Naukarani Ki Chut
मेरा नाम रोहन है, मैं 25 वर्ष का ऊंचे कद, चौड़ी छाती वाला एक तंदरुस्त जवान हूँ और ग़ाज़ियाबाद में अपनी 23 वर्षीय पत्नी दीप्ती तथा छह माह के बेटे के साथ रहता हूँ। मैं नॉएडा में एक आई टी कंपनी में काम करता हूँ जहाँ मुझे बहुत ही अच्छा पारिश्रमिक मिलता है। Naukarani Ki Chut
तीन वर्ष पहले मेरा विवाह हुआ था और तब से मैं अपनी पत्नी दीप्ती के साथ ग़ाज़ियाबाद में दो बेडरूम वाले घर में ही रहता हूँ। ग़ाज़ियाबाद आने के बाद मेरी पत्नी ने घर के काम काज करने के लिए रौशनी को नौकरी पर रख लिया था।
रौशनी को सुबह सात बजे से लेकर शाम के सात बजे तक पूरे दिन के लिए घर का सारा काम करने के लिए रखा हुआ है। इसी कारण मेरी पत्नी ने उसे घर के बाहर के दरवाज़े की एक चाबी भी दी हुई है ताकि जब भी वह आये तो दरवाज़ा खोल सके तथा जब बाहर जाए तब ताला लगा कर जाए।
रौशनी हरियाणा के एक छोटे से गाँव की रहने वाली है और उसकी उम्र लगभग 25 साल की होगी। वह दो बच्चों की माँ होने के बावजूद देखने में काफी खूबसूरत है, उसका रंग हल्का गेहुआँ है, चेहरा गोल है और नाक पतला है, आँखें बड़ी बड़ी हैं लेकिन बहुत ही आकर्षक व नशीली हैं!
दो बच्चे होने के बाबजूद भी सारा दिन मेहनत का काम करने के कारण उसका बदन गठा हुआ है! रौशनी काम पर ज्यादतर धोती तथा ब्लाउज ही पहन कर ही आती है जिसके नीचे वह पैंटी और ब्रा नहीं पहनती है। उसके महीन ब्लाउज में से उसके उठे हुए बड़े बड़े गोल और सख्त मम्मों की झलक दिखाई देती है.
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क्योंकि उसका ब्लाउज ढीला ढाला होता है इसलिए जब भी वह झुक कर फर्श की सफाई करती है तो उसके दोनों मम्मे और उनके ऊपर की काली डोडियां साफ़ नज़र आती हैं। पिछले वर्ष मेरी पत्नी दीप्ती जब गर्भवती थी, तब वह छह माह के लिए मायके रहने चली गई थी।
दीप्ती के जाने के बाद रौशनी उसके समझाए अनुसार मेरे खाने पीने और घर के दूसरे काम को बहुत ही अच्छे तरह से करती रही। दिन तो मैं ऑफिस चला जाता था और रात में थके होने के कारण जल्द ही सो जाता था। एक सप्ताह तक तो इसी तरह निकल गया लेकिन शनिवार की शाम मुझे दीप्ती की कमी महसूस हुई!
रात देर तक जब नींद नहीं आई तब मैं डीवीडी प्लयेर में एक ब्लू फिल्म की डीवीडी लगा कर टीवी पर आराम से नंगा होकर देखता रहा। फिल्म देखने के दौरान मैंने दो बार मुठ भी मारी और हर बार पास रखे तौलिए से लौड़े को साफ़ भी करता रहा!
टीवी देखते देखते मुझे नींद आ गई और मैं टीवी चलता हुआ छोड़ कर नंगा ही बिस्तर पर सो गया। अगला दिन इतवार था फिर भी हर रोज की तरह रौशनी सुबह सात बजे आ गई, लेकिन उसके आने का मुझे पता ही नहीं चला और मैं अपने कमरे में नंगा ही सोता रहा!
नौ बजे के लगभग जब रौशनी ने मेरे कमरे का दरवाज़ा जोर से खड़काया तब मेरी नींद खुली और इससे पहले कि मैं अपने आप को संभालता, वह अचानक ही कमरे में घुस आई! मैंने जल्दी से तौलिया उठा कर अपने बदन को ढका और रौशनी की ओर देखा तो पाया कि वह मुस्करा रही थी।
जब मैंने उससे मुस्कराहट का कारण पूछा तो उसने बताया कि सुबह आठ बजे मेरे कमरे में आई थी तभी उसने मुझे नंगा सोते हुए देख लिया था और तब उसने कमरे की सफाई करके लाईट और टीवी बंद कर दिया था। मैंने चारों ओर नजर दौड़ाई तो देखा कि कमरे का हर सामान करीने से रखा हुआ था तो मुझे विश्वास हो गया कि रौशनी कमरे की सफाई करते समय ज़रूर मुझे नंगा सोते हुए देख चुकी थी और मैं शर्म से झेंप गया।
मैं अपनी शर्म और झेंप से उभर ही नहीं पाया था कि रौशनी ने मुझे मेरी लुंगी देते हुए कहा कि मैं उसे पहन लूं और तौलिया उसे धोने ले लिए दे दूं क्योंकि उस पर मेरा ढेर सारा माल लगा हुआ था। रौशनी की वह बात सुन कर तो मैं पानी पानी हो गया और मुझे लगा कि मेरी रही सही इज्ज़त भी मिटटी में मिल गई थी।
खैर मैं लुंगी पहन कर और फ्रेश होकर अपने कमरे से बाहर आया तो देखा कि रौशनी रसोई में आलू की सब्जी बना चुकी थी और मेरे लिए पूड़ी तल रही थी। मैं खाने की मेज पर बैठ गया और चुपचाप रौशनी द्वारा दिया गया नाश्ता खाता रहा।
मुझे गुमसुम देख कर रौशनी ने मेरी चुप्पी का कारण पूछा तो मैं टाल गया और चाय पीकर अपने कमरे में चला गया। मैं अपने कमरे में पहले तो टीवी देखता रहा और फिर लैपटॉप कुछ काम करता रहा। उधर रौशनी रसोई की सफाई, कपड़ों की धुलाई और घर का बाकी काम निपटाती रही!
दोपहर को एक बजे जब रौशनी मेरे कमरे में खाने के लिए बुलाने आई तो मैंने उसे कह दिया कि वह खाना बना कर रख दे। इस पर उसने कहा कि वह साथ वाले कमरे में ही सुस्ता रही है और मैंने जब भी खाना खाना हो उसे बुला लूँ वह बना कर परोस देगी।
लगभग आधे घंटे के बाद जब मुझे भूख लगी तब मैंने रौशनी को आवाज़ दी लेकिन वह नहीं आई तो मैं उसे देखने के लिए साथ वाले कमरे में गया तो उसे जमीन पर सोया हुआ पाया। उसकी धोती का पल्लू उसके सीने पर से हटा हुआ था और उसके कसे हुए मम्में उसके झीने से ब्लाउज में से साफ़ दिखाई दे रहे थे!
उसकी एक टांग सीधी थी और दूसरी टांग ऊँची कर रखी थी जिसके कारण उसकी धोती सरक कर थोड़ा ऊपर गई थी तथा उसकी जांघें नंगी हो रही थी! उसकी नंगी जाँघों की नरम और चिकनी त्वचा देख कर मुझ से रहा नहीं गया और मैंने झुक के उसकी टांगों के बीच झाँकने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अँधेरा होने की वजह मुझे कुछ ज्यादा साफ़ साफ़ तो नज़र नहीं आया लेकिन इतना जरूर पता चल गया कि रौशनी ने पेंटी नहीं पहनी हुई थी। रौशनी को उस हालत में सोते हुए देख कर मेरे लौड़े ने सलाम करना शुरू कर दिया, मैं उत्तेजित हो गया इसलिए जल्दी से अपने बाथरूम में जा कर मुठ मारने लगा।
शायद रौशनी मेरे कदमों की आवाज़ सुन ली थी इस लिए वह मेरे पीछे पीछे मेरे कमरे में आ गई और बाथरूम के दरवाज़े के बाहर खड़ी हो गई। क्योंकि मैं बाथरूम का दरवाज़ा बंद करना भूल गया था इसलिए रौशनी को मेरे मुठ मारने का नज़ारा साफ़ दिखाई दे रहा था। मैं उसे वहाँ खड़ा देख कर दंग रह गया और मेरे मुँह से आवाज़ नहीं निकली।
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तब रौशनी बाथरूम के अंदर मेरे पास आई और पूछा- क्या आप बीबी जी की याद में मुठ मार रहे हैं?
मैंने कहा- हाँ!
रौशनी- लाओ, मैं आप की मदद कर दूँ!
मैं- नहीं, मुझे तुम्हारी मदद नहीं चाहिए!
रौशनी- बीबी जी भी तो आपकी मदद करती हैं ना!
मैं- तुम्हें कैसे मालूम?
रौशनी- मैंने कई बार आप लोगों को ऐसा करते हुए देखा है!
मैं- क्या तुम ऐसा कर पाओगी?
रौशनी- क्यों नहीं, मैं अपने मर्द की मदद भी तो करती हूँ!
मैं- क्या तुम्हें शर्म नहीं आएगी?
रौशनी- शर्म किस बात की, लौड़ा ही तो हिलाना है!
इतना कह कर रौशनी ने मेरा लौड़ा पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी! उसके हाथ का स्पर्श ने जैसे जादू कर दिया और दो ही मिनट में ही में मेरे मुँह से आह्ह… आह्ह्ह… आह्ह्ह… की आवाज़ निकलने लगी। उस आह्हह्ह… की आवाज़ सुनते ही रौशनी अकस्मात झुकी और मेरे लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और उसमें से निकल रहे सारे रस को पी लिया !
मैंने जब उससे पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया तो उसने बताया कि वह मेरे रस का स्वाद अपने पति के रस के स्वाद के साथ तुलना करना चाहती थी! मेरे पूछने पर कि उसे क्या अंतर महसूस हुआ तो उसने बताया कि उसके पति का रस पतला है जबकि मेरा रस बहुत गाढ़ा है।
उसके पति का बहुत थोड़ा सा रस निकलता है जबकि मेरा बहुत सारा रस निकला था। उसके पति के रस का स्वाद नमकीन है जबकि मेरा रस कुछ मीठा और कुछ नमकीन है। मेरे पूछने पर कि उसे कौन सा रस पसंद आया तो उसने बताया कि निश्चित रूप से उसे मेरा रस ज्यादा स्वादिष्ट लगा।
इसके बाद मैंने लुंगी पहनी और रौशनी को पकड़ कर कमरे में ले आया और उसे खींच कर अपने पास बिस्तर पर बिठाया लेकिन वह एकदम से खड़ी हो गई और कहने लगी कि यह बिस्तर तो उसकी बीबी जी का है इसलिए वह उस बिस्तर पर बिलकुल नहीं बैठेगी।
तब मैंने उसे जबरदस्ती से अपनी गोद में बिठा लिया और उसके चेहरे को अपने हाथों में ले कर अपने होंठ उसके होंठों पर रख कर उसे चूमने लगा। पहले तो रौशनी ने विरोध किया लेकिन फिर जैसा मैं उसके होंटों के साथ करना चाहता था उसने करने दिया!
थोड़ी देर चूमने के बाद मैंने उससे कहा- तूने तो मेरा सब कुछ देख व छू लिया है और मेरा रस भी पी लिया है, अब तू मुझे अपना बदन नहीं दिखाएगी?
तब उसने कहा- यह कमरा बीबी जी का है इसलिए इस कमरे में ना तो अपना कुछ दिखाऊँगी और ना ही कोई भी गलत काम करूँगी!
उसकी यह बात सुन कर मुझे प्रसन्ता हुई कि वह कम से कम वह मेरे साथ कुछ तो गलत काम करने को तैयार थी इसलिए मैंने उस हल्की फुल्की रौशनी को गोद में उठाया और दूसरे कमरे में ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया तथा पास में ही खड़ा होकर उसकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करने लगा।
जब कुछ देर तक रौशनी बिना कुछ बोले और बिना हिले डुले वैसे ही बिस्तर पर लेटी रही तो मुझ से नहीं रहा गया और उससे पूछा कि क्या वह अपना बदन मुझे दिखाएगी? मेरे प्रश्न के उतर में रौशनी ने अपनी धोती का पल्लू खोल कर मेरे हाथ में दे दिया और कहा कि मुझे जो कुछ भी देखना है खुद ही देख लूँ, वह कोई आपत्ति नहीं करेगी।
मैंने उसका पल्लू एक तरफ रख कर उसके पास बैठ गया और उसके ब्लाउज के बटन खोल कर उसके मस्त मम्मों को दोनों हाथों में पकड़ कर दबाने लगा। जब मैं उसकी डोडियों को उंगली और अंगूठे के बीच में ले कर मसलने लगा तब वह आह… आह… सीई ईई… सीईईई… करने लगी।
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मैं समझ गया कि वह गर्म होना शुरू हो गई थी इसलिए मैंने उसके मम्मों को छोड़ दिया और उसके पल्लू को पकड़ कर उसकी धोती उतार दी। उसकी धोती उतरने के बाद मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खींच कर खोला और उसके साये को पकड़ कर उतारने लगा।
उसने भी मेरा साथ दिया और अपनी कमर तथा नितम्बों को ऊंचा कर के पेटीकोट को अपनी टांगों से अलग करने में पूरा सहयोग दिया तथा अपना ब्लाउज भी बदन से अलग कर दिया। अब वह मेरे सामने बिल्कुल नग्न लेटी हुई थी और बहुत ही आकर्षक लग रही थी।
खिड़की के पर्दों में से छन कर का आ रही धूप में उसका हल्का गेहुएं रंग को सोने की तरह चमक रहा था। उसके दोनों मम्में किसी इमारत के गुम्बज की तरह सिर उठाये सीधे खड़े थे, उन मम्मों के ऊपर लगी काली डोडियाँ एकदम सख्त हो गई थीं और मुझे न्योता दे रही थी।
उसकी चूत पर उगे हुए गहरे भूरे रंग के बालों का समूह किसी समुन्दर में एक द्वीप की तरह लग रहे थे। उसकी पतली कमर और सुडोल जाँघों ने मुझे मजबूर कर दिया और मैं उसके बदन पर टूट पड़ा! पहले मैंने उसके बदन को हर जगह चूमा, फिर उसके चुचूकों को दांतों से काटा और कस कर चूसा भी।
वह सी… सी… कर चिल्लाने लगी तो मैं और उत्तेजित हो गया तो मैंने उसकी जाँघों के बीच में हाथ डाल दिया और उसकी चूत में उंगली करने लगा। उसने अपनी टांगें चौड़ी कर दीं, तब मैं उसकी चूत में दो उँगलियाँ डाल कर अंदर-बाहर करने लगा।
वह हाय.. हाय.. और सीसी.. सीसी.. करने लगी और कमर तथा नितम्बों को हिलाने लगी थी। पांच मिनट के बाद उसने अकड़ कर एक ऊइ ईई… आह्हह… की चीख मारी और मेरा हाथ को अपने पानी से गीला कर दिया! मैंने जब उसकी ओर घूर के देखा तो वह हंस रही थी और बोली- साब, इतनी तेज़ी से उंगली करोगे तो यह होना ही था! मुझे इतनी तेज़ी से खिंचावट हुई कि मैं पानी रोक नहीं सकी!
फिर ऊँची होकर उसने कहा- “साब, ये तो नाइंसाफी है, मैं तो नंगी पड़ी हूँ और आपने कपड़े पहने हुए हैं! आइए मैं उतार दूँ!
कह कर वह झट से उठ गई और मेरी बनियान और लुंगी उतार कर दूर फेंक दी और मेरे अंडरवीयर को नीचे सरकाने लगी और साथ साथ नीचे बैठती गई! जैसे ही मेरा अंडरवीयर मेरे पांव तक पहुँचा, मेरा खड़ा लौड़ा उसके मुँह के पास पहुँच गया।
उसने झट से मेरे लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी तथा मेरे अंडरवीयर को मेरे पाँव से निकाल कर लुंगी के पास फेंक दिया! दो मिनट में ही मैं महसूस किया कि वह बहुत अच्छा तरह चूसती है क्योंकि वह कभी तो मेरे सुपाड़े को चूसती और कभी पूरे लौड़े को गले तक लेजा कर आगे पीछे करती जिससे दोनों चुसाई तथा रगड़ाई के मजे एक साथ मिलने लगे।
मैं खड़ा हो उससे लौड़ा चुसवाता रहा और जैसे ही वह मेरे लौड़े को अपने गले में उतारती मैं आगे पीछे हिल कर उसके मुँह को चोद लेता। करीब पांच मिनट के बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा कर अपना लौड़ा उसके मुँह डाल दिया और उसकी चूत पर अपना मुँह रख कर चूसने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
रौशनी तो लौड़े को उसी तरह चूसती रही लेकिन मैं कभी उसकी चूत के अंदर जीभ डाल कर अंदर बाहर करता तो कभी उसकी चूत के होंटों को चूसता और कभी उसके दाने को जीभ से रगड़ता। यह सब लगभग दस मिनट चलता रहा और फिर जब मैं रौशनी के दाने से खेल रहा था तब उसने कहा कि वह पानी छोड़ने वाली है तो मैंने अपना मुँह उसकी चूत से चिपका लिया और उसके निकलते हुए पानी को पी गया!
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इसके बाद रौशनी ने कहा- साहब, मैं बहुत गर्म हो चुकी हूँ और मुझे चूत में बहुत खुजली हो रही इसलिए आप जल्दी से अपने लौड़े को मेरी चूत में डाल कर मेरी चुदाई कर दें!
मैंने कहा- ऐसी भी क्या जल्दी है?
रौशनी बोली- साहब, जब औरत की चूत में आग लगी हो तभी मारनी चाहिए ! इससे चूत मारने वाले और मरवाने वाले दोनों को ही मजे आते हैं।
मैं अच्छा कह कर रौशनी के ऊपर चढ़ गया और उसकी दोनों टाँगें फैला दी, तब रौशनी ने अपने एक हाथ से चूत का मुँह खोल दिया और दूसरे हाथ से मेरे लौड़े को पकड़ कर उसमें बिठा दिया तथा मुझे धक्का मारने को कहा। मैंने कस के धक्का लगाया तो मेरे लौड़े का सुपारा उसकी चूत के अंदर चला गया और वह सीसीइइइ… सीसीइइइ… करने लगी।
मैंने पूछ- क्या दर्द हो रहा है?
वह बोली- जब एक इंच पतले लौड़े से चुदने वाली चूत में ढाई इंच मोटा लौड़े को झटके से डालोगे तो दर्द तो होगा ही!
मैं बोला- तुमने ही तो धक्का मारने को कहा था।
रौशनी बोली- मुझे इस दर्द का अंदेशा था इसीलिए इसको सहन भी तो कर लिया है!
मैं बोला- निकाल लूँ क्या?
रौशनी बोली- नहीं बिलकुल नहीं ! मैं तैयार हूँ, आप धक्के मारो और लौड़े को पूरा अंदर बाड़ दो।
मैंने उसके कहे अनुसार एक जोर का धक्का लगाया और पूरा का पूरा लौड़ा उसकी चूत के अंदर कर दिया। लौड़े के अंदर घुसते ही वह चिल्ला उठी उईई… उईईइ… हाईईईई… हाईईई… मरगईईई माँअआ अआ… हाय मार डाला रेऐऐऐऐ…..
मैंने पूछा- क्या हुआ?
रौशनी बोली- होना क्या है, मुझे मार डाला आपने! मेरी चूत ने आज तक सिर्फ पांच इंच लम्बा लौड़ा ही लिया था लेकिन आपके आठ इंच लंबे लौड़े ने एक झटके में ही अंदर घुस कर मेरी बच्चेदानी तक चोट मारी है!
मैंने कहा- तुमने ही तो कहा था कि धक्का मारो और इस पूरा अंदर डाल दो!
रौशनी बोली- लेकिन मैंने यह नहीं कहा था कि एक ही झटके में हलाल करो! दो तीन धक्कों में घुसेड़ते तो इतनी तकलीफ नहीं होती!
मैंने कहा- अब बाहर निकाल लूँ?
रौशनी बोली- नहीं, जो होना था सो हो गया, अब तो मजे लेने की बारी है! आप अब आराम से जी भर के धक्के मारो!
इतना सुनते ही मैंने रौशनी की चुदाई शुरू कर दी और आराम से लौड़े को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा! रौशनी को भी अब मजे आने लगे थे, वह चूतड़ उठा उठा कर हर धक्के में मेरा साथ दे रही थी और उसकी चूत बहुत ही कसी हो गई, जिससे दोनों के लिंगों को खूब रगड़ लग रही थी।
दस मिनट तक इसी तरह चुदने के बाद रौशनी ने आह्ह… आह्हह्ह… की आवाज़ निकालते हुए अपना पानी छोड़ा और चूत में से पच्च… पच्च… की आवाज़ आने लगी। इस पच्च… पच्च… की आवाज़ सुन कर मैं उत्तेजित हो गया और मैंने चुदाई की गति तेज कर दी।
रौशनी भी शायद यही चाहती थी क्योंकि उसने भी चूतड़ उठाने की रफ्तार मेरे धक्कों के बराबर तेज कर दी। जब अगले पन्द्रह मिनट तक मैं रौशनी को तेज़ी से चोदता रहा तब उसने कहा- साहब, और तेज़ी से मारो, मैं अब छूटने वाली हूँ!
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मैंने अच्छा कह कर चुदाई की गति को बहुत ही तेज कर दिया। पांच मिनट की बहुत तेज चुदाई के बाद रौशनी का बदन एकदम ऐंठ गया और उसकी चूत बिल्कुल सिकुड़ गई थी, वह लौड़े को जकड़ कर अंदर की ओर खींचने लगी और लौड़े को ज़बरदस्त रगड़ मारने लगी थी!
उसकी इस रगड़ ने मेरे लौड़े को उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँचा दिया तथा मेरे सुपारा फूल गया और तब मैं और रौशनी ने एक साथ ही अपना अपना रस छोड़ दिया! रस छूटते ही हम दोनों निढाल हो कर बिस्तर पर पड़ गए और अगले बीस मिनट तक वैसे ही पड़े पड़े सुस्ताते रहे।
फिर रौशनी ने मेरे होंटों पर अपने होंट रख कर मुझे चूमा और मुझे हल्का सा धक्का देकर अपने से अलग किया तथा मेरे लौड़े को अपनी चूत से बाहर निकाल कर अपने मुँह में डाल कर चूसा और चाट कर साफ़ किया। इसके बाद वह चूत को साफ़ करने के लिए बाथरूम में चली गई और बाहर जाते जाते बोली- साब, मैं आपके लिए खाना बना देती हूँ आप खा लीजिए!
मैं उसकी बात सुन कर नंगा ही कमरे से बाहर निकल कर रसोई में गया तो देखा वह भी नंगी ही खाना बना रही थी। मैंने उसके पीछे से उसकी गर्दन पर चुम्बन किया और उसकी गांड में उंगली भी कर दी। उसने छटपटा कर चूतड़ हिलाए और मेरी उंगली को बाहर निकाल दिया और बोली- साहब, अभी खाना बनाने दीजिए, बाद में जो मर्जी कर लीजियेगा!
मैंने उसे कहा- तुम अपना खाना भी बना कर ले आना, हम दोनों साथ ही बैठकर खायेंगे।
और मैं खाने की मेज पर आकर बैठ गया और लौड़े को खड़ा करने लगा। थोड़ी देर में वह खाना बना कर ले आई और मेज़ पर लगा दिया। फिर जब वह यह देख रही थी कि वह कहाँ बैठे मैंने उसके मम्मों को पकड़ कर उसे अपने पास खींच लिया और अपनी गोदी में बिठा लिया। उसने उठने की कोशिश तो की लेकिन मैंने उसे उठने ही नहीं दिया।
तब वह बोली- साहब, मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही है, आपका लौड़ा चुभ रहा है!
मैंने कहा- अगर यह बात है तो लो अभी ठीक से सेट कर देते हैं।
और मैंने लौड़े को पकड़ कर उसकी चूत के मुँह में लगा दिया और उसे नीचे होने को कहा। उसके नीचे होते ही लौड़ा उसकी चूत में घुस कर सेट हो गया और वह इत्मीनान से मेरी गोद में बैठ गई। मैं उसके मम्मों को पकड़ कर बैठ गया और उसे कहा कि वह ही मुझे खाना खिलाए! ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वह एक निवाला मुझे खिलाती और एक निवाला खुद खाती। मैं उसके मम्मों और डोडियों को मसलता रहा तथा उसकी चूत में लौड़े को फूलाता रहा! जब खाना समाप्त हो गया तब वह उठने लगी तो मैंने उसे उठने नहीं दिया और दूसरी कुर्सी के ऊपर झुका उसके कर चूतड़ ऊँचे कर दिए और उसकी चूत में लौड़ा डाल कर उसे कुतिया शैली में चोदने लगा!
कुछ मिनटों के बाद जब रौशनी की चूत ने पानी छोड़ा तब मैंने लौड़ा बाहर निकाला और उसकी गांड के छेद पर रख कर एक धक्का मार कर सुपारे को गांड के अंदर कर दिया। रौशनी की गांड तो बहुत ही तंग थी और मुझे लगा कि उसकी रगड़ ने जैसे मेरे लौड़े को छील दिया हो!
सुपारे के अंदर जाते ही रौशनी दर्द के मारे चिल्ला उठी, बोली- साहब, मैं मर जाऊंगी, यह क्या लठ डाल दिया मेरी गांड में! बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है, मेरी गांड फट जायेगी, इसे बाहर निकालिये!
वह चिल्लाती रही लेकिन मैंने उसकी बात की परवाह किये बगैर धक्के मारने लगा और पूरे लौड़े को गांड में डाल कर ही दम लिया। वह रो रही थी और कह रही थी- साहिब मुझे छोड़ दीजिए, मैंने गांड कभी नहीं मराई, हाय मेरी जान निकल रही है!
वह तड़प रही थी, उसकी टांगें कांप रही थी और जोर जोर से रो रही थी!
तब मैंने उसे कहा- चुप हो जाओ, मैं अभी निकाल लेता हूँ।
और जैसे ही आहिस्ता आहिस्ता मैंने लौड़े को बाहर खींचना शुरू किया वह चुप हो गई। लेकिन जैसे ही मैंने देखा कि सिर्फ सुपारा अंदर रह गया है तब मैंने फिर से धक्का मार कर पूरे लौड़े को गांड के अंदर घुसा दिया। रौशनी शायद इसके लिए तैयार नहीं थी और लौड़े के अंदर जाते ही जोर से चिल्लाने लगी- मार डाला रे, मेरी गांड फट गई रे, हाय दैया रे मैं मर गई!
मैंने रौशनी को चुप कराने के लिए उसके मुँह पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे धक्के मार कर लौड़े को उसकी गांड के अंदर-बाहर करने लगा। कुछ देर के बाद जैसे ही रौशनी को कुछ राहत मिली तब वह भी मेरे साथ सहयोग करने लगी और मेरे धक्कों के अनुसार हिल कर गांड मराने लगी।
पन्द्रह मिनट तक रौशनी की गांड मारने के बाद जब मेरे लौड़े का रस उसकी गांड में छूट गया तब मैंने लौड़ा बाहर निकाला और उसके मुँह में दे दिया। रौशनी ने लौड़े को चूस तथा चाट कर साफ़ कर दिया और सीधी खड़ी होकर बोली- साहब, अपने तो पहले मेरी जान ही निकाल दी थी लेकिन बाद में बहुत मजे भी दे दिए!
तीन बजे थे जब हम दोनों एक साथ नहा कर बिस्तर पर लेट गए और एक दूसरे से चिपक कर सो गए। जब नींद खुली तो पांच बज चुके थे और रौशनी अभी भी मेरे साथ चिपक के सो रही थी। मैंने उसके मम्मों के भूरे अंगूरों को सहलाया तो वह चौंक कर जाग गई और मुझे देख कर उठ कर बैठ गई।
मैंने उससे पूछा- बहुत थक गई थी क्या?
तो उसने सिर हिला कर हाँ कर दी और उठ कर रसोई में जाकर चाय बना लाई और हमने साथ ही बैठ कर चाय पी। फिर उसने कपड़े पहने और रसोई में जाकर रात के लिए खाना बनाया। रात को सात बजे से पहले ही रौशनी मेरे पास आकर बोली- साहब, मैं अब जाऊँगी, खाना बना दिया है, आप खा लीजिएगा!
तब मैंने उसे पांच सौ रुपये दिए तो वह कहने लगी- साहब, मैंने चूत पैसों के लिए नहीं मरवाई!
तब मैंने कहा- यह चूत के लिए नहीं है, यह मैं तेरी गांड की सील तोड़ने की खुशी में दे रहा हूँ!
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तो उसने खुशी से पैसे ले लिए और मेरे खड़े लौड़े को देख कर उसने झुक कर पहले तो चूमा और फिर पता नहीं क्या सोच कर उस चूसने भी लगी! पांच मिनट में ही मेरा रस उसके मुँह में छूट गया जो उसने पी लिया। फिर जाते हुए कहा- साहब, मैं सुबह छह बजे आऊँगी तब आपको और आपके लौड़े को खूब मजे दूँगी! शुभ रात्रि! अगले छह माह मैं रौशनी को हर रोज चूत चोदता था और उसकी गांड मारता था लेकिन मेरी पत्नी दीप्ती के आने तक के बाद यह सिलसिला थोड़ा कम हो गया है।
अब तो जब भी दीप्ती घर पर नहीं होती है या कहीं इधर उधर जाती है, तब तो मैं रौशनी की चूत और गांड दोनों ही मार लेता हूँ! मैंने रौशनी की तनख्वाह दो सौ रूपये बढ़ा दी है, ताकि वह नौकरी छोड़ कर नहीं जाए और मुझ से चुदती रहे! अब सोच रहा हूँ कि मैं दीप्ती और रौशनी को एक साथ चोदूँ इसलिए रौशनी की चुदाई घटना के बारे में दीप्ती को बताना चाहता हूँ। आपसे अनुरोध है कि आप अपना सुझाव दें कि मुझे अपनी पत्नी को यह बताना चाहिए या नहीं?