Virgin Sister Romance Porn
नमस्कार दोस्तों, मैं रिजवान आप सभी का हमारी वासना पर फिर स्वागत करता हूँ. दोस्तों आपने मेरी कहानी के पिछले एपिसोड “बहन के हुस्न का दीवाना भाई 2“ में पढ़ा होगा कि मैं अपनी बाजी के जिस्म को पाने के लिए पागल हो चूका था. और मैंने आत्महत्या की कोशिश भी की. और मैंने बाजी के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश भी की अब आगे- Virgin Sister Romance Porn
बाजार पहुंचने के बाद शॉपिंग के दौरान मुझे पीछे से एक आवाज आई “हाय देख के चलो, कहीं गिर न जाओ” आवाज़ जानी पहचानी थी।
मैंने मुस्कुरा के पीछे देखा तो जन्नत खड़ी मुस्कुरा रही थी, साथ में उसकी अम्मी भी थी वह भी मुस्कुरा रही थी। जन्नत की अम्मी बहुत अच्छे से मुझे जानती थी और साथ में हम दोनों की दोस्ती को भी। इतनी में मेरी अम्मी और बाजी भी पीछे पलट आई जन्नत की अम्मी और जन्नत से हाय हेल्लो की।
मैंने मुस्कुराते हुए कहा: यह तुम्हारा फेवरेट स्टाइल है?
जन्नत ने कहा: कौन सा?
मैंने कहा: हमेशा पीछे से आवाज़ देने वाला। जन्नत मेरी बात पे हँस दी।
जन्नत की अम्मी का नाम शबाना था। आंटी और अम्मी एक दूसरे को मेरी और जन्नत की दोस्ती के कारण जानती तो थी, पर ऐसे फेस टू फेस मुलाकात पहली बार ही कर रही थीं। आंटी शबाना और अम्मी बातें करने लगे और बाजी उनके साथ ही खड़ी हो गई। मैं और जन्नत बातें करते करते एक साइड पे हो गए।
जन्नत आज बहुत प्यारी लग रही थी। पिंक कलर की शर्ट और नीचे व्हाइट कलर की सलवार जन्नत पे बहुत सूट कर रही थी। जन्नत का रंग सफेद था। आज पता नहीं क्यों मैंने पहली बार जन्नत के शरीर पे एक निगाह डाली। जन्नत नशीले रूप के साथ जवान हो रही थी बचपन के साथी होने के बावजूद मैंने जन्नत को पहले कभी ऐसे नहीं देखा था।
अभी भी जन्नत के लिए मेरी निगाह मे इरादा गलत नहीं था पर फिर भी आज उसके शरीर पर एक भरपूर निगाह जरूर डाली थी मैने। जिसकी समझ मुझे खुद नहीं आई कि ऐसा मेरे साथ हुआ क्यों। शायद प्यार की वजह से आने वाले परिवर्तनों में से एक परिवर्तन यह भी था।
जन्नत और मेरे बीच ऐसी दोस्ती थी कि हम एक दूसरे को मुंह पे जो आए कह देते थे। मेरे मुंह से निकल गया कि: जन्नत आज बहुत सुंदर लग रही हो। जन्नत के लिए यह बात मेरे मुंह से निकलना बिल्कुल असंभव था। उसने मुझ पे एक गहरी निगाह डाली। जिससे मैं घबरा गया। और मुझे तब पता चला कि चाहे हम दोनों जितने भी गहरे फ्रेंड्स हैं।
पर हम ऐसा तो कभी एक दूसरे को नहीं कहा। मैंने बात कॉलेज की ओर मोड़ दी कि कॉलेज फिर से शुरू हो गया है वग़ैरह वग़ैरह। मैंने जन्नत से बात करते हुए अम्मी आदि की तरफ देखा तो अम्मी आंटी शबाना से गपशप में लगी थीं, जबकि बाजी मुझे और जन्नत को ही देख रही थी।
बाजी ने ज्यों ही मुझे देखा कि मैं उनकी ओर देख रहा हूँ तो बाजी ने हम पर से नजरें हटा ली। इतने में अम्मी और आंटी ने बातचीत समाप्त की, और आंटी को कभी घर आने के लिए कहा। और फिर आंटी और जन्नत चले गए। जाते-जाते मैंने आंटी और जन्नत को पीछे मुड़ के देखा तो उसी समय जन्नत ने भी पीछे मुड़कर देखा जन्नत चेहरे पे मुझे एक साथ बहुत सारे सवाल दिखे।
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खरीदारी के बाद हम घर को निकले तो मैं ड्राइविंग करते करते एक मिरर से बाजी को भी साथ साथ देख रहा था। बाजी कार से बाहर पता नहीं किन विचारों में खोई हुई थी। मैंने आज बाजी को मनाना था। हर हाल में हर कीमत पे। प्यार के जिस मोड़ पे हम दोनों बहन भाई खड़े थे, इस मोड़ पे बाजी की नाराजगी से मेरी जान निकल रही थी।
रात के 11 बज रहे थे। 12 बजने के इंतजार में अपने रूम में ही चिंता में चल रहा था। बैठने की कोशिश की पर बैठा नहीं जा रहा था। ख़ैर 12 बजे और मैं अपने कमरे से निकला और बाजी के रूम की ओर बढ़ा। बाजी के रूम का गेट नोक किया। तो बाजी ने डोर नहीं खोला। मैंने फिर नोक किया। पर फिर भी गेट नहीं खुला।
मैं परेशान हो गया। मैं इस बात की उम्मीद बिल्कुल नहीं कर रहा था। जो नहीं सोचा था, वही हुआ और काफी देर खड़ा रहने के बाद भी बाजी ने गेट नहीं खोला। मैं निराश और परेशान अपने रूम में वापस पलटा और अपने रूम के दरवाजे पे पहुँच के जैसे ही मैंने अपने रूम का डोर ओपन किया।
बाजी ने अपने रूम के दरवाजे को खोला पर सामने नहीं हुई, जस्ट अपना डोर ओपन किया। मैं वापस बाजी के रूम की तरफ बढ़ा और जब बाजी के रूम के दरवाजे के पास पहुंचा तो बाजी अपने बेड पे बैठी अपनी किताब पे सिर झुकाए उसमे गुम थी। रूम में प्रवेश कर रूम का डोर बंद करने वाला था कि दीदी ने ऊपर देख कहा: इसे ऐसे ही रहने दो।
मैं दरवाजा वैसे ही खुला रहने दिया। और चेयर पे आ के बैठ गया। बाजी ने अपना सिर फिर झुका लिया और बुक को देखते लगी। काफी देर रूम में ऐसे ही चुप्पी छाई रही। और मैं चुपचाप इस दौरान बाजी को ही देखता रहा। और फिर इस चुप्पी को मेरे सेल पे आने वाली कॉल की आवाज़ ने तोड़ा कॉल की वजह से मैं चौंक गया, क्योंकि इस समय मेरे नंबर पे किसी की कॉल नहीं आती थी।
मैंने सेल जेब से निकाला और स्क्रीन पे जन्नत का नाम आता देख के हैरान हो गया जन्नत ने कभी मुझे इस समय कॉल नहीं की थी। फिर आज ऐसा क्यों। मैं हैरान परेशान उसका नाम स्क्रीन पे देखता रहा। अचानक बाजी ने पूछा: किसकी कॉल है। मैंने कहा: जन्नत की।
बाजी फिर से अपनी बुक पे झुक गई। मेरी जान मेरे लिए कुछ तो बोली इससे मेरे डूबते दिल को कुछ सहारा मिला। फिर मैंने कॉल अटेंड की। जन्नत से नमस्ते कहने के बाद मैंने उससे पूछा कि इस समय कैसे कॉल किया खैरियत है ना?
जन्नत ने कहा: बस वैसे ही हैलो हाय के लिए कॉल की थी।
मैंने कहा यह समय है हेलो हाय का।
मेरे स्वर में हल्का सा गुस्सा था। क्योंकि इस समय में अपने प्यार के पास बैठा था। और इस समय की डिस्टरबेंस मुझे अच्छी नहीं लगी थी। जन्नत ने अचानक कॉल काट दी। शायद मैंने थोड़ा गुस्से में उससे बात कर दी। मुझे इस समय जन्नत की नाराजगी से कुछ खास लेना देना नहीं था।
सेल जेब में रखने के बाद मैंने बाजी को देखा तो बाजी वैसे ही सिर झुकाए बैठी थी। पर अब उनके फेस पर एक्सपरेशन बहुत अजीब सेथे। जिन्हें मैं कम से कम इस समय समझ नहीं पाया। बाजी थी कि मेरी ओर देख ही नहीं रही थी। अब मेरी सहनशक्ति जवाब दे चुकी थी। मैं उठा और बाजी के पास आ खड़ा हो गया। और बाजी के एक गाल पे हाथ रख दिया।
बाजी ने मेरे हाथ को पीछे किया और उठ कर खड़ी हो गई और अपने बाथरूम में चली गई और बाथरूम के दरवाजे को बंद कर दिया। मैं अंदर से जैसे कट रह गया। क्या बाजी अब जल्दी बाहर आएंगी? क्या बाजी मुझे सख्त नाराजगी की वजह से मुझे ऐसे इग्नोर कर रही हैं ताकि रूम से चला जाऊं?
ऐसे ही कितने सवाल मेरे दिमाग में एक ही समय में घूमे मैं बहुत देर वहीं खड़ा बाजी का वेट करता रहा पर बाजी बाहर नहीं आई। अब मुझे पक्का यकीन होता जा रहा था कि बाजी चाहती हों कि मैं कमरे में चला जाऊं। इसीलिए तो इस हद तक इग्नोर कर रही हैं।
मैं इन्ही विचार और सवालों में उलझा हुआ था कि मेरे सेल पे किसी का मेस्सेज आया। मुझे पता था कि जन्नत ने गुस्से में किया होगा। जब मेस्सेज ओपन करके चेक किया तो ये मेस्सेज बाजी का था। मैं हैरान हो गया कि बाजी तो बाथरूम में हैं तो वहाँ से मेस्सेज की क्या जरूरत है। मैसेज में लिखा था: जन्नत तुम्हें क्यों कॉल करती है? उसका तुम से क्या रिश्ता है?
मैं पहले तो समझ नहीं पाया। फिर ज्यों ही समझा एक मुस्कान मेरे चेहरे पे आ गई। तो यह बात है। बाजी मेरे और जन्नत के बीच दोस्ती से आगे कुछ और ही समझना शुरू हो गई थीं। बाजी के अंदर की लड़की जाग चुकी थी। गलतफहमी पे ही सही पर जागी जरूर थी। और भड़क भी गई थी।
बाजी बाजार में भी तो मुझे और जन्नत को ही देख रही थी। और धीरे धीरे मुझे जबाब मिलते जा रहे थे। पर अब मुझे बाजी को समझा ना था कि ऐसा कुछ नहीं है। इतनी मुश्किल से उन्हें पा के अब एक गलतफहमी की वजह से खो नहीं सकता था। पर बाजी के इस सवाल से मैंने यह भी सोचा जरूर कि जन्नत ने मुझे फोन किया क्यों।
वैसे तो कभी उसने मुझे इस समय कॉल नहीं की। खैर मैंने जन्नत वाले टॉपिक को बाद पे छोड़ा और बाजी के मैसेज का रिप्लाई किया कि: जन्नत मेरी दोस्त है इससे ज़्यादा और कुछ नहीं। आप जानती हैं कि आप से बढ़ कर मेरे लिए और कोई नहीं। एक बार आपको अपने प्यार का सबूत दे चुका हूँ अगर कहें तो एक बार और दे दूं ? ?
(मैंने अपना हाथ काटने वाली बात का ज़िक्र करते हुए) मैसेज सेंड किया कुछ सेकंड भी नहीं हुए थे कि बाथरूम का डोर खुला और बाजी अपने ड्रेसिंग रूम से होती हुई तेजी से बाहर आई और आते ही मुझे एक थप्पड़ दे मारा। बाजी का चेहरा गुस्से से लाल हुआ जा रहा था और उनके गाल बेहद गुस्से की वजह से कांप भी रहे थे।
उन्होंने मुझे कहा कि: आज के बाद ऐसा सोचा भी ना तो मैं तुम्हारी जान ले लूँगी।
मेरे मरने की बात से मेरी बहन को इतना गुस्सा आ जाना, मुझे बहुत अच्छा लगा, इतना अच्छा कि बाजी का थप्पड़ ही भूल गया और आगे बढ़ कर बाजी को गले लगा लिया। मैंने बाजी को दोनों बाजुओं के घेरे में लिया हुआ था। जबकि बाजी के दोनों हाथ ढीले से नीचे ही रहे। बाजी ने मुझे पीछे नहीं किया।
काफी देर गले लगा के रखने के बाद मैंने अपना चेहरा बाजी के शोल्डर से उठाया और बाजी के चेहरे की ओर देखा। मेरे इतने पास से देखने पे बाजी घबरा गई। और उन्होंने आंखें बंद कर ली। मैंने अपने होंठ बाजी के होंठों पे रखे और उन्हें चूमने लगा। कुछ देर बाजी ने मुझे रिटर्न में किस नहीं किया।
पर कुछ ही देर बाद बाजी ने मेरे होंठों को अपने नरम होठों से पकड़ा और मेरे होंठों को चूमने लगी। अजीब सा करंट था बाजी की किस पर। मेरे पूरे शरीर को हिला के रख देती थी बाजी की ये चुम्मि। बाजी के किस मिलते ही जैसे मेरे दीवानेपन की बेटरी फुल चार्ज हो गई। मैंने किस करते हुए बाजी के मुँह में अपनी जीब घुसा दी। और बाजी की जीब के साथ टच करने लगा।
बाजी ने भी मेरी जीभ को अपनी जीभ से स्पर्श किया। अब हम दोनों बहन भाई एक साथ ज़ुबान मिला रहे थे। मैंने आहिस्ता आहिस्ता अपनी जीभ को बाहर निकालना शुरू कर दिया। बाजी की जीब मेरी जीब का पीछा करते करते बाहर आ रही थी। जब मैंने अपनी जीब बाजी के मुँह और होठों से होते हुए पूरी बाहर निकाल ली तो बाजी की जीब उनके मुंह से बाहर आ चुकी थी और लेफ्ट राइट लेफ्ट राइट हरकत कर रही थी शायद वह मेरी जीब की खोज में थी।
मैंने बाजी की बाहर निकली जीब को अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगा। में बाजी की जीब को पूरा मुंह में जब लेता तो साथ ही अपने होंठ बाजी के होठों से स्पर्श करता और अपनी जीब बाजी के ऊपर वाले होंठ पे फिराता और फिर अपनी जीब बाजी की जीब पे लेटा देता और अपनी जीभ को उनकी जीब से रगड़ता और अपने होंठों से उनकी जीब को चूसता।
पता नहीं कितनी देर हम बहन भाई शरीर को मस्ती के समुंदर में डुबो देने वाली वेट किसिंग करते रहे। एक पल को मैंने आँखें खोल के बाजी के चेहरे पे नज़र दौड़ाई तो बाजी का चेहरा गुलाबी गुलाबी हो चुका था और बाजी आंखें बंद किए कहीं खो चुकी थी। अब बाजी के मुँह में मैंने जीब दी तो बाजी ने भी वैसा ही किया जैसे मैंने उनकी जीब के साथ किया था।
फिर मैंने अपने होंठों को पीछे करके बाजी के पूरे चेहरे को चूमा। बाजी के चेहरे को इंच इंच चूमने के बाद, मैंने अपने होंठ बाजी की गर्दन पे जमा लिए। और पागलों की तरह बाजी की गर्दन को चूमने चाटने लगा। गर्दन पे किस करने से बाजी को मैंने मस्ती के नशे में जाते देखा था।
इसलिए मैंने कल की तरह बाजी को फिर दीवार से लगा दिया और एक हाथ में बाजी के बाल पकड़ लिए और दूसरे हाथ को बाजी की कमर के चारों ओर घुमा लिया। और बाजी की गर्दन को चूमने चाटने लगा। ऐसा करने से बाजी की साँसें बहुत तेज होने लगीं और जितनी बाजी सांसें तेज लेती इतना ही में और बहकता जाता।
दुनिया से बेखबर दो दीवाने बहन भाई एक दूसरे में खोये हुए थे। इस प्रक्रिया में बस बाजी की हल्की हल्की सी आवाज़ मेरे कानों से टकराती कि रिजवान प्लीज़, रिजवान नहीं करो, आह्ह्ह्ह ह . बाजी की गर्दन को चूमते चाटते मैं अपना हाथ जो बाजी की कमर पे था उसे आगे लाया और शर्ट के ऊपर से ही बाजी के मम्मे पे रख लिया, पर बाजी का मम्मा दबाया नहीं।
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इस डर की वजह से कि बाजी फिर कल की तरह नाराज न हो जाएं। काफी देर बीतने के बाद भी बाजी ने जब कुछ न बोला तो मैंने आराम से बाजी का मम्मा दबाना शुरू कर दिया। बाजी की गर्दन मैं इसी तरह चूम रहा था और अपनी जीभ फेर रहा था और बाजी की गर्दन को गीला कर रहा था।
बाजी की सफेद सफेद गर्दन मेरे गीला करने से चमक रही थी। बाजी की हल्की-हल्की सिसकियाँ मेरे तन बदन में आग लगा रही थीं। और मैं नशे में डूबा अपनी बाजी की गर्दन को चूमने के साथ साथ आराम से उनका मम्मा भी दबा रहा था। बाजी का मम्मा दबाते दबाते अचानक ही मैंने अपने होंठ बाजी की गर्दन से उठा दिए।
और अपने दोनों हाथ बाजी के शोल्डर पे रख दिए और अपने होंठ शर्ट के ऊपर से ही बाजी के मम्मे पे रखे और शर्ट के ऊपर से ही बाजी के मम्मे को चूमा। आहह ह यह मेरा अपने सपनों की रानी के मम्मे पे पहला किस था। कभी ऐसा नहीं सोचा था कि मैं कभी अपनी बाजी के मम्मे को चूम पाउन्गा पर आज ऐसा संभव हो गया था।
(जन्नत वाला किस्सा आज न होता तो शायद मैं कभी बाजी के मम्मों को किस नही कर सकता है, अगर कर सकता भी तो शायद बहुत समय लगता मुझे) बाजी के मम्मे को चूमते ही जाने मुझे क्या हुआ कि मैं मम्मे को चूमता ही चला गया। और फिर इतना खो गया में इस नशे में कि मैं बाजी के दोनों मम्मों को चूमने लगा।
बाजी के शरीर को अचानक हल्का साझटका लगा, और बाजी ने मेरे सिर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और आराम से पीछे किया। मैंने बाजी को देखा तो बाजी की आँखें खुली हुई थीं और बाजी मेरी ओर देख रही थीं। बाजी के होश उड़े हुए, आँखें और चेहरा गुलाबी गुलाबी हुआ पड़ा था , बालों से ढँके हुए चेहर पे एक रिकवेस्ट सी थी। एक प्यार भरी रिकवेस्ट।
बाजी ने कहा: रिजवान नहीं यह मत करो प्लीज़। जो हमने अब तक किया, यह पाप है, और पाप मत करवाओ मुझसे रिजवान मैं मर जाऊँगी।
बाजी ने ज्यों ही मरने वाली बात की मैंने अपने होंठ बाजी के होंठों पर रख दिए और उनके होंठों को चूमना शुरू कर दिया. हालात ही कुछ ऐसे बन गए कि बाजी ने भी मुझे किसिंग करना शुरू कर दिया और अपने दोनों हाथ जो मेरे सर पे थे उन्हें पीछे की ओर मेरी गर्दन के आसपास घुमा लिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने किसिंग करते करते अपना एक हाथ बाजी की गर्दन के चारों ओर घुमाया और दूसरे हाथ से बाजी का मम्मा पकड़ के दबाने लगा। थोड़ी ही देर बाद अपने हाथ को नीचे की ओर ले गया और नीचे से बाजी की कमीज के अंदर डालने लगा कि बाजी ने किसिंग करते करते अपने एक हाथ को नीचे की ओर ले जाकर मेरे हाथ को पकड़ कर भीतर जाने से रोका।
मैं इस हद तक तड़प चुका था कि मेरा रुकना मुश्किल हो गया था। मैंने अंदर से जोर लगाया और हाथ को अंदर से डालने की कोशिश की पर बाजी ने मेरे हाथ को अंदर नहीं जाने दिया। मेरे ज़्यादा जोर लगाने पे बाजी ने अपने होंठ हटा लिए और कहा: रिजवान प्लीज़ नहीं ना.
मेरे मुंह से बस इतना ही निकल पाया: “केवल एक बार पकडूंगा उसे” इसके साथ ही मैंने अपने होंठ बाजी के होंठों पे फिर रख दिए और किस करने लगा और अपने हाथ को जोर से आगे की ओर बढ़ाया। बाजी अब भी मेरे हाथ को अंदर जाने से रोक रही थी।
पर इस बार मैं नहीं रुका और अपना हाथ बाजी के मम्मे तक जोर लगा कर ले ही गया और बाजी के मम्मे को मैंने बाजी की ब्रा के ऊपर से ही पकड़ लिया। क्या मम्मा था। नरम नरम और मोटा मोटा। मेरे हाथ की उंगलियां ज्यों ही बाजी के मम्मे से टच हुईं।
बाजी के होंठ जो मेरे होंठों में थे वो मेरे होंठों से निकले और बाजी के मुंह से बेइख्तियार ही आह्ह्ह्ह्ह्ह राजा की आवाज निकली। शालीनता हया सम्मान यह सब अपनी जगह पर लड़की के शरीर को जब मर्द का स्पर्श मिले, वह भी ऐसी लड़की जिसे आज तक किसी ने छुआ तक नहीं था, उसे इस टच से पागल तो होना ही था।
बाजी की आह्ह्ह्ह्ह्ह राजा की आवाज जैसे मेरा कितना हौसला बढ़ा गई और मेरे शरीर को नशे से जैसे नहलाने लगी। मैंने फिर से बाजी के होंठो पर शुरू कर दी। बाजी भी मुझे किसिंग करने लगी। और मैं ब्रा के ऊपर से ही बाजी का मोटा मम्मा दबाने लगा काफी देर ऐसा करने के बाद मैंने अपना हाथ बाजी के मम्मे से उठाया।
(बाजी ने अभी तक मेरे हाथ को अपने हाथ से पकड़ रखा था) और मैं बाजी की ब्रा के नीचे से हाथ अंदर डालने लगा। ताकि अपनी इस रानी, राजकुमारी का मम्मा नंगा कर सकूँ और फिर पकड़ कर दबा सकूँ। बाजी ने धीरे से मेरे हाथ को अपने हाथ से दबाया। ये बाजी का मुझे रुक जाने का संकेत था। पर रुकना अब असंभव था।
मैंने हाथ अंदर की तरफ किया जोकि आराम से अंदर हो गया। और फिर मैंने दीदी की ब्रा के अंदर पूरा हाथ डाल कर अपनी इस फूल जैसी बाजी कामोटा और नंगा मम्मा पकड़ लिया। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बाजी के पूरे नंगे मम्मे को छूते ही मेरे शरीर में जैसे कपकपी शुरू हो गई।
बाजी ने अपने होंठ मेरे होंठों सेहटा लिए और मेरी गर्दन और शहोल्डर के बीच अपना चेहरा छिपा लिया। और आह आह की हल्की आवाज निकालने लगीं। रूम में पिन ड्रॉप साइलैंस में बाजी की हल्की-हल्की आहह हहह आह की अजीब ही मस्ती की आवाज़े आ रही थीं।
मैंने अपने होंठ बाजी गर्दन पे जमा दिये और उनकी गर्दन ज़ुबान फेरने के साथ किस भी करने लगा और उनका नंगा मोटा मम्मा भी साथ ही साथ दबाने लगा। अपना अंगूठा बाजी के मम्मे के निप्पल जितने हिस्से तक फेरता रहा और शेष उंगलियों से मम्मे को भी दबाता रहा।
काफी देर ऐसे करने के बाद मैंने अपने अंगूठे और एक उंगली के बीच बाजी के मम्मे का निप्पल पकड़ लिया और उसे हल्के से दबाया। बाजी की हल्की सी सिसकी निकली और मैंने उसे छोड़ दिया। और अपने अंगूठे से बाजी के मम्मे के निप्पल को रगड़ने लगा।
बाजी को ऐसा करने से एक ऐसा नशा मिला कि बाजी ने अपने होंठ मेरी गर्दन पे रखे और मेरी गर्दन को चूमने लगी। बाजी का मेरी गर्दन पे किस करना मुझे भी भारी नशा दे गया। तब मैंने जाना कि बाजी क्यों गर्दन पे किस होते ही तड़प के रह जाती हैं।
मैंने और तेज तेज अपना अंगूठा बाजी के निपल्स पे फेरना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे मेरी स्पीड बढ़ रही थी, वैसे-वैसे बाजी की मेरी गर्दन पे किसिंग की गति भी बढ़ रही थी। और साथ ही बाजी की हल्की-हल्की आह आह्ह्ह्ह राजा की आवाज़ें भी निकल रही थीं।
हम दोनों बहन भाई एक दूसरे में पूरी तरह खोये हुए थे। मेरे अब सब्र के पुल टूट गए थे। मैंने अचानक अपना वह हाथ बाहर निकाला और अपने दोनों हाथो से बाजी की कमीज को ऊपर की ओर करने लगा। बाजी ने मेरा एक हाथ तोपहले से ही पकड़ा हुआ था, अब दूसरा हाथ भी जल्दी से पकड़ा और मेरी गर्दन से अपना चेहरा निकालते हुए मुझे देखा.
बाजी की हालत बहुत बुरी हो चुकी थी चेहरा गुलाबी गुलाबी, बाल काफी ज़्यादा बिखरे हुए और आँखों में एक ऐसा नशा जो इस समय डूब जाने का मन कर रहा था बाजी ने कहा: रिजवान अब बस। प्लीज़ पूरे नहीं, बहुत हो गया बाजी जब ऐसे ही बहुत कुछ कह चुकी तो मैं आगे से सिर्फ इतना ही कहा: बाजी बस एक बार देखने हैं।
बाजी की हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि उनके मुंह से सांस ही बड़ी मुश्किल से निकल रही थी। उनका गला खुश्क हो चुका था। और ऊपर से मैंने जो इतनी सेक्सी बात उनसे कह दी थी कि “दीदी बस एक बार देखने हैं।”। मेरे इस वाक्य ने बाजी के अंदर लगी आग को काफी हद तक और भड़का दिया था।
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पर बाजी ने मुझे अनुमति फिर भी नहीं दी और दे भी कैसे सकती थी। कुछ ही दिन पहले वह क्या थी और अब क्या। यह बात भी तो उनके मन में कहीं न कहीं मौजूद थी ना. मैंने फिर बाजी की कमीज ऊपर की कोशिश की जिसे बाजी ने ऊपर होने नहीं दिया। और मुझे रोकती रही। पर रुकना नहीं था मुझे आगे बढना था।
मैंने थोड़ा और जोर लगाया और बाजी पेट तक शर्ट ऊपर कर दी। अब बाजी का नंगा और गोरा पेट मेरे सामने था। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने बाजी के नंगे पेट को चूम लिया आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी बाजी के नंगे बदन की खुशबू अपने दीवाने भाई को और पागल कर गई।
बाजी अपने पेट पे मेरे होठों का स्पर्श महसूस करते ही तड़प उठी और बोली रिजवान नहीं नहीं “गलत” बस। पर दीवाने जब आत्मा के हों या शरीर के वे रुकते और सुनते कब हैं। मैंने अपनी बाजी के नरम गोरे पेट पर एक के बाद एक कई चुंबन कर दिए। बाजी अजीब सी स्थिति में आ गई थी। सम्मान बचाती या प्यार।
ये फैसला उनका बदन और प्यार उन्हें करने नहीं दे रहे थे। और इन भावनाओं को बहकाने वाला उनका भाई उनकी शर्ट को ऊपर किए अपने होंठों से उनके पेट को चूमे जा रहा था. कसूर मेरा नहीं था, कसूर उनका भी नहीं था। दोष यह भाग्य का था जिसने उस रात मेरी आँख उस समय पे खोली जब मेरी बाजी करवट बदल के लेटी थी।
और मैंने उनकी गाण्ड को सलवार के ऊपर से देख लिया था। यहीं से तो शुरू हुई थी ये बहकी, खाँमोश प्रेम कहानी। में बाजी के पेट को चूमे जा रहा था और उन्होंने मदहोशी की स्थिति में ही अपना एक हाथ जो मेरे हाथ को पकड़े हुए था उसे मेरे शोल्डर पे रखा और मुझे जोर लगा के पीछे करने लगीं।
पर जितना वे मुझे पीछे की ओर जोर लगा रही थीं उससे ज़्यादा जोर लगा के मैं उनके पेट पे अपने होंठ जमाए उन्हें चूमे जा रहा था। यह एहसास ही मेरी दीवानगी में और इज़ाफा किए जा रहा था कि मेरे होंठ मेरा प्यार के, मेरी रानी के, मेरे सपनों की रानी के, मेरी बाजी के नरम गोरे पेट को चूम रहे हैं।
बाजी ने कहा: रिजवान बस। रिजवान नहीं। मत करो ऐसे।
मैंने मदहोशी के से आलम में ही डूबे हुए और होंठ पेट पे जमाए हुए ही अपनी नज़रें ऊपर बाजी के चेहरे की ओर कीं, उनकी आंखें बंद थी और चेहरे पे बहुत तकलीफ आसार नज़र आ रहे थे। जहां वह अपने पेट पे मेरे होंठों के स्पर्श से मदहोश हो रही थीं, शायद वहीं वो इस बात से तकलीफ में थी कि वह अपने ही भाई के साथ प्यार करते हुए इस मुकाम तक आ चुकी हैं। एक ऐसे स्थान पे जो उनके अपने सपनों जैसा नहीं था।
बाजी के पेट को चूमते चूमते अब मैं धीरे धीरे अपने होंठ ऊपर की ओर ले जाने लगा। पर ज्यों ही बाजी ने मेरे होठों की हरकत को ऊपर की ओर देखा तो बाजी ने जो हाथ मेरे शोल्डर पे रखा था उस हाथ से मेरे सिर के बाल जोर से पकड़ कर खींचना शुरू कर दिए। और बाल खींचते खींचते मेरा फेस अपने पेट से दूर किया। और दूसरे हाथ से उन्होंने मेरे दोनों हाथ जो उसकी शर्ट को पकड़े हुए थे, पीछे झटके दिए।
मैं इतना मदहोश था कि बाल खींचने पे इतनी तकलीफ नहीं हुई हां पर इतनी परेशानी जरूर हुई कि मैं होश में लगभग वापस आ गया। और एक हाथ मैंने अपने सर पे वहाँ रख लिया, जहां से बाजी ने बाल पकड़ के खींचे थे। अब मुझे हल्की हल्की तकलीफ भी होना शुरू हो गई थी वहाँ।
शायद मदहोशी में डूबे होने के कारण दर्द देर से हुआ या वैसे भी इंसान को कोई चोट लगे तो तुरंत दर्द ज़्यादा महसूस नहीं होता। मैंने बाजी को देखा तो वह सिर झुकाए दुपट्टे से अपना सीना और सिर सही से कवर कर रही थीं। मैं वैसे ही हाथ सिर पे रखे बाजी के रूम से बाहर निकल गया। और अपने रूम में आ गया।
रूम में लौटकर में अपने बेड पे बैठ गया और हथेली से सिर को आराम सेरगड़ने लगा। बाजी ने बाल बहुत जोर से खींच दिए थे। जिस कारण दर्द बहुत हो रहा था। पर जो भी था मैं बाजी की स्थिति समझ सकता था। जब से मेरे और बाजी के प्यार का सिलसिला शुरू हुआ था, जिस वजह से मुझे अपने को जानने का मौका मिला और जन्नत ने जो भी मुझे दीदी के बारे में बताया था वह सब बातें मेरे दिमाग में घूम रही थीं।
बाजी जैसी लड़की के लिए यह सब करना पाप था। वास्तव में यह पाप भी था पर शरीर और आत्मा के प्यार के मिलन का जो स्थान है, इस स्थान पे पहुँच कर गुनाह का एहसास बहुत पीछे रह जाता है। मेरा प्यार तो इस स्थान तक पहुँच चुका था, पर राबिया बाजी का प्यार जब भी इस स्थान पर पहुँचने लगता तो उनसे अपनी इज़्ज़त और हया की हत्या होते देखी नही जाती.
और राबिया बाजी वहीं से वापस इस बेरहम दुनिया में चली जातीं, जहां हमारे इसप्यार का वजूद वर्दाश्त नहीं किया जा सकता था। आत्मा की हत्या चाहे हो, पर सम्मान और हया को कुछ नहीं होना चाहिए सोसायटी में चाहे सिर उठा जी लो, पर अपनी इस भावना का क्या? समाज में जीना चाहिए या अपनी इस दुनिया में जहां आत्मा जीवित है, जहां आत्मा पे कोई बोझ नहीं, और जहां आत्मा क्यों कि जिस शरीर में रही तूने उसको को भी जंग नहीं लगने दिया। उसे वही दिया जो उसे चाहिए था।
आज मेरे प्रिय ने फिर मेरी आत्मा को प्यासा वापस भेज दिया। एक लड़ाई बहुत तीव्रता से मेरे अंदर, पता नहीं कहाँ? पता नहीं किस जहां में? वो लड़ाई जारी थी। मुझे आज बहुत बोझ लग रहा था अपने पे। मुझे ऐसे लग रहा था कि आज मैं पागल हो जाऊँगा। इतनी कम उम्र में मेरी किस्मत मेरे साथ यह कैसे कैसे खेल रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
शायद मुझमे इस बोझ को उठाने का बल नहीं था, पर जो भी हो, किस्मत में यह भार अब मुझे उठाना ही था। मैंने रूम की लाइट ऑफ की और बेड पे लेट गया। अपनी आदत से अलग आज मैंने ज़ीरो वाट बल्ब भी ऑनलाइन नहीं किया। आज अंधेरे में डूब जाना चाहता था।
मैंने बेड पे लेट कर अपनी जेब से सेल निकाल के साइड टेबल पे रखा। और साथ ही मुझे याद आया कि जन्नत ने मुझे फोन किया था। इस समय मैं जैसा था, कि मेरा जन्नत को कॉल करके सॉरी कहने का कोई इरादा नहीं था। पर जो भी था जन्नत के साथ मैं बचपन से था।
और ऐसा प्यारा साथ कि उसके साथ को मैं खो नहीं सकता था। वह मेरा हौसला थी। इसके साथ जब भी होता था, तब चाहे कितनी भी परेशानी हो में कुछ समय के लिए आराम महसूस करता था। एक मरहम का काम करता था जन्नत का साथ। यही सोचते सोचते मैंने सेल उठाया और जन्नत को कॉल की.
(यहाँ मैं जरा जन्नत के बारे में कुछ बता दूँ कि जन्नत के घर में उसके अलावा एक बहन और एक भाई है और अम्मी अब्बू हैं। जन्नत के पिता डॉक्टर हैं (नाम, नावेद आयु 55) और अपना बहुत बड़ा प्राइवेट हॉस्पिटल चला रहे हैं। जन्नत की अम्मी घर ही रहती हैं (एज 47), जन्नत के भाई डॉक्टर हैं (नाम, अरमान। आयु 28) अपने पिता के हॉस्पिटल को भी समय देते हैं और साथ ही अपनी आगे की स्टडी को भी समय देते हैं। और जन्नत की बड़ी बहन ने एमबीए किया हुआ है (नाम, निदा आयु 23 और घर पर ही रहती है).
बेल जा रही थी पर जन्नत कॉल अटेंड नहीं कर रही थी। शायद वह सो चुकी थी या नाराजगी ज़्यादा थी, उसका जवाब मेरे पास नहीं था। मैंने एक बार फिर कॉल की तो इस बार उसने थोड़ी देर मे कॉल अटेंड कर ली। (जन्नत, उसकी बहन और उसके भाई का सब के सेपरेट कमरे हैं) पर कुछ बोली नहीं।
मैं “हेलो” बोला।
जन्नत फिर भी चुप ही रही। मैं पहले से बहुत डिस्टर्ब था और अब जन्नत भी कुछ बोल नहीं रही थी तो मुझे फिर से उस पे गुस्सा आने लगा। इस बार मैंने थोड़े गुस्से का इजहार करते हुए कहा कि: जन्नत अब बोलो भी… नहीं तो मैं कॉल काट रहा हूँ।
मेरी गुस्साई आवाज़ सुनकर दूसरी ओर से मुझे हिचकियों की आवाज़ सुनाई देना शुरू हो गई और धीरे धीरे हिचकी के साथ रोने की आवाज़ भी आने लगी। मेरी पहले की सारी टेंशन और गुस्सा जैसे एक पल में हवा हो गया। मैं हैरान सा मोबाइल कान से लगाए हुए बस जन्नत के रोने की आवाज़ सुनता रहा।
मैं उस पल यह भी भूल गया कि उससे पूछूँ कि आखिर हुआ क्या है, वो रो क्यों रही है। जन्नत को मैंने हमेशा हंसते मुस्कुराते और शरारती आँखों से ही देखा था। पर आज वह रोती आँखें? ऐसे तो मैंने जन्नत को कभी नहीं देखा था। आखिरकार मैंने बौखलाए हुए स्वर में जन्नत से पूछा कि: जन्नत क्या हुआ है तुम्हें ?
पर जन्नत तो ऐसे रोए जा रही थी जैसे उसने आज चुप न होने की कसम खा रखी हो। मेरे दिल से अब जन्नत का रोना बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मेरे अंदर की विवशता अब बढ़ती ही जा रही थी कि इतने में जन्नत ने मेरी पहले से ही बेचैन आत्मा पे एक और परमाणु बम दे मारा।
जन्नत ने मुझे कहा आई लव यू रिजवान।
मुझे ऐसे लग रहा था कि जैसे एक साथ किसी ने हजारों सुई मेरे शरीर में घुसेड़ दी हों। अगर जन्नत की रोती हुई आवाज मुझे फिर से न झकझोरती तो जाने कब तक मैं आश्चर्य में ही डूबा रहता। जन्नत ने रोते रोते कहा कि रिजवान बोलो न कुछ जवाब क्यों नहीं दे रहे मेरी इस बात का. जवाब आज मुझे चाहिए, अब चुप नही रहा जाता मुझसे। ऐसे ही जन्नत बहुत कुछ कह गई मुझे।
और मैं विचारों के इस जंगल से निकलने का रास्ता खोजने लगा, एक ऐसे जंगल से जिसमे मुझे जन्नत के इन तीन शब्दों ने धकेल दिया था, एक ऐसे जंगल से एक बार जो जिसमे में धकेल दिया जाए तो बाहर निकलने का रास्ता खोजने के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है।
विचारों के इसी जंगल में भटकते एक डूबी हुई आवाज़ में, मैं जन्नत को बोला कि: जन्नत हम दोस्त हैं।
जन्नत वैसे ही रोते हुए बोली कि: हम दोस्त हैं, और अभी भी हैं और हमेशा रहेंगे ना, जो मेरी तुम्हारे लिए भावनाएँ हैं वह भी अपनी जगह सच हैं।
मैंने उसी स्थिति में डूबे हुए कहा जन्नत तुम्हें क्या हो गया है।
जन्नत उसी स्वर में बोली: मुझे नहीं पता मुझे क्या हो गया है। बहुत दर्द फील कर रही हूँ मैं अपने अंदर।
मैं: जन्नत सैफ तुम्हें लाइक करता है.
जन्नत के रोने में जैसे कुछ और इज़ाफा हो गया और वह तड़पकर बोली: तुम मुझे बताओ कि तुम मुझे लाइक करते हो या नहीं?
अचानक मेरे दिल ने बाजी को बहुत शिद्दत से याद किया। और मेरा दिल ऐसे धड़कने लगा जैसे अभी सीना फाड़ के बाहर आ जाएगा।
मैंने कहा: जन्नत में तुम्हें लाइक करता हूँ पर एक दोस्त की तरह।
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मेरे इस स्पष्ट जवाब पे जन्नत ने अचानक कॉल काट दी। शायद मेरा ऐसा कहना अभी सही था या नहीं। मैं जन्नत को धोखे में नहीं रख सकता था। मैं खुद किसी की चाहत में ऐसा गिरफ्तार था कि मैं जान सकता था कि इस इनकार से जन्नत के दिल पे क्या गुज़री होगी। जन्नत के अलावा अगर कोई और भी होती तो मैं किसी को भी झूठी तसल्ली प्यार के मामले में कभी न देता।
एक सच्ची दोस्ती के नाते में जन्नत को सहारा दे सकता था। यही सोचते हुए मैंने फिर से जन्नत को कॉल की. उधर से जब कॉल अटेंड हुई और दूसरी तरफ से उस मासूम परी की फिर से रोने की आवाज़ मेरे कानों से टकराई। अब शायद मैं भी काफी हद तक स्थिति को समझ चुका था मैंने अपने आप को खुद से हौसला दिया और संभाला और एक गहरी सांस लेते हुए जन्नत से बोला: जन्नत।
उसने वैसे ही रोते हुए कहा: हाँ।
जन्नत अब रोना नहीं शांत हो जाओ और मेरी बात सुनो… जन्नत तुम चुप होओ तो मैं कुछ कहूँ ना बाबा प्लीज़ अब चुप हो जाओ.
जन्नत बोली: ओ के वेट। और फिर थोड़ी देर लगी और उसने अपने आप को कुछ संभाला और कहा: हां बोलो अब में ठीक हूँ।
यह समय मेरे लिए बहुत बड़ी परीक्षा ले के आया था, पर जो भी था अब मुझे इस परीक्षण से गुजरना था। मैंने बहुत मुश्किल से अपने स्वर में शरारत जोड़ते हुए जन्नत को कहा कहां ठीक हो जरा अपनी आवाज तो देखो, रो रो के कैसे बिगाड़ दी है इतनी प्यारी आवाज।
रिजवान क्या कहना चाहते थे, जो बात है वह कहो – जन्नत ने कहा.
मैने कहा -उठो और पहले पानी पी लो तो बात करते हैं ना.
“ओके पीती हूँ” पानी पी के जन्नत कहा: हां अब बोलो।
“जन्नत यह बताओ कि तुम्हें अचानक क्या हो गया है.”
जन्नत ने जैसे ही यह बात सुनी उसकी हिचकी लेने की आवाज मुझे आई और मुझे तुरंत संकेत मिल गया कि वह अब फिर से रोने वाली है, मैं तुरंत कहा: जन्नत नहीं अब रोना नहीं है, , हम बात कर रहे हैं ना इसलिए जो बात भी करेंगे उसमे रोना धोना ठीक नही है।
जन्नत ने अपने आप को संभालते हुए कहा: ओके अच्छा तो बताओ कि मैंने पूछा था कि आप मुझे लाइक करते हो या नहीं.
फिर जन्नत जब बोलना शुरू हुई वह सब कह गई जो उसने कभी नहीं कहा था “पहले तो सब सामान्य था पर स्कूल के बाद कॉलेज से ही मुझे ये फील हुआ कि में तुम्हें लाइक करने लगी हूँ, मैंने हमेशा तुम्हारे इनकार के डर से तुमसे खुद यह बात नहीं कही, क्योंकि मैं जानती थी कि तुमने हमेशा दोस्ती से आगे हमारे बारे में कुछ नहीं सोचा, इसलिए मैंने हमेशा यह बात अपने मन में ही रखी, मुझे तुम्हारे इनकार से हमेशा डर लगता था.
इसलिए मैं चुप ही रही, फिर आज जब बाजार में तुमने कहा कि मैं आज सुंदर लग रही हूँ तो रिजवान मुझे नहीं पता तब से मुझे क्या हो गया है, आपने आज पहली दफ मुझे ऐसी कोई बात बोली रिजवान बस फिर मुझसे रहा नहीं गया और आज मैंने दिल की बात कहने का फैसला किया, जो होगा देखा जाएगा, और फिर जो हुआ तुम्हारे सामने है” इसके साथ ही जन्नत ने एक लंबी साँस ली।
मेरे और जन्नत के नसीब लगभग एक जैसे ही थे। जिस मुंह से यह तीन शब्द सुनने के लिए तड़प रहा था उसने यह तीन शब्द आज तक मुझे नहीं कहे, और जिसके बारे मे कभी सोचा नहीं था उसने यह तीन शब्द मुझे कह दिए, और उसे अब मुझसे ये उम्मीद थी कि यही तीन शब्द मैं भी उसे कह दूँ, पर मैं अपनी जगह मजबूर था कि ये तीन शब्द तो जिस की अमानत थे मैंने उसे सौंप दिए। अजीब ही घन चक्कर था भाग्य.
“हेलो सो तो नहीं गए.” जन्नत की आवाज ने मुझे झनझोड़ा.
“नहीं.”
जन्नत काफी हद तक संभल चुकी थी, शायद अपने दिल का हाल सुनाने से उसका बोझ हल्का हो चुका था। जन्नत बोली रिजवान मेरे कारण तुम परेशान मत होना न यह सोचना कि हमारी दोस्ती खत्म, मैं तुमसे प्यार करती हूँ और ऐसे ही करती रहूंगी, उस पे मेरा नियंत्रण नहीं है, हम अब इस टॉपिक पर कभी बात नहीं करेंगे, न कभी मेरा प्यार हमारी दोस्ती के बीच आएगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उस दिन मैंने एक बात और जानी कि लड़कियाँ हम लड़कों से कहीं अधिक मीचोर होती हैं। कैसे उसने पल भर में मेरी सारी मुश्किल आसान कर दी.
जन्नत ने फिर कहा: रिजवान अब तुम सो जाओ, कॉफी रात हो गई है।
और फिर हम दोनों ने एक दूसरे को बाय बोला और कॉल एंड की। कॉल तो एण्ड हो गई थी, पर जो विचारों का समुद्र वो मासूम परी मेरे हवाले कर गई थी, उसी में गोते खाते हुए जाने कब नींद मुझे आ घेरा और मैं सो गया। सुबह जब मेरी आँख खुली तो रात को बीते वो दोनो वाकये फिर से मेरे दिमाग में घूमना शुरू हो गए।
अजीब खेल खेला भाग्य ने कि जो लड़की मेरी बेस्ट फ्रेंड थी वही मुझसे प्यार करने लगी थी। यही सोचते सोचते मैं उठा, फ्रेश हो के नीचे आ गया। अम्मी और बाजी नाश्ता कर चुके थे और टी। वी देखते देखते साथ मे गपशप कर रही थीं। अबू ऑफिस जा चुके थे शायद। मैंने अम्मी और बाजी को सलाम किया।
जिसका अम्मी ने तो सही जवाब दिया पर बाजी ने काफ़ी धीमे से लहजे में जवाब दिया। बाजी पे पहली नज़र पड़ते ही वह दीवानगी का आलम शुरू हो गया। मस्तिष्क ने काम करना छोड़ दिया। मैं कोशिश भी बहुत करता था कि ऐसे मुझसे न हो, क्योंकि यह बात मेरे लिए हानिकारक भी साबित हो सकती थी।
किसी को भी मेरी इस दीवानगी से मुझ पर शक हो सकता था। बहुत प्रयास के बावजूद मुझसे यह दीवानगी नियंत्रित नहीं होती थी। में दीवानगी की हालत में चलते चलते डाइनिंग टेबल पे जा बैठा। अम्मी रसोई में मेरे लिए नाश्ता बनाने चली गई। मैं बाजी को वैसे ही देखता रहा। बाजी ने मुझे बिल्कुल नहीं देखा। और टीवी पे निगाहें जमाए रखी।
बाजी बहुत कंफ्यूज लग रही थीं। शायद मेरी उपस्थिति से, या शायद मेरी नज़रों को अपने पे महसूस कर या शायद कोई और कारण य्चा इसका मुझे पता नहीं था। थोड़ी देर तक काम वाली मौसी नाश्ता ले आई और टेबल पे लगा दिया। हम बहन-भाई भी उन्हें चाची ही कहते थे।
वह शायद तब से हमारे घर काम कर रही थी जब मैं 1, 2 साल का था। अम्मी की बहुत चहेती थी। काफी समय से किसी मजबूरी के आधार पे छुट्टी लेकर गई हुई थी। यहीं हमारे शहर की ही थी और शाम को अपने घर वापस चली जाती थी। मौसी ने कुछ और लाने का पूछा और किचन में वापस चली गई। नाश्ते का मन तो नहीं कर रहा था पर जीने के लिए जितना जरूरी था इतना खाया और साथ ही बाजी को ही देखता रहा।
उन्होंने तो जैसे कसम खाई थी मुझे ना देखने की। मानव का स्वभाव है कि आपको किसी का प्यार न मिले तो संभव है आप धैर्य कर जाओ और जो ज़ुल्म भी तुम पे करे पर किसी बात के रिस्पोन्स में ज़रा सा प्यार का जलवा करवा दे और फिर मुंह मोड़ ले तो यह बात बर्दाश्त से बाहर हो जाती है और आपका जो रिएक्शन होता है, वह सख़्त और कठोर हो सकता है।
बाजी के न देखने पर और सख्त व्यवहार पे मुझे गुस्सा आ गया और गुस्से की हालत में ही अपने कमरे में आ गया। रात 11: 30 बजे में बेचैनी से अपने रूम में चक्कर काट रहा था और 12 बजने का इंतजार कर रहा था। फिर कुछ सोचते हुए बाथरूम में गया और सिगरेट पीने लगा ताकि कुछ फ्रेश हो जाऊं।
ऐसे ही अजीब गरीब हरकतों में 12 बज गए और मैं अपने कमरे से निकला और बाजी के रूम की ओर बढ़ा। आज मेरे चलने के तरीके में सख्ती थी। शायद अब मामला मेरी बर्दाश्त से बाहर हो गया था। आज मैं अपने प्यार का अधिकार लेने जा रहा था।
बाजी के रूम के दरवाजे पे नोक किया तो थोड़ी देर बाद बाजी ने दरवाजा खोला। वह इस दुनिया की शायद थी ही नहीं, वह शायद अंजाने मे इस दुनिया में आ बसी थी, बाजी के सामने आते ही पता नहीं क्यों मेरे अंदर की विद्रोही सोच जाने कहाँ गायब हुईं, यह बात मुझे भी तब समझ नहीं आई। मैं अंतर्मुखी सा खड़ा बस उसे देखता ही रह गया।
बाजी ने कहा: रिजवान।
मैं जैसे दुनिया पे वापस आया और कहा: जी।
बाजी चेहरे पे सख्ती थी और उसी दृढ़ता से उन्होंने मुझे कहा: रिजवान अपने रूम में वापस जाओ और आज के बाद इस तरह मेरे कमरे में आने की कोई जरूरत नहीं।
मैं हक्का बकासा खड़ा उनके मुंह से निकलते ये शब्द सुन रहा था। मेरे तो भ्रम और गुमान में भी यह बात नहीं थी जो वह कह गईं। मैं तो आज यहाँ अपने प्यार का अधिकार लेने इस हूर के दरबार में आया था। पर इस हूर ने तो मुझे ऐसे ठुकरा दिया जैसे कोई किसी माँगने वाले फ़क़ीर को भी नहीं ठुकराते। मेरी आंखें नम हो गई और मेरे मुंह से बस एक ही शब्द निकला “क्यों.”
दीदी ने मेरी नम आँखों की परवाह न करते हुए बस इतना ही कहा कि “जो मैंने कहना था कह दिया और हाँ यह भी सुनते जाओ मैं तुम्हारे सर पे हाथ रख के कसम भी खाती हूँ कि अगर तुमने फिर से वही हाथ काटने वाला काम किया तो याद रखना मैं भी उसी दिन अपने आप को समाप्त कर दूंगी” यह बात कहते हुए बाजी ने मेरे सर पे अपना एक हाथ रख दिया और अपनी बात पूरी होते ही बाजी पीछे को हुई और अपना डोर बंद कर दिया।
दिल टूटे और आंसू न निकलें ऐसा कब संभव है। कितनी ही देर बाजी केडोर के सामने खड़ा रोता रहा। और फिर ऐसे ही रोता हुआ अपने कमरे में वापस आ गया और बेड पे गिर के रोते रोते, सोचते सोचते, बेड को, गालों को, पलकों को भिगोता पता नहीं किस पहर सो गया।
दिन बीतते जा रहे थे और मैं अंदर से एक बार फिर शायद मर चुका था। वह सुंदर सपनों वाले दिन शायद फिर बीत चुके थे। ऐसे ही एक दिन मैं अपने कमरे में रात के समय मरा पड़ा था, और रात 12। 30 समय था कि मेरे सेल पे जन्नत की कॉल आई, मैंने कॉल अटेंड तो आगे से जन्नत की आवाज़ आई: दोस्त दोस्त ना रहा प्यार प्यार न रहा।
मैंने मुश्किल से हंसते हुए कहा खैरियत है न सरकार आज फिर पुराने गाने?
जन्नत ने कहा: हुजूर अब क्या ये सितम जो हम पे हो चुका, अब यही कुछ गुनाहे नहीं।
“जन्नत तूने मार खानी है या सीधे सीधे बताना है कि क्या हुआ?”
जन्नत ने अब थोड़ी सी नाराजगी से कहा: रिजवान साहब आज किसी का बर्थ डे और किसी ने विश नहीं किया।
आज जन्नत का बर्थ डे था और हमेशा से पहले में ही उसे विश किया करता था, सब दोस्तों से पहले। पर अब मैं उसे क्या बताता कि मरा हुआ व्यक्ति किसी को विश कैसे कर सकता है। फिर भी दिल से दोस्ती की थी उससे, और निभानी भी थी।
मैं जबरदस्ती गुनगुनाते हुए कहा “हैप्पी बर्थ डे टू यू, हैप्पी बर्थ डे टू यू, हैप्पी बर्थ डे डीयर जन्नत, हैप्पी बर्थ डे टू यू.”
“जन्नत की प्यारी सी हँसी की आवाज मेरे कानों में पड़ी।।” “थॅंक्स सरकार थैंक्स, रिजवान कितने सालों से तुम मुझे विश करते आ रहे हो आज पहली बार गलती की है इसलिए माफ़.”
“मैंने कहा: अगली बार ऐसा नहीं होगा सरकार.”
“ओर और सुनाओ क्या हो रहा.”
“मैंने जवाब दिया: “कुछ खास नहीं.”
“अच्छा एक योजना है मेरे पास.”
“मैंने पूछा: क्या।।”
“कहीं शहर से बाहर किसी जगह चलते हैं वहाँ मेरी बर्थ डे सेलीबरेट करेंगे.”
“मैं न चाहते हुए भी हामी भर ली और कहा: सब फ्रेंड्स को भी बता दिया है।”
“नहीं नहीं सिर्फ तुम और मैं होंगे मेरी बर्थ डे के साथ साथ हम दोनों हमारी फ्रेंडशिप भी बर्थ डे भी एक साथ सेलीबरेट कर लेंगे.”
“न चाहते हुए भी जन्नत की बात से मेरे होठों पे मुस्कान आ गई, बात ही इतनी प्यारी बोल दी थी जन्नत ने. लड़कियाँ जितनी मीचोर होती हैं उतनी ही संवेदनशील भी होती हैं।।।
मैंने पूछा: तो बाकी फ्रेंड्स कहाँ छोड़ेंगे तुम्हें।
जन्नत बोली: उन्हें मैंने संभाल लिया है, कि अभी कुछ प्राब्लम है, जब कॉलेज शुरू होगा तो वहीं पे ट्रीट दे दूंगी।
हम ने एक जगह डेसाईड की और यह प्लान बना कि जन्नत को उसके घर से पिक करूंगा और फिर हम वहाँ जाएंगे। फिर बाय बोल कर कॉल एंड हुई। निर्धारित समय पे जन्नत के घर पहुंचा और उसे बाहर आने का कहा। थोड़ी ही देर में वह अपने घर के गेट के सामने आई और मेरी कार की ओर बढ़ी।
जन्नत ने आज न्यू फैशन के अनुसार एक सुंदर सा रेड एंड व्हाइट कलर का ड्रेस पहना हुआ था (लाल कमीज और सफेद सलवार)। बड़ी-बड़ी आकर्षक आँखें, सफेद रंग, गुलाबी पतले-पतले से होंठ और स्मार्ट सी मध्यम ऊंचाई की थी जन्नत। जन्नत का हुस्न देखने वाले की आंखों को अपनी जकड़न मे लिए बिना नहीं छोड़ता था और मैं तो था ही इसी हुश्न नाम की चीज़ का बीमार, भला कैसे प्रभावित न होता।
जन्नत कार में आकर बैठ गई और जैसे मेरा दिल दिमाग फिर ताज़ा हो गया जन्नत के परफ्यूम की खुश्बू लेकर। इस इत्र की खुशबू मेरी कार में जैसे जीवन का एहसास लेकर आई। हाय हेलो के बाद मैंने कार आगे बढ़ा दी। और यों ही हल्की फुल्की गपशप चलती रही और फिर हम शहर से बाहर बने एक पार्क में पहुंचे। पार्क में कार एंट्री करके कोई जगह देखने लगा जहां किसी पेड़ की छाया मे कार पार्क करूँ काफी खोज के बाद कुछ पेड़ों के बीच एक जगह मिली और मैंने वहीं कार पार्क की.
“हाँ तो हुजूर पहुँच गए आपकी इच्छा के अनुसार यहाँ, अब बताओ क्या करना है बाहर बेंच हैं वहाँ बैठ जाएँ या यहाँ ही कार में बैठे रहें.”
जन्नत मुस्कुराई और कहा: यहीं बैठते हैं, पर एक सीट पे।
मैंने कहा: ओ के हुजूर.
एसी की वजह से कार को स्टार्ट ही रखा बैक सीट पे जन्नत बैठी और मैं अपनी ड्राइविंग सीट की एक सीट पे बैठ गया। एक सीट पे बैठ के हमने कार की फ्रंट सीट को आगे कर दिया, ताकि हम ईजी हो के बैठ सकें। हम दोनों ही थोड़ा एक दूसरे की ओर मुड़ कर बैठ गए। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
यह पार्क शहर से काफी डोर था और बहुत बड़े क्षेत्रफल में फैला था। और यहां लोग इतने ज्यादा नहीं आते थे। बहुत शांत माहौल था इस पार्क का। मैं और जन्नत यहाँ वहाँ की बातें करते रहे। फिर मैंने वह केक का डिब्बा खोला जो जन्नत के लिए ले के आया था। जन्नत जब केक काटने लगी तो मुस्कुरा के बोली: दोनों मिल के काटेंगे ना, वह फ्रेंडशिप का भी तो बर्थ डे है ना।
मैं मुस्कुरा दिया और जन्नत के नरम नाजुक और चकमता दमकता हाथ थाम लिया और हमने मिलकर केक काटा। और मिलकर हैप्पी बर्थ डे टू यू भी गुनगुनाया फिर वही मुस्कान, वही शरारत। मैंने केक का एक टुकड़ा काटा और जन्नत को खिलाया और फिर जन्नत ने मुझे ऐसे ही खिलाया. इसी हँसी मज़ाक में जैसे मैं कुछ पल के लिए अपना वह दर्द भूल गया था। जैसे ही उस दर्द का अहसास फिर से हुआ तो अचानक चुप हो गया।
जन्नत ने कहा: क्या बात है रिजवान ऐसे अचानक चुप क्यों हो गये।
मैंने जन्नत की ओर देखते हुए कहा, “कुछ नही वैसे ही।”
“नहीं रिजवान तुम ऐसे नहीं थे यार, हर समय हंसते रहते थे, अब तो अगर खुद हसते हो तो ऐसा लगता है जैसे एहसान कर रहे हो, हर समय खोए खोए रहते हो, कुछ तो है दोस्त?”
जन्नत ने जो भी कहा था वह सच था, जन्नत की बातें सुन के बाद में मुझे अपने हाल पे तरस आ गया और फिर वो हुआ जो आज से पहले मैं ने बाजी के अलावा किसी के सामने नहीं किया था। मैं रो पड़ा, एक हाथ मेरी दोनों आँखों पे और बच्चों की तरह रोना शुरू हो गया। जन्नत घबरा गई, उसे तो बिल्कुल मेरे से इस बात की उम्मीद नहीं थी। जन्नत मुझे चुप कराने लगी “रिजवान रिजवान, यह क्या? इधर देखो, रिजवान” जन्नत ने अपना एक हाथ मेरे शोल्डर पे रखा था और मुझे शोल्डर दबा दबा के झींझोड़ रही थी।
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जन्नत की बातों से मेरे अंदर एक तूफान सा आ गया था, इस तूफान का शोर इतना था कि मुझे कुछ और सुनाई नहीं दे रहा रहा था. जन्नत के शब्द सुनाई देते ही मैंने अपना हाथ अपनी आँखों से हटा दिया और अपनी शर्ट से ही अपने आंसू साफ करने की नाकाम कोशिश की और जन्नत देखा जो मेरे शोल्डर पे हाथ रखे मुझे परेशान नज़रों से देख रही थी। मैंने एक हाथ आगे बढ़ाया और जन्नत के सिर को एक साइड से बालों से पकड़ा और जन्नत को अपनी ओर खेंचा और उसके गुलाबी पतले सुंदर होठों को अपने होठों में ले लिया और जन्नत को किस करने लगा।
जन्नत को सपने में भी ये लगता नहीं था कि मैं यह हरकत भी कर सकता हूँ। वह तो शायद अपने प्यार का मातम मना भी हो चुकी थी। जन्नत ने दूसरा हाथ भी मेरे अन्य शोल्डर पे रखा और मुझे पीछे की ओर धकेलने की कोशिश की। पर मैंने अपने हाथ में जकड़े जन्नत के बालों पर अपनी गिरफ़्त इतनी मजबूत कर ली कि अब मुझे पीछे हटाना लगभग असंभव हो चुका था। दोस्तों भी कहानी बाकि है, आगे की कहानी अगले एपिसोड्स में…
Xxxx says
Wow so so amazing story, aaj tak itni expressive story nhi padhi. bro jaldi se jaldi agla part lao.
raj says
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