GF Gangbang Sex
कहानी तब शुरू हुई जब मैं अपने बैचमेट्स के साथ अलीबाग बीच पर पिकनिक पर गया था। हम सब मिलके 22 लोग थे, जिनमें 8 लड़कियाँ भी थीं। मेरी गर्लफ्रेंड भी हमारे साथ आई थी। उसका नाम है प्राची। मेरी और उसकी मुलाक़ात मेरे पहले जॉब के समय हुई थी। GF Gangbang Sex
वो बहुत हॉट है, उसके बूब्स तो कमाल के हैं। मैं भी उसके बूब्स पर ही फिदा हो गया था। तो हम पिकनिक स्पॉट पर पहुँचे। हम सबसे पहले बीयर पीने लगे थे और हर कोई नशे में और मस्ती में था। पर मेरे फ्रेंड्स का कोई और ही प्लान था। मेरी गर्लफ्रेंड को देखने के बाद तो उनकी नियत ही बदल गई थी।
हर कोई प्राची से नज़दीकियाँ बढ़ाना चाहता था। मुझे न जाने क्यों ये अच्छा लग रहा था और मैं ऐसा नाटक कर रहा था कि मैं नशे में हूँ। प्राची भी उनके साथ बेहद घुल-मिल गई थी। लेकिन जीत और स्वप्निल दोनों कुछ ज़्यादा ही एक्साइट हो रहे थे।
इसे भी पढ़े – ससुराल की शादी में सलहज ने चुदवाया
बीच पर मज़े करने के बाद लंच के लिए हम होटल की तरफ जाने लगे। पर सभी गर्ल्स कपड़े चेंज करने के लिए चेंजिंग रूम में चली गईं। यहाँ मैं जीत और स्वप्निल के साथ सबसे पीछे था। हम तीनों भी हाफ पैंट में थे। जीत और स्वप्निल मेरी खिंचाई कर रहे थे।
दोनों को ऐसा लग रहा था जैसे लंगूर के हाथ में अंगूर आ गया हो। दोनों मेरे निप्पल्स के साथ खेल रहे थे और मैं उनके साथ मस्ती कर रहा था। पर स्वप्निल कुछ ज़्यादा ही कर रहा था। मस्ती में उसने मेरे दोनों हाथ पीछे की तरफ पकड़ लिए और जीत को कहा कि वो मेरी पैंट निकाले।
जीत ने बिना समय लगाए मेरी पैंट निकाल दी, साथ में अंडरपैंट भी, और मुझे एकदम नंगा कर दिया। जीत मेरी पैंट लेकर भागने लगा और मैं जीत के पीछे। स्वप्निल हम दोनों के पीछे। हम वापस पानी की तरफ गए। जीत को मैंने पकड़ लिया लेकिन पीछे से स्वप्निल मेरे साथ एक लड़की की तरह टूट पड़ा।
उसके बॉडी और जोश के सामने मैं कुछ भी नहीं कर पा रहा था। या फिर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, पता नहीं। पर स्वप्निल के देखा-देखी जीत भी वाइल्ड हो गया था। दूर ही पल में स्वप्निल ने अपना 7 इंच का बड़ा केला बाहर निकाला और अब वो मेरी गांड मारने की सोच रहा था।
इसे भी पढ़े – जवान बेटी को संभोग सुख दिया बाप ने
उसकी उँगलियाँ मेरी गांड में जा रही थीं। कुछ देर बाद कोई गरम चीज़ मेरी गांड में जा रही थी और मैं पूरी तरह से उनके स्लेव की तरह बिहेव कर रहा था। मेरी तरफ से कोई भी रेसिस्टेंस नहीं हो रहा था। पहले स्वप्निल और अब जीत, दोनों ने मेरी बहुत देर तक गांड मारी।
अब हम तीनों भी नेकेड थे। स्वप्निल की बॉडी और उसके लंड की साइज़ हम दोनों से अच्छी थी। जीत का लंड भी पूरे जोर में था। स्वप्निल की उम्मीद अब बढ़ने लगी थी। वो मुझे बोल रहा था कि वो मुझे मेरी गर्लफ्रेंड के सामने नंगा करेगा। मैं उसे ऐसा न करने के बारे में समझा रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
तब उसने मेरे सामने एक बात रखी कि अगर मैं उसे अपनी गर्लफ्रेंड यूज़ करने दूँगा तो वो ऐसा नहीं करेगा। अब मेरी फट चुकी थी। स्वप्निल बेहद सठिया था, वो कुछ भी कर सकता था। अगर वो मुझे मेरी गर्लफ्रेंड के सामने नेकेड कर देता तो मेरी क्या इज़्ज़त रह जाती।
इसे भी पढ़े – बहन अपनी स्कर्ट उठा दी थी मुझे चुदवाने को
पर मैं अपनी प्राची को उसे कैसे यूज़ करने दे सकता था। मैंने सोच लिया कि मैं स्वप्निल को प्राची के साथ सेक्स करने दूँगा पर प्राची को ये पता नहीं चलना चाहिए कि स्वप्निल उसके साथ सेक्स किया। बात सिर्फ एक रात की थी। वैसे भी मैं प्राची की मार चुका था तो मेरा इंटरेस्ट इतना ज़्यादा भी नहीं था.
कि मैं अपनी इज़्ज़त दाँव पर लगाऊँ। पिकनिक से हम रात 11 बजे मुंबई लौटे। स्वप्निल को मैंने अपने घर पर आने का इन्विटेशन दिया। प्राची भी साथ में थी। रास्ते में प्राची के ड्रिंक्स में हमने शराब मिलाई थी, इस वजह से वो थोड़ी सी मदहोश थी।
स्वप्निल पूरा चांस ले रहा था। उसने कपड़े तो निकाले ही थे और उसका हाथ प्राची की बूब्स पर भारी पड़ रहा था। घर पहुँचते ही स्वप्निल ने प्राची का टी-शर्ट और ब्रा निकाल दिए। उसके बूब्स के साथ वो पूरी तरह से जोर आजमाइश कर रहा था।
दूसरे दिन सुबह 6 बजे तक स्वप्निल और प्राची का सेक्स ट्रांज़ैक्शन चल रहा था। मेरे सामने मेरी गर्लफ्रेंड के साथ कोई मस्ती कर रहा था और मैं कुछ भी नहीं कर पाया। सुबह होते ही स्वप्निल बेडरूम से बाहर आकर चला भी गया। अब सिचुएशन मुझे हैंडल करनी थी।
इसे भी पढ़े – पड़ोसन दीदी को नंगी किया गेम खेल के
मैं भी कपड़े निकालकर प्राची के बगल में सो गया। स्वप्निल जाते समय बोल गया था कि प्राची से पूछ लेना कि कल रात मज़ा आया कि नहीं। प्राची की आँख जब खुली तब उसके चेहरे पर तकलीफ के भाव थे, पर फिर भी वो मुस्कुरा रही थी।
मैंने स्वप्निल वाला सवाल पूछा तो बोली, “सच बताऊँ?”
मैंने कहा, “हाँ।”
तो बोली, “बहुत मज़ा आया। इतना मज़ा मुझे तब भी नहीं आया था जब मैं तुम्हारे साथ पहली बार सेक्स किया था। उससे भी ज़्यादा मज़ा कल रात आया। तुम कुछ अलग ही लग रहे थे।”
जलन के मारे मेरा बुरा हाल था, पर मैं कुछ भी नहीं कर पाया। बस उस दिन से प्राची से दूर रहने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था। पर जीत और स्वप्निल बात भूल नहीं रहे थे। जब भी मैं उन दोनों को मिलता, वो मुझे गले लगाते, मेरे लंड को दबाते, मेरी इज़्ज़त बार-बार उछालते। एक दिन तो मेरी दोस्त शमिका के सामने वो मेरे निप्पल एक लड़की की तरह दबा रहा था। उसका दूसरा हाथ मेरे लंड के ऊपर जा रहा था। मैं समझ चुका था कि मुझे अब इन लोगों से बचके रहना ही पड़ेगा। इन लोगों के साथ दोस्ती न जाने मुझे कहाँ ले जाए।
प्रातिक्रिया दे