Brother Bull Dick Chudai
“अरे वो किरन… देख उस बृजेश को भी उठा दे… सूरज सर पर आ गया है… और ये अभी तक बिस्तर से नही उठा”… Brother Bull Dick Chudai
ये आवाज़ है बृजेश की माँ सीमा की जो अपनी बड़ी बेटी किरन को अपने हीरो बृजेश को उठाने के लिए बोल रही है… 40 की उमर होने के बावजूद भी देखने से उसकी उमर का अंदाज़ा नही लगता… 36″ की बड़ी बड़ी चुचिया और 38″ की विशाल गान्ड… जो भी एक बार देख ले बिना मूठ मारे ना रह पाए… उपर से गोरा रंग… दूसरो की हम क्यो बात करे… उसका बेटा बृजेश खुद ही अपनी माँ की बड़ी गान्ड के नाम पर अपने लंड का पानी गिराता रहता है…
और मंन मे उसे नंगी कर के चोदने के सपने देखता है… वो तो इतना ही नही अपने घर की चचेरी बहनो और सग़ी बहनो को भी चोदने की फिराक मे लगा रहता है… बस मौका नही मिलता उसे… सीमा की चार औलाद हैं… जिनमे 3 बेटियाँ और एक लड़का है… आइए एक नज़र सीमा के परिवार पर डाल लेते हैं… सीमा– एज.. 40.. माँ, किरन– एज.. 25.. बड़ी बहन, सुधा— एज.. 23.. मझली बहन, आरती– एज.. 18.. छोटी बहन, बृजेश– एज.. 20.. हीरो.
ये तो था अपने हीरो के परिवार का लेखा जोखा… बृजेश के पापा की मौत आज से 5 साल पहले कॅन्सर की वजह से हो गयी थी… इनके आमदनी का एक मात्र साधन खेती बाड़ी ही है… वो भी ज़्यादा तो नही है… बस गुज़ारा चल रहा है जिसके चलते अभी तक सभी लड़किया कुवारि बैठी है… अभी बटवारा ना होने के कारण सभी एक ही छत के नीचे रहते हैं…
बृजेश परिवार का एकलौता लड़का होने के कारण सबका लाड़ला था… जिससे वो लाड़ प्यार मे बिगड़ गया… उपर से उसके दोस्त भी चोदु मिले… जिन्होने उसे चूत की ऐसी लत लगाई की फिर बृजेश ने पीछे मूड कर नही देखा सबसे पहले अपने प्यारे दोस्तो की ही माँ बहनो पर हाथ साफ करने लगा… तो चलते हैं कहानी की ओर जहाँ सीमा किरन को बृजेश को उठाने के लिए कहती है…
किरन–माँ तुम कुछ कहती क्यो नही उस सांड़ को… कल मेरी सहेली विमला को ही रास्ते मे पकड़ लिया था… वो तो अच्छा हुआ कि मैं टाइम पर वहाँ पहुच गयी नही तो उसका भी मूह काला कर देता ये सांड़.
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सीमा–क्या करूँ बेटी… एकलौता जो है… सुधर जाएगा.. अभी बच्चा है.
किरन–बच्चा नहीं पूरा सांड़ है… कोई किसी दिन उसका बच्चा लेकर दरवाजे पर आ जाएगी तब मुझे मत बोलना कि बताया नही था… तेरी लाड़ले की करतूते.
सीमा–अभी जाके उठा उसको… फिर खेत भी जाना है मुझे.
किरन–जाती हूँ…
किरन जैसे ही बृजेश को उठाने गयी… जब दो तीन बार आवाज़ लगाने से वो नही उठा तो उसने उसकी चादर पकड़ के खीच दी… यही उससे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी… क्यों कि चादर के अंदर बृजेश अपनी चड्डी उतार के सोया था… और उसका 11″ लंबा और 5″ मोटा लंड एक दम तन तना कर खड़ा था.
किरन की तो हलक मे साँस ही अटक गयी… वो अपने मूह के अंदर थूक निगले जा रही थी… वो यहाँ क्या करने आई थी सब भूल कर बस बृजेश के भयंकर गोरे लंड को आँखे फाड़ कर देखे जा रही थी… किरन 25 साल की अन्चुदी गदराई लौंडिया थी… इतने मस्त लंड को देख कर उसकी चूत ने रोना शुरू कर दिया…
किरन (मन मे)–बाप रे… कितना बड़ा लंड है बृजेश का… अब समझी सब लड़किया क्यो इसके आगे पीछे घूमती हैं… उनकी तो फाड़ के रख देता होगा ये… उनकी क्या अगर मेरी चूत मे भी घुस गया ग़लती से तो पूरी बित्ते भर की फैला देगा एक ही बार मे चोद चोद कर… पूरा भोसड़ा बन जाएगी मेरी चूत… एक बार छु के देखती हू… जब तक ये सांड़ सो रहा है…
किरन डरते डरते काँपते हाथो से बृजेश के लंड को पकड़ लेती है… जब उसे बृजेश के नीद मे होने का पूरा अंदाज़ा हो गया तो फिर लंड की चमड़ी को उपर नीचे करने लगी… किरन पूरी तरह से गरम होकर चुदासी हो चुकी थी… उसकी जिंदगी का ये पहला लंड था जिसे उसने देखा था आज… वो भी अपने सगे छोटे भाई का…
किरन अपना रिश्ता नाता सब भूल कर चूत की गर्मी के वशी भूत हो चुकी थी… लंड की चमड़ी उपर नीचे करते हुए जब उसके हाथ दर्द करने लगे तो उसने डरते हुए लंड का टोपा अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी… किरन को लंड चूसना इतना अच्छा लगा कि वो उसमे ही खो गयी… और आँखे बंद कर के चुस्ती गयी…
उसका ध्यान तब जाके भंग हुआ जब किसी ने उसकी दोनो चुचियो को कस के मसल दिया… अपने दूध इतनी ज़ोर से मीसे जाने के कारण किरन की सिसकारी निकल गयी और उसका लंड चूसना भी बंद हो गया… उसने पलट के देखा तो उसकी हालत खराब होने लगी…
क्यो कि उसके दूध ज़ोर से दबाने वाला और कोई नही बल्कि उसका अपना सगा छोटा भाई बृजेश था… किरन बस बृजेश को घबराई हुई हालत मे देखे जा रही थी… बृजेश भी एक टक अपनी दीदी की आँखो मे झाँक रहा था लेकिन उसने अपनी बड़ी बहन के दूध पर से अपने हाथ नही हटाए… उल्टा एक बार फिर से कस कर उन्हे मसल दिया…
किरन–आआआहह… उउउइ.. माआ… ये क्या कर रहा है… आआआअ… मैं तेरी दीदी हूँ ना… ये पाप है… मत कर.. आआआअ… ज़ोर से मत मसल दर्द होता है… छोड़ मुझे… सांड़ कही का.
बृजेश–अच्छा अभी जब तुम मेरा लंड चूस रही थी तब ये ज्ञान कहाँ गया था… खूब मज़ा लिया है तूने अपने भाई के लंड का… अब भाई भी तो थोड़ा मज़ा लूट ले अपनी बहन का…
किरन–मैं माँ से बता दूँगी… आआअहह… दर्द होता है… समझ नही आता क्या तुझे… एक बार मे…
बृजेश–माँ से बोलने से पहले ये तो देख लूँ मेरी जवान फुल चोदने लायक दीदी…
किरन–ये कैसी गंदी बाते मुझे बोल रहा है… शरम नही आती तुझे… अपनी दीदी को गंदी बात बोलता है… और क्या है ये…
बृजेश ने अपना मोबाइल खोल कर किरन को दिखा दिया… जिसे देख कर किरन की रही सही हालत भी खराब हो गयी…
असल मे बृजेश की नीद तो तभी खुल गयी थी जब किरन उसके कमरे मे आई थी… मगर फिर भी वो सोने का बहाना किए पड़ा रहा क्यो कि नीचे उसने कुछ नही पहना था… लेकिन जब किरन ने उसका लंड चूसना चालू कर दिया तो उसे अपनी दीदी को चोदने का एक सुनहरा मौका मिल गया… ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
बृजेश तो वैसे भी किरन को कयि बार बाथरूम मे छुप छुप कर मूतते हुए देख चुका था… कयि बार अपनी सग़ी बहन की नंगी बुर को देखते हुए अपने लंड का पानी मूठ मार कर गिरा चुका था… बृजेश हमेशा किरन को चोदने के प्लान बनाता रहता लेकिन कभी सफलता नही मिली…
और आज जब ये मौका मिला तो वो कैसे अपने हाथो से जाने देता… उसने तुरंत अपने तकिया के नीचे रखा मोबाइल उठाया और धीरे से किरन की अपना लंड चूस्ते हुए वीडियो रेकॉर्ड कर ली… किरन बेचारी अब फस चुकी थी… वो बृजेश के आगे गिड गिडाने लगी…
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किरन–देख इसे डेलीट कर दे… तू तो मेरा प्यारा भाई है ना…
बृजेश–नही मैं तो अब माँ को दिखाउन्गा ये… उनको भी तो पता चले कि उनकी बेटी कितनी चुदासी है.
किरन (रुआंसी होकर)–ऐसा करने से तुझे क्या मिलेगा… अपनी ही बहन को बदनाम करेगा तू…
बृजेश–और जो तुम मुझे दिन भर हर जगह बदनाम करती हो तब…
किरन–देख तेरी कसम अब से कुछ नही बोलूँगी किसी से तेरे बारे मे… अब तो डेलीट कर दे.
बृजेश–वैसे एक शर्त पर डेलीट कर सकता हूँ…
किरन–कैसी शर्त.. मुझे सब मंजूर है… जल्दी डेलीट कर दे अब…
बृजेश–मुझे चूतिया समझा है क्या…?.. पहले मेरी शर्त पूरी होगी तभी डेलीट करूँगा.
किरन–ठीक है… शर्त बोल… क्या चाहिए तुझे… कितने पैसे चाहिए बोल.
बृजेश–पैसे का क्या करूँगा मैं…
किरन–तो और क्या चाहिए…?
बृजेश–तुम्हे पूरी नंगी कर के अपनी प्यारी दीदी की बुर चोदना है…
किरन (चिल्लाते हुए)–कय्य्ाआआ…चटाक़.
बृजेश (गुस्से मे)–तुमने मुझे थप्पड़ मारा… अभी माँ को जाके सब बताता हूँ…
बृजेश पॅंट पहन कर और हाथ मे मोबाइल ले के बाहर जाने लगा ये देख किरन डर के मारे पिछे से बृजेश से लिपट गयी और रोने लगी…
किरन–देख मैं तेरे पैर पकड़ती हूँ… माँ को कुछ मत बता…
बृजेश–अब तो बिल्कुल नही…
किरन–अगर मैं तेरी बात मान लूँ तो…
ये शब्द कानो मे पड़ते ही बृजेश के कदम जहाँ के तहाँ रुक गये…
बृजेश–क्या कहा…
किरन (धीरे से)–अगर मैं तेरी बात मान लूँ तब तो डेलीट कर देगा ना.
बृजेश–ऐसे नही…
किरन–तो फिर…
बृजेश–पहले बोल कि… मैं तुम्हे अपनी बुर चोदने को दूँगी.
किरन–मैं ऐसा कुछ नही बोलूँगी.
बृजेश–तो फिर ठीक है… मैं ये चला माँ के पास.
किरन (जल्दी से)–मैं तुम्हे अपनी बुर चोदने दूँगी… ले अब तो बोल दिया ना.. प्लीज़ माँ को मत दिखा अब.
बृजेश–मेरे कुछ सवालो के जवाब दो…
किरन–कैसे सवाल… ?
बृजेश–मुझे गंदी गंदी बाते बहुत पसंद हैं… तो जवाब भी वैसा ही होना चाहिए समझी कि नही…
किरन–ठीक है.
बृजेश–पहला सवाल… आप कितने साल की थी जब आपके सीने मे चुचि निकलना शुरू हुई…
किरन–मुझे याद नही…
बृजेश–हुउऊ… और दबा दबा कर मसल्ने लायक कब हुई चुचिया तुम्हारी.
किरन–18 साल में.
बृजेश–पूरा बोलो…
किरन–जब मैं 18 साल की हुई तब तक मेरी चुचिया खूब दबाने और मसल्ने लायक हो गयी थी.
बृजेश–अब अपनी बुर के बारे मे बताओ मुझे…
किरन–क्या…
बृजेश–यही कि वो कहाँ है… कैसी है… चिकनी है या उस पर झाँते हैं…
किरन–मेरी दोनो जाँघो के बीच मे मेरी बुर है… खूब फूली हुई है… और झान्टे भी बहुत हैं मेरी बुर में.
बृजेश–और बताओ…
किरन–मेरी बुर मे दो छेद हैं… एक छेद मेरे मूतने के लिए है… और दूसरा छेद मेरी बुर को चोदने के लिए.
बृजेश–दीदी तुम्हारी बुर् चोदने लायक है कि नही…?
किरन–मेरी बुर खूब हचक हचक कर चोदने लायक है.
बृजेश–कितने लोगो ने चोदा है अब तक तेरी बुर् का छेद..?
किरन–तेरी कसम… आज तक किसी ने भी नही… मैं बिल्कुल कुआरी हूँ… चाहे तो तू खुद मुझे चोद कर देख ले…
बृजेश–मेरा लंड कैसा लगा…
किरन–बहुत सुंदर… लेकिन बहुत बड़ा है और मोटा भी बहुत है.
बृजेश–अब बताओ दीदी कि मैं अपने आधे लंड से तुम्हारी बुर् चोदु की पूरा लंड घुसेड कर.
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किरन–मेरी बुर के चोदने वाले छेद मे अपना पूरा लंड घुसेड कर अच्छि तरह से चोद लो भाई.. अपनी दीदी की बुर.
बृजेश–तो फिर आ जाओ.
किरन–पहले माँ को खेत चली जाने दो… तब तक तुम भी नाश्ता कर लो.
बृजेश–रुक थोड़ा तेरे दूध मसल लूँ…
किरन–बाद मे अभी माँ आ जाएगी… माँ के जाने के बाद मुझे पूरी नंगी कर लेना और जितना मंन करे उतना चोद लेना मेरी बुर… मसल लेना जितना मन करे मेरे दूध… अब नीचे चल…
फिर बृजेश खुशी खुशी नीचे आ गया… उसकी माँ ने उसको नाश्ता कराया और फिर वो खेतो की तरफ चली गयी… माँ के जाते ही बृजेश ने अपनी सग़ी बड़ी बहन किरन को गोदी मे उठा कर अपने बिस्तर मे लाकर पटक दिया… आगे की कहानी बृजेश की जुबानी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं किरन दीदी को लेकर कमरे मे आ गया….बाकी दोनो बहने स्कूल जा चुकी थी….हमारा कंबाइंड परिवार था….लेकिन कमरे अलग अलग थे…. दीदी बिस्तर पर बैठ गयी…मैं भी उनके पास आ गया….
किरन—देख बृजेश ज़्यादा समय नही है… जल्दी से चोद ले… लेकिन मुझे पहले ठीक से तेरा लंड देखना और चूसना है…
मैने जल्दी से अपने कपड़े उतार नंगा हो गया… मेरा लंड चोदने का नाम सुनकर ही पूरे जोश मे आकर तन तना गया था… किरन दीदी बड़े गौर से मेरे लंड को देख रही थी…
मैं—अब देखती ही रहोगी… मुझे भी तो कुछ दिखाओ… अपना माल..
किरन—मुझे शरम आती है… तू खुद अपने हाथ से मेरे कपड़े उतार के मुझे पूरी नंगी कर ले.
मैने दीदी को खड़ा खड़ा किया और सब से पहले उनका कुर्ता उपर कर के निकालने लगा…उन्होने अपने हाथ उपर कर कुर्ता उतारने मे मेरा साथ दिया… कुर्ता निकलते ही ब्रा मे क़ैद उनकी बड़ी बड़ी चुचिया मेरे सामने आ गयी….जो उस ब्रा मे समा नही रही थी मैने ब्रा के उपर से ही उन पर हाथ रख के फेरने लगा….
किरन—ब्रा भी उतार दे… और अच्छे से देख ले अपनी दीदी की चुचि… जिनको देखने के लिए तू मरा जा रहा था…
मैं—तुम्हे कैसे मालूम… ?
किरन—मैं सब जानती हूँ… जब मैं झाड़ू लगाती हूँ… तब कैसे आँखे फाड़ कर रोज इनको देखता है जैसे पूरा निचोड़ लेगा…
मैं—मैं तो सच मे आपकी चुचि कब से निचोड़ना चाहता था… आपको पूरी नंगी देखने को तड़प रहा था…
किरन—तो ब्रा उतार के निचोड़ ले आज मेरी चुचियो को…बृजेश… एक बात सच बताएगा.
मैं—क्या…
किरन—यही कि तू मुझे रोज नंगी देखता था ना… जब मैं नहाती हूँ…
मैं—हाँ… दीदी.
किरन—मैं तुझे नंगी अच्छी लगती हूँ…
मैं—मत पूछ दीदी… तुम्हारा नंगा जिस्म मुझे कितना पसंद है…
किरन—सच मे—
मैं—हाँ….
किरन—तो फिर कर ना जल्दी से मुझे नंगी… मैं भी तो जान बुझ कर नंगी नहाती हूँ… जब तू मुझे झाँकता है नहाते हुए….बता नही सकती मुझे कितना मज़ा आता है… तेरे सामने नंगी होने में.
मैं—तुम्हे सब मालूम था…
किरन—हाँ… मेरे भाई… मैं तो चाहती हूँ कि तू मुझे रोज अपने हाथो से कयि बार नंगी करे… मैं बार बार कपने पहनु और तू जब भी थोड़ा सा भी मौका मिले तो मुझे पकड़ के नंगी कर दे…
मैं—सच कह रही हो दीदी…
किरन—हाँ… मेरे भाई… मेरा बहुत मन करता है तेरे हाथो से नंगी होने का… बोल अब से तू मुझे करेगा ना रोज नंगी… रोज मुझे कम से कम 10-15 बार नंगी करेगा ना…
मैं—हाँ… दीदी… मैं तुम्हे… दिन भर नंगी करूँगा… और फिर अपना लंड हर बार तुम्हारी बुर् को चोदने वाले छेद मे घुसेड दूँगा… मुझे घुसेड़ने दोगि ना दीदी… अपनी बुर मे…
किरन—हाँ.. बृजेश… रोज घुसेड़ना अपना लंड… खूब चोदना मेरी बुर… मैं तो कब से तुझे अपनी बुर देना चाहती थी…
मैं—अब से रोज पेलुँगा तेरी बुर दीदी…
किरन—हाँ भाई… रोज खूब पेलना अपना लंड… अपनी दीदी की बुर मे घुसेड घुसेड कर… बार बार घुसेड़ना… थोड़ा सा भी मौका मिलने पर घुसेड देना अपना लंड मेरी बुर मे… बोल रोज हर दो दो घंटे मे लंड घुसाएगा ना अपनी दीदी की बुर के छेद मे…
मैं—हाँ.. दीदी… रोज पेल पेल के तेरी बुर को भोसड़ा बना दूँगा.
किरन—तो जल्दी से मुझे पूरी नंगी कर ना… और चोद डाल मेरी बुर
मैने दीदी के बचे कुचे कपड़े भी निकाल दिए… वो अब मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी… उनके बड़े बड़े दूध कयामत ढा रहे थे… मैने दोनो दूध अपनी मुट्ठी मे दबोच लिए और उन्हे बेरहमी से मसल्ने लगा…
किरन—आआहह… हाअ… ऐसे ही खूब ज़ोर ज़ोर से मीस मेरे दूध… मेरी हमेशा से ख्वाहिश थी कि तू मुझे खूब बेरहमी से चोदे… खूब ज़ोर ज़ोर से मेरे दूध दबाए… आआआ… आआ… मसल और दबा … भाई… अपनी दीदी के दूध…
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मैं—दीदी… बहुत मस्त दूध है तेरे…
किरन—तेरे दबाने के लिए हैं भाई… तेरी दीदी के ये बड़े दूध… रोज दबाएगा ना मेरे दूध भाई.
मैं—हाँ… दीदी… पूरा दिन दबाउन्गा…
किरन—आआआअहह…दर्द… हो… रहा… है… आआआहहा.
मैं—ठीक थोड़ा धीरे धीरे दबाता हूँ अब…
किरन—नही… आआआ… मेरे भाई… मुझे दर्द मे ही मज़ा आता है… मुझे ऐसे ही पूरी बेरहमी से मसल डाल… खूब बेदर्दी से मेरी बुर को फाड़ना आज… और ज़ोर… से… दबा… भाई… हाँ… ऐसे ही.. उूउउइई माआ… मर… गयी… आआअहह.
मैं पूरे आधा घंटे तक दीदी की चुचियो को बेरहमी से मसलता रहा… पूरी लाल हो गयी थी.. दीदी… की गोरी गोरी चुचिया… वो चिल्लाती रही… मैं मसलता रहा…
किरन—आआअहह… भाई… कोई आ… जाएगा… जल्दी से अब… मेरी बुर का भी उद्घाटन कर दे… देख तेरे लंड से फटने के लिए तड़प रही है…
मैं दोनो दूध मीस्ते हुए अपना चेहरा नीचे लाया… दीदी की दोनो जाँघो के बीच… जहा मेरी सग़ी बड़ी बहन की बुर थी… मैं देखता ही रह गया… दीदी की बुर को… वैसे तो मैने किरन दीदी की बुर काई बार देख चुका था.. लेकिन इतने पास से देखने का ये पहला मौका था… पूरी बुर घनी घनी झान्टो से ढाकी हुयी थी… ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं—दीदी… अपने छोटे भाई को… अपनी बुर दिखाओ ना…
किरन—तेरे सामने ही तो है… देख ना…
मैं—तुम अपने हाथो से फैला के दिखाओ….
किरन—ठीक है… ये.. ले मेरे भाई…देख ले अच्छे से अपनी दीदी की बुर को….
दीदी ने अपने दोनो हाथो से अपनी बुर की दोनो फांको को फैला फैला कर बुर दिखाने लगी… बुर की दोनो फांके आपस मे चिपकी हुई थी… बुर के अंदर लाल लाल दिखाई दे रहा था… पूरी गीली हो चुकी थी.
मैं—ये इतनी गीली क्यो है दीदी..
किरन—क्यो कि तेरी दीदी की बुर बहुत चुदासी है मेरे भाई… इसीलिए गीली हो गयी है.
मैं—इसमे तो दो दो छेद हैं… चोदने वाला कौन सा है…
किरन (बुर को और फैलाते हुए)—ये देख….ये उपर यहाँ पर ये छेद जो है ना… वो तेरी दीदी के मूतने का छेद है……अब उसके नीचे देख… नीचे वाला छेद ….हाँ.. यही….ये छेद तेरी दीदी की बुर को चोदने के लिए है…. अब समझ गया ना भाई.
मैं—हाँ दीदी… समझ गया…. बहुत प्यारी बुर है मेरी बहन की… मैं इस छेद को अपने लंड से चोद चोद कर और बड़ा कर दूँगा…
किरन—कर देना भाई…. जितना बड़ा करना हो उतना बड़ा कर दे अपनी बहन की बुर के चोदने वाले छेद को…. अब जल्दी से मुझे चोद डाल मेरे भाई… इसके पहले की कोई आ जाए….
मैं—ठीक है दीदी.
मैने अपने लंड को दीदी की बुर के मुहाने पर टिका दिया…
मैं—तेल लगा लूँ क्या थोड़ा…
किरन—नही रे… तेल लगाने से आसानी से घुसेगा… ज़्यादा दर्द नही होगा बुर फटने का… मुझे खूब दर्द चाहिए… तू ऐसे ही सूखा सूखा घुसेड दे… और पूरी बुर को अच्छे से फाड़ डाल की तेरी बहन की बुर चिथड़ा हो जाए…
मैने एक ज़ोर का झटका दिया लेकिन लंड फिसल कर नीचे चला गया… दो तीन बार डालने पर भी नही घुसा बहुत टाइट चूत थी दीदी की…
किरन—रुक ऐसे नही घुसेगा… वैसे भी तेरा गधे का लंड है… आदमी का थोड़े ही है जो इतना जल्दी घुस जाएगा… मैं बुर की फांके फैलाती हूँ… तू पूरी ताक़त से धक्का लगा के घुसेड दे…
मैं—ठीक है…
दीदी ने अपनी बुर की फांको को दोनो हाथो से खूब फैला दिया… मैने एक बार फिर से बुर के छेद पर लंड टीकाया और पूरी ताक़त से धक्का मार दिया… लंड बुर को चीरता हुआ तीन इंच अंदर घुस गया… दीदी की चीख निकल गयी अच्छा हुआ कोई घर मे नही था… नही तो सब को पता चल जाता… उसकी आँखो से आँसू बहने लगे… और आँखो के आगे अंधेरा छा गया… मुझे उसकी इस हालत पर तरस आ गया… आख़िर मेरी बहन थी वो…
मैं—लंड निकाल लूँ बाहर… दीदी.
किरन—नही… बिल्कुल नही… तू अंदर घुसेड़ता जा और बुर फाड़ता जा बस… तुझे मेरी कसम है जो तूने बुर को फाडे बिना लंड बाहर निकाला तो…मैं कितना भी दर्द से ताडपू तू बुर फाड़ने से मत रुकना… बस फाड़ता जा… फाड़ता जा… मेरे भाई… और घुसेड…
मैने भी अब रहम की ओर सोचना छोड़ कर लगातार दो तीन तगड़े धक्के जड़ दिए बुर मे… दीदी की बुर ने खून की उल्टी कर दी… पूरा लंड बुर को ककड़ी की तरह फाड़ते हुए उनकी बच्चेदानी से जा टकराया.
किरन (ज़ोर से)—आआआआआअहह… माआआ… मर… गयी…आआआआआअ…. आआआआआआआअ.
और वो चिल्लाते हुए बेहोश हो गयी… मैने जल्दी से पास मे रखे जग से उनके चेहरे पर पानी डाला जिससे वो होश मे आकर रोने लगी…
किरन (रोते हुए)—मेरी बुर फट गयी.. भाई…बहुत दर्द हो रहा है… एयाया.
मुझे तो दीदी ने कसम दे दी थी तो मैने अब धीरे धीरे चोदना चालू कर दिया… साथ मे उनकी चुचि भी पीने लगा… एक हाथ से चुचि मसलता भी जा रहा था… दोहरे हमले से वो जल्दी ही फिर से गरम हो गयी और अपनी गान्ड उपर उठाने लगी… मैं समझ गया कि दीदी अब फुल चुदासी हो गयी हैं… मैने दोनो चुचियो के निपल मरोड़ते हुए अपने धक्को की स्पीड बढ़ा दी बुर मे… और दे डेनया दन अपनी दीदी की बुर पेलने लगा…
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किरन—आआहह… आअहह….. हाँ… भाई….ऐसे…ही…. और…ज़ोर…से… पेल मेरी बुर को… मेरी चुचि भी खूब ज़ोर ज़ोर से मीस्ता जा भाई… मेरे दूध मे काट दे… मेरे निपल भी अपने दांतो से काट भाई.. हाँ…ऐसे ही भाई…
मैं—बहुत मस्त बुर है दीदी…तुम्हारी… अब तो…रोज पेलुँगा… पेलने दोगि ना रोज दीदी अपनी बुर…
किरन—आआअहह….आआहह….. हाँ…भाई… रोज मुझे…ऐसे ही पूरी नंगी कर के पेलना… मैं तुझसे अपनी सभी सहेलियो की बुर चुदवाउन्गी…
मैं—सच मे दीदी…
किरन—हाँ मेरे भाई… तू सब को चोदना… सब की बुर ऐसे ही फाड़ना…
मैं—आहह दीदी… बहुत मज़ा है तेरी बुर मे…
किरन—आअहह…और चोद भाई… अपनी बहन को और चोद…. ये बुर अब तेरी है.. भाई… जब मन करे चोद लेना मेरी बुर….
लगभग ऐसे ही एक घंटे तक हम दोनो की पलंग तोड़ चुदाई चलती रही… इस दौरान किरन दीदी चार बार झड चुकी थी… मेरा भी अब होने वाला था…
मैं—दीदी मेरा अब होने वाला है… निकालु बाहर.
किरन—नही अंदर ही गिरा दे अपना बीज… कर दे मुझे ग्याभिन… मैं संभाल लूँगी सब…
मैं अब खूब धक्कम पेल दीदी की बुर को चोदने लगा… दीदी पूरी मस्त हो गयी थी पहली चुदाई मे ही.
किरन—आआहहाअ… मज़ा आ गया भाई… तू मुझे ऐसे ही रोज 5-6 बार चोद डाला कर…
मैं—ज़रूर दीदी…
किरन—मुझे खूब गंदा गंदा बोला कर दिन भर… मुझसे खूब गंदी गंदी बाते किया कर बुर चोदने की…
मैं—आपको गंदी बाते पसंद हैं…
किरन—बहुत… तेरे मूह से गंदी गंदी बाते सुनना मुझे बहुत अच्छा लगता है भाई…
मैं—और क्या पसंद है आपको…
किरन—मुझे दीदी मत बोला कर…
मैं—तो क्या बोलू आपको…
किरन—मुझे ना… तू… बुर या फिर बुर चोदि कह के बुलाया कर.
मैं—मुझे आपकी गान्ड भी बहुत पसंद है दीदी.
किरन—कल मार लेना अपनी दीदी की गान्ड भी भाई और मुझे रोज सुबह शाम भैंस के जैसे मेरा दूध निकाला कर… जैसे भैंस का निकालते हैं वैसे ही…
मैं—ठीक है मेरी बुर चोदि बहन… ये ले…
किरन—आआहहाअ… गिरा दे… अंदर.. ही भाई…कर दे गाभिन… अपनी बुर चोदि बहन को.
मैं—मैं आया… ये ले… बुर्चोदि…
और फिर मेरे लंड ने किरन दीदी की बुर को अपने पानी से भरना चालू कर दिया… एक के बाद एक ना जाने कितनी लंबी पिचकारिया छूटने लगी दीदी की बुर मे… पूरी लबालब भर गयी उनकी बुर… झड़ने के बाद मैं किरन दीदी के उपर ही लेट गया…
प्रातिक्रिया दे