Jawani Ka Sexy Khel
मालकिन की चुदाई ये लंड की ताकत वाली कहानी बिहार के एक छोटे से गांव की कहानी है। जहां जीतन राम एक गरीब मज़दूर, जो अपनी पत्नी निलंजना और बेटे शक्ति के साथ अपने मालिक जमीदार पुर्षोत्तम राय की हवेली के बाहर एक छोटी सी झोपडी में रहता था। Jawani Ka Sexy Khel
जीतन राम के पुराने बज़ुर्ग दादा पड़दादा ने कोई बड़ी रकम ज़मीदार साब से ब्याज पे ली थी और वो रकम चुकाने के लिए शुरू से ही ज़मीदार साहिब के खेतो में ही काम करते आये थे और अब तक सिर्फ ब्याज ही बड़ी मुश्किल से चुकता कर पाये थे। मूल वैसे का वैसा वहीँ रुका हुआ था।
जीतन राम भी उसी रीत को आगे चला रहा था। गरीब होने की वजह से जीतन राम अपने बेटे शक्ति को ज्यादा पढ़ा लिखा नही सका और सारा परिवार जमीदार साब की दिन रात चाकरी करता था।
जीतन राम का बेटा शक्ति 25 साल का हो चूका था और जब से उसने होश सम्भाला था। खुद और परिवार को जमीदार का गुलाम ही पाया था। जमीदार साब चाहे पैसे से पूरी दुनिया खरीद सकते थे, पर अपने घर में गरीब थे, मतलब खुद के घर उनकी अपनी औलाद नही थी। जिसकी वजह से दोनों मिया बीवी बहुत परेशान रहते थे ।
एक दिन जीतन राम अपनी झोपडी में बैठा खाना खा रहा था के एक आदमी जो के ज़मीदार साब का संदेसा लेकर आया था, के उन्होंने कही जाना ही जल्दी हवेली में पहुँचो। जीतन राम ने खाना खाकर 20 मिनट में पहुंचने का बोलकर है उसको वापिस भेज दिया। खाना खाकर जब जीतन राम हवेली गया तो.
जीतन राम – कैसे याद किया हज़ूर?
जमीदार – हा तो जीतन राम, आ गए हो। सुनो मैं कारोबार के सिलसिले में एक महीने के लिए विदेश जा रहा हूँ। तुम और निलंजना दोनों अपनी मालकिन का ख्याल रखना। उनको समय समय पे दवाइया, खाना देते रहना।
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जीतन राम – जो हुक्म हज़ूर, आप निश्चि्त होकर अपने काम पे जाओ, मालकिन और घर की हिफाज़त की जिम्मेवारी हमारी है।
ज़मीदार – बहुत बढ़िया!! तुमसे मुझे यही उम्मीद थी।
और जमीदार साब अपनी गाडी में बैठ कर हवाई अड्डे को तरफ रवाना हो जाते हैं. उनके जाने के बाद मालकिन अपने कमरे में सो रही होती है तो..
निलंजना (दरवाजा खटकाते हुए) – मालकिन, दरवाजा खोलिए ! आपके लिए खाना लेकर आई हूँ।
(नींद में ही उठी मालकिन ने दरवाजा खोला और वापिस अपने बैड पे जाकर बैठ गयी)
निलंजना – लो मालकिन, खाना खालो पहले बाद में आपकी दवाई लेने का समय हो जायेगा।
मालकिन – आज तुम क्यों आई, निलंजना, बड़े मालिक कहाँ गए है, दिखाई नही दिए सुबह से?
निलंजना – क्या बात करती हो मालकिन ? आपको बताकर नही गए क्या ज़मीदार साब?
मालकिन – (रोटी का निवाला तोड़कर, मुह में डालने से पहले) – क्या मतलब तुम्हारा निलंजना?
निलंजना – मतलब के मालिक ने शक्ति के बाबू जी को सुबह ही बुलाया था के उनको बाहर बिदेश में किसी काम से जाना था। इसलिए आज मालिक दिख नही रहे यहां।
मालकिन – अच्छा तो ये बात है ?
(खाना खाने के बाद)
निलंजना तुम ऐसा करो मेरी अलमारी से कपड़े निकाल दो, मुझे नहाकर दवाई लेने अस्पताल जाना है. और हाँ आपके मालिक तो है नही यहाँ पे तो आज दवा लेने किसके साथ जाउगी मैं, ऐसा करो शक्ति को बुला लेते हैं खेत से. उसे गाडी चलाना भी आता है और थोडा पढ़ा लिखा भी है, बाहर के लोगो से बोलने की तमीज़ भी है! क्या कहती हो निलंजना?
निलंजना – ठीक है मालकिन, जैसी आपकी मर्ज़ी।
मालकिन मुनीम जी को फोन लगाकर शक्ति को घर भेजने का कहती है. करीब आधे घण्टे बाद शक्ति भी खेत से हवेली आ जाता है। उधर मालकिन भी तैयार होकर बैठी होती है।
शक्ति – हांजी मालकिन क्यों बुलाया खेत से?
मालकिन – शक्ति तुम्हारे मालिक एक महीने के लिए कही बाहर गए हैं तब तक तुम मेरे साथ हर जगह चलोगे, जैसे अस्पताल, कही घूमने या फेर किसी पार्टी में, समझ गए न।
शक्ति – जो हुक्म मालकिन, अब कहाँ चलना है।
मालकिन – अब हमको शहर के सबसे बड़े अस्पताल में जाना है, दवाई लेने! जाओ तुम कपड़े बदल कर तैयार हो जाओ, इन कपड़ो में अच्छे नही लगते हो।
शक्ति – पर मालकिन मेरे पास इससे अच्छे कपड़े नही है।
मालकिन – उफ्फ्फ!!! क्या नई मुसीबत है, ठीक है पहले नहाकर आओ कपड़ो का बन्दोबस्त मैं करती हूँ।
शक्ति – ठीक है मालकिन।
करीब आधे घम्टे बाद शक्ति नहाकर आ जाता है.
मालकिन – ये लो शक्ति तुम्हारे साब जी के कपड़े है ध्यान से हिफाज्त करना इनकी फटने नही चाहिए. और एक बात किसी को ऐसा न महसूस होने देना के तुम हमारे नौकर हो, हमे आज नए अस्पताल में जाना है। उनसे ऐसे वयवहार करना के तुम ही जमीदार हो, इससे हमारी भी इज्ज़त बनी रहेगी। “Jawani Ka Sexy Khel”
शक्ति – ठीक है मालकिन !!
शक्ति उन कपड़ो को पहन कर खुद ज़मीदार साब लग रहा था. दोनों गाड़ी में बैठकर अस्पताल चले गए.
डॉक्टर ने दोनो को हम उम्र होने की वजह से पति पत्नी समझ लिया और पुरानी रिपोर्ट्स को पड़कर बोले – हाँ तो पुर्षोत्तम जी, आप बैठो और आपकी पत्नी को जरा बाहर ही बैठने को बोलो..
ज़मीदार बने शक्ति ने वैसा ही किया.
डॉक्टर – हाँ तो पुर्षोत्तम जी, आपकी रिपोर्ट के हिसाब से आप में कमज़ोरी की वजह से आपके वीर्य में शुक्राणु बनने की प्रकिर्या बहुत धीमी है।
ज़मीदार – क्या मतलब आपका डॉक्टर साब?
डॉक्टर – मतलब साफ़ है आपकी बीवी की रिपोर्ट आपसे मिलाकर देखी है, उनमे कोई कमी नही है। कमी आपमें है, पर आप चिंता न करो मैं कुछ दवाइया लिख देता हूँ, इनके सेवन से आप कुछ ही महीनो में शरीर में आई कमज़ोरी से बाहर निकल जाओगे। “Jawani Ka Sexy Khel”
ज़मीदार – ठीक है डॉक्टर साब..
जमीदार डॉक्टर के कॅबिन से बाहर आ जाता है और उसकी पत्नी यानि मालिकिन पूछती है – क्या बोला डॉक्टर ने शक्ति?
शक्ति – बात यहाँ बताने वाली नही है। रस्ते में बताऊंगा आपको अब चलो यहां से मालकिन।
मालकिन – ठीक है चलो।
दोनों गाड़ी में बैठकर घर की तरफ रवाना हो जाते है।
मालकिन – अब बोलो क्या बोला डॉक्टर ने ?
शक्ति (एक साइड पे गाड़ी रोककर) – डॉक्टर ने कहा के आप ज़मीदार साब से कभी माँ नही बन पाओगे। मैं तो ज्यादा पढ़ा भी नही हूँ । आप खुद ही देखलो। साफ साफ लिखा है के उनके वीर्य में औलाद पैदा करने के कण नही है।
अब मालकिन आँखे फाड़-फाड़ कर उस रिपोट को देख रही है, और आँखों से आंसुओ को नदी बेह रही है।
शक्ति – सम्भालो अपने आप को मालकिन, सब ठीक हो जायगा। डॉक्टर ने दवाईया लिखकर दी है। जिनके सेवन से मालिक ठीक हो जायेंगे।
मालकिन – तुम नही जानते शक्ति तुम्हारे मालिक कितने गर्म स्वभाव के है। अगर उनको ये बात पता चली तो कुछ कर बैठेंगे। क्योंके ये उनकी इज़्ज़त का स्वाल है। तुम भी ये बात किसी से न कहना वरना हमारे खानदान की बहुत बदनामी होगी। मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ। ये बात हम तीनो वो डॉक्टर, तुम और मैं जानते है। आगे किसी चौथे को पता नही चलना चाहिए। “Jawani Ka Sexy Khel”
शक्ति – (उनके हाथ पकड़कर) – ना मालकिन ना केसी बाते करते हो ? आपकी इज़्ज़त पे आंच नही आने देगा ये शक्ति, चाहे उसके लिए मेरी जान क्यों न चली जाये।
मालकिन – चलो गाड़ी चलाओ मुझे अभी घर जाना है।
शक्ति – जो हुक्म मालकिन।
शक्ति गाड़ी लेकर हवेली आ गया पर सारे रास्ते में मालकिन रोती रही।
निलंजना – क्या हुआ मालकिन आपका चेहरा उत्तरा उत्तरा सा क्यों लग रहा है?
मालकिन – नही कुछ नही निलंजना।
निलंजना – क्या हुआ मालिक की याद आ गयी क्या ?
मालकिन – हाँ कुछ ऐसा ही समझ लो। तुम जाओ और शक्ति को मेरे कमरे में भेजो।
निलंजना ने शक्ति को भेज दिया।
शक्ति – आपने बुलाया मालकिन?
मालकिन – हाँ शक्ति आओ और आते वक़्त कमरा अंदर से बन्द करते आना।
शक्ति ने ज्यादा सवाल नही किये और आकर उनके बेड के पास खड़ा हो गया।
शक्ति – बोलो मालकिन क्या हुक्म है मेरे लिए?
मालकिन – देखो शक्ति तुमसे एक बात करनी है।
शक्ति – हां जी फरमाइए।
मालकिन – तुम्हारे पुरखो ने हमारा कितना क़र्ज़ देना है? ये तो तुम भी जानते हो!!
शक्ति – हांजी पता है बहुत बड़ी रकम है। पर आप चिंता न करो हम आपकी पाई पाई चूका देंगे।
मालकिन – मुझे तुमसे एक सौदा करना है।
शक्ति – कैसा सौदा मालकिन?
मालकिन – यदि तुम चाहो तो तुम्हारा सारा क़र्ज़ माफ़ हो सकता है।
शक्ति – (हैरानी से) – क्या बोला आपने मालकिन???
मालकिन – हाँ दुबारा सुनो, तुम चाहो तो तुम्हारा क़र्ज़ माफ़ हो सकता है वो भी पूरे का पूरा।
शक्ति – हाँ ये बात तो समझ आ गयी, पर मुझे करना क्या होगा?
मालकिन – अपनी एक बहुत ही कीमती चीज़, मुझे देनी होगी। सोच लो!!
शक्ति – मेरे पास ऐसी क्या कीमती चीज़ है जिसके बदले में मेरा क़र्ज़ माफ़ जो सकता है।
मालकिन – आज रात तक सोच लो सुबह यही आकर बात करेंगे, और हाँ किसी से इसके बारे में ज़िक्र न करना। अब जाओ तुम अपने घर, सुबह टाइम से आ जाना।
शक्ति घर आकर सारा दिन, सारी रात सोचता रहा ऐसी कोनसी चीज़ है। जिसको देकर अपना क़र्ज़ माफ़ करवा सकता हूँ। सारी रात करवटे लेते निकल गयी।
सुबह हुई नहा धोकर सुबह ही हवेली आ गया और मालकिन के कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई – मालकिन आप उठ गए क्या।
मालकिन – हाँ कब की जाओ अंदर, दरवाजा खुला ही है।
शक्ति अंदर आ गया और मालिकन का इशारा पाकर दरवाजा अंदर से लॉक भी कर दिया।
मालकिन – आज इतनी सुबह सुबह कैसे?
शक्ति – मालकिन मुझे सारी रात नींद नही आई यही सोचता रहा क्या चीज़ हो सकती है वो, जो हमे क़र्ज़ से मुक्ति दिला सकती है। कही आप मुझसे मज़ाक तो नही कर रहे न। “Jawani Ka Sexy Khel”
शक्ति की बात सुनकर मालिकन हस पड़ी और बोली बस इतनी सी बात के लिए इतनी सुबह आ गए हो।
शक्ति – हांजी !
मालकिन – तुम बाहर बैठो मैं नहाकर आती हूँ और सारी बात विस्तार से समझाती हूँ।
शक्ति बाहर आकर बैठ गया।
करीब एक घण्टा उडीकने के बाद मालकिन बाहर आई और बोली – शक्ति गाड़ी निकालो और हमने अपनी दूसरे शहर वाली हवेली में जाना है।
शक्ति हुक्म मानकर गाड़ी में बिठाकर मालकिन को दूसरे शहर वाली हवेली ले गया। वहां जाकर देखा के वहां कोई भी नही है। दरवाजे पे बड़ा सा ताला लगा हुआ था। मालकिन ने उसे दरवाजे की चाबी दी और दरवाजा खोलने को बोला।
शक्ति ने दरवाजा खोल दिया और गाड़ी अंदर करके दरवाजा अंदर से बन्द कर दिया। गाड़ी अंदर तक ले गया, दोनों गाड़ी से उतरे और वहां एक कमरे में पडे सोफे पे मालिकन बैठ गयी और शक्ति खड़ा रहा। “Jawani Ka Sexy Khel”
मालकिन – तुम भी बैठो शक्ति।
शक्ति – भला, मैं आपके साथ कैसे बैठ सकता हूँ, मालकिन?
मालिकन – क़र्ज़ माफ़ कराना है तो बैठना हो पड़ेगा न!
कुछ सोचकर शक्ति मालकिन से थोड़ी दूर उसी सोफे पे बैठ गया।
मालकिन – अब सीधा मुद्दे की बात पे आते है।
शक्ति – जी बोलो।
मालकिन – तुम तो जानते हो तुम्हारे मालक मुझे औलाद का सुख नही दे सकते।
शक्ति – हाँ जी तो?
मालकिन – तो मैं चाहती हूँ तुम मेरे बच्चे के पिता बनो। मैं तुमसे वादा करती हूँ ये बात हम दोनों में रहेगी।
मालकिन की ये बात सुनकर शक्ति भौचंका रह गया। उसे काटो तो खून नही, क्योंके उसमे ऐसा कभी सपने में भी नही सोचा था।
मालकिन उसे झंजोड़ते हुए – कहाँ खो गए शक्ति?
शक्ति – कहीं नही मालकिन, आपकी बात ने सोचने पे मज़बूर कर दिया। परन्तु ऐसा कैसे हो सकता है? मेने आपके बारे में ऐसा सपने में भी सोचा नही है।
मालकिन – देखो शक्ति तुम भी जानते हो जिस कर्जे को उतारने में तुम्हारे दादा पडदादा नाकाम रहे, तुम अकेले उसे कैसे उतार पाओगे?
शक्ति – हाँ मालकिन ये तो है।
मालकिन – तो तुम्हारे सिर का बोझ भी उत्तर जायेगा और हमे अपने खानदान को रोशन करने वाला चिराग मिल जायेगा। पर इसमें मेरी कुछ शर्ते हैं। जितना टाइम मैं चाहूँगी, तुम्हे यहाँ रहना पड़ेगा। हमारे घर ऐसे ही गुलाम बनकर, क़र्ज़ माफ़ है पर काम यही करोगे। उसकी तुम्हे हर महीने तनख्वाह भी दूंगी। “Jawani Ka Sexy Khel”
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शक्ति – ठीक है जी।
मालकिन – जितने दिन आपके मालिक नही आते आप मेरे साथ ही रात को सोओगे। मंजूर है।
शक्ति – हाँ जी मन्ज़ूर है अब न कहने की कोई गुंजाइश भी नही है।
मालकिन – तो ये नेक काम आज से मतलब अभी से शुरू हो जाना चाहिए।
शक्ति – जो हुक्म मेरे मालिकन।
मालकिन – एक बात और जब मेरे साथ हो मालकिन नही कहना नाम लो संध्या देवी।
शक्ति – ठीक है संध्या देवी।
और दोनों हंसने लगे.. “Jawani Ka Sexy Khel”
शक्ति ने संध्या को गोद में उठाया और संध्या के बताएं कमरे की तरफ चल दिया। अंदर पहुंच कर उसको बैड पर लिटाया और अपनी सारी शर्म, हया उतारकर उसके ऊपर आकर उसको चूमने लगा। इधर संध्या भी अपनी हम उम्र के मर्द के स्पर्श को पाकर धन्य हो गयी। उसकी रग-रग ने काम वीना बजने लगी। मानो अंधे को आँखों की जोड़ी मिल गयी हो।
मालकिन की उम्र 25 साल, रंग गोरा, गदराया बदन, खुले बाल, साड़ी में लिपटी हुई एक अप्सरा लगती थी। माँ बाप छोटे ज़मीदार होने की वजह से इनके हिसाब का कोई रिश्ता नही मिला। तो पुर्षोत्तम सिंह (35 साल) से शादी कर दी गयी। “Jawani Ka Sexy Khel”
करीब 10 मिनट संध्या के होंठो का रसपान करने के बाद शक्ति भी थोड़ा सरूर में आ गया और संध्या को उठाकर उसके सारे कपड़े एक एक करके निकाल दिए। संध्या भी एक एक करके शक्ति के सारे कपड़े निकालने लगी। जब दोनों एकदम नंगे हो गए तो एक दूजे को बाँहो में लेकर बैड पे लेट गए और एक दूजे को चूमने चाटने लगे।
फिर संध्या को पीठ के बल लिटाकर शक्ति उसके ऊपर आके उसके माथे पे किस करने लगा। जिससे संध्या के शरीर में 440 वाल्ट का करन्ट दौड़ने लगा और आँखे बन्द करके आह्हह्हह्हह्ह की आवाज़ निकालने लगी। आज पहली बार कोई अपनी उम्र का मर्द उसकी जवानी से खेल रहा था।
अब थोडा कान की तरफ झुककर कान की पेपड़ी को जीभ से मुह में लेकर चूसने लगा। जिस से संध्या मज़े के सागर में गोते लगाने लगी। उसकी सिसकिया बढ़ती ही जा रही थी। अब शक्ति संध्या के निचले होंठ को अपने होंठो में लेकर उसका रसपान करने लगा, निर्मल भी उसका साथ दे रही थी। “Jawani Ka Sexy Khel”
अब धीरे धीरे शक्ति निचे को सरकता जा रहा था। अब शक्ति ने संध्या का दायना मम्मा अपने मुह में लिया और बायीं तरफ वाले मम्मे को हाथ में लेकर भिचने लगा। जिस से मानो संध्या के शरीर में चींटिया दौड़ने लगी और वो अपने हाथो से शक्ति का सर पकड़कर अपने मम्मे पे दबाव बनाने लगी..
संध्या – और चूसो, शक्ति खा जाओ इन आमो को तुम्हारे लिए ही सम्भालकर रखे है – जैसी बहकी बहकी बाते करने लगी।
शक्ति अपनी मस्ती में आगे बढ़ता जा रहा था और बार बार बदल बदल कर मम्मे चूस और उसने हल्की हल्की चक्की भी काट रहा था। जिस से कई बार निर्मल के मुह से ज़ोर से चीख निकल जाती थी।
अब निचे की और आते आते शक्ति का हाथ संध्या की एकदम शेव की हुई चूत पे आ गया। जिसे वो देखता ही रह गया। क्या गज़ब की चूत थी। एक दम क्लीनशेव छोटे छोटे उसके होंठ मानो सन्तरे की दो फाड़ियां हो। उनमे एक छोटा सा भूरा सा दाना, जिसपे शक्ति का हाथ लगते ही संध्या का शरीर मानो आकाश में उड़ने लगी हो। “Jawani Ka Sexy Khel”
संध्या की चूत से चूतरस की बूंदे बह रही थी। उसकी बन्द आँखे, बेड की चादर नोचते उसके हाथ जिनको देखकर शक्ति भी समझ गया के लोहा बहुत गर्म हो गया है। अब हथौड़ा मारने की बारी है।
शक्ति ने उसकी टाँगे ऊची करवाकर अपने कंधो पर रखवाली और अपने साढे 5 इंची मोटे लण्ड को अपने हाथ में लेकर, उसका सुपाड़ा खोलकर धीरे धीरे उसकी चूत पे घिसाने लगा। जिस से संध्या का सब्र जवाब देने लगा और वो लडखडाती आवाज़ में बोली..
शक्ति और न तड़पाओ, पहले ही बहुत तड़पी हूँ, इस दिन को देखने के लिए। अब बस मेरी चूत में अपना मोटा लण्ड डाल दो और मेरी झोली में एक बच्चा डाल दो। मैं तुम्हे मुंह माँग इनाम दूंगी और तुम्हारा सारा क़र्ज़ माफ़ भी कर दूंगी। “Jawani Ka Sexy Khel”
क़र्ज़ का नाम सुनते ही शक्ति को पता नही क्या हो गया। उसने अपने लण्ड को संध्या की चूत पे सेट करके जैसे ही पहला झटका मारा। तो उसका 2 इंच लण्ड संध्या की तंग चूत के मुँह में घुस गया। जिस से संध्या की ज़ोर से चीख निकल गयी और दर्द से छटपटाने लगी। “Jawani Ka Sexy Khel”
कुछ मिनट ऐसी ही हालत में रहने के बाद जब संध्या का दर्द कुछ कम हुआ तो शक्ति ने अगला झटका मारा इस बार 2 इंच और लण्ड निर्मल की चूत में घुस चुका था। इस बार शक्ति ने संध्या के दर्द की ज्यादा परवाह नही की और दे दाना दन, दे दना दन झटके देने लगा.
और तब तक नही हटा जब तक जड़ तक लण्ड निर्मल की चूत में घुस न गया। अब संध्या का दर्द भी मज़े में बदल गया और वो भी चूत उठा उठाकर चुदवाने लगी। करीब 10 मिनट बाद आह्ह्ह्ह्ह्ह् की आवाज़ से झड़ गयी और शरीर को ढीला छोड़ कर लेटी रही।
इधर शक्ति ने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और अगले 10 मिन्टो में एक लम्बी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् लेकर उसकी छोटी सी चूत में झड़ गया। दोनों आधे घण्टे तक इसी हालत में एक दूजे की बाँहो में लेटे रहे।
दोनों के चेहरे पे अपार ख़ुशी की झलक देखने लायक थी। क्योंके उन्होने अपने प्लान का पहला राउंड पार कर लिया था। दोनों एक दूजे की आँखों में आँखे डालकर खोये हुए थे के मोबाइल की घण्टी से उनका ध्यान एक दूजे से टूट गया। जो के ज़मीदार साब की विदेश से आई थी। “Jawani Ka Sexy Khel”
काफी देर तक फोन बज़ने के बाद जब संध्या ने शक्ति की बाँहो में पड़े ही फोन उठाया तो आगे से आवाज़ आई – कहाँ चली गयी थी फोन रखकर संध्या?
संध्या – जी.. वो.. वो.. मैं नहाने आई थी बाथरूम में और फोन बैड पे ही पड़ा बज रहा था और सुनाइए कैसे हो आप और कितने दिन यहां रहोगे आप?
जमींदार – हाल बस बढ़िया है। अभी तो एक हफ्ता ही हुआ है। वहां से यहाँ आये हुए अभी एक महीना या इस से भी ज्यादा लग सकता है।
संध्या (झूठी मुठी नाटक करती हुई) – इतने दिन मैं कैसे रहूंगी बिन आपके, मुझे अपने साथ क्यों नही लेकर गए। यहां किसके सहारे छोड़कर गए हो। जाते वक़्त भी बताना जरूरी नही समझा।
ज़मींदार – माफ़ करदो मेरी जान, उस वक़्त तुम सोई हुई थी तो काम के सिलसिले में यहां आना पड़ा। तुम्हे उठाना अच्छा नही लगा। सोचा जाना तो मुझे है इसकी नींद क्यों खराब करनी।
संध्या – जाओ मुझे नही बात करनी आपसे और आगे से फोन काट दिया।
फोन काटकर दोनों खूब हंसे और दुबारा एक दूजे में समा गए।
अब रोज़ाना ही उनका दिन में ये जवानी वाला खेल घर से बाहर और रात को मालकिन के कमरे में चलता। कब एक महीना पूरा हो गया इनको पता ही नही चला। एक दिन फिर दोनों उसी अस्पताल में गए जहां पहले भी एक बार जाकर आये थे। “Jawani Ka Sexy Khel”
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डॉकटर ने दोनों के टेस्ट करके रिपोट बनाई और बधाई दी के संध्या के गर्भ में बच्चा बनना शुरू हो गया है। दोनो की ख़ुशी का कोई ठिकाना नही था। अब मालिक भी विदेश से लौट चुके थे। फिर भी जब भी उनको वक़्त मिलता दो बदन एक जान हो जाते।
इस तरह वक्त बीतता रहा और संध्या ने एक बहुत ही खूबसूरत बेटे को जन्म दिया। जिसका नाम शक्ति के नाम पर ही रखा गया। फेर एक दिन संध्या ने पुर्षोत्तम सिंह से बात की किस तरह इसने मेरी आपके जाने के बाद मेरी दिन रात सेवा की, मुझे हर जगह लेकर घुमा ताजो हमारे घर बच्चा हो जाये।
सो इसकी सेवा के बदले शक्ति का पूरा क़र्ज़ माफ़ कर दिया जाये। मालिक को उसका सुझाव पसन्द आ गया और शक्ति का पूरा क़र्ज़ माफ़ कर दिया। अब ज़मीदार ने शक्ति को महीने की तनख्वाह पे रख लिया। जिस से शक्ति की ज़िन्दगी में एक नया मोड़ आ गया। सो इस तरह एक बेटे से अपने बाप दादा को फंसे क़र्ज़ से निकाला। “Jawani Ka Sexy Khel”