Classmate Pussy Fuck
मेरा नाम अक्षय है, उम्र 19 साल की है। मैं एक छोटे शहर से हूँ। मैं देखने में स्मार्ट, लम्बा और फ्लर्टिंग टाइप का हूँ। मैंने अपने शहर से 2023 में 12 का एग्जाम पास किया.. इसके बाद भी एंट्रेंस एग्जाम में मेरा कहीं सिलेक्शन नहीं हुआ। मेरे माँ-बाप का सपना था कि मैं एक अच्छा डॉक्टर बनूँ, इसी सपने को पूरा करने के लिए मेरा एडमिशन कोचिंग इंस्टिट्यूट दिल्ली की में करा दिया गया। Classmate Pussy Fuck
मेरा पहला दिन, जब मैं क्लास में गया मेरी आँखें इतनी सारी खूबसूरत लड़कियों को देख कर गुमराह होने लगीं। वो मिनी स्कर्ट वाली.. जिसकी टाँगें एकदम चिकनी, वो टी-शर्ट वाली.. जिसके चूचों के निप्पल एकदम नुमायां हो रहे थे, शायद उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी.. वाह क्या नज़ारा था।
आज भी वो एक-एक लम्हा याद है। मेरे स्कूल में भी मेरी कई गर्लफ्रेंड बनी थीं, लेकिन आज तक मैं सिर्फ चुम्मा ही ले पाया था। वो भी सिंपल सा.. चूत का नजारा कभी नहीं हुआ था। मेरे स्कूल में लड़के-लड़कियां अलग-अलग बेंच पर बैठते थे.. पर कोचिंग में जिसको जहाँ मन हो.. जिसके बगल में चाहो बैठो।
मैं अकेले सीट पर बैठ कर लड़कियों को निहार रहा था। आज काफी दिन बाद दिन जल्दी बीत गया.. पता ही नहीं चला। मैं हॉस्टल पहुँचते ही नहाने गया और उन सब लड़कियों के चूचों को और उनकी मटकती गांडों को सोच कर मुठ मारी। आह्हाअह.. काफी ज्यादा आज वीर्य रस निकला।
अगले दिन, मैं जल्दी क्लास में गया और बैठ कर लड़कियों का इंतज़ार करने लगा। आज फिर सब एक से एक पटाखा माल लग रही थीं, किसी के बड़े चूचे थे.. तो किसी-किसी के छोटे.. पर सब लाजवाब थे। देखते ही देखते क्लास भर गई, मेरे बगल में एक लड़का बैठा और एक तरफ मेरे सीट खाली थी, क्योंकि एक सीट पर 3 लोग बैठते हैं।
क्लास शुरू होने के बाद दरवाज़े की तरफ से एक आवाज़ आई- मे आई कम इन सर? मैंने घूम कर दरवाज़े की तरफ देखा। एक खूबसूरत सी गोरी सी लड़की.. जीरो फिगर, नार्मल साइज के चूचे, टी-शर्ट एंड जींस में खड़ी थी.. उसके खुले बाल.. आह्ह.. एक नज़र का प्यार क्या होता है, मुझे उस पल समझ आया।
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मेरी खुशनसीबी कि वो लड़की बैठने के लिए मेरी सीट पर आई, उसने मुझसे सुरीली सी आवाज में पूछा- कैन आई सिट हियर?
मैंने कहा- ऑफ़कोर्स.. प्लीज सिट।
इस तरह मेरी पहली दोस्ती उसी से हुई। मानो किस्मत ने मुझे उससे मिलाने के लिए कोचिंग में भेजा था। क्लास के बाद 15 मिनट का लंच हुआ, हमारी बातें शुरू हुईं। उसने बताया कि उसका नाम सोनाक्षी है और वो नॉएडा की रहने वाली है, हॉस्टल में रह कर कोचिंग करेगी।
मैंने भी बताया- मैं भी हॉस्टल में रहता हूँ। अब हम दोनों हमेशा साथ बैठते, बातें करते। वहाँ सब नए थे और हमारी पहले दिन की दोस्ती हुई थी.. इसलिए हम एक-दूसरे को ज्यादा समझने लगे थे। अब हालत यह थी कि अगर वो पहले आती.. तो मेरे लिए अपने बगल में सीट रखती, नहीं तो मैं रखता।
हमारी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई। हम कोचिंग की क्लास के बाद देर तक साथ में पढ़ाई करते। धीरे-धीरे पता नहीं चला.. कब हम लोग रात में घंटों बात करने लगे। अब जब हम लोग मिलते तो हाथ मिलाते, जिससे मुझे उसके कोमल हाथों को छूने का मौका मिलता।
जिस दिन से हमारी दोस्ती हुई, उसके बाद से तो अब रात में सोते टाइम अक्सर मैं उसे सोच कर मुठ मारता था। वो मुझसे अब गले भी लगने लगी थी.. उसके चूचे मेरे सीने को छूते, मेरा लंड खड़ा हो जाता था… बस मन में आता कि उससे पूछूँ ‘कैन आई फ़क यू..!’
और उसकी सहमति मिलते ही उसके ऊपर कूद जाऊँ और एक पल में उसे अपना बना लूँ। पर अगले ही पल मैं कंट्रोल करता और हॉस्टल पहुँचने के बाद उसके नाम की मुठ मारता तब जाकर दिल को थोड़ा राहत मिलती। एक दिन बात-बात में मैंने उससे फोन पर बोल दिया- आई लव यू..
उसने कहा- मैं तुम्हें अच्छा दोस्त समझती थी।
यह कह कर उसने मेरा फ़ोन काट दिया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ.. अब मेरा उसके बिना जीना असंभव लग रहा था क्योंकि फ़ोन मिलाता, वो फ़ोन नहीं उठाती, मैसेज का रिप्लाई नहीं देती। मेरे दिमाग में सिर्फ एक डर था कि मैं उससे खो न दूँ।
उसके अगले दिन, क्लास में वो पहला दिन था जब वो मेरे बगल में नहीं बैठी। मैंने उससे ‘सॉरी’ कहा, पर वो नहीं सुनना चाहती थी और मुझे इग्नोर करके चली गई। पहली बार मेरी आँखों में किसी लड़की के लिए आँसू आए। उस दिन मेरी रात नहीं कट रही थी। मैं उठा और उसके हॉस्टल के बाहर जाकर खड़ा हो गया।
मैंने उसे मैसेज किया कि जब तक तुम मुझे माफ़ नहीं करोगी.. मैं तुम्हारे हॉस्टल के बाहर ही खड़ा रहूँगा। वो खिड़की पर आई।
उस वक्त रात के 2 बज रहे थे, उसने मुझे मैसेज किया- पागल मत बनो.. जाकरसो जाओ। मैं सोने जा रही हूँ।
इसके बाद वो सोने चली गई। मैं सुबह के 8 बजे तक वहीं खड़ा रहा। मैंने भी सोच लिया था कि जब तक माफ़ नहीं करेगी तब तक नहीं जाऊँगा। वो बड़ा सा चाय का कप हाथ में पकड़े खिड़की पर आई और वो मुझे देख चौंक गई कि मैं पूरी रात से खड़ा हूँ।
वो तुरंत नीचे आई और बोली- ये क्या पागलपन है.. ऐसा भी कोई करता है क्या?
मैंने कहा- मैं करता हूँ.. मुझे बस इतना जानना है कि मेरा ‘सॉरी’ एक्सेप्ट है या नहीं?
बोली- हाँ.. एक्सेप्ट है.. अभी जाओ बाद में बात करते हैं।
मैं अपने हॉस्टल पहुँचा, मुझे नींद लग रही थी, अब और तबियत भी गड़बड़ हो गई।
मैं उस दिन क्लास नहीं गया, उसने क्लास से मैसेज किया- आज तुम्हारे लिए सीट रोक कर रखी.. तुम आए क्यों नहीं?
फिर क्या था.. मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आई और मैंने उससे रिप्लाई किया- सॉरी.. तबियत ख़राब हो गई, इस वजह से नहीं आया।
सोनाक्षी ने मुझसे शाम को मिलने को कहा।
मैंने बोला- मेरी तबियत सही नहीं है।
मैं उससे नहीं मिला.. मेरी तबियत ख़राब थी इसलिए शायद उससे उस पल मेरे प्रति दया जगी। मुझे शायद उससे सच्चा प्यार हो गया था।
सोनाक्षी ने मैसेज किया- अक्षय मुझे तुम पसंद हो.. पर मैं दिल्ली पढ़ने आई हूँ.. प्यार करने नहीं..
मैंने कोई रिप्लाई नहीं दिया और अपना फ़ोन ऑफ कर लिया।
अगला दिन शनिवार था। कोचिंग शनिवार और रविवार को बंद रहता है। शायद उसने मुझे फ़ोन किया होगा.. पर मैंने फोन बंद किया हुआ। उसने स्नैपचैट पर मैसेज किया.. मेल किया पर मैंने कोई रिप्लाई नहीं दिया। सोमवार को मैं जब क्लास में पहुँचा तो वो मुझे देख कर मुस्कराई और इशारे से अपने बगल में बैठने को कहा। मेरा मन तो बहुत था बैठने का, पर मैं वहाँ नहीं बैठा। वो उदास हुई, उसके चेहरे पर साफ़ दिख रहा था।
फिर इंटरवल में उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- मैं तुम्हें आज से डिस्टर्ब नहीं करूँगा.. तुम पढ़ने आई हो, अच्छे से पढ़ो.. आई एम सॉरी।
और मैं वहाँ से कैन्टीन की तरफ चल दिया क्योंकि मैं किसी की ज़िन्दगी नहीं ख़राब करना चाहता था। उस दिन उसे मैं बहुत मिस कर रहा था, दिल पर पत्थर रख कर मैंने ये सब बातें बोली थीं। फिर उस वक्त रात के 12 बज रहे थे तभी उसका मैसेज आया- आई एम सॉरी.. आई लव यू टू.. मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मुझे यह पढ़ कर बहुत ही अच्छा फील हुआ, मैंने रिप्लाई दिया- पर तुम्हें तो प्यार नहीं करना न? तुम तो दिल्ली पढ़ने आई हो?
उसने कॉल किया.. फिर उसने कॉल पर कहा- अगर तुम साथ नहीं रहोगे, तो मैं पढ़ भी नहीं पाऊँगी.. मुझे अब समझ आ रहा है। प्यार और पढ़ाई सब साथ ही होगी।
मैंने भी कहा- यस बेबी.. यही तो मैं कहता था.. थैंक्स, तुम मुझे समझ पाई।
बस इसके बाद से हमारी लव-स्टोरी शुरू हुई। उस रात फिर हम सो गए, बड़ी मुश्किल से मेरी रात कटी। अगले जब मैं कोचिंग पहुँचा तो उसने मुझे देख कर कातिलाना सी मुस्कान दी। वो आज लाजवाब लग रही थी। उसने आज पिंक टी-शर्ट पहनी थी.. उसके चूचे इस टी-शर्ट में मस्त टाइट लग रहे थे। उसकी टाइट टी-शर्ट ही इसकी वजह थी। चुस्त जीन्स पहने हुई वो गजब की माल दिख रही थी।
फिर मैं उसके बगल में जा कर बैठ गया और कहा- हाय डार्लिंग.. कैसी हो?
उसने कहा- ठीक हूँ मेरी जान।
और हम मुस्कुरा उठे.. क्लास स्टार्ट हुई अब मैं क्लास के बीच-बीच में कभी जींस के ऊपर से उसकी टांगों पर हाथ फेरता, तो कभी पीठ पर हाथ लगाता.. वो सिर्फ मुस्कुरा रही थी। फिर अगला दिन बुधवार था, कोचिंग बुधवार को भी बंद रहता है।
फोन पर हमारा प्लान घूमने का बना, हम दोनों रात देर तक बात करते रहे, फिर सो गए। सुबह देर से 11 बजे उठा और फिर हम दोनों ने कनाट प्लेस घूमने का प्लान बनाया। मैं 2 बजे लंच करके तैयार हो कर उसके हॉस्टल पर पहुँचा। आज मैं उसे पहली बार मिनी स्कर्ट में देख रहा था… लाजवाब.. एकदम गोरी टाँगें थीं उसकी!
वो समझ गई और मुस्कुरा कर बोली- अब बस मेरे पैर को देखना है.. या चलना भी है।
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हम दोनों ऑटो पकड़ कर ग्रीन पार्क मेट्रो स्टेशन गए.. वहाँ से फिर राजीव चौक पहुँचे। मेट्रो में भीड़ थी.. उसका फ़ायदा उठा कर मैं उसे टच करता रहा, कभी उसके पेट को छूता.. तो कभी उसके चूचों को। हम रास्ते भर बात करते रहे। थोड़ी देर सी.पी. में घूमने में बाद हम आराम करने के लिए सेंट्रल पार्क में गए.
मैं उसकी गोदी में लेट गया, वो मेरे बालों से खेल रही थी। थोड़ी देर बाद मैं बैठ कर बात करने लगा, फिर धीरे-धीरे मैं उसके करीब गया और उसके होंठों पर हल्का सा चुम्बन किया। उसने अपनी आँखें बंद किए हुई थी। एक हल्का सा चुम्बन लेने के बाद मैं रुक गया।
वो धीरे से बोली- ये गलत तो नहीं होगा?
मैंने कहा- अगर तुम्हारी परमिशन नहीं.. तो मैं कुछ नहीं करूँगा।
उसने कहा- पागल.. मुझे तुम पर भरोसा है।
फिर इसी बात के बाद मैंने उसके माथे पर हल्का सा चुम्बन किया। जब मैं रुका वो अपने होंठों को मेरे होंठ के पास लाई और अपनी आँखें बंद कर लीं। मैं अपने पर कण्ट्रोल नहीं कर पाया और अपने होंठों को उसके होंठ पर रख कर किस करने लगा। वो मेरा साथ दे रही थी। मुझे अच्छा लगा.. मानो मैं जन्नत में पहुँच गया होऊँ।
एक मिनट के चुम्मे के बाद हम दोनों ने एक-दूसरे को देखा और फिर खिलखिला कर हँसने लगे। थोड़ी ही देर बाद फिर हम वापस आ गए। उस रात हमने चुम्मे के बारे में बात की। उसने बताया कि उसे बहुत अच्छा लगा। मैंने भी बताया- मुझे भी बहुत अच्छा लगा.. ये पल मेरी ज़िन्दगी के सबसे अच्छे पलों में से एक था और अगर तुम मुझे मौका नहीं देती.. तो मेरी ज़िन्दगी में शायद ये पल आता ही नहीं।
अब जब कभी हमें मौका मिलता.. हम नए-नए तरीके से चुम्बन किया करते। जैसे मैं चुम्बन के दौरान उसकी जुबान को अपने मुँह में लेकर चूसता, कभी वो ऐसा करती। अभी तक हमारे बीच चुम्बन ही हुआ था, उसके आगे बढ़ने की मेरी हिम्मत नहीं होती।
एक दिन हम दोनों कोचिंग से आ रहे थे.. रास्ते में सोनाक्षी की रूममेट मिल गई। उसने मुझे उससे मिलाया.. ‘हाय हैलो..’ हुआ। फिर हम दोनों अपने-अपने हॉस्टल चले गए। सोनाक्षी ने उसे मेरे बारे में नहीं बताया था। मिलने के बाद वो दोनों थोड़ा फ्रैंक हो गईं और मेरे बारे में भी बात करने लगीं।
दो दिन बाद सोनाक्षी ने शाम के टाइम मैसेज से मुझे बताया- मेरी रूममेट दीपाली ने मुझसे पूछा है कि क्या हम लोगों ने सेक्स किया है। मैंने उसे ‘नहीं’ कहा तो वो बोली कि कभी करना.. बहुत मज़ा आएगा।
जब उसने मुझे मैसेज से ये सब बताया.. तो मुझे मेरी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था।
फिर थोड़ी देर बाद उसने कहा- हम नहीं करेंगे.. ये गलत है।
मैंने रिप्लाई किया- तुम्हारी मर्ज़ी..
पर भला हो उसकी रूममेट का, वो अब सोनाक्षी को अपनी चुदाई की कहानियां बताया करती थी.. जिससे उसके अन्दर जोश भरता।
इन सब बातों को मुझे बताते हुए वो मुझसे बोली- यार अजीब सा फील होता है।
एक रात मैंने उसके साथ सेक्स चैट करना चाहा, वो शरमाई.. फिर थोड़ा साथ दिया।
मैंने फ़ोन पर कहा- सोचो मैं तुम्हें भयंकर चुम्बन कर रहा और तुम्हारी चूची तेज-तेज दबा रहा हूँ.. और तुम मेरी हो। इतने में ही उसने कहा- अजीब सा हो रहा है।
वो ये कहते हुए फोन पर थोड़ा सा हल्का-फुल्का ‘अआह्ह्ह.. आह्ह..’ जैसी आवाज़ निकालने लगी।
मैंने पूछा- क्या नीचे से कुछ निकला? उसने शरमाते हुए ‘हाँ’ कहा।
फिर मैंने उससे कहा- मुझे अपना भी स्पर्म निकालना है।
उसने पूछा- कैसे?
मैंने कहा- फ़ोन लिए रहना..
‘ओके..’
मैं टॉयलेट में गया, मैं ईयरफ़ोन लगाए हुए था, मैंने कहा- मैं अपने लंड को तेजी से रब कर रहा हूँ और सोच रहा हूँ कि मेरा लंड तुम्हारे मुँह में है।
उसने कहा- छी:…
मैंने ‘आह्ह.. आह्ह्ह..’ करके अपने स्पर्म को निकाला और उससे कहा- निकल गया!
वो मुस्कुराई.. फिर पूछने लगी- इतना गन्दा मुझे मुँह में दोगे?
मैंने कहा- अरे.. जस्ट सोच रहा था.. सच थोड़ी था।
फिर थोड़ी देर बात करने के बाद हम सो गए। उसने दीपाली से सेक्स चैट को बताया तो उसने उसे समझाया- ज़िन्दगी का मज़ा ले लो.. बाद में पता नहीं ये मौका फिर कब मिलेगा और उसने सोनाक्षी को ब्लू-फिल्म भी दिखा दी। सोनाक्षी ने जब मुझे ये सब बताया तो मैंने कहा- अगर बुरा न मानो तो एक बात बोलूं?
उसने कहा- हाँ बोलो।
मैंने कहा- मुझे तुम्हें प्यार करना है, मैं तुमसे कभी जबरदस्ती नहीं करूँगा.. वादा करता हूँ जिस हद पर तुम रोकोगी.. मैं रुक जाऊँगा.. मुझे अकेले मिलना है, प्यार करना है।
उसने कहा- पागल.. मुझे तुम पर पूरा भरोसा है.. ये बताओ कहाँ मिलना है?
मैंने कहा- मेरे पास मिलने की कोई जगह नहीं है।
मुझे होटल जाने में डर लगने का कहा तो उसने भी कहा- मैं भी होटल नहीं जाऊँगी.. पकड़े गए तो पुलिस केस हो सकता है।
अगले दिन कोचिंग में मैंने मौका देख कर उसके मम्मों को दबाया। फिर थोड़ी देर बाद उसने मुझे मैसेज किया- प्लीज कोई जगह खोजो.. जहाँ मैं तुम्हें प्यार कर सकूँ.. अब मैं भी प्यार करना कहती हूँ।
मैंने कहा- दीपाली से पूछो.. वो कहाँ जाती है।
उसने पूछा तो पता चला वो अपने बॉयफ्रेंड के हॉस्टल में जाती है।
मैंने कहा- मेरे हॉस्टल में आना पॉसिबल नहीं है.. क्योंकि मेरा हॉस्टल बड़ा है कोई देख लेगा तो बवाल हो जाएगा।
उसने झट से कहा- तुम मेरे यहाँ आ जाओ.. वैसे भी मेरा हॉस्टल ‘पेइंगगेस्ट’ है और यहाँ सिर्फ 6 लड़कियां रहती हैं। कुल 3 रूम हैं।
एक रूम में दो लड़कियां और मेरा रूम सबसे अलग है। वो भी छत पर सबसे अलग साइड पर है। अब जब दीपाली किसी रात अपने बॉयफ्रेंड के पास जाएगी.. तब बताऊँगी।
मैंने कहा- अंकल-आंटी पूछते नहीं कि दीपाली रात में कहाँ जाती है?
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उसने बताया कि वो अपने रिलेटिव के वहाँ जाने के बहाने जाती है। अब हम दोनों ही इंतज़ार में लग गए कि वो पल कब आएगा.. हफ्ते बीत गए थे। हमारी रोज रात में होने वाली ‘नाईट सेक्स चैट’ भी जोरों पर थी, मैं उससे उसकी वेजाइना (चूत) में उंगली डालने को कहता.. तो वो मुझसे कहती- सोचो तुम मुझे चोद रहे हो।
इस प्रकार वो मुझसे मुठ मरवाती। अब तो क्लास में मैं कभी-कभी उसकी जींस के ऊपर से उसकी चूत के पास हाथ रखता.. तो कभी मौका देख कर उसकी चूची दबा देता। ये सब कॉमन हो चला था। बस मुझे उस पल का मौका चाहिए था.. जिस पल उसे पेल सकूँ। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मुझे जल्द ही वो मौका मिला.. जब सोनाक्षी ने दीपाली से अपना प्लान बताया कि वो मुझे हॉस्टल में बुलाने वाली है, तो दीपाली ने मुझे बुलाने को कहा.. पर सोनाक्षी शर्मा गई। फिर जल्द ही दीपाली ने एक दिन सोनाक्षी को बताया कि वो आज रात अपने बॉयफ्रेंड के वहाँ जा रही है।
यह बात सुन कर मुझे बहुत ही आनन्द सा आया.. पर एक डर भी था कि कहीं कोई प्लान में गड़बड़ न हो जाए। मैंने अपने आप पर काबू पाया और सोच लिया कि अब तो मिलना ही है.. चाहे कुछ हो जाए। फिर वो रात आ ही गई.. सोनाक्षी ने मुझे कॉल किया- हॉस्टल में आओ.. सब सो गए हैं।
उस वक्त रात का एक बज रहा था। मैं उसके पेइंग गेस्ट हाउस पहुँचा..जो कि पास में ही था। वो छत पर टहलते हुए मेरा वेट कर रही थी.. मुझे देख कर मुस्कुराई और फिर उसने मुझे कॉल किया और कहा- गेट वाली दीवार पर चढ़ जाओ।
मैंने कहा- कुछ गड़बड़ तो नहीं होगा ना?
सोनाक्षी ने कहा- डर तो मुझे भी बहुत लग रहा है.. पर जो होगा देखा जाएगा.. आ जाओ प्लीज।
फिर मैं देर न करते हुए दीवार से कूदा और धीरे से उसके कमरे में पहुँच गया। उसने दरवाज़े को बंद किया.. मैंने पीछे से उसकी कमर से आगे हाथ डाल कर पेट तक कसके पकड़ा और उसे अपने में चिपका लिया। आह्ह..! उस पल मानो मुझे सब कुछ मिल गया था।
उसी तरह से मैंने उसे गोद में उठा लिया और बिस्तर के पास आ गया, मैंने उसे बड़े प्यार से बिस्तर पर लिटा दिया। मैं भी बगल में लेट गया, मैंने उसे अपनी तरफ खींचा। अब वो मेरे एकदम सामने थी.. एकदम करीब.. मेरे दिल की धड़कनें बहुत तेज़ थीं।
फिर मैंने उसके चेहरे पर जो बाल थे.. उन्हें हटाया.. बहुत रोमांटिक सा माहौल था। उसका चेहरा एकदम साफ़ और गोरा सा था। वो एकदम फ्रेश लग रही थी। शायद वो अभी नहाई थी। वह लोअर पहने हुए थी और एक वाइट सी हल्की सी बिना बाँह वाली टी-शर्ट डाले हुई थी।
वो थोड़ा पतली थी.. पर गज़ब की खूबसूरत। मैं देर न करते हुए उसके होंठों को अपने होंठों से चूसने लगा, फिर धीरे-धीरे करके उसकी चूची पर हाथ रखा और दबाने लगा। वो मादक ‘आहें’ भर रही थी ‘आह्हा.. आहहाअह्ह.. इस्स..’ मैंने उसकी गर्दन पर चूमना शुरू किया और उसे चूसने लगा, अपने हाथ को उसकी टी-शर्ट में डालने लगा, उसकी आँखें बंद थीं।
उसने कहा- मुझे शर्म आ रही है.. लाइट ऑफ कर दो।
मैंने कहा- शर्म आए.. तो आँखें बंद रखना.. लाइट न बंद करो.. प्लीज।
इतना बोल कर मैं अपने हाथ को टी-शर्ट में डाल उसके चूचे दबाने लगा। अभी वो कुछ बोलती.. उससे पहले भयंकर वाला किस करने लगा। फिर मैं बैठ गया.. उसको बैठाया। अब मैंने उसकी टी-शर्ट को उतार दिया और फिर लिटा दिया। उसकी आँखें शर्म के मारे बंद थीं.. वो ब्रा नहीं पहने हुई थी।
अब वो मेरे सामने लोअर में थी उसकी चूचियां बहुत बड़ी तो नहीं.. नार्मल साइज़ की थीं, जैसा हर लड़का चाहता है.. उसके चूचों पर ब्रा के निशान थे, अन्दर वाला भाग और गोरा था, एकदम लाजवाब.. उसके निप्पल एकदम सख्त थे। मैंने उसके एक चूचे को अपने मुँह में ले लिया.. जितना मैं ले सकता था और तेज़ी से चूसने लगा।
वह सिसकारियां भर रही थी ‘आह्हा.. आअह्ह ह्हाहा..’ फिर मैंने उसके निप्पल को अपने दाँतों से हल्का-हल्का सा काटा.. उसे ये अच्छा लगा। उसकी कामुक आहें ये बता रही थीं। मैंने करीब कुछ मिनट तक दोनों चूचों के साथ वही किया। मेरा भी लंड जींस के अन्दर से बाहर आना चाहता था, मेरा लौड़ा कुछ ज्यादा ही टाइट हो रहा था.
मैंने उससे कहा- अगर आज तुम शरमाओगी.. तो ना जाने कौन-कौन से यादगार पल खो दोगी।
उसने धीरे से आँखें खोलीं और बोली- मेरा नीचे निकल गया है।
मैंने कहा- मुझे देखना है।
यह कहते ही मैं नीचे की तरफ हुआ.. अपने घुटनों पर बैठा और उससे पहले वो कुछ बोल पाती.. मैंने उसके लोअर और उसके साथ ही उसकी पैन्टी को नीचे सरका दिया और उसकी चूत को देखने लगा। पहली बार मैं सचमुच की चूत देख रहा था। चूत पर उसके छोटे-छोटे से रेशमी बाल उगे हुए थे.. उसका एकदम गोरा बदन था और उसकी गुलाबी सी चूत.. वाह..
मैं गुलाबी मासूम सी चूत देख कर मदहोश हो रहा था। फिर मैंने अपने हाथ को उसकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा। उसकी चूत गीली थी.. वो आहहह्हाह.. आअह्हाह… कर रही थी, जिससे मुझे भी जोश चढ़ रहा था। मैंने उसकी चूत में उंगली डाली और हल्का-हल्का सा आगे-पीछे को किया।
उसका बदन ऐंठ रहा था, उसकी चूत से उसका रस फिर निकल गया। मैंने उसकी चूत को थोड़ी देर रगड़ा, फिर उसकी गांड में उंगली करने लगा। उसे अजीब लगा.. शायद वो मना करना चाहती थी.. पर उसने मना नहीं किया। मैंने उसकी गांड के छेद में उंगली की.. उसके चूतड़ दबाए.. कभी उस पर चपत सी मारता.. वो बस मदहोश होते हुए जवानी का मज़ा ले रही थी।
अब मैंने अपनी शर्ट निकाली और फिर जीन्स.. फिर अंडरवियर भी निकाल दी। वो थोड़ा शरमाते हुए मेरे लंड को देख रही थी.. जोकि एकदम टाइट था। फिर मैं उसके बगल में बैठा.. उसके हाथ को अपने हाथों में थामा और फिर अपने लंड को उससे टच कराया।
बोली- यह तो गर्म है।
मैंने कहा- तुम्हारे प्यार में हॉट हो गया है जान..
उसने प्यार से मुझसे पूछा- सब नार्मल रहेगा ना.. कोई दिक्कत तो नहीं होगी।
मैंने कहा- मेरे पे भरोसा है न.. बस तुम निश्चिन्त हो कर मजे लो।
फिर मैंने उसे लिटाया.. उसकी चूत को फैलाया और उसे निहारने लगा।
मैंने पास में पड़ी उसकी टी-शर्ट को उठाया और उसके चूतड़ों को अपने हाथों से उठा कर उसके नीचे बिछाया दिया।
उसने कहा- ज्यादा खून तो नहीं आएगा न?
उसे सब पता था.. क्योंकि हम दोनों ही बायोलॉजी के छात्र हैं।
मैंने कहा- थोड़ा सहना पड़ेगा.. बस कण्ट्रोल रखना अपने पर।
फिर मैं उसके ऊपर चढ़ा और उसकी चूत पर अपने लंड को रखा ही था कि उसने पूछा- बिना कंडोम.. मैं प्रेग्नेट हो गई तो?
मैंने कहा- सॉरी कंडोम भूल गया जल्दी जल्दी में.. मैं आइ-पिल टेबलेट दे दूंगा.. कुछ नहीं होगा।
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उसने मुस्कुरा कर मुझे चोदने की परमीशन दे दी। मैं उसकी झांटों और चूत पर अपने लंड को रगड़ने लगा, उसने गरम होते हुए कहा- अब डाल भी दो प्लीज। मैंने लंड को उसकी चूत में हल्का सा झटका दिया.. उससे थोड़ा दर्द हुआ। उसने अजीब सा ‘आह्हा.. अहाह्हाहा..’ की आवाज निकाली, फिर जितना भी लंड अन्दर गया था..
मैं उसे ही आगे-पीछे करके जगह बना रहा था, फिर अपने थूक से चूत को थोड़ा और चिकना और गीला किया। उस पल मैं उसकी एक चूची को अपने मुँह से चूस रहा था और दूसरी को तेज़ी से मसल रहा था। अब मैं अपने चेहरे को ऊपर ले गया.. उसके होंठ पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा।
वो मस्त होने लगी.. उसी पल मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर तेज़ी के साथ एक झटका दिया। मुझे अहसास हुआ कि मेरा आधा से ज्यादा लंड उसकी चूत में जा चुका था। मैंने उसकी आँखों में देखा.. उसने मेरी आँखों में.. वो रोना चाहती थी.. उसे दर्द हो रहा था।
उसकी आँखों में आंसू थे.. परन्तु मैं उसके होंठों को चूस रहा था और अपने लंड को उसी पोजीशन में रोका हुआ था। करीब एक मिनट तक उसके गर्म-गर्म खून को मैं साफ़ तरीके से अपने लंड पर महसूस कर रहा था। फिर मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को बाहर निकाला जिससे उससे दर्द न हो। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उसका दर्द देख कर मुझे अजीब सा महसूस हुआ। मैं थम सा गया.. वो कुछ नहीं बोल रही थी.. अपने आपको मैं उसके ऊपर उसी तरीके से रोके हुए था, वो बस दर्द में कराह रही थी। मैं अपनी वासना के लिए उसे दर्द नहीं देना चाहता था इसलिए मैंने उससे कसके पकड़ लिया और रुक गया।
फिर मैंने हिम्मत करके उसकी चूत पर लंड को रखा और उससे कहा- अगर दर्द हो.. तो मुझे कसके पकड़ लेना.. मैं रुक जाऊँगा।
उसकी चूत पर खून लगा हुआ था, जब मैंने अपने हाथ को लगाया.. तो मुझे महसूस हुआ और कुछ मेरे लंड पर भी लगा था। उसी पल फिर से मैंने लंड को चूत में डाला, पहले झटके में जितना गया था.. उतने को ही आगे-पीछे करता रहा.. ताकि हल्का-फुल्का दर्द जो बचा है, वो खत्म हो जाए।
उसने मुझसे कहा- अब डालो अन्दर..
मैंने देर न करते हुए उसकी चूत में अगले शॉट में ही अपने लंड को और अन्दर डाल दिया। अबकी बार उसके चेहरे पर दर्द के साथ-साथ एक कातिलाना मुस्कान भी थी।
मैंने कहा- थैंक यू.. मेरी प्यारी सी गुड़िया.. आइ लव यू अ लॉट!
अब मैं शॉट पे शॉट लगाए जा रहा था। अब जब भी मेरा स्पर्म निकलने वाला हो, तो मैं थोड़ा रुक जाता और कुछ सोचने लगता.. जिससे मैंने उसे पहली बार में 7-8 मिनट तक चोदा। वे पल मेरे ज़िन्दगी का सबसे हसीन पल थे, जिससे मैंने प्यार किया उसे मैं चोद रहा था।
उसके मुँह से लगातार ‘आहाह्.. आहाहा.. हाह्हह..’ निकल रहा था.. जिससे मुझमें और जोश आता। फिर मैंने अपने माल को उसकी चूत में ही निकाल दिया और फिर नंगे ही उससे चिपक कर लेट गया। करीब आधे घंटे बाद उसने मुझे उठाया ‘चलो साफ़ कर लें अपने को..’
मैंने कहा- हाँ..
उसके कमरे में ही अटैच्ड टॉयलेट कम बाथरूम था.. हम दोनों वहाँ गए। उसे चलने में दिक्कत हो रही थी.. तो मैं उसे गोदी में उठा कर ले गया.. अन्दर बाथरूम में बैठाया और फिर शावर चला कर उसकी चूत पर साबुन लगाया और हल्का-हल्का सा रगड़ा तो खून का दाग निकला।
वो बोली- मैं खुद से साफ़ कर लूँगी।
मैं नहीं रुका और उसके पूरे बदन पर साबुन लगाया.. उसे नहलाया। वो सिर्फ मुस्कुरा कर देख रही थी कि मैं क्या कर रहा हूँ। इस बीच मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था, उसने देखा फिर कहा- तुम्हें अभी संतुष्टि नहीं मिली ना..
मैं बोला- इट्स ओके यार.. मुझे तुम्हें और दर्द नहीं देना है।
उसने कहा- तुम चाहो तो फिर कर लो.. अब मैं ठीक हूँ।
मैंने प्यार से डपटते हुए कहा- बस चुप.. सही से चल नहीं पा रही हो.. क्या घंटा ठीक हो।
फिर मैंने उससे बाथरूम में साइड में बैठाया और कहा- अब मैजिक देखो।
मैं बाथरूम के फर्श पर बैठ कर अपने लंड पर साबुन लगा कर रगड़ने लगा। वो मेरी एक्टिंग देख कर हँस रही थी। फिर मैं उसके पास गया.. उसकी चूची पर हाथ रखा.. और रिक्वेस्ट की।
‘प्लीज मेरे लंड को रब करो ना..’
वो थोड़ी देर तक मेरे लौड़े को रगड़ती रही। मैंने मन में सोचा कि इस वक्त मैं उसे चोद रहा हूँ। मैं आँख बन्द करके उसके हाथ को चूत समझते हुए इतना मगन हो गया कि उसे सामने से हटाना भूल कर सारा माल उसके मुँह के ऊपर ही निकाल दिया और वहीं. इशारा किया कि बाथरूम में चलो। इस वक्त अभी भी हम दोनों को एक अजीब सी शर्म आ रही थी।
फिर मैंने दीपाली से कहा- सब नार्मल है ना.. अगर हम कुछ करें बाथरूम में तो.. कोई दिक्कत?
वो हँस दी और पूछने लगी- अन्दर दिक्कत नहीं होगी तुम लोगों को? अगर शर्म न आए.. तो अपना ‘मीठा वाला’ प्यार यहाँ भी कर सकते हो।
सोनाक्षी और मैं हँसने लगे और हँसते हुए ही मैंने सोनाक्षी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए। फिर थोड़ी देर रुक कर मैं बोला- सॉरी सोनाक्षी कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा हूँ।
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सोनाक्षी ने उठ कर बाथरूम में चलने का इशारा किया। मैं और सोनाक्षी बाथरूम में चले गए और एक-दूसरे को पागलों की तरह किस करने लगे। चुदाई की प्यास इतनी अधिक होती है कि उस वक्त जगह आदि को लेकर कोई प्रश्न ही नहीं होते हैं।
लाजवाब लम्हा था.. मैंने उसके होंठों को चूसा.. फिर उसकी गर्दन पर चुम्बन किया। मैं बेताबी से अपनी जुबान से उसकी गर्दन को चाट रहा था। थोड़ी देर में मैंने सोनाक्षी की टी-शर्ट निकाली और उसने मेरे शर्ट की बटन खोल दिया। वो सिर्फ निक्कर में थी और मैं जीन्स में..
मैं उसके चूचों को पागलों की तरह से चूस रहा था और हल्के-हल्के से निप्पल को काट रहा था.. जिससे सोनाक्षी तेज़ी से ‘आह्ह्हा.. उह..इस्स..’ कर रही थी जिससे मुझ में भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। फिर मैंने सोनाक्षी की निक्कर को खोला और उसे सरका के निकाल दिया। अब वो लाल पैन्टी में थी।
इतने में फिर उसने मेरे जीन्स के बटन को खोला.. फिर मैंने भी साथ देते हुए अपनी जीन्स निकाल दी और अंडरवियर में हो गया। मैं उसकी चूत को उसकी पैन्टी के ऊपर से रगड़ने लगा। वो ‘आअह..’ भर रही थी उसकी मादक ‘आहाहा.. अअह्हा.. से पूरा बाथरूम गूँज रहा था।
उसने मेरे अंडरवियर को निकालने का इशारा किया, मैं झट से निकाल कर उसके सामने पूरा नंगा हो गया। उसने हल्का सा मेरे लंड को छुआ.. फिर मैंने उसकी पैन्टी को साइड से पकड़ कर नीचे से निकालते हुए अपने घुटनों पर बैठ गया। मैं उसकी चूत को देखने लगा और रगड़ने लगा। आज उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था।
मैं ब्लू-फिल्म बहुत देखता था.. उसमें लड़का लड़की की चूत चाटता था। बस वही फीलिंग आई और मैंने उसकी चूत को अपने मुँह से चाट लिया। अपनी जीभ को उसकी चूत के छेद में डाला और फिर अपनी जीभ को उसकी चूत पर रगड़ने लगा। सोनाक्षी की जोर से ‘अअह्हाह..’ चीख निकली।
शायद उससे नया और अजीब सा अहसास हुआ था। सच में उस पल में बहुत मिठास थी। उसका थोड़ा सा रस मेरे मुँह में गया.. लाजवाब स्वाद था। मैं हमेशा उसे बुरा समझता रहा कि कोई कैसे ये करता होगा। इतनी देर में दरवाज़े पर दीपाली खड़ी दिखी। ओह.. हमने दरवाज़ा लॉक ही नहीं किया था।
वो बोली- आवाज़ धीरे निकालो.. कोई आ जाएगा तो?
आज सच में सोनाक्षी ने तेज़ आवाज़ निकाल दी थी। मैंने सोनाक्षी को इशारा किया कि बिस्तर पर चलो। उसकी चूत चाटने में भी दिक्कत हो रही थी। वो खड़ी थी मैं बैठा हुआ था। उसकी चूत को मजे से नहीं चाट पा रहा था। सोनाक्षी थोड़ा शरमाई.. पर मैंने रिक्वेस्ट की और कहा- अब तो दीपाली ने हमें नंगे, ऐसी पोजीशन में देख ही लिया और उसे भी पता है कि यहाँ क्या होने वाला है.. तो क्यों ना वहाँ पूरा दिल खोल के मजा लिया जाए।
वो मान गई और वासना के अहसास में मैं अपनी शर्म को घोल के पी गया। अब मैंने सोनाक्षी को अपनी गोदी में उठाया और बिस्तर की तरफ ले गया, उसको बिस्तर पर लिटा कर मैं उसकी चूची को फिर से चाटने लगा, दबाने लगा और हौले-हौले से निप्पलों को काटने लगा।
दीपाली सामने खड़ी देखते हुए मुस्कुरा रही थी। वो शर्मा भी रही थी.. मुझे ये अहसास हुआ। मेरा लंड एकदम टाइट था, बस चूत में घुसना चाहता था पर मैं अभी उससे पेलना नहीं चाहता था, मुझे जवानी के दूसरे खेल में मज़ा आ रहा था चूची चूसना, चूत चाटना वगैरह।
मैं दीपाली की आँखों में देखता हुआ सोनाक्षी की चूत के पास मुँह ले गया अपनी जुबान को बाहर निकाल एक बड़ी मुस्कराहट के साथ सोनाक्षी की चूत को मज़े से चाटने लगा। कभी मैं जुबान से चोदता.. तो कभी उंगली से चूत को कुरेदता। सोनाक्षी पागलों जैसे अपने बदन को ऐंठे जा रही थी।
‘आहाह्ह्ह्स.. आह्ह्हह्ह्स..’ की आवाज़ मुझे और जोश दे रही थी। उसकी चूत का पानी थोड़ा सा मेरे मुँह में आ गया। मैंने उसे सोनाक्षी के पेट पर उलट दिया। दीपाली दीवार से टेक लेकर अपनी मैक्सी के ऊपर से ही अपनी चूत को रगड़ रही थी। यह सीन मुझे और जोश दे रहा था।
मैंने सोनाक्षी को डॉगी स्टाइल में किया और उसके पीछे से अपने लंड को उसकी चूत पर लगा दिया। फिर थोड़ा सा थूक सुपारे में लगाया और एक ही झटके में मेरा आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में था। ‘आह्ह.. धीरे..’ मैंने उसकी ‘आह..’ को परमीशन मानते हुए धीरे-धीरे स्पीड को बढ़ाया और उसे धकापेल चोदता रहा।
वो ‘आहाहा.. आह्ह्ह्हा..’ किए जा रही थी। उधर दीपाली अपनी मैक्सी को चूत के पास तक उठा चुकी थी। उसकी भी लाजवाब गुलाबी सी चूत थी.. दीपाली झाँटों के बीच चूत में तेज़ी से उंगली कर रही थी। एक पल को मुझे ऐसा अहसास हुआ कि जैसे मैं दीपाली की चूत मार रहा होऊँ।
इस अहसास के चलते मुझे पता ही नहीं चला.. कि कब मेरी रफ़्तार तेज़ और तेज़ हुई.. और सारा स्पर्म सोनाक्षी की चूत में निकल गया.. जो शायद दीपाली की याद में निकला था। सोनाक्षी भी दीपाली को देखते हुए कातिलाना मुस्कान दे रही थी। मैं थक कर बिस्तर पर लेट गया, सोनाक्षी भी लेट गई।
दीपाली का उंगली के बाद पानी निकल गया.. वो वहीं दीवार की टेक लेकर बैठ गई। मेरा लंड संतुष्ट हुआ.. क्यूँ न होता.. इतनी देर की चुदाई जो मजा दिया था। मैंने अपनी एक साइड जगह बनाते हुए दीपाली को बोला- आओ इधर लेट जाओ। वो आई और मेरे बगल में लेट गई।
मैं सोनाक्षी की तरफ घूमा.. उसके सर पर एक चुम्बन किया और सीधा हो कर आँखों को दो पल के लिए बंद कर लिया। मेरे सीने पर एक हाथ आया और मेरे सीने को सहलाने लगा। मैंने आँख खोल कर देखा.. वो दीपाली का हाथ था। मैं उसकी तरफ घूमा.. उसकी आँखों में देखा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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उसने मेरी आँखों में देखा और धीमी सी मासूमियत भरी आवाज़ में कहा- प्लीज.. मैं समझ गया कि उसे भी चुदना है। इतने में मेरे लंड में जोश आया, मैंने दीपाली की चूची पर हाथ रखा और दबाया.. उसने सिसकारी ली ‘आह्हाह…’ मेरा लंड नई चूत में जाने के लिए खड़ा हो गया। मैंने दीपाली के कपड़े को उठाया और दीपाली ने तुरंत उठ कर मैक्सी को निकाल दिया और एकदम नंगी हो गई।
वाहह.. दीपाली के निप्पलों का रंग एकदम भूरा सा था.. मेरे लौड़े में अजीब सी झनझनाहट हुई। शायद नई चूत को चोदने की सनसनी थी। मैंने अपने हाथ को दीपाली की चूत पर रख दिया और एक उंगली को पूरा अन्दर पेल दिया, वो आसानी से अन्दर चली गई। दीपाली की चूत थोड़ी ढीली थी। मैंने दीपाली के एक निप्पल को चूसा.. मज़ा आया।
फिर मैंने दीपाली से पूछा- मेरा लंड मुँह में लोगी?
उसने मना किया.. पर मुझे उदास होता देख कर बोली- हाँ..
पर मैंने कहा- ठीक है पर अभी नहीं..
क्योंकि मुझे फील हुआ कि उसका मन नहीं था। मैं दीपाली की तरफ घूम गया, अपने लंड को उसकी चूत पर रख कर एक ही झटके में पूरा अन्दर डाल दिया।
वो कराही- आह्ह्हा…
मैंने मुस्कान के साथ सोनाक्षी की तरफ घूम कर देखा.. उसकी आँखें नम थीं.. वो रो रही थी। मैंने रुक कर झट से अपने लंड को दीपाली की चूत से निकाल लिया और सोनाक्षी की तरफ घूमा, मैंने उसके दोनों गालों पर अपना हाथ रख कर पूछा- क्या हुआ?
उसने रोते हुए कहा- तुम पर मैंने ट्रस्ट किया था।
मैंने ‘सॉरी’ कहा.. वो बाथरूम में गई।
मैं भी पीछे से गया और अकेले में समझाया- यार मैं बहक गया था.. माफ़ कर दो।
उसने मुझसे उस पल से बात करना बंद कर दिया।