Randi Maa Bahan
मेरा नाम शोभित है. ये कहानी उस समय की है जब मैं कोई १२ साल का रहा हूँगा. मेरे पापा कहीं किसी यात्रा पर गए थे और फिर कभी नही लौट के आये. उसके बाद से मेरे माँ और सबलोग पापा को मरा समझ बौठे क्यूंकि पापा कभी नही लौट के आये. उसके बाद से ही मेरी जवान २७ वर्षीय माँ मेरे जीतेन्द्र अंकल से फस गयी थी. और उनसे चुदवाने लगी थी. Randi Maa Bahan
मैं उस वक़्त १० १२ साल का था इसलिए चुदाई का मतलब नही जानता था. पर जब रोज रोज रात को मम्मी जीतेन्द्र अंकल के कमरे में जाती और सुबह निकलती तो मुझे शक होने लगा.
एक रात मुझे बड़ी भूख लगी थी. मैं कोई १२ बजे रात में जग गया था. जब मैंने अपने आस पास देखा तो मुझे माँ कहीं ही दिखाई दी. मेरे बगल मेरी जवान कड़क माल बहन लेती सो रही थी. उसके दूध मुझे उसके सूट से साफ साफ़ दिख रहे थे.
पर फिलहाल मैंने अपनी माँ को ढूँढ के उसने खाना माँगना चाहता था. मैं दरवाजे पर पंहुचा तो कुंडी खुली थी. इसका मतलब मेरी माँ कहीं बाहिर गयी थी. मैं माँ माँ पुकारता हुआ बाहर गया तो कहीं माँ नही दिखाई दी. मेरे जीतेन्द्र अंकल के कमरे की बत्ती जल रही थी.
वो आई ऐ एस की तयारी करते है. मैं सोचा की सायद अंकल रात में पढ़ रहे होंगे. मैंने छोटे छोटे कदमों से अंकल के कमरे की तरह बढ़ने लगा. वहां से अजीब अजीब आवाज आ रही थी. मैं ध्यान से रात के सन्नाटे में आवाज सुन रहा था.
फाड़ दो !! देवर जी !! इस जालिम बुर को आज फाड़के रख दो!! ये गर्म चूत मुझे एक पल भी नही सुकून से जीने देती है. बार बार कहती है मुझसे जाओ किसी मर्द का लौड़ा ढूँढ कर लाऊ और मुझे चोदो!! इसलिए देवर जी आज आप इस बुर को इतना फाड़ दो की दुबारा ये मुझे तंग ना करे!!’ दोस्तों इस तरह गर्म गर्म चीखने चिल्लाने की आवाजे मैंने सुनी तो मैं सोच में पड़ गया.
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क्यूंकि मैं नही जानता था की इन सब बातों का क्या मतलब होता है. क्यूंकि मैं एक १० १२ साल का अबोध बालक था. जब मैं जीतेन्द्र अंकल के कमरे पर पंहुचा तो खिड़की से मेरी नजर अंदर गयी. मेरी माँ बिलकुल नंगी थी. जिस तरह मैं बचपन में उसके दूध पीता था.
जीतेन्द्र अंकल बिलकुल उसी तरह मेरी माँ के मम्मे मुँह में भरके पी रहे थे. मैं कुछ समझ नही पाया. जीतेन्द्र अंकल तो इतने बड़े है. वो तो आदमी है. रोटी और दाल चावल खाते है, फिर आखिर क्यूँ उनको मेरी माँ के दूध पीने की जरुरत पड गयी.
दूध तो वो लोग पीते है जिनके मुँह में दांत नही होते, फिर जीतेन्द्र अंकल को मेरी माँ के मस्त मस्त ३६ साइज़ के दूध पीने की जरूरत क्यूँ पड़ी. दोस्तों, मैंने भी सोच लिया की ये सारा राज मैं पता लगाकर रहूँगा. मैं वही छुपकर अपनी माँ की सारी चुदाईलीला देखने लगा.
मेरी माँ बार बार अंकल से बोल रही थी ‘देवर जी !! जोर जोर से चोदिये ना!! ये क्या जवानी में आप इतने धीरे धीरे धक्के मार रहे है. अभी तो आपकी शादी भी नही हुई. इससे तेज तेज तो मुझे आपके बड़े भैया चोदते थे!!…इसलिए प्लीस आप मुझे जोर जोर से पेलिए!!’ मेरी आवारा माँ किसी रांड की तरह बोल रही थी.
उनके मुँह से बार बार चोदने और पेलने की बात सुनकर मैं समझ गया की ये जो हो रहा है उसी को चुदाई कहते है. फिर जीतेन्द्र अंकल ने माँ के दोनों मस्त मस्त मम्मे पीने के बाद मेरी माँ के दोनों टांग खोल दिए जैसी मेरी आवारा माँ कोई बच्चा पैदा करने वाली है. जीतेन्द्र अंकल का लौड़ा सचमुच किसी हाथी के लौड़े जितना बड़ा था.
दोस्तों, मैं छोटा जरुर था पर लंड तो पहचान ही लेता था. गाय, भैस और बैल का लंड मैंने अपनी साइंस की किताबों में देखा था. इसलिए मैं लंड को अच्छे से पहचानता था. जीतेन्द्र अंकल ने मेरी माँ के दोनों टांग किसी छिनाल की तरह खोल दिए. अपना विशाल लौड़ा माँ के भोसड़े में डाल दिया और माँ को जोर जोर से चोदने लगे.
जब वो जोर जोर से माँ की बुर फाड़ने और फोड़ने लगे तो माँ के मम्मे बेकाबू हो गये और इधर उधर मचलने और हिलने लगे. जीतेन्द्र अंकल मेरी माँ को किसी देसी छिनाल या रंडी की तरह चोद रहे थे. क्यूंकि माँ भी उनसे इसी तरह गालियाँ दे देकर चोदने का निवेदन कर रही थी.
जीतेन्द्र अंकल ‘ले रंडी !! ले लम्बा लम्बा खीरा !! मैं अच्छी तरह जानता हूँ की तेरी बुर में खाज है. जब तक तू चुदवा नही लेगी मेरे कमरे से नही भागेगी…छिनाल !! मादरचोद !!! पति से चुदवा चुदवाकर तेरा दिल नही भरा तो रंडी देवर से लौड़ा खाने आ गयी !! ले हरामिन ले!!’ जीतेन्द्र अंकल बोले और उन्होंने ८ १० झापड़ मेरी माँ के के गाल पर ताड़ ताड़ जड़ दिए.
मैं खिड़की से छुपकर उनदोनों को देख रहा था. मेरा अंकल माँ को मार मार के चोद रहे थे. मैं सोच में पड गया की हाई अल्ला !! ये कैसी चुदाई है. चूत भी लो और मारो भी. मेरी माँ का गाल मार खा खाकर लाल हो गया. फिर भी वो नही रोई और दोनों टाँगे किसी कुतिया की तरह फैलाकर मजे से चुदवाती रही. मैं सकते में आ गया.
मेरे जीतेन्द्र अंकल जोर जोर से मेरी माँ की चूत में धक्का मार रहे है. मैं तो सोच रहा था कहीं माँ चुदवाते चुदवाते मर मरा ना जाए. मेरे अंकल जोर जोर से माँ मेरी माँ के बड़े मुलायम मुलायम दूध को बेदर्दी से हाथ से मसल रहा था जैसे लोग अपनी बीबी के दूध बेदर्दी से मसलते है.
वो पूरा मजा मारते हुए मेरी माँ को पौन घंटे तक ठोकते रहे. फिर अचानक उन्होंने अपना लंड माँ के भोसड़े से बाहर निकाल लिया और राम जाने पता नही कौन सा चिप चिपा पदार्थ अंकल से लौड़े से निकला और सीधा माँ के मुँह और गोल गोल खूबसूरत मम्मो पर जाकर गिरा.
मेरी माँ से अंकल का सारा माल पी लिया. दोस्तों कहाँ मैं गया था माँ से खाना मांगने और कहाँ अपनी सगी माँ को जीतेन्द्र अंकल से चुदते मैं देख लिया. मैं उस समय सिर्फ १० साल का था पर फिर भी पता नही कैसे मेरा लंड खड़ा हो गया. मेरी भूख गायब हो गयी. मैं अंदर कमरे में आ गया.
अपनी जवान बड़ी बहन को चोदने का मेरा मन करने लगा. पर मैं सिर्फ १० साल का था. आखिर कैसे अपनी दीदी को चोद पाता. वो तो १८ साल की जवान सामान थी. अगले दिन फिर ऐसा हुआ. आज भी मेरी आँख १२, साढे १२ बजा के आसपास खुल गयी.
मेरे बगल मेरी माँ जो हमेशा मेरे साथ सोती थी. वो नही थी. मैंने समझ गया की जरुर वो जीतेन्द्र अंकल से ठुकवाने गयी होगी. जब मैंने गया तो अंकल मेरी कोई आई ऐ एस की पढाई नही कर रहे थे. हाँ मेरी माँ को चोदने में वो जरुर आई ऐ एस का कोर्से कर रहे थे.
मैंने अपनी इन्ही आँखों ने देखा की माँ ना जाने किस आसन में थी. आज तो हद ही हो गयी थी. जीतेन्द्र अंकल मेरी माँ को खड़े खड़े ही चोद रहे थे. मैंने तो कभी सोचा भी नही था की खड़े खड़े भी कोई मर्द किसी औरत को भांज सकता है. जीतेन्द्र अंकल मेरी माँ के पीछे खड़े से.
माँ को उन्होंने एक टेबल पर हल्का सा झुका रखा था. पीछे से गपा गप माँ की बुर में लौड़ा दे रहे थे. मेरी चुदासी आवारा माँ के दोनों आम ठीक उसी तरह हिल रहे थे जैसे आंधी चलने पर पेड़ में लगे आम जोर जोर से हिलते है.
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अंकल ने मेरी माँ की छोटी किसी छिनाल बाजारू रंडी की तरह पकड़ रखी थी. अंकल तरह तरह की बुरी बुरी गालियाँ मेरी माँ को दे रहे थे. माँ गालियाँ भी मजे से सुन रही थी और अंकल को चूत भी ले रही थी. सायद उसको इस सब में खूब मजा मिल रहा था. जीतेन्द्र अंकल फिर आगे अपने हाथ करके माँ के दूध पकड़ लेते थे.
और जोर जोर से माँ की काले घेरे के बीच स्तिथ निपल्स को हाथ से ऐठने लग जाते थे. मेरी माँ को ऐसा करने पर सायद जन्नत का सुख मिल रहा था. वो किसी रांड की तरह अपनी निपल्स को ऐठवा रही थी और पीछे से चुदवा रही थी. जीतेन्द्र अंकल का लौड़ा तो किसी मशीन की माँ को को बड़ी जल्दी जल्दी चोद रहा था.
लग रहा था जैसे कोई साइकिल चल रही हो. दोस्तों जब मैंने ये सब देखा तो मेरा लंड भी खड़ा हो गया. कुछ देर बाद अंकल ने माँ के भोसड़े में ही माल छोड़ दिया. ‘देवर जी !! आपसे चुदकर मेरा जीवन धन्य हो गया. अगर आप ना होते तो पता नही क्या होता. आपके बड़े भैया के मरने के बाद कौन मुझे चोद चोदकर सुख देता!!’ मेरी माँ ने कहा.
‘भाभी आपको मैंने इतना चोदा है. इतना मजा दिया है. आपने कहा था की आप मुझे इनाम देंगी !! अपनी जवान लडकी सौम्या को चोदने को देंगी!…प्लीस भाभी सौम्या की बुर दिला दीजिये!!’ जीतेन्द्र अंकल माँ से गुजारिश करने लगी. ‘ठीक है देवर जी !! आपको आपका इनाम जरुर मिलेगा!! मैं अभी सौम्या को बुलाकर लाती हूँ. आज ही आप मेरी बेटी की कुवारी चूत लीजिये!!’ मेरी माँ ने कहा.
वो मेरे कमरे में आने लगी. मैंने जल्दी से आकर अपने कमरे में आकर झूठ मुठ सो गया. मेरी माँ आई और मेरी बहन को उठाने लगी. “ सौम्या!! बेटी तू रोज कहती थी ना तेरा चुदने का मन है. चल आज तुझे मैं चुदवा देती हूँ…चल उठ बेटी!!’ मेरी माँ बोली. वो सौम्या को अपने साथ ले गयी.
मैं फिर से जाग गया और अपनी बहन सौम्या को चुदते देखने के लिए फिर से जीतेन्द्र अंकल के कमरे में चला गया. मेरी आवारा छिनाल माँ ने मेरी बहन सौम्या के सारे कपड़े निकलवा दिए थे. मेरे जीतेन्द्र अंकल अपने लौड़े में तेल लगाकर धार दे रहे थे. वो लौड़े को हाथ से फेट रहे थे.
जब अंकल ने मेरी जवान बहन को नंगी देखा तो मचल गए. ‘भाभी जान !! मेरी भतीजी तो अब जवान हो गयी है. अब इसकी बुर के लिए बाहर से क्या लंड का इंतजाम करना आज ही इसे चोद देता हूँ!!’ अंकल बोले. उन्होंने मेरी जवान १८ साल की बहन को बाहों में भर लिया और चूमने चाटने लग गये. धीरे धीरे मेरी बहन सौम्या भी गर्म हो गयी. वो भी मेरे अंकल का लौड़ा खाना चाहती थी.
जीतेन्द्र अंकल ने मेरी जवान बहन के दूध पीना शुरू कर दिया. मैंने फिरसे उनके कमरे की खिड़की से चिपक गया था. मेरी बहन बहुत गजब की माल थी. मैं खिड़की के पास छिपकर सब देख रहा था. मेरे अंकल बहन के दूध बड़ी देर तक पीते रहे. उससे इश्क लड़ाते रहे. फिर वो सौम्या की बुर पीने लगे.
उनको ना जाने उसकी बुर पीने में कौन सा मजा मिल रहा था. वो जीभ निकाल निकाल कर मेरी बहन की चूत पीने लगे. मेरी बहन सौम्या बिलकुल कुवारी थी. अभी तक वो अनचुदी थी. आज अंकल ही उसके भोसड़े का उदघाटन करने वाले थे.
जैसे ही जीतेन्द्र अंकल ने सौम्या के भोसड़े में अपना लोहे जैसे गर्म लौदा डाल दिया, सौम्या की माँ चुद गयी. वो नही नही कहने लगी. पर मेरे अंकल को तो हर हाल में सौम्या की चूत मारनी थी. उन्होंने सौम्या का दर्द नही देखा बस कमर हिला हिलकर उस बेचारी नादान लडकी को लेते रहे. सौम्या दर्द से छटपटाती रही. चाचा उसको चोदने का मजा लेते रहे.
जब कुछ देर बाद चाचा ने अपना माल सौम्या की बुर में ही छोड़ दिया और जब लौड़ा निकाला तो उनका लौड़ा खून से रंग हुआ था. ऐसा लग रहा था की उनका लौड़ा कहीं से खून की होली खेल कर आया है. मेरी बहन सौम्या की बुर में चीरा लग चूका था. मेरी नई नई जवान हुई बहन चुद चुकी थी.
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जीतेन्द्र चाचा ने कुछ देर बाद फिर से मेरी बहन के दोनों टांग खोल दी और फिर से उसकी बुर में लौड़ा दे दिया. और मजे से कमर चला चला के मेरी बहन सौम्या को पेलने लगे. कुछ देर सौम्या का दर्द गायब हो गया और वो कमर उठा उठाकर चुदवाने लगी. उसकी कमर बड़े नशीले तरह से गोल गोल नाच रही थी. जीतेन्द्र अंकल उसकी उसी तरह से ले रहे थे जैसे मेरी माँ को लेते थे. उनका पूरा बदन सौम्या पर आ गया था.
सौम्या उनके लौड़े की एक एक हरकत पर नाच रही थी. कहना गलत नही होगा की जिस तरह वो गर्म गर्म सासें अपने मुँह और नाक से निकाल रही थी उसको भी चुदवाने में बहुत मजा मिल रहा था. उसे भी जन्नत मिल रही थी. चाचा हपर हपर करके उसको ताकत से ठोकते रहे. वो चुदती रही. उसके बाद जीतेन्द्र अंकल ने सौम्या को करवट दिया दी और स्पून विधि से बहन की चूत लेने लगा. मैं बाहर खड़ा होकर सारे काण्ड देख रहा था. कुछ देर बाद जीतेन्द्र अंकल सौम्या की लाल चूत में ही झड गये.