Bhabhi Ki Chudas
मेरा नाम देवकी है। मै नरसिंहपुर में रहती हूँ। मेरी उम्र अभी 28 साल है। देखनें में मै कुछ ज्यादा ही हॉट लगती हूँ। मैं एक शादी शुदा औरत हूँ। मेरी शादी दो साल पहले हुई है। उस समय मेरी उम्र 26 साल थी। मुझे मेरे पति ने एक नजर में ही देख कर मोहित होकर मेरे से शादी कर ली थी। शादी के कुछ ही दिन तक मै मजा ले पायी। Bhabhi Ki Chudas
सुहागरात की रात मे मुझे पूरी रात चोद कर सम्भोग का पूरा आनंद लिया। हर रात उनके लिए सुहागरात ही होती थी। मौसम बनते ही मेरे ऊपर सांड की तरह चढ़कर मेरी चूत चुदाई का भरपूर आनंद उठाते। मेरे पतिदेव जी हमेशा बाहर ही रहते थे। वो दुबई में काम करते थे। 2 साल में कही एक बार घर आते थे। मुझे तो चुदने की आदत हो गयी थी।
ससुराल में मेरे अलावा और भी कुछ लोग थे। मेरी सास पहले ही चल बसी थी। ससुर जी के साथ साथ एक देवर था जो की दिल्ली में आई.ए. एस की तैयारी कर रहा था। कभी कभी ही वो घर आता था। पति के जाने के बाद मै भी अपने मायके चली गयी। वहाँ मुझे चुदाई की तड़प बहुत सता रही थी।
मै कुछ दिन मायके में रहके वापस अपने ससुराल आ गयी। मेरा देवर भी उस टाइम आया हुआ था। देखने में मेरे पति की तरह खूब हट्टा कट्टा मर्द लगता था। वो मेरे पति से ज्यादा बड़ा था। पर्सनालिटी भी उसकी बहुत लाजबाब थी।
देखनें में तो एक दम से वो हीरो की तरह लगता था। उसका नाम जन्मेजय था। नाम की तरह वो भी बहुत ही सीधा साधा भोला भाला दिखता था। उसकी मासूमियत को देखकर मेरे को बहुत मजा आता था। मेरे से पतिदेव एक दिन सेक्स की बात कर रहेथे। मै बहुत ही गर्म हो गयी।
“फोन पर सेक्स की बात करके आप चूत में आग लगा देते हो” मैंने कहा.
“तो जाकर मेरे छोटे भाई से बुझवा लो अपनी आग को” पतिदेव ने हँसते हुए कहा.
मैने भी हँसते हुए मजा लिया। लेकिन ये बात मेरे दिमाग में बैठ गयी। जब घर में लंड उपलब्ध है तो खाने में हर्ज क्या है!!! इस तरह से जन्मेजय को देखने कीनजर ही बदल गयी। मै उसे अब चुदासी नजरो से देख रही थी। फिर भी उसे कुछ पता नहीं चल पा रहा था।
वो हर रात सिर्फ अंडरवियर में ही सोता था। उसका कमरा मेरे कमरे के जस्ट सामने ही था। पतिदेव कमा कर पैसा भेजते थे। जन्मेजय घर पर ही काम लगवाकर घर की साफ़ सफाई कराने के लिए ही रुका हुआ था। वो एक दिन सुबह सुबह सो कर उठा। मैं भी अपने बेड पर लाइट बुझा के बैठी थी।
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मेरे कमरे में दिन में भी अँधेरा सा रहता है। वो अपने कमरे से निकला। मै अपनी आँख उसी पर गड़ाए हुए उसे देख रही थी। वो अपना लंड खुजाते हुए वही खड़ा हो गया। चूकि उसे पता नहीं चल पा रहा था की अपने कमरे में बैठी हूँ। उसने अचानक से अपना अंडरवियर नीचे सरकाया।
उसके बाद उसके अंदर से लगभग 7 इंच का मोटा लंड खूब टाइट होकर निकला। मेरे तो मुह में पानी आ गया। जी करता था कि अभी जाकर उसके लंड को काट काट कर खा लूं। फिर मैंने उसके लंड निकालने के राज को जानने के लिए चुपचाप सब देखती रही।
वो अपना लंड निकाल कर मुठियाने लगा। उसकी नसे फूलने लगी। उसके औजार ने बारिश की तरह अपना सारा माल निकाल दिया। उसके बाद वो ब्रश करने चला गया। मैं तो हैरान रह गयी। सारा नजारा देखकर मेरी आँखे फ़टी की फटी रह गयी। मै तो उसे बहुत ही सीधा साधा समझ रही थी। लेकिन वो तो एक नंबर का हवसी निकला।
मै उससे चुदने की प्लानिंग मन ही मन बनाने लगी। मेरे को चुदने की बहुत ही ज्यादा बेकरारी होने लगी। फिर भी मैने किसी तरह से अपने आप को संभाला और फिंगरिंग करके अपनी चूत की खुजली को मिटा ली। मेरी चूत से भी माल निकल गया। फिर मेरे को कुछ रिलैक्स फील हुआ और मैंने जाकर चाय पानी का इंतजाम किया।
उसके बाद जन्मेजय से काफी देर तक बैठ कर बाते की। मैंने उस दिन काले रंग की सलवार समीज पहनी हुई थी। नीले रंग की ब्रा की पट्टियों को जान बूझकर बाहर की तरफ निकाली हुई थी। मैंने उस दिन दुपट्टा भी नहीं लिया। जिससे मेरे उभरे हुए दूध साफ़ साफ़ दिख रहे थे। मेरे दूध को देखकर वो भी मस्त होने लगा। बार बार मेरे दूध को देखकर आहे भर रहा था।
“क्या बात है जन्मेजय आज तुम बहुत ही थके लग रहे हो। बहुत आहे भर रहे हो क्या बात है???” मैने कहा.
“अब क्या बताऊँ भाभी!! काम ही ऐसा हो जाता सुबह सुबह की मैं थक जाता हूँ” जन्मेजय ने कहा.
उसको लगा की मै कुछ नहीं समझ रही हूँ। मैंने तो पहले ही उसका कारनामा देख रखा था। फिर भी मै चुपचाप रही।
“भाभी तुम अपना दुपट्टा ले लो। आपके सारे अंग का प्रदर्शन हो रहा है” जन्मेजय ने कहा.
“क्या बात कर रहे हो मेरा तो कुछ भी नहीं दिख रहा है। मै अपना दुपट्टा क्यों लूं तुम्हे नहीं देखनी तो न देखो” मैंने कहा.
“जब तुम दिखाओगी तो देख ही लूँगा” बहुत ही रोमांटिक शब्दो में जन्मेजय ने कहा.
“बेटा तू अभी बाहर ही देख! तू इतना सीधा हैं की कोई अपने अंदर का सामान दिखाने लगेगा तो तू अपनी आँखे ही बन्द कर लेगा” मैने उसे ललकारते हुए कहा.
उसके अंदर की मर्दानिगी जैसे जाग उठी। वो बहुत ही तेज कड़ाके की आवाज में कहने लगा।
“पहले कोई एक मौका तो दे! फिर दिखाता हूँ कौन किससे शर्म करता है” जन्मेजय ने बहुत ही उत्तेजित होकर कहा.
मै उसे गर्म कर चुकी थी। अब वो लाइन पर धीरे धीरे आ गया था। वो मेरे को बहुत ही हवस की नजरो से देख रहा था।
“मै कैसे मान लू की आज तुम्हारे अंदर मर्दानिगी का भूत जग उठा है” मैंने कहा.
अब वो प्रूफ करने के लिए कुछ भी कर सकता था।
“किसी लड़की को लाकर देख लो! बस एक घंटे के लिए छोड़ दो फिर देखना की वो क्या क्या चिल्लाती है” उसने बहुत ही तीखे शब्दो में बोला.
“चलो आज रात को देखती हूँ तू क्या क्या कर सकता है” मैंने कहा.
रात को ससुर जी कही बाहर गए हुए थे। घर पर मैं देवर जी के साथ ही थी। मैंने उसे याद दिलाया दिन में की गयी बाते। वो भी मान गया मेरे को देखनें के लिएवो भी पूरे जोश में था। मेरे को देखने के लिए वो मेरे रूम में आ गया।
“मान लो आज मैं तुम्हारी भाभी नही हूँ। आज मै तुम्हारे लिए एक लड़की हूँ। तुम्हारे सामने कोई लड़की बैठी हो तो तुम क्या क्या कर सकते हो! इतना कहकर मै चुप हो गयी।
“याद रखना भाभी बाद में न कहना की मै लड़की बेकार में ही बन गईं। मै बहुत ही ज्यादा हवसी इंसान हूँ। सुबह उठता भी हूँ तो सबसे पहले लंड हिला के सारा माल निकाल के ही बाहर आता हूं” जन्मेजय ने कहा
“मुझे पता है कि तू हवस का पुजारी है। लेकिन मै भी कुछ कम नहीं हूँ। जब भी मै चुदती हूँ तो तेरे भैया ही थक हार कर बैठते हैं” मैंने कहा..
“भैया की बात न करो वो होंगे वैसे जो सेक्स में लड़कियों की चीखें नहीं निकलवा पाते हैं मेरे हाथ कोई एक बार लग जाती है। तो वो दोबारा मुझसे चुदने का नाम नहीं लेती है” जन्मेजय ने बहुत ही घमंड में कहा.
“चलो आज देखती हूँ तू कितना अच्छा चुदाई करता है। मैं भी तो ज़रा देखूँ तुम्हारे लिए कैसी लङकी ढूंढ के तुम्हारी शादी करवाऊं” मैने कहा.
वो मेरे पास आकर चिपकते हुए प्यार करने लगा। उसका अंदाज ही कुछ अलग लग रहा था। मेरे पति ने कभी भी मेरे को इस तरह से प्यार से नही किया था। पहले उसने मेरे पास बैठकर मेरे ऊपर हाथ फेरकर प्यार करने लगा। जिससे मैं मदमस्त होकर अपनी सुध बुध खो बैठी।
मै उसके बाहों में जाकर अपने को गर्म करवा रही थी। वो भी बार बार मेरे जिस्म पर हाथ लगाकर चूत में लगी आग में घी डालने का काम कर रहा था। मेरी कमर को हाथ लगाकर उसे दबा रहा था। मै जोश में आकर अपने होंठ काटने लगी। इस तरह से उसका प्यार मेरे पर भारी पड़ रहा था। सच में वो लड़कियों की चीखें निकाल लेता होगा। मुझे ऐसा अब लगने लगा था।
“सच में जन्मेजय तुम्हारा प्यार करने का तरीका ही अलग है” मैंने कहा.
“अभी तो ये शुरूवात है मेरी जान अभी आगे आगे देखती जाओ क्या क्या होता है” उसने कहा.
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उसके बाद मेरे जिस्म के हर एक अंग पर किस कर रहा था। मै अपने आप को उसके हवाले कर दिया। वो मेरे को किस करने लगा। मेरे को चिपकाए हुए मेरे को किस करने लगा। मेरे गले को किस करते हुए होंठो की तरफ धीरे किस करने लगा। होंठो को काटते हुए वो अपना हवस पूरा करने लगा।
वो अपने होंठो की प्यास को मेरे होंठो को चूसकर मिटा रहा था। बार बार मेरे होंठो में अपना दांत गड़ा कर मेरी सिसकारियां निकलवा रही थी। मै भी मजे ले ले कर अपना होंठ चुसा रही थी। मैंने उसका साथ देकर मजा डबल कर दिया। मेरे दूध को अपने हाथों से समीज के ऊपर से दबा रहा था। बड़े बड़े मम्मे को हाथो में लेकर दबाते हुए मजा ले रहा था।
वो अपना हाथ मेरे पेट पर लगाकर मेरी नाभि पर अपना हाथ लगाकर वो मुझे बहुत ही गर्म कर दिया। वो मेरे को बहुत ही ज्यादा उत्तेजित करके अपना लंड हिला कर मजे ले रहा था। मेरे होंठो को चूस चूस कर सारा रस पी लिया। उसके बाद मेरे समीज को निकाल कर उसने मेरे चूचे को पकड़ कर खीच खीच के दबाने लगा।
मेरे चूचे को ब्रा में कैद होते ही देख कर उसका मन मचलने लगा। वो बार बार अपने मुह को मेरे चूचे में दबा रहा था। उसके कुछ देर बाद उसने मेरी ब्रा को उतार दिया। कलश जैसे मेरे दोनों मम्मे को दबाते हुए किस करने लगा। मेरे बाये दूध पर एक काला तिल था। जो की उसे बहुत ही ज्यादा रोमांचक बना रहा था।
बार बार वो बाये वाले दूध को ही पी कर मजे ले रहा था। उसने मेरे दोनों मम्मो को काट काट कर पीना शुरू किया। उसके नुकीले दांत मेरे निप्पल में दब रहे रहे थे। जिससे मेरी सिकारियों की गूँज निकल रही थी। मैं “……अई…अई….अई……अई….इसस् स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की आवाज निकाल रही थी।
वो बार बार मेरे निप्पल को काट काट कर मेरे को चुदने के लिए तैयार कर दिया। उसके बाद उसने मेरे नाभि को पीने के लिए अपना मुह लगा दिया। मेरी नाभि पर अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगा। मेरी नाभि को पीकर उसने बहुत ही ज्यादा गर्म कर दिया। मै उसे अपने नाभि में दबाकर पिलाने लगी।
कुछ देर बाद मेरी सलवार का नाडा खोलकर मेरी सलवार को निकाल कर मुझे पैंटी में लेरा दिया। उसके कुछ दे बाद मेरी पैंटी पर हाथ फेरते हुए अपना नाक मेरी चूत पर लगाकर सूंघने लगा। मेरी चूत के मादक खुशबू से वो भी बहुत ज्यादा मस्त हो गया। बार बार मेरी चूत पे हाथ लगाकर मेरे चूत पर लगाकर मेरी चूत की गर्मी को बढ़ा दिया।
“जन्मेजय अब रहा नहीं जाता!! डाल दो अपना लंड मेरी चूत में अब और नहीं तड़पाओ नहीं जाता” मैने कहा.
“भाभी मैने तो अभी शुरूवात की है। अभी तो आपकी चूत चाटनी है! तुम्हारे चूत को पीकर मुझे अपनी प्यास बुझानी है” जन्मेजय ने कहा.
इतना कहकर उसने मेरी पैंटी निकाल दी। उसके कुछ देर बाद मेरी चूत पर अपना मुह लगाकर मेरी चूत को पीने लगा। कुछ देर बाद मेरी चूत गीली हो गयी उसके बाद उसने मेरी चूत को चाट चाट कर सारा माल पी लिया। मेरी चूत में वो अपनी जीभ घुसाकर चूत के अंदर का सारा माल चाट कर साफ़ कर दिया।
मैने उसे अपनी चूत में ही दबा दिया। उसके कुछ देर बाद अपना सारा कपड़ा निकाल दिया। मैंने उसके लंड को मुठियाते हुए अपना मजा लिया। कुछ देर तक उसके लंड को अपने मुह में रखकर चूसा। मेरी टांगो को फैला दिया। उसके बाद अपने लंड पर थूक लगा दिया। उसके कुछ देर अपना लंड मुठियाते हुए मेरी चूत की तरफ बढ़ा।
उसके कुछ देर बाद मेरी चूत में उसने अपना टाइट लंड डालकर चूत की चुदाई करनी शुरू कर दी। मेरी चूत में उसका आधा लंड ही घुसा था कि “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” की सिसकारी निकाल कर चुदने लगी। मेरी चूत में लगभग उसका पूरा लंड घुस गया।
उसके लंड मेरी चूत मे हलचल मचा दिया। उसके बाद मेरी चूत में अपना पूरा लंड घुसाकर जोर जोर से चुदाई करनी शुरू कर दिया। मेरी चूत की चुदाई की आवाज पूरे कमरे में फैली हुई थी। पूरा बिस्तर हिल हिल कर आवाज कर रहा था। आज वो लग रहा था कि पलंग तोड़ चुदाई कर रहा था।
वो पूरा लंड मेरी चूत में घुसाकर चीखे निकलवा रहा था। सच में वो किसी की चूत में अपना लंड डालकर चीखे निकलवा सकता था। मेरी टांगो को फैलाकर बहुत ही तेजी से अपनी कमर को उठा कर लपा लप चुदाई कर रहा था। मेरी सिसकारियां बढ़ती ही जा रही थी। उसके बाद उसने मेरे को झुकाया।
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अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसाकर मेरी चूत को फाड़कर मेरी चूत को भरता बना रहा था। मेरी चूत को फाड़ कर उसने उसका भोषणा बना डाला। मेरी कमर को पकड़ कर मेरी चूत में अपना पूरा लंड डाले हुए चुदाई कर रहा था। मै “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” की आवाज के साथ सम्भोग का पूरा मजा ले रहा था। मै भी अपनी गांड को मटका मटका कर खूब जोर जोर से चुदाई में भरपूर मजा दे रही थी।
उसके कुछ देर बाद अपनी चूत को मालिश कर खूब चुदाई कर बहुत ही मजे से “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” की आवाज से चुद रही थी। कुछ देर बाद उसने मेरी चूत ने अपना पानी निकाल दिया। मेरी चूत को फाड़कर उसने भी अपना माल मेरी चूत में ही निकाल दिया। मेरे को चूत में कुछ गरमा गरम गिरता हुआ लगा। उसने अपना सारा माल मेरी चूत निकाल कर अपना लंड मेरी चूत से जुदा कर दिया। उसके बाद वो मेरे से चिपक कर मेरे को किस करने लगा। मेरे से चिपक कर वो पूरी रात लेटा रहा। उसने कई बार मेरे को रात में चोदा। उसके बाद मेरी कई बार उसने चुदाई की।