New Kamuk Hindi Kahani
मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की जिस लड़की के पीछे सारा कॉलेज पड़ा हुआ था वो मुझे शादी के बाद चोदने को मिलेगी और वो भी इन हालात में जब मेरा अपना तलाक़ सड़क के उस पार मेरा इंतज़ार कर रहा था. दरअसल रोज़ा हमारे कॉलेज की सबसे सेक्सी लड़की थी. New Kamuk Hindi Kahani
होने को तो वो एक कट्टर मुस्लिम परिवार से आती थी लेकिन उसे हम लोगों के साथ मौज मस्ती करना भी बहुत पसंद था. शादी की वजह से जब उसे कॉलेज बीच में छोड़ना पड़ा तो वो बहुत रोई थी और मैं भी बहुत दुखी हुआ था क्यूंकि मैं उस से शादी करना तो चाहता था पर उसके मुस्लिम होने की वजह से बवाल हो जाता इसलिए मैंने कभी कहा भी नहीं.
उस दिन मैं अपने क्लाइंट से मिल कर जब मेट्रो से लौट रहा था तो राजीव चौक स्टेशन पर रोज़ा हिजाब में ढँकी नज़र आई. मैंने उसे आवाज़ दी और उसने पलट कर मुझे हेल्लो किया हम दोनों ही गुडगाँव जा रहे थे. उसने मेट्रो में मुझे बताया कि किस तरह उसकी शादी के बाद वो परेशान रही और आज पति की कमाई बंद हो जाने के बाद उसे जॉब करने भागना पड़ रहा है.
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मैंने भी अपनी टूट रही शादी का हाल कह कर अपना दिल हल्का कर लिया. गुडगाँव में रोज़ा जहाँ इंटरव्यू देने जा रही थी वहां का एच आर मेरे बड़े भाई का बैचमेट था सो मैंने उसे कहा की इंटरव्यू के बाद मुझे मेसेज डाल देना. हम दोनों अपने अपने रस्ते निकल गए.
लेकिन शाम होने पर रोज़ा का फोन आया और उसने बताया कि इंटरव्यू ठीक ठाक गया है तो मैंने कहा “लोड मत लो सब ठीक होगा”. अब तो रोज़ा से आए दिन मुलाक़ात होने लगी कारण कि हमारा मेट्रो का रूट एक ही था, एक दिन मैंने उसे उसके पति के साथ अपने घर डिनर के लिए इनवाईट किया.
तो वो सुबक पड़ी और बोली “आज कल वो अपनी एक बेवा भाभी के घर पर ही रहते हैं वही उन्हें पाल रही है”. दरअसल उसके पति का अपनी बेवा भाभी से अफेयर था और उसी के कहने पर उसके पति ने जॉब छोड़ दी थी. मैंने रोज़ा को हौसला दिलाया कि सब ठीक हो जायेगा.
हालाँकि मुझे मालूम था कि एक दफे कोई इन चक्करों में पड़ गया तो उसका वापस आना मुश्किल ही है. खैर रोज़ा ने शनिवार को हाफ डे होने की वजह से मेरे साथ लंच करना स्वीकार किया. रोज़ा मेरे घर आई और उसने जैसे ही फ्लैट देखा वो काफी खुश हुई क्यूंकि ये बिलकुल वैसा ही सजा हुआ था जैसा एक दिन कॉलेज में उसने अपने घर का सपना मुझसे शेयर किया था.
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रोज़ा और मैंने मिलकर खाना बनाया और खाया. फिर जब मैं बालकनी में सुट्टा मारने गया तो वो भी वहीँ आ गयी और बोली “ये बुरी आदत है छोड़ क्यूँ नहीं देते” तो मैंने कहा “फिर क्या करूँगा”. वो बोली “अन्दर आओ बताती हूँ” ये कहकर रोज़ा मेरा हाथ पकड़ कर अन्दर ले गयी.
और ड्राइंग रूम में ले जा कर मेरे होठों को इतने प्यार से चूमा कि ऐसा तो मेरी बीवी ने भी नहीं किया था. रोज़ा मेरे होठों को चूम रही थी और मैं भी उसके होठों का रस ले रहा था, पता नहीं कब हम दोनों के शर्म के परदे खुल गए और हम एक दुसरे से लिपट कर एक दुसरे को सहलाने लगे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
रोज़ा का टॉप उतार कर मैंने उसकी ब्रा में सजे उसके भरे भरे रसीले चूचों को देखा तो मेरी बांचें खिल गईं क्यूंकि ये अब भी वैसे ही थे जैसे की कॉलेज के वक़्त हुआ करते थे, मैंने उस से पूछा “क्या तुम्हारे पति नए इनका रस नहीं लिया” तो वो बोली “बस सुहागरात में लिया था और फिर एक आध बार कभी जब उसकी भाभी ने मन किया होगा सेक्स के लिए”.
मैंने कहा “तो मतलब” उस्न्ने इशारा समझ कर कहा “हाँ उसने मेरी इस भरपूर जवानी का रस नहीं लिया जिसे पूरा कॉलेज लेना चाहता था”. मैंने कहा “रोज़ा मेरी जान मैं आज तुम्हारी इस जवानी को पूरी तरह से जीना चाहता हूँ” और ये कह कर मैंने उसके दशहरी आम जैसे तने हुए उसके चूचों को उसकी ब्रा से आज़ाद कर दिया और उन्हें जी भर के चूसा.
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रोज़ा की आहों से मेरा ड्राइंग रूम गूँज उठा था और वो कहती रही “खूब जमकर पियो इन्हें, शायद ये तुम्हारे ही नसीब में लिखे थे” मैंने उसके चूचों को चूसते हुए उसकी सलवार के उप्पर से उसकी चूत को सहलाना शुरू किया तो रोज़ा चिहुंक उठी. रोज़ा की चूत इतनी गीली हो गयी थी की उसकी चूत का पानी बाहर रिस्न्ने लगा था और उसकी सलवार भी गीली हो गयी थी.
रोज़ा ने अपना नाड़ा ढीला किया और मेरे सामने घोड़ी बन गयी. मैंने अपनी पेंट उतार फेंकी और जैसे ही अपना लंड बहार निकला तो रोज़ा मुस्कुरा उठी और बोली “भर दो अपना हथियार मेरी चूत में मेरे यार”. मैंने अपने लंड के टोपे से उसकी चूत के मुहाने को रगडा और एक हलके से धक्के से रोज़ा की चूत में अपना लंड खिसका दिया.
उसकी चूत आलरेडी इतनी गीली थी कि मेरा लंड फिसलता हुआ चूत में पूरा का पूरा घुस गया और रोज़ा हाय हाय करने लगी, मैं बराबर उसकी चूत में अपने लंड को पेल रहा था और उसकी गांड पर चांटे लगा रहा था और रोज़ा मेरा नाम ले ले कर “उफ्फ्फ हाय और ज़ोर से डालो ना” चिल्ला रही थी. अब मैंने रोज़ा को दीवार के कोने में खड़ा कर के उसकी एक टांग को सोफे पर टिका दिया और फिर से उसकी चूत में लंड पेला.
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तो वो और ज़ोर से चिल्लाने लगी उसके नाखोन मेरी चमड़ी को नोचे दे रहे थे. रोज़ा को चोदने का ऐसा सुख तो शायद उसके पति को भी नहीं मिला होगा. अब मैंने उसे सोफे पर लिटा कर उसे मिशनरी स्टाइल में चोदना शुरू किया तो उसकी सांस में सांस आई क्यूंकि ये कम्फर्टेबल था. मेरे धक्के और रोज़ा की हाय हाय तेज़ होती गयी और हम दोनों एक साथ झड़ गए, मैंने निढाल हो कर रोज़ा पर पडा था और वो मुझे कस कर पकडे सो रही थी. थोड़ी देर में हम उठे और हमने शाम तक तीन चार बार और चुदाई की.
और मैंने उसके मीठे मीठे चूचों का फिर से रस पिया. मेरा अब तलाक हो चूका है और मैं दूसरी शादी नहीं करना चाहता रोज़ा को भी अपने पति की बेवफाई का बिलकुल अफ़सोस नहीं है क्यूंकि वो और मैं अब अपनी सेक्स की भूख को ऐसे ही मिटा रहे हैं, रोज़ा मेरा बिलकुल एक बीवी की तरह ही ख़याल रखती है और कभी कभी जब वीकेंड पर आती है तो मेरी बीवी की साडी मंगलसूत्र पहन कर मांग में सिन्दूर भर कर पूरे प्यार से मेरी बीवी बनकर चुदती है और हम दोनों ऐसे ही सुखी हैं.
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