ने मुझे अपने नंगे बदन से चिपटा लिया।

मैंने अब उससे एक झूठ बोला- तुम्हारे लिए एक खुशखबरी है, दिशा अगले हफ्ते आ रही है और वो बजाये दो तीन दिन के चार पांच दिन रुकेगी और मैंने उससे कुछ सेक्सी नाईट ड्रेस लाने को कहा है। मेरा पूरा प्रयास होगा कि पहले या दूसरे दिन ही हम तीनों बिस्तर पर एक साथ हों!

शशांक यह सुनते ही बेकाबू हो गया और मुझे बेतहाशा चूमने लगा।

अब मैंने अपना आखिरी तीर मारा, मैंने शशांक से पूछा- शशांक सच बतओ तुम मिथुन को लेकर मुझसे डर रहे हो न?

शशांक चुप रहा।

मैंने उसके होठों पर एक जोरदार चुम्मी लेकर कहा- इसमें कोई शक नहीं कि मुझे मिथुन के साथ बहुत मजा आया, पर वो सब कुछ शशांक और मेरे संबंधों की कीमत पर नहीं!

मैंने शशांक को यह विश्वास दिलाया कि मेरे लिए जो शशांक है वो कोई दूसरा हो ही नहीं सकता। और अगर शशांक को पसंद नहीं तो मैं मिथुन से कोई नजदीकी नहीं चाहती!

बस इतना सुनते ही शशांक ने मुझे कस के भींच लिया और बोला- जानू, बस मुझे यही सुनना था! अब मुझे कोई डर नहीं… मेरी जान को कोई चीज ख़ुशी दे रही है तो अब मुझे इसमें कोई एतराज नहीं होगा!

शशांक बोला- अब मुझे यकीन है कि मिथुन की वजह से उसके और रूही के सबंधों पर कोई दिक्कत नहीं आएगी।

शशांक ने मुझसे यह भी कहा कि अब वो मुझ और मिथुन पर कोई शक नहीं करेगा, मैं जब चाहे मिथुन को घर बुला सकती हूँ या फोन पर बात कर सकती हूँ। शशांक बहुत खुश था और उससे ज्यादा मैं खुश थी।

मैंने शशांक से कहा- अब कपड़े पहन लो, बेचारा मिथुन बाहर खड़ा है।

शशांक ने तौलिया लपेटा और मैंने भी केवल तौलिया ही लपेट लिया। शशांक ने इण्टरकॉम पर पनीर पकोड़े और चिल्ड बियर का आर्डर दिया और मिथुन को बुलाने बाहर गया। अब मिथुन बताएगा कि क्या हुआ आगे!

मुझे रूही ने बाहर भेज तो दिया पर मैं बाहर क्या करता, बाहर एक हट में स्नैक्स शॉप थी… मैं उस पर जाकर खड़ा हो गया और चिप्स और कोल्ड ड्रिंक ले ली। मुझे रूही पर यकीन था कि वो कुछ भी करके मुझे अन्दर बुलाएगी और हम सब मस्ती करेंगे। लगभग पंद्रह मिनट की बोरियत के बाद मुझे शशांक अपनी ओर आता दिखाई दिया, मेरे दिल के धड़कन बढ़ गई… पता नहीं अन्दर क्या गुल खिला हो!

शशांक ने मेरे पास आकर मेरा हाथ पकड़ा और मुझसे गले लगकर बोला- सॉरी… चल अन्दर चल!

मैं और शशांक कॉटेज में गए। शशांक तो तौलिया लपेटे था, अन्दर रूही ने एक फ्रॉक डाल ली थी। मैं शशांक के पीछे था, रूही ने आगे बढ़कर मुझे अपने होठों से लगा लिया। शशांक के सामने मुझे उससे एसी उम्मीद नहीं थी पर अब मैंने भी बेशर्मी से उसे भींच लिया, उसके गोल गोल मम्मे उसके जलते होंठ और उसका मेरे बालों में हाथ फेरना… बता नहीं सकता… आग लग गई थी। मैंने फ्रॉक के ऊपर से ही उसकी चूत का दाना मसल दिया।

पीछे से शशांक हंसकर बोला- जरा सब्र कर, वेटर खाने का सामान लेकर आता ही होगा!

तभी गेट पर आहट हुई। रूही अन्दर बाथरूम में चली गई, वेटर आया था सामान लेकर… उसके जाने के बाद शशांक ने दरवाजा बंद कर दिया। रूही बाहर आ गई। उसने पकोड़े प्लेट में कर दिये, शशांक ने बियर की बोतल खोल ली और मेरी ओर कर दी।

मुझे मालूम था कि रूही बियर ले लेती है, मैंने एक घूँट भर कर रूही को दोबारा होंठ से चिपका लिया और अपने मुँह की बियर उसके मुँह में डाल दी। शशांक ने बियर की बोतल उसकी चूत में घुसा कर थोड़ी सी लुढ़का दी और फिर नीचे लेटकर उसकी चूत चूसने लगा।

अब रूही की आग भड़क चुकी थी, उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिये, मैंने भी उसका साथ दिया और अपने साथ ही उसे भी नंगी कर दिया। शशांक ने भी तौलिया पलंग पर फेंक दिया था। मैंने रूही को कमर से उठाया, उसने अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट ली और एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत की ओर किया।

मैंने भी पूरा जोर लगा कर लंड को भाभी की चिकनी चूत में घुसा दिया। मैंने खड़े खड़े ही दो-चार धक्के मारे तो रूही मुझ पर और झूल गई। उसने अपनी बाहें ढीली की और खुद भी झटके देते हुए अपनी जीभ मेरे मुख में कर दी। अब मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने उसे पलंग पर लिटाया और चढ़ गया उसके ऊपर…

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शशांक भी जोश में था, उसने अपना लंड रूही के मुँह में घुसा दिया। रूही एक हाथ से उसका लंड चूस रही थी और दूसरे हाथ से उसने मेरे बाल पकड़े हुए थे। दस मिनट की धक्का मुक्की के बाद उसकी चूत और मम्मे मेरे और शशांक के वीर्य से भरे हुए थे।

शशांक ने अपना लंड उसके मुख से निकाल कर अपना माल उसके मम्मों पर खाली कर दिया था। एक ऐसा वासना का माहौल बना था जिसे हम तीनों ने एन्जॉय किया। रूही बाथरूम चली गई और शावर लेकर तौलिया लपेट कर बाहर आई।

हम लोगों ने पकौड़े और बियर निबटाई। शाम हो चुकी थी, हम लोग वापस आ गए। इसके बाद तो हमारा रूटीन ही बदल गया, शशांक से हरी झंडी पाकर रूही मुझसे जुड़ती चली गई। रूही और मैं रोज कई बार बात करते! रूही ने मुझे कह रखा था कि जब तक शशांक मेरे पीछे पड़कर मुझे घर नहीं बुलाये, मैं नहीं आऊँ…

जब मैंने पूछा ‘ऐसा क्यों…?’

तो वो बोली- शशांक कितनी भी कसम खा ले… पर शक हमेशा करेगा! इसलिए अगर मैं अपनी मर्जी से उनके घर गया तो शायद चुदाई न हो… और अगर शशांक मुझे खुशामद करके ले जाएगा तो वो चुदाई भी करवाएगा।

और ऐसा ही हुआ। शशांक ने दो-तीन दिन बाद मुझ से घर आने को कहा तो मैंने काम का बहाना बना कर टाल दिया। अगले दिन शशांक ने मुझे फ़ोन पर काफी जोर दिया और घर आने को कहा। मेरा भी लंड तो जोर मार ही रहा था, मैं शाम को घर से नहा कर खाना जल्दी खाकर निकला, मीनाक्षी को बोल दिया कि लौटने में देर हो जाएगी। मैं सीधा शशांक के घर गया।

नीचे चाचीजी बोली- कभी मीनाक्षी को भी ले आया कर?

अब मैं उनको क्या कहता? पर दिमाग में एक आईडिया आया कि क्यों न मीनाक्षी को भी इस खेल में शामिल कर लिया जाए! पर इसमें मुझे शशांक और मीनाक्षी दोनों की नीयत जाननी जरूरी थी। ‘चलो अभी तो ऊपर चलूँ और अपनी माशूका की प्यास बुझाऊँ…’ यह सोच कर में तेजी से ऊपर गया।

ऊपर शशांक अकेला था, रूही कहीं दिखाई नहीं दे रही थी। मैं बड़ा उदास हुआ कि मुझे शशांक ने बुलाया क्यों है?

शशांक मेरी परेशानी समझ गया और हंस कर बोला- रूही नहा रही है!

तभी रूही ने शशांक को आवाज दी और कहा- जरा मेरी पीठ पर साबुन लगा दो…

शशांक ने मेरी ओर आँख मार कर कहा- मिथुन तू जा!

मैंने कहा- मेरे कपड़े भीग जायेंगे!

तो शशांक ने कहा- कपड़े उतार दे और तौलिया लपेट कर चला जा!

मुझे संकोच हो रहा था तो शशांक ने मेरे हाथ में तौलिया थमा दिया। मैं समझा कि यह सब रूही की बनाई कहानी है। मगर ऐसा था नहीं, यह शशांक ने प्लान किया था क्योंकि इससे उसे लगा कि रूही खुश हो जाएगी। अब मैं केवल तौलिया लपेट कर बाथरूम में घुसने के लिए तैयार हुआ.

शशांक ने रूही को आवाज दी- दरवाजा खोल दो।

और खुद बाथरूम में घुसा और लाइट बंद कर दी। फिर वो बाहर आ गया और मुझे बाथरूम में कर दिया। अन्दर अँधेरा था और दो बदन नंगे थे। मैंने रूही को टटोला और उसे अपने होंठों से चिपका लिया।

रूही दंग रह गई, बोली- तुम कब आये और शशांक कहाँ है?

मैंने उसे बताया- शशांक ने ही मुझे भेजा है तुम्हें नहलाने के लिए!

रूही यह सुन कर गर्म हो गई और मुझे शावर के नीचे खींच ले गई। एक तो नंगे बदन ऊपर से शावर की बौछार… मानो सावन में आग लग गई थी। मैंने उसे उठाना चाहा तो रूही ने अपना एक पैर टोंटी पर रख दिया और अपनी चिकनी चूत मेरे आगे कर दी।

मैंने भी अपना लंड उसकी चूत के मुंह पर रख कर अन्दर धकेल दिया। सच जन्नत का मजा आ रहा था, नीचे चूत और लंड मिल रहे थे, बीच में उसके मम्मे मेरी छाती से टकरा रहे थे और ऊपर दोनों की जीभ एक दूसरे को चूस रही थी।

तभी शशांक की बाहर से आवाज आई- कुछ मेरे लिए भी छोड़ दो…

हमने अपने को संभाला और तौलिया लपेट कर बाहर आ गए। बाहर आकर रूही ने एक लम्बा चुम्बन शशांक को दिया और उसकी शॉर्ट्स में हाथ डाल कर उसका लंड पकड़ लिया। शशांक सारी शिकायत भूल कर रूही को उठा कर बेड पर ले गया और उसका तौलिया निकाल कर उसके मम्मे चूसने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मैं भी बेड पर आ गया, अब रूही का एक मम्मा मैं चूस रहा था दूसरा शशांक! रूही के दोनों हाथों में हम दोनों के लंड थे। शशांक ने अपनी उंगली उसकी चूत में कर रखी थी जिसकी स्पीड वो बढ़ाता जा रहा था। रूही ने भी अब आवाजें निकालनी शुरु कर दी थी.

रूही अब शशांक से बोली- जल्दी से मेरी चूत में आ जाओ।

रूही अब हाँफ रही थी और बड़बड़ाते हुए कह रही थी- शशांक… मिथुन… मेरी चूत की आग बुझा दो, दोनों मिल कर फाड़ दो मेरी.. आ जाओ जानू मेरी चूत आज तुम दोनों के लंड खा जाएगी!

शशांक ने भी कहा- हाँ जानू, आज हम तेरी चूत का भोसड़ा बना देंगे, दोनों मिलकर तेरे को बहुत मजा देंगे! तेरी चूत फाड़ ही देंगे!

शशांक नीचे लेट गया और अपने ऊपर उसने रूही को लिटा लिया पीठ के बल और अपना लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया। वो नीचे से धक्के दे रहा था।

शशांक ने कहा- मिथुन तू ऊपर से आ जा!

एक बार तो मुझे लगा कि वाकयी इससे तो रूही की चूत फट ही जाएगी… एक चूत में दो लंड…

मुझे सकुचाता हुआ देख कर शशांक बोला- घबरा मत, कुछ नहीं होगा… आज इस हरामजादी की चूत बिल्कुल रंडी की चूत बनी हुई है, जितनी मर्जी लंड खा लेगी!

रूही भी बोली- हाँ मिथुन, आज देखूँगी कि तुम दोनों के लंडों में कितना दम है!

यह सुनकर में भी अपना लंड अपने हाथ में लेकर बिस्तर पर चढ़ गया और रूही की चूत में पेल दिया। एक बार तो रूही चीखी फिर मेरे को अपनी बाँहों में भर लिया। अब उसकी चूत में दो दो लंड थे, मैंने भी चुदाई शुरू कर दी।

रूही बड़बड़ा रही थी- मजा आ गया मिथुन और जोर से.. आज सारी कसर निकाल दो… मेरी प्यास बुझा दो दोनों मिलकर…

शशांक के धक्के तो तेज नहीं लग पा रहे थे पर मैंने अपनी रफ़्तार राजधानी एक्सप्रेस जैसी कर दी। दो मिनट के बाद मेरा होने को आया तो मैंने रूही से पूछा- जानू क्या मैं तुम्हारे मुँह में आ जाऊँ या मम्मों पर?

रूही बोली- जहाँ तुम्हारा मन आये वहीं आ जाओ, मैं तो अब तुम दोनों की हूँ!

मैंने अपना लंड निकालकर उसके मुँह में कर दिया, मेरा फव्वारा छूटा तो उसने अपने हाथों से मेरा लंड पकड़ लिया और लोलीपॉप की तरह चूस कर चाट कर साफ़ कर दिया। उधर शशांक ने भी अपना माल उसकी चूत में खाली कर दिया।

मैंने रूही को दोबारा होंठों से चिपका लिया और उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी। उसके मुँह में मेरे वीर्य का स्वाद था। अब वक़्त हो चुका था मेरे घर जाने का!  अब मेरे और रूही को कोई रोकने वाला नहीं था! और कोई यानि शशांक रोकता भी क्यों और कैसे…

उसको यह अहसास हो चुका था कि वो अपने खेल में फँस चुका है। अब केवल एक ही रास्ता है कि वो इसे एन्जॉय करे और अब वो यह कर भी रहा था। हम लोगों ने यह तय किया कि अब हम लोग हफ्ते में एक बार जरूर मिलेंगे और जोरदार मस्ती होगी।

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एक दिन रूही ने मुझे बताया कि अगले दिन उसकी चचेरी बहन दिशा आ रही है और इस बार रूही को दिशा की सेटिंग शशांक से करनी है तो अगले चार पाँच दिन वो बिजी रहेगी। दिशा और रूही खूब खुली हुई हैं… दोनों हम उम्र हैं… दोनों सेक्सी हैं… दोनों शादी से पहले लेस्बीयन सेक्स करते हुए हमबिस्तर हो चुकी हैं और आज भी व्हाट्सएप पर एडल्ट्स जोक्स और फोटोज शेयर करती हैं। रूही का उद्देश्य है दिशा की सेटिंग अपने पति से करवाना जिससे रूही मिथुन से बेधड़क और खुलमखुल्ला प्यार कर सके और उसके पति की भी दूसरी औरत की ख्वाहिश पूरी हो जाए।

सच तो यह था कि व्हाट्सएप पर और मोबाइल पर बातचीत में रूही और दिशा दोनों ही इतनी खुल चुकी थीं कि दोनों एक बार लेस्बियन होकर एक दूसरे से मजे लेना चाहती थीं। मायके में एकांत ज्यादा नहीं मिल पाता था क्योंकि दिन रात सब लोग साथ होते थे और दिशा की ससुराल मैं संयुक्त परिवार होने से रूही वहाँ नहीं जाना चाहती थी और शशांक उसे छोड़ता भी नहीं था। खैर दोनों ने यह तय किया कि दिशा ही रूही के पास आये! आखिर वो दिन आ ही गया, आज सुबह दिशा को लेने शशांक और रूही स्टेशन आये हैं। आगे की कहानी अगले भाग में…

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Comments

  1. Hot says

    मार्च 30, 2024 at 3:50 अपराह्न

    Hey grils bhabhi jisko bhi mere sath enjoy karna hai to mujhe Snapchat me msg kre meri id hotbaat97 pe aao

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