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मैं अनुपम हूँ. श्रृष्टि मेरी छोटी बहन है जो की मुझ से 2 साल छोटी है. श्रृष्टि की उमर 19 साल है और वो बी.कॉम में पढ़ती है. श्रृष्टि का रंग गोरा है, जिस्म भर चुका है, जांघे मांसल, चूतड़ भरे हुए हुए और चुचि मस्त 34 है. उसकी आँखें ब्राउन हैं और बाल भी ब्राउन हैं. Desi Hot Bahanchod XXX
मेरी बहन का कद 5 फीट 4 इंच है और वो दिखने में बहुत सेक्सी लड़की है. मेरी मा शोभा देवी उसके लिए लड़के की तलाश कर रही है लेकिन श्रृष्टि की कुंडली में एक नुक्स है. मेरी प्यारी बहन मंगलीक है, लोग मंगलीक होने की बजह से शादी नहीं करते. मेरी मा शोभा हाउसवाइफ है और उसकी उमर 39 साल की है.
श्रृष्टि बिल्कुल वैसी है जैसी शोभा 19 साल की उमर में थी, यानी एक सेक्सी औरत. मेरी मा पिच्छले 4 साल से विधवा है किओं की मेरे पापा एक सड़क दुर्घटना में मारे गये थे. मैं कभी कभी सोचता हूँ कि इस उमर में मा की शारीरिक ज़रूरतें कैसे पूरी होती होंगी. खैर मैं दिल्ली में ड्राइक्लीनिंग की दुकान करता हूँ और मेरी फॅमिली नॉएडा में रहती है.
एक दिन मा का फ़ोन आया “बेटा मैं तुझ से मिलना चाहती हूँ. क्या आज शाम को घर पर आओगे?”
मैं हां कह दिया और सोचने लगा कि आख़िर बात क्या है? मा क्रीम कलर की साड़ी पहने हुए थी और बहुत सेक्सी लग रही थी.
मेरे पास बैठ कर बोली “बेटा बात तेरी बहन के बारे मे है. बहुत मुश्किल साथ बन गयी है. तेरी बहन जवान हो चुकी है और जवानी में लड़की को अपने पर काबू नहीं रहता. तेरी बहन का गदराया यौवन देख कर लड़के चक्कर मार रहे हैं. श्रृष्टि की चूत में भी जवानी की खुजली हो रही है. एक बार मैने उसको हमारे पड़ोसी डॉक्टर साहिब के रूम में झाँकते हुए पकड़ लिया था जब डॉक्टर साहिब अपनी बीवी की चुदाई कर रहे थे.
एक बार मैने श्रृष्टि की अलमारी में मस्त राम की पुस्तक देखी और कल तो कमाल हो गया जब तेरी बहन हमारे ही नौकर के साथ चूमा चमाटी करती हुई मैने देखी. बेटा नौकर को मैने निकाल दिया है लेकिन उसकी चूत का क्या इलाज किया जाए? ये निगोडी चूत औरत को कितना परेशान करती है मुझ से ज़्यादा कौन जान सकता है? तेरी बहन की जवानी का शोला भड़क रहा है और उसकी चूत एक तगड़ा सा लंड माँग रही है. अगर भाग गयी तो मूह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे”.
मैं कुच्छ सोच कर बोला “तो क्यों ना उसकी शादी कर दें? एक ना एक दिन करनी तो है ही.”
माँ- “बेटा बात इतनी आसान नहीं है. कोई लड़का तो मिले जो मांगलिक हो. वरना रिश्ता नहीं हो सकता. एक बात है अगर मानो तो बोलूं?”
मैं बोला,”बोलो मा अगर मैं कुच्छ कर सकता हूँ तो बोलो”.
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माँ- “बेटा, मेरी बात मानो तो तुम श्रृष्टि से शादी कर लो. तुम उसका पूरा ख़याल रखोगे क्यो कि वो तेरी बहन है. तुझे एक अच्छी सेक्सी पत्नी मिल जाएगी, जो जवान सुन्दर सेक्सी है. तेरी भी शादी की उमर हो चुकी है. घर की बात घर में रह जाएगी. मुझे अपनी बेटी के रूप में बहू मिल जाएगी”.
“लेकिन मा, श्रृष्टि मेरी बहन है!!!! ये शादी कैसे हो सकती है?” लेकिन मेरा लंड कुच्छ और ही कह रहा था. श्रृष्टि जैसी पत्नी किसी भाग वाले को ही मिलेगी. इतना सेक्सी माल है वो. साले हां कर दे साले अनुपम.
माँ- “बेटा दिल्ली में हम को कौन जानता है? लोग यही समझें गे कि श्रृष्टि तेरी पत्नी है और माँ तेरी सास. किसी को क्या पता चलेगा?”
“लेकिन श्रृष्टि क्या मानेगी?” मेरा सवाल था.
माँ बोली, “श्रृष्टि से मैं बात कर लूँगी. चूत को जब लंड मिलता हो तो ना नहीं कहती. रात को मैं तुझे फोन पर बता दूँगी. फिर सनडे को रक्षा बंधन भी है. तुम राखी बँधवाने आ जाना. ये श्रृष्टि की आखरी राखी हो गी जो वो अपने भैया को बाँधेगी. उस के बाद तो वो मेरे बेटे का मंगल सूत्र ही पहनेगी. इस रक्षा बंधन पर मेरी बेटी को मंगलसूत्र का तोहफा दे देना बेटा”.
मेरा दिल धक धक करने लगा. फिर ख्याल आया कि अगर श्रृष्टि ने ना कर दी तो? मा चली गयी लेकिन मेरा मन काम में नहीं लग रहा था. बार बार मेरी आँखों के सामने मेरी बहन की तस्वीर घूम रही थी. मैं उसको कभी तो राखी बाँधते हुए देखता और कभी लाल साड़ी में दुल्हन बने हुए तो कभी नंगी मेरे नीचे लेट कर चुदाई करवाते हुए.
मा के जाने के बाद मेरा लंड एक पल के लिए भी नहीं बैठा. दुकान बंद कर के में मा के फोन का इंतज़ार करने लगा. ठीक 7 बजे फोन बजा. उस वक्त मैं नहा कर बाथरूम से निकला ही था, बिल्कुल नंगा. चेयर पर बैठते हुए मैं बोला “हेलो”.
उधर से मा की आवाज़ आई “बेटा, श्रृष्टि मान गयी है. मेरे अनुपम बेटे को श्रृष्टि पत्नी के रूप में मिलने की बधाई हो. बहुत खुश है तेरी बहन जब से मैने उसको बताया है कि उसके भैया अब उसके सजना बन जाएँगे. तू ऐसा करना कि राखी वाले दिन को चले आना. अपनी बहन को ज़रा अपनी गर्लफ्रेंड बना कर घुमा लाना, कम से कम ऐसी फीलिंग तो ले आना कि वो तेरी गर्लफ्रेंड है”.
मैं हैरान था, खुश था, इश्क के नशे में था. “ज़रा मेरी बात तो करवाना मेरी बहना से”.
मा बोली “वो यहाँ नहीं है. मंदिर गयी है भगवान का शुक्रिया अदा करने क्यों कि उसको इतना अच्छा पति जो मिला है. तुम आ कर मिल ही लेना बेटा”.
बस उस के बाद वक्त काटना मुश्किल हो गया. उस रात तीन बार तो मैने अपनी बहन के नंगे जिस्म की कल्पना कर के मूठ मारी. मुझे मेरी अपनी बहन अब आएशा टाँकिया लगने लगी थी. सारी रात सोए बिना काटी मैने और राखी वाले दिन सुबह सुबह मैं तैयार हो कर मोटर साइकल पर सवार हो कर चल पड़ा अपनी श्रृष्टि बहन से मिलने.
रास्ते में मैने मार्केट से एक सोने का हार, रिंग, मंगलसूत्र खरीदा. फिर मैने अपनी बहन के लिए सिल्क की ब्लॅक कलर की पैंटी और ब्रा खरीदी. फिर मैने उसके लिए चूत शेव करने का समान खरीदा, पर्फ्यूम खरीदा. एक बॉटल रेड वाइन की ली और घर पहुँचा. मा ने डोर खोला तो मैं मा से लिपट गया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
माँ- “बेटा, मुझ से क्यो लिपट रहा है? वो तेरा इंतज़ार कर रही है. श्रृष्टि से लिपट अगर लिपटना ही है तो. कई बार पूच्छ चुकी है तेरे बारे कि तू कब आएगा. तेरे लिए सज कर बैठी है. जा मिल ले उस से बेटा”.
अपने रूम में मेरी बहन ब्लॅक कलर की टाइट जीन्स और लेमन कलर की टाइट टॉप पहने हाथ में राखी वाली थाली लिए खड़ी थी मेरा इंतज़ार करती हुई. श्रृष्टि के सीने का उठान देखते ही मेरे दिल और लंड में हलचल मच गयी. जीन्स इतनी टाइट थी कि उसकी चूत का फूला हुआ हिस्सा सॉफ दिखाई पड़ रहा था. गोल गोल मस्त चूतड़ देख कर में भूल गया कि कम से कम आज वो मेरी बहन है.
श्रृष्टि- “भैया, मेरे प्यारे भैया, आप आ गये?”
मैने अपनी बाहें खोल दी तो वो सीधा मेरे सीने से लग गयी. उसका जिस्म जैसे आग में जल रहा हो. उसके मोटे मोटे उरोज़ मेरे सीने में धँस गये और मैने अपनी बहन को आलिंगन में कस लिया.
श्रृष्टि- “ओह्ह्ह भैया पहले रखी तो बाँध लेने दो. तिलक लगा लेने दो अपने भैया को. चलो हटो ना”.
मैं- “अच्छा बाबा, बांधो रखी अपने भैया को, मेरी प्यारी बहना.”
श्रृष्टि ने मेरी कलाई पकड़ी और फिर रेशम की राखी बाँधी, माथे पर तिलक लगाया और थाली से मिठाई लेने के लिए हाथ बढ़ाया तो मैने उसका हाथ पकड़ लिया,
मैं- “नहीं श्रृष्टि, ये मिठाई नहीं, मुझे अपने होंठों का मीठा रस पिला दो बहना. सच में बहुत सुंदर लग रही हो बहना रानी. मुझे अपने गुलाबी होंठों को चूम लेने दो ज़रा. अब के बाद इन होंठों पर केवल मेरा हक ही होगा”.
लेकिन………”
मैने उसके होंठों के उपर अपने होंठ रख कर उसको बोलने नहीं दिया. मैं ज़ोरदार तरीके से अपनी बहन को किस करने लगा. पहले तो वो हिकचकचाई लेकिन फिर उसकी जवानी ने मेरा साथ देने के लिए मज़बूर कर दिया. मेरे हाथ मेरी बहन के जिस्म के हर हिस्से को टटोल रहे थे.
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मेरी ज़ुबान उसके मुख के अंदर नाच कर रही थी और मेरी बहना मेरे साथ इस लिपट रही थी जैसे कोई बेल किसी पेड़ के साथ लिपट जाती है. पूरे तीन मिनिट तक हमारा चुंबन चलता रहा. “उफफफफफफ फफफफफफ फफफफफ्फ़… भैया आप भी ना…… अभी हमारी शादी नहीं हुई है….. आप अभी से…. भैया ये ठीक नहीं है… कम से कम जब तक हम शादी ना कर लें… लाओ अब राखी का तोहफा कहाँ है मेरा? भैया इस बारी मैं कोई मामूली तोहफा नहीं लेने वाली…..निकालो मेरा गिफ्ट भैया”.
मैने बॅग खोला और सोने का हार अपनी बहन को देते हुए कहा “ये है तेरा तोहफा राखी का और ये रिंग मैं अपनी बहन को पहनाउन्गा उसको पत्नी बनाने से पहले और ये है तेरा रक्षा बंधन का असली गिफ्ट लेकिन इसको मेरी बहन कल अपनी शादी के वक्त पहनेगी. ये है मेरी बहन का मंगलसूत्र.”
मैने मंगल सूत्र वाली डिबिया उसके हाथ में पकड़ा दी. श्रृष्टि का चेहरा शरम से गुलाबी हो उठा.
“भैया आप ये सब मेरे लिए लाए हो? आप कितने अच्छे हो भैया?”
मैं हंस कर बोला “मैं ये सभी गिफ्ट तो लाया हूँ लेकिन मैं इनकी कीमत भी वसूल करने वाला हूँ…. सारी सारी रात सोने ना दूँगा अपनी बहना को सुहागरात पर…. बहुत प्यार करूँगा अपनी बहना से मैं… एक एक जिस्म के हिस्से को चुमूंगा मेरी बहना रानी… तुम नहीं जानती कैसे तड़पा हूँ जब से मा ने बात की है मुझ से तेरे बारे में… अपनी बहन को रानी बना के रखूँगा मैं… और ये देख तेरे लिए क्या लाया हूँ… इसको तुम कल शादी के दिन पहनोगी.”
मैने पैंटी ओर ब्रा वाला पॅक उसको दिखाते हुए कहा “और ये समान है जिस से मेरी बहना सुहागरात की तैयारी करेगी… शेव करेगी अपनी चूत. फिर ये पर्फ्यूम लगाएगी अपनी चूत के उपर. फिर लाल साड़ी पहन कर मेरा इंतज़ार करेगी मेरी बहना रानी!!!”
तभी श्रृष्टि की नज़र मेरी पॅंट के सामने वाले भाग पर गयी जहाँ एक टेंट बन चुका था तो वो इतना ही बोल सकी “ओह भगवान ये क्या… इतना बड़ा… ओह्ह्ह दैया!!!!!” और वो रूम से भाग निकली शरमा कर. मेरा दिल कह रहा था कि काश मेरी शादी अभी हो गयी होती.
दोपहर को मैं मा और श्रृष्टि को ले कर एक बढ़िया से रेस्टोरेंट में लंच के लिए ले गया.
“बेटे अब से श्रृष्टि को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने की प्रॅक्टीस शुरू कर दो. इसका हाथ थाम के रखो, कमर पर बाहें डालो, चिपका के रखो अपने संग. लोगों को लगे कि तुम मियाँ बीवी हो या कम से कम ये तेरी गर्लफ्रेंड है”.
मैं सुन कर बहुत खुश हुआ और अपनी बहन को अपने साथ सटा कर बैठ गया. बात बात पर उसके इर्द गिर्द बाहें डाल देता, उसको सब के सामने किस कर लेता. मेरा लंड बेकाबू हो जाता और मैं तड़प उठता. जब श्रृष्टि बाथरूम गयी तो मैने मा से कहा “अब मुझ से नहीं रहा जाता. जब बहन को मेरी पत्नी बनाना ही है तो फिर मुझे वो सब कुच्छ कर लेने दो जो मैं सुहागरात पर करने वाला हूँ. मा मुझे अपनी बहन को चोद लेने दो ना”.
“बेटा बेहन्चोद बनने की इतनी जल्दी क्या है? आज शाम को मंदिर में तुम दोनो की शादी करवा देती हूँ और रात को मना लेना सुहागरात अपनी सेक्सी बहना रानी से. मैं जानती हूँ तेरे लंड का क्या हाल हो रहा है. उसकी चूत भी गीली हो रही है. तभी तो बार बार बाथरूम जा रही है श्रृष्टि.
मैने तो तुम लोगों के लिए होटेल संगम में हनिमून सूयीट भी बुक करवा लिया है आज रात के लिए. आज अपने सारे अरमान निकाल लेना… अपने दिल के भी और अपने लंड के भी… ऐसी मक्खन जैसी चूत मिली है तुझे बेटा… और वो भी जो उसी चूत से पैदा हुई है जिस में से तुम मेरे बेटे!!!!”
मैं मा की बातें सुन कर कामुक होता चला गया. शाम को मंदिर में मेरी शादी मेरी बहन से हो गयी. लाल साड़ी पहने हुए श्रृष्टि बिल्कुल सेक्स बॉम्ब लग रही थी. पंडितजी के कहने पर मैने उसकी माँग में सिंदूर भर दिया, गले में मंगल सूत्र पहना दिया. मेरी बहन ने पत्नी बन कर मेरे चरण स्पर्श किए.
तो मैने प्यार से उसके कंधों से पकड़ कर उपर उठाते हुए बोला “तेरा स्थान मेरे चरणो में नहीं दिल में है श्रृष्टि. चलो अब मा के चरण स्पर्श कर लें जिसके प्यार ने हमारा मिलन करवाया है.”
जब हम मा के चरण स्पर्श करने लगे तो पंडितजी मंदिर से चले गये.
मा ने हंस कर कहा “बेटा चरण स्पर्श तक तो ठीक है कहीं चरण उठा कर कंधों पर मत रख लेना अपनी मा के. बहनचोद तो तू अभी बन ही जाएगा कहीं मादरचोद भी ना बन जाना किसी दिन”.
मैं और श्रृष्टि दोनो मा से लिपट गये. मंदिर से हम सीधे होटेल गये. सूयीट में दो कमरे थे.
मा बोली “तुम बड़े रूम में सुहागरात मना लेना और मैं छोटे रूम में सो जाउन्गि. अगर किसी चीज़ में मुश्किल आए तो मैं तुम्हारी हेल्प कर दूँगी”.
मैने रेड वाइन की बॉटल निकाली और तीन ग्लास भर दिए और डिन्नर का ऑर्डर रूम में ही दे दिया. हम तीनो ने खूब मज़े ले कर वाइन पी और खाना खाया. खाने के वक्त कभी मैं श्रृष्टि को किस कर लेता तो कभी उसकी चुचि मसल देता. कभी मा मेरी जांघों पर हाथ फेर देती तो कभी मेरी बहन मेरा लंड पकड़ लेती. वाइन का नशा भी चढ़ने लगा था. अब अपनी बहन को चोदने की इच्छा तीव्र हो चुकी थी.
मैं- “मा क्या हम को इजाज़त है कि हम सुहागरात मना लें? मुझ से रहा नहीं जा रहा अब.”
मुझे हैरानी उस वक्त हुई जब मा ने मुझे बाहों में भर के होंठों पे होंठ रह दिए और मेरे लंड को मसल दिया. फिर मा श्रृष्टि की तरफ मूडी.
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“बेटी खूब मज़े देना अपनी भैया को और खूब मज़े लेना खुद भी. बहुत मस्त लंड है तेरे भैया का. आराम से चुदवाना. जल्द बाज़ी मत करना. तुम दोनो अनाड़ी हो अभी. चुदाई एक कला है” और मा ने श्रृष्टि को होंठों पर किस किया और उसकी चुचि मसल डाली”.
माँ लेकिन हम ने पहले कुच्छ किया नहीं है ऐसा… अगर… कुछ ठीक से ना हुआ तो….” श्रृष्टि बोली.
” अगर मुश्किल आए तो मैं हूँ ना!!!” मा ने जवाब दिया और अपने रूम में चली गयी.
मा के जाते ही मैं श्रृष्टि पर टूट पड़ा. हमारी चूमा चाटी में उसके बाल बिखर गये. मैं उसकी चुचि मसल रहा था, होंठ चूम रहा था. मैने श्रृष्टि को अपने उपर खींच लिया और वो मेरे उपर लेट गयी और मुझे किस करने लगी. मेरे हाथ उसके नितंबो पर रेंगने लगे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“श्रृष्टि तुम खुश तो हो अपने भैया से शादी करके? अपने भैया की दुल्हन बन के?”
श्रृष्टि मुझे चूमती हुई बोली “अपने भैया की दुल्हन बनना हर किसी औरत के नसीब में नहीं होता भैया. मैं बहुत खुश किस्मत हूँ जो आपका सिंदूर मेरी माँग में भरा है. और मैं और भी खुश किस्मत होउंगी जब आपका बीज मेरी कोख में होगा और मैं आपके बच्चो की मा बनूँगी.
आप मेरे सरताज हैं भैया. आप मुझे स्त्री सुख प्रदान करें तो इस से बढ़िया और क्या होगा. मेरा जिस्म, मन आत्मा सब आपके हैं मेरा सरताज. अब मेरी जवानी के मज़े लूट लो भैया. मुझे अपनी पत्नी बनने का सुख दो भैया. मुझे चोद कर संपूर्ण औरत बना दो भैया!!!”
मैने अपनी बहन की आग्या का पालन करते हुए उसकी साड़ी उतार फेंकी और फिर पेटिकोट का भी वो ही हाल किया. मेरी पत्नी बनी बहन का गोरा जिस्म कमरे की रोशनी में पैंटी और ब्लाउस में चमक उठा. मेरा लंड अब पॅंट फाड़ के बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था.
मेरी बहन का जिस्म किसी साँचे में ढला हुआ था. गोरी चमड़ी पर चूतड़ के उतार चढ़ाव, चुचिओ के बीच की घाटी, रेशमी जंघें और आँखों में तैरते हुए कामुकता के लाल डोरे मुझे पागल बना रहे थे. ब्लाउस मेरी बहन ने खुद ही उतार दिया. आख़िर वो भी चुदाई की आग में जल रही थी.
“ओह्ह्ह श्रृष्टि कितनी सेक्सी हो तुम!!!!!!!!क्या मस्त चुचि है तेरी… क्या मस्त गान्ड है तेरी… मैं तेरी फूली हुई चूत देखना चाहता हूँ!!” श्रृष्टि ने मुस्कुराते हुए पहले अपनी ब्रा उतारी और फिर पैंटी.
ओह बहनचोद क्या जिस्म है मेरी बहन का!!!! गोल गोल गोरी चुचि. उस पर ब्राउन निपल जो के कड़े हो चुके थे. मेरे हाथ ज़बरदस्ती अपनी बहन की चुचि पर चले गये और मैं चुचि मसल्ने लगा “अहह… मेरे रजाआाआ… क्या कर रहे हो भैयाआआआ…. मेरे जिस्म में आग भड़क उठी है राजा… मेरी चूत जल रही है भयियैयेयाया…. ओह्ह्ह्ह माआआअ मुझे क्या हो रहा है… मेरी चूत में लंड पेलो भैया!!!”
मैने अपनी बहन की गरम चूत को मुट्ठी में ले लिया और ज़ोर से मसल दिया. मैं बहुत मस्ती में झूम उठा जब मैने देखा कि मेरी बहन ने अपनी चूत को ताज़ा ही शेव किया हुआ था. माखन जैसी मुलायम चूत चुदने को बेकरार थी.
“अब मेरा हथियार भी देख लो बहना” मैने अपने कपड़े उतारते हुए कहा.
मेरी शर्ट उतरी तो मेरे सीने के बाल नज़र आए. श्रृष्टि ने काँपते हाथों से मेरे सीने में उंगलियाँ फेरनी शुरू कर डाली. जब मैने पॅंट उतारी तो मेरी बहन की सिसकारी निकल गयी. मेरे निक्कर में मेरा 8 इंच का तूफ़ानी लोड्ा सिर उठाए खड़ा था. मेरी बहन ने निक्कर के उपर से मेरा लंड थाम लिया.
थामती भी क्यों ना. वो उसकी मलिकिन थी. उसने खुद ही मेरा कच्छा नीचे सरका दिया. काले बालों के जॅंगल से नाग देवता उठे और मेरी बहन ने प्यार से उसको पकड़ लिया और गरम लौड़े से खेलने लगी. कभी उसके हाथ मेरे अंडकोष को सहला देते.
“भैया बहुत मस्त है आपका लंड… मोटा, लंबा और कड़क…. खूब जन्नत दिखाए गा अपनी बहन को चोद कर…. लेकिन मुझे डर लगता है… मैने कभी लिया नहीं है लंड अपनी चूत में… भैया आपकी बहन कुँवारी है अभी… आपकी पत्नी चुदि नही है अभी तक… आपके लंड को पकड़ कर मेरी चूत गीली हो रही है और डर भी लग रहा है कि मैं इतना मोटा लंड ले भी सकूँगी या नहीं भैया मुझे प्यार से चोदना… वर्ना मर जाउन्गि भैया”.
मैने जब एक उंगली श्रृष्टि की चूत में घुसा दी तो वो बोल उठी, “भैया उंगली से बहुत चुदि हूँ… अब तो लंड से पेलो मुझे… फाड़ दो मेरी चूत को भैया!!!”
मैने अब श्रृष्टि को अपने उपर चढ़ा कर उसका मुख अपने लंड पर रख दिया और उसकी जांघों को खोल कर उसकी चूत पर ज़ुबान फेरनी शुरू कर डाली. चूत से रस निकलने लगा था. चूत का रस बहुत टेस्टी था, बिल्किल नमकीन. श्रृष्टि मेरे लंड को चूसने लगी और अंडकोष से खेलने लगी.
मेरे हाथों ने उसकी गान्ड को थाम रखा था. अपनी चूत को मेरी ज़ुबान पर रगड़ती हुई वो सिसकारी लेती हुई बोली “ओह अनुपम, मेरे सरताज, चाटो मेरी चूत को. इसने आपके होंठों का बहुत इंतेज़ार किया है, यह चूत आपके प्यार के लिए बहुत तडपि है भैया, इसकी प्यास बुझा दो आज भैया, जी भर के चूसो और चाटो मेरी प्यासी चूत मेरे राजा, आहह, भैया, आपका लंड बोहत प्यारा है.”
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मैं भी गरम था और बोला “मेरी प्यारी बहना ज़ोर ज़ोर से चूसो मेरे लंड को, यह भी बहुत तरसा है तेरे लिए मेरी रानी बहना… हाई बहना, बुझा दो इसकी भी प्यास.” मेरा लंड श्रृष्टि के मुख रस से भीग चुका था और उसकी चूत मेरे मुख रस से चिकनी हो गयी थी. अब असली चुदाई का वक्त आ चुका था,
“श्रृष्टि मेरी रानी अब मैं चुदाई करने वाला हूँ. तुम सीधी हो कर पीठ के बल लेट जाओ और मुझे चुदाई करने दो”
श्रृष्टि ने वैसे ही किया जैसे मैने कहा. उसकी चूत मेरे सामने थी और मैने उसकी जांघों को खोला और उसके उपर चढ़ कर लंड का निशाना चूत पर लगा कर कमर आगे धकेल दी लेकिन मेरा लंड फिसल कर एक तरफ निकल गया.
“उई भैया ध्यान से, आपका लंड बहुत मोटा है ऐसे नहीं जाएगा अंदर. लो मैं अपनी टाँगें और फैला देती हूँ.”
मैने एक बार फिर लंड पेलने की कोशिश की लेकिन लंड ठीक से घुस नहीं पाया. शायद मा हमारा खेल देख रही थी. वो कमरे में दाखिल हुई और बोली “बेटा ऐसे नहीं चुदाई होती. तुम अपनी बीवी के निपल्स को चूसो मैं तेरा लंड अपने हाथ से डालती हूँ चूत के भीतेर. ओह्ह्ह्ह मादर्चोद कितना बड़ा है तेरा लंड. इतना तो तेरे बाप का भी नहीं था. अनुपम बेटा जब मैं कहूँगी तब धक्का मारना”.
मा ने मेरा लंड हाथ में ले लिया और मैं आगे झुक कर श्रृष्टि के निपल को चूसने लगा. मा ने मेरा सुपाडा श्रृष्टि की चूत पर टिका दिया और बोली “शाबाश बेटा अब मारो धक्का” उसने मेरा लंड नहीं छोड़ा और मैने धक्का मारा तो लंड चूत में घुस गया.
“ऊऊऊऊऊऊऊ भैया धीरे से… मर गयी मा… हाई… बहुत दर्द हो रहा है भैया… धीरे से चोदो भैय्आआ!!!!!!!”
मा बोली “बेटा बेचारी की कुँवारी चूत है, आराम से चोदो… बेटी कोई बात नहीं पहली बार दर्द होता ही है. बस आराम से चुदवाती रहो मेरी बेटी, जल्द ही मज़ा आएगा मेरी बेटी को”.
लेकिन मुझ से रहा नहीं जा रहा था और मैने ज़ोर से धक्का मारा तो मेरा लंड चूत में घुसता चला गया. दर्द के मारे श्रृष्टि की आँखों में आँसू निकल गये. मा भी श्रृष्टि की चुचि को सहलाने लगी. मैं धीरे धीरे धक्के मारता रहा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“आआअहह भैया अब ठीक है, चोदते रहो मुझे… मा अब तुम जाओ, मुझे तेरे सामने शरम आती है भैया से चुदवाते हुए… हाई भैया चोद डालो मुझे… हाई मैं मरी भैया चोदो मुझे मेरे राजा!!!!”
मा ने मेरे चूतड़ पर चपत लगाई “ठीक है बेटा, अब तेरी सुहागरात शुरू करवा दी है मैने, खूब मज़े से चोदना अपनी पत्नी को. मैं चलती हूँ अपनी चूत में उंगली करने अपने कमरे में”.
मैं धक्के मारता रहा और अब तो मेरी बहन अपनी गान्ड उछाल कर धक्के का जवाब धक्के से देने लगी थी. “श्रृष्टि मेरी रानी बहुत टाइट है तेरी चूत… बहुत मज़ा दे रही है मुझे तेरी मस्तानी चूत… मेरा लंड निचोड़ रही है साली… ऊऊहह रानी मुझे स्वर्ग दिखा रही है तेरी चूत बहना”.
“हां भैया बहुत मज़ेदार है आपका लंड… पेल डालो पूरा मेरी चूत में… हाई माआआ!!!”
कमरा चुदाई के मधुर संगीत से गूँज रहा था. चुदाई का आनंद ऐसा होता है मैने सपने में भी नहीं सोचा था. श्रृष्टि हुचक हुचक कर चुदवा रही थी और मैं धक्के पे धक्का मार रहा था.
“हां फाड़ दे भाई, डाल दो इसे मेरी चूत मे, इसी का तो इंतेज़ार था सारी उमर. मेरी चूत ही इसकी सही जगह है, आपके लंड की डेस्टिनेशन यही है फाड़ दे भाई, चोदो अपनी रानी को, मैने इस दिन का अपने बचपन से ले कर अब तक बोहत इंतेज़ार किया है. अब मुझ से और इंतेज़ार नही हो रहा. प्लीज़ और ना तड़पाओ अपनी जानू को.”
“मुझे प्यार करो भैया, मुझे चोदो मेरे राजा, डाल दो अपना लंड पूरा मेरी चूत मैं, ज़्यादा देर तक टिक ना पाउन्गि मेरे भैया… मेरी चूत पानी छोड़ रही है आपके लंड पर चोद डालो मुझे… चोद डालो अपनी बहन… अपनी बीवी को चोद डालो राजा!!!!”.
मैं भी जोश में आ कर ज़ोरदार धक्के मारने लगा. मुझे भी लग रहा था कि मैं झरने वाला हूँ.
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“ओह अनुपम भाई, तुम बेहन्चोद बन चुके हो, हाआआं चोदो अपनी बहन को, अपनी बीवी को चोदो, अहह, जितना दिल चाहे मुझे चोदो, तुम मेरे सब कुछ हो, मेरे राजा भैया, मेरा प्यार आपके लिए है. ऐसी चुदाई मेरी ज़िंदगी भर करना, चोद दो मुझे और बना लो मुझे अपने बच्चे की मा, भाई ओह लगता है मैं छूटने वाली हूँ, आपके लंड से पिघल रही है मेरी चूत, ज़ोर से धक्के लगाओ भैया!!!!!!!!!!!!.”
मुझे अपने लंड से रस की धारा निकलती हुई महसूस हुई और मैं पागलों की तरह चोदने लगा. “ओह श्रृष्टि मेरी जान, मेरा रस निकल रहा है….मैं तुझे सारी ज़िंदगी ऐसे ही चोदुन्गा मेरी रानी, तेरी चूत मुझे पागल कर रही है, मैं छूटने लगा हूँ तुम्हारी चूत के अंदर, मेरी रानी!!!” इसके साथ ही मेरा फव्वारा छूट पड़ा.
“मैं भी झरी भैय्आअ….ओह मेरो चूत छूट रही है भाई….ओह्ह्ह्ह मा मैं गयी….मैं गयी भयियैययाया!!!”
श्रृष्टि का जिस्म ऐसे काँप रहा था जैसे उसको तेज़ बुखार हो लेकिन वो तो चुदाई के आनंद में झूम रही थी. लंड छूट गया चूत छूट गयी और मैं निढाल हो कर अपनी बहन बनी पत्नी के उपर लेट गया. इसके बाद मैं माँ और बहन के साथ दिल्ली मे शिफ्ट हो गया अब श्रृष्टि मेरी पत्नी है और मेरे दो बच्चे भी हो गये है जिंदगी मज़े से चल रही है.