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दीदी को भाई साथ बिस्तर गर्म करना था

जुलाई 25, 2024 by hamari

Nangi Sister Chut Sex

मै इल्विश आप लोगो को एक ऐसी वाकया से वाकिफ कराऊंगा l जो घर परिवार,समाज के लिए तो जुर्म है लेकिन यदि काम वासना की बात की जाय तो बेहद मस्त है। मै, मेरे पापा, मम्मी और बड़ी मनीषा दीदी दिल्ली के समीप में रहते है। पापा एक फैक्ट्री में नौकरी करते है, तो मेरी एक मम्मी हाउसवाइफ है। Nangi Sister Chut Sex

मेरी मनीषा दीदी मनीषा बी.ए की पढ़ाई पूरी करके घर में ही पूरा दिन ब्यतित करती है, और मै बी.ए द्वितीय वर्ष का छात्र हूं। मनीषा देखने में सुंदर है, उसकी उम्र २३ साल के आसपास है। उसकी लंबाई ५’५ फीट है, और उसके सीने पर दो संतरे समान चूची तो उनके गोल नितम्ब काफी लुभावने।

मैंने उन्हें कभी नंगा नहीं देखा है, उसकी गान्ड की दरार चलने वक़्त जब आपस में टकराती है, तो मेरे लंड को खंबे की तरह खड़ा कर देती है। मनीषा दीदी घर में गाउन ही पहनती है। लेकिन उसका मुशकिल से ही उसके पुरे पूरे घुटने ढक पाती है, एक शाम मै बाज़ार के लिए निकला तो मनीषा दीदी मुझे बुलाया और और वो मुझसे बोली – इल्विश मेरा कुछ सामान ला दो?

मैं बोला – ठीक है, मनीषा दीदी बोलो क्या क्या लाना है?

मनीषा – लों ये कागज इसमें सब लिखा है।

मैंने उस कागज पर लिखे सब सामान को देखने लगा, फिर उनके चेहरे को देख मुस्कुराता हुआ बाज़ार चला गया। मैं अपनी मनीषा दीदी मनीषा के बारे में सोच रहा था, वो मुझे हेयर रिमुवर ,पैड्स और एक दवाई लाने को बोलीं थी। पर मै पहले वाईन शॉप पर गया और एक बियर लिया और सुनसान इलाके में पीकर मैंने मनीषा दीदी का सारा सामान खरीदा। शाम के ०७:४० बजे घर वापस आया, और मनीषा दीदी के कमरे में जाकर उन्हें समान देते मैंने उनसे पूछा।

मैं – मनीषा दीदी ये दवाई किस काम की है?

मनीषा दीदी मुस्कुराई और बोली – बाद में बताऊंगी तुझे मैं।

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फिर मैं मनीषा दीदी के कमरे से बाहर निकला और मम्मी के पास किचन चला गया, मैं एक प्याला कॉफी लेकर बालकनी में जाकर पीने लगा। हम सब ने साथ में खाना खाया, तो उस टाइम मेरी नजर बार बार मनीषा दीदी के स्तन पर जा रही थी। मनीषा दीदी भी मुझे तिरछी नजर से देख रही थी।

फिर खाना खाकर मैं अपने बेडरूम गया और नाईट बल्ब जलाकर बेड पर लेटे लेटे मोबाइल में न्यूज पढ़ने लगा। लेकिन मैं बार बार मनीषा दीदी की गर्भ निरोधक दवाई के बारे में सोच रहा था। तकरीबन ११:१५ बजे मुझे नींद आ गई और मै सो गया। मेरा कमरा मनीषा दीदी के कमरे से सटा हुआ था, और हम दोनों का वाशरूम एक ही था।

बाथरूम का एक दरवाजा मनीषा दीदी के कमरे की ओर तो दूसरा दरवाजा मेरे कमरे की ओर खुलता था। मै गहरी नींद में सो रहा था, तभी मुझे एहसास हुआ कि कोई मेरे बरमूडा को कोई खोल रहा है । मुझे लगा कि ये कोई सपना है। तभी मेरी आंख खुली तो मेरी मनीषा दीदी मनीषा मेरे बरमूडा को खोलकर मेरे लंड को थामे हुई थी।

मैं उन्हें देखकर हड़बड़ा गया और बेड पर बैठकर एक चादर से अपने लंड को ढक लिया। मनीषा मेरी बहन काले रंग के गाऊन में बला की सुंदर दिख रही थी, वो मुझसे नजर मिलाते हुए उसने मेरे लंड पर से चादर को हटा दी। और मेरी बहन मेरा लंड को पकड़ कर बोली।

मनीषा दीदी – इल्विश मुझे आज रात तेरे साथ मस्ती करनी है, प्लीज़ आज तुम मुझे मत रोको।

मनीषा दीदी के ये कहते ही मैंने मनीषा दीदी के हाथ को अपने लंड पर से हटा कर बोला।

मैं – मनीषा दीदी आप अपने बॉय फ्रेंड के साथ मजे करो, तुम मेरी बड़ी बहन हो.

लेकिन मनीषा तभी बेशर्म लड़की की तरह अपना गाउन उतारने लग गयी। और उसने अपने बदन से अपना गाउन निकाल दिया। उसके अर्ध नग्न जिस्म को देख मेरा मन तड़प उठा। तो मै भी मनीषा दीदी को अपने गोद में बिठाकर चूमने लग गया। मनीषा ने मात्र एक पेंटी पहन रखी थी, और वो मेरे गोद में दोनों टांग दो दिशा में किए और दोनों पैर मेरे कमर से लपेटे बैठी हुई थी।

वो मेरे से लिपटे अपने चूची को मेरे छाती से रगड़ने लगी, तो हम दोनों एक दूसरे को चूमने लग गए थे। मेरा हाथ उसके पीठ को सहला रहा था, तो मनीषा ने भी मेरे पीठ पर अपने हाथ लगाए। मनीषा दीदी अब मेरे होंठों को अपने मुंह में लेकर चूसने लग गयी। मै अब मनीषा दीदी के चिकने जिस्म को सहलाता हुआ, मनीषा की जीभ अपने मुंह में लिया और चूसते हुए उसके मुलायम चूची का एहसास छाती पर पा रहा था।

दोनों की आंखे बंद थी तो सांसे तेज थी, कुछ देर बाद उसने मेरे मुंह से अपनी जीभ बाहर कर ली। फिर मैन मनीषा दीदी को बेड पर लिटा दिया। मनीषा के नग्न खूबसूरत जिस्म पर ओंधकर उसके चूची को थामा और मुंह में लेकर चूसने लग गया। तो वो मेरे बाल को सहलाने लगी, मनीषा दीदी की बूब्स टाईट और छोटी थी। मै उनका स्तन चूसता हुआ दूसरा स्तन दबाने लग गया, वो अपने दोनो जांघ कों आपस में रगड़ते हुए सिसक करते हुए बोली।

मनीषा दीदी – ओह आह इल्विश और तेजी से मेरी चूची चूसो ना आह मेरी बुर इल्विश।

और फिर मैंने उनके दोनों स्तन को चूस चूसकर लाल कर दिये। अब मै मनीषा के नग्न सपाट पेट को चूमता हुआ बूब्स दबाने लग गया, और कमर के पास आकर चुम्बन देता हुआ अपना हाथ उनकी पेंटी के ऊपर लगाया, बुर के उभार को सहला रहा था तो मेरा लंड अब फन फनाने लग गया।

मनीषा की मोटी खूबसूरत जांघ को सहलाता हुआ पेंटी के हुक को खोल दिया और उनकी चूत को नग्न करके देखने लग गया। मनीषा अपने जांघों को सटाकर बुर को छुपा रही थी, तो मै अब उनके जांघ को चूमता हुआ उनके जांघों को अलग करने लग गया। पल भर बाद मनीषा की जांघें अलग थी और मै रसीली चमकती चूत की देख रहा था। दोनों मांसल फांक आपस में सटे हुए थे तो बार का नामोनिशान नहीं था।

मैं – इतनी खूबसूरत आपकी बुर है मनीषा दीदी, जरा चूम तो लू ?

और फिर मैंने मनीषा दीदी के गान्ड के नीचे तकिया लगा कर मैंने अपना चेहरा उसकी बुर पर लगा लिया और फिर मैं मनीषा दीदी की चूत को चूमने लग गया। फिर मैं मनीषा की बुर के फांक को चूमता हुआ उसपर नाक लगाया तो बुर की प्राकृतिक खुस्बु मुझे आ रही थी। तभी मनीषा दीदी बुर पर उंगली लगाकर बुर को फलका दी और मै अपना जीभ उनके बुर में पेलकर बुर कुरेदने लगा। उनके कमर को कसकर थामे बुर को लपालप कुत्ते की भांति चाटने लग गया।

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मनीषा दीदी – आह ओह इल्विश पूरा जीभ बुर में पेलकर चाटो ना प्लीज।

जीवन में पहली बार एक नग्न जिस्म को प्यार कर रहा था, उसकी बुर थोड़ी ढीली थी तो मै कुछ देर बाद फांक को मुंह में लेकर चूसने लग गया। और अब मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था ,कुछ देर बुर को चूसा तो वो मुझसे अलग होकर बाथरूम गई।

मनीषा जैसे ही वाशरूम से वापिस आयी तो वो। मेरे पास आकर मेरे साथ बेड पर लेट गयी, और मेरे ऊपर सवार होकर गाल और ओंठ को चूमने लगी। मै उनके नग्न पीठ को सहलाने लगा तो वो मेरे छाती को चुम्बन दे रही थी। और अब मेरा हाल बेहाल हो रहा था, इसलिये मैं मनीषा दीदी से बोला। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मैं – ओह आह मनीषा मेरे लंड में खुजली हो रही है चूस ना प्लीज।

मनीषा दीदी अपना सर ऊपर करके बोली – सब खुजली ख़तम कर दूंगी चुपचाप लेटा जा बस तू।

और वो मेरे सपाट पेट से लेकर कमर तक को चूमी और फिर मनीषा दीदी ने एक तकिया मेरे गान्ड के नीचे लगा दिया। अब वो मेरे लंड को हाथ में पकड़कर हिलाते हुए मेरे गान्ड के मुहाने को जीभ से चाटने लगी। मेंरा हाल खराब था।

मैं – आह मनीषा दीदी ये क्या कर रही हो मनीषा दीदी मत चाटो मेरी गान्ड को ।

लेकिन वो मेरे गान्ड को कुछ देर तक चाटी और फिर मनीषा दीदी मुझसे बोली – अबे साले अभी तो अपनी बीबी बोल मुझे तू, दिन में मनीषा दीदी रात को बीबी।

फिर मनीषा दीदी वो मेरे जांघ को चूमने लगी, मेरा लंड तो लोहे की रोड की तरह हो चुका था। वो अब लंड के चमड़े को नीचे करके चूमने लगी, मनीषा दीदी की हरकत से साफ था कि वो चुदाई का मजा ले चुकी है। वो लंड के सुपाड़ा को अपने गाल पर रगड़ने लग गयी.

और फिर अपने रसीले ओंठो पर रगड़ते हुए अपने मुंह में मेरा आधा से अधिक लंड ले लिया। और मुंह का झटका देते हुए मुखमैथुन करने लगी, मेरा लंड अब झड़ने के करीब था और मनीषा दीदी पूरे गति से मुखमैथुन कर रही थी तो मेरे मुंह से सिसकियां निकल रही थी।

मैं – आह ओह मनीषा मेरा लन्ड मुंह से निकालो ना वरना मुंह में ही वीर्य झाड़ दूंगा।

लेकिन मनीषा मेरे लंड को चूसती रही और मेरा लंड उसकी मुंह में वीर्यपात करा दिया और वो साली रण्डी मेरे वीर्य को पीकर चेहरा ऊपर करके बोली।

मनीषा दीदी – आज पहली बार लड़की के साथ मजे कर रहे हो ?

मैं – हां लेकिन आपको कैसे पता चला ?

मनीषा दीदी – इतनी जल्दी झड़ गए, मेरे बुर की खुजली कौन मिटाएगा।

मै बेड पर से उठा और फिर मनीषा दीदी को लिटाया, उनके बुर पर मुंह लगाकर बुर से निकले रस को जीभ से चाटने लग गया। उसकी बुर के रस को कुछ देर तक चाटा और फिर दोनों वाशरूम चले गए। इल्विश के साथ उसकी बहन ने जबरदस्ती सेक्स किया था, अलग बात है कि मुझे भी उसके नग्न जिस्म से खेलने में आनंद आया था।

लेकिन सच पूछो तो मैं मनीषा दीदी की गरम जवानी को ठंडा नहीं कर पाया था, बल्कि मेरा लंड ही ठंडा पड़ चुका था। मनीषा दीदी मनीषा २३ साल की मदमस्त जवानी है, जिसके संतरे समान स्तन देख मुंह मै पानी आ जाए। तो उसके गोल गुंबदाकार गान्ड देख लंड फन फना उठे, वो काम की मूरत है।

लेकिन उसके कपड़े हमेशा उसके पूरे तन को ढक्ती है। अगले सुबह मनीषा मुझे देख मुस्कुरा रही थी, तो मै शर्म से नजरें चुरा रहा था। रविवार होने की वजह से हम दोनों घर पर ही थे, और फिर नाश्ता करने के बाद मनीषा मेरे कमरे में आई और मुझे बोली।

मनीषा – क्या हो रहा है इल्विश?

इल्विश – मैं मोबाइल में न्यूज पढ़ रहा हूं, क्यों कुछ काम है क्या ?

मनीषा – काम ही तो है इल्विश, काम कला करने की इच्छा हो रही है।

इल्विश – धीरे बोलो कहीं मम्मी सुन ली ना।

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मनीषा- अरे पागल मम्मी और पापा अपने-अपने काम में व्यस्त है। ये कहते हुए मनीषा मेरे बिस्तर पर बैठ गई, और मेरे हाथ से मोबाइल लेकर पास के टेबल पर रख दिया।

मै मनीषा दीदी के हरकत से अचंभित था, कि आखिर मम्मी पापा के घर में होते हुए वो क्यों मुझे छेड़ रही है। तभी मनीषा मेरे बरमूडा को कमर से नीचे खिंस्का दिया और मेरे नग्न लंड को थामकर चूमने लग गयी। बिस्तर पर लेटा हुआ मनीषा दीदी के होंठो का मजा अपने लंड पर ले रहा था।

तभी मै बेड पर अर्धरूप से बैठ गया और उसके टॉप्स को गले की ओर करके उसके नग्न बूब्स को दबाने लग गया। मनीषा मुझसे नजर मिलाते हुए लंड को अपने मुंह में ले रही थी, और उसको चूसने में मस्त थी। मै भी उसके स्तन को मसलता हुआ मजे ले रहा था, अब वो लंड को मुंह का झटका देने लग गयी।

तो मै उसके सर पर हाथ रखे अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करते हुए लंड से मनीषा के मुंह को चोदने लग गया। जबकि दूसरे हाथ से मैं उसके चूची को मसल रहा था। कुछ देर बाद मनीषा लंड को बाहर निकाली और जीभ उस पर फेरते हुए लंड चाटने लग गयी। मेरा मूसल लंड टाईट हो चुका था और मनीषा अब सीधे बिस्तर पर बैठकर अपने टॉप्स को उतार देती है, तो उसके नग्न बूब्स को मै दबाने लगा।

मनीषा – अबे बुद्ध चूची चूस ना, इसे मसल क्यो रहा है। साला बिल्कुल गवार कहीं का।

और मनीषा बेशर्म लड़की की तरह बेड पर लेट गई, और मै उसके बदन पर ओंध्कर चूची को मुंह में लेने लग गया। और चूची चूसते हुए दूसरे स्तन को मसलने लगा, तो वो मेरे बाल पर हाथ फेरते हुए बोली।

मनीषा – आह ओह अब दूसरी चूची चूस ना।

मै चूची निकाल कर बोला – मनीषा मम्मी पापा देख लिए तो?

मनीषा – वो दोनो दो तीन घंटे के लिए बाज़ार गए है।

और मै ऐसा सुनकर दूसरे स्तन को मुंह में भर कर चूसने लग गया। लेकिन मेरा हाथ मनीषा दीदी के स्कर्ट पर था, जिसको मै नीचे की ओर खींस्का रहा था। अब मनीषा दीदी खुद ही अपने स्कर्ट को पैर से बाहर कर दिया। और मै दूध कुछ देर तक उनकी चुची पीने के बाद मैं मनीषा दीदी के सपाट पेट और कमर तक उन्हें चूमने लग गया।

लेकिन मेरा हाथ उनकी पेंटी को खोलने में लगा हुआ था और पल भर बाद मनीषा मेरे साथ नंगी लेटी हुई थी। मनीषा के कमर को थामे जांघो को चूमने लग गया, तो वो बेड पर तड़प रही थी। और मैं उसके मोटे चिकने जांघों को चूमता हुआ पैर की ओर जा रहा था। मनीषा दीदी के दोनों जांघ को चूमकर अब एक तकिया उनकी गद्देदार गान्ड के नीचे डाला।

मनीषा अपने पैर को अलग करके बुर का दीदार मुझे करा रही थी। उनकी चूत पर हल्के रोंए थे, लालिमा लिए चूत के दरार स्पष्ट थी। और बुर की फांक ब्रेड पकोड़े के तरह फूली हुई थी। अब मैंने उसकी बुर पर अपना मुंह लगा दिया, और बुर चूमता हुआ मैं उसकी बुर को सूंघ रहा था। मनीषा दीदी तभी उंगली की मदद से बुर की फांक को अलग करने लग गयी, और मैं उनकी बुर जीभ से चाटने लग गया। वो मेरे बाल पर हाथ फेरते हुए बोली।

मनीषा – अबे साले कुत्ते बुर को चाट ना आज तेरी मुंह में ही मैं मुतूंगी मेरे कुत्ते।

अब मेरी जीभ कुत्ते की भांति बुर को लपालप चाट रही थी, अब मेरा लंड भी फनफानाने लग गया। तो मैं मनीषा दीदी की बुर की दोनों फांक को मुंह में लेकर चूसने लग गया। मनीषा दोनों पैर को बिस्तर पर रगड़ने लग गयी, और पल भर बाद चिल्लाई।

मनीषा – अरे मादरचोद तेरे मुंह में रस आएगा तो बुर छोड़ दियो, नहीं तो मैं तेरे मुंह में ही पेशाब कर दूंगी।

खैर मेरे मुंह को बुर के रस का स्वाद मिला और मै भी मनीषा के साथ वाशरूम में चल गया, वो टांग छीहारे मूतने लग गयी। तो मै भी पेशाब करने लग गया। फिर हम दोनों बेड पर आ गये। मेरा लंड अभी भी टाईट थाज़ तो मनीषा टांग फालकाकर बेड पर लेट गई और मेरे हाथ में एक दवाई दे दी। जिसे लेते हुए मैं बोला।

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मैं – अब इसका क्या करना है?

मनीषा – मेरी बुर में घुसा दो फिर चोदना ताकि तेरे लंड का रस कहीं मुझे गर्भवती ना कर दे समझा।

मै मनीषा दीदी के बुर को उंगली की मदद से खोला और वो गोली अंदर घुसाने लग गया। बुर के भीतरी द्वार तक दवाई घुसा कर मैंने मनीषा दीदी की चुतर के नीचे तकिया डाल दिया। अब मनीषा दीदी के दोनों जांघ के बीच घुटने के बल बैठ कर लंड का सुपाड़ा बुर में घुसाने लग गया। मैं जीवन में पहली बार चुदाई करने जा रहा था, और वो भी अपनी सगी बड़ी बहन की।

अब मनीषा के बुर ने मेरा १/२ लंड घुस चुका था, और आगे का रास्ता तंग था। तभी मैंने मनीषा के कमर को थामा और जोर का झटका बुर पर दे दिया, मेरा पूरा लंड मनीषा दीदी की चूत में चला गया, मानो किसी गद्देदार मांसाल चूत में मेरा लंड फंस गया हो। और ,तभी मनीषा चिल्ला उठी और मुझ पर चिलाती हई बोली।

मनीषा – उई मां मेरी बुर फ़ाड़ देगा क्या कमीने।

लेकिन मैं तो मनीषा को चोदने में लगा हुआ था, मैं उसके दर्द से अनजान बनकर उसको तेज गति से चोदे जा रहा था। उसको चोदते हुए मैं उसके स्तन को मसल रहा था। मेरा लंड बुर में तेजी से आ जा रहा था और मनीषा दीदी के चेहरे पर पसीने की बूंद थी, तो वो आंखे बंद करके वो चुदाई का आनंद ले रही थी। तभी मैं मनीषा दीदी के जिस्म पर सवार होकर उन्हें तेजी से चोदने लग गया।

तो मनीषा दीदी मुझे कसकर जकड़ रखी थी, उसके बूब्स मेरे छाती से रगड़ रहे थे। और मनीषा मेरे होंठ को चूमते हुए अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करने लगी। मुझे तो मनीषा दीदी की बुर चुदाई में काफी मजा आ रहा था। और वो अपने नितम्ब को ऊपर नीचे करते हुए बोली।

मनीषा – इल्विश और तेज चोदो ना मुझे अपनी रण्डी बनाकर चोदते रहो आह।

मैं अपनी मनीषा दीदी के बदन पर लेटकर गपागप लंड अंदर बाहर कर रहा था, और हम दोनों काम वासना की दुनिया में खो चुके थे। अब भाई बहन का रिश्ता लंड और बुर के मिलन में बदल चुका था, और मनीषा दीदी बेशर्म लड़की की तरह मुझसे चुद रही थी।

कुछ देर बाद उसकी बुर गरम हो गई और फिर दोनों एक ब्रेक में आराम करने लगे। मनीषा फ्रिज से बटर का एक टिकिया लेकर आई और बेड पर कुतिया बन गई। मैं उसकी गान्ड के सामने बैठकर मख्खन को बुर पर रगड़ रहा था, फिर बुर को उंगली से फ़लकाकर बटर को बुर में घुसा दिया।

और फिर से लंड को बुर में पेलने लग गया। अब मैं मनीषा दीदी की बुर में लंड पेलकर तेज चुदाई कर रहा था, तो मनीषा भी अपनी गान्ड को हिलाने लग गयी। मेरा लंड आज देर तक बुर में टिका हुआ था। तभी मनीषा दीदी के चिकने बुर में लंड तेज गति से दौड़ लगा रहा था , जिससे वो सिसकने लगी और बाली। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मनीषा – ओह ऊं आह और तेज चोद अबे कुत्ते बहन को चोद कर रण्डी बना दे और जोर लगा कर चोद मुझे।

लेकिन लंड की क्या औकात, उसको तो बुर ने में झड़ना ही है जबकि लड़की जात का क्या, वो कितने भी लंड से चुद सकती है। मै मनीषा की बुर को चोदता हुआ मस्त था तो मनीषा दीदी चूतड़ आगे पीछे करते हुए चुदाई के मजे को बढ़ा रही थी। पिछले ७-८ मिनट से मनीषा दीदी की बुर को चोदता हुआ उसके बूब्स को दबा रहा था, तो वो सिसकने लगी और बोली।

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मनीषा – अबे चोदु बुर आग की भट्टी हो चुकी है, कब अपना माल झाड़कर बुर को ठंडा करेगा अब तू?

मैं – अबे रण्डी थोडा धैर्य रख, अभी तो बुर चुदाई का प्रारंभ की है मैने साली।

मनीषा गान्ड हिलाते हुए बोली – अब तो तेरे से रोजाना चूदुंगी मैं मेरे राजम

मेरा लंड बुर की आग में जल रहा था मैं बोला – तू और कितनो से चुद चुकी है ?

मनीषा – अबे हारामी चोदने दे दिया, तो तू क्या समझ रहा है मुझे। कितने लड़के मेरी गान्ड के पीछे घूमते है, पर आज तक किसी को हाथ तक लगाने नहीं दिया।

अब मेरा लंड लोहे की सलाख की तरह कड़ा और गरम हो चुका था, और कुछ देर बाद मैं बोला – ले बे रण्डी ,अब मेरे लंड का वीर्य अपनी बुर को पीला।

मनीषा – जरूर मेरे बुर से भी पानी आने वाला है।

और मेरे लंड से वीर्य बुर में गिरने लगा गया और उसकी चूत भी पणिया गई, मै लंड को बुर से निकाला लेकिन मनीषा रण्डी उसको चूसकर वीर्य का स्वाद लेने लग गयी। मैं और मनीषा चुदाई के बाद आराम से अपने कमरे में सो गए, और अगले दिन मनीषा दीदी कालेज चली गई तो मै भी अपने दोस्तो से मिलने चला गया।

लेकिन मेरा ध्यान उनके नग्न जिस्म पर ही होता है। तो मै अपने दोस्तो से मिलने के बाद मैं घर के लिए निकला। और एक वाईन शॉप से मैने बियर खरीदी, फिर अपनी बाईक को एक सुनसान रास्ते पर ले गया और सड़क किनारे खड़ा होकर बियर पीने लग गया। घर वापस आकर मैंने अपने कपड़े बदले और फ्रेश होकर खाना खाया और फिर मैं सो गया।

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