Free XXX Garam Kahani
नंगी औरत सेक्स स्टोरी मेरा नाम प्रकाश है, मैं एक सरकारी अधिकारी हूँ. एक बार मेरा तबादला एक साल के लिए लखनऊ में हुआ। वहाँ मैंने किराए पर एक मकान ले लिया था। उस मकान में कुल तीन सदस्य थे – एक रिटायर्ड बुजुर्ग, उनकी तलाकशुदा 32 वर्षीय बेटी उर्मिला, और एक 38 वर्षीय घरेलू नौकरानी। उनके मकान में 5 कमरे, एक बड़ा आँगन, और रसोईघर था। Free XXX Garam Kahani
एक कमरा उन्होंने मुझे किराए पर दे रखा था। मैं उन्हें खाने के साथ 1500 रुपये किराया देता था। कुछ ही दिनों में हम आपस में घुल-मिल गए थे। उर्मिला जब भी मुझे देखती या बातें करती, तो मैं उसकी आँखों में वासना की झलक देखता था। मैंने कई बार उसे नहाते वक्त बाथरूम के की-होल से नग्न देखा था।
उसके मोटे-मोटे, बड़े-बड़े चूतड़ और स्तन देखकर मेरा लंड हमेशा पैंट या लुंगी में खड़ा हो जाता था। उसका कमरा मेरे कमरे के बगल में था, और हमारे कमरों के बीच एक साझा शौचालय था, जिसमें दो दरवाजे थे—एक उसके कमरे में खुलता था, दूसरा मेरे कमरे में।
एक रात अचानक मेरी आँख खुली। मैं पेशाब करके वापस आ रहा था, तभी उसके कमरे से मुझे कुछ फुसफुसाहट की आवाजें सुनाई पड़ीं। जिज्ञासावश मैंने उसके कमरे की खिड़की से देखा, तो वह अपनी चूत में खीरा डालकर पेल रही थी। उसकी आँखें बंद थीं।
वह आहिस्ता-आहिस्ता कह रही थी, “उफ्फ्फ, प्रकाश, आओ, चोदो मुझे, मैं कब से प्यासी हूँ… उफ्फ, चोद डालो, प्रकाश!” यह सब देखकर और सुनकर मेरा लंड भी हरकत में आ गया। मैं वापस आकर सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन नींद मेरी आँखों से गायब हो चुकी थी।
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अब मैं उर्मिला को चोदने का प्लान बनाने में जुट गया, लेकिन कोई मौका नहीं मिला। शनिवार की रात, पिक्चर देखकर करीब 10 बजे घर पहुँचा, तो देखा कि उर्मिला अपने पिताजी के कमरे की खिड़की से अंदर झाँक रही थी। मैं भी दबे पाँव उसके पीछे जाकर अंदर का नजारा देखा, तो दंग रह गया।
अंदर कमरे में उर्मिला के पिताजी का लंड उनकी नौकरानी मुँह में लेकर खूब चाट और चूस रही थी। यह देखकर मेरा लंड बेकाबू हो गया। अचानक उर्मिला मुड़ी और मुझे अपने सामने पाकर शर्माते हुए अपने कमरे में चली गई। मैं भी अपने कमरे में चला आया।
कमरे में आकर मैंने व्हिस्की पी। करीब 11:30 बजे रात को मुझे भूख लगी, तो मैं रसोईघर गया। रसोई में उर्मिला थी। उसने शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहन रखी थी। मुझे देखते हुए वह बोली, “प्रकाश, क्या अभी तक सोए नहीं?” मैंने कहा, “अंकल जी और नौकरानी का नजारा देखकर नींद कहाँ आएगी?”
उर्मिला ने कहा, “बात तो तुम्हारी सही है, मुझे भी नींद नहीं आ रही थी और भूख लगी, तो रसोईघर में आ गई।” वह फ्रिज की ओर बढ़ गई। “प्रकाश, तुम्हें कुछ चाहिए?” मैंने कुछ जवाब दिए बिना उसकी ओर बढ़ा और उसे कमर से पकड़ लिया। “मुझे तुम्हारी ये प्यारी चूत चाहिए, जिसे तुमने छुपा रखा है,” मैंने अपनी हथेली को उसकी चूत पर रगड़ते हुए कहा।
“प्रकाश, रुक जाओ, पिताजी अभी सोने गए हैं यहाँ से,” उसने कहा।
मैंने उसकी शॉर्ट्स और पैंटी खींचकर नीचे कर दी। “फिर तो अब वो सुबह तक वापस आने वाले नहीं हैं,” मैंने उत्तेजित होते हुए कहा। मैंने उर्मिला को अपनी ओर खींचा और अपने हाथ उसकी जाँघों के अंदरूनी हिस्सों पर फिराने लगा। उसकी चूत को सहलाते हुए मैंने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर डाल दीं।
“ओह्ह्ह्ह प्रकाश,” उर्मिला का जो विरोध था, वह भी अब जाता रहा। मैंने उर्मिला को घुमा दिया, जिससे उसके चूतड़ अब पीछे की ओर हो गए। मैंने अपनी शॉर्ट्स की जिप खोली और अपने लंड को बाहर निकाल लिया। बिना हिचकिचाए मैंने अपने लंड को उसके चूतड़ों की दरार में से उसकी चूत के अंदर डाल दिया।
उर्मिला की चूत से उठती गर्मी उसे अच्छी लग रही थी, साथ ही उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा मूसल जैसा बड़ा और चौड़ा लंड आराम से अंदर चला गया। मैं अब उर्मिला के चूतड़ पकड़कर अपने लंड को उसकी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था। उर्मिला ने दोनों हाथों से फ्रिज को पकड़ रखा था, ताकि वह गिर न जाए।
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फिर मैंने उसके कूल्हों को पकड़कर जोर-जोर से धक्के लगाए। उर्मिला भी अपने कूल्हों को आगे-पीछे कर मेरे धक्कों का साथ दे रही थी। “ओह, प्रकाश, कितना अच्छा लग रहा है, हाँ, और जोर से चोदो मुझे,” उर्मिला सिसक रही थी। मेरे धक्के इतने तीव्र थे कि फ्रिज भी हिलने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“प्रकाश, चलो, सोफे पर चलते हैं,” उर्मिला ने धीरे से कहा। मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया। उर्मिला अपनी साँसें संभालते हुए सोफे की ओर बढ़ गई। उसने अपनी शॉर्ट्स और पैंटी वहीँ फ्रिज के पास उतार दी थी। उर्मिला ने देखा कि मैं सोफे पर बैठा अपने लंड को सहला रहा था।
“उर्मिला, यहाँ आओ और मेरे लंड पर चढ़ जाओ,” मैंने कहा। वह मेरे पास आई और अपनी टाँगें मेरी टाँगों के इर्द-गिर्द कर मेरी गोद में बैठ गई। फिर उसने थोड़ा ऊपर होते हुए मेरे लंड को अपनी चूत पर लगाया और नीचे होते हुए मेरे लंड को पूरा अपनी चूत में ले लिया।
“हाँ, मैं यही कह रहा था, तुम जब इस तरह लंड को लेती हो, तो वह तुम्हारी चूत की जड़ तक चला जाता है, ओह्ह हाँ, ऐसे ही,” मैं सिसक पड़ा। उर्मिला को भी मेरा लंड बहुत अच्छा लग रहा था। वह उछल-उछलकर लंड को अपनी चूत में ले रही थी। अब वह घूमकर इस तरह बैठ गई कि उसका चेहरा मेरे सामने था।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियाँ पकड़कर मसलने लगा। उर्मिला ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रखकर उन्हें चूसने लगी, साथ ही उसने अपनी चूत को इस तरह जकड़ा कि मेरे लंड ने उसी समय पानी छोड़ दिया। “ओह्ह्ह उर्मिला, तुम्हारी चूत बहोत कस्सी है, मेरा तो छूट गया,” मैं बड़बड़ा रहा था।
उर्मिला ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और गोल-गोल घुमाने लगी, साथ ही वह जोरों से उछलकर धक्के लगा रही थी। “ओह्ह्ह उर्मिला, हाँ, और जोर से,” कहकर मैंने उसकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया। “ओह्ह्ह प्रकाश, आह ओह्ह्ह्ह,” उर्मिला की चूत ने भी पानी छोड़ दिया।
तभी हमें किसी के कदमों की आहट सुनाई दी। उर्मिला उछलकर मेरी गोद से उतरी और मेरे बगल में बैठ गई। उसे अपनी पैंटी कहीं दिखाई नहीं दी, इसलिए उसने अपनी टाँगें सिकोड़कर वैसे ही सोफे पर बैठ गई। उसने अपनी टी-शर्ट को इस तरह ढँप लिया, जिससे उसकी चूत दिखाई न दे।
मैंने भी जल्दी से अपनी पैंट ऊपर खींचकर पहन ली। उनके पिताजी ने कमरे में कदम रखा। उन्होंने केवल अपना नाइट गाउन पहन रखा था। “पिताजी, आप इस समय यहाँ क्या कर रहे हैं?” उर्मिला ने डरते हुए पूछा। उनके पिताजी कुछ नींद में थे।
“बेटा, बस अपने लिए एक और ड्रिंक लेने आया था। पता नहीं क्यों, आज नींद नहीं आ रही। हाँ, और मेरा चश्मा भी यहीं भूल गया था, हाँ, वो रहा!” कहकर वे किचन की ओर बढ़ गए।
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“नमस्ते, अंकल जी,” मैंने कहा।
“ओह, प्रकाश बेटा, मैं तो समझा था कि आज तुम्हारी नाइट शिफ्ट है…” मैं और पिताजी कुछ बातों में लगे हुए थे। तभी उर्मिला ने महसूस किया कि मेरा वीर्य उसकी चूत से होता हुआ उसकी टाँगों पर बह रहा है। उसने अपनी टी-शर्ट से ढकने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसने देखा कि उसकी टी-शर्ट पर एक सफेद दाग-सा बनता जा रहा था।
तभी उसे याद आया कि उसकी पैंटी वहीँ फ्रिज के सामने जमीन पर पड़ी है। जब उसने अपने पिताजी को फ्रिज की ओर बढ़ते देखा, तो एक सर्द लहर-सी उसकी रगों में दौड़ गई। उनके पिताजी फ्रिज की ओर बढ़े और अपनी ड्रिंक बनाने लगे। उर्मिला ने मेरी ओर देखा।
मैं मुस्कुराते हुए अपनी घबराहट छुपाने की कोशिश कर रहा था। मैंने देखा कि मेरा वीर्य किस तरह उर्मिला की टाँगों पर बह रहा था। “ठीक है, बच्चों, अब मैं सोने जा रहा हूँ,” कहकर पिताजी कमरे से चले गए। “हाय भगवान, आज तो बड़ी मुश्किल से बच गए!” मैंने कहा।
उर्मिला खिसककर मेरी बाहों में आ गई और घुटनों के बल मेरे सामने बैठ गई। उसने मेरी पैंट की जिप खोलकर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया। मेरा लंड पूरी तरह खड़ा नहीं था, लेकिन जैसे ही उसने उसे मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, वह अपनी पूरी लंबाई में तन गया।
उर्मिला मेरे चेहरे को देखते हुए अपना सिर ऊपर-नीचे कर मेरे लंड को जोरों से चूस रही थी। मैं प्यार से उसके बालों में हाथ फेर रहा था और उस वक्त का पूरा मजा ले रहा था। उर्मिला ने मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर निकाला और उसे ऊपर से नीचे तक चाटने लगी।
वह अपनी जीभ से मेरे लंड के छेद को छेड़ती और फिर अपनी जीभ ऊपर से नीचे तक ले जाकर मुझे छेड़ रही थी। “डार्लिंग, तुम्हारे लंड का स्वाद आज कुछ ज्यादा ही खारा है,” उर्मिला ने मेरे लंड को चाटते हुए कहा। “हो सकता है, गर्मी की वजह से पसीना कुछ ज्यादा आ गया होगा,” मैंने जवाब दिया।
उर्मिला मेरे लंड को चाटते हुए अपनी जीभ मेरी गुदा के छेद पर फिराने लगी। “म्म्म्म, मजा आ रहा है,” उसने कहा। “तुम्हें नंगा देखकर मुझे अच्छा लग रहा है,” उर्मिला ने कहा। “चलो, आओ, अब चूत में अपना लंड डालकर मुझे जोरों से चोदो,” वह सिसकते हुए बोली।
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मैं उछलकर उसकी टाँगों के बीच पहुँच गया। लेकिन अपना लंड उसकी चूत में डालने के बजाय मैं पहले उसकी चूत चूसना चाहता था। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के मुँह पर फिरानी शुरू की। मैंने दोनों हाथों से उसकी चूत को थोड़ा फैलाया और अपनी जीभ उसके अंदर-बाहर करने लगा।
“ओह्ह्ह हाँ, चाटो, ऐसे ही, बहुत अच्छा लग रहा है,” उर्मिला सिसक पड़ी। अब मैं उसकी चूत को मुँह में भरकर चूस रहा था। साथ ही मैं अपनी जीभ उसकी चूत में गोल-गोल घुमा रहा था। “ओह्ह्ह हाँ, और चूसो, और जोर से!” उर्मिला की चूत बहुत ही प्यारी और रसभरी थी।
मैं कसकर उसकी चूत को चूस रहा था। उसकी चूत से बहते रस का स्वाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उसकी चूत को चूसते हुए मैंने अपनी एक उंगली उसकी गुदा के छेद पर घुमानी शुरू की। फिर मैंने धीरे से उंगली को अंदर डाल दिया। फिर धीरे से बाहर खींचकर फिर अंदर पेल दी।
अब मैं अपनी उंगली को उसकी गुदा के अंदर-बाहर कर रहा था। “हाँ, चूसो, और जोर से चूसो और मेरा पानी छुड़ा दो,” उर्मिला उत्तेजना में अपने कूल्हे उठाकर सिसक रही थी। उर्मिला की चूत पानी छोड़ने लगी। उसकी चूत ने इतना पानी छोड़ा कि रस बहकर उसकी गुदा तक आ गया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मेरी उंगली और आसानी से अंदर-बाहर होने लगी। अब मैं उसकी चूत को चूसते हुए हल्के-हल्के दाँतों से काटने लगा। उर्मिला और उत्तेजित हो गई। कामेच्छा में वह अपनी टाँगें इधर-उधर हिला रही थी। उर्मिला ने मेरे बालों को पकड़ा और मुझे अपने ऊपर खींच लिया।
“ओह्ह राजा, अब मैं नहीं रुक सकती। अपने मोटे और लंबे लंड को मेरी चूत में डालकर मुझे जोरों से चोदो,” उसने कहा। मैंने उसकी दोनों चूचियों को पकड़ा और उसकी आँखों में देखते हुए अपने लंड को उसकी चूत पर रख दिया। मैंने हल्के से जोर लगाया, तो मेरा लंड उसकी चूत में इस तरह घुस गया, जैसे चाकू मक्खन में घुसता है।
मैंने और थोड़ा जोर लगाया, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। उर्मिला ने अपनी चूत की मांसपेशियों को इस तरह जकड़ा कि मेरा लंड उसकी चूत की गिरफ्त में था। एक अनोखे आनंद से मेरा शरीर भर गया। उसकी चूत कितनी गर्म और गीली थी। मैंने हल्के-हल्के धक्के लगाकर उसे चोदना शुरू किया। उसकी चूचियों को मसलते हुए मैं अब पागलों की तरह उसे चोद रहा था।
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मेरे हर धक्के का साथ वह अपने कूल्हों को उछालकर दे रही थी। “ओह्ह्ह हाँ, चोदो, और जोरों से, ओह्ह्ह, फाड़ दो मेरी चूत को आज, हाँ, ऐसे ही चोदो!” “ओह्ह्ह उर्मिला, तुम्हारी चूत कितनी अच्छी है, ओह्ह्ह, मेरा तो छूटा,” बड़बड़ाते हुए मेरे लंड ने वीर्य की फुहार उसकी चूत में छोड़ दी। उर्मिला ने मुझे कसकर अपनी बाहों में भर लिया और अपने कूल्हों को और ऊपर उठाकर मेरे लंड को अपनी चूत की जड़ तक ले लिया। “हाँ, चोद दो, अपना पानी भर दो मेरी चूत को आज, ओह्ह्ह!”
हम दोनों थके-निढाल पड़े हुए थे। उर्मिला मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ बड़े प्यार से फेर रही थी। दोनों का बदन पसीने से भर गया था और साँसें तेज हो गई थीं। जब दोनों की साँसें थोड़ी संभलीं, तो उसने मुझे अपने से अलग किया। मेरा लंड अभी भी खड़ा था। उसने अपनी उंगली अपनी चूत में डाली और मेरे वीर्य को लेकर चाटने लगी। “बहुत ही अच्छा स्वाद है तुम्हारे वीर्य का,” उसने कहा। मैं केवल मुस्कुरा दिया। अब जब भी मौका मिलता, मैं खूब जमकर चुदाई करता था।
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