Double Penetration
मैं आपका प्यारा कृपा हूँ अहमदाबाद से। हम्म्म दोस्तों, मेरे प्यार के दिन खत्म हो चले थे। मैं बहुत ही तन्हा रहने लगा था। कहते हैं ना हर कुत्ते के दिन बदलते हैं, मेरे भी बदले और मैं वही पहले वाली औकात पर आ गया था। मैं तो जैसे-तैसे मुठ मारके काम चला रहा था। Double Penetration
और मैं ज्यादातर अपनी पिछली यादें याद करके मुठ मारा करता था। तब मुझे भी एहसास हुआ कि मैं सेक्स के बगैर नहीं रह सकता। आप लोग मेरी फोटो देखो, तो आप सब भी कहोगे कि साला देखने में ही ठरकी है। और मैं हूँ भी। दो हफ्ते तक मैं मुठ मारके काम चला रहा था। क्या करता, कोई लड़की ही नहीं मिल रही थी, ना कोई जुगाड़ बन रहा था। फिर मेरे जीवन में एक अवतार आया। मेरा दोस्त मेरे लिए संदेशा लाया।
कहता, “आजा मेरे भाई, चूत चोदेंगे।”
मैंने कहा, “चूत कहाँ खोलेंगे?”
वो बोला, “मेरी गर्लफ्रेंड है जो ग्रुप सेक्स करना चाहती है।”
मैंने कहा, “भाई यहाँ तो कोई पार्टनर ही नहीं है।”
तो वो बोला, “अबे वो दो लड़कों से एक साथ चुदना चाहती है।”
मैं बहुत खुश हुआ। लंड तो बहुत दिनों बाद चूत मिलने का एहसास हुआ और कच्छे में से बाहर झाँक के चूत की तलाश करने लगा। मैं तो बहुत खुश हो गया था। शाम का प्रोग्राम था। मैंने तो पूरी तैयारी कर ली। मैं एक पत्ता ताकत की गोलियाँ ले आया ताकि मैं लंबी से लंबी सेक्स ड्राइव कर सकूँ।
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फिर हम दोनों ने एक रूम बुक किया और वहाँ चले गए। शाम को उसकी गर्लफ्रेंड आई और साथ में इंतज़ार खत्म होने का संदेशा लाई। मेरी आँखें तड़प रही थीं चूत के लिए। जैसे ही डोर बेल बजी, मेरे लंड में भी घंटियाँ बजने लगीं। मैंने उठके दरवाज़ा खोला और खोलते ही आँखें फटी रह गईं।
क्या माल था यारों, भगवान ने भी आइटम बनाया था। मैंने उसे अंदर आने को कहा और हम दोनों ने एक-दूसरे से इंट्रोडक्शन किया। उसका नाम नेहा था। मैंने अपने दोस्त को साइड में ले जाकर पूछा, “बहनचोद माल तो बहुत बढ़िया पकड़ा है, कहाँ से लाया?”
तो कहने लगा, “कॉलेज में साथ में पढ़ती है।”
मैंने कहा, “यार तेरी तो मौज है।”
वो कहता, “साले आज तो तेरी भी मौज है।”
बस मैंने बातें करना बंद कर दिया और हम तीनों बेड पर बैठ गए। उपेन्द्र ने मुझे सोफे पर बैठने को कहा और आँख मारी। मैं समझ गया, मैं सोफे पर जाकर बैठ गया और नेहा उपेन्द्र के पास जाकर बैठ गई। मैंने तो अपनी सिगरेट जला ली और स्मोक करने लगा। उधर उपेन्द्र नेहा की जाँघों पर हाथ फेरने लगा।
नेहा को थोड़ी शर्म आ रही थी। उपेन्द्र उसके और करीब गया और उसे बाहों में पकड़ लिया। और जोरदार किस की बौछार कर दी। और उसका टॉप भी उतार दिया। थोड़ी देर उसके बूब्स दबाए और फिर धीरे-धीरे उसे पूरा नंगा कर दिया। मैं तो नेहा का शरीर देखके हैरान था।
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क्या गजब का पीस था – बूब्स पर गुलाबी निप्पल, चूत पूरी पिंक पर फटी हुई। मैंने आज तक ऐसा फिगर वाली लड़की नहीं देखी थी। मेरे बाप का क्या जा रहा था, आखिर चूत ही तो थी। फिर उपेन्द्र ने अपना लंड निकाला और उसकी चूत में पूरा डाल दिया और मुझे अपने पास बुलाया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने अपनी सिगरेट फेंकी और अपने सारे कपड़े उतार दिए। मैं अच्छी तरह समझ गया था कि नेहा ग्रुप सेक्स क्यों चाहती थी – वो किसी और से भी पिलना चाहती थी, उपेन्द्र उसे सैटिस्फाई नहीं कर पाता था। पर वो उपेन्द्र पर ट्रस्ट करती थी, इसलिए ये काम उपेन्द्र के जिम्मे सौंप दिया था। पर मुझे क्या, चूत तो मिल ही रही थी। मैंने थोड़ा मजाक करना शुरू कर दिया। उपेन्द्र का लंड नेहा की चूत में, मेरा लंड तो पिछले एक घंटे से ही खड़ा था।
मैं उपेन्द्र के पीछे गया और मैंने कहा, “उपेन्द्र आज नेहा की छोड़, तेरी ही गांड मार लेता हूँ, वैसे भी मैंने किसी लड़के की गांड नहीं मारी।”
मेरी ये बात सुनते ही नेहा हँसने लगी।
उपेन्द्र ने कहा, “चूतिये नेहा की मार, मेरी गांड में क्या रखा है?”
मैंने कहा, “बहनचोद क्यों चिल्ला रहा है, मैं तो बस मजाक ही कर रहा था।”
मैंने कहा, “यार मुझे सूखा-सूखा मजा नहीं आता।”
तो उसने कहा, “तुझे जो करना है तू बाद में कर लियो।”
मैंने कहा, “ठीक है मैं बाद में ही कर लूँगा।”
मैंने अपने कपड़े दोबारा पहन लिए। उपेन्द्र ने उसे चोदना शुरू किया और नेहा आराम से लेटी हुई थी, बस बीच-बीच में हल्की-हल्की सिसकियाँ ले रही थी। फिर उपेन्द्र भी झड़ गया। पर नेहा को देखकर लग रहा था कि वो अभी और मजे लेना चाहती थी। उपेन्द्र ने ही अपना लंड बाहर निकाला और कपड़े पहन लिए।
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मैंने उसे कहा, “भाई दो बीयर की बोतल मंगवा दे।”
उसने कहा, “अभी लेकर ही आता हूँ।”
मैंने उसे पैसे दिए और वो बोतल लेने चला गया। ठेका वहाँ से 5 मिनट की दूरी पर ही था। नेहा मुझे देख रही थी।
मैंने कहा, “तुम उपेन्द्र से खुश नहीं हो ना?”
तो उसने कहा, “नहीं ऐसी बात नहीं है।”
मैंने कहा, “ये सब तुम्हारी आँखों में दिख रहा है।”
मैंने कहा, “कोई बात नहीं, मैं तुम्हें किसी और दिन अपने जलवे दिखाऊँगा।”
तो वो बोली, “अभी क्यों नहीं?”
मैंने कहा, “उपेन्द्र की गांड में मिर्ची लगेगी।”
वो मान गई। मैंने उसे कल फिर इसी रूम पर आने को कहा। उपेन्द्र दो-एक मिनट बाद बीयर लेकर आया। हम तीनों ने बीयर पी और अपने-अपने घर चले गए। मैंने तो घर जाते ही नेहा के नाम की मुठ मार ली और बेताबी से अगले दिन के बारे में सोचने लगा। अगले दिन मैं उसी रूम पर पहुँच गया।
30 मिनट बाद नेहा भी आ गई। मैंने उसे गेट बंद करने को कहा। मैंने 4 ताकत की कैप्सूल निकाली, खुद भी खा लीं और 4 कैप्सूल उसे भी खाने को कहा। उसने भी खा लीं। बस फिर मैं बेड की एक एज पर बैठ गया और नेहा को गोद में बिठा लिया। उसके होंठ मेरे होंठों के पास, उसके बूब्स मेरी चेस्ट से टच हो रहे थे।
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मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। मैं उसे अच्छी तरह कस लिया और उसे स्मूच देने लगा और वो भी पूरा-पूरा साथ देने लगी। मैं लगातार अपनी जीभ उसके मुँह में घुमा रहा था और वो मेरी जीभ को अपने मुँह में पकड़ने की कोशिश कर रही थी। मैंने धीरे-धीरे अपने हाथ उसकी हिप्स की तरफ ले गया और धीरे-धीरे सहलाने लगा।
वो तो और भी गरम हो गई और झटपटाने लगी। मैंने उसका टॉप उतार दिया, उसने ब्रा नहीं पहनी थी। फिर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके साथ में लेट गया। मैं उसके बूब्स को एक हाथ से मसल रहा था, साथ ही साथ चूस भी रहा था। उसने मेरे सिर पकड़ा और बूब्स पर प्रेस करने लगी।
मैं भी अपनी पूरी जान से उसके बूब्स दबा रहा था और चूम रहा था। फिर मैंने उसकी जींस उतारी और उसकी पैंटी में उँगलियाँ डाल के उसकी चूत तक ले गया। मैंने अपनी उँगलियाँ उसकी चूत में घुमानी शुरू कर दीं। फिर मेरे से भी नहीं रहा गया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने उसकी पैंटी उतार फेंकी और उसकी पिंक पुसी पर अपने सॉफ्ट-सॉफ्ट होंठ रख दिए। वो एकदम से झटपटा गई। उसकी चूत में मैंने अपनी जीभ इधर-उधर घुमाता रहा, फिर अचानक मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया। वो पूरी तरह से पागल हो चुकी थी और जोर-जोर से सिसकियाँ ले रही थी।
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मैं इसी तरह उसकी चूत में जीभ चलाता रहा। फिर मैं उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूत में लंड डाल के धीरे-धीरे धक्के देने लगा, ऊपर से उसके बूब्स दबाता रहा। वो तो बस इस नशे का स्वाद चख रही थी और सिर्फ सिसकियाँ ले रही थी। धीरे-धीरे वो भी अपने कुल्हों को उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। मैंने फिर से अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और नीचे-नीचे धक्के देता रहा। फिर मैंने उसे अपने ऊपर बिठा दिया और उसके मुँह को पकड़ लिया और किस करता रहा।
वो अपनी गांड को उठा-उठा कर लंड पर पटक रही थी, जिससे मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत की गहराइयों में जा रहा था। मैं तो इसी तरह पड़ा रहा। थोड़ी देर बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। वो मेरे साथ में लेट गई और दोनों रिलैक्स करने लगे। मैंने कहा, “क्यों जान, कैसा लगा?” कहती, “इससे अच्छी चुदाई आज तक जीवन में नहीं करवाई और मेरे साथ जब मौका मिलेगा सेक्स करेगी।” हम दोनों ने कपड़े पहने, फिर हम दोनों एक-दूसरे को किस करते रहे और अपने-अपने घर की ओर चल दिए।
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