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You are here: Home / Devar Bhabhi Sex Story / देवर मेरी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया

देवर मेरी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया

दिसम्बर 6, 2021 by hamari

Cute Bhabhi Malish Sex

मैं अपने पति, और देवर के साथ रहती हूँ। मेरे देवर अभी पढ़ाई कर रहे है, उसके बाद उनका किसी सरकारी नौकरी की तैयारी करने का प्लान है। दोस्तों, मेरे पति एक प्राईवेट कम्पनी में काम करते थे। उनकी बोस एक लेडीज थी। मुझे उनका नाम तो नही पता पर वो बहुत सुंदर और खूबसूरत थी। Cute Bhabhi Malish Sex

कुछ दिन बाद मुझे किसी तरह पता चल गया की मेरे पति का उसकी बोस से चक्कर चल रहा है। ऑफिस के एक आदमी ने मुझे फोन करके बताया की मेरे पति कम्पनी में काम कम और इश्क जादा लड़ा रहे है। शाम को जब पति आये तो मेरी उसने काफी बहस हो गयी।

“नितेश! अब मुझे पता चला की तुम रात में ११ ११ बजे तक तक अपने ऑफिस में क्या करते हो। मुझे तुम्हारे बारे में सब मालुम हो गया है!!” मैंने पति से शिकायत की.

“क्या मालूम हो गया है तुमको???” पति बोले.

“…..यही की तुम्हारा तुम्हारी बोस के साथ चक्कर चल रहा है!!” मैंने कहा.

“कौन कहता है ये???…मेरे ऑफिस के लोग तुमको भडका रहे है। ऐसा कुछ नही है जैसा तुम सोच रही हो कृति!” पति बोले और तरह तरह के बहाने मारने लगे। मैंने ये बात अपने देवर से बतायी तो वो बहुत गुस्सा हुआ.

शाम को उसने मेरे पति और अपने भैया से बात की, तो पति फिर से बहाने बनाने लगे। कुछ दिन बाद फिर से मेरे पास फोन आया की मेरे पति अपनी बोस के साथ रेस्टोरेंट में डेट पर गये है। मैं जोर जोर से रोने लगी। मैंने ये बात अपने देवर अरुण को बताई।

“भाभी तुम बिलकुल परेशान न हो.. अभी का अभी दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा!!” अरुण बोला.

मुझे अपनी बाइक पर बिठाकर वो रेस्टोरेंट ले गया। वहां पर लान में सारे कपल्स बैठे हुए थे। अरुण और मैं अपने पति को ढूंढने लगे, की इतने में मेरी नजर मेरी पति और उसकी बोस पर पड़ गयी। मेरे पति हंस हंसकर अपनी बोस से बात कर रहे थे और उनके हाथ को लेकर वो चूम रहे थे। मैं आगे बढ़ने लगी तो अरुण ने मुझे रोक दिया।

“भाभी अगर अभी तुम भैया को पकड़ोगी तो वो फिर से बहाना बना देंगे, पहले उनको कुछ करने दो, फिर रंगे हाथ हम दोनों उनको पकड़ लेंगे!!” मेरा देवर अरुण बोला.

हम दोनों वही पर छिप गए। कुछ देर बाद मेरे पति मैडम को लेकर रेस्टोरेंट से जाने लगे, हम लोग भी उनके पीछे हो लिए, फिर वो उपर होटल में चले गया और मैडम बोस के साथ एक कमरे में घुस गए। १५ मिनट बाद मैं और अरुण ने उनके कमरे का दरवाजा खटखटाया तो मेरे पति बोले कौन।

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अरुण ने वेटर की नकल की और कुछ जरुरी काम बताया, जैसे ही दरवाजा खुला तो हम दोनों दंग रहे गये। मेरे पति और मैडम पूरी तरह से नंगे थे, शायद वो लोग चुदाई कर रहे थे। मैं अंदर में गयी तो मेरे पति और उनकी मैडम बोस मुझे और अरुण को देखकर चौंक गए। मैंने पति को एक झापड़ जोर से मारा।

“यही ओवरटाइम कर रहे हो तुम???…तभी तुमको घर पहुचने में ११ और १२ बज जाते है???” मैंने चीखकर कहा और मैंने उनकी बोस को बाल से पकड़ लिया और उनको मैं तरह तरह की गालियाँ बकने लगी। मैंने उनको बोस को भी २ ४ थप्पड़ मार दिए।

“अब रहो इस चुड़ैल के साथ! इसी की चूत मारो….और खबरदार अगर मेरे पास लौट कर आये तो……मैं तुम्हारा खून कर दूंगी!” मैंने चिल्लाकर रोते हुए कहा.

मुझे विश्वास नही हो रहा था की मेरा पति जो इतना सीधा और शरीफ था, अपनी बोस को होटल में चोद रहा था। कितना बड़ा झूटा और कितना मक्कार आदमी निकला वो। मैं अपने देवर के साथ घर आ गयी। पर जो मैंने देखा उसके बाद तो मेरे आँशू रुक ही नही रहे थे।

“मत रो भाभी!! मत रो…जरुर भैया की बोस ने ही उनको अपने जाल में फसाया होगा!” मेरा देवर अरुण बोला और मुझे चुप कराने लगा। कुछ दिन बाद मेरे पति ने मुझसे बोल दिया की वो अपनी बोस से चक्कर जरुर चलाएंगे और उस माल को नही छोड़ेंगे। मेरे दिल में बगावत और बदले की बात घर कर गयी।

अगर मेरे पति अपनी बोस की चूत मारेंगे तो मैं भी किसी गैर मर्द से चुदवाउंगी। धीरे धीरे मैं अपने देवर को पसंद करने लगी। मेरे पति ने अब मेरे साथ सोना और मुझे चोदना बंद कर दिया था, जबसे उनका भांडा फूट गया था। जब मैं अपने २२ साल के हट्टे कट्टे देवर को देखती थी तो मेरा उससे चुदवाने का दिल करने लग जाता था। वो मुझे बहुत स्मार्ट और खूबसूरत लगता था।

“अरुण!..आई लव यू…मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ!!” मैंने एक दिन कह दिया.

फिर अरुण भी मान गया और उसने मेरा ऑफर ले लिया। आज मैं अपने देवर से कसकर चुदवाना चाहती थी। मैंने उसका फेवरेट खाना बनाया। जैसे ही मेरे पति अपने ऑफिस को निकल गए मैं देवर अरुण के कमरे में चली गयी और मैंने उसको अपने हाथ से खाना खिलाया। उसके बाद हम प्यार करने लगे। अरुण समझ गया था की उसकी भाभी आज उससे चुदवाने के फुल मूड में है।

“लाओ अरुण, आज तुम्हारे मालिश कर दू!!” मैंने कहा तो उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिए। उसने सिर्फ अंडरविअर पहन रखी थी। पेट के बल वो बिस्तर पर लेट गया और मैं उसकी नंगी चिकनी और विशाल पीठ पर मालिश करने लगी।

धीरे धीरे मैं उसकी पीठ पर तेल मलती रही और फिर नीचे उसकी जांघो पर पहुच गयी। फिर मैंने अरुण को सीधा करके लिटा दिया, उसके पेट में मैं तेल लगा रही थी। मुझे कुछ देर बाद बहुत जोर की चुदास चढ़ गयी, मेरा हाथ उसके पेट से फिसलकर उसके अंडर विअर में चला गया। और मैंने बड़ी बेशर्मी से अपने देवर अरुण का लौड़ा पकड़ लिया।

“भाभी !! ये क्या कर रहो हो???” मेरा सीधा साधा देवर अरुण बोला.

“……जो कर रही हूँ सही कर रही हूँ…अगर मेरा पति अपनी बोस की चूत मार सकता है तो मैं भी अपने देवर के लंड से चुदवा सकती हूँ!” मैंने कहा और अरुण का अंडरविअर मैंने निकाल दिया और मुंह में लेकर चूसने लगी। कुछ ही देर में मेरा देवर अरुण भी मुझसे पट गया था, उसके बाद वो बिस्तर पर बैठ गया और हम दोनों प्यार करने लगे। अरुण ने मुझे दोनों कंधों से कसकर पकड़ लिया।

“ओह्ह…भाभी, सच में तुम बहुत खूबसुरत हो….आज मैं जरुर तुम्हारी चूत मारूंगा! अगर मेरे भैया तुमको नही चोदते है तो क्या हुआ….तुम्हारा देवर अभी जिन्दा है!!” अरुण बोला।

उसके हाथ मेरे दोनों कन्धो पर थे। हम दोनों एक दूसरे को जोश खरोश से किस कर रहे थे। मैंने अरुण के मुंह पर अपना मुंह रख दिया और हम दोनों एक दूसरे के होठ पीने लगे। आज कितने दिनों बाद किसी मर्द ने मेरे होठ चूसे और पिए थे। मुझे बहुत आनंद आया।

फिर अरुण ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी नीली साली का पल्लू उसने हटा दिया और मेरे ४०” के बहुत बड़े आकार के दूध वो दबाने लगा। कुछ देर में मेरे देवर अरुण ने मेरा ब्लाउस खोल दिया और मेरा ब्लाउस निकाल दिया। मेरी ब्रा भी निकाल दी। ४०” के बड़े बड़े लहराते चुच्चे उसके सामने थे। मुझे बहुत मजा आया आ रहा था। बहुत आनंद मिला रहा था।

मैंने भी उसे मना नहीं किया। वो मेरी रसीली चूचियों को देखकर पागल हो गया था। अरुण मेरे मम्मो को देखकर ललचा गया और तेज तेज मेरी छातियाँ दबाने लगा। सच में मुझको बड़ा मजा आया। वासना और काम की आग मेरे दिल में जल चुकी थी। मैं इतनी जादा चुदासी हो गयी की वो जो जो करता गया, मैंने करने दिया।

कुछ देर बाद अरुण ने मेरे चांदी से चमकते दूध मुंह में भर लिए और किसी छोटे बच्चे की तरह चूसने लगा। मैं उसको पिलाने लगी। मेरे मम्मे बहुत बड़े बड़े फुल साइज़ के थे। बड़ी नशीली छातियाँ थी मेरी। अरुण पागलों की तरह मेरी मीठी मीठी छातियाँ पीने लगा।

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वो बहुत जोर जोर से मेरी छातियाँ दबा दबाकर पी रहा था, जैसे किसी आम को दबा दबाकर उसका रस निकालते है, बिलकुल उसी तरह अरुण हाथ से मेरी छातियाँ दबा दबाकर उसका रस निकाल रहा था और पी रहा था। मेरे मस्त मस्त चूचियों के चारो तरह बड़े ही नशीले काले काले घेरे थे, जो बहुत सेक्सी लग रहे थे।

अरुण बार बार उसी पर हमला कर रहा था और तेज तेज चूस रहा था। मैं सिसक रही थी और गर्म आवाजे मैं निकाल रही थी। “आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…” मैं चिल्ला रही थी। “देवर जी…..आज अपनी भाभी के सारे दूध मजे लेकर पी लो….!!” मैं बोली। कुछ देर बाद अरुण मेरे पेट को चूमते हुए मेरी चूत पर आ गया।

उसने मेरी साड़ी निकाल दी, फिर मेरे पेटीकोट का नारा खोल दिया और पेटीकोट भी निकाल दिया। मैंने सिलेटी रंग की पेंटी पहन रखी थी। मेरी बड़ी सी चूत किसी बड़ी मोहर की तरह मेरी पेंटी के उपर से ही साफ़ साफ़ दिख रही थी।

पेंटी का सूती कपड़ा मेरी चूत की बीच वाली दरार (घाटी) में दबा हुआ था जिससे मेरी रसीली चूत का आकार किसी ट्रेस पेपर की तरह उपर से ही साफ़ साफ़ झलक गया था। देवर अरुण ने एक बार मेरी चूत को पेंटी के उपर से ही चाटा, फिर वो भी निकाल दी। हाय, अब मैं अपने देवर के सामने पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। शर्म से मैं अपनी चूत छुपाने लगी, पर देवर ने मेरे हाथ पकड़ लिए और चूत से हटा दिए।

२ गोरी गोरी गोल मटोल जाँघों के बीच में मेरी सावली सलोनी गदराई चूत के क्या कहने थे। अरुण तो जैसे मेरी चूत को एक नजर इत्मीनान से देखने चाहता था। वो मेरी बुर के दर्शन करने लगा। उसकी आँखों में वासना के अंगारे साफ़ साफ़ मैं सुलगते हुए देख रही थी। वो मुझे रगड़कर चोदना चाहता था।

ज्यूँही उसमे मेरी सावली सलोनी चूत पर ऊँगली रखी, मैं मचल गयी। “…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..” मैं चिल्ला दी। अपनी उँगलियों से अरुण ने बड़ी सावधानी से मेरी चूत पर ऊँगली फिराई और चूत को छू कर देखा। फिर उसका सर नीचे की तरह झुक गया और वो मेरी चूत पीने लगा।

बड़ी देर तक मेरा देवर मेरी सांवली चूत पीता रहा। मैं “…ही ही ही ही…..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह….उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…” करके आहें भरने लगी। अरुण ने होठो और जीभ के चुम्बन से मेरी चूत अब पूरी तरह से तर और गीली हो चुकी थी। मेरा चूत से उसका माल और पानी निकल रहा था। अरुण मुझे मीठा पानी समझकर पी रहा था।

फिर उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिये और मेरी चूत में लंड डाल दिया और मुझे चोदने लगा। मैं मजे से आह आह हा हा करके चुदवाने लगी। अरुण के मोटे लौड़े से मेरी चूत सिकुड़ गयी थी। बड़ी कसी कसी रगड़ थी वो। चुदते चुदते मेरे पेट में मरोड़ उठने लगी। इसके साथ ही मेरे बदन में बड़ी अजीब सुखद लहरें उठने लगी, जो मेरी चुदती चूत से उठ रही थी और पूरे बदन में फ़ैल रही थी।

मैं फटर फटर करके चुदवा रही थी। अरुण को कुछ समझाने की जरुरत नही थी। वो सब जानता था। किसी तेज तर्रार लडके की तरह वो मेरे साथ संभोग कर रहा था। कुछ देर बाद मेरा देवर अरुण बहुत जादा चुदासा हो गया और बिना रुके किसी मशीन की तरह मेरी चूत मारने लगा। मैं “उई..उई..उई…. माँ….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ…. .अहह्ह्ह्हह..” करके जोर जोर से चिल्लाने लगी।

फटर फटर करके उसकी कमर मेरी कमर से टकरा रही थी। चट चट की आवाज कमरे में बज रही थी। अरुण मेरी छातियों को जोर जोर से मीन्जने, दबाने और मसलने लगा। मेरी चूत गीली हो गयी। अरुण का लौड़ा सट सट करके मेरी चूत ले रहा था। वहीँ मेरे पेट में मरोड़ उठ रही थी। इसके साथ ही आनंद की सुखद लहरे चूत से लगातार उठ रही थी।

इस गजब की उतेजना के दौर में अरुण ने चट चट मेरे गाल पर २ ४ थप्पड़ भी जड़ दिए। कुछ देर में उसका माल गिर गया और मेरी चूत में ही उसने माल निकाल दिया। अरुण के माल को मैंने अपनी योनी में महसूस किया। वो मेरे उपर ही लेट गया और हम दोनों इसी तरह से सो गये और करीब एक घंटे बाद मेरी आँख खुली। अरुण की आँखे भी खुल गयी।

“देवर जी, क्या मस्त ठुकाई करते हो तुम! मैंने उसकी तारीफ़ की।

अरुण ने मुझे फिर से मेरे गाल पर चूम लिया और मेरे होठ पर किस करने लगा।

“तुम जरा भी परेशान ना हो भाभी, अगर मेरे भैया तुम्हारे साथ बेवफाई करते है तो तुम भी करो। अब हर दोपहर मैं तुमको चोदूँगा और तुम्हारी मस्त मस्त बुर मारूंगा!!” अरुण बोला.

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कुछ देर में हम दोनों का फिर से मौसम बन गया। मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसका लंड चूसने लगी। उनका लंड इतना मोटा था की मुश्किल से मेरे हाथ में आ रहा था। उझे खुशी थी की मेरे देवर का लंड मेरे पति से भी जादा मोटा है। मैं अरुण के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी। हाथ में लेकर मैं फेटने लगी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। अरुण का सुपाड़ा किसी मोटे मार्कर पेन की तरह गोल और आगे से नुकीला था। मैं मुंह में लेकर देवर का लंड बड़ी देर तक चूसती रही।

“चलो भाभी अब कुतिया बन जाओ!!” अरुण बोला.

मैंने अपने दोनों घुटनों को मोड़कर कुतिया बन गयी। अपना पिछवाड़ा मैंने उपर कर दिया। अरुण मेरे गुलाबी और मचलते चूतडों से खेलने लगा। वो प्यार से मेरे हिप्स चूमने लगा और यहाँ वहां दांत गड़ाकर काटने लगा। मैं तड़पने लगी।

फिर मेरा प्यारा देवर पीछे ने मेरी बुर किसी कुत्ते की तरह चाटने लगा। मैं “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ. हमममम अहह्ह्ह्हह..” करने लगी। उसने कुछ देर में अपना लंड फिर से मेरे भोसड़े में डाल दिया और मुझे पीछे से किसी कुत्ते की तरह चोदने लगा। ये एक नये तरह का एक्सपीरियंस था। मुझे बहुत मजा मिल रहा था। अरुण जोर जोर से मुझे लेने लगा। १ घंटे से जादा उसने मुझे कुतिया बनाकर चोदा और झड़ गयी। अब मैं अपने देवर की पहली औरत बन चुकी हूँ और पति से छुपकर उससे रोज चुदवाती हूँ।

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Filed Under: Devar Bhabhi Sex Story Tagged With: Blowjob, Boobs Suck, Family Sex, Hindi Porn Story, Kamukata, Mastaram Ki Kahani, Pahli Chudai, Sexy Figure

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Comments

  1. Raj says

    दिसम्बर 6, 2021 at 7:12 अपराह्न

    Wah bahut sexy or hot ho aap bhabhi ji

  2. Rohit says

    दिसम्बर 7, 2021 at 5:35 पूर्वाह्न

    Maharashtra me kisi girl, bhabhi, aunty, badi ourat ya kisi vidhava ko maze karni ho to connect my whatsapp number 7058939556

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