Desi Chachi Antarvasna Sex
हिंदी सेक्स स्टोरी जब मेरी शादी हुई तो मैं बहुत डरी हुई थी. सोचती थी कि नयी जगह पर मन लगेगा की नहीं. और फिर परिवार भी इतना बड़ा था. पर जल्द ही मुझे मालूम पड़ गया की हमारे लिए एक नया फ्लैट खरीद दिया गया है और हम वहीँ शिफ्ट हो जाएंगे. जब मैं शिफ्ट हो गयी तो मुझे बहुत खुशी हुई. Desi Chachi Antarvasna Sex
इनके ऑफिस जाने के बाद मैं आराम से टीवी. देखती. कभी कभी मेरी बड़ी जेठानी मुझसे मिलने आ जाती और उनके साथ उनका बड़ा लड़का धीरज भी आता. हम दोनों खूब बाते करती और धीरज टीवी देखता रहता. मेरा भी बहुत मन लगता. मुझे तो धीरज के साथ लूडो खेलने की आदत पड़ गयी थी.
वह अक्सर स्कूल से सीधे मेरे ही पास आ जाता और मैं उसका खाना भी तैयार रखती थी. एक दिन वह आया तो बहुत उदास था. मैंने उससे कहा की चलो रमी खेलते हैं. वो बोला कि आज मन नहीं कर रहा है. मुझे न जाने क्या सुझा कि मैंने मजाक मजाक में कह दिया की चलो रोमांस करते हैं. और वह बुरी तरह शर्मा गया…
मैंने भी सोचा की मैं क्या क्या बकती रहती हूँ. उस दिन के बाद से वो बहुत बदल गया… मुझे अक्सर लगता की वह मुझे घुर रहा है किचन में काम करते वक़्त भी वह वहां आ जाता और बातें करने लगता.. एक दिन मैंने देखा की वो मेरे स्तनों को घुर रहा है मैंने उससे पूछा की क्या देख रहे हो तो शर्मा कर बहार चला गया..
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उस दिन उसके चाचा जी बाहर जाने वाले थे और उन्होंने धीरज को मेरे पास ही रुकने की हिदायत दी थी.. रात को खाना खा के हम सोने चले गए.. उसे भी मैंने आपने पास ही सुला लिया क्योंकि मैं सच मैं अकेले सोने से डरती थी.. इनके पैकिंग करने के कारण मैं बुरी तरह थक चुकी थी..
इसलिये मुझे जल्द ही नींद आ गयी. थोड़ी देर बाद जब मुझे प्यास लगी तो मेरी आँख खुली.. मैं जैसे ही उठने को हुई की मेरा हाथ किसी नरम सुर्ख चीज़ से टकराया… मैं सकपका गयी… यह धीरज का लिंग था. मेरी प्यास मानो काफूर हो गयी और मैं वहीँ पड़ी रही.
मैं सोच रही थी की कहीं धीरज अपनी पेंट की चैन बंद करना तो नहीं भूल गया पर जल्द ही मेरा शक दूर हो गया धीरे धीरे धीरज मेरे करीब घिसकता जा रहा था. अब तो उसके कंधे मेरे कन्धों को छूने लगे थे. मैंने अपने आपको और स्थिर कर दिया ताकि उसे लगे की मैं सो रही हूँ.
अचानक उसका हाथ मेरे जांघो पर आ गया मेरी तो सांस ही रुक गयी धीरे धीरे वो मेरे जांघो को मसलने लगा. उसकी हरकतों से मेरे अंदर मानो वासना का ज्वर उठ रहा था… उसका साहस बढ़ता ही चला गया… उसने मेरी साड़ी को आहिस्ते आहिस्ते कमर की और धकेलना शुरु किया…
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और पलक झपकते ही उसका हाथ मेरे लहंगे को चीरता हुआ मेरी पेंटी तक पहुँच गया… उसने मेरी पेंटी को ऊपर से ही मेरी योनि को मसलना शुरु कर दिया.. मैं चाहा कर भी उसे रोक नहीं पा रही थी… हवस के बादल मुझे उसकी ओर धकेले रहे थे… मैं उसके बिछाये कांटे में फँस गयी थी…
पार ना जाने क्यों मुझे यह फसना अच्छा लग रहा था… मुझसे रहा नहीं जा रहा था… अब तक तो शायद धीरज भी मेरी सहमति को समझ चुका था… पर मैं अपराध-बोध से ग्रसित हो रही थी… मैंने आपने दिल को समझाया और करवट बदल ली… पर हाय! धीरज में तो जैसे साक्षात काम-देव का वास हो गया था…
उसने आगे घिसकाते हुए आपने लिंग को मेरे कूल्हों की फांक पर टिका दिया… उसका लिंग रह रह कर फुफकार मार रहा था.. एक पल के लिए तो ऐसा लगा जैसे वासना की आग मेरे नितम्बों से होती हुई मेरे जिस्म में फेल रही है… धीरज के हाथ मेरे जांघ के नर्म मांस को नोच रहे थे… ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पढ़ रहे है.
मैं धीरे धीरे फिसल रही थी मैंने हलके से अपने कूल्हों का उचका कर उसके लिंग को हल्का झटका मारा. उसकी तमन्नाएँ दुगनी हो गयी.. उसके हाथ सरकते हुए मेरी छाती के उभारो को टटोलने लगे… अब मेरे सब्र का बांध टूट गया… मैं सीधी लेट गयी.. और उसके हाथों को अपने जिस्म पर रेंगने की इजाजत दे दी..
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धीरज मेरे वक्ष स्थल को बुरी तरह नोच रहा था.. धीरे धीरे उसने मेरे ब्लाउज के सारे हुक खोल दिए.. और मेरे स्तन प्यार पाने को उतावले हो मेरी चोली से बाहर आने को बेताब थे.. उसने इतने बेदर्दी से मेरी चोली को खिंचा की हुक टूट गया.. और मेरे होंठ दर्द के मरे फड़फड़ा उठे..
मेरे उरोज अब नंगे हो चुके थे… उसने मेरी चूचियों को निचोड़ना शुरु किया… जाने कैसे उसके हाथ इतने बड़े बड़े हो गए थे की मेरे दोनों स्तनों को एक साथ मसल रहे थे… मैंने भी अब हरकत में आना शुरु कर दिया था… आपने हाथों से मैं उसके लिंग को सहलाने लगी…
जब उसका लिंग मेरे हाथों में आया तो ऐसा लगा जैसे कोई लठ हो.. अब वह मेरे ऊपर चढ़ने को बेताब हो रहा था… मैंने हलके से उसके कान में कहा ओ धीरज मेरे जिस्म को अपने बाँहों में भर लो.. वह मेरे ऊपर चढ़ गया और अपने होठ मेरे होठों पर गड़ा दिए… अमृत का स्वाद था उसके लाल सुर्ख होंठो में…
मेरे उरोज उसकी नोच खसोट से दुगने साइज के हो रहे थे… मैंने उसकी शर्ट खोल दी और जब मेरी नंगी छाती उसकी छाती से टकराई तो मारे संतुष्टि के मेरे आँखों में पानी आ गया… उसका लिंग मेरी योनि द्वार के लिए छटपटा रहा था… धीरज शायद चूत में एंट्री ले कर हर दम के किये मुझे आपने बना लेना चाहता था.. उसने मेरी साड़ी को उठा पेंटी को नोच डाला..
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उसका हर सितम कितना सुहाना लग रहा था.. जब लिंग मेरी योनि द्वार से टकराया तो मैं सिहर उठी… ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरे योनि पर कोई पत्थर रख दिया हो… एक झटके में ही उसने आधा लिंग अंदर डाल दिया.. मेरी चींख निकल गयी “आएएससससस माँ…!” लगा जैसे आज ही मेरी योनि का द्वार खुला है.. आज ही मेरी सुहागरात है… आज ही मेरे जीवन का प्रथम सहवास है.. सारे दरवाजों को तोड़ता हुआ उसका लिंग मेरी योनि में प्रविष्ट कर चूका था.. मैं बड़बड़ाई “धीरज आज तूने मुझे सही मायनों में मुझे औरत बना दिया…”
धीरज बोला “हिमांशी आंटी आप का जिस्म ही आज से मेरा बिस्तर है…!!!” और वह मेरी योनि को झटके देने लगा… “हाँ धीरज…!! छीन ले मेरी आबरू… कर दे मेरी योनि को घायल.. लूट ले अपनी चाची की जवानी….!” और उसका लिंग मेरे योनि को छेड़ता रहा… जब तक की हम दोनों एक साथ स्खलित नहीं हो गए… यह मेरे जीवन का पहला चरमोत्कर्ष था.. उसका वीर्य मेरी योनि के अंदर तैरने लगा… मेरा श्राव और उसका वीर्य मिल कर मेरी योनि में संगम बना रहे थे… मैं निहाल हो गयी धीरज के रूप में एक सच्चे मर्द को पा कर… आई लव यू धीरज… मुआहान.
Bobby says
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