Vidhwa Bahan Tight Boobs
मैं आसनसोल की रहने वाली हूँ। मेरे पति एक टैक्सी ड्राइवर थे और उसकी हार्ट अटैक से आजे से ५ साल पहले मौत हो गयी थी। मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते थे। उनके मरने के बाद मैं विधवा हो गयी थी। मुझे लौटकर अपने भाई ओमप्रकाश के पास आना पड़ा। Vidhwa Bahan Tight Boobs
मेरे माता पाता तो पहले ही गुजर चुके थे। इस दुनिया में मेरा भाई से सिवा कोई नही था। मैं विधवा होने के बाद अपने भाई ओमप्रकाश के आस आकर रहने लगी। ओमप्रकाश अभी कुवारा था, उसे कोई लड़की पसंद ही नही आ रही थी, इसलिए उसने अभी तक शादी नही की थी।
“बहन तुम बिलकुल फिक्र मत करो…इस घर को अपना ही समझो..” ओमप्रकाश बोला.
मुझे बहुत अच्छा लगा ये बात सुनकर वरना जादातर भाई लोगो को जैसे ही कोई लकड़ी चूत दे देती है तो वो सुबह से शाम तक बस अपनी गर्लफ्रेंड के पीछे ही घूमते रहते है। ओमप्रकाश एक बड़ी कम्पनी में इंजीनियर था और महिना का १ लाख रुपया कमाता था। मैं उसके साथ रहने लगी।
एक दिन मैं रात में २ बजे बाथरूम जाने के लिए उठी तो ओमप्रकाश बाथरूम में पूरी तरह से नंगा खड़ा था और जल्दी जल्दी मुठ मार रहा था। उसके बाद वो अपने कमरे में चला गया। ओमप्रकाश को एक मस्त चूत चोदने के लिए चहिये थी जो की मेरे पास थी। मैं अभी जवान थी और २६ साल की मस्त माल थी।
बस मेरे पति ने मुझे ३ साल तक चोदा था उसके बाद वो स्वर्ग सिधार गये थे। मैं ओमप्रकाश के कमरे में चली गयी। ये जाड़े का मौसम था, काफी सर्दी पड़ रही थी। मैं अपने प्यारे भाई को अपनी चूत चोदने के लिए देना चाहती थी। मैं उसके बेड में चली गयी और उसकी रजाई में अंदर उसके जस्ट बगल ही लेट गयी।
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ओमप्रकाश नही जान पाया। वो सोता रहा। मैं उसे अपनी बुर चोदने के लिए देना चाहती थी, इसलिए उसे धीरे धीरे गर्म करना बहुत जरूरी था। मैंने अपना स्वेटर और गर्म लोअर रजाई के अंदर धीरे धीरे निकालना शुरू कर लिया। फिर मैंने अपनी ब्रा और पेंटी भी निकाल दी। और अपने भाई ओमप्रकाश से चिपक कर लेट गयी।
धीरे धीरे ओमप्रकाश भी गरमाने लगा। वो सो रहा था, मैंने उसके मुंह में अपना बाया वाला बड़ा सा ३६” का शानदार मम्मा दे दिया और उसके हाथ को अपनी दूसरी चूची पर रख दिया। ओमप्रकाश भले ही नींद में था, पर उसको मजे करने के लिए एक जवान मस्त लौंडिया तो चाहिए ही थी। धीरे धीरे अपने आप वो मेरी छाती पीने लगा और हाथ ने मेरी दूसरी छाती दबाने लगा।
कुछ देर में उसकी आँख खुल गयी। मुझे अपने बिस्तर में पूरा नंगा देखकर वो परेशान हो गया और पीछे हटने लगा। “कोई बात नही ओमप्रकाश…..तुमने मुझे रहने के लिए ये घर दिया है, क्या मैं तुमको चूत भी नही दे सकती?? कोई बात नही, ये राज सिर्फ हम दोनों के बीच रहेगा” मैंने उससे फुसफुसाकर समझाया।
तब जाकर वो शांत हो गया और मेरे उपर मजे से बिना किसी शर्म के खुलकर लेट गया और मेरे दूध पीने लगा। “आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई..मम्मी….” मैं कसमसाने लगी। ओमप्रकाश तो बेचारा वैसे ही चूत और चुच्ची का प्यासा था। वो तेज तेज मेरे दूध पीने लगा।
मेरे दूध को मुंह में लेकर ऐसे चूस रहा था जैसे आजतक उसने किसी लौंडिया की चूची ना पी हो। धीरे धीरे मुझे भी फुल मजा आने लगा। उसके दांत मेरी मुलायम निपल्स में गड रहे थे और मुझे चरम सुख का मजा दे रहे थे। धीरे धीरे मुझपर चुदाई का अजीब सा नशा छाना शुरू हो गया था।
हाँ ये सच है की आज मैं अपने भाई से कसकर चुदवाना चाहती थी। मेरे बाए मम्मे को ओमप्रकाश ने २० मिनट किसी आम की तरह चूसा, फिर मेरे दाए दूध को मजे से चूं….चूं…की आवाज करते हुए चूसने लगा। कुछ देर बाद हम दोनों भाई बहन को सेक्स का जबरदस्त जुनून चढ़ गया। सर्दी में भी गर्मी का अहसास होने लगा।
ओमप्रकाश से रजाई हटा दी और मेरा मखमली पेट किस करने लगा और फिर मेरी सेक्सी नाभि की तरह वो पहुच गया और जीभ से मेरी नाभि को छेड़ने लगा। आधा घंटा तो यही खेल चला। फिर मेरा भाई ओमप्रकाश मेरे पैर की एक एक ऊँगली को मुंह में लेकर चाटने लगा।
मैं बहुत गोरी और जवान माल थी। अब अपने आप से क्या मैं तारीफ़ तारीफ़ करूँ। मैं विधवा थी, पर भी भी मुझसे शादी करने के लिए कोई ना कोई रिश्ता आता रहता था। सब जवान लड़के मुझसे शादी करके मुझे चोदना चाहते थे और मेरा यौवन रस लूटना चाहते थे।
मेरा रूप रंग बहुत ही गोरा था और मेरे पैर, पेट, जांघे और चूत तो बिलकुल मलाई जैसी थी। आज फर्स्ट टाइम मेरे भाई ओमप्रकाश ने मुझे नंगा देखा था और मेरे नग्न चोदने और पेलने लायक मेरे हुस्न का जादू उसपर पूरी तरफ से चल रहा था। मेरी कसकर चोदने की ललक मुझे भाई की आँखों में साफ़ साफ़ दिख रही थी।
मैं अच्छे से जानती थी की ओमप्रकाश आज मुझे रगड़कर चोदेगा और मेरी चूत की एक एक कली को बेरहमी से फाड़ देगा और कुचल कर रख देगा। सच कहूँ तो मैं चाहती थी की वो ऐसा ही करे। ओमप्रकाश मेरे पैर, टखने और घुटनों को मजे से चूसने लगा, और किस करने लगा।
फिर वो मेरी गोरी और आइसक्रीम की तरह चिकनी जांघो पर किस करने लगा और दांत से काटकर निशान बनाने लगा। मुझे ये सब अच्छा लगा रहा था। कुछ देर बाद मेरे भाई ने मेरे दोनों पैर खोल दिए और मेरी क्लीन शेवड पुसी यानी चूत साफ़ साफ दिख रही थी।
आखिर बड़े इंतजार के बाद वो पल आ ही गया जब मेरे भाई ओमप्रकाश ने मेरी चूत पर अपना मुंह लगा दिया और मजे लेकर चाटने लगा। आज पहली बार मैं अपने भाई से सामने नंगी हुई थी। आज मेरी बुर का सजदा हो रहा था। मैंने प्यार से अपना हाथ ओमप्रकाश के सर पर रख दिया और उसके घुघराले मैगी नूडल्स जैसे बालो में मैं अपनी ऊँगली बड़ी प्यार से फिराने लगी।
पर मेरा भाई ओमप्रकाश तो जैसे मेरी चूत की दुनिया में कहीं डूब गया था। वो मेरे चूत के दाने को जल्दी जल्दी चूस और पी रहा था। मेरी चूत बहुत सुंदर थी दोस्तों। बिलकुल सनी लिओन की तरह लाल लाल रखी हुई थी। कोई भी लड़का अगर मेरी चूत के दर्शन एक बार कर लेता तो मुझे चोद कर ही मनाता। इतनी सुंदर चूत थी मेरी दोस्तों।
मैं बार बार “……मम्मी…मम्मी….सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” करके कसमसा रही थी। मैं अपनी दोनों टांगो को पूरब और पश्चिम दिखा में पूरी तरह से खोल रखा था जिससे मेरे भाई को मेरी बुर पीने में कोई दिक्कत ना आए। ओमप्रकाश की जीभ मेरी चूत पर हर जगह जा रही थी और मुझे बहुत नशा दे रही थी।
“….हाईईईईई, उउउहह, आआअहह” की आवाज ओमप्रकाश को बहुत कामोतेज्जक बना रही थी। फिर उसने अपनी दो बीच वाली लम्बी उँगलियाँ मेरे भोसड़े में डाल दी और जल्दी जल्दी मेरी बुर को फेटने लगा। मेरी तो जैसे जान ही निकल रही थी।“……मम्मी…मम्मी….सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” मैं चिल्लाने लगी.
और मैं ओमप्रकाश के मैगी नूडल्स जैसी घुंघराले बालों को कसकर पकड़कर खीच दिया“……मम्मी…मम्मी….सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” दोस्तों मैं कैसी अपनी हालत आपको बयाँ करो। जब ओमप्रकाश ने अपनी दो दो मोटी उँगलियाँ मेरी चूत में कसकर पेल थी तो लगा की ४ ४ लौड़े मेरे भोसड़े में अंदर तक पेल दिए हो और कस कसके मुझे चोद रहे हो, मुझे तो बिलकुल ऐसा ही लग रहा था।
ओमप्रकाश जोर जोर से मेरी चूत को अपनी २ ऊँगली से फेटने लगा। मैं बार बार उसके बाल किसी जंगली बिल्ली की तरह नोच लेती थी। ये खेल बड़ी देर चला। मेरी खूबसूरत फुद्दी को मेरा भाई अपनी उँगलियों से चोद रहा था।“……उई..उई..उई…. माँ….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ…. .अहह्ह्ह्हह..” मैं बार बार चिल्ला रही थी।
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मेरी चूत का दाना बहुत सेक्सी और तिकोने आकार का बड़ा सा था जिसे ओमप्रकाश मजे से दांत से पकड़ लेता था और काट काटकर मुझे मजा देता था। मैं तो जैसे पागल हो रही थी। फिर ओमप्रकाश मेरी चूत में ऊँगली करते करते ही मेरी चूत पीने लगा और मजा मारने लगा। मैं बार बार अपनी गांड और कमर उठा देती थी। मैं बेचैन हो रही थी।
फिर ओमप्रकाश ने आधे घंटे तक मेरी चूत को मुंह लगाकर पीया और जमकर मजा लिया। उसने अपना स्वेटर और ऊनि लोअर निकाल दिया और अपना ७” मोटा रसीला लंड मेरी चूत पर रखा और गच्च से एक मीठा सा धक्का दिया। पुच्छ की आवाज हुई और मेरा भाई ओमप्रकाश आज मुझ जैसी विधवा की जवान चूत मारने लगा।
वो मेरे उपर लेट गया और मैं उसको उसके गाल, मुंह, चेहरे, आँखों, माथे पर सब जगह उसे किस करने लगी। आज की रात के लिए मेरा सगा भाई ही मेरा पति परमेश्वर बन चुका था। ओमप्रकाश मुझे गचा गच चोदने लगा। “…..ही ही ही ही ही…..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह…. उ उ उ..” मैं गर्म गर्म सिसकारी लेने लगी।
कुछ ही देर में सर्दी के मौसम में भी हम भाई बहन के जिस्म में पसीना आ गया। मैं अपने भाई को आज दिल खोलकर प्यार कर रही थी। वो मुझे गचा गच चोद रहा था। उसकी कमर किसी मशीन की तरह तेज तेज मेरी चूत में मोटा लौड़ा सप्लाई कर रही थी और मुझे हौंक हौंक कर ठोंक रही थी।
कुछ देर बाद मेरी कमर अपने आप नाचने लगी और मैं मजे से “उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ अहह्ह्ह्हह सी सी सी सी.. हा हा हा.. ओ हो हो….” करके चुदवाने लगी। अब मेरी बुर चोदते चोदते आधा घंटा होने वाला था। मेरा भाई ओमप्रकाश अब आ आह आह करके हाफ़ने लगा था।
मैं जान गयी थी की अब उसका माल गिरने वाला है। मैंने ओमप्रकाश को कसके अपनी दोनों बाहों में पकड़ लिया और तेज तेज धक्के मेरी रसीली चूत में मारते मारते वो झड़ गया। उसके बाद हम दोनों किसी हसबैंड वाइफ की तरह प्यार करने लगा।
“…बहन…..हम दोनों की ये ठुकाई वाली बात सिर्फ हम दोनों के बीच में ही रहे” ओमप्रकाश बोला.
“…तुम फ़िक्र मत करो भाई…ये राज सिर्फ हम दोनों के बीच में रहेगा” मैं कहा.
उसके बाद हम दोनों चिपककर एक दूसरे को बाँहों में भरकर सो गये। पहली चुदाई के बाद ओमप्रकाश मुझसे खुल गया और खुलकर अपने प्यार का इजहार करने लगा। मैं भी उससे पूरी तरह से खुल गयी थी। हम लोग अब रोज रात में चुदाई करते थे और मजा लेते थे।
सारे पड़ोसी तो यही जानते थे की हम भाई बहन है, पर हम बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड की तरह रोज रात में ठुकाई करते है, ये बात कम लोग ही जानते थे। एक दिन बड़ी अच्छी धुप निकली थी। हमारे बेडरूम तक धूप आ रही थी। उस दिन मेरा अपने भाई का लंड चूसने का बड़ा दिल कर रहा था। ओमप्रकाश भी घर पर ही था।
“ओमप्रकाश मेरा तेरा मोटा लंड चूसने का बड़ा दिल कर रहा है” मैंने कहा.
वो हँसने लगा। फिर वो राजी हो गया। हम दोनों गुनगुनी धूप में बेडरूम में खिड़की के बगल लेट गए और हम भाई बहनों ने अपने अपने कपड़े निकाल दिए। मेरा प्यारा भाई ओमप्रकाश बिस्तर पर सीधा लेट गया और और मैं उसके ठीक बगल बैठ गयी। मैं पूरी तरह से नंगी थी।
ब्रा और पेंटी भी मैंने निकाल दी थी। मेरे बड़े बड़े ३६” के दूध उसके सामने थे और किसी रसीले दशहरी आम की तरह लटक रहे थे। ओमप्रकाश मेरे दूध को हाथ में लेकर टच करने लगा और फिर हल्का हल्का दबाने लगा। मैं झुककर उसके मोटे लौड़े को हाथ में लेकर फेटने लगी और मजा लेने लगी।
कुछ देर बाद उसका लंड किसी रोकेट की तरह खड़ा हो गया और मैंने झुककर उसे मुंह में ले लिया और मजे से चूसने लगी। ओमप्रकाश …उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ. हममममअहह्ह्ह्हह..करने लगा। मैं एक हाथ से उसका मोटा लौड़ा फेट रही थी तो दूसरे हाथ से लंड को मुंह से चूस रही थी। मुझे बहुत मजा मिल रहा था।
फिर मैं जल्दी जल्दी अपना मुंह भाई के लौड़े पर उपर नीचे करने लगी और मजा लेने लगी। ओमप्रकाश का मुंह बार बार खुल जाता था और उसे काफी मजा आ रहा था। मैं ४० मिनट तक अपने सगे भाई का लौड़ा चूसती रही और ओमप्रकाश मेरे दूध को जोर जोर से दबाता और मसलना रहा। उसके बाद हम दोनों को बहुत जोश चढ़ गया। मुझे चुदवाने का बड़ा दिल कर रहा था।
“ओमप्रकाश…..रोज तुम मेरी चूत लेटकर मारते हो, पर भाई आज मुझे कुतिया बनाकर चोदो” मैंने कहा.
“बहन जैसी तुम्हारी मर्जी!!” ओमप्रकाश बोला.
उसके बाद उसने मुझे कुतिया बना दिया। मैंने अपने दोनों हाथ और घुटनों को मुडकर किसी हुबहू कुतिया जैसी लग रही थी। मेरा भाई ओमप्रकाश बड़ी देर तक मेरी चूत पीता रहा। मेरे पीछे आकर मेरे मस्त मस्त पुट्ठे पीने लगा। उसकी जीभ मेरे पिछवाड़े को हर जगह छूने लगी।
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सच में मेरे चूतड़ बहुत आकर्षक थे। बिल्कुल लाल लाल खुर्बुजे की तरह थे। उसने झुक पर मेरे चूतडों पर किस कर दिया और चूत पीने लगा। मेरे भाई ओमप्रकाश ने अपना मोटा ७” का लौड़ा मेरी चूत में डाल दिया और मुझे पीछे से किसी कुत्ते की तरह बैठकर चोदने लगा। मैं आगे पीछे जल्दी जल्दी हिलने लगी, क्यूंकि वो बहुत तेज तेज ठोंक रहा था। मैं “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ. हमममम अहह्ह्ह्हह.. अई…अई….अई……” करके चीख और चिल्ला रही थी।
मेरी चूत में से जैसे अंगारे ही जलने लगे थे। जैसे मेरी चूत से चिंगारियां उड़ने लगी थी। सर्दी के मौसम में भी मुझे गर्मी लगने लगी और पसीना छूट गया, १ घंटे तक ओमप्रकाश ने मेरी चूत को किसी कुत्ते की तरह रगड़ रगड़ कर चोदा। “प्लीससस……..प्लीससस…..भाई ..उ उ उ….मुझेझेझेझेझे…कसकर चूसो मेरे आमममम … उ उ उ उ उ……अअअअअ” मैं किसी आवारा छिनाल की तरह चिल्ला रही थी। फिर आकर वो आउट हुआ। मेरी चूत में से जब उसने अपना मोटा लौड़ा निकाला तो उसका सफ़ेद रस मेरी बुर से नीचे की तरह शहद की बूंद की तरह टपक रहा था।