Family Me Sex Kahani
प्रिय मित्रों, ऐसा नहीं है कि मैं शुरू से ही इतना बदमाश लड़का था, लेकिन क्या है न कि मेरे अंदर भी एक शैतान छुपा हुआ है। इस कारण मैं भी कई बार अपनी वासना पर रोक न लगाकर भावनाओं में बह जाता हूँ। और शायद यही कुछ ऐसे लम्हे रहते हैं जब इंसान के अच्छे-बुरे की पहचान होती है। Family Me Sex Kahani
खैर, मैं क्यों आप सभी को बोर कर रहा हूँ। चलिए, आज मैं आप सभी को अपने जीवन में बीते कुछ हसीन पलों को एक सूत्र में पिरोकर बतलाता हूँ। ये सभी घटनाएँ मेरे साथ मेरी जवानी की शुरुआत के समय की हैं। और मैं सोचता हूँ कि यदि इन परिस्थितियों में, जिनमें मैं गुजरा हूँ, यदि आप भी होते तो यही सब करते।
ये बात तब की है जब मैं लगभग 18 साल का रहा होऊँगा। अपने कुछ दोस्तों के साथ-साथ मैं भी समर वेकेशन में नया-नया जिम जाने लगा था। और कुछ दिनों की मेहनत का असर अब मेरे सीने और गर्दन पर पड़ने लगा था, यानी कि मेरी बॉडी कुछ अलग दिखने लगी थी।
और जो भी मुझे कुछ दिनों के बाद मिलता, वह मुझ पर आकर्षित हुए बिना नहीं रहता। ऊपर से अच्छी हाइट और सूरत में भोलापन। ये सब मिलकर मुझे शायद गुडलुकिंग बनाते थे। वैसे मैं शुरू से ही थोड़ा रिजर्व नेचर का था, जिस कारण मैं आमतौर पर घर में ही रहना ज्यादा पसंद करता था।
घर में वैसे तो किसी चीज की कमी नहीं थी। पापा का अपना बिजनेस है, जिसके विस्तार के लिए वे खूब मेहनत कर रहे हैं। घर पर कम ही रहते हैं, लेकिन जब भी आते, हम दोनों भाई-बहनों के लिए कुछ न कुछ महँगी गिफ्ट जरूर लाते। मम्मी के अलावा एक बड़ी बहन है, जो मुझसे दो साल बड़ी है।
हमारी मम्मी एक हाउस लेडी हैं, जो ज्यादा मॉडर्न तो नहीं हैं, लेकिन घर में ही रहना ज्यादा पसंद करती हैं। मतलब मम्मी का फिगर बहुत अच्छा है। कोई यह नहीं कह सकता कि यह लेडी इतने बड़े बच्चों की माँ है। मम्मी की उम्र लगभग 38 होगी, लेकिन अभी वह मुश्किल से 34-35 की लगती होंगी।
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मम्मी और बहन दोनों का ही भरा बदन है, और दोनों के ही सीने पर मांस की अधिकता है। दोनों माँ-बेटी कम, बल्कि बहनें ज्यादा लगती हैं। बाहर के लोग मेरी मम्मी और बहन के सीने पर ही ज्यादा देखते रहते हैं। मम्मी को थोड़ा ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम है, इस कारण ज्यादा मेहनत या गर्मी सहन नहीं होती।
शायद इसी कारण मम्मी घर में कपड़ों के मामले में लापरवाह रहती हैं। मम्मी चौड़े और डीप नेक के ब्लाउज पहनना पसंद करती हैं, जिनमें से मम्मी के मोटे-मोटे स्तन देखकर तो बूढ़ा भी पागल हो जाए। और मेरी बहन भी टाइट कपड़े ही पहनती है। मैं भी उसकी टाइट टी-शर्ट में से उसके उरोजों को देखता रहता हूँ।
घर में वह मम्मी की तरह ही खुले गले के कपड़े पहनती है। मम्मी तो घर में ब्लाउज और पेटीकोट ही ज्यादा पहनती हैं। पुराने हो चुके कॉटन रूबिया के ब्लाउजों में से मम्मी के मोटे-मोटे सफेद मांसल स्तन देख-देखकर मैं पागल होता रहता हूँ। इसी तरह मेरी बहन भी घर में स्कर्ट ज्यादा पहनती है और बड़ी ही लापरवाही से उठती-बैठती है, जिस कारण वह भी अपनी जवानी का प्रदर्शन करती रहती है।
मैं ऐसी जुगाड़ में रहता हूँ कि कैसे भी इनके बदन का मज़ा लूटा जा सके, लेकिन बस दिन-रात देखकर ही रह जाता था। एक दिन हमारे ही शहर में एक शादी थी और सभी लोग वहाँ गए थे। जो भी वहाँ मुझे देखता, मेरी बॉडी की तारीफ किए बिना नहीं रहता।
वहाँ पर मेरी सबसे छोटी बुआ भी आई थीं, जिन्होंने अपनी जवानी में बड़ी रंगरेलियाँ मनाई थीं और शादी के बाद भी एक बार मायके में अपने बॉयफ्रेंड के साथ पकड़ी गई थीं। लेकिन मामला दबा दिया गया। खैर, आज वह अपने छह महीने के बच्चे के साथ फंक्शन में आई थीं।
लेकिन वहाँ तेज गर्मी के कारण उनका छोटा बच्चा बहुत रो रहा था। इसलिए मम्मी के कहने पर मैं बुआ को अपने साथ घर ले आया। बुआ भी बड़ी बिंदास हैं, जरा भी शर्म-सकोच नहीं। वहाँ इतनी पब्लिक में गर्मी लगने पर उन्होंने अपने पेटीकोट को ऊँचा उठाकर पंखे के सामने बैठ गई थीं, तो सब उनका मज़ाक उड़ाने लगे।
तो बोलीं कि मेरे हसबैंड एक महीने से ट्रेनिंग पर गए हैं और मेरे अंदर की गर्मी बहुत परेशान कर रही है। रास्ते भर वह मुझे जल्दी चलाने को कहती रहीं क्योंकि उन्हें जोर की पेशाब लगी थी। खैर, घर आते ही बुआ ने सबसे पहले कूलर चलाकर अपने बच्चे को सुलाया और फिर जब तक मैं ठंडा पानी लाया, उन्होंने अपनी साड़ी खोलकर एक तरफ फेंक दी और बाथरूम में घुस गईं।
शायद उन्हें लगा होगा कि मैं बाहर हूँ, इस कारण वह खुले दरवाजे में ही पेशाब करने लगीं। मैं पीछे से चुपचाप उनके मोटे-मोटे चूतड़ों के दर्शन करता रहा। मूतने से इतनी तेज सीटी की आवाज़ आ रही थी और इतनी देर तक कि मानो हफ्ते भर का आज ही मूत रही हों।
जब बुआ पेशाब करके उठीं, तो पीछे से उनकी चूत का नज़ारा भी हो गया, जो कि मेरे लिए पहला अनुभव था। सफेद पैंटी को अपने हिप्स पर चढ़ाती हुई वह बाहर आईं, तो मुझे देखकर बड़ी बेशर्मी से बोलीं कि यदि एक पल और रुक जाती, तो मेरी चूत ही फट जाती।
‘चूत’ शब्द सुन मैं चौंक पड़ा, लेकिन बुआ अपनी चूत को रगड़ते हुए हँसती रहीं और फिर मुझसे बोलीं कि रात भर सफर में नींद ही नहीं आई, चल यहीं कूलर के सामने सो जाते हैं। डबल बेड पलंग पर बीचों-बीच वह पसर गईं और मुझसे बातें करने लगीं। लेकिन मेरा सारा ध्यान बुआ के ब्लाउज पर ही था, जिसके ऊपर के दो बटन खुले थे, और उनके दूध से भरे दोनों स्तन ब्लाउज फाड़कर बाहर आने को हो रहे थे।
उनकी निप्पल्स में से दूध अपने आप बाहर आ रहा था, जिस कारण उनकी ब्रा भी गीली हो गई थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन वह ताड़ गईं और अपने ब्लाउज में हाथ डालकर दोनों स्तनों को खुजलाते हुए बोलीं कि मुझे दूध ज्यादा आता है और मेरा बच्चा इसे पी नहीं पाता, इस कारण मेरे बूब्स में से दूध बह रहा है। ब्रेस्ट दुखने लगते हैं।
ऐसा कहते हुए उन्होंने अपने बच्चे को अपने पास खींच लिया और मेरे सामने ही अपने ब्लाउज को एक तरफ से ऊँचा उठाकर अपने दूध से भरे चूचकों को बच्चे के मुँह में दे दिया। उनके स्तनों का आकार देख मैं चक्कर में पड़ गया। ऐसे लग रहे थे मानो अभी फट पड़ेंगे।
बुआ के पैर कूलर की हवा के रुख पर थे, जिस कारण हवा के प्रेशर से उनका पेटीकोट घुटनों के ऊपर तक चढ़ा हुआ था। और वह बार-बार अपनी चूत को खुजाए जा रही थीं। बच्चे के मुँह में अपना दूसरा स्तन देते हुए वह बोलीं कि शायद रात भर बस में बैठे रहने के कारण चूत में इन्फेक्शन हो गया है। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
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साली बड़ी मीठी-मीठी खुजली आ रही है। उनके स्तनों की निप्पल्स दूध पिलाने से बड़ी लंबी हो गई थीं, जिन्हें वह अंदर भी नहीं कर रही थीं। बच्चा बड़े जोर-जोर से दूध चूसते हुए आवाज़ कर रहा था, तो बोलीं कि ये साला भी अपने बाप पर गया है, पूरा रस निचोड़ देता है। और जोर-जोर से हँसने लगीं।
इधर-उधर की बातें करने के दौरान बोलीं कि कोई गर्लफ्रेंड से चक्कर चलाया कि नहीं या यूँ ही हाथ थेला चला रखा है। मैं समझ तो गया था, पर जानबूझकर सीधा बन रहा था। बुआ बोलीं कि हमारे समय में तो साले सब लौंडे गदमारे थे। कोई साला हिम्मत ही नहीं करता था। और आज जब इतनी आज़ादी है, तो तुम साले सीधे बनते हो।
कूलर की ठंडी हवा के बीच हल्की-फुल्की बातें करते हुए हम कब सो गए, पता ही नहीं चला। लगभग शाम को चार बजे जब मेरी नींद पेशाब के लिए खुली, तो मैं बुआ के दोनों स्तनों को देखता ही रह गया। वे पूरी तरह से फिर से दूध से भर गए थे। चूचकों में से दूध की बूँदें टपक रही थीं और तनाव के कारण उनमें लाल खून की नसें दिखाई पड़ने लगी थीं।
दूसरी तरफ बुआ का पेटीकोट भी जाँघों तक चढ़ गया था, जिसमें मैं बार-बार झूककर उनकी व्हाइट पैंटी देख रहा था। बुआ की चूत की फाँक में पैंटी का आगे का हिस्सा धँस सा गया था, और साइड से रेशमी सुनहरे बाल दिखाई पड़ रहे थे। जब मैं पेशाब करके वापस आया, तब तक शायद आहट से बुआ जाग गई थीं और झुककर अपने बैग में से कुछ ढूँढ रही थीं।
तब उनके बड़े-बड़े बूब्स लटकते हुए बड़े सेक्सी लग रहे थे। मैंने अपना लंड सहलाते हुए पूछा, तो बोलीं कि मैं ब्रेस्ट पंप ढूँढ रही हूँ, जिससे कि मेरे बूब्स का दूध निकालना पड़ेगा। मेरे दोनों बूब्स बहुत दुख रहे हैं। इनका दूध नहीं निकाला, तो इनमें से खून आने लगेगा। यह सुनकर मैं घबरा सा गया।
लेकिन ब्रेस्ट पंप नहीं मिला, शायद किसी और बैग में रख दिया होगा। तब मैंने पूछा कि अब क्या होगा, तो वह बोलीं कि हाथों से निकालने की कोशिश करती हूँ। और हाथ में एक काँच का खाली गिलास लेकर अपने दूध से भरे स्तनों को दबाने-निचोड़ने लगीं।
तब उनमें से थोड़े से दूध की फुहार सी निकली, लेकिन जब उसे आराम नहीं मिला, तो बोलीं कि काश अभी यहाँ तेरे फूफाजी होते, तो मुझे इतनी परेशानी ही नहीं होती। तो मैं बोला कि बुआ, यदि मैं कुछ कर सकता हूँ, तो मुझे जरूर बतलाना। कोई दवा या नया पंप खरीद लाऊँ?
तो बोलीं कि तू चाहे तो मुझे अभी इस दर्द से आराम दिलवा सकता है। और मुझे अपने पास बुलाकर बोलीं कि तू मेरा थोड़ा सा दूध पी ले। तो मैं उठकर खड़ा हो गया और शर्माकर बोला कि धत्त, मुझे शर्म आती है। तो वो बोलीं कि इसमें शर्माने की क्या बात है? क्या तूने अपनी माँ का दूध नहीं पिया? या कभी तू अपनी औरत के मम्मे नहीं चूसेगा?
यह कहकर उन्होंने मेरा हाथ खींचकर पलंग पर गिरा लिया और अपने स्तनों को हाथों से पकड़कर मेरे मुँह में ठूँस दिया। एक बार तो मैंने बचने की कोशिश की, लेकिन इतने मुलायम स्तनों का अहसास पाकर मैं पड़ा रहा। पहले के एक-दो घूँट दूध तो बड़े बेस्वाद लगे, लेकिन जैसे ही मैंने अपनी जीभ से बुआ की निप्पल्स को सहलाया, तो मेरा लंड तनकर पजामे में से बाहर आने को होने लगा।
अब तो मैं भी अपने दोनों हाथों से दबा-दबाकर सफेद पपीतों का आखिरी बूँद तक दूध पीना चाहता था। लेकिन बुआ ने मेरा मुँह दूसरे स्तन में लगाते हुए कहा कि चल, अब थोड़ा सा छोटू के लिए भी छोड़ दे। बुआ भी मेरी बराबरी में ही लेटी हुई थीं, और उनका पेटीकोट फिर से घुटनों के ऊपर तक आ चुका था।
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बुआ ने बड़ी सफाई से मेरे कड़क हो चुके लंड को टटोलते हुए मुझसे पूछा कि क्या इससे पहले कभी किसी लेडीज़ के बूब्स को चूसा? तो मैंने कहा कि हाँ, बहुत बार। तो वो आश्चर्य से बोलीं कि कौन है वो? तो मैं हँसकर बोला कि बुआ, मेरी माँ और कौन? तो वो बोलीं, साले बदमाश, इसके अलावा और कौन?
तो मैं बोला कि पिया तो नहीं, लेकिन पीने की इच्छा जरूर रखता हूँ। उनके बहुत पूछने पर भी मैंने नाम नहीं बताया, तो वह बोलीं कि समझ गई, जरूर तेरी बहन होगी। तो मैं बोला कि आप कैसे समझ गईं? तो वह बोलीं कि तू घर के अलावा और कहीं मुँह नहीं मार सकता। क्योंकि यदि तुझमें हिम्मत होती, तो तू मुझे देखकर यूँ ही नहीं सो जाता, बल्कि अब तक तो मुझे निपटा चुका होता।
यह सुन मैं बोला कि तो अब कौन सी देर हुई है? ऐसा कहकर मैंने बड़ी आहिस्ता से अपना एक हाथ बुआ के पेटीकोट में डालकर उनके चूतड़ों को सहलाने लगा। तब बुआ ने आँखें बंद कर लीं और गहरी-गहरी साँसें लेने लगीं। मैं अपनी उंगलियों को धीरे-धीरे बुआ की जाँघों के जोड़ों में घुसाते जा रहा था।
और फिर मैंने अपनी दो उंगलियों को बुआ की मांसल चूत, जो कि रेशमी सुनहरे बालों से ढकी थी, उसमें घुसा दी। तो बुआ अपने होंठों को दाँतों से भींचते हुए बोलीं कि अब देर मत कर, डाल दे। मेरी चूत का भोसड़ा बना दे। और बुआ ने तेजी से अपनी पैंटी उतार फेंकी और पेटीकोट ऊँचाकर दोनों टाँगें चौड़ी कर चूत को फैलाकर लंड घुसाने को कहने लगीं।
यह देख मैंने भी तुरंत अपना मोटा और लंबा लंड बुआ की चूत में पेल दिया। वैसे तो यह मेरे लिए पहला अनुभव था, लेकिन बुआ ने बड़ी होशियारी से मुझे उत्साहित कर मेरा जोश कम नहीं होने दिया। और हम दोनों ने एक लंबी अवधि तक खूब मज़ा लिया। बुआ ने मेरी बहन को भी फँसाने के कई तरीके समझाए, ताकि बाद में भी मैं चूतों के मज़े ले सकूँ। बुआ ही मेरी पहली सेक्स गुरु हैं।
उसके बाद बुआ हमारे घर दो दिन और रुकीं, लेकिन इस बीच मैं बुआ को बस चूमचाट ही सका। इसके अलावा हमें मज़े मारने का कोई मौका नहीं मिला। लेकिन बुआ ने रात में मेरी बहन को न जाने क्या पट्टी पढ़ाई कि उस दिन के बाद से मेरी बहन का मेरी तरफ रुख ही बदल गया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अब वह मेरे सामने और ज्यादा खुले गले के कपड़े पहनने लगी, जिनमें से उसकी बड़ी-बड़ी छातियाँ देख मैं पागल होता रहता। कई बार वह टाइट स्कर्ट और टी-शर्ट्स पहनती, जिससे उसके बदन का पूरा भूगोल दिखता। लेकिन ऐसा कोई मौका ही नहीं मिल रहा था कि मैं अपना कोई दाँव चला सकूँ।
तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया। और मैंने पापा का आई फ़ोन मोबाइल इंस्ट्रूमेंट ड्रॉअर से निकाल लिया। पापा इसे यूज़ नहीं कर रहे थे इसकी वीडियो शूटिंग वाकई गज़ब है। जब मेरी बहन बाथरूम में बाथ लेने के लिए जाने लगी, तो मैंने बड़ी सफाई से इस फोन को वीडियो मोड पर ऑन करके बाथरूम की छत पर लगे इलेक्ट्रिक सॉकेट के बॉक्स में छुपा दिया।
फोन में कोई सिम नहीं होने से उसकी घंटी बजने का कोई डर भी नहीं था। जब मेरी बहन नहाकर वापस बाहर आ गई, तो मैं फोन ले आया और उसे चेक किया, जिसमें मेरी बहन की नग्न फिल्म उतर चुकी थी। किस तरह वह अपने कपड़े खोलकर अपने मोटे-मोटे स्तनों को रगड़-रगड़कर नहा रही थी।
इसे देखने के बाद तो मैं और ज्यादा बेचैन रहने लगा। क्योंकि एक बार बुआ की चूत का जो स्वाद लग गया था, वह अब हस्तमैथुन से नहीं भरता था। मैंने अपनी मम्मी और बहन की कई वीडियो शूट की और उन्हें अपने सिस्टम में हिडन फाइल्स बनाकर सेव कर दिया।
कुछ दिनों बाद एक दिन जब मम्मी-पापा दोनों किसी फंक्शन में गए थे, और दो-तीन दिनों बाद लौटने वाले थे, घर पर मैं और मेरी बहन दोनों ही थे। और मैं भी कुछ प्लान की जुगाड़ में था कि किसी तरह से अपनी बहन के मज़े मार सकूँ। गर्मी बहुत तेज थी और आसपास पानी गिरने के कारण उमस बहुत बढ़ गई थी।
इस कारण मेरी बहन और मैं पसीने में नहा चुके थे। हवाओं की तेज गति के कारण लाइट भी बंद थी, जिस कारण हमारी हालत खराब हो रही थी। मेरी बहन पीठ पर हुए घमौरियों के कारण परेशान थी, जिस कारण वह बार-बार पीठ खुजला रही थी। उस समय मैंने उससे कहा कि तू नहा ले, और कोई कॉटन का लूज़ कपड़ा पहन ले।
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तो वह बोली कि मैं दो बार नहा चुकी हूँ, और कॉटन की टी-शर्ट ही पहनी है। लेकिन तू कहता है तो चल, तेरा कोई पुराना कॉटन का शर्ट दे दे। मैंने उसे अपना एक पुराना महीन कॉटन का शर्ट दे दिया, जिसमें से उसकी ब्लैक कलर की ब्रा साफ दिखाई पड़ रही थी। और उसके मोटे-मोटे स्तनों पर भी शर्ट टाइट था, जिस कारण शर्ट के बटन्स खींचे जा रहे थे।
और उस गैप में से उसका सफेद सीना और काली ब्रा दिखाई पड़ रही थी। लेकिन जब फिर भी उसे आराम नहीं मिला, तो मैंने उसे कहा कि पीठ पर पाउडर लगा ले। लेकिन वह आलस के कारण उठना नहीं चाहती थी। थोड़ी देर बाद मुझसे बोली कि भैया, इसकी जगह तू ही मेरी पीठ पर पाउडर लगा दे।
तब मैं जानबूझकर एक बार तो नाट गया, लेकिन उसके फिर से रिक्वेस्ट करने पर राजी हो गया। उस समय उसने मेरा शर्ट और घुटनों तक का स्कर्ट पहन रखा था, जिसमें से उसकी सफेद चिकनी टाँगें दिखाई पड़ रही थीं। इस समय वह ज़मीन पर उल्टा पेट के बल लेटी हुई थी और मैं जस्ट उसके पास के सोफे पर लेटा हुआ था।
मैं पाउडर का डब्बा हाथ में लेकर बोला कि कैसे लगाऊँ? तो उसने अपनी शर्ट को आधी पीठ तक ऊँचा उठा दिया और बोली कि जल्दी से लगा दे। मैंने अपनी हथेलियों में ढेर सा पाउडर लिया और उसकी मांसल पीठ पर बड़े ही कामुक अंदाज़ में हाथ फेरने लगा। लेकिन उसकी ब्रा की स्ट्रिप के कारण तकलीफ आ रही थी।
तो उसने खुद ही हाथ पीछे कर उसे खोलने की कोशिश की, लेकिन शर्ट टाइट होने के कारण उसे सफलता नहीं मिली। तभी मैं बोला कि तुम शर्ट और ऊँचा करो, मैं हुक अभी खोल देता हूँ। तो उसने भी बिना किसी संकोच के ब्रा का हुक खुलवा लिया। अब मैं बड़ी मस्ती के साथ अपने हाथों से उसकी मांसल पीठ पर हाथ फेर रहा था।
लेकिन थोड़ा और ऊपर हाथ बढ़ाने पर शर्ट के सीने पर टाइट होने के कारण हाथ नहीं बढ़ पा रहा था। तभी मेरी बहन बोली कि रुको भैया, और उसने अपने शर्ट के ऊपर से तीन बटन खोल लिए। यह सब देख मैं दंग सा रह गया। लेकिन अब मैं और जोश से भर चुका था।
इसलिए अब मैंने अपनी हथेलियों को पीठ के साथ बाहों के जोड़ों तक घुमाया, जिससे मुझे उसके मोटे-मोटे स्तनों की नरमाहट का अहसास हुआ। और मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया। इधर शायद मेरी बहन भी मूड में थी, इस कारण उसने पैरों में हरकत की, जिस कारण उसका स्कर्ट उसकी सफेद केले के तने के समान चिकनी जाँघों तक चढ़ गया।
मेरे हाथों की हरकत जैसे-जैसे बढ़ रही थी, उसकी कसमसाहट भी बढ़ती जा रही थी। अचानक वह उठी और अपने कपड़ों को ठीक करके काम में बिजी हो गई। पहले तो मुझे लगा कि शायद वह नाराज़ हो गई है। लेकिन मैंने ऐसी कोई हरकत भी नहीं की थी कि उसे कोई आपत्ति हो।
शाम होते ही जोरों की बारिश होने लगी, तो वह भी मेरे साथ ही बालकनी में खड़े होकर पहली बारिश का आनंद उठाने लगी। तभी मैंने कहा कि दीदी, बारिश के पहले पानी में नहा लो, बदन की सारी घमौरियाँ मिट जाएँगी। तो वह बोली कि हाँ भैया, यह ठीक रहेगा। और उसने मेरा हाथ पकड़कर टेरेस पर दौड़ लगा दी।
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दीदी ने अभी भी मेरा दिया हुआ व्हाइट कॉटन का शर्ट पहन रखा था और उसके अंदर उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी। भीगने से उसके मोटे-मोटे पपीते के समान स्तन व्हाइट शर्ट में से कयामत ढा रहे थे। उसकी काली-काली निप्पल्स भी साफ दिखाई दे रही थीं। हमारे घर के आसपास कोई बड़ी बिल्डिंग भी नहीं है, केवल हमारा मकान ही दो मंजिल ऊँचा है। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इस कारण टेरेस पर हमें कोई देखने वाला भी नहीं था। मैंने दीदी से कहा कि पहली बारिश में अपनी पीठ पर सीधे पानी लगने दो, जल्दी आराम मिलेगा। तो वह एक पल रुकी और मेरी ओर देखकर बोली कि मैं ज़मीन पर लेट जाती हूँ, तू मेरी पीठ को रगड़ दे। ऐसा कहकर उसने अपने शर्ट के बटन्स खोले और ज़मीन पर कोहनियों के बल उल्टा लेट गई।
मैंने तत्काल उसका शर्ट ऊँचा किया और उसकी पीठ को रगड़ना शुरू कर दिया। आगे से शर्ट के बटन खुले होने के कारण मुझे कोई परेशानी नहीं थी। और जब मैंने शर्ट को पूरा सिर के बालों तक ऊँचा उठा दिया, तो मुझे मेरी बहन के लटकते हुए मोटे ताजे स्तन साफ दिखाई पड़ रहे थे।
और मैं उन्हें छूने की हिम्मत जुटाता, उससे पहले ही मेरी बहन ने करवट बदली। मतलब अचानक वह मेरी ओर मुँह करके ज़मीन पर चित लेट गई। अब मेरी ओर उसका खुला सीना था, जहाँ दो बड़े-बड़े स्तन नोकदार चूचकों के साथ तने खड़े थे। उन्हें देख मेरी आँखें फटी की फटी ही रह गईं।
तो मेरी बहन ने मेरा हाथ पकड़कर अपने दोनों स्तनों के ऊपर रख दिया। मैंने भी अब हिम्मत कर उन्हें जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया। तभी मेरी बहन ने अपनी गर्दन ऊपर उठाई और मेरे होंठों को अपने मुँह में भर चूसना शुरू कर दिया। उसके पैर भी हरकत में थे, जिस कारण उसका स्कर्ट उसकी जाँघों तक चढ़ गया था।
मैंने जैसे ही अपना एक हाथ उसकी स्कर्ट में डाला और उसकी जाँघों के जोड़ों पर रखा, मेरी उंगलियाँ सीधी उसकी मोटी फूली हुई रेशमी बालों से ढकी हुई चूत में जा घुसीं। स्कर्ट के अंदर उसने पैंटी भी नहीं पहनी थी। उसने अपना एक हाथ बढ़ाकर मेरा लंड टटोला और उसकी मोटाई का अंदाज़ा लगाकर डरते हुए बोली, “भैया, जल्दी से इसे मेरी चूत में पेल दो।”
मैंने बनने की कोशिश की, मानो मैं कुछ समझा ही नहीं। तो वो बोली, “बनो मत, मुझे सब मालूम है कि कैसे तुमने बुआ के साथ मज़े मारे। जल्दी से मेरी भी आग शांत कर दो।” फिर क्या था, मैंने उसे वहीं बरसते पानी में दो बार ठंडा किया। इसके बाद तो मेरी बहन बस मौका ही देखती रहती।
जब भी हमें एकांत मिलता, मेरी बहन मुझसे चिपक जाती। चाहे घर के अन्य सदस्य घर में ही हों। अब तो वह मेरे सामने ही कपड़े बदलती और कई बार टाँगें ऐसी फैलाकर बैठती कि उसकी चूत की फाँकें साफ दिखाई पड़तीं। लेकिन कुछ ही महीनों में उसका सिलेक्शन एमबीए कॉलेज में हो गया और वह आगे पढ़ाई के लिए मुंबई चली गई।
अब तो मेरी हालत और खराब रहने लगी। बिना चूत के मेरा मन किसी काम में नहीं लगता था। घर में अब मैं और मम्मी ही रहते थे। क्योंकि पापा भी अपने जॉब के कारण टूर पर ज्यादा ही रहते थे। पिछले एक महीने में वो बस दो या तीन दिन ही घर पर रुके होंगे।
मेरी निगाहें लगातार मम्मी का पीछा करती रहती थीं कि कब मैं मम्मी को बिना कपड़ों के देख सकूँ। वैसे तो मम्मी कई बार मेरे सामने ही पीठ करके कपड़े बदल लेती थीं, या घर के कामों के दौरान उनके ब्लाउज के गले में से उनके उभारों का दर्शन हो जाता था। लेकिन यह सब नाकाफी था। बल्कि उल्टा इससे तो मेरी आग और भड़क उठती थी।
घर के सभी कामों के साथ-साथ मुझे मम्मी के साथ भी बाज़ार जाना पड़ता था। ऐसे ही एक दिन जब मैं और मम्मी बाज़ार में मार्केटिंग कर रहे थे, तो मम्मी की एक सहेली मिल गई और हम तीनों उस बड़े से मॉल में साथ-साथ घूमने लगे। तभी मम्मी की सहेली एक लेडीज़ काउंटर पर रुकी और वहाँ बड़े ही डिज़ाइनर अंडरगारमेंट्स देखने लगीं।
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वह मम्मी को भी बोलीं कि तू भी ये इम्पोर्टेड ब्रांड यूज़ करा कर। तब मम्मी बड़ी ही मायूसी से धीरे से बोलीं कि पहन तो लूँ, लेकिन देखने वाला कौन है? इसके पापा तो महीने में एक-दो बार घर आ जाएँ, वही बहुत है। तो आंटी एक आँख मारकर बोलीं, “पागल है क्या, जो इतनी भारी जवानी में इतने हुस्न वाले बदन की होकर फालतू बात करती है। अरे, क्या तेरा पति घर से बाहर साधु का जीवन जी रहा होगा? अरे, वह तो हर रात रंगीन कर रहा होगा। और एक तू है कि यहाँ अपनी जवानी को जंग लगा रही है।”
और आंटी मेरी ओर इशारा करती हुई बोलीं कि अरे, मेरा ऐसा गबरू जवान बेटा हो, तो मुझे यूँ बाहर मुँह नहीं मारना पड़े। तब मम्मी ने उन्हें डाँटकर चुप करवाया और मेरी ओर देखने लगीं। लेकिन मैंने तेजी से अपनी गर्दन घुमा ली, मानो कुछ सुना ही न हो। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उसके बाद तो आंटी ने दो-तीन ब्रा को ट्रायल रूम में जाकर ट्राय किया और मम्मी को अंदर बुलाकर दिखाती रहीं। दरवाज़ा खुलने के दौरान एक बार तो मैंने भी आंटी के हुस्न का नज़ारा कर लिया। आंटी ने जिद की, तो मम्मी ने भी खुद के लिए दो-तीन पेयर अंडरगारमेंट्स बिना ट्रायल के पसंद कर लिए।
तब आंटी मेरी भी पसंद पूछने लगीं, तो मम्मी ने उनका हाथ दबा दिया। मुझे भी वहाँ पर एक पेयर पसंद आया, लेकिन मम्मी ने उसे साइज़ में बराबर होने पर भी बड़ा कट का होने के कारण नहीं खरीदा। लेकिन बाद में मैंने उसे मम्मी की नज़रों से बचाकर खरीद लिया और बाकी के सामान में छुपा दिया।
वहीं पास के जेंट्स काउंटर देख मम्मी बोलीं कि तुझे भी कुछ चाहिए, तो खरीद ले। और मेरे द्वारा लॉन्ग अंडरवियर पसंद करने पर आंटी ने उसे हाथ में से लेकर पटक दिया और बड़ी ही सेक्सी मुस्कान फेंककर बोलीं कि तुझे ये कट साइज़ वी-शेप जॉकी सूट करेगा।
मैंने पहली बार इस पैटर्न का अंडरवियर देखा था। लेकिन आंटी के प्रेशर डालने पर मम्मी ने भी लेने की हामी भर दी। खैर, घर आते समय मम्मी के दोनों मांसल बूब्स बार-बार मेरी पीठ को छू रहे थे। इस कारण मैं जानबूझकर जोर-जोर से बाइक के ब्रेक मार रहा था।
घर आने पर आंटी का फोन आया कि मम्मी को कह देना कि जल्दी से अंडरगारमेंट्स ट्रायल कर लें, क्योंकि यदि साइज़ का डिफरेंस रहा, तो एक दिन के बाद रिप्लेस नहीं होगा। तब मैंने मम्मी को वैसा ही बोल दिया। तो मम्मी बोलीं कि ठीक है, पहनकर देख लूँगी।
रात में सोने से पहले मम्मी नहाने गई थीं और मैं हॉल में बैठा टीवी देख रहा था कि मम्मी बेडरूम से गर्दन निकालकर बोलीं कि ये तो चेंज करना पड़ेगा, बहुत ही टाइट है। तो मैं वहीं से बोला कि इसे करने पर कुछ तो लूज़ हो ही जाएगी। तब मम्मी ने भी मेरी बात पर हामी भर दी।
कुछ मिनटों बाद मम्मी फिर बोलीं कि अरे बेटा, जरा तू मदद कर दे, तो शायद ये हुक लग जाए। और जब मैं उठकर अंदर बेडरूम में गया, तो मम्मी को केवल कमर तक तौलिये में लिपटा पाया। जो कि एक छोटे साइज़ का तौलिया था और वह केवल मम्मी की जाँघों तक ही था। और उसका केवल एक राउंड ही मम्मी की कमर पर लिपटा था।
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मम्मी मेरी ओर पीठ करके ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी थीं, जिसके काँच में मुझे मम्मी का फ्रंट साइड दिखाई पड़ रहा था। लेकिन मम्मी ने अपना एक हाथ दोनों स्तनों के ऊपर रखा था, जिस कारण मुझे कुछ खास दिखाई नहीं पड़ रहा था। लेकिन मम्मी की सफेद मांसल पीठ को देख मेरा लंड फिर से तन गया।
और मैं अपने उत्तेजित लंड को दबाने लगा। तब मम्मी ने एक हाथ से नई ब्रा को अपनी बाहों में पहना और मुझसे बोलीं कि तू पीछे से हुक लगा दे। मैंने ब्रा के दोनों हुक पकड़े और उन्हें खींचकर लगाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं लगे। तब मम्मी बोलीं कि देख, नहीं लगे। लगता है लौटानी ही पड़ेगी।
तब मैंने सामने काँच में देखा कि मम्मी के दोनों उरोज तो बाहर ही लटक रहे हैं। बिना उन्हें अंदर किए ब्रा बॉडी में फिट नहीं बैठ सकती। तो मैंने मम्मी को बोला कि आप ही सही नहीं पहन रही हो। तो मम्मी ने कोशिश की, लेकिन फिर भी अपने बाहर लटकते हुए उरोजों को ब्रा के कप में नहीं डाला।
मेरे अंदाज़ से मम्मी शायद जानबूझकर ऐसा कर रही थीं, क्योंकि जो औरत बरसों से ब्रा पहन रही हो, वो यह गलती कर ही नहीं सकती। तब मम्मी बोलीं कि अच्छा, तू ही सही तरीके से पहना दे। तो मैं तुरंत मम्मी के आगे आया और उनके दोनों मक्खन के समान बड़े-बड़े उरोजों को हाथों में पकड़कर काली-काली नुकीली निप्पल्स को दबाते हुए ब्रा के कप में डाल दिया।
और फिर आगे से ही पीछे हाथ करके मम्मी की ब्रा के हुक लगा दिए। इस कारण मम्मी मेरे सीने से चिपक सी गईं और मम्मी के बड़े-बड़े बूब्स मेरे बदन से छू गए। मेरा लंड तो पहले से ही तना हुआ था। बदन छूने से शायद मम्मी उसका तनाव जान गईं और मेरी कमर के नीचे चोर निगाहों से देखने लगीं।
मैंने कहा, अब बताओ, सही फिटिंग तो है? तो मम्मी बोलीं कि हाँ, बिल्कुल सही। इन ब्रांडेड आइटम्स की तो बात ही कुछ और है। फिर मैंने कहा कि आप पैंटी भी ट्राय कर लीजिए। तो मम्मी बोलीं कि हाँ, यह ठीक रहेगा। और मम्मी ने मेरे सामने ही बैग में से नई पैंटी निकाली और झुककर पैरों में डाल ली। और उसे जाँघों पर चढ़ाने लगीं।
और जब वह मम्मी के मोटे चूतड़ों तक पहुँच गई, तो मम्मी ने तौलिया उतार फेंका। पैंटी पूरी तरह न पहन पाने के कारण मम्मी के मांसल चूतड़ों की दरार भी साफ दिखाई पड़ रही थी। तब मम्मी ने पैंटी में उंगली डालकर सही तरीके से पहन ली। और मेरी ओर मुँह करके बोलीं कि बता, मैं कैसी दिख रही हूँ? तो मैं बोला कि बहुत बढ़िया।
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इसी तरह मम्मी ने बाकी की दोनों ब्रा-पैंटी भी मेरे सामने ही ट्रायल की, जिस कारण मैं मम्मी को काफी देर तक अपने सामने हाफ न्यूड देख चुका था। और मम्मी के बदन को छू भी चुका था। लेकिन मेरे बदन की आग बढ़ती ही जा रही थी। तभी मम्मी बोलीं कि तू भी अपना अंडरवियर ट्राय कर ले।
मैं तो इसी का इंतज़ार कर रहा था। मैंने तुरंत ही अपने कपड़े खोले और कमर पर वही मम्मी वाला तौलिया बाँधकर अंडरवियर पहन लिया। तौलिया हटाते ही मैं भी अपने लंड के उभार को देखकर चौंक गया, क्योंकि इस कट साइज़ जॉकी में मेरे लंड का तनाव साफ दिखाई पड़ रहा था।
मम्मी की निगाहें भी मेरे लंड पर से हट ही नहीं रही थीं। जिस कारण मुझे शर्म सी महसूस होने लगी। तभी अचानक मम्मी को बैग में से वह दूसरा ब्रा-पैंटी का सेट दिखाई पड़ गया। और मम्मी ने उसे बाहर निकालते हुए हँसकर पूछा कि ये किसके लिए लाया है रे शैतान? तो मैंने धीरे से कहा कि तुम्हारे लिए। और कौन है जिसके लिए मैं ये लाता? मुझे ये रंग बहुत पसंद आया था।
तब मम्मी भी बोलीं कि हाँ, रंग तो मुझे भी बहुत पसंद था। लेकिन इसके कट बहुत ज्यादा हैं। तो मैंने कहा कि चलो, इसका भी ट्रायल करते हैं। मेरे बोलते ही मम्मी ने अपनी पहनी हुई ब्रा उतार फेंकी और अपने बड़े-बड़े मांसल कबूतरों को उस नई ब्रा में कैद करने की कोशिश करने लगीं।
इस ब्रा का कप तो नाममात्र का था। मम्मी के मोटे-मोटे स्तन उसमें समा ही नहीं रहे थे। और मम्मी की नुकीली काली-काली चूचियाँ बार-बार बाहर आ रही थीं। तो मैंने कहा कि इन्हें बाहर ही रहने दो, अब पैंटी ट्राय करो। तो मम्मी पर्दे की आड़ लेकर नई पैंटी को पहनकर मेरे सामने आ गईं। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इस पैंटी को देख मैं पागल हो गया। क्योंकि इसमें से मम्मी के मांसल चूतड़ पूरी तरह से बाहर आ रहे थे। और पैंटी का पीछे का पोरशन मम्मी की मोटी गांड में धँस चुका था। जब मम्मी आगे पलटीं, तो मेरे ऊपर मानो कयामत ही बरस पड़ी। पैंटी का फ्रंट का पोरशन भी मम्मी की मोटी फैली हुई चूत की फाँकों में फँस चुका था।
और मम्मी की चूत के दोनों लिप्स बाहर आ रहे थे। साइड से भूरे रंग के बालों के बीच अपनी जन्मस्थली देख मैं भी चौंक पड़ा। लेकिन मम्मी ने बड़ी बेशर्मी से अपने चूतड़ों को डबल बेड पलंग पर टिकाकर अपनी दोनों जाँघें चौड़ी कर दीं। मुझे पास बुलाकर बोलीं कि अब बता, ये कैसी है?
मैंने कहा, मम्मी, ये चटख रंग आप पर बहुत खुल रहा है। और मैं तो कहूँगा कि आप घर में ऐसे ही रंग के इस प्रकार के कपड़े पहना करो। आपको ब्लड प्रेशर की बीमारी के कारण यूँ भी गर्मी सहन नहीं करना चाहिए। इन कपड़ों में तो रिलैक्स रहता होगा। तब मम्मी बोलीं कि मैं भी यही चाहती हूँ कि मैं कुछ खुले कपड़े पहनूँ। और यदि तुझे कोई परेशानी न हो, तो मैं आज से ही ऐसे ही रहूँगी। ‘अंधा क्या चाहता दो आँख’। लेकिन मैं कुछ नहीं बोला।
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तभी मम्मी बोलीं कि ये पैंटी कुछ अंदर की ओर भारी रही है। तू जरा देख तो क्या परेशानी है। तो मैंने तुरंत ही अपनी उंगलियों से मम्मी की चूत की फाँकों में से पैंटी को बाहर किया और मम्मी की चूत के बालों को पैंटी के अंदर डालने की कोशिश की। तभी मम्मी अपनी चूत को फैलाए ही बेड पर पसर गईं और अपने स्तनों को हाथों से सहलाने लगीं। मैं तुरंत ही मम्मी के सीने से सटकर लेट गया और मम्मी की निप्पल्स को पकड़कर सहलाने लगा। तभी मम्मी ने मेरे लंड को टटोला और उसे दबाने लगीं।
मैंने भी बिना देर किए, मम्मी के उरोजों को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। कुछ ही मिनटों में मम्मी जोर-जोर से चिल्लाने लगीं, “छोड़ दे मुझे, अपनी माँ की चूत छोड़ दे। फाड़ डाल, मेरी चूत का भोसड़ा बना दे।” यह सब सुन मैं और जोश में आ गया और मैंने अपना लपलपाता हुआ लंड मम्मी की चूत में पेल दिया। इसके बाद तो जो ये सिलसिला चला, उसने कभी रुकने का नाम भी नहीं लिया। बाद में जब हमारे सभी राज़ एक-दूसरे को मालूम चल गए, तो मम्मी के साथ मेरी बहन और बुआ भी इस हसीन खेल में शामिल होने लगीं और मैं इन चारों की कामाग्नि बारी-बारी से शांत करने लगा।
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