Father Daughter Chudai
हेलो दोस्तों ये मेरी पहली कहानी हैं इस प्लेटफॉर्म पर, उम्मीद करती हूं की आप सब को मेरी ये कहानी पसंद आएगी। मेरा नाम पूजा हैं और मैं 18 की दहलीज पर खड़ी हूं, मेरा जिस्म भरा पूरा हैं, दोनों चूचियां 30 इंच की गोल और उभरी हुई हैं और ऊपर से निपल्स तो गज़ब के तने हुए हैं. Father Daughter Chudai
जोकि किसी भी मर्द को पागल करने के लिए काफी हैं, गांड़ की चौड़ाई मेरी चौतीस हैं और कमर 32 की हैं, रंग गोरा और आंखे भूरी हैं जो एक बार देखे तो देखता ही रह जाए ऐसा नूर झलकता हैं। मेरे घर में मम्मी, पापा, और दादी हैं, मैं अपनी मां बाप की एकलौती संतान हूं, इसलिए सब घर में लाड़ प्यार करते हैं।
मेरे पापा इंजीनियर हैं, उनका नाम प्रतीक हैं, वो 36 की उम्र के हो चुके हैं, उनका जिस्म बेहद ही आकर्षक हैं, बाइसेप्स और तनी हुई कलाई किसी भी लड़की को दीवाना बना सकती हैं, चौड़ी छाती और डायमंड कट मुखड़ा हैं। उनका ज्यादातर घर से बाहर ही रहना होता था, वो अक्सर अपने काम के सिलसिले में मशरूफ रहते थें।
मम्मी मेरी होममेकर हैं, उनका नाम कृतिका हैं, वो 29 की हो गई हैं, उनका जिस्म भी इतना आकर्षक हैं कि अड़ोस पड़ोस के मर्द भी रास्ते से गुजरने के वक्त घूम घूम कर आंखें सेकते थें। उनका बूब्स 34 का हैं पूरा गोल आकार और ऊपर की ओर उठा हुआ हैं, निपल्स भी बहुत ही दिलकश हैं बिलकुल काली किशमिश की तरह.
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गांड़ का क्या ही कहना वो बवाल हैं 38 इंच की चौड़ाई, और पतली कमर, इसलिए तोह पापा दीवाना हो गए मम्मी पर, और लव मैरिज कर ली, उन दोनों का चुदाई का खेल अक्सर चलता था, जब भी पापा घर पर होते थें। मां को खाना बनाने का बेहद शौक हैं लेकिन उन्होंने अब तक इसको प्रोफेशन नहीं बनाया हैं।
अब मैं सच्ची घटना बयां कर रहीं हूं, उस वक्त मैं करीब 14 की थीं तब ही मेरे अंदर चुदाई का कीड़ा पनप गया और फिर चूत की आग बुझाने के लिए लन्ड की तलाश में जुट गई। ठंडी की मौसम चालू हो चुकी थीं, दोपहर का वक्त था घर पर सिर्फ़ मेरी मां और दादी मौजूद थीं, वे दोनों टीवी पर अपनी एक शोज देखने में मशरूफ थें।
मेरी छुट्टियां हो गई थीं स्कूल की इसलिए बेफिक्र थीं, मैं मम्मी को बोल कर अपनी पड़ोस वाले घर में चली गई, वहां एक दीदी रहती थीं, वो करीब 20 की थीं, मेरी दोस्ती उनसे हो गई थीं, और मैं पढ़ाई से संबंधित उनसे काफ़ी चीज़े पूछती भी थीं। जब मैंने उनके घर का दरवाज़ा खटखटाया तब कोई आवाज नहीं मिला.
मैं कुछ देर रूकी और एक बार फिर से दस्तक देने लगी, पर इस बार भी कोई जवाब नहीं मिला, मैं अंदर चली गई तो देखा पूरा हॉल रूम खाली था, सोचा की अपने कमरे में होगी, और मैं चल पड़ीं। अंदर से दरवाजा पूरी तरह बंद नहीं था, मैंने खोल कर देखना चाहा तो मेरी आंखें चकरा गई और पैर लड़खड़ा गए.
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अंदर का मंजर बहुत ही भयानक था, मैंने देखा उस दीदी के ऊपर एक आदमी चढ़ा हुआ था, पूरी नंग अवस्था में और वो लड़की नीचे लेटी थीं, उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं था, दोनों साथ में चुदाई का आनंद उठा रहें थें, पहले तो सिर्फ़ मुझे उस आदमी का बदन दिखा था पीछे से, मगर यह कुछ जानी पहचानी लग रही थीं.
मैं गौर से दोनों की चुदाई को देखने लगी, तब मुझे कुछ आशंका हुआ, मैं अपने पापा को पहचानती थीं, इसलिए मुझे बेहद अरज हुआ उनको यहां देख कर, क्योंकि वो आज ही घर से बता कर गए थें कि वो एक मीटिंग ट्रिप के लिए जा रहें हैं तीन दिनों के लिए और अब उनका यहां रहना मुझे पागल कर रहा था।
ख़ैर मैं उन दोनो को देखने लगी, पापा उसकी चूत में अपना लन्ड डाल कर जोरो से चुदाई कर रहे थे और वो चिल्ला रही थीं जाना जोर से ओ जाना जोर से और जोर से अअह्ह्ह्ह अअह्ह्ह्हह्ह अअह्ह्ह की आवाज़ें बीच बीच में निकल रहीं थीं उस कलमुही के मुंह से…. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पापा कितना जोर लगा सकते थें वो लगा कर जम कर चूत को फाड़ रहें थें, साथ ही उनका एक हांथ उसकी गोरी चूची को बेदर्दी से मसल रहा था, और दूसरा उसके कमर पर था। मेरा पूरा जिस्म थरथरा रहा था, पर आपस में जुड़ गए थें और सांसे ऊपर नीचे भाग रहीं थीं उन लोगो को देख कर क्योंकि मैंने आज पहली बार चुदाई देखा था।
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ऊपर से वो मेरे ही पापा थें, उनको चोदने का तकनीक अच्छे से मालूम था तभी तो उस लड़की की दोनों टांगे मेरे पापा में कमर पर कसी हुई थीं। मैं अजीब सा महसूस कर रहीं थीं, माथे पर पसीने की नन्ही बूंदे मेरे गालों पर अब तबके लगे थे, मैं जाने अंजाने में गर्म हो चुकी थीं, और मेरे चूची भी उस दौरान खड़ी हो गई.
जो मैंने उस वक्त खुद को देखा, और मेरी पैंटी भी ऐसे गीली हो गई जैसे किसी ने पानी गिरा दिया हो, अब मैं वहां ज्यादा देर नहीं रुक सकी, मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था, मेरे लिए वो एहसास नया था, मैं घर चली आई और सीधे कमरे में घुस गई, मम्मी ने आवाज भी लगाया पर मेरा जिस्म अजीब हरकत कर रहा था.
और मैं अनसुना किया आ पहुंची कमरे में, दरवाजा धड़ाम से बंद किया और आईने के सामने खड़ी हो गई, मेरा बदन एक कच्ची कली की तरह था, चूची 28 के थें, कमर भी पतली थीं और गांड़ भी लगभग 34 का हो गया था। मैं अपने आप को गौर से देखने लगी.
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फिर एक एक कर पूरे कपड़े उतार दिए, और इस लड़की से तुलना करने लगी. कभी अपने चूची को दबाती तो कभी निपल्स पर उंगली फेरती, मुझे अच्छा लग रहा था, दिल धड़क रहा था, मैंने अपनी चूत पर हांथ फेरा, पूरा गीला हो गया था, मैंने बाहर से ही सहलाया तो मचल उठी, फिर आहिस्ता से फांक कर देखने लगी, पूरी गुलाबी चूत हाय!! गिला हो रखा था, मै उसे छूने लगी, और मेरे अंदर करेंट दौड़ गया, अब मैं क्या ही बयां करूं दोस्तों कैसा लगा था मुझे, मेरे जहन में पापा का ख्याल आया और उस कलमुही का.
और मैं दोनों को सोचते हुए अपनी चूची को दबाने लगी जैसे पापा दबा रहे थें, फिर चूत को भी उंगली डाल कर देखने लगी, पर मैं अपनी छोटी और पतली उंगली डालने से घबरा रहीं थीं, इसलिए बाहर से ही खूब सहलाया और आनंद लेने लगी कि तभी, जोरो से कोई दरवाजा पीटने लगा…….. “पूजा पूजा क्या हुआ बेटा, ऐसे दरवाजा क्यों बंद रखा हैं, जल्दी खोल……” मैं पूरी तरह घबरा उठी और एकदम से बॉथरूम में भागी.. आगे की कहानी अब दूसरे भाग में…
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