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रिप्रोडक्टिव सिस्टम का प्रैक्टिकल किया

अगस्त 28, 2024 by hamari

Cousin Night Romance

मेरा नाम सोनल है. मेरी एज 27 साल की है. गोरा चिटा रंग. 5’ 6” की नॉर्मल हाइट. चेहरा बदन 36 द – 32 – 36 का मेरा फिगर है. लोग और मेरी सहेलिया कहती है के मैं खूबसूरत हू. मेरी शादी को तकरीबन 8 महीने हुए हैं. पति के साथ सुहाग रात और बाकी की सेक्स लाइफ कैसे गुज़र रही है वो तो मैं आप को बताउन्गि ही लैकिन मैं आपको उस से पहले के कुछ और घटनाए सुनाने जा रही हू. Cousin Night Romance

मैं उस समय इंटर के 2न्ड एअर (+2 ) के एग्ज़ॅम दे रही थी. उमर होगी कोई 16 साल के लगभग. मेरे फाइनल एग्ज़ॅम से पहले प्रिपॅरेटरी एग्ज़ॅम होने वाले थे. जन्वरी का महीना था बे इंतेहा सर्दी पड़ रही थी. मैं दो दो रज़ाई (ब्लंकेट टाइप ऑफ कवर विथ कॉटन स्टफ्ड इनसाइड) ओढ़ के पढ़ रही थी.

उन दिनों मेरे एक कज़िन संदीप जिनकी एज होगी कोई 29 – 30 साल की. उन्होने अपने सिटी मे कोई नया नया बिज़्नेस स्टार्ट किया हुआ था तो वो कुछ खरीदारी के लिए यहा आए हुए थे और हमारे घर मे ही ठहरे थे. हमारा घर एक डबल स्टोरी घर है ऊपेर सिर्फ़ एक मेरा रूम और दूसरा स्टोर रूम है जिसमे हमारे घर के स्पेर बेड्स, ब्लॅंकेट्स, बेडशीट्स वाघहैरा रखे रहते हैं.

जब उनकी ज़रूरत होती है तो निकाले जाते है मौसम के हिसाब से. और एक दूसरा रूम जिस्मै मैं अकेली रहती हू और अपनी पढ़ाई किया करती हू. मेरा रूम बहुत बड़ा भी नही और बिल्कुल छोटा भी नही बॅस मीडियम साइज़ का रूम थे जिस्मै मेरा एक बेड पड़ा हुआ था.

वो डबल बेड भी नही और सिंगल बेड भी नही बलके डबल से थोडा छोटा और सिंगल से थोड़ा बड़ा बेड था. इतना बड़ा के कभी कभी मेरी फ्रेंड रात मे मेरे साथ पढ़ने के लिए आती और रात मे रुक जाती तो हम दोनो इतमीनान से सो सकते थे. और रूम मे एक पढ़ाई की टेबल और कुर्सी रखी है.

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एक मेरी कपबोर्ड और एक मीडियम साइज़ का अटॅच्ड बाथरूम है जिस्मै वॉशिंग मशीन भी रखी हुई थी. घर मे नीचे तीन कमरे थे. एक मम्मी और डॅडी का बड़ा सा बेडरूम, दूसरा एक बड़ा हॉल जैसा ड्रॉयिंग रूम जिसके एक कॉर्नर मे डाइनिंग टेबल भी पड़ी हुई थी यह ड्रॉयिंग कम डाइनिंग रूम था और एक स्पेर रूम किसी भी गेस्ट्स वाघहैरा के लिए था जिस्मै संदीप को ठहराया गया था.

हा तो मैं पढ़ाई मे बिज़ी थी. सर्दी जम्म के पड़ रही थी. मैं अपना लहाफ़ ओढ़े बेड पे बैठे पढ़ रही थी. बाइयालजी का सब्जेक्ट था और मैं एक ज़ुवालजी की बुक पढ़ रही थी. इत्तेफ़ाक़ से मैं रिप्रोडक्टिव सिस्टम ही पढ़ रही थी. जिस्मै मेल और फीमेल ऑर्गन्स की डीटेल्स के साथ ट्रॅन्सवर्स सेक्शन की फिगर बनी हुई थी.

रात काफ़ी हो चुकी थी मैं अपने पढ़ाई को फाइनल टचस दे रही थी. कुछ फिगर्स देख के बनाए हुए थे नोट्स के लिए उस मैं ही कोलौरिंग कर रही थी और साथ मे लेबलिंग कर रही थी. रात के शाएद 11 बजे होंगे पर सर्दी होने की वजह से सब जल्दी ही सो गये थे जिस से लगता था के पता न्ही कितनी रात बीत चुकी हो.

घर मे मेरी मम्मी और डॅडी नीचे ही रहते थे और डिन्नर के बाद अपनी दवाइयाँ खा के अपने रूम मे जा के सो चुके थे. अचानक संदीप मेरे कमरे मे अंदर आ गये. मैं देख के हैरान रह गई और पूछा के क्या बात है तो उस ने बताया के नींद नही आ रही थी और तुम्हारे रूम की लाइट्स जलती देखी तो ऐसे ही चला आया के देखु तो सही के तुम सच मे अपनी पढ़ाई कर रही हो (एक आँख बंद कर के) या कुछ और.

मैं ने कहा के देख लो अपने कोर्स का ही पढ़ रही हू मेरे एग्ज़ॅम्स हैं मैं कोई खेल तमाशा नही कर रही हू. उस ने कहा के लाओ देखु तो सही के तुम क्या पढ़ रही हो और मेरे नोट्स और रेकॉर्ड बुक अपने हाथ मे ले के देखने लगा. सर्दी के मारे उसका भी बुरा हाल हो गया तो वो भी मेरे साथ ही लहाफ़ के अंदर घुस आया और मेरे बाज़ू मे बैठ गया.

रेकॉर्ड बुक के स्टार्टिंग मे तो माइक्रोस्कोप की फिगर थी और फिर सेल का डाइयग्रॅम था उसके बाद ऐसे हो छोटे मोटे डाइयग्रॅम्स फिर फाइनली उसने वो पेज खोल लिया जिस्मै मैं ने मेल और फीमेल के रिप्रोडक्टिव सिस्टम का डाइयग्रॅम बनाया हुआ था. मेरी तरफ मुस्कुरा के देखा और बोला के क्या यह भी तुम्हारे कोर्स मे है.

मैं ने कहा हा तो उस ने कहा के अच्छा मुझे भी तो समझाओ के यह सिस्टम कैसे वर्क करता है. मैं शरम से पानी पानी हुई जा रही थी. मैं ने कहा मुझे नही पता तुम खुद भी तो साइन्स के स्टूडेंट थे अपने आप ही पढ़ लो और समझ लो. उस ने फिर से पूछा के तुम्है समझ मे नही आया क्या यह सिस्टम तो मैं ने कहा के नही तो उसने फिर पूछा के मैं समझा दू तो मेरे मूह से अंजाने मे “हूँ” निकल गया.

उसने कहा थे ठीक है मैं समझाता हू और मेरी बुक और मेरी रेकॉर्ड बुक को खोल के पकड़ लिया. हम दोनो बाज़ू बाज़ू मे बैठे थे. मैं घुटने मोड़ के बैठी थी और वो पलटी (क्रॉस लेगेड) मार के बैठा था. अब उसने मुझे समझाना शुरू क्या के यह है फीमेल का रिप्रोडक्टिव ऑर्गन इसे इंग्लीश मैं वेजाइना, पुसी या कंट कहते है और हिन्दी मे योनि या चूत कहते हैं.

मैं शरम के मारे एक दम से लाल हो गई पर कुछ कहा नही. फिर उसने डीटेल बताना शुरू किया के यह है लेबिया मेजॉरा जिसे पुसी के लिप्स कहते है और यह उसके अंदर लेबिया मिनोरा यह डार्क पिंक कलर का या लाल कलर का होता है और यह उसके ऊपेर जो छोटा सा बटन जैसा बना हुआ है.

वो क्लाइटॉरिस या हिन्दी मे घुंडी या चूत का दाना भी कहते हैं और जब इसको धीरे धीरे से रगड़ा जाता है या मसाज किया जाता है तो यह जो चूत का सुराख नज़र आ रहा है इस मे से पानी निकलना शुरू हो जाता है. या फिर अगर लड़की बहुत ही एग्ज़ाइटेड हो जाती है तो ये निकलने वाले जुइसेस से चूत गीली हो जाती है जो के रिप्रोडक्शन के इनिशियल काम को आसान बना देती है.

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इतना सुनना था के मेरी चूत मे से समंदर जितना जूस निकलने लगा और चूत भर गई. अब यह देखो दूसरी फिगर यह मेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन है. इसे इंग्लीश मे पेनिस या कॉक कहते है और हिन्दी मे लंड या लौदा कहते हैं. यह नॉर्मल हालत मे ऐसे ही ढीला पड़ा रहता है जैसे के पहली पिक्चर मे है (दो डाइयग्रॅम्स थे. एक मे नों एरेक्टेड पेनिस था दूसरे मे फुल्ली एरेक्टेड पेनिस था).

और जब यह बहुत एग्ज़ाइटेड हो जाता है तो यह दूसरी फिगर की तरह खड़ा हो जाता है. यह पेनिस के अंदर जो ब्लड वेसल्स है इन्न मे डॉरॅन खून (ब्लड सर्क्युलेशन) बढ़ जाता है और उसकी वजह से मसल्स अकड़ के लंड लंबा मोटा और सख़्त हो जाता है और मेरा हाथ पकड़ के अपने आकड़े हुए लंड पे रख दिया और कहा ऐसे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पर पढ़ रहे है.

अब मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगी थी बदन मे इतनी गर्मी आ गई थी के मुझे लग रहा था मानो मेरा बदन किसी आग मे जल रहा हो. और यह देखो उसने मेरा हाथ लंड के नीचे किया और कहा इसके नीचे जो यह दो बॉल्स दिखाई दे रहे हैं इन्है इंग्लीश मे टेस्टिकल्स या स्क्रोटम और हिन्दी मे अंडे भी कहते हैं.

यह आक्च्युयली स्पर्म प्रोड्यूसिंग फॅक्टरी है जहा स्पर्म बनते हैं. यह स्पर्म जब मेल के ऑर्गन से ट्रान्स्फर हो के फीमेल के ऑर्गन मे जाता है तो बचा पैदा होता है. मेरा मानो बुरा हाल हो गया था कुछ समझ मे नही आ रहा था के क्या कहु और संदीप था के बॅस एक प्रोफेसर की तरह से लेक्चर दिए जा रहा था.

मैं अंजाने मे उसका तना हुआ लंड अपने हाथ मे पकड़े बैठी थी मुझे इतना होश भी नही था के मैं अपना हाथ उसके लंड पे से हटा लू. जब मेल का यह एरेक्ट लंड फीमेल की चूत के अंदर जाता है और चुदाई करते करते जब एग्ज़ाइट्मेंट और मज़ा बढ़ जाता है तो अपना स्पर्म चूत के अंदर यह जो बचे दानी दिख रही है उसके मूह पे छोड़ देता है जिस से स्पर्म बचे दानी के खुले मूह के अंदर चला जाता है और बचा पैदा होता है.

मुझे पता ही नही चला के उसका एक हाथ तो मेरी चूत पे है जिसका वो मसाज कर रहा है और मेरा हाथ उसके लंड को पकड़े हुए था और मैं अंजाने मे उसके मोटे लंड को दबा रही थी. यह पहला मोका था के मैं ने किसी के लंड को अपने हाथो मे पकड़ा हो.

उसने फिर कहा के देखो कैसी गीली हो गई है तुम्हारी चूत ऐसे ही हो जाती है एग्ज़ाइट्मेंट के टाइम पे. तब मुझे एहसास हुआ के यह मैं क्या कर रही हू और एक दम से अपना हाथ उसके लंड पे से खेच लिया लैकिन उसने अपने हाथ मेरी चूत पे से नही हटाया.

मेरी नाइटी मे हाथ डाले हुए ही था और मेरी चूत का मसाज करता ही जा रहा था जिस से मेरी चूत बहुत गीली हो चुकी थी, संदीप हस्ने लगा और बोला के डरती कियों हो मैं तो तुम्है थियरी के साथ प्रॅक्टिकल भी बता रहा था ताके तुम अछी तरह से समझ सको. बस इतना कहा उसने और एलेक्ट्रिसिटी चली गई और बल्ब बुझ गया और कमरे मे अंधेरा छा गया.

मैं तो बे तहाशा गरम और गीली हो चुकी थी साँसें तेज़ी से चल रही थी दिमाग़ और बदन मे सन सनाहट दौड़ रही थी ब्लड सर्क्युलेशन हंड्रेड टाइम्स बढ़ चुका था चेहरा लाल हो गया था गहरी गहरी सांस ले रही थी. उसने मुझे धीरे से पुश किया और मैं बेड पे सीधे लेट गई.

वो मेरी साइड मे था उसका हाथ अभी भी चूत पे था मुझे इतना होश भी नही था के मैं उसका हाथ पकड़ के हटा दूं. बस ऐसे ही चित्त लेटी रही और अंजाने मे मेरी टाँगे भी खुल गई थी और वो मेरी चूत का अछी तरह से मसाज कर रहा था. मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था.

अब उसने फिर मेरा हाथ पकड़ के अपने आकड़े हुए लंड पे रख दिया और मेरे हाथ को अपने हाथो से ऐसे दबाया जैसे मैं उसका लंड दबा रही हू. बहुत मोटा, सख़्त और गरम था उसका लंड. उसन्ने एलास्टिक वाला जॉगिंग पॅंट पहना था जिसको उसने अपने घुटनो तक खिसका दिया था और मेरे हाथ मे अपना लंड थमा दिया था.

और मैं हमेशा की तरह बिना पॅंटी और बिना ब्रस्सिएर के नाइटी पहनी थी मुझे क्या मालूम था के ऐसे होने वाला है. मैं तो रोज़ रात को सोने के टाइम पे अपनी पॅंटी और ब्रस्सिएर निकल के ही सोती थी. उसका हाथ मेरे सर के नीचे था उसने दूसरे हाथ से मुझे अपनी तरफ करवट दिला दी अब हम दोनो एक दूसरे की तरफ मूह करके करवट से लेटे थे.

उसने मुझे किस करना शुरू किया तो मेरा मूह बे-इख्तेयार ऑटोमॅटिकली खुल गया और उसकी ज़बान मेरी मूह के अंदर घुस चुकी थी और मैं उसकी ज़बान को ऐसे एक्षपेरेट की तरह चूस रही थी जैसे मैं फ्रेंच किस्सिंग मैं कोई एक्सपर्ट हू हालाँके यह मेरी ज़िंदगी का पहला टंग सकिंग फ्रेंच किस था. मेरे बदन मे जैसे हल्के हल्के एलेक्ट्रिक शॉक्स जैसे लग रहे थे.

मैं संदीप के राइट साइड पे थी और वो मेरे लेफ्ट साइड पे. अब उस ने अपने पैरो को चलाते हुए अपनी जॉगिंग पॅंट भी निकाल दी और अपनी टी-शर्ट भी वो पूरे का पूरा नंगा हो गया था उसके सीने के बॉल मेरे नाइटी के ऊपेर से ही मेरे बूब्स पे लग रहे थे और मेरे निपल्स खड़े हो गये थे.

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संदीप ने मेरी राइट लेग को उठा के अपने लेफ्ट थाइ पे रख लिया ऐसा करने से मेरी नाइटी थोड़ी सी ऊपेर उठ गई तो उसने मेरे थाइस पे हाथ फेरते फेरते नाइटी को ऊपेर उठाना शुरू किया और मेरे सहयोग से पूरी नाइटी निकाल दी. मैं एक दम से अपने होश ओ हवास खो चुकी थी और ऑटोमॅटिकली वो जैसे कर रहा था करने दे रही थी और पूरा मज़ा ले रही थी.

हम दोनो एक दूसरे की तरफ करवट लिए लेटे थे और मेरी एक टांग उसके थाइ पे थी और अब उसने मेरे बूब्स को मसलना शुरू कर दिया और फिर उन्है मूह मे ले के चूसने लगा. बूब्स को मूह मे लेते ही मेरे बदन मे एलेक्ट्रिक करेंट दौड़ गया तो मैंने उसका लंड छोड़ के उसका सर पकड़ के अपने सीने मे घुसा दिया वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचिओ को चूस रहा था और उसका लंड जोश मे हिल रहा था.

लंड का सूपड़ा मेरी चूत के लिप्स को टच कर रहा था. लंड के सुराख मे से प्री कम भी निकल रहा था. उसने मेरा हाथ अपने सर से हटाया और फिर से अपने लंड पे रख दिया और मैं ऑटोमॅटिकली उसको दबाने लगी और वो मेरी चूत का मसाज करने लगा ऊपेर से नीचे कभी चूत के सुराख मे धीरे से उंगली डाल देता. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पर पढ़ रहे है.

कभी चूत के लिप्स के अंदर ही ऊपेर से नीचे और कभी मेरी क्लाइटॉरिस को मसल देता तो मैं जोश मे पागल हो जाती. मेरी एक टंग उसकी थाइस पे रखे रहने की वजह से मेरी चूत थोड़ी सी खुल गई थी और लंड का सूपड़ा चूत से टच हो रहा था तो मैं ने उसके लंड को पकड़े पकड़े अपनी चूत के अंदर रगड़ना शुरू कर दिया.

मैं मस्ती से पागल हुई जा रही थी. मुझे लग रहा था जैसे मेरे अंदर कोई लावा उबल रहा है जो बाहर आने को बेचैन है. इसी तरह से मैं उसके लंड को अपनी चूत मे रगड़ती रही और लंड मे से निकला हुआ प्री कम और मेरी चूत का बहता हुआ जूस मिल के चूत को और ज़ियादा स्लिपरी बना रहे थे और मेरे मस्ती के मारे बुरा हाल हो चुका था अब मे चाह रही थी के यह लंड मेरी चूत के अंदर घुस जाए और मुझे चोद डाले.

संदीप ने मुझे फिर से चित्त लिटा दिया और मेरी टांगो को खोल के बीच मे आ गया और मेरी बे इंतेहा गीली चूत का किस किया तो मैं ने अपने चूतड़ उठा के उसके मूह मे अपनी चूत को घुसेड़ना शुरू कर्दिआ मेरी आँखें बंद हो गई थी और मज़े का आलम तो बस ना पूछो इतना मज़ा आ रहा था जिसको लिखना मुश्किल है.

उसका मूह मेरे चूत पे लगते ही मेरी टाँगें ऑटोमॅटिकली ऊपेर उठ गई और उसके नेक पे कैंची की तरह लिपट गई और मैं उसके सर को अपनी टांगो से अपनी चूत के अंदर घुसेड रही थी और मुझे ऐसे लग रहा था जैसे मेरे अंदर उबलता हुआ लावा अब बाहर निकलने को बेचैन है.

मेरी आँखें बंद हो गई और उसकी ज़बान मेरी क्लाइटॉरिस को लगते ही मेरे बदन मे सन सनी सी फैल गई और मेरे मूह से एक ज़ोर की सिसकारी निकली आआआआआआअहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स और मेरी चूत मे से गरम गरम लावा निकलने लगा और पता नही कितनी देर तक निकलता रहा जब मेरा दिमाग़ ठिकाने पे आया.

तब देखा के संदीप अभी भी मेरी चूत मे अपनी ज़बान घुसेड के चाट रहा है और पूरी चूत को अपने मूह मे ले के दांतो से काट रहा है और मेरी चूत मे फिर से आग लगने लगी. मैं सोच रही थी के बस अब संदीप मेरी चुदाई कर दे लैकिन उस से बोलने मे शरम भी आ रही थी बॅस इंतेज़ार ही करती रही के कब यह मुझे चोदेगा.

संदीप के हाथ मेरी गंद के नीचे थे और वो मेरी चूतदों को उठा के चूत को चूस रहा था. मैं अपनी चूतदो को उछाल उछाल के अपनी चूत संदीप के मूह से रगड़ रही थी चूत मे फिर से गुदगुदी शुरू हो गई थी चूत बे इंतेहा गीली हो चुकी थी और मस्ती मे मेरी आँखें बंद थी और मैं संदीप का सर पकड़े हुए अपनी चूत मे घुसेड रही थी.

अब शाएद संदीप से भी बर्दाश्त नही हो रहा था तो वो अपनी जगह से उठा और मेरे टाँगों के बीच मे बैठ गया और अपने लौड़े को अपने हाथ से पकड़ केउसके सूपदे को मेरी गीली और गरम जलती हुई चूत के अंदर ऊपेर से नीचे कर रहा था. मेरी टाँगें मूडी हुई थी.

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मुझ से भी अब सहन नही हो रहा था तो मैं ने अपना हाथ बढ़ा के संदीप का लोहे जैसा सख़्त और मोटा तगड़ा लंड अपने हाथो से पकड़ के अपनी ही चूत मे घिसना शुरू कर दिया. उसके लंड मे से निकलता हुआ प्री कम से उसका लंड चूत के अंदर स्लिप हो रहा था और जब उसके लंड का सूपड़ा मेरी चूत के सुराख पे लगता तो मेरे मूह से मज़े की एक सिसकारी निकल जाती.

संदीप अब मेरे ऊपेर बेंड हो गया और मेरे मूह मे अपनी ज़बान को घुसेड के फ्रेंच किस कर रहा था और मैं उसके लंड को अपनी चूत मे घिस्स रही थी. मेरी टाँगें संदीप के बॅक पे लपेटी हुई थी और संदीप का लंड मेरी चूत के लिप्स के बीचे मे सॅंडविच बना हुआ था. उसने अपने लंड को चूत के लिप्स के बीच मे से ऊपेर नीचे करना शुरू कर दिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पर पढ़ रहे है.

चूत बहुत ही स्लिपरी हो गई थी और ऐसे ही ऊपेर नीचे करते करते उसके लंड का मोटा सूपड़ा मेरी छोटी सी चूत के सुराख मे अटक गया और मेरा मूह एग्ज़ाइट्मेंट मे खुला रह गया. उसने अपना लंड थोड़ा सा और पुश किया तो उसके लंड का सूपड़ा पूरा चूत के अंदर घुस गया और मुझे लगा जैसे मेरी अंदर की सांस अंदर और बाहर की सांस बाहर रह गई हो मेरे मूह से हल्की सी चीख ऊऊऊीीईईईईईईईई निकल गई मैंने अपने दाँत ज़ोर से बंद कर लिए.

उसने सूपदे को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया तो मेरी चूत मे एक अजीब सा मज़ा महसूस होने लगा और मैं ने अपने दोनो हाथ बढ़ा कर संदीप को अपने बाँहो मे ज़ोर से जाकड़ लिया. संदीप ने लंड को थोडा और अंदर घुसेड़ा तो मेरी चूत का सुराख जैसे बड़ा होने लगा और मुझे तकलीफ़ होने लगी.

मैं ने कहा संदीप दरद हो रहा है अब और अंदर मत डालो प्लीज़ तो उस ने कहा अरे पगली अभी तो थोडा सा भी अंदर नही गया और कहा के अभी तुमको मज़ा आएगा थोडा वेट करो और फिर मेरे चुचिओ को चूसने लगा तो मेरे बदन मे फिर से सन सनी सी फैलनी शुरू हो गई और मैं उसके बॅक पे अपने हाथ फिराने लगी.

संदीप अपने लंड के सूपदे को मेरी छोटी सी टाइट चूत के अंदर बाहर करने लगा. मेरी चूत मे से जूस निकलने की वजह से उसके लंड का टोपा अब अंदर बाहर स्लिप हो रहा था ऐसे ही करते करते उसने अपने लंड को बाहर निकाला और एक झटका मारा तो उसका लोहे जैसा सख़्त लंड मेरे चूत के अंदर आधा घुस्स गया और मेरे मूह से चीख निकल गैइइ उउउउउउह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्सिईईईईईईईईईईई.

लंड अब आधा अंदर घुस्स चुका था और मेरी चूत के अंदर जलन शुरू हो गई. मैं उस से ज़ोर से लिपट गई सारा बदन अकड़ गया तो संदीप ने धक्के मारना बंद कर दिया और मेरी चुचिओ को चूसने लगा. थोड़ी देर मे ही फिर से मुझे अछा लगने लगा और मेरी ग्रिप संदीप पे थोड़ी ढीली हो गई.

उस ने अपना लंड मेरी चूत के अंदर ऐसे हो छोड़ दिया और चुचिओ को चूसने लगा. मुझे फिर से मज़ा आने लगा उसका आधा घुसा हुआ लंड अछा लगने लगा. जब उसने देखा के मेरी चूत उसके मोटे लंड को अपनी छोटे से सुराख मे अड्जस्ट कर लिया है तो उसने अपना लंड धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया जिस से मुझे बहुत मज़ा आने लगा.

और मेरी चूत मे से जूस कंटिन्यू निकलने लगा जिस से मेरी चूत बहुत ही गीली हो चुकी थी. अब संदीप ने अपने हाथ मेरी बगल से निकाल के मेरे शोल्डर्स को पकड़ लिया और मुझे फ्रेंच किस करने लगा पोज़िशन ऐसी थी के दोनो के बदन के बीच मे मेरे बूब्स चिपक गये थे संदीप मुझ पे झुका हुआ था और उसका लंड मेरी चूत मे आधा घुसा हुआ था.

संदीप ने धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर कर के मेरी चुदाई शुरू की और मैं मज़े से पागल हो ने लगी. मेरी चूत मे उसका मोटा लंड फँसा हुआ था और अंदर बाहर हो रहा था. मुझे फिर से लगने लगा के मेरे चूत के बहुत अंदर कोई लावा जैसा उबल रहा है और बाहर निकलने को बेचैन है उतने मे ही संदीप ने अपने लंड को मेरी चूत से पूरा बाहर निकाल लिया.

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तो मुझे अपनी चूत खाली खाली (एंप्टी) लगने लगी और फिर देखते ही देखते उसने इतनी ज़ोर का झटका मारा और मेरे मूह से ऊऊऊईईईईई मममममाआआआआआआअ ऊऊऊऊफफफफ्फ़ निकाआआलूऊऊऊऊऊऊ ड्ड्डययेएयेयाआयायेयीययाया ऊवुवायीयीयियी माआआआआआआअ.

और मुझे लगा जैसे मेररे बदन को चीरता हुआ कोई मोटा सा लोहे का सख़्त डंडा मेरी चूत के रास्ते मेरी टाँगो के बीच मे घुस्स गया हो और मैं संदीप से ऐसे लिपट गई उसको ज़ोर से पकड़ लिया और एक दम से टोटल ब्लॅक आउट शाएद मैं एक लम्हे के लिए बे होश हो गई कमरे मे तो पहले से ही अंधेरा था.

मुझे कुछ नज़र ही नही आ रहा था और फिर सडेनली ऐसे चूत फाड़ झटके से तो मैं एक दम से बेहोश हो गई मुझे लगा जैसे सारा कमरा मेरे आगे घूम रहा हो मूह खुला का खुला रह गया था और आँखे बाहर निकल आई थी और आँखों मे से पानी निकल रहा था मेरा मूह तकलीफ़ के मारे खुल गया था लगता था बदन मेकई खून ही नही हो दिमाग़ काम नही कर रहा था..

पता नही मैं कितनी देर उसको ज़ोर से चिपकी रही और कितनी देर तक बेहोश रही जब होश आया तो देखा के वो अपने लंड से मेरी फटी चूत को चोद रहा है उसका लंड अंदर बाहर हो रहा है और मेरी चूत मे जलन से जैसे आग लगी हुई हो मेरी मूह से ऊऊऊऊऊऊऊईईईईईइ आआआआआआहह ऊऊऊऊऊननणणन् आआआआऐययईईईईईई और सस्स्स्स सईईईईईई जैसी आवाज़ें निकल रही थी.

लैकिन संदीप था के रुकने का नाम ही नही ले रहा था लगता था जैसे पागल हो गया हो ज़ोर ज़ोर से चुदाई कर रहा था और मेरी फटी चूत मे दरद हो रहा था. मेरा जो लावा निकालने को बेताब था पता नही वो कहा चला गया था और मुझे बे इंतेहा दरद हो रहा था लगता था जैसे कोई छुरी (नाइफ) से मेरी चूत को काट रहा हो चूत के अंदर बे इंतहा जलन और दरद हो रहा था.

संदीप मुझे चोदे ही जा रहा था अंधेरे मे उसे पता भी तो नही चल रहा था के मैं कितनी तकलीफ़ मे हू. मैं उसके बदन से चिपकी हुई थी उसके झटको से मेरे बूब्स आगे पीछे हो रहे थे. थोड़ी ही देर मे जब मेरी चूत उसके मोटे लंड को अपने छोटे से सुराख मे अड्जस्ट कर चुकी तो अब मुझे भी मज़ा आने लगा.

और मेरी ग्रिप उस पे से ढीली पड़ गई और वो अब धना धन चोद रहा था लंड अंदर बाहर हो रहा था मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था ऐसा मज़ा जो कभी सारी ज़िंदगी नही आया था. उसके हाथ अभी भी मेरे शोल्डर्स को पकड़े हुए था और वो अपनी गंद उठा उठा के लंड को पूरा हेड तक बाहर निकालता और ज़ोर के झटके से चूत के अंदर घुसे देता.

उसके चोदने की स्पीड बढ़ गई थी और अब मेरा लावा जो पता नही कब से निकलने को बे ताब था मुझे लगा के अब वो फिर से बाहर आने वाला है और मुझे अपनी चूत के अंदर ही अंदर उसका लंड फूलता हुआ महसूस हुआ उसने बहुत ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू किया और फाइनली लंड को पूरा चूत से बाहर निकाला.

और एक इतनी ज़ोर से झटका मारा के मेरा सारा बदन हिल गया और मेरे बदन मे जैसे बिजली की झटके लगने लगे सारा बदन काँपने लगा मैं ने फिर से संदीप को ज़ोर से अपनी बाँहो मे जाकड़ लिया उसके साथ ही उसके लोहे जैसे सख़्त लंड मे से गरम गरम मलाई के फव्वारे निकलने लगे मेरी चूत को भरने लगा.

और बस उसी टाइम पे मेरा लावा जो चूत के बहुत अंदर उबाल रहा था बाहर निकलने लगा ऐसे जैसे बौंड्रीएस टूड के दरिया का पानी बाहर निकल जाता है. आआआआआआआअहह मुझे लगा जैसे सारी दुनिया मे अंधेरा छा गया हो बदन मे झटके लग रहे थे दिमाग़ मे सन सनाहट हो रही थी और बहुत ही मज़ा आ रहा था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पर पढ़ रहे है.

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संदीप अभी भी धीरे धीरे चुदाई कर रहा था जितनी देर तक उसकी मलाई निकलती रही उसके धक्के चलते रहे और फिर वो सडन्ली मेरे बदन पे गिर गया जिस से मेरे बूब्स हम दोनो के बदन के बीचे मे सॅंडविच बन गये. हम दोनो गहरी गहरी साँसें ले रहे थे मैं उसके बालों मे हाथ फिरा रही थी मेरी ग्रिप टोटली लूस पड़ गई थी टाँगें खुली पड़ी थी मैं चित्त लेटी रही संदीप का लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर ही था पर अब वो धीर धीरे नरम होने लगा था और फिर एक प्लॉप की आवाज़ के साथ उसका लंड मेरी चूत के सुराख से बाहर निकल गया.

और मुझे लगा के उसकी और मेरी मलाई जो चूत के अंदर जमा हो चुकी थी वो बाहर निकल रही है और मेरी गंद के क्रॅक पे से होती हुई नीचे बेडशीट पे गिरने लगी. संदीप थोड़ी देर तक मेरे ऊपेर ऐसे ही पड़ा रहा जब दोनो को होश आया तो उसने मुझे एक फ्रेंच किस किया और बोला के कल रात फिर तुम्है रिप्रोडक्टिव सिस्टम का दूसरा भाग पढ़ाने आउन्गा. मैं ने मुस्कुराते हुए कहा शैतान चलो भागो यहा से तुम ने यह क्या कर डाला अगर कुछ हो गया तो क्या होगा. उसने कहा नही ऐसे नही होगा तुम फिकर ना करो. और वो अपने कपड़े पहेन के नीचे सोने चला गया.

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