Pyasi Bhabhi XXX
ये बात 2022 की है उस समय मे बंगलोर में रहता था, सेल्स और मार्केटिंग में जॉब करता था, एक गबरू जवान लड़का बुर की प्यास में इधर उधर ताकता झांकता रहता था, लेकिन कहावत है न्, “न् बुर मिले न् गाण्ड लण्ड का एक ही उपाय 61,62” यानी कि मुठ मारना और शांत करना. Pyasi Bhabhi XXX
खैर कहानी को आगे बढ़ाते है, फेसबुक पे मै सिर्फ लड़कियों के लिए जाता था, ये सोच के की कोई तो बुर वाली चाची, भाभी या कुवारी मिल जाएगी और मेरा लण्ड अपना पानी चुत में डाल के तृप्त हो जाएगा, लेकिन कोई मिलती ही नही थी, फिर हमने शेरो शायरी लिखना पोस्ट किया, उसके बाद मेरी कई सारी लड़कियों से दोस्ती हुई जिसमें से एक अर्चना के साथ मेरी चेटिंग होनी चालू हुई.
कुछ दिनों तक हाय हेल्लो यही होता रहा, लेकिन कुछ दिनों के बाद हमने अपने आप सबको एक दूसरे के समझने में लगा दिया, कुछ दिनों तक मैसेज बॉक्स में गपशप चालू रहती थी, एक दिन अचानक अर्चना का मैसेज आया आपसे कुछ बात करना है आपके पास समय है.
मैने कहा हुजूर के लिए समय ही समय है, फरमाए कैसे याद किया आपने, फिर अचानक न् जाने क्या हुआ वो offline हो गई, मन मे एक कसक और दिल मे जलन सी होने लगी, ये सोच के की न् जाने वो क्या पूछना चाहती थी, फिर अचानक वो offline हो गई.
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खैर दूसरे दिन वापस उनको ऑनलाइन देखा और मैंने मैसेज किया फिर उसका वही पुराना रूटिंग चालू हो गया, मैंने कहा कल कुछ पूछना था आपको फिर आप offline हो गए, उसने मेरी बातों का जवाब देना उचित न् समझा और बात को बहाना बना के निकल गई.
ऐसे ही कुछ दिनों के बाद मैंने उसका मोबाइल नंबर मांग दिया ऐसा बोल के की आप whats app पे हो क्या, उसने बिना झिझक अपना नंबर दे दिया, फिर मेने whats app में hi hello करना चालू कर दिया, बात बढ़ते बढ़ते फ़ोटो पे आ गई, उसने अपना एक इमेज भेजा, सच मे दोस्तो वो एक कयामत लग रही थी.
लण्ड तो मेरा देखते ही उसको टाइट हो गया दिखने में को लगभग 4 फुट की थी लेकिन उसकी चुची अभी चूचा नही बन पाई थी, इसका सीधा सा मतलब ये था कि उसकी चुदाई जबर्दत नही हो पाई थी, कुछ दिनों के बाद मालूम पड़ा कि उसके पति से उसकी बनती नही है.
और उसका पति उससे बिस्तर में गर्म करके छोड़ देता था, इनके लिए उसको एक गबरू जवान की जरूरत थी, जो उसने मुझमे देखा, एक दिन बातों बातों में उसने बताया कि मुझे आपसे वो सुख चाहिए जो एक पति अपने पत्नी को देता है, मैन कहा ऐसा संभव नही में आपके साथ गलत नही कर सकता.
मन तो मेरा भी था कि खड़े लण्ड पे मैं खुद धोखा दे रहा हूँ, लेकिन कहते है न् किस्मत में जो मंजूर है वो मिल के रहेगा, फिर उसने मुझसे कहा कि आप आ जाओ मुझे आपसे मिलने है, एक दिन हमने उसके यहाँ जाने का प्लान बनाया और अर्चना को बताया, अर्चना के चेहरे की लालिमा और बुर ने पानी छोड़ना चालू कर दिया.
इसी कसमकस में मैं अर्चना के यहाँ पहुच गया, रात होटल में बिताया क्योकि मिलने का प्लान कुछ ऐसा बना था, उसका पति 11 बजे घर से निकलता है और रात में घर आता है, इसी बीच हमारा मिलन होना है, लगभग 11:30 पे मैं उसके यहाँ पहुच गया, वो एक भीड़ भाड़ वाले बस्ती में रहती थी.
वो मुझे लेने आई थी, जैसे ही मैन उसे देखा एक अजीब नशा मेरी रगो में दौड़ने लगा, मानो ऐसा प्रतीत हो रहा था कि में उसके होठो के पंखुड़ियों को अपने जिह्वा से मिला के चूमने को वयकुल हूँ, खैर जब उसने अपने दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार किया और वो आगे आगे चलने लगी में उसके पीछे पीछे चलने लगा.
कुछ दूर जाने के बाद हम उसके घर पे पहुच गए, उसने लाइट on किया और अपने दुपट्टे को अपने सीने से अलग करते हुए मुझसे पूछा आप क्या लेंगे और शर्माकर सिर झुका ली। अब तो मेरा मेरे पेंट में उबाल मारने लगा, मैंने कहा आओ मेरे पास और यहाँ बैठो।
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अर्चना शर्माती हुई मेरे बग़ल में आकर बिस्तर पर बैठ गयी और मुझे अपना लौड़ा सहलाते हुए देख कर बहुत गरम हो गयी। मैंने कहा अर्चना तुम मुझे यहां क्यों बुलाई हो अगर इतनी चुप्पी रखना है तो में चला जाता हूँ मेरे इतना कहने से ही अर्चना आकर के मेरी गोद मे बैठ गई। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अर्चना उठकर उसके खड़े लंड पर बैठ गयी और अपनी गाँड़ के नीचे उसकी सख़्ती को महसूस करके अपनी पैंटी गीली करने लगी। मेरी छाती पर उसकी पीठ थी। वो उसके मुँह को घुमाया और उसके गाल और माथा चूमा और फिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिया।
अब में उसके रसीले होंठ चूसने लगा और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दिया। अब अर्चना को बहुत मज़ा आने लगा था। वो अपनी गाँड़ को हल्के से हिलाकर मस्ताने लंड को अपनी बुर के ऊपर रगड़ने लगी थी। मैंने अब अपने हाथ उसकी एक एक चूचि पर रखा और दबाकर मस्त होने लगा।
आऽऽऽऽऽह अर्चना क्या मस्त चूचियाँ है बिलकुल सख़्त अमरूदों की तरह। फिर मैन उसकी पहनी हुई साड़ी को धीरे धीरे उसकी कमर तक उठा दिया। अब मैंने अपने नीचे के भाग को खोल के नंगा लौड़ा कर दिया जिससे अर्चना की चिकनी जाँघों को रगड़ रहा था और पैंटी के ऊपर से उसकी बुर पर भी अपना मुँह मार रहा था।
अब अर्चना के मुँह से सीइइइइइइ निकल रही थी। अब मैंने अर्चना के ब्लाउज को नीचे से उठाया और उसके सिर के ऊपर से निकाल दिया। अब वो उसकी ब्रा में फँसे हुए सख़्त अमरूदों को देखकर मस्ती से उनको भी दबाने लगा। फिर उसने ब्रा का हुक खोला और उसके अमरूदों को क़ैद से आज़ाद कर दिया।
अब वो उन नंगी मस्त चूचियों को जिनके ऊपर मटर के दाने सा निपल था दबाने लगा। अब वो अर्चना को उठाया और घुमाकर फिर से अपनी गोद में बिठा लिया। अब उसकी नंगी छाती अर्चना की छातियों से सट गयीं थीं। वह मस्ती में आकर उसके होंठ चूसे जा रहा था।
उसके हाथ अब अर्चना की पीठ सहलाते हुए उसके गोल गोल चूतरों को भी दबाने में लगे थे। अब अर्चना की बुर उसके लंड से रगड़ खा कर जैसे नदी बन गयी थी जिसमें से पानी निकले ही जा रहा था। अब वो झुका और एक चूचि दबाते हुए दूसरी को चूसने लगा। अर्चना को लगा कि वो अभी ही झड़ जाएगी।
उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कितना मज़ा आ रहा है- वो सोची। अब उसने कमर हिलाकर अपनी बुर फिर से लौड़े पर रगड़ने लगी और उइइइइइ कर उठी। मैं उसकी चूचियाँ बदल बदल कर चूस रहा था। और उसके निपल भी मसल रहा था। अचानक अर्चना के मुह से आवाज आई ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अर्चना उइइइइइइइइइ मॉआऽऽऽऽऽऽऽ कहती हुई अपनी गाँड़ हिलाते हुए बुर को लंड पर रगड़ कर झड़ने लगी।
मैं मुस्कुराया और बोला: क्या हुआ अर्चना झड़ गयी क्या? मैंने अर्चना की उठती गिरती छातियों को दबाकर कहा।
अर्चना आऽऽऽऽह आप बहुत मज़ा देते हो। उफफफफ।
अब मैंने उसे चूमते हुए खड़ा किया और उसकी साड़ी उसके बदन से अलग कर निकाल दिया। अब उसकी पूरी गीली पैंटी मेरे मुँह के सामने थी। मैंने अपना मुँह उसकी पैंटी के अंदर डाला और सूँघते हुए जीभ से उसे चाटने लगा। अर्चना फिर से उइइइइइइइ कर उठी।
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अब मैंने उसकी पैंटी को भी नीचे कर निकाल दिया और अब उसकी बुर को सूँघते हुए और चूमते हुए अपनी जीभ से चाटने लगा। एक बार फिर से अर्चना के बदन में मानो बिजली का करेंट सा लगा और वो आऽऽऽह कर उठी। मेरा दोनों हाथ उसकी एक एक गाँड़ पर थे और वह उनको दबाकर पूरी शिद्दत से उसकी बुर चाट रहा था।
अर्चना अब फिर से आऽऽऽऽऽऽऽह हाऽऽयय्य कर उठी। मेरी आँखों के सामने पूरी नंगी जवानी उसे मदमस्त कर रही थी। क्या क़िस्मत पायी है उसने जो ऐसी मस्त कमसिन जवानी का आज मज़ा मिल रहा है – मैंने सोचा अगर इसका पति है फिर भी ये कमसिन सी क्यों लगती है.
मेरे मन मे ख्याल आया कि में इसके परिवार के बारे में बात कर, उत्सुकता बनी हुई थी मन मे, मानो ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसका मर्दन मर्द के हाथों और लण्ड से अभी जबरदस्त नही हुआ है वो वयकुल सी है अपनी बुर और चुची का मर्दन करवाने के लिए, जन्मजात प्यासी सी दिख रही थी, उसकी आँखों से आशु गिर रहे थे और वो मजा लेकर अपने आप को मुझमे समाए हुई थी.
अब मै बिस्तर पर लेट गया और अर्चना को अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठ चूसते हुए उसकी पीठ गाँड़ और चूचियाँ सहलाने लगा। मेरा लौड़ा अर्चना की जाँघों पर मस्ती कर रहा था। अचानक मैंने अर्चना से बोला: अपना थूक मेरे मुँह में गिराओ।
अर्चना चौंकी और बोली: छी ये गन्दा नहीं लगेगा आपको?
मैंने कहा अगर मजा लेना है तुम्हे तो जितना तुमाको लगे कि ये कार्य करने में गंदगी होती है उसी में भरपूर मजा आता है, चुदाई एक प्रयोग है, कला है जिसमे जितना डूब जाओ उतना ही मजा आता है, और तुम्हारा कुछ गंदा हो हो ही नहीं सकता क्योंकि तुम हो ही इतनी प्यारी, चलो थूक गिराओ मेरे मुँह में।
अर्चना हिचकिचाते हुए थोड़ा सा थूक बाहर निकाली और मैंने अपना मुँह खोल दिया और उसका थूक अपने मुँह में गिरा लिया और निगल लिया। अर्चना देखती ही रह गयी। अर्चना अब थूक मेरे मुँह में डाली और मैंने फिर से वो गटक गया। अर्चना का मुँह मैंने नीचे करके उसके होंठ चूसने लगा और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दिया।
फिर अर्चना को बोला: अपनी जीभ मेरे मुँह में डालो ना अब अर्चना भी मस्ती में थी और अपनी जीभ बाहर निकाली और में उसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी जीभ से अपनी जीभ दबाने लगा। हम दोनों पूरी तरह से गरम हो चुके थे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अब मैंने बोला: चलो थोड़ी देर ६९ करें?
अर्चना मुस्कुराई और उठकर मेरे ऊपर उलटी लेट गयी। उसको लोडा चूमने का कोई ज्ञान नही था, ये मुझे बाद में उसने बताया, में उसकी बुर को मुह में लेकर के पीने लगा और वो मेरे लण्ड को हिलाने डुलाने लगी मानो उसे झूला झूला रही हो, कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैने उसे अपने ऊपर से हटाया और उसकी बुर में अपने प्यारे लंड को लगाया.
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उसकी बुर धडक रही थी और उसकी चुची डोल रही थी, आखिर वो समय आ ही गया और मैंने अपने लंड को दवाब बना के उसके बुर में डाल दिया वो सी सी हहहह हहहह हाय्य हाय्य्य्य फट गई कहने लगी, दोस्तो शादी शुदा होने के वाबजूद अर्चना का सही से मर्दन नही हुआ था मेरा शक स्नेही से रूप लेकर सही साबित हुआ और उसके बुर से दर्द आने लगा वो हाँफने लगी तब् मैंने अपने लण्ड को निकाल लिया और देखा मेरे लण्ड पे थोड़ा खून निकल आया है, फिर मैंने कहा कि अर्चना ये देखो खून. उसने मेरे सीने में अपना सर छुपा लिया और रोने लगी.
उसने कहा वो अपने पति से वो आनंद नही पति है जो सेक्स करने में एक पति से पत्नी को मिलना चाहिए मैंने उसकी आशु को अपने होठों से पीते हुए उसके गाण्ड में अपने दोनों हाथों को लगा के उठा लिया और मैंने कहा अर्चना में तुम्हे वो सब आनंद दूंगा जो तुम्हारे पति ने तुमाको नही दिया है, दोस्तो मजा इधर भी आ रहा था और उधर भी जबरदस्त चुदाई हुई अर्चना की उसकी बुर ने ढेर सारा खून और ढेर सारा पानी निकाल फिर हम अपने घर और वो अपने घर, अब देखते है वापस कब उसकी चुदाई हो पाती है, बुला रही है वो कब जाना है पता नही.