Mota Haryanvi Lund
मेरा नाम अमीषा है और मैं एक अमीर घर की बेटी और बहू हूं। मैं शादीशुदा हूं और एक बेटी और एक बेटे की मां हूं। मेरी आयु 28 साल और कद 5 फीट 7 इंच है। मेरा रंग काफी गोरा और फिगर बहुत सेक्सी है। मुझे शुरू से ही लड़कों और मर्दों में बहुत दिलचस्पी रही है और अब भी है लेकिन मुझे मोटे लंड ज्यादा अच्छे लगते हैं इसी वजह से मैंने ज्यादा चुदाई इंडियन लड़कों एवं मर्दों से की है। Mota Haryanvi Lund
हरियानवी लड़के और मर्दों की चुदाई की तो मैं दीवानी हूं। हरियानवी लड़कों एवं मर्दों के लंड शानदार होते हैं और चुदाई भी बहुत ही अच्छी करते हैं। मैं अभी तक बहुत हरियानवी लड़कों एवं मर्दों के साथ चुदाई कर चुकी हूं और मुझे गांड चुदाई भी बहुत अच्छी लगती है।
मुझे वीर्य पीना बहुत पसंद है, गर्म गर्म वीर्य का नमकीन सवाद और इसकी महक से मैं पागल सी हो जाती हूं। इसके अलावा जब गर्म गर्म वीर्य मेरी गांड के छेद की गहराई में गिरता है तो मुंझे जंनत में होने का एहसास होता है। हरियानवी लड़कों एवं मर्दों से चुदाई इसलिए भी पसंद है.
क्योंकि ये एक बार चुदाई के बाद दूसरे राऊंड के लिए जल्दी तैयार हो जाते है और बारी बारी मुंह, फुद्दी और गांड में वीर्य गिरा कर मेरी कम अग्नि को बहुत अच्छे से शांत करते हैं। मेरी पहली चुदाई भी एक हरियानवी मर्द से ही हुई थी। ये बात तब की है जब मैं बारहवीं के बाद बीए में कॉलेज़ में दाखिला लिया था।
तब मैं 18 साल की थी और तब भी मेरा बदन भरा हुआ था। मेरे गांव से कॉलेज करीब 24 किमी था और मैं बस में जाती थी। बस में भीड़ होने से कभी सीट नहीं मिलती थी और खड़े होकर ही आना जाना पड़ता था। हमारे गांव से एक ही बस शहर आती जाती थी। मैं सुबह उसी बस से जाती और वापिस भी उसी पर आती थी।
तब मेरी फिगर का साईज़ 34डी-26-36 था। पहले मैं मोटी थी लेकिन रोज़ कसरत करके मैंने अपना पेट सपाट किया और फिगर को सेक्सी बनाया। जब मैं स्कूल में थी तो सब मुझे मोटी कहते थे लेकिन अभी मोटी कहने वाले लड़के मेरी सेक्सी फिगर के दीवाने थे।
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मैं अब भी रोज़ कसरत करती हूं ताकि मेरी फिगर ऐसे ही सेक्सी बनी रहे। अब कहानी पर वापिस आते हैं। जब मैं बस में सफर करती तो बहुत से मनचले लड़के और मर्द मेरे पीछे खड़े होकर जींस के ऊपर से मेरी गांड सहलाते या पीठ पर हाथ फेरते कुछ तो बूब्ज़ भी दबा देते या मेरी भरी हुई जांघों को सहलाते।
कई बार तो कुछ लड़के या मर्द मेरे टॉप या शर्ट में हाथ डालकर मेरी पीठ, पेट पर भी हाथ फेर देते या बूब्ज़ दबा देते। कई बार बस के ब्रेक लगने पर या ज्यादा भीड़ का बहाना करके मेरी गर्दन को चूम भी लेते। उनकी हरकतों से मैं बहुत गर्म हो जाती और घर आकर फुद्दी रगड़ कर गर्मी निकालती।
उस बस का कंडक्टर करीब 45 साल का हरियानवी मर्द था। उसका नाम सुभाष सिंह और कद करीब 6 फीट था। दिखने में बहुत हट्टा कट्टा और सुंदर था। उसकी आंखें भूरी और बाल काले थे। उसका रंग गोरा और चेहरा क्लीन शेव था। उसकी आंखों में चमक थी और चेहरे पर लाली थी।
जब टिकिट काटने केलिए आगे पीछे जाते टाईम मेरे बदन को छूता तो मुझे बहुत अच्छा लगता था। उसकी चौडी़ छाती और सुडौल जिस्म की तरफ मैं खींची जाती। एक दिन मैं बस में चढी़ तो बहुत भीड़ थी तो ठीक से खड़ी होना भी मुश्किल था तभी उसने मुझे अपनी सीट पर बैठा दिया जो उसकी कंडक्टर सीट थी। उस दिन पहली बार सीट पर बैठ कर गई।
दूसरे दिन उसने कंडक्टर सीट के साथ वाली सीट खाली रखी और मुझे बैठा दिया। टिकिट काटने के बाद वो मेरे साथ बैठ गया और हम बातें करने लगे। उसने मेरा नाम पूछा और मैंने अमीषा बता दिया और एक-दूसरे के बारे पूछते बताते हम शहर पहुंच गए। जब मैं उतरने लगी तो उसने मुझे कहा आज से ये सीट तुम्हारी हुई।
वापिस आते हुए भी हम दोनों साथ साथ बैठ गए। हम एक-दूसरे से बिल्कुल सटकर बैठे हुए थे और वो अपनी टांग हिलाकर मेरी जांघ अपनी जांघ से सहलाने लगा। कुछ देर बाद उसने अपना हाथ मेरी जांघ पर रख दिया। उसका मुझे ऐसे छूना मुझे अच्छा लग रहा था तो मैंने भी हाथ नहीं हटाया। सारी रात मुझे उसका स्पर्श याद आता रहा और मैंने सोच लिया उसको कैसे भी पटाना है।
अगले दिन मैं सीट पर बैठ गई और वो भी साथ बैठ गया। मैंने उसको कहा सुभाष जी थैंक्स आप मेरे लिए सीट रखते हो। उसने कहा मैंने तो दोस्त समझ कर सीट रखी है अगर तुम भी दोस्त समझती हो तो सुभाष नहीं सिर्फ सुभाष कहना और आप की जगह तुम।
मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा तो उसने कहा ये बात सही है कि मैं आयु में तुमसे बहुत बड़ा हूं लेकिन दोस्ती में आयु नहीं देखी जाती बाकी तुम्हारी मर्जी जो सही लगे पर सीट मिलती रहेगी। मैंने कहा ऐसी बात नहीं सुभाष मैं तो खुश हो रही थी कि तुम जैसा दोस्त मिला मेरे पास बोलने को शब्द नहीं थे तो ऐसे देख रही थी।
मैं उसको टिकिट केलिए पैसे देने लगी तो बोला मैं अपने दोस्त से टिकिट के पैसे नहीं ले सकता तो मैंने कहा अगर बस के मालिक को पता चला तो गलत हो जाएगा कि आप मुझे बिना टिकिट के सफर करवाते हो। तो वो हंसने लगा तब पता चला कि वही उस बस का मालिक है। उसने मुझसे एक पासपोर्ट फोटो मांगी जो मेरे पास थी।
उसने वहीं बैठे बैठे एक फार्म पर लगा कर दे दी और कहा हमारी 8 बसें हैं कभी भी और किसी हमारी बस में बैठो तो ये दिखा देना टिकिट नहीं लगेगी। मैंने उसको थैंक्स बोला। उसने कहा अभी तक आप मुझे दोस्त नहीं मानती मैंने कहा क्या हुआ तो बोला दोस्ती में सॉरी और थैंक्स नहीं बोलते।
फिर उसने कहा क्या एक और फोटो मिल सकती है। मैंने पूछा क्यों तो उसने कहा पास रखने केलिए जब याद आए तो देख सकूं। मैंने उसको स्माईल दी और किट से फोटो निकाल कर दे दी। अब कुछ ही दिनों में हम एक-दूसरे से बहुत खुल गए और एक-दूसरे के बारे सब जान गए।
उसका अपनी पत्नी से तालाक हो गया था और उसने दोबारा शादी नहीं की थी। उसका घर पंजाब में था पर यहीं शहर में बस स्टैंड के पास एक फ्लैट में रहता था अकेला। मैंने उससे पूछा फिर शादी क्यों नहीं की तो बोला उसको आजादी से रहना है तो शादी नहीं की।
मैंने पूछा जब अकेलापन होता है तो क्या करते हो। उसने मेरी तरफ देखा और कहा वैसे मैं किसी को नहीं बताता लेकिन तुम मेरी दोस्त हो तो बता रहा हूं। उसने बताया कि उसके पास वाले फ्लैट में एक औरत है जिसका पति यूएस गया हुआ है। रात को वो आ जाती है और अकेलापन दूर हो जाता है।
मैंने कहा तुम बहुत चालू हो यार तो बोला उसको मर्द की जरूरत है मुझे औरत की तो एक-दूसरे की जरूरत पूरा करते हैं। ऐसे बातें करते करते महीने से ऊपर बीत गया। एक दिन मैंने नोट किया कि वो तीन चार दिन से काफी उदास है और ज्थादा बात नहीं करता। पहले हर टाईम हंसता हुआ चेहरा अब जैसे खुश होना भूल गया।
मैंने उससे उदासी की वजह पूछी तो उसने कहा कुछ नहीं अमीषाजो किस्मत में लिखा है वही होता है। मैंने जोर देकर पूछा तो उसने बताया कि वो औरत अपने पति के पास चली गई है उसको अच्छा नहीं लग रहा अब उसका सेक्स में साथ देने वाली कोई नहीं है अब रात को शराब पीकर सो जाता है। मुझे भी बहुत बुरा लगा और उदास हो गई।
इससे पहले मैं कुछ कहती हमारा गांव आ गया। घर आकर मैं उसके बारे सोचने लगी सोचते सोचते मुझे ख्याल आया कि क्यों न मैं उससे चुदाई कर लू़ं। ये सोचते ही मेरी फुद्दी गीली होने लगी और उसके साथ चुदाई के ख्यालों में खो गई। मैंने सोच लिया कल उसके साथ चुदाई करुंगी।
मैंने बाथरूम में जाकर अपनी फुद्दी के बाल साफ किए और बदन के बाकी अनचाहे बाल भी निकाल दिए। रात को मैंने उसको फोन किया और पूछा क्या वो कल छुट्टी लेकर अपने घर रह सकता है मुझे कोई जरूरी बात करनी है। उसने हां बोल दी और मैंने सुबह 9 बजे उससके घर आने का वादा किया।
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उसने पूछा कैसे आओगी तो मैंने कहा बस से। ये सुनकर बोला बस से रहने दो तुम्हारे गांव के बस स्टैंड के आगे जो कच्चा सुनसान रास्ता है वहां आ जाना मैं कर से ले जाऊंगा। मैंने हां बोल दिया। दूसरे दिन मैं घर से तैयार होकर निकल आई। मैंने हरे रंग की टाईट शर्ट, काली जींस और काले हाई हील के सैंडिल पहने हुए थे और नीचे से हरा हॉफ ब्रा और हरी सट्रिप वाली पैंटी पहनी हुई थी।
पर्स में लाल लिप्सटिक, आई शैडो और काजल ले लिया। मैं थोडा़ लेट चली ताकि बस निकल जाए। जब मैं बस स्टॉप पहुंची तो बस निकल चुकी थी और वहां कोई नहीं था। मैं कच्चे रासते तक पहुंच गई वहां सुभाष कार में वेट कर रहा था। मैं कार में बैठ गई और हम उसके घर की तरफ चलने लगे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उसने मुझसे पूछा क्या काम है तो मैंने कहा घर तो चलो फिर बताती हूं। कुछ देर बाद हम उसके फ्लैट में पहुंच गए अंदर आते ही मैंने बाथरूम कहां है पूछा। मैंने आइने के सामने खड़ी होकर लिप्सटिक आई शैडो और काजल लगाया। फिर मैंने अपने बाल खुले छोड़ लिए और नज़र का चश्मा आंखों पर लगा लिया।
तैयार होकर मैं बाहर निकली और वो मुझे देखता ही रह गया। मैंने कहा क्या देख रहे हो पहले कभी देखा नहीं क्या। तो सुभाष बोला देखा तो है लेकिन आज एकदम आईटम लग रही हो। मैं हंस पड़ी और कहा आईटम दिखने केलिए ही तो शिंगआर किया है।
सुभाष ने कहा अब तो बताओ काम क्या है तो मैंने कहा सुभाष तुम हर रोज मेरे बदन को छूते थे कभी जांघों पर कभी पीठ पर कभी कहीं पर मुझे उसकी आदत हो गई है लेकिन पिछले कुछ दिनों से तुमने छुया नहीं है तो वो काम है। सुभाष ने कहा अच्छा तो ये बात है लो अभी छू देता हूं।
मैंने कहा ऐसे नहीं आज पूरी तरह एक एक कपड़ा निकाल कर और आज से मुझे अपनी पत्नी समझना पडे़गा। सुभाष ने हैरानी से मेरी तरफ देखा तो मैंने कहा मैं बहुत दिनों से ये बात कहना चाहती थी लेकिन तुम्हारी जिंदगी में दूसरी औरत थी तुम मना न कर दो तो कह नहीं सकी लेकिन मैं तुम्हें बहुत पसंद करती हूं मुझे तुम चाहिए।
सुभाष को समझ नहीं आ रही थी वो क्या करे उसने जेब से सिगरेट का पैकेट निकाला लेकन उसमें सिगरेट नहीं थी। मैंने कहा क्या हुआ तो बोला तुम मुझसे बहुत छोटी हो। मैंने अपने पर्स से सिगरेट निकाल कर उसको दी और लाईटर से सिगरेट सुलगाते हुए कहा दोस्ती आयु नहीं देखती और प्यार भी नहीं देखता।
सुभाष ने कहा ये बात नहीं है तुम मुस्लिम हो और मैं हरियानवी अगर किसी को पता चला तो बहुत बड़ी दिक्कत हो सकती है। मैंने कहा प्यार में कोई मजहब नहीं होता और किसी को कभी पता नहीं चलेगा और प्यार करने वाले डरते नहीं हैं। उसने कहा तुम पति पत्नी होने की बात कर रही हो आज नहीं तो कल पता चल ही जाएगा कि हमने शादी की है। मैं हंसने लगी और उसने हंसने की वजह पूछी।
मैंने कहा अरे बुद्दू शादी नहीं सिर्फ पति पत्नी समझेगैं वो भी अकेले में। मैं चुदाई की आग में जल रही हूं और तुम भी। आज नहीं तो कल तुम्हें नई फुद्दी मिल जाएगी और मुझे लंड क्यों न हम दोनों एक-दूसरे की जरूरत पूरी करें। और दोस्त होते किस के लिए हैं एक-दूसरे को खुश रखने के लिए। मुझे लंड की जरूरत है तुझे फुद्दी की क्यों न हम एक-दूसरे को खुशी दें।
मैं उसके पास गई और होंठों को चूम लिया। उसने शर्ट के ऊपर से मेरे बूब्ज़ पकड़ कर दबाते हुए कहा अमीषा जब से तुझे देखा है मुझे तुम्हारे बूब्ज़ और गांड बहुत सेक्सी लगती हैं मैं कब से तुझे चोदना चाहता था। उसने मुझे पूछा क्या पहले भी कभी सेक्स किया है।
मैंने कहा नहीं तो बोला वाह री किस्मत आज तो सीलबंद माल चोदने को मिलेगा। मैंने कहा जरा आराम से करना मैंने सुना है पहली चुदाई के टाईम दर्द होता है। सुभाष ने कहा घबरा मत अमीषा मैं खेला खाया हूं बस एक बार थोडा़ सा दर्द होगा फिर मजा ही मजा आज तेरी फुद्दी के साथ साथ तेरी गांड भी खोल दूंगा।
मैंने कहा गांड नहीं तो बोला डर मत पगली गांड में ही उतना मजा ही आएगा बस लंड अंदर डालते टाईम थोडा़ सा दर्द होगा जितना फुद्दी में होगा अगर थोडी़ शराब पी सकती हो तो और भी ज्यादा मजा आएगा। मैंने कहा नेकी और पूछ पूछ कर मैं तो अभी कहने ही वाली थी कि शराब तो पिला दो।
सुभाष ने पूछा क्या शराब पीती हो तो मैंने कहा हां घरवालों से चोरी रोज पीती हूं। हमनें शराब पी और सिगरेट पी, हमें नशा होने लगा तो मैंने बैडरूम में चलने को कहा। सुभाष ने मुझे गोद में उठा लिया और मेरे होंठों को चूमता हुआ बैडरूम ले गया।
उसने मुझे बैड पर बैठा दिया और मैंने रूम को देखा। रूम में डबल बैड, सोफा, टेबल, एक एलसीडी और एक डीवीडी प्लेयर थे। उसका रूम एसी था बाहर बहुत गर्मी थी लेकिन रूम में ठंडक थी। उसने एक पोर्न मूवी चला दी और कहा तुम पहली बार सेक्स कर रही हो तो पहले ये देख लो।
वैसे मैंने पहले भी बहुत बार पोर्न मूवी देखी थी लेकिन उस दिन बहुत ध्यान से देखी। उसमे एक लड़का और एक लड़की थे। पहले वो एक-दूसरे के जिस्म का मजा लेते हैं फिर लड़की लड़के का लंड चूसती है और लड़का लड़की की फुद्दी चाटता है।
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फिर फुद्दी चुदाई करते हैं फिर लड़का लड़की की गांड के छेद में क्रीम लगाता है और लड़की उसके लंड पर फिर गांड चुदाई करते हैं। लड़का बहुत मजे से अलग अलग अवस्था में लड़की की फुद्दी और गांड में लंड डालकर चुदाई करता है और लडपूरे जोश में उछल उछल कर मस्ती में चीख चीख कर लंड का मजा लेती है।
मैंने सोचा था अगर सुभाष गांड चुदाई को कहेगा तो मना कर दूंगी लेकिन मूवी देखने के बाद इस कदर गर्म हो गई कि गांड में भी लंड की खुजली होने लगी। मेरे मूवी देखते देखते सुभाष कंडोम ले आया और मैंने कंडोम का पैकेट पकड़ कर फेंक दिया और कहा ऐसे ही करेंगे।
उसने मुझे एक लाल रंग की गोली दी जो दिल के आकार की थी और मुझे खाने को कहा। मैंने उससे पूछा ये क्या है तो वो बोला ये सेक्स की गोली है ये खाकर जम कर चुदाई करेंगे। एक गोली उसने शराब से खा ली और एक गोली मैंने शराब के साथ ले ली।
सुभाष सोफे पर बैठ गया और मैं सेक्सी अंदाज से चलते हुए उसके पास गई और गोद में बैठ गई। मैं सुभाष का लंड अपनी गांड से मसलने लगी। उसका लंड एक दम तना हुआ था। उसने भी जींस पहनी हुई थी और मैंने भी लेकिन फिर भी उसका लंड मेरी गांड पर चुभ रहा था।
सुभाष ने पीछे से मेरे शर्ट के ऊपर से बूब्ज़ पकड़ लिए और मेरी गर्दन चूमते हुए मेरे बूब्ज़ दबाने लगा। आज मैं पहली बार किसी मर्द की गोद में ऐसे बैठी थी और आज पहली बार ही कोई मर्द ऐसे खुलम खुला मेरे बूब्ज़ दबा रहा था। तभी सुभाष ने कहा अमीषा मैंने एक से बढ़कर एक लड़कियां देखी हैं लेकिन भगवान कसम तेरे जैसी हॉट फिगर वाली लड़की पहले कहीं नहीं देखी।
उसने एक एक करके मेरी शर्ट के बटन खोल दिए और मेरे चिकने पेट को सहलाते हुए ब्रा के ऊपर से मेरे बूब्ज़ दबाने लगा। जैसे जैसे वो मेरे बूब्ज़ दबा रहा था वैसे वैसे उसके लंड की कसावट और ज्यादा हो रही थी। कुछ देर बाद सुभाष ने कहा अमीषा खड़ी हो जा मुझे पैंट निकालनी है नहीं तो मेरा लंड पैंट फाड़कर बाहर आ जाएगा।
वो पैंट निकालने लगा तो मैंने कहा मैं निकालूंगी तुम मेरे कपड़े निकालना। मैं घुटनों के बल नीचे बैठ गई और उसकी पैंट का बटन खोलकर पैंट निकाल दी। अंडरवियर में उसके लंड ने तंबू बना रखा था। मैंने उसका अंडरवियर भी खींच कर निकाल दिया। उसका लंड मेरी आंखों के सामने फनफना रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने पहली बार किसी मर्द का लंड देखा था। उसका लंड काफी मोटा तगड़ा और लंबा था। मैंने उसके लंड को पकड़ लिया और सुपाडे़ से चमड़ी पीछे की। उसका लाल सुपाडा़ चमक रहा था। मैं उसको लंड को हिलाते हुए गौर से देखने लगी और मैंने उससे कहा सुभाष तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा और लंबा है ये मेरी फुद्दी में कैसे जाएगा।
सुभाष ने कहा जब लंड और फुद्दी का मिलन होता है तो फुद्दी अपने आप लंड को रास्ता देती है। मैंने फिर पूछा क्या लंड जाने के बाद मेरी फुद्दी का छेद इतना खुला हो जाएगा तो सुभाष बोला अरे पगली लंड निकलने के बाद छेद अपने आप उसी जगह आ जाएगा। मुझे उसका लाल सुपाडा़ बहुत प्यारा लगा और मैंने उसको चूम लिया।
मैं खड़ी हो गई और सुभाष ने मेरी शर्ट निकाल दी और ब्रा की हुक खोलकर ब्रा भी निकाल दी। मैंने उसकी शर्ट के बटन खोलकर उसकी शर्ट निकाल दी। अब मैं उसके सामने ऊपर से बिल्कुल नंगी खड़ी थी नीचे जींस थी और वो बिल्कुल नंगा खड़ा था। उसने मेरे होंठों को चूमा और कहा तुम्हारा बदन तो कयामत है अमीषा।
मुझे पता नहीं क्या हुआ मैं एकदम से उसके जिस्म से चिपक कर उसको कसकर बाहों में भर लिया और उसने भी मुझे जोर से अपनी बाहों में जकड़ लिया। मेरे बूब्ज़ उसकी सुडौल छाती में गढे़ हुए थे और उसका लंड मेरे पेट पर नाभि के पास लगा हुआ था। हम दोनों एक-दूसरे से ऐसे सिमटे हुए थे कि हमारे बीच हवा भी नहीं निकल सकती थी।
कुछ देर हम ऐसे ही चिपके रहे फिर वो मेरे कंधों और गर्दन को चूमने लगा। एक तो मैं पहली बार किसी मर्द के नंगे जिस्म से ऐसे चिपकी थी दूसरा सेक्स की गोली का असर हो गया था मेरी फुद्दी गीली हो गई थी। मैं उसके कंधों और गर्दन पर चूमने लगी और जीभ से चाटने लगी।
मैंने उसके चेहरे को अपने हाथों से पकड़ कर अपने होंठ उसके होंठो से लगा दिए। हम एक-दूसरे के होंठों को चूमने लगे लेकिन कुछ ही देर बाद हम बहुत जोर से चूमने लगे। हम एक-दूसरे के होंठों को मुंह में भरकर खींच कर चूसते। कभी वो अपनी जीभ बाहर निकालता तो मैं मुंह में लेकर चूसती कभी मैं जीभ बाहर निकालती और वो मुंह में लेकर चूसता।
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हम एक-दूसरे के मुंह में जीभ डालकर एक-दूसरे के मुंह के अंदर से रसपान करते। अब वो बैड पर बैठ गया और मुझे अपने सामने खड़ी कर लिया। उसने मेरी जींस का बटन खोलकर जींस निकाल दी और मेरी सट्रिप वाली पैंटी देखकर बोला अमीषा तू तो चुदने को तैयार होकर आई थी।
मैंने सेक्सी स्माईल देकर कहा हां और वो पैंटी के ऊपर से मेरी फुद्दी मसलने लगा। मैं उसकी हरकत से मचल उठी। उसने मेरी पैंटी निकाल दी और फिर से सैंडल पहनने को कहा। मैं सैंडल पहन कर फिर उसके सामने खड़ी हो गई। उसने मेरे बूब्ज़ अपने हाथों में पकड़ लिए और दबाने लगा।
वो मेरे बूब्ज़ के निप्पलों को ऊंगली और अंगूठे के बीच में फंसा कर मसलता और फिर खींच कर छोड़ देता। मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था और उसके हाथ मेरे बूब्ज़ से खेल रहे थे। वो उसने मेरे बूब्ज़ को चूमा और मेरे बूब्ज़ के निप्पलों पर जीभ घुमाने लगा।
अपने बूब्ज़ पर उसके होंठों एवं जीभ का स्पर्श पाकर मेरे बदन में बिजली दौढ़ने लगी। वो मेरे बूब्ज़ को मुंह में लेकर चूसने लगा और मेरे मुंह से आहह आहहह की आवाजें निकलने लगीं। वो जोर जोर से मेरे बूब्ज़ दबाने लगा और मैं मस्ती में आहह आहह करती हुई उसके सिर को अपने बूब्ज़ पर दबाने लगी।
मुझे कुछ पता नहीं था क्या हो रहा है मैं सब कुछ भूलकर चुदाई के नशे में गुंम थी। अब वो मेरे बूब्ज़ छोड़कर मेरे पेट को चूमने लगा और मेरी नाभि में जीभ डालकर चाटने लगा। मैं तो एक बिना पानी के मछली की तरह उछलने लगी। उसके ऐसे चूमने चाटने से मैं मदहोश हो चुकी थी।
उसने मुझे उठा कर बैड पर लेटा लिया और मेरी टांगें खोलकर बीच में आ गया। वो मेरी गोरी भरी हुई नंगी जांघों को सहलाने लगा। मैं अपने नंगे बदन पर किसी मर्द का स्पर्श पाकर बहुत ही मजा ले रही थी। मेरी जांघों को सहलाते हुए सुभाष बोला अमीषाएक बात कहनी है अगर बुरा न लगे तो।
मैंने कहा कहो न यार दोस्तों के बीच भी कोई पर्दा होता है क्या। सुभाष बोला मैंने आज तक कई लड़कियों और औरतों के साथ चुदाई की है लेकिन तेरे जैसी गर्म और मस्त लड़की मैंने पहले नहीं देखी। मैंने उससे पूछा कितनी लड़कियों और औरतों के साथ सेक्स किया है।
तो उसने बोला करीब 30 के साथ, मुझे सच्च में बुरा लगा और कहा फिर अगर कल कोई और मिल गए तो तुम मुझे छोड़कर उससे सेक्स करने लगोगे। सुभाष ने कहा तुम मेरी सब से अच्छी दोस्त हो तो ये बात बताई मैं तुम से झूठ नहीं बोल सकता तुम सच कह रही हो अगर कोई और लड़की मिल गई तो उससे भी चुदाई करूंगा।
उसने आगे कहा सेक्स चीज ही ऐसी है कोई कुछ नहीं कर सकता तुम भी आज चुदाई के बाद कई और से सेक्स करोगी। मुझे बहुत अच्छा लगा कि उसने मुझे सच बताया और उसकी बात सही थी मैं भी लड़कों को देखकर उनसे चुदाई के ख्यालों में खो जाती थी और उसकी कही हुई बात बिल्कुल सच निकली उसके बाद आज तक मैं बहुत सारे लड़कों और मर्दों से चुद चुकी हूं।
मैंने उसे कहा सुभाष मुझे बुरा तो लगा पर खुशी हुई कि तुमने सच बताया। फिर उसने मुझे एक नसीहत दी जो अब भी याद रखती हूं उसने मुझे कहा कभी प्यार में पड़ कर किसी को मत बताना तुमने कितनों के साथ सेक्स किया है। वो अपने हाथ से मेरी फुद्दी रगड़ने लगा शर मेरी जांघों को चूमने लगा।
कुछ देर बाद उसने मेरी टांगें फैला लीं और मेरी फुद्दी पर अपने होंठ रख दिए। उसके मेरी फुद्दी पर होंठ रखते ही मैं पागल सी हो गई। वो मेरी फुद्दी को चूमने लगा और जीभ डालकर चाटने लगा। मेरे मुंह से अपने आप आहह आहह सीईईई सीीईई की आवाजें आने लगीं और मैं अपने बूब्ज़ पकड़ कर दबाने लगी।
कुछ देर बाद मैं बहुत ज्यादा गर्म हो गई और उसका सिर अपनी फुद्दी पर दबा कर फुद्दी उसके चेहरे पर मसलने लगी। थोडी़ ही देर में मैं तेजी से गांड हिलाते हुए ठंडी आंहें भरती हुई झड़ गई और शांत हो गई। सुभाष ने कहा क्या हुआ अमीषाबहुत जल्दी ठंडी हो गई अभी तो चुदाई भी नहीं हुई।
कुछ देर बाद मैं बहुत ज्यादा गर्म हो गई और उसका सिर अपनी फुद्दी पर दबा कर फुद्दी उसके चेहरे पर मसलने लगी। थोडी़ ही देर में मैं तेजी से गांड हिलाते हुए ठंडी आंहें भरती हुई झड़ गई और शांत हो गई। सुभाष ने कहा क्या हुआ अमीषाबहुत जल्दी ठंडी हो गई अभी तो चुदाई भी नहीं हुई। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने कहा सॉरी सुभाष आज पहली बार किसी मर्द के साथ ऐसा किया है तो कंट्रोल नहीं हुआ। सुभाष ने कहा कोई बात नहीं कुछ ही देर में गर्म हो जाओगी फिर जल्दी नहीं। झडो़गी। वो शराब की बोतल उठा लाया और साथ में सिगरेट भी। वो सोफे पर बैठ गया और मैं उसकी गोद में बैठ गई। हम दोनों बिल्कुल नंगे थे।
हम एक-दूसरे को शराब पिलाने लगे और चार सिगरेट खींच गए। वो मेरे बूब्ज़ दबाने लगा और पीठ पर चूमने लगा। साथ वो मेरी फुद्दी में थोडी़ सी ऊंगली डालकर हिलाने लगा। मैं एक बार फिर से गर्म हो गई। मैं घुटनों के बल उसकी टांगों के बीचोबीच बैठ गई।
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मैंने हाथ में उसका लंड पकड़ लिया और लंड को हिलाते हुए उसके अंडकोष जीभ से चाटने लगी। फिर मैंनें लंड की चमड़ी पीछे करके उसका सुपाडा़ बाहर निकाल और उसको जीभ से चाटने लगी। सुभाष के मुंह से मस्ती भरी आवाजें निकलने लगीं। मैं सुपाडे़ को चाटते हुए उसका लंड मुंह में ले लिया और सिर को ऊपर-नीचे करके लंड चूसने लगी।
मैंने उसका लंड पूरा मुंह में लिया तो वो मेरे गले में उतर गया। एक दो बार तो अजीब सा लगा फिर अच्छा लगने लगा। मैं उसके लंड को गले के अंदर-बाहर करने लगी। कुछ देर बाद वो खड़ा हो गया और मैं समझ गई वो मेरा मुंह चोदेगा।
उसने मेरा सिर पकड़ लिया और मुंह में लंड अंदर-बाहर करने लगा मुझे लगा पता नहीं क्या होगा पर बहुत मजा आने लगा। उसका लंड मेरे गले की गहराई में जाकर वापिस आता था। उसका लंड मेरे थूक से पूरी तरह गीला हो चुका था और मेरी फुद्दी भी गीली थी।
अब मैं उसको चुदाई करने को कहने लगी। उसने मुझे बैड पर सीधी लेटा लिया और मेरी टांगों के बीच आ गया। उसने मेरी टांगों के नीचे बांहें डालकर मेरी टांगें उठा लीं। उसका लंड मेरी फुद्दी पर ठोकर मारने लगा। उसने मुझे अपना लंड हाथ से पकड़ कर फुद्दी के छेद पर टिकाने को कहा।
मैंने हाथ से उसका लंड पकड़ कर फुद्दी के छेद पर टिका दिया और उसने जोर लगा कर अपने लंड का सुपाडा़ मेरी फुद्दी में घुसा दिया। जैसे ही सुपाडा़ अंदर गया मुझे बहुत मजा आया। अभी मजा ले ही रही थी कि उसने एक शॉट मारा और उसका आधा लंड मेरी फुद्दी में घुस गया।
मुझे दर्द हुआ और मैं उसे बाहर निकालने को कहने लगी। उसने लंड थोडा़ पीछे किया मुझे लगा बाहर निकालेगआ पर ये क्या उसने एक जोर से शॅट मारा और पूरा लंड मेरी फुद्दी में उतार दिया। मुझे बहुत जोर से दर्द हुआ और काफी जलन भी हुई। दर्द के मारे मेरी चीख निकल गई।
मैं उसको लंड बाहर निकालने को कहने लगी। उसने कहा अब तो जो होना था हो गया अब मजे का टाईम है। वो ऐसे ही लंड डाले लेटा रहा और मेरे होंठों एव बूब्ज़ को चूसने लगा। थोडी़ ही देर में मैं ठीक हो गई और नीचे से धीरे धीरे गांड हिलाने लगी। सुभाष भी समझ गया मुझे मजा आने लगा है तो वो धीरे धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगा।
मुझे बहुत मजा आने लगा तो मैं नीचे से अपनी गांड तेजी से हिलाने लगी। तभी सुभाष ने लंड बाहर निकाल लिया। मैंने पूछा क्या हुआ तो शरारत से बोला तुम कह रही थी बाहर निकालो तो निकाल लिया। मैंने कहा तड़पा मत यार चोद मुझे। उसने लंड फिर से फुद्दी में उतार दिया और मेरी फुद्दी चोदने लगा।
वो ऊपर से शॉट मारने लगा और मैं नीचे से गांड उठा उठा कर लंड का मजा लेने लगी। सुभाष बैड पर लेट गया और मुझे ऊपर आने को कहा। मैंने अपनी फुद्दी उसके लंड पर टिका दी और गांड को नीचे सरका दिया। एक पल में उसका लंड मेरी फुद्दी में था।
मैं उसकी छाती पर हाथ रखकर गांड ऊपर-नीचे करके लंड लेने लगी और वो नीचे से कमर चला कर मेरी फुद्दी चोदने लगा। मेरे बूब्ज़ हवा में उछल-कूद कर रहे थे। सुभाष ने मेरे बूब्ज़ को हाथों में पकड़ कर नीचे से मेरी फुद्दी चोदना चालू कर दिया। पूरा कमरा चुदाई की फच्चच फच्चच की आवाजों और हम दोनों की कामुक सिस्कियों से गूंज उठा।
मुझे बहुत ही ज्यादा आनंद आ रहा था और मैं बहुत तेजी से गांड उछाल उछाल कर लंड अपनी फुद्दी के अंदर-बाहर करने लगी। नीचे से सुभाष भी बहुत तेजी से कमर चला कर मेरी फुद्दी चोदने में लगा हुआ था। उसके लंड पर उछलते उछलते मेरी टांगें थकने लगीं और सुभाष ने मुझे बैड पर मेरी टांगें मोड़कर कुतिया जैसे बैठा दिया। सुभाष मेरे पीछे आ गया और मेरी फुद्दी पर लंड टिका कर जोरदार शॉट मारा।
उसका लंड एक बार फिर से मेरी फुद्दी की गहराई में उतर गया और वो कमर चला कर मेरी फुद्दी चोदने लगा। लंड अंदर जाते टाईम जितना दर्द हुआ था अब उससे हजार गुना मजा आ रहा था। मैं अपनी गांड हिलाने लगी और लंड के अंदर-बाहर होने का पूरा मजा लेने लगी।
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सुभाष मेरी कमर पकड़ कर मेरी फुद्दी की चटनी बना रहा था और मैं गांड हिला हिला कर फुद्दी चुदाई का मजा लूट रही थी। अचानक से मैं बहुत तेजी से झड़ने लगी और सुभाष भी झड़ने वाला था। उसने मेरी फुद्दी से लंड निकाल लिया और मुझे पता था मुझे क्या करना है।
मैं जल्दी से उठकर नीचे घुटनों के बल बैठ गई और उसका लंड मुंह में ले लिया। मैं अपने सिर को आगे पीछे करते हुए तेजी से सुभाष का लंड चूसने लगी। कुछ ही देर में उसका गर्म गर्म और गाढा़ वीर्य मेरे मुंह में गिरने लगा। देखते ही देखते सुभाष के लंड से एक के बाद एक कई पिचकारी निकली जिससे मेरा मुंह भर गया।
सुभाष ने मुझे वीर्य पी जाने को कहा। सुभाष के वीर्य का स्वाद नमकीन था लेकिन मुझे अच्छा लगा और उस दिन के बाद मर्दों का वीर्य मेरी पसंदीदा डिश है। मैं सारा वीर्य पी गई और उसका लंड जीभ से चाटकर साफ कर दिया। हम दोनों नंगे ही बैड पर लेट गए और सुभाष ने कहा अमीषा अब तुम लड़की से औरत बन गई हो।
मैंने कहा अभी आधी बनी हूं पूरी तब बनूँगी झब तुम मेरी गांड भी खोलोगे और मैं आज पूरी औरत बनकर ही यहां से जाऊंगी। सुभाष ने कहा ठीक है अमीषाआज तुझे पूरी औरत बना कर ही भेजूंगा। मैंने फिर शराब की बोतल खोल ली और हमने फिर सै शराब पी। शराब के बाद हम सिगरेट पीकर बैड पर नंगे ही लेट गए।
हम दोनों को नींद आ गई और करीब एक घंटे बाद किसी आवाज़ से मेरी आंख खुल गई लेकिन सुभाष मस्त सोया हुआ था। मैंने सुभाष का लंड देखा वो भी सोया हुआ था। मैंने लंड को हाथ में पकड़ लिया वो बहुत नर्म था। मुझे उसके नर्म नर्म लंड से खेलने में मजा आ रहा था।
मैं उठकर किचन में पानी पीने गई और वहां आईसक्रीम पड़ी थी तो मुझे आईडिया आया। मैं आईसक्रीम उठा लाई और सुभाष के लंड पर लगा दी। लंड पर लगाने के बाद मैं चूसने लगी। अचानक से सुभाष का लंड सख्त होने लगा। सुभाष की भी नींद खुल गई और लंड पूरी तरह औकात में आ गया।
इधर मैं गांड में लंड लेने के बारे सोच कर गर्म हो रही थी और साथ में कुछ कुछ डर भी लग रहा था। मैंने सुभाष का लंड चूस चूस कर एकदम सख्त कर दिया और कहा सुभाष मुझे चोदो। सुभाष ने कहा कहां से शुरू करना है फुद्दी से या सीधा गांड से। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने कहा फुद्दी तो खुलहा ली अब जब चाहे फुद्दी चुदवा सकती हूं अब मेरी गांड का बाजा बजा दो। सुभाष ने कोल्ड क्रीम उठा ली और मैंने उसके लंड पर अच्छी तरह मसल मसल कर लगा दी। फिर सुभाष ने मुझे घोडी़ बनाकर खड़ी कर लिया और मेरी गांड के छेद के ऊपर और बीच में उंगली डालकर अच्छे से क्रीम लगा दी।
सुभाष ने कहा अमीषा तैयार है तो मैंने कहा शराब का नशा कम हो रहा है थोडी़ पीकर करते हैं। शराब की आधी बोतल पड़ी थी मैंने उसी में पानी मिला लिया और गटागट आधे से ज्यादा पी गई और बाकी सुभाष को दे दी। बाकी वो पी गया। तभी सुभाष को किसी का फोन आ गया और वो बात करने लगा। करीब पांच मिनट बाद वो आया तब तक मुझे बहुत ज्यादा नशा हो चुका था।
मैं घोडी़ बनकर खड़ी हो गई और सुभाष ने मेरी कमर पकड़ कर अपना लंड मेरु गांड के छेद पर टिका दिया। सुभाष धीरे धीरे जोर लगाने लगा और उसका लंड मेरी गांड को खोलता हुआ गांड में जाने लगा। मुझे अपनी गांड खुलती हुई महसूस हो रही थी। कुछ ही देर में सुभाष का लंड मेरी गांड की गहराई में था।
पूरा लंड अंदर जाने के बाद सुभाष ने लंड को पीछे खींच कर शॉट मारा और फिर जोर जोर से मेरी गांड चोदने लगा। मुझे बिल्कुल दर्द नहीं हुआ अगर हुआ होगा तो शराब के नशे से पता नहीं चला। सुभाष ने मेरे बाल पकड़ लिए और कमर चला कर मेरी गांड चोदने लगा। मैं भी अपनी गांड को गोल गोल हिला कर चुदाई के मजे लूटने लगी।
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मुझे बहुत ज्यादा आनंद आ रहा था। सुभाष ने मुझे दीवार से सटा लिया और पीछे से मेरे बूब्ज़ पकड़ लिए। मैंने अपने हाथों से अपने चूतड़ पकड़ कर खोल दिए। सुभाष ने मेरी गांड पर लंड रखा और इसबार जोरदार शॉट मारा। उसका लंड एक बार में मेरी गांड में समा गया। अब वो मेरे बूब्ज़ को दबाते हुए और पीछे से मेरी गर्दन चूमते हुए कमर चला कर मेरी गांड चोदने लगा। मैं भी अपनी गांड आगे पीछे करके लंड अंदर-बाहर करने लगी। सुभाष ने मुझे बैड पर उल्टा लेटा लिया और मेरे ऊपर आकर मेरी गांड में लंड पेल दिया।
वो ऊपर से उछल कर मेरी गांड चोदने लगा और मैं नीचे से जोर लगा कर उसका साथ देने लगी। काफी देर गांड चुदाई के बाद सुभाष बहुत तेजी से मेरी गांड चोदने लगा और ठंडी आहें भरते हुए मेरी गांड में वीर्य छोड़ दिया। उसके बाद मैं घर आ गई। मुझसे ठीक से चला नहीं जा रहा था तो घर में बोला कॉलेज में गिर गई थी। उसके बाद हम दोनों हफ्ते में तीन या चार बार चुदाई जरूर करते और चुदाई से पहले पोर्न मूवी देखते। जैसा पोर्न मूवी में होता वैसे ही चुदाई करते।
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