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बाप ने बेटी को चोद कर जवान किया

सितम्बर 22, 2021 by hamari

Ghar Ke Najayaj Sambandh

मेरा नाम डिंपल है। मैं बिलकुल कच्ची कली थी। एक बार भी चुदी नही थी पर मेरे साथ एक घटना हो गयी। मेरे सगे बाबूजी ने मुझे चोद लिया। ये स्टोरी 2 साल पहले शुरू होती है। मेरे बाबू जी मेरी चाची को रखेल बनाये हुए थे। रोज रात में उनकी चूत को अपने 10” मोटे लंड से चोदते थे। Ghar Ke Najayaj Sambandh

मेरी माँ की इधर मौत हो गयी थी एक लाइलाज बिमारी से और उधर मेरे चाचा जी को ब्रेन ट्यूमर हो गया था। अब मेरे बाबू जी रडुआ हो गये थे और मेरी सेक्सी चाची जी भरी जवानी में विधवा। धीरे धीरे चाची को बाबू जी से प्यार हो गया था। फिर दोनों चुदाई करने लगे थे।

तब मैं सिर्फ 18 साल की थी। मैं अबोध लड़की थी। मुझे मर्द और औरत के जिस्मानी रिश्ते के बारे में किसी तरह की नोलेज नही थी। पर अब मुझे हल्का हल्का पता होने लगा था। एक दिन तो मैंने पूरी कामलीला अपनी आँखों से देख ली।

मेरी संध्या चाची बाबूजी के कमरे में जाकर उनसे चिपक गयी थी। दोनों किस करने लगे। धीरे धीरे बात आगे बढ़ गयी। फिर किस शुरू हो गयी। संध्या चाची काफी सेक्सी और जवान औरत थी। उनका बदन गदराया सेक्सी और गोरा था। बाबूजी ने भी उनको कमर में हाथ डालकर पकड़ लिया और सीने से लगा लिया।

“संध्या!! आज कहो तो तुम्हारी शाम को रंगीन बना दूँ” बाबूजी ने आँखों के इशारे से चाची ने कहा.

“मैं तो अपनी शाम को रंगीन करने के लिए ही आपके पास आई हूँ जेठ जी” चाची बोली.

उसके बाद बाबूजी ने उनको बाहों में कस लिया और डाइरेक्ट होठो पर किस करने लगे। मेरी चाची शाम के टाइम अच्छे से हाथ मुंह धोकर मेकप करती थी। जब वो तैयार हो जाती थी तो मस्त पटाका माल लगती थी। वो होठो पर गहरी लिपस्टिक लगाये हुई थी।

मेरे बाबूजी उनकी लिपस्टिक को चूसने लगे और छुडा डाली। काफी देर किस करते रहे। संध्या चाची गर्म होने लगी। बाबूजी उनके ब्लाउस पर हाथ लगाकर दबाने लगे। चाची का फिगर बिलकुल शेप में था। न तो मोटी थी और न ही पतली थी। बिलकुल सही शेप में थी।

बाबूजी ने उनको बिस्तर पर लिटा दिया और 36” की बड़ी बड़ी चूचियां दबाने लगे। हाथ से प्रेस करने लगे। चाची जी “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…उ उ ह उ उ उ….. आआआआहहहहहहह ….” करने लगी। उनके हल्के हल्के आम ब्लाउस के उपर से दिख रहे थे।

उनके दूध बेहद सफ़ेद और रसीले थे। फिर बाबूजी और तेज तेज दबाकर लगे। कुछ देर में पारा चढ़ गया। बाबूजी ने जल्दी से संध्या चाची का ब्लाउस खोलना शुरू किया और उतार दिया। फिर मदहोश होकर ब्रा के उपर से चाची की खूबसूरत चूचियों को दबाने लगे।

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“तुम जब जब मेरे अनार दबाते हो मजा आता है……उ उ ह उ उ उ…..” संध्या चाची बोली.

बाबूजी कुछ देर ब्रा के उपर से अनारो को दबा दबाकर मजा देते रहे और किस करते रहे। फिर ब्रा भी निकलवा दी। उसके बाद सनी लिओन जैसे सॉफ्ट मम्मे को देखकर वो पगला गये और खूब किस किया। जोश में भरके दबा रहे थे। कुछ देर में चाची के अनारो को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।

चाची जी “ओहह्ह्ह….अह्हह्हह…अई..अई. .अई… उ उ उ उ उ…” करने लगी। बाबूजी इश्कबाज बनकर चूसने लगे। और काफी देर चूसकर रस लेते रहे। फिर उन्होंने चाची की साड़ी उतरवा दी और उनको न्यूड कर दिया। पेंटी उतरवा दी और चूत को चाटने लगे। फिर काफी देर किस किया।

उसके बाद मैंने देखा की बाबूजी मुठ दे देकर अपने लंड को खड़ा किये और चाची की सेक्सी चुद्दी में घुसाकर खूब चोदे। ये सब देखकर मैं अब औरत मर्द के जिस्मानी रिश्ते के बारे में सब समझ गयी थी। जब बाबूजी ने संध्या चाची को अघाकर चोद लिया तो उनकी नजरे मुझ पर गढ़ने लगी।

2 साल अब बीत गये थे और अब मैं 18 साल की जवान सेक्सी लड़की हो गयी थी। मेरा बदन कमल के फूल की तरह खिल गया था। मैं देखने में किसी औरत जैसी दिखने लगी थी। मेरे दूध अब 34” के काफी बड़े बड़े हो गये थे। मैं घर पर टीशर्ट और लोअर ही पहनती थी।

टी शर्ट कसी ही होती है जिसमे मेरी 34” की रसीली चूचियां बड़ी बड़ी स्पस्ट रूप से बाबूजी को दिख जाती थी। मुझे ये पता चल गया था की वो मुझे चोदने का मन बनाये हुए है। जैसे ही मैं उनके सामने झुकती थी टी शर्ट के भीतर से मेरी मस्त मस्त बाल जैसी चूचियां दिख जाती थी। उनका लौड़ा उनके पेंट में खड़ा हो जाता था। फिर वो मुझे इधर उधर हाथ लगाने लगे।

एक दिन वो रात के समय संध्या चाची को खूब चोदे फिर सो गये। मैं अपने कमरे में सो रही थी। कुछ घंटो बाद बाबूजी मेरे रूम में आ गये। मेरे पास लेटकर इधर उधर हाथ लगाते रहे। मैं चुदाई से काफी घबराती थी इसलिए मैंने खुद को सोता हुआ दिखाया।

बाबूजी मेरी गांड को सहलाने लगे। चूत में ऊँगली करने लगे। धीरे धीरे घिसते रहे जिससे मैं मजबूर हो गयी। मैं “आआआहहह…..ईईईई….ओह्ह्ह्….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….”करने लगी। फिर तो सिलसिला ही शुरू हो गया था।

बाबूजी रोज पहले संध्या चाची को चोदते। फिर मेरे पास आकर चूत सहलाते और मेरे 34” के दूधो को दबाते थे। एक दिन हद हो गयी। चाची रात के समय किसी फ्रेंड के घर गयी हुई थी। अभी शाम के 8 बजे थे। बाबूजी अपनी लुंगी पहने मेरे सामने आ गये और लुंगी खोल दी। उनका काला कलूटा 10” मोटा लंड मैंने साफ़ साफ़ देखा।

“आप मुझे क्यों ये दिखा रहे हो??” मैंने कहा.

“डिंपल!! इसे पकड़ और जोर जोर से मुठ दे” बाबूजी बोले.

“क्यों??” मैंने कहा.

“जो कहता हूँ कर वरना अभी मार पड़ेगी” वो मुझे रॉब दिखाकर बोले.

मैं थोडा भयभीत हो गयी और लंड फेटने लगी। इस तरह से रोज ही होने लगा। बाबूजी को जब लंड पर मुठ लेनी होती मेरे पास चले आते। फिर चूसाने का काम शुरू कर दिए। धीरे धीरे मुझे आदत सी हो गयी। अब मेरी चुदाई की घडी पास आ रही थी।

“डिंपल!! तुझे आदमी औरत की चुदाई के बारे में कुछ मालुम है??” बाबूजी एक रात आकर पूछने लगे.

“थोड़ा थोड़ा” मैंने कहा.

“कहाँ देखा तूने ये सब??” वो पूछने लगे.

“आप संध्या चाची की चूत हर रात मारते हो। तभी मैंने देखा था” मैंने जवाब दिया.

“मुझसे चुदेगी तू?? पर ये बात अपने तक रखना। अपनी चाची को नही बोलना” बाबूजी बोले.

“ठीक है” मैं सिर हिलाकर बोल दी.

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उस दिन मैंने एक लोग पिंक कलर की फ्रॉक पहन रखी थी। बाबूजी आकर मुझसे चिपकने लगे। फिर मुझे हाथो में लेकर किस करने लगे। रात के 12 बजे थे। संध्या चाची गहरी नींद में सो रही थी। बाबूजी ने मुझे खूब किस किया। मेरे गाल बड़े ही गोरे थे। खूब चुम्बन लिया मेरा।

फिर मेरे गोल गोल बाल जैसे अनारो को फ्रोक के उपर से मसलने लगे। खूब दबाया दोनों अनारो को दोनों हाथो की सहायता से। मुझे अच्छा लगने लगा। मैं “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ…..” करने लगी थी। मुझे बहुत मजा मिल रहा था।

“आओ मेरे लंड को ठीक तरह से चूस दो” बाबूजी मुझसे बोले और अपनी लुंगी को खोल दिए.

वो घर पर हमेशा सफ़ेद बनियान और नीली लुंगी में रहते थे। जैसे ही उसे खोले तो अंदर से नंगे थे। कोई अंडरवियर नही था। उनका 10” का लौड़ा मेरे सामने था। मैं जमीन पर बैठ गयी और लंड को पकड़कर फेटने लगी। मैं अच्छे तरह से फेट रही थी।

बाबूजी मेरे सामने खड़े हुए थे। उनके लौड़े में हवा भरने लगी। वो टनटनाने लगा। फिर खड़ा होने लगा। मैं अब मुंह में लेकर चूसना चालू कर दी। बाबूजी “हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ…ऊँ…ऊँ सी सी सी… हा हा.. ओ हो हो….”करने लगे। साफ़ था की उनको भी बहुत आनन्द मिल रहा था।

इधर मैं भी जवानी का मजा लुट रही थी।। मुझे अब काफी ट्रेनिंग मिल गयी थी। मैं उनके 10” मोटे खीरे जैसे लंड को सिर हिला हिलाकर मुंह में लेकर चूस रही थी। बाबूजी के अंडकोष को दबा दबाकर सहला रही थी। उनको बहुत मजा मिल रहा था। मैं अपने सेक्सी जूसी होठो से रगड़ देकर चूस रही थी जैसे बच्चे लोलीपॉप चूसते है।

“….ऊँ—ऊँ…ऊँ …मेरी चूत की रानी!!….चूसो और अच्छे से चूसो मेरे पप्पू को!!” बाबूजी कह रहे थे.

मैं और मेहनत कर रही थी। मजा लेकर चूस रही थी। मुझे भी अब इसकी काफी आदत पड़ गयी थी। मैं लंड की छड पर पुच्ची दे देकर चूस रही थी। ऐसा करने से बाबूजी पूरे जोश में आ गये। फिर मेरे सिर को दोनों हाथो से पकड़ा और जल्दी जल्दी मेरा मुंह चोदन का कार्यक्रम करने लगे।

मैं सास भी नही ले पा रही थी। फिर उनको डबल जोश आ गया। मेरे लंड से अपना खीरा बाहर निकाला और मेरी आँखों पर लंड का टोपा रगड़ने लगे। फिर गालो पर, फिर माथे पर। पूरे चेहरे पर लंड का टोपा रगड़ने लगे। मैं “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ…ऊँ…ऊँ….” करने लगी।

“चलो बेटी!! अगर चुदना है तो अपनी फ्रोक उतार दो” बाबूजी कहने लगे.

मैं फ्रोक उतार दी। अंदर मैंने समीज पहनी थी और सफ़ेद चड्डी में थी। वो मुझे बिस्तर पर ले गये। अपने सभी पकड़े उन्होंने उतार दिए। उनके न्यूड बदन को देखकर मैं दंग थी। मुझे अपनी गोद में बिठा लिया। मैं सिर्फ सफ़ेद समीज और सफ़ेद चड्डी में थी। फिर समीज के उपर से मेरे अनार को सहलाने लगे। कुछ देर चूची को निचोड़ते रहे।

“बेटी!! तू इतनी सेक्सी माल कब बन गयी। मुझे तो पता ही नही चला” बाबूजी कहने लगे.

“जब आप संध्या चाची को चोद रहे थे तभी मैं जवान हो गयी” मैंने कहा.

बाबूजी ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। कुछ सेकंड मेरे रसीले 34” के दूध को मसला। फिर मेरी समीज को उपर किया और डाइरेक्ट दूध पीने लगे। मुंह में लेकर चूसने लगे। मैं “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” करने लगी। मेरे मम्मे संध्या चाची से दोगुने जूसी थे। उनसे अधिक सफ़ेद थे। बाबूजी का तो देखकर ही पारा हाई हो गया था। मेरी निपल्स को काट काटकर मजे लुटने लगे। मैं मदमस्त होने लगी थी। मेरी चूत अब गीली होने लगी थी।

“ओहह्ह्ह बाबूजी!! ….मेरे आमो को दबा दबाकर रस निकाल लो। मेरे दोनों कबूतर आपके ही है!!…..अह्हह्हह…अई..अई.” मैं कहने लगी.

बाबूजी पूरी तरह से सेक्सी हो गये और 30 मिनट मेरे अनारो को दबा दबाकर रस लिया। मेरी समीज अब जाकर उन्होंने उतारी। मुझे नंगा किया पर चूत पर चड्डी अभी भी थी। उसके बाद मेरी चूत को चड्डी के उपर से रगड़ने लगे। मैं कुलबुलाने लगी।

“मादरजात!! बड़ी गर्म लड़की है तू!! आज तेरी फुद्दी को चोद चोदकर तुझे कली से फूल बना दूंगा। तेरी चुद्दी को चोद चोदकर आज ढीला कर दूंगा!” बाबूजी बोले.

फिर और तेजी से चड्डी को रगड़ने लगे। मैं खुमार में पागल हुई जा रही थी। मेरी चींखे मेरी हालत को ब्यान कर रही थी। मेरे चूत के दाने को उन्होंने खूब घिसा। फिर मेरी चड्डी उतार दी। मुंह लगाकर जल्दी जल्दी बुर चाटने लगे। मैं अपनी गांड उठाने लगी।

“चूसो बाबूजी!! और मेहनत से चूसो!! मजा आ रहा है!! बहुत अच्छी फीलिंग आ रही है” मैं गांड उठाकर बोली.

वो किसी कुत्ते की तरह चूसने लगे। मेरी चूत अब सफ़ेद माल छोड़ने लगी। बाबूजी पर चूत का भूत चढ़ गया था। उन्होंने जी भरके मेरी बुर का पान किया। अपनी खुदरी नुकीली जीभ से मेरी नर्म चूत को खोद डाला। मेरी चूत अब अच्छे तरह से नर्म और गीली हो गयी थी। अब ये भी चुदने को तैयार थी।

बाबूजी अपना 10” खीरा जल्दी जल्दी फेटने लगे। फिर चूत में पकड़कर घुसा दिया और जल्दी जल्दी मेरा काम लगाने लगे। मैं वासना की खुमारी में “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा…..” करने लगी।

बाबूजी फटाफट झटके देने लगे जैसे वो हर रात संध्या चाची को पेलते थे। बिलकुल उसी अंदाज में मुझे पेल रहे थे। जिस तरह से चाची अपनी दोनों टांगो को उठा लेती थी वैसे ही मैं उठा ली थी। बाबूजी मेरी सेक्सी बुर की तरफ देख देककर हमला कर रहे थे। मैं आज चुदकर कली से फूल बन रही थी। काम जारी था।

“….उंह उंह उंह…..अई…अई….अई बाबूजी आराम से चोदू। दर्द हो रहा है। जल्दी क्या है। पूरी रात अपनी है…आराम से” मैं बोली.

पर बाबूजी अपनी सुपरस्पीड में आ चुके थे। वो बिलकुल चोदू मर्द बनकर मेरा काम लगाये हुए थे। सिर्फ मेरी चूत की तरफ ही देखे जा रहे थे। जल्दी जल्दी फटाफट खटाखट मुझे पेल रहे थे। मैं भी जवानी का मजा लूट रही थी। मुझे काफी नशा चढ़ गया था। बाबूजी रुकने का नाम नही ले रहे थे। बस गेम बजा रहे थे। कुछ देर बाद उन्होंने अपना मोटा लौड़ा मेरी फुद्दी से बाहर निकाला। फिर से मेरी चूत चाटने लगे।

“बेटी!! अब कुतिया बनना है तुमको!! इस वाले पोज में और मजा मिलता है” वो बोले.

मैं बिस्तर पर कुतिया बन गयी। अपना सर बेड पर रखी और पिछवाड़ा उठा दी। बाबूजी मेरी मस्त मस्त गोरी गांड को देखकर प्रलोभित हो गये। मेरे चूतड़ो का साइज 38” का था। सफ़ेद और बहुत चिकने थे। वो किस करने लगे।

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हाथ लगाकर सहला रहे थे। ऐसा करने में उनको काफी अच्छा महसूस हो रहा था। मैं हमेशा की तरह “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” कर रही थी। फिर वो जीभ लगाकर मेरे सेक्सी कामोत्तेजक चूतडो को चाटने लगे। कुछ देर मेरी चूत को फिर से पीने लगा। लंड घुसाकर जल्दी जल्दी चोदने लगे। उसके बाद भी वो नही झड़े। अब मेरी गांड में तेल डाल दिया और उसे चाट चाटकर गर्म करने लगे। फिर लंड डालकर जल्दी जल्दी चोदने लगे।

“…..सी सी सी सी….जरा धीरे धीरे मेरी गांड चोदिये!! ये चूत नही है!! बहुत टाईट है ये!!” मैंने कहा.

पर बाबूजी पर वासना का राक्षस चढ़ गया था। वो मुझे कुतिया बनाकर मेरी कमर को दोनों साइड से हाथ से कसके पकड़ लिए और सटासट मेरी गांड मारने लगे। मुझे लगा की मर जाउंगी पर ऐसा नही हुआ। उन्होंने 15 मिनट मेरी गांड मारी फिर उसमे ही झड़ गये। दोस्तों अब 2 साल और गुजर गये है। अब हर रात वो दो दो चूत चोदते है। पहले संध्या चाची की बुर चोदते है फिर मेरी चूत की बासुरी बजाते है। अब मैं भी मजे लेने लगी हूँ। किसी तरह का कोई बहाना नही करती हूँ और चुदा लेती हूँ। अब मैं कली से फूल बन चुकी हूँ। चूत ढीली कर दी है बाबूजी ने।

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