Desi Family Fuck Kahani
मेरा नाम पवन है, मेरी माँ का नाम अलका है और मेरी छोटी बहन का नाम शिवानी है। चलो, ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए मैं आपको कहानी सुनाने जा रहा हूँ। मैं मेरठ का रहने वाला हूँ। मेरा परिवार काफी फ्रैंक है। मेरी माँ, माँ कम और दोस्त ज्यादा है। बात सर्दियों की है। Desi Family Fuck Kahani
मैं कमरे में बैठा टीवी देख रहा था और माँ मैगज़ीन पढ़ रही थी। पापा फैक्ट्री में थे। शिवानी अपनी पढ़ाई कर रही थी। तभी बेल बजी तो माँ उठकर गई। मैंने मैगज़ीन उठा ली, उसमें कुछ हॉट तस्वीरें भी थीं। वह डेबोनेयर थी। जैसे ही मैंने पेज पलटे, उसमें कंडोम का विज्ञापन आ गया। मैं अपना लंड खुजाने लगा, जो गर्म हो गया और जींस में रहना मुश्किल हो गया।
मैंने जींस ढीली की और मेरा लंड पूरी तरह तन गया, 8 इंच का हो गया। मैंने हाथ डालकर मसलना शुरू किया ताकि शांत हो जाए। लेकिन इतने में माँ आ गई। उन्होंने देख लिया, मगर वह गेट पर रुकीं। उन्हें लगा कि मैंने उन्हें नहीं देखा। मुझमें जोश आ गया और मैंने लंड बाहर निकाल लिया और मुठ मारने लगा। माँ एकदम आगे आ गईं। मैंने लंड जल्दी से अंदर कर लिया।
उन्होंने कहा, “क्या बात है?”
मैंने कहा, “कुछ नहीं, ये विज्ञापन देखकर गर्म हो गया।” वह बोलीं, “कौन सा विज्ञापन?” और मेरे हाथ से किताब ले ली।
वह बोलीं, “तुझे पता है ये क्या है?”
मैंने कहा, “हाँ, लेकिन इसे यूज करना नहीं आता।”
वह बोलीं, “चल, बेडरूम में बताती हूँ कि इसे कैसे लगाते हैं।”
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मेरा तो मानो मजा आ गया। मैं जल्दी से कमरे में चला गया। वह भी आ गईं। दरवाजा खुला था, शायद माँ शिवानी को बता कर आई थीं। माँ कमरे में आईं और बोलीं, “चल, जींस उतार।” मैंने कहा, “आप उतारो,” क्योंकि वह भी गर्म थीं और मैं भी। उन्होंने मेरी जींस उतारी और मेरा अंडरवियर भी उतार दिया।
मैंने कहा, “माँ, आप भी उतारो।”
तो उन्होंने कहा, “चल, तू ही उतार दे।”
पहले तो मैंने फिल्मी स्टाइल में उनकी साड़ी खोली, फिर ब्लाउज़ और ब्रा उतार दी। पेटीकोट खुल नहीं रहा था, इसलिए मैंने उसे तोड़ दिया। वह एकदम से जमीन पर गिर गया। माँ बिल्कुल नंगी हो गई थीं। मुझे लगा कि गेट पर कोई है।
मैंने देखा तो शिवानी खड़ी थी, लेकिन उसे महसूस नहीं हुआ। माँ ने मेरा लंड पकड़कर बैठ गईं। मैं बेड पर था और वह फर्श पर थीं। उन्होंने लंड अपने मुँह में ले लिया। उनके हाथ में कुछ था, मगर जोश के कारण मैंने नहीं देखा। वह मेरा लंड लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं।
माँ बोलीं, “मजा आया?”
मैंने कहा, “हाँ, बहुत आया माँ, प्लीज जरा जल्दी करो।”
उन्होंने कहा, “अभी रुक, अभी तो मजा है।”
मैंने कहा, “माँ, एक बात मानोगी?”
उन्होंने कहा, “जब ये है तो और बात?”
मैंने कहा, “शिवानी बाहर खड़ी है, उसे अंदर बुला लो।” वह हँसने लगीं।
माँ जानती थीं। शिवानी अंदर आ गई और बैठ गई। वह माँ-बेटे का खेल देख रही थी। उसे रहा नहीं जा रहा था। वह अपनी चूत खुजा रही थी। माँ बोलीं, “आजा शिवानी, तू भी जॉइन कर।” वह तो जैसे तैयार थी। उसने अपने कपड़े उतार दिए। वह भी बिल्कुल नंगी थी। माँ ने हाथ खोला तो उसमें कंडोम था।
माँ बोलीं, “आज तुझे इसे लगाना सिखाऊँगी।”
मैंने कहा, “ठीक है।” माँ ने रैपर खोला।
इतने में डोर बेल बजी।
माँ बोलीं, “तुम रुको, मैं देखती हूँ।”
मैंने कहा, “ठीक है।”
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माँ ने गाउन डाला और चली गईं। गेट बंद करके मैं और शिवानी अकेले थे। मैंने कहा, “शिवानी, यहाँ बैठो।” वह बहुत गर्म थी। उसने अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया। वह बोली, “क्या माँ का काम मैं कर सकती हूँ?” मैं बहुत खुश हो गया और सिर हिलाने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
हम दोनों 69 की पोजीशन में हो गए। वह मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाटने लगा। उसने कहा, “आज सब कुछ है, मेरी तृप्ति कर दो।” मैंने कहा, “ठीक है।” हम दोनों ठीक हुए। माँ सब कुछ देख रही थीं। मैं यही चाहता था। मैंने कहा, “इसे सेक्स कहते हैं।”
इतना कहकर मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और उसे किस करने लगा। वह भी मेरे होंठ चूसने लगी, कभी ऊपर का होंठ चूसती, कभी दोनों को एक साथ। मेरा एक हाथ उसके बूब्स पर था और दूसरा उसकी चूत में। वह अब तक काफी गर्म हो गई थी। उसकी चूत से पानी निकल रहा था।
मैंने बिल्कुल देर नहीं की। मैंने अपनी जेब से कंडोम निकाला और अपने लंड पर चढ़ाया (क्योंकि मुझे पता है कि इसमें कभी रिस्क नहीं लेना चाहिए)। वह बोली, “ये क्या है और इसे तुम अपने पेनिस पर क्यों चढ़ा रहे हो?” मैंने कहा, “ये प्रोटेक्शन के लिए है।”
इतना कहते ही मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसे फिर से किस करने लगा। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और उसे अपनी चूत पर मसलने को कहा। उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और चूत पर मसलने लगी। मैं धीरे-धीरे दबाव बढ़ाने लगा। इसमें जल्दबाजी करने से बात बिगड़ भी सकती है।
मौका देखकर मैंने एक हल्का सा धक्का लगाया। वह चिल्ला उठी, “आआआ पवन भैया, बहुत दर्द हो रहा है… प्लीज इसे निकाल दो।” उसकी चूत की सिल टूटने की वजह से खून बहने लगा। वह दर्द से कराह रही थी। मैंने उसे किस करना शुरू किया, इससे उसे थोड़ी राहत हुई।
थोड़ी देर तक मैं बिल्कुल नहीं हिला। बाद में मैंने धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाई। वह सिसकियाँ लेने लगी और वह भी नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी। इतने में माँ आ गईं। उन्होंने शिवानी को शांत किया और उसकी चूत मसलने लगीं। माँ ने फिर से गाउन उतार दिया।
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मेरा लंड सिर्फ 2 इंच ही अंदर था, लेकिन उसकी चूत अभी पूरे लंड को लेने के लिए तैयार नहीं थी। माँ बोलीं, “आराम-आराम से करो।” मैंने फिर भी थोड़ा और कोशिश की। वह खुद ही मेरी गांड पर हाथ लगाकर मुझे अपनी ओर खींचने लगी। धीरे-धीरे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया।
माँ उसकी चूंची दबा रही थीं और मैं माँ की चूत चाट रहा था। कभी मैं उसे अपने ऊपर चढ़ाता, कभी वह नीचे हो जाती। मैं उसके बूब्स और उसकी गांड को बराबर दबा रहा था। वह बहुत सेक्सी लग रही थी। उसे बहुत मज़ा आ रहा था। चुदवाने के बाद वह मेरे ऊपर पूरी नंगी पड़ी थी और बोल रही थी, “उंगली से इतना मज़ा कभी नहीं आया। भैया, प्लीज आप रोज़ मुझे ऐसा करना।”
वह बोली, “मुझे आपका पेनिस बहुत अच्छा लगता है।” ऐसा कहकर वह मेरे पेनिस के साथ खेलने लगी। कभी उसे ऊपर उठाती, कभी दोनों हाथों से हिलाती। उसके छोटे हाथों में मेरा टाइट पेनिस बहुत बड़ा लग रहा था। मैंने भी उसकी चूत में अपनी उंगली डाली और कहा, “पवन भैया जानते हैं कि अपनी गुड़िया को कैसे खुश रखना है।”
मैं उसके बूब्स दबाने लगा और उसके होंठों पर किस करने लगा। थोड़ी देर बाद फिर से मैंने उसकी चूत में अपना लंड डाला और उसे स्वर्ग का सुख दिया, जो उसे बहुत सालों बाद मिलने वाला था। (लेकिन हाँ, कभी भी अपनी बहन को चोदो तो प्लीज कंडोम ज़रूर पहनना, वरना तुम जानते हो कि क्या हो सकता है।)
18 साल की उम्र में ही मुझे एक बहुत ही सेक्सी और वर्जिन लड़की को चोदने का मौका मिला था। अब माँ इंतज़ार कर रही थीं। मैं काफी थक चुका था। मैंने आज लगातार दो औरतों के साथ चुदाई की थी। माँ ने मुड़कर देखा कि शिवानी की चूंची उनके कपड़ों के ऊपर से ही दब रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
शिवानी के कपड़े आधे खुले हुए थे। शिवानी ने जींस और टी-शर्ट उतार रखी थी और अब माँ नंगी थीं। शिवानी की चूंची बहुत ही सेक्सी थी। उसकी चूंची बहुत बड़ी थी। उसकी निप्पल इस समय बिल्कुल फूलकर खड़ी और कड़क हो गई थी। माँ की एक निप्पल शिवानी ने अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और अपने हाथ माँ की जाँघों के बीच में घुमाने लगी।
उन्होंने अपने मुँह को माँ की चूत पर रख दिया। थोड़ी देर बाद शिवानी ने अपनी जीभ निकालकर माँ की चूत के अंदर कर दी। मैं यह सब देख रहा था। माँ इतनी गर्म हो गई थीं कि अपने हाथों से अपनी निप्पल मसल रही थीं। यह सब देखकर मुझमें बसने का ज्वार फिर से आने लगा और चुदाई के लिए मेरा लंड फिर से गर्म होने लगा।
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मैं उठकर शिवानी और माँ के पास पहुँच गया और दोनों की काम लीला ध्यान से देखने लगा। दोनों को देखते-देखते मैंने अपना हाथ माँ की चूंची पर रख दिया और उनकी निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच में लेकर मसलने लगा। माँ अब मेरी तरफ मुड़ीं और देखा कि मैं उनके बगल में नंगा खड़ा हूँ और मेरा लंड अब गर्म होकर खड़ा होने लगा है।
उन्होंने मेरा लंड अपने हाथों में लेकर मुझसे पूछा, “क्या पवन, अब मुझे भी चोदेगा? हाँ, मैं भी अपनी बेटी की तरह अपनी चूत तुमसे चुदवाना चाहती हूँ। प्लीज मुझे भी अपने लंड से चोदो। लेकिन तुम्हारे लंड को क्या हो गया है? क्या अब यह हमारी चूत में घुसने के काबिल है?”
मैं लड़कियों की चुदाई का पुराना खिलाड़ी था। मैंने अपने लंड को हिलाते हुए कहा, “घबराओ मत, अभी तुम्हें अपने लंड का कमाल दिखाता हूँ।” यह कहकर मैंने अपना लंड माँ के मुँह में दे दिया और बोला, “लो मेरी जान! मेरा लंड अपने मुँह में लेकर इसे चूसो।”
माँ भी मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर उस पर अपनी जीभ चलाने लगीं और कभी उस पर अपनी दाँत गड़ाने लगीं। माँ की लंड चुसाई से मुझे बहुत मज़ा आया और मेरा लंड अब धीरे-धीरे खड़ा होने लगा। उधर शिवानी अपने एक हाथ से माँ की चूत सहला रही थी और दूसरे हाथ से मेरी गांड में अपनी उंगली पेल रही थी।
थोड़ी देर बाद लंड चुसाई और गांड में शिवानी की उंगली होने से मेरा लंड पूरे जोश के साथ खड़ा हो गया और फिर चुदाई शुरू करने के लिए तैयार था। मैंने अपना लंड माँ के मुँह से निकाला और माँ के पैरों के बीच बैठ गया। मैंने अपने दोनों हाथों से माँ की चूत को फैलाया और उसमें अपनी जीभ डाल दी।
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मैं अपनी जीभ माँ की चूत के अंदर-बाहर करने लगा और चूत की अंदरूनी दीवारों के साथ अपनी जीभ से खेलने लगा। कभी-कभी मैं अपनी जीभ से माँ की भगनासा भी चाट रहा था और कभी-कभी उसे अपनी दाँतों के बीच पकड़कर जोर-जोर से चूस रहा था।
माँ अब काफी बेचैन थीं और अपनी कमर हिला-हिलाकर अपनी चूत को मेरे मुँह पर आगे-पीछे कर रही थीं। मैं समझ गया कि माँ की चूत अब लंड खाने के लिए तैयार है। मेरा लंड भी अब पहले जैसा तगड़ा हो गया था और माँ की चूत में घुसने के लिए उतावला था।
मैंने अपनी जीभ माँ की चूत से निकाल ली और अपना सुपारा माँ की चूत पर रखकर एक हल्का सा धक्का दिया। मेरा लंड आधा माँ की चूत में चला गया। शिवानी माँ की चूंची और चूत से खेलने लगी। मैंने फिर माँ के पैर को फैलाकर एक और धक्का मारा। पूरा लंड अंदर चला गया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उधर शिवानी माँ की एक-एक निप्पल अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। मैंने माँ के दोनों पैर हवा में उठा दिए और उनकी कमर को कसकर पकड़ लिया ताकि चूत न जाए। मैंने फिर माँ की चूत पर अपना लंड रखा और माँ को कुछ समझाने से पहले ही एक जोरदार झटका दिया।
मेरा पूरा लंड एक ही झटके में पूरा का पूरा अंदर चला गया। माँ इस अचानक हमले से पहले चीखीं और मुझे अपने ऊपर से हटाने के लिए धक्का मारा, लेकिन इस बार मेरी पकड़ बहुत मजबूत थी। मैंने अपनी कमर आगे-पीछे करके अपना लंड माँ की चूत में धीरे-धीरे पेलने लगा। थोड़ी देर बाद माँ को भी मज़ा आने लगा और तब वह अपनी कमर उठा-उठाकर मेरी चुदाई में सहयोग करने लगीं।
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मैं और माँ दोनों एक-दूसरे को ऊपर और नीचे से धक्के मार रहे थे और माँ की चूत में मेरा लंड तेजी से आ-जा रहा था। शिवानी अब चुदाई के जोर से हटकर दोनों की चुदाई देख रही थी और एक-दूसरे की चूत में उंगली कर रही थी। माँ और मैं दोनों एक-दूसरे से चूत और लंड के साथ जुड़े हुए थे। थोड़ी देर बाद माँ की चूत से पानी निकलने लगा तो मैंने अपनी चुदाई की स्पीड और तेज कर दी क्योंकि मैं भी अब झड़ने वाला था। मैंने आखिरी के चार-पाँच धक्के जोरदार तरीके से माँ की चूत पर अपने लंड से मारे.
और फिर माँ की चूत के अंदर पूरा का पूरा लंड ठेलकर झड़ गया। माँ भी अब तक झड़ चुकी थीं। मेरा सारा पानी माँ की चूत में समा गया। दोनों हाँफ रहे थे और एक-दूसरे से चिपके पड़े थे। फिर मैंने अपने लंड को माँ की चूत से निकाला तो उससे ढेर सारा पानी निकलने लगा। शिवानी और माँ ने जल्दी से अपने-अपने मुँह माँ की चूत पर लगा दिए और उससे निकल रहा मेरा और उनकी चूत के पानी का मिश्रण जीभ से चाट-चाटकर पी गईं। माँ ने कहा, “तुमने हम दोनों को बहुत मज़ा दिया।” और हम तीनों नंगे ही सो गए। फिर पूरा हफ्ता मैं उन्हें चोदता रहा।
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