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प्रेमिका की लाल रंग की कच्छी उतारी

मार्च 30, 2023 by hamari

College Lover Romance

मेरा नाम दिव्यांश है, दोस्तो कहानी उस समय की है जब मेरी उम्र बीस वर्ष थी और मैं बी.एस.सी. फाइनल का छात्र था। मुझे कॉलेज में सब चॉकलेटी ब्वॉय कहते थे, मेरा रंग गोरा और शरीर सामान्य है। मेरी ऊंचाई 6 फिट और सोमित की ऊंचाई मेरी ऊंचाई से थोड़ी कम है.. वो एक गोरा और सुंदर सा लड़का था। College Lover Romance

मैं एक किराए के मकान में अपने दोस्त सोमित के साथ रहता था, जो मेरे ही क्लास में पढ़ता था। एक साल पहले फर्स्ट इयर में एक खूबसूरत लड़की ने प्रवेश लिया। उस तीखे नैन-नक्श 5.3 इंच हाईट वाली सुंदर गोरी लड़की का नाम वंशिका था, उसका फिगर 32-24-32 था।

उस गदराए हुए शरीर की लड़की को देखते ही मैंने ठान लिया था कि इसकी चूत में अपना लंड घुसा कर ही रहूँगा। कॉलेज की सभी लड़कियों की तरह वो भी मुझे देखती थी। मैंने उसके करीब जाने की कोशिश की, मगर बात नहीं बनी.. बस एक-दो बार नोट्स को लेकर बातें हुईं।

इसी बातचीत में मैंने उसका और उसने मेरे घर का पता पूछ लिया। वो मेरे रूममेट को भी पहचानने लगी थी। ऐसे ही दिन बीत रहे थे.. लेकिन मुझे धीरे-धीरे लगने लगा कि मैं उससे प्यार करता हूँ। इसलिए मैं वंशिका को पाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता था।

हमारे कॉलेज में एक फंक्शन था.. जिसमें कुछ गेम्स भी होने थे। सीनियर होने की वजह से कॉलेज के सभी फंक्शन और गेम्स की तैयारी हमारा ग्रुप ही करता था। एक गेम चिट निकालने वाला था और उस चिट में लिखे हुए टास्क को पूरा करना था।

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उसमें वंशिका ने भी हिस्सा लिया था, मेरे दिमाग में शरारत सूझी, मैंने गेम से पहले ही वंशिका को पीला कार्ड उठाने कह दिया। अब गेम के समय वंशिका ने पीला कार्ड उठा कर पढ़ा और पढ़ कर स्टेज पर ही रोने लगी। सबने पूछा कि टास्क क्या है, पर वो कुछ नहीं बोली और स्टेज से उतर गई।

सब उसे चिढा़ने और हँसने लगे। सफेद सलवार कुर्ती और प्रिंटेड लाल दुपट्टे में गुस्से और शर्म से लाल वंशिका हॉल से बाहर चली गई। मुझे अपनी गलती का अहसास था.. क्योंकि मैंने ही उस पीले कार्ड में टास्क लिखा था कि अपने ऊपर का कपड़ा हटा कर वाक करो.. और वो इसी वजह से रोने लगी थी, उसने किसी को कुछ नहीं कहा।

अब मैं उसी की सोच में डूबा हुआ फंक्शन निपटा कर घर आया और थकावट मिटाने के लिए नहाने चला गया। मैं बाथरूम से निकला ही था कि मुझे सामने वंशिका नजर आई.. उसे देखते ही मेरे होश उड़ गए। इस वक्त मैंने तौलिया के अलावा कुछ नहीं पहना था। वो दरवाजे पर ही खड़ी थी।

मैंने कहा- अरे वंशिका तुम.. आओ अन्दर बैठो।

उसने सोमित की तरफ देखते हुए कहा- आप बाहर जाइए!

सोमित बिना कुछ बोले निकल गया।

सोमित के बाहर जाते ही उसने रूम में कदम रखा।

वंशिका ने कहा- तुम जानते हो दिव्यांश मैं स्टेज पर क्यों रोई?

मैंने बिना कुछ बोले अपनी नजरें झुका लीं।

‘दिव्यांश शायद तुम समझे ही नहीं? मैं तुमसे प्यार करने लगी थी.. लेकिन तुम मेरे जिस्म के भूखे निकले।’

इतना सुनकर मैं खुश भी था और लज्जित भी था।

मैंने कहा- नहीं वंशिका.. ऐसा कुछ भी नहीं है।

उसने कहा- सफाई देने की जरूरत नहीं है।

यह कह कर उसने मुड़ कर दरवाजा बंद कर दिया। रूम में ट्यूब लाईट का भरपूर प्रकाश था और उसने मुझसे थोड़ी दूर खड़े होकर रोते हुए अपना दुपट्टा शरीर से अलग कर दिया। मैं मूर्ति बन गया था, मेरे कुछ बोलने से पहले ही उसने कहा- तुम्हें यही चाहिए था ना?

यह कहते हुए एक ही झटके में अपनी कुर्ती निकाल दी। लाल रंग की ब्रा में कसे उसके सुडौल दूधिया झांकते बड़े-बड़े स्तनों को देखकर मेरा लंड अकड़ने लगा। तभी उसने सलवार का नाड़ा खींचा और सलवार जमीन पर आ गिरी। अनायास ही मेरी नजर उसकी चिकनी टाँगों का मुआएना करने लगी।

मेरी नजर टाँगों से शुरू होकर उसकी सुडौल जाँघों से होकर चूत में चिपकी लाल कलर की पेंटी के अन्दर घुस जाने का प्रयास कर रही थी। तभी उसने अपनी ब्रा भी निकाल फेंकी मैं उसके गुलाबी निप्पल देख ही रहा था कि उसकी आवाज आई ‘लो बुझा लो अपनी हवस की आग..’

यह कहने के साथ ही उसने अपनी पेंटी भी टाँगों से अलग कर दी। मैंने एक झटके से अपना पहना हुआ तौलिया निकाला और उसकी तरफ बढ़ गया। वो रोते हुए भी मेरे खड़े लंड को देख रही थी और मुझसे नजरें मिलते ही अपनी आँखें बंद कर लीं।

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मैं उसके पास जाकर अपने घुटनों पर बैठ गया, जिससे कि उसकी भूरे रोंये वाली मखमली चूत मेरी आँखों के सामने आ गई। मैंने उसकी चूत के ऊपर हल्का सा चुम्बन लिया और उसकी चूत से मदहोश कर देने वाली खुशबू को लंबी सांस के साथ अपने अन्दर भर लिया।

फिर उसकी कमर में अपना हाथ घुमा कर उसको तौलिया पहना दिया। मेरा ऐसा करते ही उसका रोना बंद हो गया और मैंने खड़े होकर उसके गालों को थाम कर माथे को चूमते हुए कहा- वंशिका अगर मैं जिस्म पाना चाहूँ तो रोज एक नई लड़की मेरे बिस्तर पर होगी, पर सच्चाई तो ये है कि मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ। लो पहन लो अपने कपड़े और मेरे मजाक के लिए मुझे माफ कर दो।

अब वंशिका फिर से रोते हुए मेरे सीने से चिपक गई और कहा- तुम सच कह रहे हो ना दिव्यांश? तुम नहीं जानते कि मैं तुम्हें कितना चाहती हूँ।

मैंने कहा- तुम भी नहीं जानती कि मैं तुम्हें कितना प्यार करता हूँ।

मैंने उसे गोद में उठा कर बिस्तर में बिठा दिया चूंकि मैंने अपना तौलिया वंशिका को पहना दिया था.. इसलिए अब मैं पूरी तरह नंगा था और वंशिका भी सिर्फ तौलिये में थी। वंशिका मेरी गोद में बैठी थी, अब हम प्यार भरी बातें करने लगे। मेरा हाथ वंशिका के उरोजों पर जा रहा था.. पर मैं पहल नहीं करना चाहता था।

वंशिका ने अपनी बांहों का हार मेरे गले में डाल रखा था। वो मेरे गालों को चूम रही थी। अब तो उसका एक हाथ मेरे सीने को भी सहला रहा था। लड़की के नाजुक हाथ का स्पर्श पाकर मेरा लौड़ा अकड़ने लगा। शायद वंशिका को मेरा खड़ा लंड चुभा.. वो मुस्कुरा कर मेरी गोद से उतर कर मेरे सामने जमीन पर बैठ गई और मेरे लंड को गौर से देखने लगी। मैं समझ गया कि इसके मन में कुछ प्रश्न हैं।

मैंने कहा- क्या सोच रही हो?

उसने कहा- ये कितना बड़ा और सुंदर लग रहा है, क्या सबका इतना ही बड़ा होता है?

मैंने हँसते हुए जवाब दिया- नहीं ज्यादातर लोगों का इससे छोटा होता है, पर कुछ लोगों का इससे भी बड़ा होता है। हमारी बातों के वक्त वंशिका मेरे लंड को सहला रही थी। फिर मैंने उसे लंड को चूसने के लिए कहा, शायद वो भी इसी इंतजार में थी।

पहले उसने लंड की पप्पी ली, फिर धीरे से लंड चूसना शुरू किया। उसने एक बार मेरे चेहरे की ओर देखा.. उत्तेजना में मेरी आँखें छोटी हो रही थीं। दूसरे ही पल वंशिका ने लंड अपने गले तक डाल लिया और चूसने के साथ ही आगे-पीछे भी करने लगी। मैंने उसका सर थाम लिया और उसके मुँह को ही चोदने लगा, वो गूं-गूं की आवाज करने लगी.

लेकिन मैंने अपना लंड जोरों से पेलना जारी रखा। उसने मुझसे छूटने की कोशिश की.. पर मैं कहाँ छोड़ने वाला था, मैंने धक्के और तेज कर दिए। मैंने अचानक ही लंड मुँह से बाहर खींच कर पूरा माल उसके उरोजों पर गिरा दिया। उसकी आंखों में आंसू आ गए थे। उसने मेरे वीर्य को छूकर देखा और मुँह बनाते हुए बाथरूम में चली गई।

उसने बाथरूम से निकलते ही कहा- मार डालते क्या?

मैंने ‘सॉरी’ कहा।

‘कोई बात नहीं मैं तुम्हारे लिए मर भी सकती हूँ।’

यह कहते हुए उसने मुझे चूम लिया और कहा- तुम तो खुश हो ना?

इसके बाद हम दोनों लेटे रहे, उसने लंड को फिर से टटोलना शुरू किया। कुछ पल बाद उसने मेरे लंड को पकड़ कर कहा- वाह जनाब.. इतनी जल्दी सुस्त पड़ गए.. लेकिन मैं तुम्हें ऐसे ही नहीं छोड़ने वाली। उसकी बातें सुनकर मुझे शक हुआ कि वंशिका चुदाई के बारे में इतना कैसे जानती है। वो पहली बार में भी इतनी खुलकर बात कैसे कर रही है।

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मैंने पूछा- वंशिका क्या तुम्हारा कोई अतीत था, मैं क्या कहना चाह रहा हूँ तुम समझ रही हो ना?

वंशिका ने कहा- पहले तुम अपना अतीत बताओ।

मैंने खुलकर कह दिया- मैंने तीन बार सेक्स किया है.. दो बार रंडी को चोदा और एक बार दोस्त की गर्लफ्रेंड के साथ किया है।

बस इतना सुनते ही वंशिका बिस्तर से उतर गई।

मैंने कहा- क्या हुआ?

अब मैं असमंजस में था कि क्या होने वाला है।

‘क्या हुआ वंशिका तुमको मेरा सच बुरा लगा क्या?’

उसने कहा- कुछ नहीं.. मैं सोच रही हूँ कि मेरा सच जानने के बाद क्या होगा।

मेरा दिमाग घूमा.. मैंने कहा- तुम्हारा मतलब?

‘हाँ.. मैंने भी दो बार चुदाई की है पर वो सिर्फ मेरा अतीत था। क्या तुम मेरे लिए ये बातें भूल सकते हो?’ यह कह कर वो रोने लगी।

मैंने उसे चुप कराया और बिस्तर पे ले गया। अब यार, उसकी चुदाई से मुझे क्या फर्क पड़ना था.. तो मैं मुस्कुरा दिया और बात वहीं खत्म हो गई।

मैंने वंशिका से कहा- फिर लंड के बारे में अनजान क्यों बन रही थी?

उसने कहा- ताकि तुम्हें मुझ पर शक ना हो।

‘ओह ऐसा क्या..!’ ये कहते हुए मैंने अपनी उंगली उसकी पहले से गीली हो चुकी चूत में डाल दी। वंशिका चिहुंक उठी और आँखें बंद करके आनन्द के सागर में डूब गई। अब मैं उसके निप्पल को चूसने लगा। उसका एक हाथ मेरे लंड को सहला रहा था और दूसरे हाथ से वो अपने उरोजों को मसलने लगी।

वंशिका की आँखें हवस के मारे लाल हो रही थीं। मेरा लंड भी बेहाल हो रहा था। अब मैंने तुरंत ही अपनी दिशा बदली और उसके पैरों को मोड़ कर उसकी चूत का दीदार किया। फिर उसकी मखमली चूत को छूते हुए उस नजारे को अपनी आंखों में कैद कर लेना चाहा।

हल्के भूरे रोंए.. गुलाबी फांकें और शबनम की चमकती बूंदों के साथ स्वत: ही सांस लेती उसकी मनमोहनी चूत ने मुझे पागल बना दिया। मैं झुका और मैंने एक ही बार में अपनी जीभ उसकी चूत के नीचे से ऊपर तक फिराई। फिर आँखें बंद करके जीभ को मुँह के अन्दर करके चटखारा लिया.. जैसे बहुत स्वादिष्ट चीज खाई हो।

मैंने वंशिका को देखा वो अपने उरोजों को गूँथे जा रही थी। जैसे ही उससे मेरी नजरें मिलीं.. उसने मेरा लंड चूसने की मंशा इशारों में ही जाहिर कर दी। मैंने 69 की पोजिशन सैट करके लौड़ा उसके मुँह में दे दिया और मैं पुनः चूत चाटने लगा। हम दोनों ही पागलों की तरह लंड और चूत का रसास्वादन कर रहे थे।

अब मैंने अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए चूत को चांटा मारा.. इससे वंशिका की चुदने की भूख और बढ़ गई, उसने मेरा लंड चूसना छोड़ दिया और चूत चोदने के लिए कहने लगी। पर मैं तो उसका रस जीभ से ही निकालना चाहता था, इसलिए मैंने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया।

तो उसने खुद मुझे धकेल दिया और मैं बिस्तर में ही चित लेट गया। अब वो खुद मेरे ऊपर आ गई और लंड पकड़ कर अपनी चूत पर टिकवा लिया। अगले ही उसने अपने शरीर का पूरा भार मेरे लंड पर धर दिया। एक ‘ऊओंह..’ की आवाज उसके मुँह से भी निकली और मेरे मुँह से भी निकल गई।

उसने लंड को अपनी चूत में जड़ तक घुसवा लिया और कुछ पल ऐसे ही आँखें मूँदें शांत बैठे रही। दूसरे ही पल उसने अपना स्तन हाथों से पकड़ा और झुक कर मेरे मुँह में दे दिया। अब उसने कमर उचका कर चुदाई शुरू कर दी, मैंने भी ताल मिला कर नीचे से झटके देने शुरू कर दिए।

वो बदहवास होकर चुदे जा रही थी, ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाजें अब मादक सीत्कारों में बदल गई थीं। वो अपने होंठों को दांतों से काट रही थी और मैं भी उसके इस रूप को देख के पागल हुआ जा रहा था। मैंने उसके उरोजों को चूसने काटने मसलने के अलावा उसे भड़काने के लिए चांटे भी मारे और हम दोनों ही बहुत तेज चुदाई का आनन्द लेने लगे।

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अचानक ही उसने मेरे सीने के बालों को नोचते हुए चुदाई की गति बढ़ा दी। मैंने भी उसकी कमर पकड़ी और झटके तेज कर दिए। शायद ये शांति के पहले का तूफान था- ओहहह दिव्यांश.. आई लव यू मेरे राजा.. मेरे सब कुछ.. आह्ह.. वो यह कहते हुए मुझ पर झुक गई। मैंने उसके पीठ पर हाथ रखते हुए ‘ओहह.. मेरी रानी.. मेरी वंशिका..’ कहते हुए लंड का लावा उसकी चूत में ही निकाल दिया। दोनों का स्खलन लगभग एक साथ हुआ था और दोनों ऐसे ही चिपक कर लंबे समय तक पड़े रहे।

कुछ समय बाद सोमित ने दरवाजा खटखटाया तो उसे दो मिनट रुकने को कह कर हम दोनों ने जल्दी से कपड़े पहने। चूंकि रात के 9 बज रहे थे, मैंने वंशिका को छोड़ना चाहा.. पर वंशिका ने मना कर दिया और अपनी स्कूटी से चली गई। उस दिन के बाद हमारे मिलन का सिलसिला शुरू हो गया। वंशिका मेरे दोस्तों को और मैं उसकी सहेलियों को जानने लगा। उनसे हमारी मेलजोल भी अच्छी हो गई थी।

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