Garam Chut Wali Aunty
रीडर्स कैसे हैं आप सबके प्यासे लंड और लंड की भूखी कुँवारी और प्यासी आंटियाँ? चूत में लंड आ रहा है या नहीं? अगर नहीं तो मेरी कहानियाँ पढ़कर ही लड़के लोग हाथ मार लें और लड़कियाँ-आंटियाँ मोमबत्ती से काम चलाना पड़ेगा। मैं राजेश हाज़िर हूँ। मैंने अपनी पिछली कहानी अधूरी छोड़ दी थी, आज उसे पूरा करता हूँ जिन लोगों ने नहीं पढ़ी, प्लीज़ पहले उसका पहला पार्ट पढ़ लें, तब ही मज़ा आएगा। Garam Chut Wali Aunty
हाँ तो दोस्तों, उसमें आप सबने पढ़ा होगा कि मैं कैसे अपने दोस्त रवि की माँ को चोदने का प्लान बनाता हूँ और जब मेरे ऊपर चाय गिर जाती है, तब उस पर मलहम लगाने के बहाने उसकी मम्मी मेरा लंड सहलाकर मुझसे अपनी जवानी की प्यास बुझाना चाहती थी।
जब उसकी प्यास पूरी तरह भड़क गई तब उसने मुझसे कहा, “बेटा तू तो पहले से ही नंगा है, अब मैं भी अपने कपड़े उतार ही दूँ?”
तो मैंने कहा, “अभी इतनी जल्दी क्या है आंटी, पहले आपसे थोड़ा कपड़ों के ऊपर से ही मज़ा ले लूँ।”
तब आंटी बोली, “लगता है तुम पहले से ही खेले-खाए हो? और नादान बनने का नाटक कर रहे हो?”
तब मैंने कहा, “हाँ आंटी, मैं बहुत पहले से चूत और लंड का मज़ा ले चुका हूँ।”
तब आंटी ने पूछा, “भला इतनी सी उम्र में ये मज़ा कहाँ मिल गया तुमको?”
मैंने कहा, “मम्मी ने ही मुझे अपनी चूत का मज़ा चखाया था पहली बार।”
तब तो आंटी का मुँह खुला का खुला रह गया। बोली, “हाय बेटा, तुम्हारी मम्मी को शर्म नहीं आती?”
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मैंने कहा, “मम्मी ने कहा था कि बेटा अब तू जवान हो गया है और इससे पहले कि तू बाहर किसी रंडी से जवानी के मज़े ले और अपने को एड्स का मरीज़ बना ले, ये मेरा फ़र्ज़ है कि तुझे चूत का मज़ा घर में ही दिया जाए क्योंकि आजकल एड्स का बहुत ख़तरा है।”
और इस तरह मम्मी ने मुझे पहली चुदाई का मज़ा दिया। उसके बाद तो मम्मी ने बहन को भी मुझसे ही चुदवाया। इस तरह अब हम भाई-बहन सेफ हैं और मम्मी-पापा भी ख़ुश। मैं तो कहता हूँ कि हर माँ-बाप को ऐसा ही करना चाहिए। वरना आंटी, आप तो जानती ही हैं कि चाहे लड़का हो या लड़की, जहाँ 15 क्रॉस किया, बस चुदाई की भूख सताने लगती है और वो बहक जाते हैं।
मैं तो कहता हूँ कि आप भी रवि को घर में ही जवानी का मज़ा दे दो। वो साला पता नहीं कब से रंडीबाज़ी में पड़ा है। कहीं कुछ हो गया तो आपकी बहुत बदनामी होगी और पछताना भी बहुत पड़ेगा।
तब आंटी ने कहा, “बेटा तूने तो मेरी आँखें खोल दीं। अब मैं भी रवि को घर में ही मज़ा दूँगी, किसी रंडी के पास नहीं जाने दूँगी।”
फिर मैंने आंटी से कहा, “एक बात और कहनी है आपसे।”
आंटी: “क्या बेटा?”
मैंने कहा, “आंटी, अब जब हम दोनों चुदाई करने जा ही रहे हैं तो आप मुझसे गंदी-गंदी बातें करो।”
तब आंटी ने कहा, “बेटा इतनी देर से गंदी बातें ही हो रही हैं।”
मैंने कहा, “अरे यार इसे गंदी बात थोड़ी कहते हैं।”
तब आंटी ने कहा, “फिर किसे कहते हैं, तुम ही बताओ?”
मैंने कहा, “चूत और लंड की बात बिलकुल खुले अंदाज़ में होनी चाहिए, कोई शर्म नहीं होनी चाहिए अब हमारे बीच में।”
तब आंटी ने कहा, “ठीक है साले मादरचोद!”
इतना सुनते ही मैं ख़ुश होकर बोला, “वाह साली रंडी, इतनी जल्दी समझ गई!”
और उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसकी चूत को मसल दिया और ब्लाउज़ के ऊपर से उसकी चूची सहलाने लगा।
तब आंटी ने कहा, “राजा तुम इतनी देर लगा रहे हो, कहीं ऐसा न हो कि रवि आ जाए और सारा खेल बिगड़ जाए।”
मैंने कहा, “ऐसा नहीं होगा मेरी जान, तुम बिलकुल इत्मिनान से चुदवाओ। रवि इतनी जल्दी नहीं आएगा।”
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और ये कहकर मैं उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ सहलाने लगा और उसके होंठ अपने होंठ में दबाकर चूमने लगा। अब उसका हाथ भी मेरी जाँघों को सहलाता हुआ मेरे लंड की तरफ़ बढ़ रहा था जो पहले से ही सलामी दे रहा था। उसने उसे हाथ से पकड़ते हुए कहा, “हाय राज, ये तो बहुत लंबा और मोटा है। तुम्हारी मम्मी को तो मज़ा आता होगा इससे चुदवाने में?”
मैंने कहा, “हाँ मेरी मम्मी को भी और बहन को तो बहुत ज़्यादा मज़ा आता है।”
वो बहुत प्यार से मेरा लंड सहलाने लगी। अब तक उनकी चूची के निप्पल मेरे दबाए जाने से तनकर मटर के दाने जैसे हो चुके थे जो ब्लाउज़ के ऊपर से साफ़ नज़र आ रहे थे। अब मैंने उनका ब्लाउज़ खोलना शुरू किया। थोड़ी ही देर में वो सिर्फ़ ब्रा और साया में रह गईं। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
तब मैंने कहा, “रानी अब यहाँ मज़ा नहीं आ रहा, चलो बेडरूम में चला जाए।”
और वो किसी चीज़ल की तरह मेरा लंड पकड़े-पकड़े अपने बेडरूम में ले आई और लंड को एक ज़ोरदार धक्का देते हुए मुझे बेड पर गिरा दिया। उनके इस तरह करने से मुझे लंड में बहुत दर्द हुआ, पर मैंने कुछ नहीं बोला। दिल में सोच लिया कि आज साली की चूत की धज्जियाँ उड़ा दूँगा।
फिर मैंने उसको भी अपने ऊपर गिरा लिया और उसकी ब्रा के अंदर हाथ घुसेड़कर उसकी सख़्त चूचियों को किसी भोंपू की तरह ज़ोर से दबाने लगा। उसके मुँह से चीख़ निकल पड़ी – ऊऊईईई माँ हायययय राज क्या कर रहे हो, ज़रा आराम से दबाओ, बहुत दर्द हो रहा है, मैं कहीं भागी नहीं जा रही।
मैंने कहा, “जान इसी तरह तो मज़ा आता है और तुम्हारी चूची भी कितनी कड़ी है।”
मैं आपसे तुम पर उतर आया था। तब ही उसने मेरा लंड बहुत ज़ोर से पकड़कर दबा दिया। मेरे मुँह से आआह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ निकलने को थी, पर मैं समझ गया साली मुझसे बदला लेना चाह रही है। अब मैं उसकी ब्रा को उतारकर एक तरफ़ फेंक चुका था और उसका पेटीकोट भी मैंने उतार दिया।
उसकी बड़ी सी चूत पर बहुत छोटी सी पैंटी थी जो उसकी चूत को पूरी तरह छुपा भी नहीं पा रही थी। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। अब तो उसके मुँह से सिसकियाँ निकलने लगीं। मैं कुछ देर उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाता रहा और फिर उसे बेड पर धकेलते हुए उसकी जाँघों की तरफ़ आया और अपना मुँह उसकी पैंटी के पास ले जाकर दाँत से उसकी पैंटी खींचने लगा।
आंटी सर उठाकर नज़ारा देख रही थीं। मैंने दाँत से खींचकर उसकी छोटी सी पैंटी भी उतार दी। अब वो पूरी तरह। पूरी तरह नंगी हो चुकी थीं और उन पर पूरी तरह मस्ती सवार थी। वो कहने लगीं, “राज अब बर्दाश्त नहीं हो रहा, अपना लंड मेरी चूत में डाल दो ना, बहुत खुजली मच रही है।”
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मैंने कहा, “मेरी चुदासी रानी इतनी जल्दी भी क्या है? अभी तो मैं पूरी तरह गरम भी नहीं हुआ। अभी तेरी चूत को ज़रा चखकर तो देखूँ।”
आंटी ने कहा, “क्या मतलब?”
मैंने कहा, “यार अभी पहले तेरी चूत की चुसाई तो कर लूँ।”
आंटी ने कहा, “यानी तुम मेरी चूत को चूसोगे? क्या ऐसा भी किया जाता है? इतनी गंदी जगह पर तुम अपने होंठ लगाओगे और न सिर्फ़ चूमोगे बल्कि चूसोगे भी?”
तब मैंने कहा, “वाह मेरी रंडो, इतने बड़े-बड़े बच्चे हो गए और आज तक बुर नहीं चुसवाई हो?”
तब उसने कहा, “रवि के पापा तो ख़ाली चूचियाँ मसलकर चुदाई शुरू कर देते हैं। आज तक उन्होंने कभी मेरी बुर चूसी ही नहीं। पर मैं कई बीएफ में बुर चुसाई को देख चुकी हूँ। मैं सोचती थी कि ऐसा गंदा काम सिर्फ़ बाहर वाले ही करते होंगे।”
तब मैंने कहा, “वाह मेरी जान, ख़ूब कही तुमने। अरे जब महामुनि वात्स्यायन का कामसूत्र यहीं लिखा गया है और अजंता-एलोरा की गुफ़ाओं में जो पोज़ हैं, उन्हीं को देखकर तो बाहर वाले सेक्स करना सीखे हैं, वरना उन सालों को क्या पता सेक्स किस चिड़िया का नाम है।”
तब मैंने उसकी गुलाबी चूत को पहली बार देखा। वाह कितनी ख़ूबसूरत चूत थी साली की। उसकी चूत से बहुत अजीब सी स्मेल निकल रही थी। मैंने उसकी चूत की दोनों दरारों को अपनी उंगलियों से फैलाया। उसके अंदर का हिस्सा पूरी तरह गुलाबी नज़र आ रहा था और उसकी फुद्दी का दाना फड़फड़ा रहा था।
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मैंने उसकी चूत के होंठों पर धीरे से अपना होंठ रखा। मेरे होंठों का स्पर्श अपनी चूत पर पाकर वो सिसक पड़ी – आय्य्यीईई ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़ राज क्या कर दिया ऊऊफ़्फ़ बहुत गुदगुदी लग रही है प्लीज़ कुछ करो ना आआह्ह्ह। मैंने उसकी चूत को चूमना शुरू कर दिया और कुछ देर बाद उसकी दरार को फैलाकर उसकी बुर के अंदर अपनी जीभ घुसेड़ दी।
जिससे वो चिहुँक पड़ी – आआह्ह्ह्ह्ह आआय्य्यीईई राज ओऊफ़्फ़्फ़ बहुत मज़ा आ रहा है प्लीज़ जल्दी-जल्दी से अपनी जीभ से ही चोद डालो मुझे। मैं उसकी चूत के स्वाद को बहुत मज़े लेकर चाट रहा था। आज पहली बार कोई उसकी चूत में जीभ से चुसाई कर रहा था। वो बहुत मस्त गई थी।
अपनी दोनों चूचियाँ अपने हाथ से रगड़ने लगी थी और निप्पल्स को उंगलियों के बीच लेकर मसल रही थी। ये तो मुझे पता ही था कि आज उसकी चूत की पहली बार चुसाई हो रही थी, सो उसे जल्दी झड़ना तो नहीं था। मैं जी जान से साली की चुसाई कर रहा था।
थोड़ी देर बाद ही उसने अपने दोनों हाथों से मेरे सर के बाल पकड़ लिए और अपने दोनों पैर आपस में दबाने लगी। मैं समझ गया अब साली झड़ने वाली है। मैं लपार-लपार करके उसकी चूत चाटने लगा और वो अपनी टाँगों से मेरे सर को दबाए चली जा रही थी। ऐसा लग रहा था पीस डालेगी मुझे, मगर मैं भी कम नहीं था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इतने पर भी मैंने बस नहीं किया और अपनी दो उंगलियाँ भी जीभ के साथ उसकी चूत में घुसेड़ दीं। वो आआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊईईईईई ओऊफ़्फ़्फ़ करती हुई झड़ने लगी। और उसका माल-पानी सीधे मेरे मुँह में जा रहा था जिसे मैं किसी कुत्ते की तरह चाट रहा था। वो बुरी तरह पानी छोड़ी थी। मैंने उसका बहुत सारा रस पी लिया।
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फिर उसकी ख़ूबसूरत सी पैंटी उठाकर उससे उसकी पसीजी हुई चूत को पोंछने लगा। तब उसने कहा, “हाय मेरी प्यारी पैंटी को क्यों ख़राब कर रहे हो?”
मैंने कहा, “जब तुम्हारी चूत की चुसाई कर रहा था तब नहीं कहा कि क्यों अपना मुँह गंदा कर रहे हो, अब पैंटी में रस पोंछ रहा हूँ तो गांड फटी जा रही है?”
आंटी ने हँसते हुए मेरे लंड पर थप्पड़ मारते हुए कहा, “हाय मेरे राजा बुरा मान गए? तुम तो ये पैंटी क्या चीज़ है, आज से हर चीज़ तुम्हारी हुई। जो जी में आए वो करो। कसम से आज तो तुमने जवानी का मतलब ही बता दिया।”
तब मैंने कहा, “अब रवि आता होगा, तुम जल्दी से कपड़े पहन लो वरना इस हाल में देखकर क्या सोचेगा?”
तब उसने कहा, “आने दो साले को। आज उसे भी चुदवाऊँगी। नहीं तो बाहर रंडियों के पास जाकर पैसा भी ख़र्च करेगा और अपनी जवानी भी ख़राब करेगा।”
और तभी डोरबेल बज उठी। तो आंटी ने कहा, “मैं उसे चुदवा तो लूँगी पर वो क्या समझेगा?”
मैंने कहा, “ये सब मुझ पर छोड़ दो। तुम अपने रूम में जाओ और नंगी ही बेड पर लेट जाओ। मैं अभी तुम्हारे लड़के को तुम्हारी चूत में लंड घुसाने को तैयार करके लाता हूँ।”
और उसके बाद रवि ने अपनी माँ को कैसे चोदा और फिर हम दोनों ने साथ-साथ उसकी चूत को कैसे छठी का दूध याद दिलाया, ये अगली कहानी में बताऊँगा।
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