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3 देहाती बहनों को एक साथ चोदा

नवम्बर 6, 2025 by hamari 1 Comment

Dehati Pela Peli Kahani

ये कहानी तब की है जब मेरी पहली नौकरी लगी थी. मेरी पहली पोस्टिंग ग्वालियर के एक छोटे से गाँव में हुआ था। वहाँ मुझे मेरे दफ्तर के कर्मचारी के सहयोग से एक मकान किराए पर मिल गया। काफी बड़ा मकान था और उन्होंने मुझे छत पर एक कमरा रहने के लिए दिया हुआ था। Dehati Pela Peli Kahani

मकान मालिक रघुवीर 53 वर्षीय थे और उनकी पत्नी कावेरी करीब 48 वर्षीय थी। रघुवीर अपना खेती-बाड़ी का ही काम देखते थे। उस मकान में तीन लड़कियाँ भी रहती थीं। ये लड़कियाँ रघुवीर के बड़े भाई की थीं और उनके बड़े भाई और बड़े भाई की बीवी एक ट्रेन दुर्घटना में चल बसे थे।

रघुवीर की कोई औलाद नहीं थी, इसलिए वे तीनों लड़कियों को अपनी औलाद की तरह ही मानते थे। इन तीन बहनों का नाम उन्नति (25 साल), ज्योति (22 साल) और ख़ुशी (20 साल) था। तीनों बहनों की फिगर बहुत ही सेक्सी थी। उनकी चूँचियाँ और चूतड़ बहुत फुले-फुले थे और कोई भी मर्द उन्हें देखकर अपने आप को रोकना बहुत ही मुश्किल हो जाता था।

कुछ ही दिनों में मैं उस परिवार में काफी घुल-मिल गया था। एक दिन रघुवीर और उनकी बीवी को किसी रिश्तेदार की शादी में 10-15 दिनों के लिए जाना था। तो उन्होंने कहा, “मयंक बेटे, मेरी तीनों लड़कियों का खयाल रखना।” मैंने कहा, “ठीक है बाबूजी,” और उन्होंने अपनी तीनों बेटियों से कहा कि तुम खेतों में जाकर खेत की देखभाल भी कर लेना।

और अपनी तीनों बेटियों को मेरे हवाले करके वे चले गए। अब घर पर मैं और तीनों लड़कियाँ ही थीं। उस दिन शनिवार था, मेरी छुट्टी थी। सुबह नहाकर नाश्ता किया, तो उन्नति बोली, “मयंक जी, मैं और ज्योति, ख़ुशी खेत में जा रही हैं। आप दोपहर का खाना खा लेना।” मैं बोला, “यहाँ मैं बोर होऊँगा, इसलिए मैं भी तुम लोगों के साथ खेत में चलता हूँ।”

फिर उन्होंने दोपहर का खाना बाँधकर खेतों की ओर चल पड़े। रास्ते में मैंने 3 बियर की बोतलें खरीदीं और सोचा कि खेत में बियर का आनंद लेंगे। खेत पहुँचकर वे तीनों अपने-अपने काम में लग गए और मैं खेत के कोने में बने एक छोटे से मकान में आकर बियर पीने लगा।

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मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि आज मुझे इन तीनों को चोदने का मौका मिलेगा। करीब 1 बजे उन्नति मकान में आकर बोली, “चलो मयंक जी, खाना खा लेते हैं।” और हम चारों एक पेड़ के नीचे बैठकर खाना खाने लगे। इतने में खेत के अंदर एक कुत्ता और कुतिया आए और कुत्ता कुतिया की चूत में लंड डालने लगा।

जब तीनों बहनों की नजर कुत्ते और कुतिया की चुदाई पर पड़ी, तो वे लोग शरमा गईं थीं, लेकिन कुछ नहीं बोलीं। लेकिन मुझसे नजरें बचा-बचाकर उनकी चुदाई देख रही थीं। मेरा लंड तो पजामे में फूलकर तंबू की तरह खड़ा हो गया। जब उन्नति की नजर मेरे लंड पर पड़ी, तो वह भी कुछ नहीं बोली।

लेकिन बार-बार कभी मेरे लंड की ओर, या कुत्तों की चुदाई की तरफ देख रही थी। खैर, खाना खाकर मैं मकान में चला आया और करीब 2:30 बजे तीनों बहनें मकान में आईं। और एक कोने में लेटकर आराम करने लगीं। शाम को हम चारों घर आए और नहाकर मैं बाजार चला गया, वे अपने काम में लग गईं।

मैं बाजार से व्हिस्की की बोतल और एक ब्लू फिल्म की सीडी लेकर आया और कमरे में जाकर ब्लू फिल्म देखते हुए व्हिस्की पीने लगा। मैं ब्लू फिल्म देखने में इतना मस्त था कि पता ही नहीं चला कि कब वे तीनों बहनें मेरे कमरे में आईं। इन तीनों बहनों को देखकर घबराहट का नाटक करने लगा, फिर उठकर टी.वी. ऑफ कर दिया और बोला, “अरे! अचानक तुम लोग यहाँ कैसे?”

तीनों बहनें एक साथ मुझसे पूछीं, “मयंक जी, आप टी.वी. पर क्या देख रहे थे?” मैंने तीनों बहनों के चेहरों को देखकर उनके मन की बात पहचान ली और उनसे पूछा, “मैं जो कुछ भी टी.वी. पर देख रहा था, क्या तुम लोग भी देखना चाहोगी?” तीनों बहनों ने एक साथ अपनी-अपनी सिर हिलाकर हामी भर दी।

मैंने फिर टी.वी. ऑन कर दिया और सब लोग पलंग और सोफे पर बैठकर ब्लू फिल्म देखने लगे। मैं एक सोफे पर बैठा था और मेरे बगल वाले सोफे पर ज्योति और ख़ुशी बैठी थीं और पलंग पर उन्नति बैठी थी। उधर मैंने देखा कि ब्लू फिल्म की चुदाई का सीन देखकर तीनों बहनों का चेहरा लाल हो गया और उनकी साँसें भी जोर-जोर से चल रही थीं।

उनकी साँसों के साथ-साथ उनकी चूँचियाँ भी उनके कपड़े के अंदर उठ-बैठ रही थीं। क्या हसीन नजारा था। एक साथ तीन जोड़ी चूँचियाँ एक साथ उठ-बैठ रही थीं और साँसें गर्म हो रही थीं। कुछ देर के बाद उन्नति, जो कि इन बहनों में सबसे बड़ी थी, अपना हाथ अपने बदन पर, चूँची पर फेरने लगी।

मैं उठकर उन्नति के पास पलंग पर बैठ गया। और पहले उन्नति के सिर पर हाथ रखा और एक हाथ से उसके कंधों को पकड़ लिया। इससे उन्नति का चेहरा मेरे सामने हो गया। मैंने धीरे से उन्नति के कानों के पास अपना मुँह रख पूछा, “क्या बहुत गर्मी लग रही है, पंखा चला दूँ?” उन्नति बोली, “नहीं ठीक है।”

मैं पलंग से उठकर पंखा फुल स्पीड में चला दिया। पंखा चलते ही उन्नति की साड़ी का आँचल उड़ने लगा और उसकी दोनों चूँचियाँ साफ-साफ दिखने लगीं। मैं फिर पलंग पर उन्नति के बगल आकर बैठ गया। और उन्नति का एक हाथ अपने हाथ में ले लिया और धीरे से पूछा, “क्या मैं तुम्हारे हाथ को चूम सकता हूँ?”

उन्नति यह सुनते ही पहले अपनी बहनों की तरफ देखी और फिर अपना हाथ मेरे हाथों में ढीला छोड़ दिया। मैंने भी फुर्ती से उन्नति का हाथ खींचकर उसकी हथेली पर एक चुम्मा दे दिया। उन्नति कुछ नहीं बोली, फिर मैंने अपना होंठ उन्नति के होंठ पर रख दिया।

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फिर अपने होंठों से उन्नति के होंठ खोलते हुए उन्नति का निचला होंठ चूसने लगा। उन्नति अपने होंठ चुसाई से गर्म होकर मेरे कंधों पर अपना सिर रख दिया। मैंने उन्नति का रिएक्शन देखकर धीरे से अपना हाथ बढ़ाकर उन्नति की एक चूँची ब्लाउज के ऊपर से पकड़ लिया।

मैं एक हाथ से उन्नति की एक चूँची सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूतड़ पर फेर रहा था। उन्नति इस हरकत पर पहले तो थोड़ा कसमसाई और अपनी बहनों की तरफ देखते हुए उसने भी मुझे जोर से अपनी बाहों में भर लिया। मैं अब उन्नति की दोनों चूँचियों पर अपने दोनों हाथ रख दिए और उन्नति की दोनों चूँचियों को पकड़कर मसलने लगा।

यह पहली बार था कि कोई मर्द का हाथ उन्नति के शरीर को छू रहा था। वह बहुत गर्म हो गई और उसकी साँसें जोर-जोर से चलने लगीं। मैंने उन्नति की चूँचियों को मसलते हुए उन्नति के होंठों को चूमने लगा। मैं इधर उन्नति को चोदने की तैयारी कर रहा था कि मैंने देखा कि ज्योति और ख़ुशी भी अपने-अपने बदन सहला रही थीं और बड़े गौर से मुझे और उन्नति के चल रहे जवानी के खेल को देख रही थीं।

मैं समझ गया कि अब इन तीनों बहनों से कुछ भी कर सकता हूँ और ये तीनों बहनें अब मेरे काबू में हैं और मैं जो भी चाहूँगा, वही कर सकता हूँ। मैंने फिर से अपना ध्यान उन्नति के शरीर पर डाला। उन्नति की चूँचियों को ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए अपना हाथ उसकी ब्लाउज के अंदर ले गया और जोर-जोर से उन्नति की दोनों चूँचियों को पकड़कर दबाने लगा।

कभी-कभी अपनी दो उंगलियों के बीच उन्नति की निप्पल को लेकर मसल रहा था और उन्नति मेरे कंधों से लिपटी चुपचाप आँखें बंद करके अपनी चूँचियाँ मलवा रही थी। मैंने फिर धीरे-धीरे उन्नति की ब्लाउज और ब्रा को खोल दिया और उसकी कसी-कसी चूँचियों को देखने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

उन्नति तब अपनी आँख मेरी आँखों में डालकर पूछी, “कैसी हैं हमारी चूँचियाँ, आपको पसंद तो हैं?” मैं तो उन्नति की चूँचियों को देखकर पहले ही पागल सा हो गया था और उसकी चूँचियों को सहलाते हुए बोला, “उन्नति रानी, तुम हमारी पसंद-नापसंद पूछ रही हो? अरे आज तक मैंने इतनी सुंदर चूँचियाँ कभी नहीं देखी हैं। तुम्हारी चूँचियाँ बहुत सुंदर हैं और ये हमें पागल बना रही हैं। इन्हें देखकर मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा हूँ।”

वह बोली, “मेरी चूँचियाँ देखकर आपको क्या हो रहा है?” मैं बोला, “हाय! मैं अब तुम्हारी इन चूँचियों को चूसना और काटना चाहता हूँ,” और यह कहकर उन्नति की एक चूँची अपने मुँह में भर लिया और मजे ले-लेकर चूसने लगा। अपनी चूँची की चुसाई शुरू होते ही उन्नति पागल सी हो गई और अपनी हाथ बढ़ाकर मेरा लंड पैंट के ऊपर से ही पकड़कर मरोड़ने लगी।

उन्नति की गर्मी देखकर मैंने अपने हाथ से अपनी पैंट उतार दी और फिर से उन्नति की एक चूँची को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरी चूँची अपने हाथों में लेकर मसलने लगा। उन्नति अब अपने आप को रोक नहीं पाई और अपने हाथ से मेरा अंडरवियर उतार दिया। मेरा अंडरवियर उतारते ही मोटा और लंबा लंड बाहर आकर अपने आप झूमने लगा, मानो वह इन हसीन बहनों को अपना सलाम बजा रहा हो।

तीनों बहनें मेरा लंबा और मोटा लंड देखकर दंग रह गईं। मैं अब उन्नति को अपनी गोद में उठाया और फिर पलंग पर लिटा दिया। उन्नति को लिटाने के बाद उन्नति की साड़ी को उसकी कमर से खींचकर निकाल दिया और उन्नति पलंग पर सिर्फ पेटीकोट पहने चित लेटी हुई थी।

मैंने उन्नति की चूत को उसके पेटीकोट के ऊपर से पकड़कर दबाने लगा। उन्नति की चूत अपने हाथों से दबाते हुए उन्नति के पेटीकोट की नाड़ा खोल दिया। उन्नति ने भी पेटीकोट का नाड़ा खुलते ही अपनी कमर ऊपर कर दी, जिससे कि मैं उसके पेटीकोट को उसके चूतड़ से नीचे आसानी से निकाल सकूँ।

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मैंने उन्नति का पेटीकोट उसके फुले-फुले चूतड़ के नीचे कर दिया और फिर उसे उन्नति के पैर से अलग कर पलंग के नीचे फेंक दिया। अब उन्नति मेरे सामने अपनी गुलाबी रंग की पैंटी पहनकर लेटी हुई थी। मैं अब अपना मुँह उन्नति की चूत के पास ले गया और उसकी पैंटी के ऊपर से उसे चूमने लगा।

इधर उन्नति को नंगा कर रहा था, उधर उन्नति भी चुप नहीं थी। उन्नति ने मेरा लंड हाथ में लेकर ऊपर-नीचे करने लगी और फिर लंड का सुपाड़ा खोलकर उसे अपने मुँह ले लिया और जीभ से चाटने लगी। अब मेरा लंड और भी कड़क हो गया। तब तक मैंने उन्नति की चूत उसकी पैंटी के ऊपर से ही अपनी नाक लगाकर सूँघ रहा था और चूम रहा था।

जैसे ही उन्नति ने मेरा लंड अपने मुँह में भरकर चूसने लगी, मैंने उन्नति की पैंटी भी उतारकर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया। उन्नति नंगी होने से अब शरमा रही थी और अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया। इसी दौरान मैंने उसकी चूँची को चूसना फिर से शुरू कर दिया।

उन्नति की चूँचियाँ अब पत्थर के समान कड़क हो गई थीं। तब मैंने उन्नति को फिर बिस्तर पर चित लिटा दिया और उन्नति की चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। अपनी जीभ उन्नति की चूत के अंदर-बाहर करने लगा। अपनी चूत में जीभ घुसते ही उन्नति को बहुत मजा आने लगा.

और वह जोर से मेरा सिर अपनी चूत के ऊपर पकड़कर दबाने लगी और थोड़ी देर के बाद अपनी कमर ऊपर-नीचे करने लगी। मैं समझ गया कि अब उन्नति अपनी चूत में लंड पिलवाना चाहती है। मैंने उन्नति का मुँह चूमकर धीरे से उसके कान पर मुँह रखकर पूछा, “हाय! उन्नति रानी, अपनी कमर क्यों उछाल रही हो? क्या तुम्हारी चूत में कुछ-कुछ हो रहा है?”

उन्नति बोली, “हाँ, अरे नहीं मेरे दिनुआ, तुम सही कह रहे हो, मेरी चूत में चींटियाँ रेंग रही हैं। मेरा सारा बदन टूट रहा है, अब तुम ही कुछ करो।” फिर मैंने पूछा, “क्या तुम अपनी चूत हमारे लंड से चुदवाना चाहती हो?” उन्नति ने बोली, “अरे मेरे कपड़े सब उतार दिए और अपने भी कपड़े उतार दिए और अब भी पूछते हो कि क्या हम लोग चुदाई करेंगे?”

“ठीक, अब हम तुमको चोदेंगे, लेकिन पहले थोड़ा दर्द होगा, पर मैं तुम्हें बहुत ही प्यार से धीरे-धीरे चोदूँगा और तुम्हें दर्द महसूस नहीं होने दूँगा,” मैंने उन्नति से बोला। और उठकर उन्नति के दोनों पैर उठाकर घुटने से मोड़ दिया और दोनों पैर को अपने हाथों से फैला दिया।

फिर मैंने ढेर सारा थूक अपने हाथ में लेकर पहले अपने लंड में लगाया, फिर उन्नति की चूत पर लगाया। थूक से सना हुआ लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और धीरे से कमर को आगे बढ़ाकर अपना सुपाड़ा उन्नति की चूत में घुसा दिया और उन्नति के ऊपर चुपचाप पड़ा रहा।

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थोड़ी देर के बाद जब उन्नति नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी, तो मैंने धीरे-धीरे अपना लंड उन्नति की चूत में डालना शुरू किया। उन्नति का बदन दर्द से काँपने लगा और वह चिल्लाने लगी, “बाहर निकालो, मेरी चूत फट रही है। हाय! मेरी चूत फट रही है। तुम तो कह रहे थे कि थोड़ी सी दर्द होगी और तुम आराम-आराम से चोदोगे। मुझे नहीं चुदवानी है, तुम अपना लंड बाहर निकालो।”

मैंने उन्नति के मुँह में अपना हाथ रखकर बोला, “बस रानी बस, अभी तुम्हारा दर्द खत्म हो जाएगा और तुम्हें मजा आने लगेगा। बस थोड़ी सी और बर्दाश्त करो।” “हाय! मेरी चूत फट रही है और तुम कह रहे हो कि थोड़ी और बर्दाश्त करो। अरे मुझे नहीं चुदवानी है अपनी चूत, तुम अपना लौड़ा मेरी चूत से बाहर निकालो,” उन्नति बोली और उसकी आँख से आँसू आ गए।

इतनी देर में मैंने अपनी कमर उठाकर एक जोरदार धक्का मारा, तो सारा का सारा लंड उन्नति की चूत में घुस गया और उन्नति की चूत से खून निकल गया। उन्नति मारे दर्द के तड़पने लगी और मुझे अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने उन्नति को मजबूती से पकड़े हुए था और उसका हाथ उन्नति के मुँह के ऊपर था, इसलिए उन्नति कुछ न कर सकी, बस तड़पकर रह गई।

मैंने अपना लंड उन्नति की चूत के अंदर ही थोड़ी देर के लिए रहने दिया। और उन्नति की एक चूँची को अपने मुँह में लेकर जीभ से सहलाना शुरू कर दिया और दूसरी चूँची को हाथ से सहलाना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद उन्नति का दर्द गायब हो गया, अब उसे मजा आने लगा और नीचे से अपनी कमर ऊपर-नीचे करना शुरू किया।

मैं अब धीरे-धीरे अपनी कमर हिला-हिलाकर अपना लौड़ा उन्नति की चूत में अंदर-बाहर करने लगा। उन्नति ने भी अब जोरदार धक्के देना शुरू किया और जब मेरा लंड उसकी चूत में होता, तो उन्नति उसे कसकर जकड़ लेती और अपनी चूत को सिकोड़ लेती थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

अब मैं समझ गया कि उन्नति को अब मजा आने लगा है, तो मैंने अपनी कमर को ऊपर खींचकर अपना लंड पूरा का पूरा उन्नति की चूत से बाहर निकाल लेता, सिर्फ सुपाड़ा अंदर छोड़ देता था और फिर जोरदार झटके के साथ अपना लंड उन्नति की चूत में पेलने लगा।

उन्नति बुरी तरह मुझसे लिपटी हुई थी और अपने हाथ और पैर से जकड़ रखे थी। सारे कमरे में उन्नति की सिसकारियाँ और चुदाई का ‘फच’ ‘फच’ ‘पकट’ ‘पकट’ की आवाज गूँज रही थी। उन्नति अपने मुँह से “आह! आह! ओह! ओह! हाँ! हाँ! और जोर से, और जोर से हाँ हाँ ऐसे ही अपना लंड मेरी चूत में पेलते रहो,” बोल रही थी।

मैं फुल स्पीड से उन्नति की चूत में अपना लंड अंदर-बाहर करके उसे चोद रहा था और उन्नति बुरी तरह से मुझसे चिपकी हुई थी। इतनी देर से उन्नति की चूत को कस-कसकर चोद रहा था, अब तक उन्नति 2 बार झड़ चुकी थी। करीब 10-15 मिनट के बाद मुझे लगा कि अब झड़ने वाला हूँ, तब 8-10 धक्के काफी जोरदार लगाया और लौड़े से ढेर सारा पानी उन्नति की चूत में गिरा दिया।

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मेरे के झड़ने के साथ ही साथ उन्नति की चूत ने भी तीसरी बार पानी छोड़ दिया और वह अपने हाथ-पैर से मुझे जकड़ लिया। मैं हाँफते हुए उन्नति के ऊपर गिर गया और थोड़ी देर तक हम दोनों एक-दूसरे से चिपके रहे। फिर उन्नति उठकर अपनी चूत में हाथ लगाए बाथरूम की तरफ भाग गई।

मैं इस समय बुरी तरह से थक चुका था और बेड पर पड़ा रहा, लेकिन मेरा लंड अभी भी खड़ा था। उधर ज्योति और ख़ुशी दोनों एक-दूसरे को बुरी तरह से चूम रही थीं। मैं अपनी जगह से उठकर उन दोनों के पास चला गया और ज्योति के चिकने पैर पर अपना हाथ फेरने लगा।

ज्योति जो पहले ही मदहोश थी, अपने पैर पर मेरा हाथ लगते ही अपने आप पर काबू नहीं रख सकी। ज्योति ने ख़ुशी को छोड़कर मेरी तरफ मुँह कर लिया। मैं उसके सामने बिल्कुल नंगा अपना खड़ा लंड लिए खड़ा था। मैं एक बार फिर चोदने के मूड में था।

ज्योति ने मेरे चूतड़ को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपनी मुँह मेरे लंड पर रगड़ने लगी। मेरा लंड अभी भी उन्नति की चूत की चुदाई से भीगा हुआ था। मैं भी ज्योति को अपने दोनों हाथों में बाँधकर चूमने लगा। मेरा हाथ ज्योति के नंगे सेक्सी शरीर पर घूम रहा था, अब मेरा हाथ ज्योति की चूँची पर गया और उसकी खड़ी-खड़ी चूँची को अपने हाथों में लेकर मसलने लगा।

ज्योति अपनी चूँची पर मेरा हाथ पड़ते ही और जोश में आ गई और अपना हाथ मेरे लौड़े पर रख दी। अब मेरा लंड ज्योति की मुट्ठी में आते ही उसकी एक चूँची अपने मुँह में भरकर चूसने लगा और दूसरी चूँची अपने हाथ में लेकर उसकी निप्पल मसलने लगा।

थोड़ी देर तक ज्योति मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर उसका सुपाड़ा खोला और बंद किया, फिर एकाएक उसने सुपाड़े को अपने मुँह में भरकर चाटने लगी। जैसे ही ज्योति ने मेरा लंड अपनी मुँह में लिया, वैसे ही मैं खड़े-खड़े अपनी कमर हिलाकर अपना लंड ज्योति के मुँह के अंदर पेला और बोला, “ले ले मेरी रानी, मेरा लंड अपने मुँह में लेकर इसको खूब चूसो, फिर बाद में मैं इसको तुम्हारी चूत में डालकर खूब चोदूँगा तब।”

ज्योति ने अपनी मुँह से मेरा लंड निकालकर बोली, “बस सिर्फ हमारी चूत में ही अपना लंड डालोगे, गांड में नहीं? मैं तो तुम्हारा लंड अपनी चूत और गांड से खाऊँगी। क्या तुम मुझको अपना लंड दोनों छेदों से खिलाओगे ना?” थोड़ी देर के बाद, मैंने ज्योति को पलंग पर ले जाकर चित करके लिटा दिया और उसके पैरों के पास बैठकर उसकी शलवार को खोलने लगा।

शलवार खोलने में ज्योति ने भी मुझको मदद की और अपनी चूतड़ को उठाकर अपनी शलवार को अपनी गांड से नीचे करके अपने पैरों से अलग कर दिया। फिर मैंने ज्योति की पैंटी भी उतार दी और उसकी पैंटी उतारते ही ज्योति की गुलाबी कुंवारी चूत उसकी चमकते चिकनी जाँघों के बीच चमकने लगी। ज्योति की गुलाबी चूत को मैं दम साधे देखने लगा और अपनी जीभ होंठों में फेरने लगा।

और झुककर ज्योति की चूत पर चुम्मा दिया और अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत की घुंडी को तीन-चार बार चाट दिया। फिर मैंने ज्योति की टाँगों को फैलाया और ऊपर उठाकर घुटने से मोड़ दिया और अपना लंड ज्योति की चूत के दरवाजे पर रख दिया। थोड़ी देर के बाद अपना लंड ज्योति की चूत के ऊपर रगड़ने लगा और ज्योति मारे चुदास के अपनी कमर उठा-उठाकर मेरा लंड अपनी चूत में लेने की कोशिश करती रही।

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जब ज्योति से नहीं रहा गया, तो वह बोली, “अब क्यों तड़पाते हो, कबसे तुम्हारा लंड अंदर लेने के लिए मेरी चूत बेकरार है और तुम अपना लंड सिर्फ मेरी चूत के ऊपर-ऊपर ही रगड़ रहे हो। अब जल्दी करो और मुझको चोदो, फाड़ दो मेरी कुंवारी चूत को। आज मैं लड़की से औरत बनना चाहती हूँ, अब और मत तड़पाओ। जल्दी से मुझे चोदो और मेरी चूत की आग को बुझाओ।”

ज्योति की इतनी सेक्सी मिन्नत सुनते ही मैंने एक तकिया बेड से उठाकर ज्योति की चूतड़ के नीचे लगा दिया, जिससे कि ज्योति की चूत और ऊपर हो गया और खुल गई। तब मैंने एक जोरदार धक्का अपने लंड से ज्योति की चूत में मारा और उसका पूरा लंड ज्योति की चूत में जड़ तक घुस गया।

ज्योति के मुँह से चीख निकल गई और उसकी चूत से खून निकलने लगा, लेकिन उसे इस बात का पता ही नहीं चला। ज्योति ने मुझे जोर से जकड़ लिया और अपनी टाँगें मेरी कमर पर कस लिए। मैंने ज्योति की एक चूँची चूसते हुए एक हाथ से दूसरी निप्पल को मसलने लगा।

धीरे-धीरे ज्योति का दर्द कम होने लगा और उसकी गर्मी फिर बढ़ने लगी, जिससे कि वह अपनी कमर ऊपर-नीचे करने लगी। मैंने भी अब अपनी कमर चलाकर ज्योति की चूत में अपनी लंड अंदर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर के बाद ज्योति बोली, “क्या कर रहे हो? और जोर से चोदो मुझे, आने दो तुम्हारा पूरा लंड मेरी चूत में। मेरी चूत में अपना लंड जड़ तक पेल दो। और जोर-जोर से धक्का मारो।”

यह सुनते ही मैंने चुदाई फुल स्पीड से शुरू कर दी और बोलने लगा, “क्या मेरी रानी, चुदाई कैसी लग रही है। चूत की आग बुझ रही है कि नहीं?” ज्योति नीचे से अपनी कमर उछालते हुए बोली, “अभी बात मत करो और मन लगाकर मेरी चूत मारो। चुदाई के बाद जितना चाहे बात कर लेना, अभी मुझे तुम्हारा पूरा का पूरा लंड मेरी चूत को खिलाओ। इस समय मेरी चूत बहुत भूखी है और उसे बस लंड का ठोकर चाहिए।”

हम दोनों इस समय एक-दूसरे को जोर से अपने हाथ और पैर से जकड़े हुए थे और दोनों फुल स्पीड से एक-दूसरे को अपने-अपने लंड और चूत से धक्का मार रहे थे। पूरे कमरे में ज्योति की सिसकारियाँ और चुदाई की आवाज गूँज रही थी। ज्योति की चूत बहुत पानी छोड़ रही थी और इसी लिए उसकी चूत से मेरे हर धक्के के साथ बहुत आवाज निकल रही थी।

ज्योति अचानक बहुत जोर से अपनी कमर उछालने लगी और वह फिर निढाल होकर बिस्तर पर अपने हाथ-पैर फैलाकर ढीली पड़ गई। ज्योति अब झड़ चुकी थी और उसमें और चुदने की हिम्मत नहीं थी। मैं भी ज्योति के झड़ जाने के बाद जोरदार चार-पाँच धक्के लगाए और ज्योति की चूत में अपना लंड घुसेड़कर ज्योति के ऊपर गिर गया।

और झड़ चुका था और अब ज्योति के ऊपर आँख बंद करके लेटा था और हाँफ रहा था। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना लंड ज्योति की चूत से बाहर निकाला और लंड के बाहर निकलते ही ज्योति की चूत से ढेर सारा सफेद गाढ़ा-गाढ़ा पानी निकलने लगा। ज्योति यह देखकर चूत में अपनी पैंटी खोंसकर उठकर बाथरूम की तरफ भागी।

मैं काफी थक चुके थे। आज लगातार दो कुंवारी लड़कियों के साथ चुदाई कर चुका था। मैं अपना मुँह घुमाकर देखा कि उन्नति और ख़ुशी आपस में व्यस्त थीं। उन्नति ख़ुशी की चूँचियों को उसके कपड़े के ऊपर से ही दबा रही थी। उन्नति ने ख़ुशी के कपड़े बहुत ढीला कर दिए थे और ख़ुशी के कपड़े आधे खुले हुए थे।

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उन्नति ने ख़ुशी की जींस और टी-शर्ट उतार दी थी और अब ख़ुशी सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में थी। ख़ुशी की चूँचियाँ बहुत ही सेक्सी थीं। उसकी चूँचियाँ बहुत बड़ी तो नहीं थीं, पर बहुत गठीली और गोल-गोल थीं। उसकी निप्पल इस समय बिल्कुल फूलकर खड़ी और कड़क हो गई थी।

ख़ुशी की एक निप्पल उन्नति ने अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और अपने हाथ ख़ुशी की जाँघों के बीच में घुमाने लगी। उन्नति ने फिर ख़ुशी की पैंटी भी उतार दी और अपनी मुँह ख़ुशी की चूत पर रख दी। थोड़ी देर के बाद उन्नति अपनी जीभ निकालकर ख़ुशी की चूत के अंदर कर दी। ख़ुशी इतना गर्म हो गई थी कि अपने हाथों से अपनी निप्पल मसल रही थी।

यह सब देखकर मेरे अंदर वासना का ज्वार फिर से जागने लगा और चुदाई के लिए लंड फिर से गर्म होने लगा। मैं उठकर उन्नति और ख़ुशी के पास पहुँच गया और दो बहनों की काम-लीला ध्यान से देखने लगा। दोनों बहनों को देखते-देखते मैंने अपना हाथ ख़ुशी की चूँची पर रख दिया और उनकी निप्पल अपने हाथों में लेकर अपनी उंगलियों के बीच रखकर मसलने लगा।

ख़ुशी अब मेरी तरफ मुड़ी और देखी कि मैं उसके बगल नंगे खड़े था और मेरा लंड अब गर्म होकर खड़ा होने लगा है। उसने फिर मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर पूछी, “क्या मयंक, अब मुझे भी चोदेंगे? हाँ, मैं भी अपनी दीदियों की तरह अपनी चूत आपसे चुदवाना चाहती हूँ। प्लीज मुझे भी अपने लंड से चोदिए। लेकिन आपके लंड को क्या हो गया है? क्या अब यह हमारी चूत में घुसने के काबिल है?”

मैं लड़कियों की चुदाई का पुराना खिलाड़ी था और मैंने अपने लंड को हिलाते हुए कहा, “घबराओ मत, अभी तुम्हें अपने लंड का कमाल दिखाता हूँ।” यह कहकर मैंने अपना लंड ख़ुशी के मुँह में दे दिया और बोला, “लो मेरी जान! मेरा लंड अपने मुँह में लेकर इसे चूसो।”

ख़ुशी लंड को अपने मुँह में लेकर उस पर अपनी जीभ चलाने लगी और कभी उस पर अपनी दाँत गड़ाने लगती थी। ख़ुशी की लंड चुसाई से मुझे बहुत मजा आया और लंड अब धीरे-धीरे खड़ा होने लगा। उधर उन्नति अपनी एक हाथ से ख़ुशी की चूत सहला रही थी और दूसरे हाथ से मेरी गांड में अपनी उंगली पेल रही थी।

थोड़ी देर के बाद लंड चुसाई और गांड में उन्नति की उंगली होने से मेरा लंड पूरे जोश के साथ खड़ा हो गया और फिर चुदाई शुरू करने के लिए तैयार हो गया था। मैंने अपना लंड ख़ुशी के मुँह से निकाला और ख़ुशी के पैर के बीच बैठ गया और अपने दोनों हाथों से ख़ुशी की चूत को फैलाया और उसके अंदर अपनी जीभ डाल दी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

और अपनी जीभ ख़ुशी की चूत के अंदर-बाहर करने लगा और चूत की अंदरूनी दीवारों के साथ अपनी जीभ से खेलने लगा। कभी-कभी अपनी जीभ ख़ुशी की भगनासा भी चाट रहा था और कभी-कभी उसे अपनी दाँतों के बीच पकड़कर जोर-जोर से चूस रहा था। ख़ुशी अब काफी बेचैन थी और अपनी कमर हिला-हिलाकर अपनी चूत को मेरे मुँह पर आगे-पीछे कर रही थी।

मैं समझ गया कि ख़ुशी की चूत अब लंड खाने के लिए तैयार है। मेरा लंड भी अब पहले जैसा तगड़ा हो गया था और ख़ुशी की चूत में घुसने के लिए उतावला था। मैंने अपनी जीभ ख़ुशी की चूत से निकाल लिया और अपना सुपाड़ा ख़ुशी की चूत पर रखकर एक हल्का सा धक्का दिया, लेकिन ख़ुशी जबरदस्त जोर से चिल्ला पड़ी।

मेरा लंड ख़ुशी की छोटी चूत के हिसाब से बहुत मोटा था और ख़ुशी की यह पहली चुदाई थी। ख़ुशी अपने हाथों से मुझे रोक रही थी और मैं अपना लंड ख़ुशी की चूत में पेल नहीं पा रहा था। मैंने उन्नति और ज्योति से ख़ुशी की चूँचियों और चूत से खेलने को कहा, जिससे कि ख़ुशी बहुत गर्म हो गई और मैंने अपने लंड पर ढेर सारा वैसलीन लगाकर.

फिर मैंने ढेर सारा वैसलीन को अपनी उंगली में लेकर ख़ुशी की चूत पर भी लगाया। मैंने वैसलीन से सनी हुई उंगली को चूत के अंदर तक डालकर उंगली से घुमा-घुमाकर लगाया। मैंने वैसलीन लगाने के बाद अपनी उंगली ख़ुशी की चूत के अंदर-बाहर करने लगा। कभी-कभी वह अपनी उंगली से उसकी चूत की घुंडी भी रगड़ देता था।

ख़ुशी की चूत अब पानी छोड़ रही थी और इससे उसकी चूत चुदाई के लिए तैयार हो गई। मैं फिर ख़ुशी के पैर को फैलाकर उनके बीच घुटने के बल बैठ गया और ख़ुशी को समझाया कि अब कोई चिंता की बात नहीं है, अब उसे कोई दर्द नहीं होगा। उधर उन्नति और ज्योति ख़ुशी की एक-एक निप्पल अपने मुँह में लेकर चूस रही थीं।

मैंने उसकी दोनों पैर हवा में उठा दिए और उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया और फिर ख़ुशी की चूत पर अपना लंड रखा और ख़ुशी को कुछ समझाने के पहले ही एक जोरदार झटका दिया। ख़ुशी की चूत में वैसलीन लगी होने से और चूत से निकले पानी की वजह से काफी चिकना हो गया था, जिससे कि मेरा लंड एक ही झटके से पूरा का पूरा अंदर चला गया।

ख़ुशी इस अचानक हमले से तो पहले चीखी और मुझे अपने ऊपर से हटाने के लिए धक्का मारा, लेकिन इस बार मेरी पकड़ बहुत ही मजबूत थी। मैंने अपनी कमर आगे-पीछे करके अपना लंड ख़ुशी की चूत में धीरे-धीरे पेलने लगा। थोड़ी देर के बाद ख़ुशी को भी मजा आने लगा और तब वह अपनी कमर उठा-उठाकर चुदाई में सहयोग करने लगी।

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हम दोनों एक-दूसरे को ऊपर और नीचे से धक्के मार रहे थे और ख़ुशी की चूत में लंड तेजी से आ-जा रहा था। उन्नति और ज्योति अब चुदाई के जोरों से हाथ कर दोनों की चुदाई देख रही थीं और एक-दूसरे की चूत में उंगली कर रही थीं। हम दोनों एक-दूसरे से चूत और लंड के साथ जुड़े हुए थे। थोड़ी देर के बाद ख़ुशी की चूत से पानी निकलने लगा, तो मैंने अपनी चुदाई की स्पीड और तेज कर दी, क्योंकि मैं भी अब झड़ने वाला था। मैंने आखिरी के चार-पाँच धक्के जोरदार से ख़ुशी की चूत पर अपने लंड से मारा और फिर ख़ुशी की चूत के अंदर पूरा का पूरा लंड ठेलकर झड़ गया।

ख़ुशी भी अब तक झड़ चुकी थी। मेरा सारा पानी ख़ुशी की चूत में समा गया। दोनों हाँफ रहे थे और एक-दूसरे को चिपके पड़े हुए थे। कुछ देर बाद मैंने अपने लंड को ख़ुशी की चूत से निकाला, तो उससे ढेर सारा पानी निकलने लगा। उन्नति और ज्योति जल्दी से अपनी-अपनी मुँह ख़ुशी की चूत पर लगा दी और उससे निकल रहा लंड और चूत रस का मिश्रण को जीभ से चाट-चाटकर पी गईं। इस तरह मैं जब तक मकान मालिक नहीं लौटे, कई बार उन तीनों को चोदा और गांड भी मारी।

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  1. रघु says

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