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योग सिखने के बहाने चुदवाने लगी मेरी बीवी टीचर से

मई 10, 2024 by hamari

Yoga Sex

मेरी बीवी नैंसी की उम्र 27 साल है और वो एक मदमस्त 36-28-38 की फिगर वाले जिस्म की मालकिन है. जो भी उसे एक बार देखे, वो मुठ मारे बिना नहीं रह सकता. जब वो 23 साल की थी तब हमारी शादी हो गई थी. हम दोनों की सेक्स लाइफ बहुत मस्त चल रही थी. दो साल में उसने ट्विन्स को जन्म दिया. Yoga Sex

लेकिन उसके बाद वो दोनों बच्चे की देखभाल में लग गई और कभी कभी ही मुझ से चुदती. मैं भी उसकी परिस्थितियों को समझता था. हम सब संयुक्त परिवार में रहते थे. बाद में मेरे बिज़नेस की वजह से मैंने नया मकान लिया और हम दोनों वहीं शिफ्ट हो गए. इसलिए ज्यादा काम नहीं रहता था.

पर वो तीन साल में नैंसी का वजन 50 किलो से 80 किलो हो गया. उसी वजह से हमें सेक्स में दिक्कत होने लगी. हम दोनों ने कई उपाय किये, पर वजन नहीं कम हुआ. फिर एक दिन मैंने इंटरनेट पर सर्च किया तो प्राइवेट योग टीचर का पता मिला.

मैं- नैंसी, तुम्हारी समस्या का समाधान मिल गया.

नैंसी- सच? मजाक मत करो किशोर.

मैं- मजाक नहीं कर रहा डार्लिंग, एक प्राइवेट योग टीचर मिला है. वो योग की विधि द्वारा तुम्हारी समस्या का निवारण कर सकता है.

नैंसी- ओके.. वैसे भी मैं क्लास नहीं जा सकती ना, दोनों बच्चे को कौन देखेगा. तुम उसी से बात कर लो.

मैं- ओके डार्लिंग.. अभी करता हूँ. बच्चों के लिए मैंने बात कर ली है इधर पास में ही एक चाइल्ड केयर सेंटर है, तू उससे बात कर लेना.

मैंने उस योग टीचर प्रभाकर से बात की और शाम को घर पे मीटिंग फिक्स की. ठीक समय 6 बजे घंटी बजी और ये उसी ने बजाई थी. मैंने जाकर दरवाजा खोला तो एक 38 साल का पहाड़ी आदमी अन्दर आया.

मैं- आईये प्रभाकर जी, यहाँ बैठिये.

प्रभाकर- ओके सर जी, थैंक्स.

मैं- क्या लेंगे चाय या ठंडा.

प्रभाकर- निम्बू शरबत और कुछ नहीं.

मैं- नैंसी, तीन गिलास निम्बू शर्बत बना लो. प्रभाकर जी आप बहुत फिट लगते हो.. इसका राज़ क्या है?

प्रभाकर- मैं पहले फौज में था. वहीं जवानों को योग ही सिखाता था.. और अब रिटायर के बाद प्राइवेट में रोज 2 घंटे योग सिखाता हूँ.

मैं- अच्छी बात है.. आपकी फीस क्या है?

प्रभाकर- मेरी फीस ज्यादा है अगर आप दे पाएं, तो ही बात आगे करते हैं. मैं दस हजार महीने का लेता हूं.

मैं- फीस की कोई दिक्कत नहीं पर मुझे रिजल्ट चाहिए.

प्रभाकर- डोंट वरी, मैं कभी फेल नहीं हुआ.

इतने में नैंसी शर्बत लेकर आ गई. हम सबने ठंडा पिया.

नैंसी- मैंने सुना है कि फौजी कड़क होते है, पर मैं तो बहुत आलसी हूँ. तभी तो ये वजन बढ़ गया है.

प्रभाकर- आपके वजन के साथ साथ आपका आलस भी दूर कर दूंगा.

यह कह कर प्रभाकर चला गया और रोज़ सुबह 7 से 9 बजे का आने का टाइम फिक्स हुआ. उसके बाद हर रोज 2 घंटे योग का सेशन होता. उस सेशन के बाद मैं ऑफिस जाता था. प्रभाकर सचमुच नियम का पक्का था. नैंसी का रोज पसीना निकलता था और धीरे धीरे वजन कम होने लगा.

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हम दोनों प्रभाकर के साथ घुल मिल गए और वो भी. उसने मुझे भी योग की आदत डाल दी. फिर मैं भी रोज योग करने लगा. मेरी बीवी भी उसके तारीफ करती थी. वो उसमें थोड़ा इंटरेस्ट ले रही थी. ये सब 4 महीने तक चलता रहा. तब तक उसने कभी नैंसी को बुरी नजर से नहीं देखा, ये मैं जानता था.

अब नैंसी का वजन 50 के करीब आ गया था और मेरी बीवी का फिगर भी पहले जैसा दिखने लगा था जो कि जो सबके लंड खड़े कर दे. इसमें प्रभाकर का बचना भी मुश्किल था, पर जब तक नैंसी कोई पहल न करे और मुझे उस पर पूरा भरोसा था कि वो नहीं करेगी.

मैं कई बार नैंसी को फैंटसी की बारे में बात करना चाहता, पर वो हर बार मना कर देती ओर कहती कि तुम पागल हो गए हो. एक दिन में 8 बजे उठा, पर सेशन तो 7 बजे स्टार्ट हो गया था. सेशन तो हॉल में ही होता है.

मैंने बाहर निकल कर देखा रोज की तरह नैंसी केपरी और शार्ट टी-शर्ट में योग करती थी. आज कमर की कसरत थी, तो वो उल्टी पड़ी हुई थी. प्रभाकर उसकी कमर को दबा रहा था. कभी कभार वो उसके पेट पर भी हाथ रख देता था और नैंसी चुपके से मुस्कान दे देती थी इस तरह कि प्रभाकर को पता न चले.

प्रभाकर- अब आपकी बॉडी बहुत कम हो गई है नैंसी जी.

नैंसी- हां, पहले जैसी बॉडी हो गई है.

फिर वो धीरे धीरे नैंसी के पेट को सहलाने लगा और नैंसी भी हल्की हल्की आहें भरने लगी. मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा था, पर ये सच था कि उसको प्रभाकर अच्छा लगने लगा था. फिर प्रभाकर नैंसी के मम्मों को ऊपर से दबाने लगा.. और अपना हाथ ब्रा में डालने ही वाला था कि नैंसी ने उसे पकड़ लिया.

नैंसी- ये गलत है प्रभाकर.

प्रभाकर- इसमें क्या गलत है नैंसी?

नैंसी- मैं किसी की बीवी हूँ. मैं अपने पति को धोखा नहीं दे सकती.

तभी मैंने राहत की सांस ली और अपना दरवाजा नॉक किया और वो दोनों फिर से नार्मल हो गए.

मैं- नैंसी मेरे लिए नाश्ता बनाओ और प्रभाकर जी आपको फिटनेस के लिए हमने रखा था, वो लक्ष्य पूरा हुआ और ये रहे आपके पैसे.

प्रभाकर- जी धन्यवाद.. आपको मेरी ओर से कोई परेशानी हुई हो तो माफी चाहता हूँ.

मैं- ये क्या कह रहे हो. हमें तो आप से बहुत कुछ सीखने को मिला प्रभाकर जी.

नैंसी- ये क्या कर रहे हो आप? अभी तो मेरी लेग की कुछ एक्सरसाइज बाकी है. और प्रभाकर जी आपने इन्हें बताया क्यों नहीं?

प्रभाकर- नैंसी जी मैंने और किशोर जी ने 3-4 महीने का डिसाइड किया था जो टाइम खत्म हो गया है.

नैंसी- किशोर, अभी मेरी लेग की कसरत बाकी है, वो तो मुझे खत्म करनी ही है.

मैं- ओके डार्लिंग, सिर्फ 1 महीना.. उससे ज्यादा नहीं.

नैंसी- ओके नो प्रोब्लम डार्लिंग.

फिर प्रभाकर चला गया. मैंने जानबूझ कर नैंसी का फ़ोन गिरा दिया और वो टूट गया.

नैंसी- अरे ये क्या हो गया? अब मैं क्या करूँगी?

मैं- डोंट वरी डार्लिंग, मैं नया फोन लेकर तुम्हें दूंगा.

नैंसी- तुम कितना प्यार करते हो मुझसे जानू.. मैंने तुम्हारे लिए ये सब किया किशोर.

मैं- ये तो सही है.. पर तुम्हारे जिस्म का जादू प्रभाकर पर भी सवार है, ध्यान रखना नैंसी डार्लिंग.

नैंसी- ऐसा कुछ नहीं है.. झूठे कहीं के.. बीवी जरा सा आगे निकल जाए, ये पतियों को पसंद ही नहीं. अब मुझे नाश्ता बनाना है.

मैं नाश्ता करके ऑफिस चला गया. आते वक्त मैंने एक मोबाइल लिया जिसमें सीक्रेट तरीके से फ़ोन रिकॉर्ड हो सके और किसी को पता न चले. वो लेकर में घर आया और नैंसी फोन देखकर बहुत खुश हुई. फिर रोज योग का सेशन होने लगा.

और एक दिन मुझे रात को ऑफिस जाने का आईडिया आया और मैंने नैंसी को बताया तो वो थोड़ी नाराज हुई पर बाद में समझाने पर मान गई. मैं उस दिन रात को गया और सुबह आया. मैं आते ही सोने गया और फिर प्रभाकर आया और योगासन शुरू हुए.

प्रभाकर- क्या आज किशोर नहीं है या जल्दी चले गए?

नैंसी- वो सोये हुए है.. कल रात को उनकी नाईट शिफ्ट थी इसलिए.

प्रभाकर- ओके तो आज शांति से कसरत करेंगे.

पर मुझे नींद नहीं आ रही थी.. इसलिए मैं उन दोनों को सुनने का प्रयास कर रहा था.

थोड़ी देर में मैंने महसूस किया कि सन्नाटा सा हो गया. मैंने बाहर जाकर देखा तो नैंसी सीधी लेटी हुई थी और प्रभाकर उसके पेट को हल्के से चूम रहा था और धीरे धीरे मेरी बीवी के होंठों को चूस रहा था.

तभी नैंसी ने उसे हटाया और कहा- ये सही नहीं है.. किशोर भी यही पास में सोये हैं.

प्रभाकर तो कुछ सुन नहीं रहा था. वो तो नैंसी को किस करे जा रहा था और नैंसी के जिस्म को सहला भी रहा था. फिर वो खड़ा हुआ और जाने लगा.

नैंसी- क्या हुआ?

प्रभाकर- तुम हर बार मुझे टाल देती हो.

नैंसी- मैं मेरे पति को धोखा नहीं दे सकती और तुम्हारे बिना रहा भी नहीं जाता.

फिर वो धीरे से प्रभाकर के पास गई और उसे किस करने लगी. प्रभाकर भी मेरी बीवी के होंठों के रस को पीने लगा.

नैंसी- अभी तुम जाओ, बाद में देखती हूं.

फिर प्रभाकर चला गया. दूसरे दिन मैंने रात को आकर नैंसी का फ़ोन चैक किया तो प्रभाकर से थोड़ी बात हुई थी.. जो मैंने सुनी, वो दोनों दोपहर को मूवी देखने जाने वाले थे. मैंने भी दोपहर से छुट्टी ले ली. मैंने उसके पीछे की लाइन में बुकिंग करवाई. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मूवी शुरू होने के 2 मिनट बाद मैं आया और बैठ गया. मूवी में किस का सीन आया. प्रभाकर नैंसी का हाथ मसलने लगा. नैंसी कुछ नहीं बोली. फिर वो नैंसी की पीठ को सहलाने लगा. फिर धीरे धीरे प्रभाकर ने नैंसी के ब्लाउज में हाथ डाल दिया. नैंसी ने हल्की सी आह भरी. मेरा लंड तो खड़ा हो गया.

नैंसी ने प्रभाकर की जींस की जिप खोली और उसके लंड को मसलने लगी. थोड़ी देर ये सब चला फिर वो दोनों उठकर वहां से चले गए. मैं भी उनके पीछे आ गया. वो मेरे ही घर आ गए और सीधे बेडरूम में आ गए. दोनों आते ही एक दूसरे को किस करने लगे.

वो योग गुरू प्रभाकर मेरी बीवी नैंसी के होंठों के रस को पी रहा था और मेरी बीवी के हुस्न की दावत उड़ा रहा था. प्रभाकर ने साड़ी को उतार फेंका. इसके बाद ब्लाउज और पेटीकोट भी नैंसी के जिस्म से अलग हो गए. प्रभाकर नैंसी के पूरे बदन को चूमता रहा.

अब तक नैंसी भी बहुत गर्म हो चुकी थी. वो प्रभाकर का सिर पकड़ कर अपनी क्लीवेज में घुसाकर दबाने लगी. प्रभाकर ने ब्रा का हुक खोल दिया और नैंसी के दोनों कबूतरों को आज़ाद कर दिया. नैंसी को भी शर्म महसूस होने लगी और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं. प्रभाकर नैंसी के मम्मों को चूसने और मसलने लगा और नैंसी ज्यादा गर्म हो गई.

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नैंसी- आह.. चूसो प्रभाकर जी मसल दो इनको आह..

प्रभाकर- यस नैंसी.. आज तुमको मसल के रख दूंगा.

फिर उसी वक्त मैंने नैंसी को कॉल किया और उसको बोला- मैं 30 मिनट में आ रहा हूँ.

नैंसी- प्रभाकर तुम यहां से जाओ. मेरे पति आधे घंटे में आ रहे हैं.

प्रभाकर- डोंट वरी नैंसी, अभी आधा घंटा तो है ना.

फिर प्रभाकर ने अपना लंड बाहर निकाला तो करीब 9 इंच का था और मोटा भी बहुत था. उसको देख नैंसी चौंक गई. प्रभाकर ने देर ना करते हुए नैंसी के मुँह से लगा दिया तो उसने लंड चूसने से मना कर दिया.. और लंड हटा दिया. प्रभाकर फिर लंड को चुत के होंठों के पास लेकर गया और नैंसी की चूत फैला कर एक जोर का धक्का लगा दिया, जिससे आधा लंड नैंसी की चूत में घुस गया.

नैंसी- अरे मर गई.. बहुत मोटा है.. आह.. निकालो इसे..

प्रभाकर- दर्द के बाद तो मज़ा है.

यह बोल कर उसने दूसरा दे धक्का दिया और पूरा लंड नैंसी की चूत में घुसा दिया. नैंसी चीखने लगी क्योंकि उसने कभी इतने बड़े लंड को झेला नहीं था. उसकी आँखों में अंधेरा हो गया. प्रभाकर फिर उसे किस करने लगा, कुछ पल बाद नैंसी को होश आया. बाद में वो लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा. अब नैंसी को भी मज़ा आने लगा.

नैंसी- आह.. तेज़ करो प्रभाकर.

प्रभाकर- यस नैंसी.. तुम्हारे लिए.

प्रभाकर ने स्पीड बढ़ा दी.

नैंसी- आह, आह कम ऑन प्रभाकर.. फ़क मी हार्ड.

दस मिनट तक वो लेटे हुए चोदता रहा, फिर वो नीचे लेट गया और नैंसी को लंड पर बैठा दिया. अब वो नीचे से धक्के मारने लगा ओर नैंसी भी उसका भरपूर साथ दे रही थी. फच फच और नैंसी की आह आह की आवाज़ से पूरा कमरा गूंज उठा. नैंसी खुलकर सीत्कार करने लगी.

ऐसे प्रभाकर ने उसे 10 मिनट तक चोदा और उसने नैंसी के पेट पर अपने गर्म वीर्य की पिचकारी दे मारी. फिर रूमाल से वीर्य को पोंछा और दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए. वो नैंसी को किस करके जल्दी से मेरे घर से निकल गया. उसके बाद मैंने बाहर आकर कॉलबेल बजाई. नैंसी ने तुरंत दरवाजा खोला. उसे देख कर लगा ही नहीं कि उसके साथ कुछ हुआ. वो बहुत खुश लग रही थी.

मैं- आज बड़ी खुश लग रही हो तुम.

वो- कुछ नहीं बस ऐसे ही. आप भी ना..

उसके जाने के बाद मैंने बाहर आकर कॉलबेल बजाई. नैंसी ने तुरंत दरवाजा खोला. उसे देख कर लगा ही नहीं कि उसके साथ कुछ हुआ. वो बहुत खुश लग रही थी.

मैं- आज बड़ी खुश लग रही हो तुम.

वो- कुछ नहीं बस ऐसे ही. आप भी ना..

मैं- मेरे साथ गोवा चलोगी? मुझे कल ऑफिस के काम से 4 दिन जाना है.

वो- वाओ, गोवा.. मैंने कभी नहीं देखा.. मैं जरूर चलूंगी.

मैं- मैंने एक कमरा भी सितारा होटल में 201 नंबर का बुक करवा लिया है.

मैंने ये जानबूझ कर बताया था. वैसे भी मुझे ऑफिस में कुछ काम नहीं था. मैं भी छुट्टी पर था. दूसरे दिन आकर मैंने नैंसी के फ़ोन की रिकॉर्डिंग सुनी.

नैंसी- हैलो प्रभाकर, एक खुशखबरी है.

प्रभाकर- क्या है जान?

मोन- मैं कल गोवा जा रही हूँ. चार दिन के लिए पति के साथ. उसने एक होटल में 201 नंबर का कमरा बुक करवाया है और वो ऑफिस काम से आए हैं इसलिए व्यस्त रहेंगे.

प्रभाकर- अरे ये तो बात बन गई. मैं भी गोवा आ जाता हूं. हम लोग वहां पर मस्त होकर घूमेंगे.

नैंसी- ठीक है तुम गोवा आकर मुझे अपने होटल और कमरा नम्बर वगैरह मैसेज कर देना. तब तक कोई बात नहीं.. अब रखती हूं.

ये सुनकर मेरे दिल को बड़ी तसल्ली हुई क्योंकि इसी लिए तो मैंने ये सब प्लान किया था. फिर हम दूसरे दिन गोवा के लिए फ्लाइट ले ली. दो घंटे में तो होटल में चैक इन भी कर लिया. मैं कमरे की बाल्कनी में खड़ा था और नैंसी फ्रेश होने बाथरूम में थी. तभी मैंने नीचे एक टैक्सी को देखा. उसमें से प्रभाकर बाहर आया. कुछ पल बाद नैंसी के फ़ोन पर मैसेज आया. मैंने उसको न पढ़ना ही मुनासिब समझा.

इतने में नैंसी नहाकर आई तो मैंने कहा- किसी का मैसेज आया है.

उसने पढ़ा और खुश हो गई. मैंने उसके बाद मैसेज पढ़ा तो हैरान हो गया. वो प्रभाकर का मैसेज था. होटल सितारा और वो कमरा 200 में था.. मतलब बाजू में था. पर मैं भी कम नहीं था. मुझे भेष बदलना अच्छे से आता था और उसके लिए सब जरूरी सामान मेरे पास था. पहले भी मैंने कई बार ट्राय किया, मेरी बीवी कभी भी मुझे पहचान नहीं पाई थी. इसी लिए मेरा आत्मविश्वास और बढ़ गया.

मैं- नैंसी, मैं मीटिंग में जा रहा हूँ.. पर तुम कहां जाओगी?

नैंसी- पता नहीं.. कोई अच्छी जगह लगी तो जाऊँगी.

तभी उसके फ़ोन पर एक और मैसेज आया. मैं वहां से निकल कर सीधा गया कमरा 199 में.. ये कमरा भी मैंने बुक करवाया था. मैंने ऑफिस के कपड़े निकाल कर रोमियो हिप्पियों जैसे पहन लिए.. साथ में दाड़ी मूंछ भी लगा ली.. और फुल मेकअप करके मैं बाहर टहलने लगा.

थोड़ी ही देर में नैंसी सजधज के बाहर निकली. उसने ब्लू जींस और सफेद टॉप पहना था.. और बाल तो ऐसे बनाए थे कि बता नहीं सकता. मेरे लिए वो कभी भी इतनी सजी नहीं थी. वो प्रभाकर के कमरे के पास गई और प्रभाकर भी बाहर आया. फिर वो दोनों गले मिले और हाथ में हाथ मिलाकर चले गए. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

वो दोनों बीच पर घूमने गए, मैंने पीछे लगा था, बाद में वे दोनों पब में गए और काफी पी. इसके बाद 6 बजे वे लोग वापस होटल आ गए. लेकिन मेरा सपना पूरा नहीं हुआ. फिर मैं पुराने गेटअप में आ गया और कमरे में आया.

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मैं- क्या हुआ नैंसी डार्लिंग आज किधर टाइम पास किया?

नैंसी- मैं तो अपनी एक सहेली के साथ रही, हम लोग कई जगह घूमने गए और काफी शराब भी पी.

मैं- वाह तुम्हारी सहेली भी आई है.. तो फिर ठीक है पूरे 3 दिन अपनी सहेली के साथ घूमना.

नैंसी- आई नहीं, यहीं बना ली है एक… चलो मैं फ्रेश होकर आती हूँ.

फिर हमने शाम को डिनर किया और नैंसी के साथ संभोग भी किया और दोनों सो गए. थोड़ी देर बाद नैंसी उठी. कमरे से बाहर आई. मेरी नींद तो कब की खुली हुई थी. मैंने तुरंत उसके कमरे के पास गया और झाँकने की कोशिश कर रहा था तभी दरवाजे के की-होल से देखा तो पूरा कमरा दिखाई दे रहा था।

नैंसी प्रभाकर के कमरे में गई. उसने काली नाइटी पहनी थी. वो सीधे जाकर प्रभाकर से गले मिली. फिर दोनों एक दूसरे के होंठों के रस का रसपान करने लगे. प्रभाकर फिर उसके गले तो चूमने लगा और फिर गाल, सिर, कान सभी जगह. फिर वापस होंठों को चूसने लगा साथ में नैंसी की गांड को सहलाने लगा.

ये सब 20 मिनट तक चलता रहा. दोनों के हाथ लाल हो गए. नैंसी ने कभी इतना लंबा किस मुझसे नहीं किया था पर प्रभाकर के साथ काफी खुली हुई थी ये सच था. उसके बाद नैंसी की नाइटी को प्रभाकर ने उतार दिया. इसकी वजह से नैंसी सिर्फ ब्रा और पेंटी में रह गई.

उस वक्त काफी सेक्सी लग रही थी. खुले हुए बाल, भोलेपन वाली हंसी, तने हुए स्तन और मदमस्त यौवन. ऐसा लगा कि कोई अप्सरा मेनका धरती पर आ गई हो. प्रभाकर उसके पास गया और दोनों हाथों से पकड़ कर उसका चेहरा थोड़ी देर देखा और बोला- तुम आज काफी सुंदर लग रही हो. इतनी तो घर पे भी नहीं लग रही थी नैंसी.

नैंसी ने शर्माते हुए कहा- ये सब आप के लिए किया प्रभाकर जी.. मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं.

प्रभाकर वापस उसे किस करने लगा, फिर उसके स्तनों के बीच में बनती रेखा को चूमने लगा. इससे नैंसी रोमांचित हो उठी. वो प्रभाकर का सिर पकड़ कर उसके सर को दबाने लगी और अपने मुँह से आह आह सीत्कार निकालने लगी.

उसके साथ साथ प्रभाकर उसके स्तनों को ब्रा के ऊपर से मसलता रहा. वो मेरी बीवी के कोमल और तने हुए स्तनों को दबाकर उसको और गर्म कर रहा था. जब जब वो स्तन को मसलता हर बार नैंसी की ‘आह आह..’ सीत्कार निकलती.

थोड़ी ही देर में प्रभाकर ने ब्रा को स्तनों से अलग कर दिया. प्रभाकर ने फिर नैंसी की ओर देखा तो नैंसी शर्मा कर नीचे देखने लगी. तभी प्रभाकर ने उसे कमरे में रखे सोफे पर बिठाया और वो घुटनों के बल नीचे बैठ गया. फिर प्रभाकर नैंसी की नाभि को चूमने लगा. धीरे धीरे वो उसको चूमते हुए स्तनों तक आ गया. उसने नैंसी के एक निप्पल को धीरे से काटा.

नैंसी- आह काट क्यों रहे हो जानू?

प्रभाकर- अच्छा नहीं लगा जान?

नैंसी- बहुत अच्छा लगा.. पहली बार किसी ने ये किया.

प्रभाकर- तुम्हारे पति ने कभी नहीं काटा?

नैंसी- कभी नहीं.

प्रभाकर- आज मैं तुम्हें सभी अहसास करवाऊंगा.

फिर प्रभाकर बारी बारी से एक एक स्तन को अपने मुँह में लेकर चूसता और कभी कभी निप्पलों को काट भी लेता था.

नैंसी- आह.. और चूसो और मसलो जानू.. आह आह आह..

यह बोल कर प्रभाकर के सिर को और जोर से दबा देती. बीच बीच में प्रभाकर नैंसी के होंठों का रसपान भी करने लगता. करीब 15 मिनट तक उसके स्तनों को चूम कर और मसल कर लाल कर दिया. उसके बाद नैंसी की पेंटी को उतार दिया. और उसकी योनि के दाने को छुआ, तो वो ‘आउच..’ करके मचल उठी और प्रभाकर के हाथ को पकड़ लिया.

नैंसी- ये तो गलत है जानू.. तुम इसको छू नहीं सकते.. दूर चले जाओ.

प्रभाकर ने घबराते हुए कहा- क्या हुआ जान? मुझसे क्या भूल हुई?

नैंसी- यही कि मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगी कर दिया, पर खुद के कपड़े नहीं उतारे..

प्रभाकर- अरे जानू इस बात के लिए मुझसे नाराज हो? चलो ऐसा करो तुम्हीं अपने हाथों से उतार दो.

नैंसी ने प्रभाकर के कपड़े उतारने शुरू किए. पहले टी-शर्ट को उतारा. प्रभाकर का सीना भी बालों से भरा हुआ था. नैंसी उसके सीने को चूमने लगी. थोड़ी देर बाद उसका लोअर भी उतार दिया. उसने अन्दर कच्छा तो पहना भी नहीं था, शायद वो सीधे संभोग के लिए ही तैयार था.

फिर प्रभाकर ने नैंसी के पैरों को चूमना शुरू किया. उसके पैर के अंगूठे को पहले चूम कर वो धीरे से आगे बढ़ा. फिर वो नैंसी की जांघों को प्यार से चूम कर वापिस उसकी योनि के पास आ गया. वो धीरे से योनि को सहलाने लगा और नैंसी ‘आ..आह..’ करने लगी.

फिर प्रभाकर ने दोनों हाथों का इस्तेमाल करके नैंसी की योनि को थोड़ा सा खोल दिया. नैंसी की चूत की फांकों पर अपनी जीभ फेर कर चूत को चूमना शुरू किया. अब नैंसी भी उसके लंड को पकड़ लिया और चमड़ी को नीचे उतार कर सुपारा बाहर निकाल लिया.

नैंसी लंड को हिलाने लगी. थोड़ी ही देर में प्रभाकर का लंड काफी बड़ा हो गया, करीबन 9 इंच का. फिर दोनों 69 की अवस्था में आ गए. नैंसी उसके लम्बे लंड को मुँह में लेकर मुख मैथुन कर रही थी और प्रभाकर उसकी योनि का रसपान कर रहा था. दोनों दस मिनट तक इस अवस्था में रहे. वो दोनों एक दूसरे को चुंबन करने लगे, उसके बाद प्रभाकर अपना लिंग नैंसी की योनि के पास रगड़ने लगा.

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नैंसी- अब कितना तड़पाओगे जानू? डाल दो ना

प्रभाकर- तड़प में ही मज़ा है जान.. अभी तो थोड़ी देर लगेगी.

नैंसी- कितनी देर? अब यही तो बचा है.

प्रभाकर नैंसी के स्तन मसलते हुए बोला- थोड़ा सब्र रखो मेरी जान.

फिर उसने बैग में से एक पाऊच निकाला, उसमें जैम था. नैंसी देखकर हैरान रह गई और पूछने लगी- इसका क्या करोगे जानू?

प्रभाकर कुछ बोले बिना ही जैम को नैंसी के स्तनों पर लगाने लगा. जैम ठंडा होने की वजह से नैंसी मचलने लगी. प्रभाकर ने नैंसी के दोनों स्तनों को जैम से पूरा लाल कर दिया. फिर थोड़ा जैम उसकी योनि में भी लगा दिया. अब उसने मेरी बीवी का एक स्तन अपने मुँह में भरा और निप्पल चूसने लगा.. फिर पूरा स्तन मुँह में भर लिया. साथ ही वो अपने हाथ से नैंसी की योनि को मसलने लगा जिससे नैंसी मचलने लगी.

नैंसी- आह जानू, बहुत अच्छा लग रहा है… आह आह..

प्रभाकर- तुम्हारा पति कुछ नहीं करता इस तरह?

नैंसी- आह जानू, कभी भी नहीं.

प्रभाकर- औरत को खुश करना भी नहीं आता चूतिये को.

नैंसी- हम्म आह आआआह करते रहो.

ये देख कर मुझे ऐसा लग रहा था कि उसका इंटरेस्ट मुझसे थोड़ा कम हुआ है पर वो तो आने वाला वक्त ही बताएगा. फिर प्रभाकर ने नैंसी के दूसरे स्तन को मुँह में लिया और चूसने लगा. अपना एक हाथ पहले स्तन पर रख कर मसलने लगा. उसके हाथ गीले होने की वजह से स्तन पर फिसल से रहे थे. बाद में वो नैंसी के गले को चूमने लगा. नैंसी ने उसके बालों को कसके पकड़ लिया और अपना प्यार जताने लगी. फिर वो एक दूसरे को किस करने लगे.

प्रभाकर- अब तुमको असली सुख दूंगा जान.

नैंसी- जल्दी करो मेरे राजा.. मेरी मुनिया कब से तड़प रही है.

प्रभाकर ने अपने लिंग की नोक को नैंसी की योनि द्वार पर रख कर एक जोर का झटका दिया और आधा लिंग योनि में घुस गया.

नैंसी चीख पड़ी- आह मर गई जानू..

फिर प्रभाकर ने दूसरा धक्का दिया और पूरा लिंग चला गया योनि कि जड़ में उतर गया.

नैंसी चिल्लाने लगी- निकालो इसे प्रभाकर, मैं मर जाउंगी..

प्रभाकर थोड़ा रुक गया और नैंसी को स्मूच करने लगा. थोड़ा दर्द कम होने पर धीरे धीरे धक्के देने लगा. दो मिनट बाद नैंसी का दर्द कम हुआ. फिर उसने नैंसी को अपने लिंग के ऊपर बैठा दिया. धीरे धीरे नेहा को भी मज़ा आने लगा. वो उछल उछल कर प्रभाकर को साथ देने लगी.

नैंसी- आज पहली बार मेरी योनि में बड़ा मूसल ठीक से गया है और एडजस्ट भी हुआ है.. आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… और तेज़ करो प्रभाकर.

प्रभाकर- आह आह आह उफ्फ..

नैंसी- यस फ़क मी हार्ड..

दस मिनट की चुदाई के बाद प्रभाकर ने लिंग को बाहर निकल कर नैंसी की योनि के ऊपर अपने वीर्य की पिचकारी डाली. फिर एक रूमाल से उसकी योनि को साफ किया.

प्रभाकर नैंसी के पास लेट गया और उसको किस किया. फिर बोला- मज़ा आया जान?

नैंसी- बहुत मज़ा आया जानू, तुमने तो मुझे जन्नत की सैर करा दी. आज तो ऐसा लग रहा था कि असली सुहागरात थी.

प्रभाकर- अभी सुहागरात पूरी कहां हुई.

नैंसी- मतलब? मैं अभी किशोर से चुद कर आई हूं.. फिर तुमने चोदा.. क्या अब फिर से? मेरी चूत सूज जाएगी.. नहीं जानू.

प्रभाकर नैंसी की गांड पर एक चांटा मार कर बोला- इसका तो बाजा बजाना बाकी है.

नैंसी- नहीं प्रभाकर, गांड नहीं.. सुना है दर्द होता है.

प्रभाकर ने बिना कुछ बोले नैंसी को घोड़ी बनाया और अपना लिंग नैंसी की गांड पर रगड़ने लगा. फिर अपने बैग से एक क्रीम निकाल कर नैंसी की गांड के छेद पर लगाई, फिर अपने लिंग पर. नैंसी मना करती रही, पर उसकी एक ना सुनी. प्रभाकर ने एक धक्का दिया तो थोड़ा ही लिंग अन्दर गया, इतने में तो नैंसी छटपटाने लगी.. जैसे मुर्गी कटने वाली हो.

नैंसी- ऊई माँ, मर गई जानू.

प्रभाकर ने थोड़ी देर बाद दूसरा धक्का दिया और पूरा लिंग घुसा दिया. थोड़ी देर तो ऐसा लगा कि नैंसी बेहोश हो गई.. पर फिर जोर से चीखी.

प्रभाकर- बहुत कसी हुई गांड है जान तेरी.. लगता है किसी ने नहीं मारी.

नैंसी- आह प्लीज निकालो इसे.. बहुत दर्द हो रहा है.

प्रभाकर धीरे धीरे धक्के लगाता रहा और उसका लिंग मेरी बीवी की गांड में एडजस्ट हो गया. अब तो नैंसी को भी मज़ा आने लगा. नैंसी भी अब गांड हिला कर प्रभाकर का साथ दे रही थी.

नैंसी- बहुत मज़ा आ रहा है जानू, अहह आआआह..

प्रभाकर- दर्द के बाद मज़ा ही होता है.

नैंसी- आआआआह… और तेज करो जानू.

प्रभाकर नैंसी की हिरनी जैसी पतली कमर को पकड़ कर तेज़ धक्के दे रहा था. हर धक्के पे नैंसी के चेहरे पर प्यास और बढ़ रही थी और थोड़ी सन्तुष्टि का भाव भी दिख रहा था. फिर प्रभाकर ने नैंसी को दीवार के सहारे खड़ा किया और उसके स्तनों को पकड़ लिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

नैंसी के स्तनों को मसलते वापस वो उसकी गांड मारने लगा. कुछ मिनट बाद उसकी गांड में ही झड़ गया. उसके बाद गांड से लंड निकाल कर दोनों बाथरूम की और गए. नैंसी तो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. दोनों ने एक दूसरे को रगड़ रगड़ के साफ किया और बेड पे आकर एक दूसरे से चिपक कर बातें करने लगे.

नैंसी- आज तो पागल बना दिया प्रभाकर तुमने. सच में आज पहली बार मेरी असली सुहागरात हुई.

प्रभाकर- तुम जैसी जवान और खूबसूरत लड़की के साथ संभोग करने मिला यही बहुत है. वैसे तुम्हारा पति चूतिया है ना?

नैंसी- क्यों?

प्रभाकर- तुम जैसी पटाखा माल और गोवा में भी मस्ती की बजाए ऑफिस जाता है.

नैंसी- मेरे लिए तुम तो हो ना.

फिर वो दोनों सो गए. मैं भी बीवी की चुदाई देख मुठ मार के सो गया. सुबह नींद खुली 8 बजे तो नैंसी मेरे साथ बेड पर सोई थी.

मैंने उसको जगाया- नैंसी, उठो भी यार.. रात को 10 बजे ही हम सो गए थे.. अब कितनी देर तक यहां पड़ी रहोगी?

नैंसी- सोने दो ना किशोर, रात को बड़ी देर से नींद आई थी. कल पूरा दिन घूम लिया था सो थक गई हूं. तुम ऑफिस चले जाओ.

मैंने भी उसे सोने देना मुनासिब समझा. मैं भी मेरे दूसरे वाले कमरे में चल दिया. वो दोनों आज भी घूमने गए, मैं भी पीछे पीछे गया. वो किसी अनजान बीच पर गए, वहां पे कोई नहीं था. वहां पर दोनों ने जमकर चुदाई की. शाम को वो वापस होटल आ गई. थोड़ी देर में मैं भी आ गया. दरवाजा खोला तो नैंसी मेरे सामने सती सावित्री बन कर साड़ी पहन कर खड़ी थी. फिर मैं फ्रेश हुआ और हमने डिनर किया. उसने फिर नाइटी पहन ली.

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मैं- अपनी सखी के साथ आज कहां गई थी?

नैंसी- आज तो उसने मुझे कई बीच दिखाए और पैदल चला चला कर बॉडी की बैंड बजा दी.

मैंने नैंसी को किस किया, फिर उसकी नाइटी उतारने लगा तो मुझको दूर कर दिया.

वो- आज तो मैं थक गई हूं. आज नहीं किशोर.. कल करना.

मुझे भी थोड़ा गुस्सा आया क्योंकि उसका प्रभाकर की ओर झुकाव बढ़ रहा था.

मैं- कल सुबह पैकिंग कर लेना, दोपहर को हमें निकलना है.

इतना बोलते ही उसकी थकान दूर हो गई.

वो- क्यों क्या हुआ? तुम तो चार दिन की बात कर रहे थे, अभी तो सिर्फ 2 हुए हैं.

मैं- ऑफिस का काम खत्म हो गया है.

दूसरे दिन मैं उसके साथ वापस आ गया, पर वो नाराज थी. मैं ऑफिस चला गया. वैसे ही कुछ दिन बीत गए. मैं रोज रात को उसे किस करने जाता, तो कोई न कोई बहाना करके मना कर देती. एक दिन मैंने सोचा कि उसे सरप्राईज दूँ.

मैंने मूवी की टिकट ले ली फिर हाफ लीव लेकर घर गया. जैसे ही मैं घर पहुँचा, दरवाजा बंद था पर किचन की विंडो थोड़ी खुली हुई थी. मैं तो अन्दर का दृश्य देख कर हैरान हो गया. प्रभाकर ने मेरी बीवी को अपनी बांहों में कस के पकड़ कर खड़ा था, नैंसी चाय बना रही थी.

प्रभाकर- उतार दो न ये ब्लाउज नैंसी डार्लिंग.

नैंसी- अरे बाबा तुम खुद क्यों नहीं उतार देते.

नैंसी का ब्लाउज उतर गया तो मैं हैरान रह गया क्योंकि नैंसी ने पिंक कलर की ब्रा पहनी थी जो उसे बिल्कुल पसंद नहीं थी, ऐसा उसने मुझे बताया था. तो फिर आज क्यों पहनी?

मैं फिर दरवाजे का लॉक खोल कर चुपके से अन्दर आ गया और पर्दे के पीछे छिप गया. वो दोनों हॉल में आए.

प्रभाकर- जानू, मैं तुम्हारे लिए रेड वाइन लाया हूं और तुम चाय बना रही हो.

नैंसी- ये क्यों लाए.. मेरे पति को पता चला तो? मैंने उससे झूठ बोला है कि मुझे वाइन पसंद नहीं.

प्रभाकर- तुम्हारे पति को तो बहुत कुछ पता नहीं जानू.

नैंसी- मेरे परिवार वालों ने मेरी शादी जबरदस्ती कर दी थी. मुझे वो पसंद नहीं थे. पर फिर सोचा कि कोई तो ऐसा बंदा मिलेगा जो मुझे समझे, उसे ही मैं अपनी पसंद नापसंद बताऊँगी.

मैं ये सब सुनकर हिल गया. इतना बड़ा धोखा?

प्रभाकर- छोड़ो इन सब बातों को.

यह कह कर उसने नैंसी की साड़ी को अलग कर दिया. दोनों ने टीवी चालू किया और ब्लू फिल्म लगा ली. मुझे तो शॉक पे शॉक मिल रहे थे. मेरी बीवी ब्लू फ़िल्म का नाम सुन कर चिढ़ जाती थी, आज वो ही देख रही थी. फ़िल्म में 2 आदमी एक औरत को बेरहमी से चोद रहे थे.

ये देख दोनों की आंखों में वासना का नशा दिख रहा था. तभी नैंसी ने पीछे दरवाजे की ओर देखा, उसकी नजर पर्दे के पीछे खड़े में जूतों पर गई. शायद उसे मेरी हाजिरी का पता चल गया था इसीलिए उसने पर्दे के सामने थोड़ी स्माइल दी.

फिर प्रभाकर ने उसकी ब्रा को उतार दिया और स्तनों को मसलने लगा. फिर उसने ग्लास में पड़ी रेडवाईन को स्तनों पर डाल दिया, वो नीचे जाती हुई उसके पेटीकोट के अन्दर चली गई. फिर वो नैंसी के स्तनों को बेरहमी से चूसने लगा.

नैंसी उसका सर दबा कर मेरी ओर देखते हुए सिसकारियां निकलने लगी- आह प्रभाकर, आह..

अब तो मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था. मैं उनके सामने जाकर खड़ा हो गया ये देख प्रभाकर हड़बड़ाहट से दूर हो गया. नैंसी ने भी नाटक किया.

मैं- ये सब क्या है प्रभाकर?

वो- सॉरी, आज मैं बहक गया.

नैंसी- प्रभाकर आओ.. कस कर मसलो मेरे स्तनों को.. ये तो कब से हमें देख रहा है.

वो दो पल रुका और अचानक ही नार्मल हो गया. आकर स्तनों को मसलने लगा.

मैं- ये सब क्यों किया नैंसी?

नैंसी- तो फिर क्या करती मैं किशोर? मुझे भी तो अपनी लाइफ एन्जॉय करनी थी. रोज रात को तुम मुझे तड़पती छोड़ कर सो जाते थे. प्रभाकर ने मुझे पहली बार सही मायने में औरत का सुख दिया.

मैं- ये सब कब से चल रहा है?

नैंसी- प्रभाकर, तुम अब चले जाओ कल आना.

प्रभाकर- ओके जान.

वो किस करके निकल गया.

मैं बहुत अपसैट था. रात को हमने डिनर किया फिर मैं बेड पे लेट गया. बच्चे भी दूसरे कमरे में सो गए थे. फिर नैंसी रात को ब्लैक नाइटी पहनकर आई और मेरे साथ लेट गई.

नैंसी- तुमको एक बात बतानी थी किशोर. मुझको आज जी भरकर प्यार करो.

मैं- क्यों? क्या हुआ? पछतावा हो रहा है?

नैंसी- बताती हूँ.. पहले मेरी चूत को चाट ना..

मैं उसकी पैंटी को हटाकर उसकी योनि को चाटने लगा.. वो मचलने लगी.

नैंसी- आह किशोर, आह जी भर के चूसो. आज रात मैं तुम्हारी हूँ. कल से मुझ पर प्रभाकर के पूरा हक होगा. वो जो कहेगा, वही मुझे करना पड़ेगा.

उसकी इस बात से मुझ पर से तो सेक्स का नशा ही उतर गया.

मैं- ये क्या कह रही हो तुम?

नैंसी- वो मुझे बहुत खुश रखता है. उसने तो मुझे तुम्हें ना छूने देने को कहा था पर तुम मेरे पति हो, इसलिए सोचा कि एक बार तो तुम्हारा मुझपे हक़ बनता है. इसीलिए में कह रही हूँ कि जी भरके आज रात प्यार कर लो.

मुझे ये सब बातें सुनकर रोना आ गया और मैं रोने लगा. तो उसने मेरा सर पकड़ कर अपने सीने पे रख दिया. मेरे बालों को सहलाने लगी. फिर उसने अपनी ब्रा को उतार फैंका.

फिर वो बोली- अब रोने से क्या होगा किशोर, तुम मेरे पति हो इसलिए मैं प्रभाकर को एक रात धोखा दे रही हूँ.

फिर उसने मेरे मुँह में अपना एक स्तन दे दिया. वापस ना चाहते हुए भी मेरी वासना मुझ पर हावी होने लगी. मैं उसके स्तन को चूमने लगा.

नैंसी- आह किशोर, चूसो इसको.

फिर मैं नैंसी का दूसरा स्तन भी चूसने लगा और जमकर चुदाई की. बाद में मैंने अपना लिंग नैंसी की गांड पे रखा और वो कुछ बोले, मैंने लंड को पेल दिया. उसकी गांड प्रभाकर की मेहरबानी से थोड़ी खुली हुई थी.

नैंसी- आह, आज तक तुमने मेरी गांड क्यों नहीं मारी. चूत से ज्यादा गांड में मज़ा आता है.

मैं बिना कुछ बोले उसकी गांड मारने लगा.. और अन्दर ही झड़ गया. फिर दोनों ने अपने आपको साफ किया और बेड पर लेट गए.

नैंसी- कल से मैं थोड़ा गुस्सा कर दूँ तो बुरा मत मानना.

फिर हम दोनों सो गए. सुबह उठकर फ्रेश हुए. तभी दरवाजे पर घंटी बजी. मैंने दरवाजा खोला तो देखा प्रभाकर एक बैग लेकर खड़ा था.

मैं- तुम यहां?

प्रभाकर- अबे लौड़े, ये मेरा घर है यहां मेरी बीवी रहती है, जब मेरा मन करेगा, मैं इधर आ सकता हूँ.

नैंसी- अरे प्रभाकर तुम कब आए, ये बैग अपनी बीवी को दे दो. मैं उसे हमारे बेडरूम में रख देती हूं.

मैं- ये सब हो क्या रहा है बताएगा कोई?

नैंसी- कुछ नहीं किशोर, अब से प्रभाकर यहां रहेंगे.

मैं- अब कमीने..

नैंसी- तमीज से बात करो किशोर, मैं अपने पति की बेइज्जती बर्दाश्त नहीं कर सकती.

फिर वो दोनों कमरे में गए और सामान एडजस्ट कर दिया. मैं रोज रात को बच्चों के साथ सो जाता और नैंसी के कमरे से ‘आह आह आह..’ की सिसकारियां और चीखें सुनता और रोकर सो जाता. मुझे गोवा की ट्रिप बड़ी ही महंगी पड़ गई. नैंसी सुबह जल्दी उठकर नंगी ही किचन में चाय बनाने जाती और मैं रोज उनकी ओर देखता रहता.

वो अब बिंदास लाइफ एन्जॉय कर रही थी. वो एक दूसरे को मेरे सामने भी किस करते और अंगों को मसलते. मैंने एक दिन अपना आपा खो दिया. जैसे ही नैंसी किचन में गई और चाय बनाने लगी. मैं पीछे से जाकर अपना मुँह सीधा ही उसके योनि पर रख दिया और चूमने लगा. उसको लगा कि प्रभाकर है.

वो आँखें बंध कर मेरा सर दबाने लगी- आह प्रभाकर, पूरी रात तो चूत को चाटा अब भी जी नहीं भर रहा, आह…

फिर मैंने खड़ा होकर अपना लिंग उसकी चूत में पीछे से पेल दिया और जैसे ही एक धक्का लगाया कि उसे पता चल गया कि मैं हूँ.

वो चीखने लगी- प्रभाकर..

तभी मैंने उसके मुँह पे हाथ रखकर उसकी आवाज को रोक दिया और बोला- मैंने तुम्हारे पापा को और परिवार को बता दिए है ये सब तुम्हारे अच्छे कर्म शांति रखो और जो हो रहा है उसे होने दो.

मैंने उसके मुँह से हाथ हटाया तो वो चुप रही और रोते हुए मेरे धक्कों को सहने लगी.

“ये क्या कर दिया तुमने किशोर, अब मैं प्रभाकर को क्या कहूंगी?”

मैं- ज्यादा नखरे मत कर रंडी, मैं भी उसी दिन ऐसे ही रो रहा था, पर तुम पर तो प्रभाकर का भूत ही सवार था. ना तो बच्चों के बारे में सोचा ना तो परिवार के बारे में. और मैंने प्रभाकर को खाने में ऐसी दवा खिलाई है कि वह नामर्द बन जायेगा अपना पूरा जीवन हिजड़ो की तरह तालिया बजा कर गुजारेगा और तू रंडी बनकर अपनी हवस की आग बुझाते रहना.

क्योंकि मैंने तुम्हारा पूरा वीडियो शूट किया है जो तुम्हे रंडी साबित करता है तो तुम मेरे घर और जिंदगी से दूर हो जाओ मैंने तुम्हारे घर वालो को भी सब बता दिया है वह भी तुम्हारा मुँह नही देखना चाहते मैं तुम्हारी छोटी बहन से शादी कर रहा हु वह भी मुझसे शादी करना चाहती है तो बच्चों को नई माँ मिल जायेगी मैं उनपर तुम्हारा साया भी नही पड़ने देना चाहता तो तुम्ह अपने हिजड़े यार के साथ जहा जाना चाहती है जा सकती हो मेरी बला से.

फिर वो रोते हुए अपने कमरे में गई और कमरे को बंद कर लिया. प्रभाकर को जगाया और कुछ बात करने लगी. क्या बात हुई वो पता नहीं चला. दो घंटे बाद दरवाजा खुला और देखा तो प्रभाकर अपना बड़ा बैग लेकर बाहर आया और उसकी आंख में भी आंसू थे.

मैं सोफे पर बैठा था. वो मेरे पास आया और बोला- सॉरी यार, हो सके तो मुझे माफ कर देना. मैं क्या करने यहां आया और मैंने क्या कर दिया. तुम्हारी जिंदगी उजाड़ कर रख दी, सिर्फ अपनी भूख मिटाने के लिए.

मैं- मुझे कुछ नहीं सुनना, तुम दोनो यहां से चले जाओ.

नैंसी भी रोते हुए आई और मेरे पैरों में सर रख कर रोने लगी.

नैंसी- किशोर, मैं वासना की आग में अंधी हो गई थी. मुझे कुछ नहीं दिखाई दिया.

मैं- देखो जो हुआ, उसे बदल नहीं सकते ना तुम मेरे साथ खुश हो ना मैं तुम्हारे साथ फिर जिंदगी में कभी मुझे अपनी मनहूस शकल मत दिखाना मैंने उसके सामने डिवोर्स के पेपर रख दिये और कहा जाते जाते इनपर साइन करना फिर उसे और प्रभाकर को घर से बाहर निकाल दिया ओर दरवाजा बंद कर दीया

मैने गोवा में ही यह सब तय किया था कि घर जाते ही सबूत जुटाऊंगा और नैंसी नाम की गंदगी अपनी लाईफ से निकाल फेंकूँगा पर उनको उनके किये की सजा भी जरूर दूँगा उस दवा की वजह से प्रभाकर किसी काम का नही रहेगा ना कोई काम कर सकेगा ना किसी को चोद पायेगा जिंदा लाश बनकर एडी रगड़ रगड़ कर मरेगा.

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मैंने नैंसी को नही बताया पर उसको भी मैंने वही दवाई खिलाई थी क्यों कि जो उनलोगों ने मेरे साथ किया था ऐसे कैसे उन्हें छोड़ देता दोनो ने मुझे मेरे घर मे जलील किया था मुझे कमजोर समझने की गलती उन्हें बहुत महंगी पड़ गई थी. कुछ दिन लाइफ ऐसे ही चली बाद में थोड़ी धीरे धीरे नार्मल हुई. फिर मैने उसकी बहन के साथ शादी कर ली, आज हमारी शादी को पांच साल हो गये है हमारे तीन बच्चें है मैं भी अब मेरा सारा खाली समय अपने बीवी बच्चों को देता हूं वह गलती मैं दोबारा नही करना चाहता.

कुछ सालों बाद मेरे एक दोस्त की जुबानी पता चला कि प्रभाकर और नैंसी कुछ समय साथ रहे फिर अलग हो गये फिर नैंसी गोवा में कॉल गर्ल का काम करती थी फिर गंदी बीमारी से सरकारी दवाखाने में बेनाम मर गयी सेक्स की वजह से वह योग से भोग तक फिर भोग से रोग तक पहुंच गई फिर हम अपनी नार्मल लाइफ एन्जॉय करने लगे, पर जब भी हम प्रभाकर और नैंसी का नाम सुनते तब वो समय कांटे की तरह चुभता.

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